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कुंभ में ठहरने की व्यवस्थाकुंभ मेले में ठहरने की सुविधा हर प्रकार के यात्रियों के लिए उपलब्ध है, चाहे वे किसी भी आर्थिक ...
24/01/2025

कुंभ में ठहरने की व्यवस्था

कुंभ मेले में ठहरने की सुविधा हर प्रकार के यात्रियों के लिए उपलब्ध है, चाहे वे किसी भी आर्थिक स्थिति से आते हों। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:

1. सामर्थ्यवान यात्रियों के लिए टेंट सिटी:

जिनके पास थोड़ा अधिक धन है, उनके लिए "टेंट सिटी" नामक विशेष व्यवस्था की गई है। यहां आप 2,000 रुपये से लेकर 30,000 रुपये प्रतिदिन तक के टेंट में ठहर सकते हैं। यहां की सुविधाएं इस पर निर्भर करती हैं कि आप कितना खर्च कर सकते हैं। "जैसा गुड़ डालेंगे, वैसा मीठा पाएंगे।"

2. गुरु या अखाड़ों से जुड़े भक्तों के लिए:

जिनके गुरु कुंभ में उपस्थित हैं, वे अपने अखाड़ों में ठहरते हैं। इन्हें पता होता है कि उन्हें कहां जाना है और वहां कैसे रहना है। उनके रहने-खाने की सारी व्यवस्था उनके गुरु और अखाड़े द्वारा की जाती है।

3. आम श्रद्धालुओं के लिए यात्री आश्रय स्थल:

जो लोग किसी अखाड़े से नहीं जुड़े हैं या आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं, उनके लिए भी कुंभ में ठहरने की शानदार व्यवस्था की गई है।

स्थान: सेक्टर 1 से 5 को छोड़कर हर सेक्टर में "यात्री आश्रय स्थल" बनाए गए हैं।

प्रमाण पत्र: ठहरने के लिए आपके पास सिर्फ आधार कार्ड होना चाहिए।

शुल्क:

सामान्य दिनों में 100 रुपये प्रति बेड।

विशेष पर्वों पर 200 रुपये प्रति बेड।

सुविधाएं: आपको धुली हुई साफ चादरें, तकिया और एक कंबल दिया जाएगा।

सुझाव: एक पतला कंबल घर से ले आएं, जिससे ठंड से बचाव में मदद मिलेगी।

4. सुरक्षा व्यवस्था:

कुंभ में हर जगह पुलिस की तैनाती की गई है। महिलाएं यदि अकेली हैं, तो भी उन्हें किसी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं है। यदि कोई समस्या हो, तो दस कदम पर मौजूद पुलिसकर्मियों से मदद लें।

5. यात्रा सुझाव:

कुंभ में पैदल चलने का मन बनाकर आएं। यह यात्रा लचीले स्वभाव वाले या कमजोर इच्छाशक्ति वाले लोगों के लिए नहीं है।

यदि आप खोजने और थोड़ा प्रयास करने के लिए तैयार हैं, तो यहां हर जगह ठहरने की अच्छी व्यवस्था उपलब्ध है।

कुंभ मेले में हर किसी के लिए रहने की व्यवस्था है, चाहे आप किसी भी स्थिति में हों। आप शांति और आस्था के इस पर्व का अनुभव पूरी सुरक्षा और सुविधाओं के साथ कर सकते हैं। C/P

#महाकुंभ

ॐ 🙏🙏🙏🚩🚩🙏🙏🚩🚩 ॐ *MAHAKUMBH 2025*Some interesting facts related to this Mahakumbh.>Expected footfall : 40 crores>Paryagraj ...
20/01/2025

ॐ 🙏🙏🙏🚩🚩🙏🙏🚩🚩 ॐ

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Some interesting facts related to this Mahakumbh.
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>UNESCO has declared it biggest congregation of Pilgrims on earth.
>4 Guinness World Records are aimed to be set:-
a)Largest Synchronised Sweeping Drive (15,000 participants)
b) largest e-vehicle parade (1000)
c)Most Handprint Printing within 8 years with 10,000 participants
d) Largest river cleaning drive (300 volunteers)
>To take care of Health, 100 bed's hospital, 2 ICUs, 291 Doctors, 90 Ayurvedic & Unani specialists, 182 nursing staff have been deployed.
>1.6 lacs tents, 100 dormitories, 250 beds, a tent city for dignitaries are available for pilgrims.
>2750 CCTV camers, 80 variable display message screens, 50 seater command and control centres
>1.5 lacs saplings have been planted on Mela campus
>AI chatbot named "Khumbh" has been introduced with 10 languanges
>13,000 trains, 250 flights, 48 Platforms, 21 FOBs, 554 Ticcket Vending Kiosks have been arranged.
>Mela area is in 4000 hectares, 12 KMs is the length of Ghats, 1,45,000 toilets, 67000 street lights & 30 pantoon bridges have been arranged.
>UPSRTC has deployed 350 shuttle buses with a team of 22 officers to oversee operations.
>Special arrangements for NRIs & Foreign visitors have been made.
>To study the "Crowd Management" scholars from overseas universities have already arrived.
>Forthcoming Snan dates are : January 29, February 4,12 & 26.
>Total Budget for this Mahakumbh is Rs.9100 crores.
🐆 A big thank to all goverment officials/volunteers/other persons, who are instrumental in conduct of this Spiritual extravaganza and largest in the world.


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18/01/2025

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❤️ माजुली द्वीप: दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप

माजुली द्वीप, असम में स्थित एक अद्वितीय नदी द्वीप है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा रिवर आइलैंड माना जाता है। यह ब्रह्मपुत्र नदी के बीच स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक महत्व, और अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है।

माजुली कैसे पहुंचें
जोरहाट के निमाती घाट से माजुली के लिए फेरी की सेवा उपलब्ध है।

फेरी के जरिए ब्रह्मपुत्र नदी को पार करते समय आपको असम की अनोखी ग्रामीण झलकियां देखने को मिलती हैं।

यह यात्रा करीब डेढ़ घंटे की होती है, जिसमें नदी के खूबसूरत नजारे, मछुआरों की जाल डालती नावें और पानी पर तैरते पक्षी मन मोह लेते हैं।

माजुली का आदिवासी जीवन
माजुली द्वीप में मुख्य रूप से मिसिंग, देउरी, और सोनोवाल कछारी जनजातियां रहती हैं।

यहां के ग्रामीण जीवन की सादगी और प्राकृतिक सौंदर्य आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाता है।

हरे-भरे खेत, झोपड़ियों के पास बनी क्यारियां, और मछलियां पकड़ती आदिवासी महिलाएं यहां के जीवन का हिस्सा हैं।

सत्र परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर
माजुली अपनी सत्र परंपरा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहां के सत्र, वैष्णव संप्रदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र हैं, जिन्हें श्रीमंत शंकरदेव ने स्थापित किया था।

गरमूढ़, सामागुरी, और कमलाबाड़ी जैसे प्रमुख सत्र न केवल आध्यात्मिक केंद्र हैं बल्कि कला और संस्कृति का भी गढ़ हैं।

सामागुरी सत्र अपने अनोखे मुखौटे बनाने की परंपरा के लिए जाना जाता है। ये मुखौटे प्राकृतिक सामग्री जैसे बांस, मिट्टी और जूट से बनाए जाते हैं।

माजुली में घटता भूमि क्षेत्र
समय के साथ ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव के कारण माजुली का क्षेत्रफल तेजी से घट रहा है।

पहले यह द्वीप 1255 वर्ग किलोमीटर में फैला था, जो अब केवल 455 वर्ग किलोमीटर रह गया है।

माजुली घूमने का सही समय
सर्दियों का मौसम, अक्टूबर से फरवरी, माजुली की यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त समय है।

इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और आप यहां के उत्सवों जैसे रासलीला और अलि आये लिंगंग का आनंद भी ले सकते हैं।

माजुली न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र है, बल्कि यह असम की सांस्कृतिक राजधानी भी है।

यदि आप प्रकृति, संस्कृति और सादगी का अनूठा संगम देखना चाहते हैं, तो माजुली आपकी यात्रा सूची में अवश्य होना चाहिए। C/P

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16/01/2025

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09/01/2025

https://youtu.be/cVoQRQ8MDnQ?si=rPeP5zfLj97Okq4a

जी हां धन्यवाद भारत Tourisam यह शब्द एक राज्य सरकार के शिक्षा विभाग में कार्यरत यात्रियों का है Bharat Tourism के सेवा से मंत्रमुग्ध हो पुष्कर राजस्थान के हमारे इस शानदार रिसोर्ट्स से दिल की ❤️ गहराई से खिलखिलाते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए...

Yes, thank you Bharat Tourism, these are the words of the travelers working in the Education Department of the State Government of Be mesmerized by the service of Bharat Tourism with our wonderful resorts of Pushkar, Rajasthan. Expressing their reaction with joy from the bottom of the heart.❤️.

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सेथन हमटा लगभग 2700 मीटर की ऊंचाई पर मनाली शहर के पास स्थित और धौलाधार पर्वत श्रृंखला की ओर देखने वाला, सेथन हामटा पास क...
07/01/2025

सेथन हमटा
लगभग 2700 मीटर की ऊंचाई पर मनाली शहर के पास स्थित और धौलाधार पर्वत श्रृंखला की ओर देखने वाला, सेथन हामटा पास के मार्ग पर आखिरी गांव है, जो एक उच्च पर्वतीय दर्रा है जो कुल्लू घाटी को पड़ोसी स्पीति घाटी से जोड़ता है।

पुराने दिनों में, हामटा दर्रा और रोहतांग दर्रा ही दो पर्वतीय दर्रे थे जिनका उपयोग व्यापारियों और स्थानीय लोगों द्वारा लाहौल स्पीति और सुदूर लद्दाख क्षेत्र से कुल्लू घाटी तक पहुंचने के लिए किया जाता था।

गांव कैसे पहुंचे?
सेथन पहुंचने के लिए, आपको सबसे पहले प्रीनी गांव में रहना होगा, जो ब्यास नदी के बाएं किनारे पर मनाली शहर से लगभग तीन किलोमीटर दूर है। सेथन प्रीणी गांव से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एक निजी पनबिजली परियोजना कंपनी द्वारा निर्मित एक लिंक रोड आपको प्रीनी से सेथन तक ले जाती है।

जब हमने सितंबर 2024 में दौरा किया, तो सड़क वास्तव में खराब स्थिति में थी और मरम्मत की आवश्यकता थी। बारिश के कारण इस सड़क की टारिंग उखड़ गई है और बिना पक्की सड़क वाले हिस्सों, विशेषकर मोड़ों पर गाड़ी चलाना आपके ड्राइविंग कौशल की परीक्षा है। प्रीनी से सेथन तक कुल 40 मोड़ हैं। लेकिन सब कुछ कहा और किया गया, ऊबड़-खाबड़ सवारी अभी भी उस कीमत के लायक है जो आप अद्भुत सेथन तक पहुंचने के लिए चुकाते हैं।

सेथन में करने लायक चीज़ें और घूमने की जगहें
छोटा और शांत सेथन गांव प्रकृति प्रेमियों, खासकर पहाड़ प्रेमियों के लिए है। आप यहां देवदार के जंगलों और शांतिपूर्ण घास के मैदानों की खोज, लंबी पैदल यात्रा या यहां के शांत नालों के किनारे आराम करके अपना समय बिता सकते हैं।

1. पाण्डु रोपा
पहली जगह जहां आप जा सकते हैं वह पांडु रोपा है। सेथन गांव से लगभग एक किमी की दूरी पर और एक चट्टानी पहाड़ी दीवार के सामने, जो इस सड़क की लंबाई के साथ चलती है, जिसमें विशेष रूप से मानसून के दौरान झरने निकलते हैं, पांडु रोपा स्थित है। एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, भारतीय महाकाव्य महाभारत के पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान यहां धान की खेती की थी और इसलिए इसका नाम पांडु रोपा (पांडवों का धान का खेत) पड़ा। यह एक दलदली भूमि है और सूखी हुई झील के तल की तरह दिखती है।

पांडु रोपा के ठीक पीछे एक विशाल चट्टान में एक पहाड़ी गुफा है। प्रवेश द्वार पर एक छोटा दरवाजा लगाकर गुफा को थोड़ा स्पर्श दिया गया है। इस गुफा में एक साधु रहते थे लेकिन जब हम वहां गए तो हमें वहां कोई नहीं मिला।......



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18/12/2024

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17/12/2024

जी हां ये बदलता भारत है 🚩🚩🚩

हर हर महादेव 🙏

छुपे हुए देवभूमि हिमाचल का यह स्वर्ण भंडार  खूबसूरत वादियों को निहारने के लिए लाखों रूपये खर्च करके वीज़ा लगवाकर स्विट्जर...
13/12/2024

छुपे हुए देवभूमि हिमाचल का यह स्वर्ण भंडार खूबसूरत वादियों को निहारने के लिए लाखों रूपये खर्च करके वीज़ा लगवाकर स्विट्जरलैंड जाने की जरूरत नहीं है यह आपके पड़ोस में है जिसे आप कुछ हजार खर्च करके अपनी गाड़ी को ड्राइव कर के परिवार व अपनों के साथ घूम सकते हैं ओर यहां की आबोहवा का लुत्फ उठा सकते हैं।यह खूबसूरत हिल स्टेशन हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में बरोट नामक स्थान पर है।यहां सर्दियों में स्नो फॉल भी होता है तो गर्मियों में यह जगह जन्नत से कम नहीं है।यहां की फ्रेश हवा मनमोहक दृश्यावली झील का किनारा एक रोमांटिक अहसास करवा देता है।सुबह उठकर गर्म चाय का प्याला लेकर आप गुनगुनी धूप में वादियों को निहारें तो वो सकूं के पल आपको तरोताजा कर देंगे।यहां अंग्रेजों द्वारा बनाया शानन पावर प्रोजेक्ट है इसलिए एक छोटी सी झील आपको इस तस्वीर में दिख रही है।यहां की ट्राउट फिश दुनियाभर में फेमस है।ट्राउट फिश साफ सुथरे ठंडे पानी में पाई जाती है ओर इसका स्वाद लाजबाब रहता है।ट्राउट फिश यहां आसानी से उपलब्ध हो जाती है।यहां से थोड़ी दूरी पर बीड-बिलिंग है जो पैराग्लाइडिंग के लिए वर्ल्ड फेमस है वहां आप कांगड़ा घाटी की हसीन वादियों को आसमान में उड़ते हुए निहार सकते हैं।बरोट से थोड़ी ही दूर ऋषि पराशर की तपोस्थली पराशर है।यहां के मनोरम दृश्य झील में तैरती शिला आपको स्वप्नलोक में ले जाएगी।तो बनाएं प्रोग्राम। देवभूमि हिमाचल में आपका स्वागत है।..

**बारोट घाटी ठंड में: एक अद्भुत अनुभव**

बारोट वैली हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित एक बेहद खूबसूरत और शांतिपूर्ण स्थल है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों और एडवेंचर के शौकिनों के लिए एक बेहतरीन गंतव्य है। खासकर सर्दियों में यहाँ का दृश्य और भी ज्यादा आकर्षक हो जाता है। बर्फ से ढकी हुई पहाड़ियां, ठंडी हवा और सर्द मौसम इस स्थान को सर्दी में एक स्वर्ग जैसा बना देते हैं।


ये नजारे अपने  #भारत के  #लद्दाख की zanskar  #चादर_ट्रैक के है जिसे पूरा करने के लिए देश के साथ साथ पूरे दुनिया के उत्सा...
11/12/2024

ये नजारे अपने #भारत के #लद्दाख की zanskar #चादर_ट्रैक के है जिसे पूरा करने के लिए देश के साथ साथ पूरे दुनिया के उत्साही ट्रैकर पहुंचते हैं।

यह एक नदी है जो की सर्दियों में पूरी तरह जम जाती है ,ये यात्रा 6 से 7 दिन की होती हैं जिसका खर्च 20 से 25000 तक आता है ,और इसकी ट्रैकिंग के लिए परमिट बनवाना पड़ता हैं,जांस्कर नदी चादर ट्रेकिंग एक अद्वितीय और रोमांचक अनुभव है जो भारत के लद्दाख क्षेत्र में स्थित है।

यह ट्रेकिंग जांस्कर नदी के साथ-साथ चलती है यहां कई बड़े बड़े विशाल frozon water 🌊 Fall भी मिलते हैं ,यहां के निम्मू में स्थित संगम प्वाइंट पर मेरा पिछले वर्ष जून में जाना हुआ था ,जो कि लद्दाख की यात्रा में जाने वाले सब लोग यहां पहुंचते हैं और उस समय यहां राफ्टिंग हो रही होती हैं एक तरफ मतमेला पानी होता है दूसरी तरफ नीला पानी,फिर वही नदी सर्दियों में जम जाती है और ट्रेकर्स को इसकी सतह पर चलने का रोमांचकारी अवसर प्रदान करती है।

यह ट्रेकिंग विशेष रूप से जनवरी और फरवरी में आयोजित की जाती है, जब नदी पूरी तरह से जमी होती है।,अब ये नदी जमना शुरू हो गई होगी

जांस्कर नदी चादर ट्रेकिंग की विशेषताएं:

1. अद्वितीय अनुभव: नदी की जमी हुई सतह पर चलना एक अनोखा और रोमांचक अनुभव है।
2. प्राकृतिक सौंदर्य: ट्रेकिंग के दौरान आपको लद्दाख की खूबसूरत पहाड़ियों और घाटियों के बीच से गुजरने का अवसर मिलता है।
3. चुनौतीपूर्ण: ट्रेकिंग में कई चुनौतियाँ होती हैं, जैसे कि नदी की जमी हुई सतह पर चलना, ठंड का सामना करना, और उचाई पर चलना।
4. सांस्कृतिक अनुभव: ट्रेकिंग के दौरान आपको स्थानीय लोगों की संस्कृति और जीवनशैली को देखने का अवसर मिलता है।

जांस्कर नदी चादर ट्रेकिंग के लिए आवश्यक तैयारी:

1. शारीरिक तैयारी: ट्रेकिंग के लिए अच्छी शारीरिक स्थिति में होना आवश्यक है।
2. ठंड के लिए तैयारी: ट्रेकिंग के दौरान आपको अत्यधिक ठंड का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए गर्म कपड़े और उपकरण ले जाना आवश्यक है।
3. उचाई के लिए तैयारी: ट्रेकिंग के दौरान आपको उचाई पर चलना पड़ सकता है, इसलिए उचाई के लिए तैयारी करना आवश्यक है।
4. अनुभवी गाइड के साथ जाना: जांस्कर नदी चादर ट्रेकिंग के लिए अनुभवी गाइड के साथ जाना आवश्यक है, जो आपको ट्रेकिंग के दौरान सुरक्षित रखते हैं।

जांस्कर नदी चादर ट्रेकिंग के लिए सर्वोत्तम समय:

जनवरी और फरवरी में ट्रेकिंग का आयोजन किया जाता है, जब नदी पूरी तरह से जमी होती है। #जांस्कर नदी #भारत में #जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख क्षेत्र में स्थित एक महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी जांस्कर घाटी से होकर गुजरती है और जांस्कर घाटी को दो भागों में बांटती है - उत्तरी जांस्कर और दक्षिणी जांस्कर।

जांस्कर नदी का उद्गम स्थल जांस्कर ग्लेशियर है, जो काराकोरम पर्वत शृंखला में स्थित है। यह नदी जांस्कर घाटी से होकर गुजरते हुए, कई छोटी नदियों और धाराओं को मिलाती हुई, अंततः जांस्कर नदी ज़ंस्कार के निकट इंदुस नदी में मिल जाती है।

जांस्कर नदी की कुल लंबाई लगभग 116 किलोमीटर है, और इसका जलगाह क्षेत्र लगभग 3,100 वर्ग किलोमीटर है। यह नदी जांस्कर घाटी के लिए जीवनरेखा की तरह है, और इसके किनारे कई गांव और शहर स्थित हैं।

जांस्कर नदी में कई प्रकार की मछलियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ प्रजातियाँ विश्वभर में पाई जाने वाली नहीं हैं। इसके अलावा, जांस्कर नदी के किनारे कई प्रकार के वनस्पति और जीव-जन्तु भी पाए जाते हैं।

जांस्कर नदी का महत्व न केवल पारिस्थितिकी और आर्थिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह नदी सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। जांस्कर नदी के किनारे कई प्राचीन मठ और मंदिर स्थित हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। क्या किसी मित्र ने ये ट्रैकिंग किया है ।

C/P

❤️ माजुली द्वीप: दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीपमाजुली द्वीप, असम में स्थित एक अद्वितीय नदी द्वीप है, जिसे दुनिया का सबसे ...
06/12/2024

❤️ माजुली द्वीप: दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप

माजुली द्वीप, असम में स्थित एक अद्वितीय नदी द्वीप है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा रिवर आइलैंड माना जाता है। यह ब्रह्मपुत्र नदी के बीच स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक महत्व, और अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है।

माजुली कैसे पहुंचें
जोरहाट के निमाती घाट से माजुली के लिए फेरी की सेवा उपलब्ध है।

फेरी के जरिए ब्रह्मपुत्र नदी को पार करते समय आपको असम की अनोखी ग्रामीण झलकियां देखने को मिलती हैं।

यह यात्रा करीब डेढ़ घंटे की होती है, जिसमें नदी के खूबसूरत नजारे, मछुआरों की जाल डालती नावें और पानी पर तैरते पक्षी मन मोह लेते हैं।

माजुली का आदिवासी जीवन
माजुली द्वीप में मुख्य रूप से मिसिंग, देउरी, और सोनोवाल कछारी जनजातियां रहती हैं।

यहां के ग्रामीण जीवन की सादगी और प्राकृतिक सौंदर्य आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाता है।

हरे-भरे खेत, झोपड़ियों के पास बनी क्यारियां, और मछलियां पकड़ती आदिवासी महिलाएं यहां के जीवन का हिस्सा हैं।

सत्र परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर
माजुली अपनी सत्र परंपरा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहां के सत्र, वैष्णव संप्रदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र हैं, जिन्हें श्रीमंत शंकरदेव ने स्थापित किया था।

गरमूढ़, सामागुरी, और कमलाबाड़ी जैसे प्रमुख सत्र न केवल आध्यात्मिक केंद्र हैं बल्कि कला और संस्कृति का भी गढ़ हैं।

सामागुरी सत्र अपने अनोखे मुखौटे बनाने की परंपरा के लिए जाना जाता है। ये मुखौटे प्राकृतिक सामग्री जैसे बांस, मिट्टी और जूट से बनाए जाते हैं।

माजुली में घटता भूमि क्षेत्र
समय के साथ ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव के कारण माजुली का क्षेत्रफल तेजी से घट रहा है।

पहले यह द्वीप 1255 वर्ग किलोमीटर में फैला था, जो अब केवल 455 वर्ग किलोमीटर रह गया है।

माजुली घूमने का सही समय
सर्दियों का मौसम, अक्टूबर से फरवरी, माजुली की यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त समय है।

इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और आप यहां के उत्सवों जैसे रासलीला और अलि आये लिंगंग का आनंद भी ले सकते हैं।

माजुली न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र है, बल्कि यह असम की सांस्कृतिक राजधानी भी है।

यदि आप प्रकृति, संस्कृति और सादगी का अनूठा संगम देखना चाहते हैं, तो माजुली आपकी यात्रा सूची में अवश्य होना चाहिए। C/P

श्रीबद्रीनाथ धाम के कपाट देवपूजा के लिये बंद कर दिए गये।श्रीकुबेर भंडारी का डोली में विराजित हो प्रस्थानकल कुबेरजी की डो...
17/11/2024

श्रीबद्रीनाथ धाम के कपाट देवपूजा के लिये बंद कर दिए गये।
श्रीकुबेर भंडारी का डोली में विराजित हो प्रस्थान
कल कुबेरजी की डोली पांडुकेश्वर स्थित मंदिर में विराजित हो जायेगी
ॐ जय श्री बद्रीविशाल 🙏🔱🙏🚩

08/11/2024

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