Brij Darshan Tours & Travel

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वृंदावन ब्रेकिंग= प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के समीप बड़ा हादसाजर्जर इमारत के गिरने से 6 लोगों की मौत ए  रेस्क्यू जारीघ...
15/08/2023

वृंदावन ब्रेकिंग=
प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के समीप बड़ा हादसा
जर्जर इमारत के गिरने से 6 लोगों की मौत ए
रेस्क्यू जारी
घायलों को अस्पताल भिजवाया

14/08/2023

देशभर के सभी श्रद्धालुओं से विनम्र आग्रह फिलहाल कुछ दिन के लिए मथुरा वृंदावन बरसाना गोवर्धन आने का प्रोग्राम कैंसिल करें क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप जब हमारे जिले में आए तो आपको किसी भी असुविधा का सामना करना पड़े क्योंकि फिलहाल श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ है कि ना रहने को जगह मिलेगी ना दर्शन करने के लिए समय मेरा अनुरोध है निर्णय आपका है।

🌱🌷🌱📖 सब वेदों का सार है राधा 📖 🌱🌷🌱एक  दिन कान्हा जी की मुस्कान रोके नहीं रुक रही  थी  अकेले ही महल की छत पर बैठे हुए श्र...
02/08/2023

🌱🌷🌱📖 सब वेदों का सार है राधा 📖 🌱🌷🌱

एक दिन कान्हा जी की मुस्कान रोके नहीं रुक रही थी अकेले ही महल की छत पर बैठे हुए श्री कृष्ण दूर आकाश में चाँद को निहारते जा रहे थे और मंद मंद मुस्कुराते जा रहे थे ! कान्हा जी !! बार बार पीछे मुड़ के देख भी लेते थे की कहीं कोई उन्हें देख तो नहीं रहा और फिर अपने स्वप्नों की दुनिआ एवं मधुर विचारों में खोकर मुस्कुराने लगते थे ! अचानक उसी समय अर्जुन वहां पर आ गये अपने सखा श्री कृष्ण को अकेले में मुस्कुराता देखकर अर्जुन ने उनके आनंद में विघ्न डालना उचित ना समझा और चुपचाप एकांत में खड़े होकर प्रभु लीला के दर्शन करने लगे !
अर्जुन सोचने लगे आखिर कान्हा को इस चाँद में ऐसा क्या नज़र आ रहा है....? जो ये इतना मुस्कुरा रहे हैं और फिर अर्जुन ने नजरे उठाकर चन्द्रमा की ओर देखा जो पूर्ण प्रकाशमय होकर अपनी मनमोहक किरणे फैला रहा था एवं वातावरण को मन को प्रसन्न करने वाला बना रहा था ! जब और गौर से देखा तो आश्चर्यचकित रह गए ! चाँद में अर्जुन को साक्षात "श्री राधारानी " के दर्शन होने लगे श्री राधे भी यमुनाजी के किनारे बैठी यमुनाजी की श्याम वर्ण लहरों में अपने सांवरे के दर्शन कर रही थी और मुस्कुराती भी जाती थीं और कान्हा जी से बातें भी करती जाती थी ! राधे रानी बोली “देख रहे हो कान्हा जी आपके सखा अर्जुन चुप चाप हमारी बातें सुन रहे हैं ” ! श्री राधे यमुनाजी की लहरों में अपना हाथ लहराते हुई बोली !
कान्हा जी बोले “अर्जुन से तो कुछ छुपा नहीं है राधे ! वो तो बस मेरे आनंद में विघ्न उत्पन्न करना नहीं चाहता है ! ” कान्हा जी ये बात गोरे चाँद की तरफ निहारते हुए बोले ! राधा रानी मुस्करा कर इठलाती हुए जिज्ञासा के भाव से बोली “अगर ऐसा है आपको अर्जुन इतने ही प्रिय हैं तो आपने गीता का ज्ञान देते समय अर्जुन से एक बात छुपा के क्यूँ रक्खी ?”
कान्हा जी बोले “वो इसलिए राधे की उस बात को सुनने के बाद अर्जुन को वहीँ समाधि लग जाती और वो युद्ध आदि कुछ भी नहीं कर पाता !” श्री कृष्ण महल की छत के एक किनारे से दूसरे किनारे को जाते हुए बोले ! राधे जी बोली “ठीक है कान्हा जी अब हम कल बात करेंगे। अर्जुन आपके निकट आ रहे हैं ! ” श्री राधा ने ऐसा कहते हुए अपना आँचल यमुना के शांत जल में लहराया जिस से जल में विक्षोभ उत्पन्न हुआ और वहां से कान्हा जी की छवि अदृश्य हो गयी ! उधर कान्हा जी ने चाँद के सामने हाथ फेरकर उसे बादलों से ढँक दिया जिससे राधे की छवि वहां से अदृश्य हो गयी !
अर्जुन हिम्मत करके श्री कृष्ण के सम्मुख आये और हाथ जोड़कर बोले - “क्षमा करें प्रभु ! लेकिन ऐसी कौन सी बात है जो आपने गीता के ज्ञान में से मुझे नहीं बताई ?”
श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए बोले - “ क्या याद है अर्जुन की एक बार मैंने तुमसे कहा था की मै फिर तुमसे उस ज्ञान को कहूँगा जिसको जान लेने के बाद और कुछ जानना शेष नहीं रह जाता और जिसे जान लेने के बाद मानव का वेदों से उतना ही प्रयोजन रह जाता है जितना सागर मिलने के बाद छोटे तालाब से और इतना कहकर मै चुप रह गया था ? “हाँ प्रभु !! मुझे याद है आप वेदों का सार बताते बताते चुप रह गए थे ! ” अर्जुन ने विस्मित होकर कहा !
श्री कृष्ण ने आकाश की और देखा चाँद पूरी तरह छिप चुका था और फिर अर्जुन के कंधे पर हाथ रखकर बोले - “राधानाम !! ही सब वेदों का सार है अर्जुन ! श्री राधे की कृपा से ये जान लेने के बाद और कुछ जानना शेष नहीं रह जाता बस राधे ही एक मात्र जानने योग्य हैं ! श्री राधा नाम जपने मात्र से ही मनुष्य सब वेदों का पार पा लेता है !” और इस प्रकार गीता के पूर्ण ज्ञान को पाकर अर्जुन " समाधि अवस्था के योग्य " हुए !!
* जपे जा राधे राधे*
🌸 !! श्री राधे श्री राधे श्री राधे !! 🌸
विशेष ,,,,, द्वापर युग में "प्रेम " के भाव का मानवों के हृदय पटल पर आधिपत्य था ! प्रेम एक सत्वगुण है जिसका रजोगुणी आसक्ति के भाव से कुछ लेना देना नहीं है ! प्रेम निस्वार्थ भाव होता है जबकि आसक्ति एक प्रयोजन को लिए होती है ! परन्तु इस कलयुग में आसक्ति को ही प्रेम कहने लग गए है ! आसक्ति राग एवं द्वेष कोभी साथ रखती है जबकि प्रेम करने वालों में ऐसे राजसिक अथवा तामसिक भाव जाग्रत होते ही नहीं है अगर कोई भव जाग्रत होता है तो आनंद एवं मिलान का हर्ष !
श्री राधा रानी को गौ लोक वासी कहा गया है ! जिस प्रकार गाय अपने बछड़े को दूध पिलाती हुए वात्सल्य से भर जाती है उसी प्रकार राधा रानी के नाम का जप भी साधक के मन को प्रेम ,आनंद एवं हर्ष से भर देता है !

" जीवन का सत्य आत्मिक कल्याण है ना की भौतिक सुख !"
जिस प्रकार मैले दर्पण में सूर्य देव का प्रकाश नहीं पड़ता है उसी प्रकार मलिन अंतःकरण में ईश्वर के प्रकाश का प्रतिबिम्ब नहीं पड़ता है अर्थात मलिन अंतःकरण में शैतान अथवा असुरों का राज होता है ! अतः ऐसा मनुष्य ईश्वर द्वारा प्रदत्त " दिव्यदृष्टि " या दूरदृष्टि का अधिकारी नहीं बन सकता एवं अनेको दिव्य सिद्धियों एवं निधियों को प्राप्त नहीं कर पाता या खो देता है !
👉,,,,सच्चे संतो की वाणी से अमृत बरसता है , आवश्यकता है ,,,उसे आचरण में उतारने की ....🙏

।।जय श्री राधे राधे।।
🌿🌿🌿🌿🌿🌿

28/07/2023

Shri yamuna aarti vishram ghat

एक चाट वाला था। जब भी उसके पास चाट खाने जाओ तो ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड...
24/07/2023

एक चाट वाला था। जब भी उसके पास चाट खाने जाओ तो ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता था। कई बार उसे कहा कि भाई देर हो जाती है, जल्दी चाट लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नहीं होती।

एक दिन अचानक उसके साथ मेरी कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई।

तक़दीर और तदबीर की बात सुन मैंने सोचा कि चलो आज उसकी फ़िलासफ़ी भी देख ही लेते हैं। मैंने उससे एक सवाल पूछ लिया।

मेरा सवाल उस चाट वाले से था कि, आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से ?

और उसने जो जवाब दिया उसके जवाब को सुन कर मेरे दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए।

वो चाट वाला मेरे से कहने लगा आपका किसी बैंक में लॉकर तो होगा?

मैंने कहा हाँ, तो उस चाट वाले ने मेरे से कहा कि उस लाकर की चाबियां ही इस सवाल का जवाब है। हर लॉकर की दो चाबियां होती हैं। एक आपके पास होती है और एक मैनेजर के पास।

आपके पास जो चाबी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली चाबी भाग्य है।

जब तक दोनों चाबियां नहीं लगती लाॅकर का ताला नहीं खुल सकता।

आप कर्मयोगी पुरुष हैं और मैनेजर भगवान।

आपको अपनी चाबी भी लगाते रहना चाहिये। पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाबी लगा दे । कहीं ऐसा न हो कि भगवान अपनी भाग्यवाली चाबी लगा रहा हो और हम अपनी परिश्रम वाली चाबी न लगा पायें और ताला खुलने से रह जाये।

वृंदावन में यमुना जी के तीरे एक व्यक्ति बैठे थे ! विचार मग्न थे ! दिन में नाम की महिमा का बखान सुन कर आ रहे थे ! सोच रहे...
23/07/2023

वृंदावन में यमुना जी के तीरे एक व्यक्ति बैठे थे ! विचार मग्न थे ! दिन में नाम की महिमा का बखान सुन कर आ रहे थे ! सोच रहे थे क्या सत्य में नाम में इतनी शक्ति होती है ? (अविश्वास वो सबसे पहला भाव है जो मन में आता है ऐसी कथा सुन कर!)

बैठे बैठे निद्रा छा गई !
अर्ध रात्रि के आस पास चारों ओर शांति थी ! कोई चहल पहल नहीं ! कर्ण पुटी में आवाज आने लगी "राधा कृष्ण राधा कृष्ण राधा कृष्ण राधा कृष्ण राधा कृष्ण राधा कृष्ण ।।।।।,,"

निरंतर जप चल रहा था ! व्यक्ति चारों ओर देखने लगे सोच कर कोई संत आस पास भजन कर रहे है ! वहां कोई नहीं था !
उठे थोड़ा इधर उधर देखने को ! कोई नही था ! रात भर कौतुकी मन अनुसंधान में लगा रहा किंतु कोई मिला नही ! प्रातः काल सूर्योदय से पहले कुछ संत स्नान को आने लगे ! एक संत ने उत्सुक सज्जन को देखा और मुस्कुराते हुए बोले "क्या बात है बेटा इतने परेशान क्यों हो ? क्या खो गया तुम्हारा ?"

सज्जन बोले बाबा रात भर से परेशान हूं लगातार राधा कृष्ण सुन रहा हूं किंतु ये आवाज कहां से आ रही है पता नही चल रहा !"

बाबा बोले "बेटा बृंदाबन नाम सिद्ध संतों से अटी है ! बृंदाबन की भूमि स्वयं नाम जप करती है ! इसमें भला क्या अचरज ! कान लगा धरती पर और सुन !"

जैसे ही व्यक्ति ने धरती पे शीश रखा और कान ने बृन्दाबन की रज को स्पर्श किया तो वो नाम जप जोर से और स्पष्ट रूप से सुनाई देने लगा !

संत ने बताया यहां एक महान वैष्णव संत ने समाधि ली थी जो निरंतर जप में लीन रहते थे ! बाबा तो नित्य निकुंज सेवा में चले गए किंतु उनकी देह आज भी पिछले ७० से ८० सालों से नाम जप में ही लीन है ! ये कोई आश्चर्य नहीं !

चलो माँ को प्रणाम कर स्नान कर लो फिर भोग आरती के बाद प्रसाद पा कर जाना !

ये सत्य है कोई भी इसको आज भी महसूस कर सकता है !

_____🙏🏼।। वृन्दावन बिहारी लाल की जय ।।🙏🏼_____

 #अवश्य_स्मरण_करे  #गिरीराज_परिक्रमा_के_कुछ_नियम जिससे आपकी परिक्रमा पूर्ण होती है।मथुरा मे तीन मुखारविंद हैं - दान घाटी...
22/07/2023

#अवश्य_स्मरण_करे
#गिरीराज_परिक्रमा_के_कुछ_नियम जिससे आपकी परिक्रमा पूर्ण होती है।

मथुरा मे तीन मुखारविंद हैं - दान घाटी, जतिपुरा, मानसी गंगा।

गिरीराज महाराज तीनों लोको के स्वामी हैं।

परिक्रमा सदा प्रथम मुखारविंद से ही प्रारंभ की जाती है अर्थात दान घाटी मुखारविंद से।

परिक्रमा प्रारंभ करने से पहले आप गिरिराज जी पर दूध चढायें और थोडा सा प्रसाद चढायें।

परिक्रमा का प्रारंभ सदा दूध चढाकर ही होता है।

परिक्रमा का प्रारंभ तीन दंडवत के साथ किया जाता है।

गिरिराज महाराज साक्षात कृष्ण भगवान हैं अत: सदा श्रीकृष्ण को केंद्र मानकर ही परिक्रमा लगायें।

परिक्रमा मार्ग पर प्रत्येक पल कृष्ण और भगवत चिंतन ही होना चाहिये।

भगवन नाम की बड़ी महिमा बताई गई है अत: अधिक से अधिक भगवान का नाम लेना चाहिये।

जतिपुरा में भी गिरिराज जी महाराज पर दूध और प्रसाद चढायें

आप गिरिराज परिक्रमा लगाने पावन तलहटी तक पहुंचे क्योंकि आपको नही जाना था परंतु श्रीकृष्ण को आपको अपने दर तक बुलाना था।

जो जीव गिरिराज महाराज जी की परिक्रमा भाव से लगाते हैं उनके जीवन मे कभी धन की कमी नही आती है।

अपने जीवन मे गिरीराज परिक्रमा अवश्य लगायें और अन्य लोगों को भी भगवन नाम जपने के लिये प्रेरित करें। सभी परिक्रमा में सर्वश्रेष्ठ परिक्रमा गिरिराज महाराज जी की परिक्रमा कहलाती है।

धन्य! वो जीव जो अपना बहुमूल्य समय निकालकर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाते हैं।

🌻🌻तेरो सब संकट मिट जाये, पूजा गोवर्धन की कर ले

जय श्री गिरिराज महाराज जी🙏
श्री बृजधाम बरसाना श्री राधा रानी मन्दिर बरसाना प्रेम रस धारा श्री राधा रानी मन्दिर बरसाना
#झूलन_लीला #श्री_बृजधाम_बरसाना

श्रद्धा और विश्वास〰️〰️🌼〰️〰️एक सेठ बड़ा धार्मिक था संपन्न भी था। एक बार उसने अपने घर पर पूजा पाठ रखी और पूरे शहर को न्यौत...
02/07/2023

श्रद्धा और विश्वास
〰️〰️🌼〰️〰️
एक सेठ बड़ा धार्मिक था संपन्न भी था। एक बार उसने अपने घर पर पूजा पाठ रखी और पूरे शहर को न्यौता दिया। पूजा पाठ के लिए बनारस से एक विद्वान शास्त्री जी को बुलाया गया और खान पान की व्यवस्था के लिए शुद्ध घी के भोजन की व्यवस्था की गई। जिसके बनाने के लिए एक महिला जो पास के गांव में रहती थी को सुपुर्द कर दिया गया।

शास्त्री जी कथा आरंभ करते हैं, गायत्री मंत्र का जाप करते हैं और उसकी महिमा बताते हैं उसके हवन पाठ इत्यादि होता है लोग बाग आने लगे और अंत में सब भोजन का आनंद लेते घर वापस हो जाते हैं। ये सिलसिला रोज़ चलता है।

भोज्य प्रसाद बनाने वाली महिला बड़ी कुशल थी वो अपना काम करके बीच बीच में कथा आदि सुन लिया करती थी।

रोज की तरह एक दिन शास्त्री जी ने गायत्री मंत्र का जाप किया और उसकी महिमा का बखान करते हुए बोले कि इस महामंत्र को पूरे मन से एकाग्रचित होकर किया जाए तो इस भव सागर से पार जाया जाएगा सकता है। इंसान जन्म मरण के झंझटों से मुक्त हो सकता है।

खैर करते करते कथा का अंतिम दिन आ गया। वह महिला उस दिन समय से पहले आ गई और शास्त्री जी के पास पहुंची, उन्हें प्रणाम किया और बोली कि शास्त्री जी आपसे एक निवेदन है।"

शास्त्री उसे पहचानते थे उन्होंने उसे चौके में खाना बनाते हुए देखा था। वो बोले कहो क्या कहना चाहती हो ?"

वो थोड़ा सकुचाते हुए बोली शास्त्री जी मैं एक गरीब महिला हूँ और पड़ोस के गांव में रहती हूँ। मेरी इच्छा है कि आज का भोजन आप मेरी झोपड़ी में करें।"

सेठ जी भी वहीं थे, वो थोड़ा क्रोधित हुए लेकिन शास्त्री जी ने बीच में उन्हें रोकते हुए उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया और बोले आप तो अन्नपूर्णा हैं। आप ने इतने दिनों तक स्वादिष्ट भोजन करवाया, मैं आपके साथ कथा के बाद चलूंगा।"

वो महिला प्रसन्न हो गई और काम में व्यस्त हो गई। कथा खत्म हुई और वो शास्त्री जी के समक्ष पहुंच गई, वायदे के अनुसार वो चल पड़े गांव की सीमा पर पहुंच गए देखा तो सामने नदी है।

शास्त्री जी ठिठक कर रुक गए बारिश का मौसम होने के कारण नदी उफान पर थी कहीं कोई नाव भी नहीं दिख रही थी। शास्त्री जी को रुकता देख महिला ने अपने वस्त्रों को ठीक से अपने शरीर पर लपेट लिया व इससे पहले की शास्त्रीजी कुछ समझते उसने शास्त्री जी का हाथ थाम कर नदी में छलांग लगा दी और जोर जोर से *ऊँ भूर्भुवः स्वः ..... ऊँ भूर्भुवः स्वः बोलने लगी और एक हाथ से तैरते हुए कुछ ही क्षणों में उफनती नदी की तेज़ धारा को पार कर दूसरे किनारे पहुंच गई।

शास्त्री जी पूरे भीग गए और क्रोध में बोले मूर्ख औरत ये क्या पागलपन था अगर डूब जाते तो...?"

महिला बड़े आत्मविश्वास से बोली शास्त्री जी डूब कैसे जाते ? आप का बताया मंत्र जो साथ था। मैं तो पिछले दस दिनों से इसी तरह नदी पार करके आती और जाती हूँ।

शास्त्री जी बोले क्या मतलब ??"

महिला बोली की आप ही ने तो कहा था कि इस मंत्र से भव सागर पार किया जा सकता है। लेकिन इसके कठिन शब्द मुझसे याद नहीं हुए बस मुझे ऊँ भूर्भुवः स्वः याद रह गया तो मैंने सोचा "भव सागर" तो निश्चय ही बहुत विशाल होगा जिसे इस मंत्र से पार किया जा सकता है तो क्या आधा मंत्र से छोटी सी नदी पार नहीं होगी और मैंने पूरी एकाग्रता से इसका जाप करते हुए नदी सही सलामत पार कर ली। बस फिर क्या था मैंने रोज के 20 पैसे इसी तरह बचाए और आपके लिए अपने घर आज की रसोई तैयार की।"

शास्त्री जी का क्रोध व झुंझलाहट अब तक समाप्त हो चुकी थी। किंकर्तव्यविमूढ़ उसकी बात सुन कर उनकी आँखों में आंसू आ गए और बोले माँ मैंने अनगिनत बार इस मंत्र का जाप किया, पाठ किया और इसकी महिमा बतलाई पर तेरे विश्वास के आगे सब बेसबब रहा।"

"इस मंत्र का जाप जितनी श्रद्धा से तूने किया उसके आगे मैं नतमस्तक हूं। तू धन्य है कह कर उन्होंने उस महिला के चरण स्पर्श किए। उस महिला को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो खड़ी की खड़ी रह गई। शास्त्री भाव विभोर से आगे बढ़ गए वो पीछे मुड़ कर बोले मां चलो भोजन नहीं कराओगी बहुत भूख लगी है।"

01/07/2023
(((( राम नाम का चमत्कार ))))एक बार एक गांव में एक साधु रहता था . सारा दिन राम-राम जपता रहता है और ढोलकी बजाकर कीर्तन करत...
01/07/2023

(((( राम नाम का चमत्कार ))))
एक बार एक गांव में एक साधु रहता था . सारा दिन राम-राम जपता रहता है और ढोलकी बजाकर कीर्तन करता रहता.
उसकी कुटिया के पास जिस व्यक्ति का घर था, वह उससे बहुत परेशान था.
एक दिन वह व्यक्ति गुस्से में उस साधु की कुटिया में चला गया और कहने लगा कि तुम क्या दिन -रात राम- राम रटते रहते हो?
तुम्हें तो कोई काम धंधा नहीं है .हमें तो कमाने जाना पड़ता है. तुम्हारी ढोलकी की आवाज से मैं सो नहीं पाता.
साधु कहने लगा, "तुम भी मेरे साथ राम राम जप के देखो तब तुम्हें पता चलेगा कितना आनंद आता है."
वह व्यक्ति ने थोड़ा खींझकर कहा ,"अगर मैं तुम्हारे साथ राम-राम जपता हूं तो क्या तुम्हारा राम मुझे खाने के लिए रोटी देगा ?
साधु कहने लगा कि '"मुझे तो राम नाम की लगन लगी है मुझे तो राम जी की कृपा से हर रोज भोजन मिल ही जाता है.
तुम भी राम- राम जप के देख लो मुझे भरोसा है भगवान तुझे खाने को जरूर देगा .
वह आदमी उस साधु को चुनौती देता है कि मैं तुम्हारे साथ आज राम-राम का भजन करता हूं . अगर तुम्हारे राम ने आज मुझे रोटी खिला दी सारी उम्र राम की भक्ति में लगा दूंगा.
अगर नहीं खिलाई तो, तुम ढोलकी बजाना बंद कर दोगे .
साधू कहता है कि मैंने तो निष्काम भाव से प्रभु राम की भक्ति की है लेकिन फिर भी मुझे तुम्हारी चुनौती मंजूर है.
वह व्यक्ति साधु के साथ बैठकर राम- राम का जाप करता है और मन में निश्चय करता है कि चाहे कुछ हो जाए मैं आज भोजन नहीं करूँगा, देखता हूँ इसका राम मुझे कैसे भोजन कराता है.
राम- राम का भजन करने के बाद वह सोचता है कि अगर अब मैं घर जाता हूं तो मेरी मां और बीवी मुझे खाने को कहेंगे और मुझे रोटी खानी पड़ सकती है.
लेकिन मुझे साधु को चुनौती में हराना है इसलिए वह घर जाने की बजाए गांव के पास के जंगल में चला जाता है .
जंगल में एक पेड़ पर चढ़कर बैठ जाता है. वह सोचता है कि मैं सारा दिन इस पेड़ से उतरूंगा ही नहीं, अन्न का दाना भी नहीं खाऊंगा .
इस तरह मैं साधु को हरा दूंगा और उसका ढोलकी बजाना बंद हो जाएगा.
कुछ देर बाद उस जंगल से एक बंजारों की टोली गुजरती है .
उन्हें भूख लगी होती है तो बंजारों का सरदार कहता है कि आग जलाकर यहीं पर खाना बना लो .अब खाना खाकर ही आगे बढ़ेंगे .खाना बन कर तैयार हो जाता है.
बंजारे खाना खाने ही वाले होते हैं, कि इतनी देर में बंजारों को सूचना मिलती है कि पीछे से डाकू आ रहे हैं तो बंजारों का सरदार कहता है कि हमें यहां से चले जाना चाहिए.
डाकू हमारा सब कुछ लूट सकते हैं . वे बंजारे खाना वही पर छोड़ कर चले जाते हैं .वह आदमी पेड़ पर चढा़ सब कुछ देख रहा था .
कुछ समय बाद डाकू वहां पहुंच जाते हैं .भोजन को देखकर डाकू कहते हैं कि खुशबू तो बहुत अच्छी आ रही है .लेकिन यह भोजन किसने फिर बनाया?
बनाने के बाद खाया क्यों नहीं? कहीं किसी की चाल तो नहीं हमें फसाने की? हो सकता है इस भोजन में जहर हो.
उसी समय डाकुओं के सरदार की नजर उस व्यक्ति पर पड़ी. वह उसे नीचे आने का आदेश देता है.
डाकू उस व्यक्ति से पूछते हैं ," हमें मारने के लिए, क्या भोजन तुमने बनाया है ?
वह बेचारा मिन्नते करता रहता है कि मैंने यह भोजन नहीं बनाया. इसमें जहर नहीं है.
यह भोजन बंजारों ने बनाया है आपके आने की खबर सुनकर वह जहां से भाग गए. लेकिन डाकूओं के आगे उसकी एक नहीं चलती.
डाकू से कहते हैं कि अब तुम्हें यह भोजन खा कर दिखाना पड़ेगा. क्योंकि हमें लगता है कि तुमने ही यह भोजन बनाया है और इसमें जहर मिलाया ?
अब तुम ही सबसे पहले यह भोजन खाओगे. वह जिद्द पर अड़ा रहता है मैं यह भोजन नहीं खाऊंगा, किसी कीमत पर नहीं खाऊंगा .
डाकूओं का शक ओर गहरा हो जाता है. वे बंदूक की नोक उसके सिर पर रखकर कहते हैं तुझे यह भोजन खाना पड़ेगा, नहीं तो गोली खानी पड़ेगी.
वह व्यक्ति भोजन कर रहा है और साधु को याद करते करते आंसू उसकी आँखों से बह रहे थे.
उसने कहा था कि मेरा निश्चय है कि राम नाम जप लेगा तो राम तुझे भोजन भी देंगे. उसके भोजन करने के बाद डाकूओं ने से छोड़ दिया .
अब उसे विश्वास हो गया कि बंजारों को और डाकूओं को राम जी ने ही भेजा है.
वह सीधा साधू की कुटिया में चला गया और जा कर उनके चरणों में प्रणाम किया और उन्हें सारा वृतांत सुनाया.
अब उस साधु से भी ज्यादा उसे राम नाम की लगन लग गई. उसने अपना पूरा जीवन राम जी को समर्पित कर दिया.
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी, विक्रम संवत 2080
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((((((( जय जय श्री राधे )))))))
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(((( श्री कृष्ण नाम महिमा ))))एक बार एक औरत का मन‌ श्री कृष्ण की भक्ति के प्रति उचाट हो गया था। वह श्री कृष्ण की परम भक्...
30/06/2023

(((( श्री कृष्ण नाम महिमा ))))
एक बार एक औरत का मन‌ श्री कृष्ण की भक्ति के प्रति उचाट हो गया था।
वह श्री कृष्ण की परम भक्त थी। दिन - रात उनके नाम का सिमरन करती थी।
लेकिन एक दिन उसका 8-10 साल का बेटा घर की छत से आंगन में गिर पड़ा। अपने खुन से लथपथ बेटे को देख कर को गोद में उठा कर वह बद्दहवास ही दौड़ पड़ी।
उस समय उसके सिवाय घर पर और कोई भी नहीं था। पुत्र की ऐसी हालत देखकर वह ईश्वर को उलाहना देती रही।
दिन रात तुम्हारा नाम जपती हूं फिर कान्हा मेरे पुत्र को ऐसा कष्ट क्यों दिया?
इसी उधेड़बुन में डाक्टर साहब का क्लीनिक आ गया। डाक्टर साहब ने उस का ईलाज किया और कहने लगे कि आप के पुत्र को कोई गहरा घाव नहीं हुआ।
यह घाव भी कुछ दिन में ठीक हो जाएगा और उसे दवाई दे दी। ‌‌लेकिन एक मां का हृदय बार- बार उस दृश्य को स्मरण कर सिहर जाता।
इसलिए एक मां का मन ईश्वर की शक्ति को चुनौती दे रहा था कि मेरे बेटे के साथ उन्होंने ने ऐसा क्यों किया जबकि मैं तो दिन रात श्री कृष्ण के नाम का सिमरन करती हूंँ।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वह उसकी सत्ता पर कैसे विश्वास करे?
श्री कृष्ण की लीला देखिए उसी दिन टीवी पर किसी महात्मा के प्रवचन आ रहे थे कि...
"ईश्वर किसी पर आने वाले कष्ट को रोक नहीं सकते, लेकिन उसके नाम सिमरन से ईश्वर तुम को इतनी शक्ति प्रदान करते हैं कि तुम आसानी से उस संकट से उबर जाओगे, ईश्वर तुम्हारे मार्ग को सरल कर देते हैं। इस लिए नाम सिमरन करते रहना चाहिए"।
यह प्रवचन सुनने ही जैसे उस दिन का सारा घटनाक्रम उसकी आंखों के सामने घूम गया।
उस दिन यहां आंगन में उसका बेटा गिरा था वहां पाईप एक दिन पहले ही हटाई गई थी यह सोच कर उसका मन सिहर गया कि अगर पाइप यही पर पड़ी होती तो बेटे को ज्यादा चोट लग सकती थी।
इसी उधेड़बुन में उसका हाथ पेट पर गया तो उसे स्मरण हो आया कि अभी कुछ दिन पहले तो मेरे पेट का आपरेशन हुआ था..
मैं तो एक बाल्टी नहीं उठा सकती थी लेकिन 20-22 किलो के बेटे को गोद में उठा कर आधा- पौने किलोमीटर दौड़ कर डाक्टर के क्लीनिक तक कैसे गई?
इतनी शक्ति और हिम्मत मुझ में ईश्वर के सिवाय कोई नहीं दे सकता।
अब उसे स्मरण हो आया कि डाक्टर साहब तो 3 बजे तक क्लीनिक में होते हैं लेकिन उस दिन 4बजे तक क्लीनिक में थे, जिस कारण उसके बेटे का समय पर इलाज शुरू हुआ।
क्या पता किसी ईश्वरीय शक्ति ने ही उन्हें रोक कर रखा हो ?
इस सारे घटनाक्रम को याद कर उनके मन के सारे संशय दूर हो गए और जल्दी से घर के मंदिर में जाकर श्री कृष्ण को प्रणाम किया और कहने लगी कि..
कान्हा मेरे पुत्र की रक्षा करने के लिए तेरा शुक्रिया और फिर से श्री कृष्ण के नाम का जाप करने लगी।
उसे लगा श्री कृष्ण का विग्रह मानो मंद मंद मुस्कुरा रहा हो।
आषाढ़ शुक्ल द्वादशी, विक्रम संवत 2080

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((((((( जय जय श्री राधे )))))))
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12/06/2023

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19/05/2023

जिस किसी दर्शनार्थी को ब्रज यात्रा , मथुरा, वृन्दावन, गोकुल, गोवर्धन, नंदगांव,बरसाना, के दर्शन करने हो
गेस्ट हाउस, होटल,गाड़ी बुक करनी हो
कम पैसों में आप मथुरा वृंदावन को घूम सकते हैं। वैसे तो गोकुल मथुरा की गली गली में खूबसूरत मंदिर बसे हैं लेकिन अगर आपके पास घूमने के लिए समय कम है और वीकेंड पर मथुरा जा रहें हैं तो एक प्लानिंग के साथ आप मात्र दो दिन में भी मथुरा वृंदावन घूम सकते हैं
, बुक करने के लिये कॉल करें - +919045977925 /
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18/05/2023

Brij Darshan Guest House, Hotel, Taxi Service (Mathura, Vrindavan)

जिस किसी को ब्रज यात्रा , मथुरा, वृन्दावन, गोकुल, गोवर्धन, नंदगांव,बरसाना, के दर्शन करने हो
गेस्ट हाउस, होटल,गाड़ी बुक करनी हो
, बुक करने के लिये कॉल करें - +919045977925 /
+91 9058319868

Address

Maal Godam Road
Mathura
281001

Opening Hours

Monday 9am - 5pm
Tuesday 9am - 5pm
Wednesday 9am - 5pm
Thursday 9am - 5pm
Friday 9am - 5pm
Saturday 9am - 5pm
Sunday 9am - 5pm

Telephone

919045977925

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