Uttrakhand tours

Uttrakhand tours uttrakhand tour

10/09/2023
01/06/2023

Kedarnath yatra

Jay kedar baba
30/07/2022

Jay kedar baba

12/05/2022

Jay badrivishal

Kedarnath
09/05/2022

Kedarnath

Taara kund pethani pauri garhwal uttrakhand
05/08/2021

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Uttrakhand pauri garhwal
15/06/2021

Uttrakhand pauri garhwal

11/02/2021
06/02/2021

#चारधाम_यात्रा_उत्तराखंड_2021

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बसंत पंचमी 16 फरवरी मंगलवार को पंचाग गणना के पश्चात विधि-विधान से नरेन्द्रनगर स्थित राजदरबार में तय होगी । प्रात: 9.30 बजे से राजदरबार में कपाट खुलने की तिथि घोषित किये जाने हेतु समारोह शुरू होगा । इसी दिन गाडू घड़ा तेलकलश यात्रा का भी दिन निश्चित हो जायेगा ।

श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में 11 मार्च बृहस्पतिवार शिवरात्रि के अवसर पर तय होगी जबकि श्री गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट परंपरागत रूप से अक्षय तृतीया के दिन खुलते हैं ।

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि निर्धारण हेतु नरेंद्रनगर राजदरबार में प्रात: 9.30 बजे से कार्यक्रम शुरू हो जायेगा । इस दौरान कोरोना बचाव मानको का पालन किया जायेगा शोसियल डिस्टेंसिंग, सेनिटाईजर का प्रयोग एवं मास्क पहनना जरूरी होगा ।

इस अवसर पर महाराजा टिहरी सहित बदरीनाथ धाम के रावल, उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अधिकारी -कर्मचारी एवं डिमरी पंचायत पदाधिकारी एवं आचार्य व श्रद्धालुजन मौजूद रहेंगे ।

Uttrakhand
04/06/2020

Uttrakhand

18/04/2020

🌲नेलोंग घाटी 🌲

उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी चीन सीमा से लगी है। सामरिक दृष्टि से संवेदनशील होने के कारण इस क्षेत्र को इनर लाइन क्षेत्र घोषित किया गया है। यहां कदम-कदम पर सेना की कड़ी चौकसी है और बिना अनुमति के जाने पर रोक है। सीमा पर भारत की सुमला, मंडी, नीला पानी, त्रिपानी, पीडीए व जादूंग अंतिम चौकियां हैं। लेकिन, एक समय ऐसा भी था, जब नेलांग घाटी भारत-तिब्बत के व्यापारियों से गुलजार रहा करती थी। दोरजी (तिब्बत के व्यापारी) ऊन, चमड़े से बने वस्त्र व नमक को लेकर सुमला, मंडी, नेलांग की गर्तांगली होते हुए उत्तरकाशी पहुंचते थे। तब उत्तरकाशी में हाट लगा करती थी। इसी कारण उत्तरकाशी को बाड़ाहाट (बड़ा बाजार) भी कहा जाता है। सामान बेचने के बाद दोरजी यहां से तेल, मसाले, दालें, गुड़, तंबाकू आदि वस्तुओं को लेकर लौटते थे।

इस व्यापार का अब गर्तांगली ही एकमात्र प्रमुख प्रमाण बचा है। 17वीं शताब्दी में पेशावर के पठानों ने समुद्रतल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी में हिमालय की खड़ी पहाड़ी को काटकर दुनिया का सबसे खतरनाक रास्ता तैयार किया था। पांच सौ मीटर लंबा लकड़ी से तैयार यह सीढ़ीनुमा मार्ग (गर्तांगली) भारत-तिब्बत व्यापार का साक्षी रहा है। सन् 1962 से पूर्व भारत-तिब्बत के व्यापारी याक, घोड़ा-खच्चर व भेड़-बकरियों पर सामान लादकर इसी रास्ते से आवागमन करते थे। भारत-चीन युद्ध के बाद दस वर्षों तक सेना ने भी इस मार्ग का उपयोग किया।

1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी में गैर सैनिकों के आने-जाने पर पाबंदी लगा दी गई थी। यहां से ग्रामीणों को गांव खाली करवा कर हर्षिल-बगोरी, डुंडा आदि स्थानों में बसाया गया।हालांकि बाद में स्थानीय लोगों को वर्ष में एक बार धार्मिक क्रियाकलापों के लिए वहां जाने की इजाजत दी गई। कुछ साल पहले यह फैसला किया गया कि प्रशासन की अनुमति से पर्यटक नेलांग घाटी जा सकते हैं, लेकिन वे वहां रात को नहीं रुक पाएंगे। नेलोंग घाटी में जाने के लिये आपको गंगोत्री नेशनल पार्क के कार्यालय से पास बनाना अति आवश्यक है। गंगोत्री से लगभग 8 किलोमीटर पहले भैरवघाटी से नेलोंग घाटी के लिए मार्ग अलग हो जाता है।
घाटी में पर्यटक हिम तेंदुआ, भूरा भालू, बारहसिंघा, भरल, गुलदार आदि दुर्लभ वन्य जीवों का दीदार भी कर सकते हैं।
🚗✈️🚆
नेलांग घाटी की सफारी पर आने वाले पर्यटक हवाई मार्ग से जौलीग्रांट देहरादून तथा रेल मार्ग से ऋषिकेश एवं देहरादून तक पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश से गंगोत्री हाईवे पर चंबा एवं उत्तरकाशी होते हुए भैरोंघाटी तक 275 किमी तथा देहरादून से मसूरी, चिन्यालीसौड़, उत्तरकाशी होते हुए भैरोंघाटी तक 250 किमी दूरी तय करनी होगी। यहां से वन विभाग की ओर से अनुमति प्राप्त वाहनों से 23 किमी नेलांग और इससे आगे 15 किमी जाढ़ूंग गांव तक जाने की व्यवस्था है।

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27/02/2020

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