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02/10/2024

Leave nature's delicate tapestry undisturbed; its intricate threads hold secrets worth preserving.

02/10/2024
पर्व मंत्री और बीजेपी नेता मुश्ताक बुखारी का हुआ निधन....जम्मू संवाद: Surankote से बीजेपी के विधायक उम्मीदवार मुश्ताक बु...
02/10/2024

पर्व मंत्री और बीजेपी नेता मुश्ताक बुखारी का हुआ निधन....
जम्मू संवाद: Surankote से बीजेपी के विधायक उम्मीदवार मुश्ताक बुखारी का 75 साल की उम्र में निधन हो गया। आपको बता दें सैयद मुश्ताक बुखारी ने जम्मू संभाग की एसटी रिजर्व्ड सीट से चुनाव लड़ा है। बीजेपी में शामिल होने से पहले बुखारी एनसी में थे और डॉ फारूक अब्दुल्ला के करीबी माने जाते थे।

मतदान👆 के बाद रक्तदान🩸 राष्ट्रसेवा का परिचय 🇮🇳 स्वैच्छिक रक्तदान दिवस परकन्हैया जी "हर दम तत्पर रहने वाले रक्तवीर🩸" ने म...
01/10/2024

मतदान👆 के बाद रक्तदान🩸
राष्ट्रसेवा का परिचय 🇮🇳 स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर
कन्हैया जी "हर दम तत्पर रहने वाले रक्तवीर🩸" ने मिलिट्री अस्पताल सतवारी में थैलेसीमिया बच्ची के लिए रक्तदान किया💐
आपका बहुत बहुत धन्यवाद🙏
आप स्वस्थ रहें💪 और सदैव सेवा करते रहें🙏
#रक्तवीरों_को_प्रणाम 🩸🙏

#करके_देखो_अच्छा_लगता_है






Devendra Singh Rana Ne Dala Apna Vote...
01/10/2024

Devendra Singh Rana Ne Dala Apna Vote...

*👆मेरी 5 फिगर की इनकम।  मेरा 2 बीएचके का घर।  मेरी कार, मेरा व्यवसाय, मेरी 25 एकड़ जमीन।  मेरा फार्म हाउस आदि। यह सब सुर...
30/09/2024

*👆मेरी 5 फिगर की इनकम। मेरा 2 बीएचके का घर। मेरी कार, मेरा व्यवसाय, मेरी 25 एकड़ जमीन। मेरा फार्म हाउस आदि। यह सब सुरक्षित है, जब तक मेरा देश सुरक्षित है। नहीं तो सब कुछ धू-धू कर जल जाएगा। रूस-यूक्रेन युद्ध में आज 20 लाख यूक्रेनियन अपना सबकुछ छोड़कर दूसरे देशों में शरण ले रहे हैं. वे भाग्यशाली थे कि उनके पड़ोसी देश थे जिन्होंने उन्हें आश्रय दिया। हमारा क्या होगा???. आपको क्या लगता है हम कहाँ जा सकते हैं??? एक तरफ पाकिस्तान, एक तरफ बांग्लादेश, नीचे हिंद महासागर, ऊपर चीन, देश के अंदर अनगिनत गद्दार!!! याद रखें कि आपको शरण देने के लिए कोई दूसरा देश नहीं है। इसलिए सस्ते पेट्रोल और मुफ्त राशन के बजाय एक मजबूत राष्ट्र को तरजीह दें।*👆👆

*एक निर्विवाद सत्य।*👆👆✊✊

अपने जीवन का 50वां रक्तदान🩸 करते हुए Shubam Singh Charak जी 🙏प्रभु कृपा इनपर हमेशा बनी रहे और मानवता की सेवा में निरंतर ...
30/09/2024

अपने जीवन का 50वां रक्तदान🩸 करते हुए Shubam Singh Charak जी 🙏
प्रभु कृपा इनपर हमेशा बनी रहे और मानवता की सेवा में निरंतर लगे रहें💕
#रक्तवीरों_को_प्रणाम 🩸🙏

#करके_देखो_अच्छा_लगता_है






मैं कोई राजनैतिक व्यक्ति तो नहीं हूं पर मेरा मानना है देश में सिर्फ़ दो ही पार्टियां होनी चाहिए एक शनिवार की रात में और ...
30/09/2024

मैं कोई राजनैतिक व्यक्ति तो नहीं हूं पर मेरा मानना है देश में सिर्फ़ दो ही पार्टियां होनी चाहिए एक शनिवार की रात में और एक रविवार की रात मे..!!🤗

गया तीर्थ की  #रोचक कथा || ब्रह्माजी जब सृष्टि की रचना कर रहे थे उस दौरान उनसे असुर कुल में गया नामक असुर की रचना हो गई....
29/09/2024

गया तीर्थ की #रोचक कथा ||

ब्रह्माजी जब सृष्टि की रचना कर रहे थे उस दौरान उनसे असुर कुल में गया नामक असुर की रचना हो गई. परन्तु वह देवताओं का सम्मान और आराधना करता था.

गयासुर ने कठोर तप से भगवान श्री विष्णुजी को प्रसन्न किया. भगवान ने वरदान मांगने को कहा तो गयासुर ने मांगा- आप मेरे शरीर में वास करें. जो मुझे देखे उसके सारे पाप नष्ट हो जाएं. वह जीव पुण्यात्मा हो जाए और उसे स्वर्ग में स्थान मिले.
भगवान से वरदान पाकर गयासुर घूम-घूमकर लोगों के पाप दूर करने लगा. जो भी उसे देख लेता उसके पाप नष्ट हो जाते और स्वर्ग का अधिकारी हो जाता.

यमराज ने ब्रह्माजी से कहा कि अगर गयासुर को न रोका गया तो आपका वह विधान समाप्त हो जाएगा जिसमें आपने सभी को उसके कर्म के अनुसार फल भोगने की व्यवस्था दी है. पापी भी गयासुर के प्रभाव से स्वर्ग भोंगेगे.
ब्रह्माजी​ ने उपाय निकाला. उन्होंने गयासुर से कहा कि तुम्हारा शरीर सबसे ज्यादा पवित्र है इसलिए तुम्हारी पीठ पर बैठकर मैं सभी देवताओं के साथ यज्ञ करुंगा.
उसकी पीठ पर यज्ञ होगा यह सुनकर गया​ सहर्ष तैयार हो गया. ब्रह्माजी सभी देवताओं के साथ पत्थर से गया को दबाकर बैठ गए
देवताओं ने आपस में विमर्श किया की कि इसे श्री विष्णु ने वरदान दिया है और यह भगवान विष्णु का परम भक्त हैइसलिए अगर स्वयं श्री हरि भी देवताओं के साथ बैठ जाएं तो गयासुर अचल हो जाएगा. श्री हरि भी उसके शरीर पर आ बैठे.
श्री विष्णु जी को भी सभी देवताओं के साथ अपने शरीर पर बैठा देखकर गयासुर ने कहा- आप सब और मेरे आराध्य श्री हरि की मर्यादा के लिए अब मैं अचल हो रहा हूं
लेकिन मुझे चूंकि श्री हरि का आशीर्वाद है इसलिए वह व्यर्थ नहीं जा सकता इसलिए श्री हरि आप मुझे पत्थर की शिला बना दें और यहीं स्थापित कर दें.
श्री हरि उसकी इस भावना से बड़े खुश हुए. उन्होंने कहा- गया अगर तुम्हारी कोई और इच्छा हो तो मुझसे वरदान के रूप में मांग लो.
गया ने कहा- " हे नारायण मेरी इच्छा है कि आप सभी देवताओं के साथ अप्रत्यक्ष रूप से इसी शिला पर विराजमान रहें और यह स्थान मृत्यु के बाद किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों के लिए तीर्थस्थल बन जाए."
श्री विष्णु ने कहा- गया तुम धन्य हो. तुमने लोगों के जीवित अवस्था में भी कल्याण का वरदान मांगा और मृत्यु के बाद भी मृत आत्माओं के कल्याण के लिए वरदान मांग रहे हो. तुम्हारी इस कल्याणकारी भावना से हम सब बंध गए हैं.
भगवान ने आशीर्वाद दिया कि जहां गया स्थापित हुआ वहां पितरों के श्राद्ध-तर्पण आदि करने से मृत आत्माओं को पीड़ा से मुक्ति मिलेगी. क्षेत्र का नाम गयासुर के अर्धभाग गया नाम से तीर्थ रूप में विख्यात होगा. मैं स्वयं यहां विराजमान रहूंगा.
इस तीर्थ से समस्त मानव जाति का कल्याण होगा।साथ ही वहा भगवान "श्री विष्णुजी​* ने अपने पवित्र चरण का चिन्ह स्थापित किया जो आज भी वहा के मंदिर मे दर्शनीय हे |
गया विधि के अनुसार श्राद्ध फल्गू नदी के तट पर विष्णु पद मंदिर में व अक्षयवट के नीचे किया जाता है।
वह स्थान बिहार के गया में हुआ जहां श्राद्ध आदि करने से पितरों का कल्याण होता हैl

भगवान श्री राम अपनी पत्नी सीताजी के साथ पिता दशरथ का श्राद्ध करने गयाधाम पहुंचे। श्राद्ध कर्म के लिए आवश्यक सामग्री लाने वे चले गये। तब तक राजा दशरथ की आत्मा ने पिंड की मांग कर दी। फल्गू नदी तट पर अकेली बैठी सीताजी अत्यंत असमंजस में पड़ गई। माता सीताजी​ ने फल्गु नदी, गाय, वटवृक्ष और केतकी के फूल को साक्षी मानकर पिंडदान कर दिया।जब भगवान श्री राम आए तो उन्हें पूरी कहानी सुनाई, परंतु भगवान को विश्वास नहीं हुआ।

तब जिन्हें साक्षी मानकर पिंडदान किया था, उन सबको सामने लाया गया। , फल्गु नदी, गाय और केतकी फूल ने सत्य की प्रतिष्ठा नही की परंतु अक्षयवट ने सत्यवादिता का परिचय देते हुए साक्षित्व किया....।

इससे क्रोधित होकर सीताजी ने फल्गू नदी को श्राप दे दिया कि तुम सदा सूखी रहोगी जबकि केतकी के फूल को पितृ पूजन मे निषेध का। वटवृक्ष पर प्रसन्न होकर सीताजी ने उसे सदा दूसरों को छाया प्रदान करने व लंबी आयु का वरदान दिया।
तब से ही फल्गू नदी हमेशा सूखी रहती हैं, जबकि वटवृक्ष अभी भी तीर्थयात्रियों को छाया प्रदान करता है। आज भी फल्गू तट पर स्थित सीता कुंड में बालू का पिंड दान करने की क्रिया (परंपरा) संपन्न होती है। (साभार)

Green hall Mubarak Mandi once repaired and now again start repairing 😀
29/09/2024

Green hall Mubarak Mandi once repaired and now again start repairing 😀

श्री राम 🙏जय राम 🙏जय जय राम 🚩
29/09/2024

श्री राम 🙏जय राम 🙏जय जय राम 🚩

भगवान श्रीराम का विजय-मन्त्र

भगवान श्रीराम का विजय-मन्त्र ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’

भगवान के ‘नाम’ का महत्व भगवान से भी अधिक होता है। भगवान को भी अपने ‘नाम’ के आगे झुकना पड़ता है। यही कारण है कि भक्त ‘नाम’ जप के द्वारा भगवान को वश में कर लेते हैं।

जब हनुमानजी संकट में थे, तब सबसे पहले ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ मन्त्र नारदजी ने हनुमानजी को दिया था इसलिए संकट-नाश के लिए इस मन्त्र का जप मनुष्य को अवश्य करना चाहिए। यह मन्त्र ‘मन्त्रराज’ भी कहलाता है क्योंकि;

यह उच्चारण करने में बहुत सरल है।

इसमें देश, काल व पात्र का कोई बंधन नहीं है अर्थात् हर कहीं, हर समय व हर किसी के द्वारा यह मन्त्र जपा जा सकता है।

इस मन्त्र का नाम विजय-मन्त्र क्यों?

सत् गुण के रूप में (निष्काम भाव से) इस मन्त्र के जप से साधक अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करता है।

रजोगुण के रूप में (कामनापूर्ति के लिए) इस महामन्त्र के जप से मनुष्य दरिद्रता, दु:खों और सभी आपत्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है।

तमोगुण के रूप में (शत्रु बाधा, मुकदमें में जीत आदि के लिए) इस मन्त्र का जप साधक को संसार में विजयी बनाता है और अपने विजय-मन्त्र नाम को सार्थक करता है।

सच्चे साधक (गुणातीत जिसे गीता में स्थितप्रज्ञ कहा गया है) को यह विजय-मन्त्र परब्रह्म परमात्मा का दर्शन कराता है। इसी विजय-मन्त्र के कारण बजरंगबली हनुमान को श्रीराम का सांनिध्य और कृपा मिली। समर्थ गुरु रामदासजी ने इस मन्त्र का तेरह करोड़ जप किया और भगवान श्रीराम ने उन्हें प्रत्यक्ष दर्शन दिए थे।

इस मन्त्र में तेरह (13) अक्षर हैं और तेरह लाख जप का एक पुरश्चरण माना गया है। इस मन्त्र का जप कर सकते हैं और कीर्तन के रूप में जोर से गा भी सकते हैं।

इस मन्त्र को सच्ची श्रद्धा से जीवन में उतारने पर यह साधक के जीवन का सहारा, रक्षक और सच्चा पथ-प्रदर्शक बन जाता है।

लंका-विजय के बाद एक बार अयोध्या में भगवान श्रीराम देवर्षि नारद, विश्वामित्र, वशिष्ठ आदि ऋषि-मुनियों के साथ बैठे थे। उस समय नारदजी ने ऋषियों से कहा कि यह बताए - ‘नाम’ (भगवान का नाम) और ‘नामी’ (स्वयं भगवान) में श्रेष्ठ कौन है?’

इस पर सभी ऋषियों में वाद-विवाद होने लगा किन्तु कोई भी इस प्रश्न का सही निर्णय नहीं कर पाया तब नारदजी ने कहा - ‘निश्चय ही ‘भगवान का ‘नाम’ श्रेष्ठ है और इसको सिद्ध भी किया जा सकता है।’

इस बात को सिद्ध करने के लिए नारदजी ने एक युक्ति निकाली।

उन्होंने हनुमानजी से कहा कि तुम दरबार में जाकर सभी ऋषि-मुनियों को प्रणाम करना किन्तु विश्वामित्रजी को प्रणाम मत करना क्योंकि वे राजर्षि (राजा से ऋषि बने) हैं, अत: वे अन्य ऋषियों के समान सम्मान के योग्य नहीं हैं।’

हनुमानजी ने दरबार में जाकर नारदजी के बताए अनुसार ही किया।

विश्वामित्रजी हनुमानजी के इस व्यवहार से रुष्ट हो गए।

तब नारदजी विश्वामित्रजी के पास जाकर बोले - ‘हनुमान कितना उद्दण्ड और घमण्डी हो गया है, आपको छोड़कर उसने सभी को प्रणाम किया?’

यह सुन विश्वामित्रजी आगबबूला हो गए और श्रीराम के पास जाकर बोले - ‘तुम्हारे सेवक हनुमान ने सभी ऋषियों के सामने मेरा घोर अपमान किया है, अत: कल सूर्यास्त से पहले उसे तुम्हारे हाथों मृत्युदण्ड मिलना चाहिए।’

विश्वामित्रजी श्रीराम के गुरु थे अत: श्रीराम को उनकी आज्ञा का पालन करना ही था।

‘श्रीराम हनुमान को कल मृत्युदण्ड देंगे’ - यह बात सारे नगर में आग की तरह फैल गई।

हनुमानजी नारदजी के पास जाकर बोले - ‘देवर्षि! मेरी रक्षा कीजिए, प्रभु कल मेरा वध कर देंगे। मैंने आपके कहने से ही यह सब किया है।’

नारदजी ने हनुमानजी से कहा - ‘तुम निराश मत होओ, मैं जैसा बताऊं, वैसा ही करो।

ब्रह्ममुहुर्त में उठकर सरयू नदी में स्नान करो और फिर नदी-तट पर ही खड़े होकर ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ - इस मन्त्र का जप करते रहना। तुम्हें कुछ नहीं होगा।

दूसरे दिन प्रात:काल हनुमानजी की कठिन परीक्षा देखने के लिए अयोध्यावासियों की भीड़ जमा हो गई।

हनुमानजी सूर्योदय से पहले ही सरयू में स्नान कर बालुका तट पर हाथ जोड़कर जोर-जोर से ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ का जप करने लगे।

भगवान श्रीराम हनुमानजी से थोड़ी दूर पर खड़े होकर अपने प्रिय सेवक पर अनिच्छापूर्वक बाणों की बौछार करने लगे। पूरे दिन श्रीराम बाणों की वर्षा करते रहे पर हनुमानजी का बाल-बांका भी नहीं हुआ। अंत में श्रीराम ने ब्रह्मास्त्र उठाया। हनुमानजी पूर्ण आत्मसमर्पण किए हुए जोर-जोर से मुस्कराते हुए ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ का जप करते रहे।

सभी लोग आश्चर्य में डूब गए ।

नारदजी विश्वामित्रजी के पास जाकर बोले - ‘मुने! आप अपने क्रोध को समाप्त कीजिए। श्रीराम थक चुके हैं, उन्हें हनुमान के वध की गुरु-आज्ञा से मुक्त कीजिए। आपने श्रीराम के ‘नाम’ की महत्ता को तो प्रत्यक्ष देख ही लिया है। विभिन्न प्रकार के बाण हनुमान का कुछ भी नहीं बिगाड़ सके। अब आप श्रीराम को हनुमान को ब्रह्मास्त्र से न मारने की आज्ञा दें।’

विश्वामित्रजी ने वैसा ही किया।

हनुमानजी आकर श्रीराम के चरणों पर गिर पड़े।

विश्वामित्र जी ने हनुमानजी को आशीर्वाद देकर उनकी श्रीराम के प्रति अनन्य भक्ति की प्रशंसा की।

राम से बड़ा राम का नाम

गोस्वामी तुलसीदासजी का कहना है - ‘राम-नाम’ राम से भी बड़ा है। राम ने तो केवल अहिल्या को तारा, किन्तु राम-नाम के जप ने करोड़ों दुर्जनों की बुद्धि सुधार दी। समुद्र पर सेतु बनाने के लिए राम को भालू-वानर इकट्ठे करने पड़े, बहुत परिश्रम करना पड़ा परन्तु राम-नाम से अपार भवसिन्धु ही सूख जाता है।

कहेउँ नाम बड़ ब्रह्म राम तें ।
राम एक तापस तिय तारी ।
नाम कोटि खल कुमति सुधारी ।।
राम भालु कपि कटकु बटोरा।
सेतु हेतु श्रमु कीन्ह न थोरा ।।
नाम लेत भव सिंधु सुखाहीं ।
करहु विचार सुजन मन माहीं ।।

मन्त्र की व्याख्या,इस मन्त्र में -

‘श्रीराम’ - यह भगवान राम के प्रति पुकार है।
‘जय राम’ - यह उनकी स्तुति है।
‘जय जय राम’ - यह उनके प्रति पूर्ण समर्पण है ।

संसार का मूल कारण सत्व, रज और तम - ये त्रिगुण हैं। ये तीनों ही भव-बंधन के कारण हैं। इन तीनों पर विजय पाने और संसार में सब कुछ ‘राम’ मानने की शिक्षा देने के लिए इस मन्त्र में तीन बार ‘राम’ और तीन ही बार ‘जय’ शब्द का प्रयोग हुआ है।

मन्त्र का जप करते समय मन में यह भाव रहे - ‘भगवान श्रीराम और सीताजी दोनों मिलकर पूर्ण ब्रह्म हैं। हे राम! मैं आपकी स्तुति करता हूँ और आपके शरण हूँ।’


(राम भक्ति अंक कल्याण )

🚩जय श्री राम🚩🙏

हरसिंगार के फूल बाजार में 1000 रू किलो तक बिकते हैं,अगर सूर्य तापित अर्क निकालें तो एक किलो फूलों में करीब 100 ml निकलेग...
29/09/2024

हरसिंगार के फूल बाजार में 1000 रू किलो तक बिकते हैं,अगर सूर्य तापित अर्क निकालें तो एक किलो फूलों में करीब 100 ml निकलेगा।

एक हेयर ऑयल बनाने की विधि बताता हूं।
जिसको लगाना सुरु करने के बाद पांचवें दिन बाल झड़ने/गिरने बंद हो जायेंगे।
डेंड्रफ भी गधे के सींगों की तरह गायब हो जायेगा।
सामग्री
100 ग्राम नारियल तेल
50 ग्राम काले तिल का तेल
50 ग्राम असली बादाम तेल
दो कागजी नींबू ।
सबसे पहले दोनो नींबू का रस निचोड़ छानकर किसी लंबी डंडी की कड़छी में रख लें, उसके बाद नारियल तेल को किसी बर्तन में उबालें। तेल उबल जाने के तेल के पात्र को आंच से नीचे उतार कर सावधानी से नींबू का तेल डालें ।सावधानी रखनी जरूरी है गर्म तेल के छींटे लग सकते हैं।
5- 7 मिंट बाद नारियल नींबू तेल को पुनः धीमी आंच पर रखें
थोड़ी देर बाद छन छन की आवाज बंद हो जाए तो काले तिल का तेल भी इसी तेल में डालकर उबलने दें। उबलने के बाद नींबू रस की तरह ही 20 ml हरसिंगार के फूलों वाला अर्क डालें और पात्र को फिर से आंच पर रखे जब छन छन की आवाज बंद हो जाए तो बादाम तेल डालकर बरतन को नीचे उतार लें ।
तेल ठंडा होने के बाद छानकर शीशी में भर लें ।
सुबह नहाने से 1 घंटे पहले बालों में 5 मिंट तक नर्म हाथो से मलें, सोने से पहले रात को भी मलें।
पांचवें दिन असर देखें। बाल नहीं गिरेंगे,मुलायम मजबूत और चमकदार होने लगेंगे ।रूसी नहीं होगी।सिर में फोड़े फुंसी हैं तो वह ठीक होंगी।सिर को शांति मिलेगी तनाव दूर होगा, सिर दर्द नहीं होगा। निंद अच्छी आएगी।
जिनको गैस तेजाब कब्ज की थोड़ी बहुत समस्या रहती हो तो सोने से पहले एक चमच एक दो तीन अनुपात का त्रिफला चूर्ण लें,जिनको कोई समस्या नहीं वो भी कुछ दिन आंवला चूर्ण गुनगुने जल से लें।

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