District Chamba - H.P

District Chamba - H.P Chamba (Hindi: चम्बा) is an ancient town in the Chamba district in the state of Himachal Pradesh, in northern India. The town has numerous temple

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05/05/2024

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Kids ❤️ talent and love for Radhakrishna

02/05/2024

ISCON TEMPLE -CHANDIGARH ❤️

02/05/2024

This is for Dosa lovers ❤️

मिनी स्विट्ज़रलैंड के नाम से विख्यात जिला चंबा की पर्यटन नगरी खज्जियार का नजारा।
30/01/2023

मिनी स्विट्ज़रलैंड के नाम से विख्यात जिला चंबा की पर्यटन नगरी खज्जियार का नजारा।

20/01/2023

दिल्ली - कुल्लू फ्लाइट से देवभूमि हिमाचल का अलौकिक सौंदर्य 💕❤️

#देवभूमि_हिमाचल
















20/01/2023
True 🎉
20/01/2023

True 🎉

Is it true?
20/01/2023

Is it true?

31/12/2022

Kidaa fer Chamba valyo, Ram Ram 🙏 sbi ko.
Aj fer 2022 khatam ho rha hai, Kaisi tyaari hai fer new year ki. Hai koi party varty ya dheela hi hai hisaab kitaab 😀😂.

जय मणिमहेश कैलाश जी की 🙏❤️स्वर्ग की नगरी भोलेनाथ जी की शिव कुंड के बहुत ही प्यारे दर्शन 🙏
09/09/2022

जय मणिमहेश कैलाश जी की 🙏❤️

स्वर्ग की नगरी भोलेनाथ जी की शिव कुंड के बहुत ही प्यारे दर्शन 🙏

19/08/2022

Jai manimahesh 🙏❤️. जय मणिमहेश

जय हो बाबा बर्फानी । सब की यात्राएं मंगलमय हो अपना आशीर्वाद बनाए रखना।

Way to mini Island 🏝️🏖️ in Dalhousie, Chamba.
14/08/2022

Way to mini Island 🏝️🏖️ in Dalhousie, Chamba.

Chandigarh - Shimla highway, near Solan.
12/08/2022

Chandigarh - Shimla highway, near Solan.

06/08/2022

मणिमहेश यात्रा के दौरान आवश्यक सूचनाः-

यह यात्रा दिनांक 19-08-2022 से लेकर 02-09-2022 तक होगी।
बेस कैम्प हडसर में मैडिकल चैकअप में अस्वस्थ पाए जाने पर यात्रा पर जाने की स्थिति में यात्रा पर जाने की अनुमति नही होगी।
पंजीकरण करना अनिवार्य है बिना पंजीकरण के यात्रा करने पर किसी भी बेस कैम्प से वापिस भेजा जा सकता है।
मणिमहेश यात्रा के दौरान क्या करेंः-

यात्री अपना पंजीकरण आवश्य करवाएं।
यात्रियों से अनुरोध किया जाता है कि चिकित्सा प्रमाण पत्र अपने साथ लेकर आए तथा बेस कैम्प हडसर में स्वास्थ्य जांच आवश्य करवाएं। पूर्णतय स्वस्थ होने पर ही यात्रा करें।
अकेले यात्रा न करें केवल साथियों के साथ ही यात्रा करें।
चढाई धीरे-धीरे चढे, सांस फूलने पर वहीं रूक जाएं।
छाता, बरसाती, गर्म कपडे, गर्म जूते, टार्च एवं डंडा अपने साथ आवश्य लाएं।
प्रशासन द्वारा निर्धारित रास्तों का प्रयोग करें।
किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धि समस्या हेतु निकटतम कैम्प में सम्पर्क करें।
सफाई का विशेष ध्यान रखें।
दुलर्भ जडी बूटियों एवं अन्य पौधों के संरक्षण में सहयोग करेें।
इस यात्रा को पिकनिक अथवा मौज मस्ती के रूप में न लें व केवल भक्तिभाव एंव आस्था से ही तीर्थ यात्रा करें।
किसी भी प्रकार का दान अथवा चढावा केवल ट्रस्ट के दान पात्रों में ही डालें।
यात्री मास्क तथा सेनिटाइजर साथ लाएं।
कोविड-19 नियमों का पालन करें।
यात्री अपना पहचान पत्र/आधार कार्ड यात्रा के दौरान साथ रखें।

मणिमहेश यात्रा के दौरान क्या न करेंः-

सुवह 04 बजे से पहले और शाम 05 बजे के बाद बेस कैम्प हडसर से यात्रा न करें।
बिना पंजीकरण एंव चिकित्सकीये रूप से फिट न होने पर यात्रा न करें।
अपने साथियों का साथ न छोडे जबरदस्ती चढाई न चढें व फिसलने वाले जूते न पहने यह घातक हो सकता है।
खाली प्लास्टिक की बोतलें एवं रैपर इत्यादि खुले में न फेकें बल्कि अपने साथ वापिस लाकर कूडादान में डाले।
जडी बूटियों एंव दुर्लभ पौधों से छेड छाड न करें।
किसी भी प्रकार के नशीलें पदार्थो मांस मदिरा झ्त्यादि का सेवन न करें। यह एक धर्मिक यात्रा है इसकी पवित्रता का ध्यान रखें
पवित्र मणीमहेश डल झील के आस-पास कच्चरा, गीले कपडे और स्नान उपरान्त अपने अधोवस्त्र इधर-उधर न फैकें तथा इन्हे नजदीक स्थापित कूडादान में डालें।
छः सप्ताह से ज्यदा गर्भवती महिलाएं यात्रा न करें।
यात्रा के दौरान चप्पलों के बजाय जूतों का प्रयोग करें, क्योंकि रास्ता दुर्गम होने की वजह से चोट इत्यादि लग सकती है।
किसी भी प्रकार के छोटे रास्ते (Short Cut) का प्रयोग न करें।
प्लास्टिक का प्रयोग न करें।
यात्रा के दौरान कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे वातावरण दूषित हो तथा पर्यावरण को किसी प्रकार की कोई हानी न हो।
यात्रा के दौरान मौसम खराब होने पर हडसर व डल झील के बीच धन्छो, सुन्दरासी, गौरीकुण्ड एवं डल झील पर सुरक्षित जगह पर रूकें। मौसम अनुकूल होने पर ही यात्रा आरम्भ करें।

2022 Manimahesh Yatra Update श्री मणिमहेश यात्रा के  लिए 4 अगस्त से शुरू होगी ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रियाश्रद्धालुओं का निश...
06/08/2022

2022 Manimahesh Yatra Update

श्री मणिमहेश यात्रा के लिए 4 अगस्त से शुरू होगी ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया

श्रद्धालुओं का निशुल्क होगा पंजीकरण

www.manimaheshyatra.hp.gov.in पर किया जा सकेगा पंजीकरण

हेलीकॉप्टर सेवाओं से संबंधित जानकारी भी रहेगी ऑनलाइन उपलब्ध

चंबा, 3 अगस्त


श्री मणिमहेश यात्रा के श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 4 अगस्त सायः 5 बजे से ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया शुरू होगी । उपायुक्त डीसी राणा ने बताया कि श्री मणिमहेश यात्रा के दौरान आने वाले सभी श्रद्धालुओं को पंजीकरण करवाना आवश्यक होगा । पंजीकरण निशुल्क होगा और श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार का कोई भुगतान नहीं करना पड़ेगा । पंजीकरण www.manimaheshyatra.hp.gov.in पर किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि पंजीकरण प्रक्रिया पूर्ण होने पर श्रद्धालुओं के मोबाइल फोन पर एक लिंक प्राप्त होगा ,वहां से क्यूआर कोड को डाउनलोड किया जा सकेगा।
पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत ही प्रवेश स्थलों से श्रद्धालुओं को आगामी यात्रा की अनुमति प्रदान की जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि इस वेबसाइट पर हेलीकॉप्टर सेवा के बारे में जानकारी के साथ-साथ न्यास को दान देने की ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध होगी ।
उपायुक्त ने बताया कि चंबा से भरमौर की ओर जाते समय कुछ स्थानों पर मोबाइल नेटवर्क की समस्या भी रहती है और बेस कैंप हडसर में सिर्फ बीएसएनल की सिगनल सुविधा उपलब्ध है। इसलिए उन्होंने श्रद्धालुओं से यह आग्रह किया है कि वे यात्रा पर प्रस्थान करने से पूर्व पंजीकरण प्रक्रिया पूर्ण करना सुनिश्चित करें ।
अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर निशांत ठाकुर ने बताया कि पंजीकरण का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। पंजीकरण प्रक्रिया से यात्रियों का पूरा ब्यौरा स्थानीय प्रशासन के पास उपलब्ध रहेगा और विपरीत परिस्थितियों में यात्रियों के बचाव हेतु मदद मिलेगी।

Yatra is officially opened from 19th August to 02nd September 2022. However, the Heli Taxi services will be operational from 12th August to 2nd September 2022. If you are not travelling for yatra on the said dates there will be no rescue/medical help provided by the administration. Users should reg...

Mini Island 🏝️🏖️ in Dalhousie, Chamba
28/07/2022

Mini Island 🏝️🏖️ in Dalhousie, Chamba

24/07/2022

मिंजर मिंजर महोत्सव का शुभारंभ।

आप सभी को मिंजर महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
24/07/2022

आप सभी को मिंजर महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।

चम्बा-पांगी मार्ग में साच  दर्रे के समीप  बर्फ की सुरंग में जब सूर्य की रौशनी पड़ती है तो यह दिलकश तस्वीर उभरती है।
22/07/2022

चम्बा-पांगी मार्ग में साच दर्रे के समीप बर्फ की सुरंग में जब सूर्य की रौशनी पड़ती है तो यह दिलकश तस्वीर उभरती है।

Chaurasi Temple     Hindu temple in Bharmour, Himachal Pradesh .
17/07/2022

Chaurasi Temple

Hindu temple in Bharmour, Himachal Pradesh .

Khajjiar In District Chamba,Town in Himachal Pradesh 🍀🍀🍀
17/07/2022

Khajjiar In District Chamba,
Town in Himachal Pradesh 🍀🍀🍀

13/07/2022

ॐ नमः शिवाय हर हर महादेव (एक बार समय निकालकर अंत तक जरूर पढ़ें)💐💐

पूर्व काल में चित्रभानु नामक एक शिकारी था। वो शिकार करके अपने परिवार का पालन पोषण किया करता था। उसपर एक साहूकार का कर्जा था जिसका ऋण चित्रभानु ने एक बार वक्त पर नहीं चुकाया। जिससे साहूकार उसपर क्रोधित हो गया और उसे शिव मठ में बंदी बना लिया। जिस दिन साहूकार ने शिकारी को बंदी बनाया वो दिन शिवरात्रि का था। शिव मठ में उस दिन शिकारी ने ध्यानमग्न होकर शिव से जुड़ी धार्मिक बातें सुनीं इसके साथ ही उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी।

शाम होने पर साहूकार ने शिकारी चित्रभानु को अपने पास बुलाया और उससे ऋण को अदा करने पर बात की। जिसके बाद शिकारी ने अपना सारा ऋण साहूकार को लौटा दिया और अपने बंधक से मुक्त हो गया। इसके बाद वो जंगल में शिकार के लिए निकला लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण शिकारी भूख-प्यास से व्याकुल हो उठा । वो अपना शिकार खोजते हुए बहुत दूर निकल गया। शिकार ढूंढते ढूंढते रात हो गई। इस पर शिकारी चित्रभानु ने विचार किया कि उसे रात जंगल में ही बितानी पड़ेगी। ये सोचकर वो एक तालाब के किनारे पहुंचा जहां उसे एक बिल्व वृक्ष नजर आया जिसपर चढ़कर वो रात बीतने का इंतजार करने लगा।

बिल्व वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग था, जो बिल्वपत्रों से ढका हुआ था। जिसका अंदाजा शिकारी को नहीं था। अपना पड़ाव बनाते वक्त उसने जो टहनियां तोड़ीं वे संयोग से शिवलिंग पर जा गिरी। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बिल्वपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी हिरणी तालाब पर पानी पीने पहुंची। तभी शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, हिरणी बोली- 'मैं गर्भिणी हूं और शीघ्र ही प्रसव करूंगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब तुम मुझे मार लेना।

शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और हिरणी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई। प्रत्यंचा चढ़ाने तथा ढीली करने के वक्त कुछ बिल्व पत्र फिर से टूटकर शिवलिंग पर गिर गए। इस प्रकार उसका अनजाने में ही प्रथम प्रहर का पूजन भी सम्पन्न हो गया। कुछ ही देर बाद एक और हिरणी उधर से निकली। जिसे देख शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। तब उसे देख हिरणी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया- 'हे शिकारी! मैं अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी। हिरणी की बात सुनकर शिकारी ने उसे भी जाने दिया।दो बार शिकार को खोकर शिकारी चिंता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। इस बार भी धनुष से लगकर कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर जा गिरे। इससे दूसरे प्रहर की पूजन भी सम्पन्न हो गई। तभी एक अन्य हिरणी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर नहीं लगाई। वह तीर छोड़ने ही वाला था कि हिरणी बोली- ‘हे शिकारी! मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी। इस समय मुझे मत मारो।’

शिकारी हंसा और बोला- ‘सामने आए शिकार को छोड़ दूं, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूं। मेरे बच्चे भूख-प्यास से व्याकुल हो रहे होंगे। जिसके उत्तर में हिरणी ने फिर कहा- जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी सता रही है। हे शिकारी! मेरा विश्वास करो, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूं।
हिरणी का दुखभरा स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया। शिकार के अभाव में और भूख-प्यास से व्याकुल शिकारी अनजाने में ही बेल-वृक्ष पर बैठा बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था।

सुबह होने ही वाली थी कि एक हष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा। शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला- ’ हे शिकारी! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुख न सहना पड़े। मैं उन हिरणियों का पति हूं, यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा।’

मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटनाचक्र घूम गया। उसने सारी कथा मृग को सुना दी। तब मृग ने कहा- ‘मेरी तीनों पत्नियां जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी। अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूं।’

शिकारी ने उसे भी जाने दिया। इस प्रकार सुबह हो आई। उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से अनजाने में ही पर शिवरात्रि की पूजा पूर्ण हो गई। पर अनजाने में ही की हुई पूजन का परिणाम उसे तत्काल मिला। थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया। उसने मृग परिवार को जीवनदान दे दिया।अनजाने में ही क्यों न सही पर शिवरात्रि के व्रत का पालन करने पर शिकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई। जब मृत्यु काल में यमदूत उसके जीव को ले जाने आए तो शिवगणों ने उन्हें वापस भेज दिया तथा शिकारी को शिवलोक ले गए। शिवजी की कृपा से ही अपने इस जन्म में राजा चित्रभानु अपने पिछले जन्म को याद रख पाए तथा महाशिवरात्रि के महत्व को जानकर उसका अगले जन्म में भी पालन कर पाए। राजा ने मासिक शिवरात्रि के इस व्रत का प्रचार प्रसार पूरे विश्व में फैलाया और लोगों को इसके महत्व के बारे में बताया।

हर_हर_महादेव
ओम नमः शिवाय
🙏🙏❤️❤️

मणिमहेश यात्रा , हिमाचल 🗻🏔एक रहस्मयी पर्वत मणिमहेश कैलाश की यात्रा करना मन और विचारों को बेहद शांत कर देता है |  दिल में...
12/07/2022

मणिमहेश यात्रा , हिमाचल 🗻🏔

एक रहस्मयी पर्वत मणिमहेश कैलाश की यात्रा करना मन और विचारों को बेहद शांत कर देता है | दिल में बस महादेव का वास और होंठों पर ॐ नमः शिवाय का जाप |

अकेले ही थी इसलिए सेल्फी ज्यादा लेनी पड़ी | कुछ फोटोज पोर्टर से कह कर खिंचवाई लेकिन अक्सर वो आगे भाग जाता था | अकले होने का एक फायदा ये भी रहता है की हम जहाँ चाहे जिनती देर चाहें रुक सकते हैं , बैठ सकते हैं और नजारों को निहार सकते हैं | दीन दुनिया से अलग बस अपनी ही मौज में व्यस्त | कुछ दोस्त भी बने लेकिन ज्यादा दूर तक नही |

रास्ता बहुत कठिन नही था | कुछ लोग आते जाते हुए मिल रहे थे इसलिए बोरियत जैसा कुछ भी नही था | बरसात का मौसम था तो नज़ारे बहुत ही खूबसूरत और हरे भरे थे |

पंचकैलाश में से एक मणिमहेश कैलाश को अजेय माना जाता है। कोई भी अब तक इस चोटी को माप करने में सक्षम नहीं हुआ है, इस तथ्य के बावजूद कि माउंट एवरेस्ट सहित बहुत अधिक ऊंची चोटियों पर विजय प्राप्त की है|

एक कहानी यह रही कि एक बार एक गद्दी ने भेड़ के झुंड के साथ पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश की। माना जाता है कि वह अपनी भेड़ों के साथ पत्थर में बदल गया है।

मणिमहेश को ब्रम्हांड के तीनों स्वामी अर्थात ब्रम्हा, विष्णु और महेश (शिव) का निवास स्थान भी माना जाता है। मान्यता के अनुसार मणिमहेश भगवान शिव का स्वर्ग (कालिसा) है, और धन्चो के पास स्थित झरने को भगवान विष्णु का स्वर्ग (वैकुंठ) माना जाता है। भरमौर के पास स्थित एक टीले को ब्रम्हा जी का स्वर्ग कह कर बुलाया जाता है।

Apricot  OrchardGoode morning 🙏❤️
13/06/2022

Apricot Orchard

Goode morning 🙏❤️

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