Vrindavan_foundation

Vrindavan_foundation vrindavan foundation :-A Social Society is to help the poor and under privileged sections of society

01/05/2024
21/04/2023

Nice game

केवल 7 सीट उपलब्ध गुजरात यात्रा जाने के लिए तुरंत सम्पर्क करे
10/02/2022

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20/10/2021

केवल 7 सीट उपलब्ध जाने के लिए तुरंत सम्पर्क करे

14/09/2021

"राधेकृष्ण" में से मात्र "र" हट जाने से कृष्ण आधे हो जाते हैं.. 🙏🌼

14/09/2021

जैसे जैसे मेरी उम्र में वृद्धि होती गई, मुझे समझ आती गई कि अगर मैं Rs. 300 की घड़ी पहनूं या Rs. 30000 की, दोनों समय एक जैसा ही बताएंगी।

मेरे पास Rs. 300 का बैग हो या Rs. 30000 का, इसके अंदर के सामान में कोई परिवर्तन नहीं होंगा।

मैं 300 गज के मकान में रहूं या 3000 गज के मकान में, तन्हाई का एहसास एक जैसा ही होगा।

आख़िर में मुझे यह भी पता चला कि यदि मैं बिजनेस क्लास में यात्रा करूं या इक्नामी क्लास में, अपनी मंजिल पर उसी नियत समय पर ही पहुँचूँगा।

इसीलिए, अपने बच्चों को बहुत ज्यादा अमीर होने के लिए प्रोत्साहित मत करो बल्कि उन्हें यह सिखाओ कि वे खुश कैसे रह सकते हैं और जब बड़े हों, तो चीजों के महत्व को देखें, उसकी कीमत को नहीं।

फ्रांस के एक वाणिज्य मंत्री का कहना था -

ब्रांडेड चीजें व्यापारिक दुनिया का सबसे बड़ा झूठ होती हैं, जिनका असल उद्देश्य तो अमीरों की जेब से पैसा निकालना होता है, लेकिन गरीब और मध्यम वर्ग लोग इससे बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं।

क्या यह आवश्यक है कि मैं Iphone लेकर चलूं फिरू, ताकि लोग मुझे बुद्धिमान और समझदार मानें??

क्या यह आवश्यक है कि मैं रोजाना Mac'd या KFC में खाऊँ ताकि लोग यह न समझें कि मैं कंजूस हूँ??

क्या यह आवश्यक है कि मैं प्रतिदिन Friends के साथ उठक-बैठक Downtown Cafe पर जाकर लगाया करूँ, ताकि लोग यह समझें कि मैं एक रईस परिवार से हूँ??

क्या यह आवश्यक है कि मैं Gucci, Lacoste, Adidas या Nike का ही पहनूं ताकि High Status वाला कहलाया जाऊँ??

क्या यह आवश्यक है कि मैं अपनी हर बात में दो चार अंग्रेजी शब्द शामिल करूँ ताकि सभ्य कहलाऊं??

क्या यह आवश्यक है कि मैं Adele या Rihanna को सुनूँ ताकि साबित कर सकूँ कि मैं विकसित हो चुका हूँ??

नहीं दोस्तों !!!

मेरे कपड़े तो आम दुकानों से खरीदे हुए होते हैं।
Friends के साथ किसी ढाबे पर भी बैठ जाता हूँ।

भूख लगे तो किसी ठेले से ले कर खाने में भी कोई अपमान नहीं समझता।

अपनी सीधी सादी भाषा में बोलता हूँ।

चाहूँ तो वह सब कर सकता हूँ जो ऊपर लिखा है।

लेकिन,

मैंने ऐसे लोग भी देखे हैं जो एक Branded जूतों की जोड़ी की कीमत में पूरे सप्ताह भर का राशन ले सकते हैं।

मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं जो मेरे एक Mac'd के बर्गर की कीमत में सारे घर का खाना बना सकते हैं।

बस मैंने यहाँ यह रहस्य पाया है कि बहुत सारा पैसा ही सब कुछ नहीं है, जो लोग किसी की बाहरी हालत से उसकी कीमत लगाते हैं, वह तुरंत अपना इलाज करवाएं।

मानव मूल की असली कीमत उसकी नैतिकता, व्यवहार, मेलजोल का तरीका, सहानुभूति और भाईचारा है, ना कि उसकी मौजूदा शक्ल और सूरत।

सूर्यास्त के समय एक बार सूर्य ने सबसे पूछा, मेरी अनुपस्थिति में मेरी जगह कौन कार्य करेगा??

समस्त विश्व में सन्नाटा छा गया। किसी के पास कोई उत्तर नहीं था। तभी कोने से एक आवाज आई।

दिये ने कहा - "मै हूं ना" मैं अपना पूरा प्रयास करुंगा।

आपकी सोच में ताकत और चमक होनी चाहिए। छोटा-बड़ा होने से फर्क नहीं पड़ता, सोच बड़ी होनी चाहिए। मन के भीतर एक दीप जलाएं और सदा मुस्कुराते रहें।

14/09/2021

भगवान शंकर द्वारा रचित मदनाख़्य प्रेम की अधिष्ठात्री राधा रानी की स्तुति "राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत" :-

श्रीराधाजी की स्तुतियों में श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र का स्थान सर्वोपरि है। इसीलिए इसे ‘श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तवराज’ नाम दिया गया है अर्थात् स्तोत्रों का राजा।
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1. मुनीन्द्रवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी, प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी !
व्रजेन्द्रभानुनंदनी व्रजेन्द्र सूनुसंगते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम् !!

अर्थ - मुनीन्द वृंद जिनके चरणों की वंदना करते हैं तथा जो तीनों लोकों का शोक दूर करने वाली हैं मुस्कानयुक्त प्रफुलिलत मुख कमलवाली,निकुंज भवन में विलास करनेवाली,राजा वृषभानु की राजकुमारी,श्रीब्रज राजकुमार की ह्दयेश्वरी श्रीराधिके!कब मुझे अपने कृपा कटाक्ष का पात्र बनाओगी ?

2. अशोकवृक्षवल्लरी, वितानमण्डपस्थिते, प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ्कोमले !
वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष -भाजनम् !!

अर्थ - अशोक की वृक्ष-लताओं से बने हुए 'लता मंदिर' में विराजमान और मूँगे अग्नि नवीन लाल पल्लवों के समान अरूण कांतियुक्त कोमल चरणोंवाली,भक्तों को अभीष्ट वरदान देनेवाली तथा अभयदान देने के लिए उत्सुक रहनेवाले कर कमलों वाली अपार ऐश्वर्य की भंङार स्वामिनी श्री राधे मुझे कब अपने कृपा कटाक्ष का अधिकारी बनाओगी.

3. अनंगरंगमंगल प्रसंगभंगुरभ्रुवां , सुविभ्रुमं ससम्भ्रुमं दृगन्तबाणपातनैं: !
निरन्तरं वशीकृत प्रतीतनन्दनन्दने , कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम् !!

अर्थ- प्रेम कीड़ा के रंगमंच पर मंगलमय प्रसंग में बाँकी भृकुटी करके, आश्चयर्य उत्पन्न करते हुए सहसा कटाक्ष रूपी वाणों की वर्षा से श्रीनन्दनन्दन को निरंतर बस में करनेवाली हे सरवेश्वरी! अपने कृपा कटाक्ष का पात्र मुझे कब बनाओगी ?

4. तड़ित्सुवर्णचम्पक प्रदीप्तगौरविग्रहे, मुखप्रभापरास्त-कोटिशारदेन्दुमण्ङले !विचित्रचित्र-संचरच्चकोरशावलोचने , कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम् !!
अर्थ - बिजली,स्वर्ण तथा चम्पा के पुष्प के समान सुनहरी कांति से देदीप्यमान गोरे अंगोंवाली अपने मुखारविंद की चाँदनी से करोड़ों शरच्चंदों को जीतनेवाली, क्षण-क्षण में विचित्र चित्रों की छटा दिखानेवाले चंचल चकोर के बच्चे के सदृश विलोचनों वाली, हे जगज्जननी !क्या कभी मुझे अपने कृपाकटाक्ष का अधिकारी बनाओगी.

5. मदोन्मदातियौवने प्रमोद मानमण्डिते, प्रियानुरागरंजिते कलाविलासपण्डिते !
अनन्यधन्यकुंजराज कामकेलिकोविदे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम् !!
अर्थ- अपने अत्यंत रूप-यौवन के मद से मत रहनेवाली आनंद भरा मन ही जिनका सवोतम भूषण है,प्रियतम के अनुराग रंगी हुई, विलास की प्रवीण अनन्य भक्त गोपिकाओं से धन्य हुए निकुंजराज्य के प्रेम कौतुक विघा की विदुषी श्रीराधिके! मुझे अपने कृपा कटाक्ष का पात्र कब बनाओगी.

6. अशेषहावभाव धीरहीर हार भूषिते , प्रभूतशातकुम्भकुम्भ कुम्भिकुम्भसुस्तनी !
प्रशस्तमंदहास्यचूर्णपूर्णसौख्यसागरे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम् !!

अर्थ- संपूर्ण हाव-भावरूपी श्रृंगारों तथा धीरता एंव हीरे की हारों से विभूषित अंगोंवाली शुद्ध स्वर्ण के कलशों के समान एंव गयनि्दनी के गंडस्थल के समान मनोहर पयोंधरोंवाली प्रशांसित मंद मुस्कान से परिपूण आंनद सिंधु के सदृश श्रीराधे !क्या मुझे कभी अपनी कृपा दृषि्ट से कृतार्थ करोगी ?

7. मृणालबालवल्लरी तरंगरंगदोर्लते , लताग्रलास्यलोलनील लोचनावलोकने
ललल्लुलन्मिलन्मनोज्ञ मुग्ध मोहनाश्रये , कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्!!

अर्थ- जल की लहरों से हिलते हुए कमल के नवीन नाल के समान जिनकी कोमल भुजाएँ हैं पवन से जैसे लता का एक अग भाग नाचता है, ऐसे चंचल लोंचनों से नीलिमा झलकाते हुए जो अवलोकन करती हैं ललचाने वाले,लुभाकर पीछे-पीछे फिरनेवाले,मिलन में मन को हरनेवाले मुग्ध मनमोहन को आश्रय देनेवाली,हे वृषभानु किशोरी! कब अपने कृपा अवलोकन द्वारा मुझे माया जाल से छुड़ाओगी.

8. सुवर्णमलिकांचितेत्रिरेखकुम्बेकण्ठगे,त्रिसूत्रमंगलीगुण त्रिरत्नदीप्तिदीधिति !
सलोलनीलकुन्तले प्रसुन्गुच्छगुम्फिते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम् !!

अर्थ - स्वर्ण की मालाओ से बिभूषित और तीन रेखाओ वाले शंख की छटा सदृश सुन्दर कंठ वाली और तीन जिनकेकंठ में मंगल मय त्रिसूत्र बंधा हुआ है, जिनमे तीन रंग के रत्नों का भूषण लटक रहा है, रत्नों से देदीप्यमान किरणे निकल रही है. दिव्य पुष्पों के गुच्छों से गूँथे हुए काले घुँघराले लहराते केशोवाली हें सर्वेश्वरी! श्री राधे कब मुझे अपनी कृपा द्रष्टि से देखकर अपने चरण कमलों के दर्शन का अधिकारी बनाओगी .

9. नितंबोंबिम्बलम्बमान पुष्पमेखलागुण, प्रशस्रत्नकिंकणी कलापमध्यमंजुले !
करीन्द्रशुण्डदण्डिका वरोहसोभगोरुके ,कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्!!

अर्थ - कटिमंडल में माणिमय किंकिणी सुशोभित है जिसमे सोने के फूल रत्नों से जड़े हुए लटक रहे है और उसकी प्रशसनीय झंकार अत्यंत मनोहर गजेन्द्र की सूंड के समान जिनकी जंघाए अत्यंत सुन्दर है ऐसी श्री राधे मुझ पर कृपा करके कब संसार सागर से पार लगाओगी.

10. अनेकमन्त्रनादमंजु नूपुरारवस्खलत् , समाजराजहंसवंश निक्वणातिगौरवे !
विलोलहेमवल्लरी विडम्बीचारूचंक्रमे , कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम् !!

अर्थ - अनेकों वेदमंत्रो की सुमधुर झनकार करनेवाले स्वर्णमय नूपुर चरणों में ऐसे प्रतीत होते हैं! मानो मनोहर हसों की पंकि्त गूँज रही हो, चलते समय अंगों की छवि है! ऐसी लगती मानो स्वर्णलता लहरा रही हो ! हे जगदीश्वरी श्रीराधे!क्या कभी मैं आपके चरण-कमलों का दास हो सकूँगा?

11. अनन्तकोटिविष्णुलोक - नम्रपद्ममजार्चीते , हिमाद्रिजा पुलोमजा-विरंचिजावरप्रदे !
अपारसिद्धिवृद्धिदिग्ध - सत्पदांगुलीनखे , कदा करिष्यसीह मां कृपा -कटाक्ष भाजनम् !!

अर्थ - अनंत कोटि बैकुंठो की स्वामिनी श्रीलक्ष्मी जी आपकी पूजा करती हैं तथा श्रीपार्वती जी, इन्द्राणी जी और सरस्वती जी ने भी आपकी पूजा कर वरदान पाया है ! आपके चरण-कमलों की एक उंगली के नख का भी ध्यान करने मात्र से अपार सिद्धि का समूह बढ़ने लगता है! हे करूणामयी! आप कब मुझ को वात्सल्य-रस भरी दृषि्ट से देखोगी.

12. मखेश्वरी क्रियेश्वरी स्वधेश्वरी सुरेश्वरी , त्रिवेदभारतीयश्वरी प्रमाणशासनेश्वरी !
रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोदकाननेश्वरी , ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते !!

अर्थ- सब प्रकार के यज्ञों की आप स्वामिनी हैं! संपूर्ण क्रियाओं की स्वामिनी,स्वधादेवी की स्वामिनी सब देवताओं की [ॠग,यजु ,साम] स्वामिनी प्रमाण शासन शास्त्र की स्वामिनी, श्रीरमा देवी की स्वामिनी , श्रीक्षमा देवी की स्वामिनी और [अयोध्या के] प्रमोद वन की स्वामिनी[श्रीसीता ] आप ही हैं हे राधिके ! कब मुझे कृपा कर अपनी शरण में स्वीकार कर पराभकि्त प्रदान करोगी? हे ब्रजेश्वरी!हे ब्रज की अधीष्ठात्री श्रीराधिके! आपको मेरा बारंबार प्रणाम है.

13. इतीदमद्भुतस्तवं निशम्य भानुनंदनी , करोतु संततं जनं कृपाकटाक्ष -भाजनम् !
भवेत्तदैव संचित-त्रिरूपकर्मनाशनं , लभेत्तदाब्रजेन्द्रसूनु -मण्डलप्रवेशनम् !!

अर्थ- हे वृषाभानुनंदिनी! मेरी इस विचित्र स्तुति को सुनकर सर्वदा के लिए मुझ दास को अपनी दयादृषि्ट का अधिकारी बना लो बस आपकी दया दृषि्ट का अधिकारी बना लो बस आपकी दया ही से तो मेरे [प्रारब्ध संचित और क्रियामाण] इन तीनों प्रकार के कर्मों का नाश हो जाएगा और उसी क्षण श्रीकृष्ण के नित्य मंडल[दिव्यधाम की लीलाओं में] सदा के लिए प्रवेश हो जाएगा.

14. राकायां च सिताष्टम्यां दशम्यां च विशुद्धया ,एकादश्यां त्रयोदश्यां यः पठेत्साधकः सुधी !
यं यं कामयते कामं तं तं प्राप्नोति साधकः, राधाकृपाकटाक्षेण भक्ति : स्यात् प्रेमलक्षणा !!

अर्थ - पूर्णिमा के दिन,शुक्लपक्ष की अष्टमी या दशमी को तथा दोनों की एकादशी और त्रयोदशी को जो शुद्ध बुद्धिवाला भक्त इस-स्त्रोत का पाठ करेगा वह जो भावना करेगा वही प्राप्त होगा, अन्यथा निष्काम भावना से पाठ करने पर श्रीराधाजी की दयादृष्टि से पराभक्ति प्राप्त होगी.

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"जय जय श्री राधे"
🙏🙏🙏

Sh radhe
02/09/2021

Sh radhe

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