
29/03/2025
मध्यकालीन भारत के इतिहास के पन्ने पलटने वालों,,,,,
उस दौर के इतिहास को आप लोग पन्नों में नहीं ढूंढ सकते, क्योंकि वह खून से लिखी हुई इबारतें हैं और इन खून से लिखी इबारतों को पढ़ने के लिए
रक्त प्रवाहितः विनम्रता के संस्कार और उबाल खाती देश प्रेम की भावनाओं की आवश्यकता होती है।
जिनकी सौं पीढ़ियों ने भी कभी राष्ट्र और धर्म के लिए प्राणोत्सर्ग करने का साहस नहीं किया, अब यदि उन्हें अपनी फ्रस्ट्रेशन की खुजली मिटानी है, तो वे मध्य काल के इतिहास के पन्ने उलटने की बजाए सन 1947 के कुछ पूर्व तथा कुछ पश्चात के पन्ने पलटे तथा अपने और अपने खानदान के किसी एक व्यक्ति का नाम ढूंढ कर बताएँ ।
और यदि इतिहास के पन्ने पलटने का इतना ही शौक़ है, तो पहले भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास पन्ने ज़रुर पलटे।
वैसे तो सन 1947 के पश्चात जितने भी भारत देश के पाकिस्तान, चाइना या अन्य देशों से युद्ध हुए हैं। उनमें जातिगत आंकड़ों के तौर पर देखा जाए, तो सर्वाधिक परमवीर चक्र, वीर चक्र, शौर्य चक्र, कीर्ति चक्र आदि वीरता पुरस्कारों को प्राप्त करने वालों में सर्वाधिक संख्या में राजपूत शूरवीर योद्धा हुए हैं।
राष्ट्र तथा धर्म के लिए तिल-तिल कर कटने वाली कौम के त्याग व बलिदान के हज़ारों उदहारण होने के पश्चात भी निर्लज्ज तथा कुंठित मानसिकता के लोगों को तो परमीवीर मेजर शैतान सिंह भाटी व परमवीर मेजर पीरू सिंह शेखावत के साहस और त्याग पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हुए शर्म नहीं आएगी।
इसलिए मृत अवस्था को प्राप्त अपनी अंतर आत्मा को बताने के लिए ऐसे लोगों को मध्य काल के इतिहास के पन्ने पलटने से पूर्व सन 1947 के ज़रा से आगे और पीछे के इतिहास पर दृष्टिपात जरूर कर लेना चाहिए।
वैसे तो देश की रक्षार्थ अपने जीवन को न्योछावर करने वाले वीर शहीदों को जातीय परिदृश्य में देखना बहुत ही निम्नता है। परन्तु जब राणा सांगा व महाराणा प्रताप जैसे शूरवीर योद्धाओं पर प्रश्नचिह्न उठाए जाने लगे और उनकी मौजूदा संतानों पर जिस प्रकार से घटिया कमेंट्स किए जा रहे हैं, तो फिर चर्चा स्वाभाविक है।
सन् 1947 के पश्चात् भारतवर्ष की सरहदों पर दुश्मनों से लड़ते हुए प्राणोत्सर्ग करने वाले राजपूत योद्धाओं से पूर्व प्राचीन काल, मध्य काल और भारत की आज़ादी के संघर्ष तक में अपने प्राणोत्सर्ग न्यौछावर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
भारत के आज के कथित वाकसूरों, मध्यकाल के राजपूत योद्धाओं की तो बात छोड़ो, आप लोग तो सिर्फ भारत की आज़ादी और उसके स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले राजपूत योद्धाओं स्वतंत्रता संग्राम के नामो की हीं काउंटिंग कर लो। वह पर्याप्त है राणा सांगा के वंशजों को स्वतः साबित करने के लिए।
महाराणा संग्राम सिंह( राणा सांगा), महाराणा प्रताप, वीर दुर्गादास राठौड, राव चन्द्रसेन, राजा छत्रसाल, सम्राट पृथ्वीराज चौहान जैसे राजपूत सूरवीरों पर प्रश्न चिह्न लगाने वाले लोगों से निवेदन है कि वे लोग मेरी इस पोस्ट पर अंग्रेजों के विरुद्ध हुए स्वतंत्रता संग्राम में अपने-अपने खानदान के स्वतंत्रता सेनानियों की सूची कमेंट बॉक्स में जरूर डालें।
उदाहरणार्थ कुछ प्रसिद्ध राजपूत स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया :-
1. राजा नारायण सिंह,
2. बाबू वीर कुंवर सिंह,
3. राव गोपाल सिंह खरवा,
4. राणा बेनी माधव बैस,
5. ठाकुर डूंगर सिंह शेखावत व जवाहर सिंह शेखावत (पाटोदा)
6. राम प्रसाद सिंह तोमर (बिस्मिल)
7. राम सिंह पठानिया
8. राणा रतन सिंह सोढ़ा
9. चंद्र सिंह गढ़वाली
10. ठाकुर खुशाल सिंह आऊवा
11. महावीर सिंह राठौड़
12. ठाकुर रोशन सिंह
13. ठाकुर जोध सिंह अटैया (गौतम)
14. डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह
15. यशवंत सिंह परमार
16. रानी सुभद्रा कुमारी चौहान
17. महाराजा मरदान सिंह
18. कुंवर चैन सिंह परमार
19. ठाकुर रणमत सिंह बघेल
20. ठाकुर विश्वनाथ शाह देव
21. वीर सुंदर साईं चौहान
22. लाल पदमधर सिंह
23. राणा बख्तावर सिंह
24. ठाकुर प्यारेलाल सिंह बघेल
25. ठाकुर बाल सिंह शेखावत और भूर सिंह शेखावत (पटौदा)
26. केशरी सिंह बारहठ
27. बंदा सिंह बहादुर