19/01/2024
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पांच भाई पांडव को अपने भाईयो को यानी कोरवो का युद्ध मे मारने के कारण भर्ता दोष लगा था , जिसका निवारण बाबा भोले नाथ कर सकते थे , पर बाबा उन्हें दर्शन नही देना चाहते थे , इसलिए वह छुप रहे थे , बाबा भोले नाथ को ढूंढते जब पांडव देवभूमि मे आये तो भोले नाथ गुप्तकाशी मे दिखे ओर फिर गायब हो गये , भोले नाथ ने बेल का रूप धारण किया और केदारनाथ आकर बेलो के झुंड मे घुस गये , ताकि पांडव उन्हें पहचान नही सके , भीम ने विशाल रूप धरा ओर सारे बेलो को अपने पैरों के बीच से निकल जाने को कहा , सारे बेल निकल गये पर भोले नाथ कैसे निकलते , भोले नाथ रूपी बेल धरती मे समाने लगे , तब भीम ने बेल की पूछ पकड़ ली , धरती मे समाये बेल रूपी शिव देवभूमि मे 5 जगह निकले जिनको 5केदार कहते है , ओर 6 भाग नेपाल मे पशुपति नाथ जी मे निकला , बाबा भोले नाथ ने पांडवों को दर्शन दिए और उन्हें भर्ता दोष से मुक्त किया , 5केदार , केदारनाथ , तुंगनाथ ,मधममहेस्वर ,रुद्रनाथ, कल्पेस्वर है , मंदिर हज़ारों साल पुराना है , अब जरा इन तस्बीरों को देखे , रास्तों को देखे , ओर सोचे , इतनी मुश्किल जगह मे ये मंदिर कैसे बना होगा , किसने बनाया होगा , ये पत्थर , ये डिज़ाइन कैसे हुआ होगा , 4000साल तक बर्फ के नीचे मंदिर दबा रहा , 2013 की आपदा से कुछ नही बिगड़ा , इस लिए बोलते है , आदि भी तू अंत भी तू बाबा भोले नाथ केदार ही है केदार ही है ❤️ आपको भी जल्द बुलावा आयेगा
जय सनातन , जय भोले बाबा ❤️❤️❤️
हर हर महादेव 🚩🚩🚩🚩
अजमेर में मुख्य घूमने की जगह
1 पृथ्वी राज स्मारक
2 सरकारी संग्रहालय
3 आना सागर झील
4 तारा गढ़ किला
5 सोनीजी की नसीया नारेली जैन मंदिर
6 अकबर पैलेस एंड म्यूजियम
खाने के बारे में बात करे तो यहां दाल बाटी चूरमा बाजरे की खिचड़ी पुलाव और गट्टे की सब्जी प्रसिद है
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यहां ठहरने की अगर बात करे तो यहा हाई बजट से लेकर लॉ बजट तक की होटल है यहां की मु्ख्य बात यह है की यहा़ रेलवे जंक्शन है और घूमने के लिए ओला केब आदी की सुविधा है
अजमेर की स्थापन चौहान वंश के 23 वे शासक राजा अजय राज चौहान ने 27 मार्च 1112 में की थी पहले इसका नाम अजमेरू था अजमेरू की स्थापन में कही राजा अजय देव चौहान का तो कही अजय पाल चौहान का नाम आता है कर्नल टॉड ने राजा अजय राज चौहान को अजमेरू दुर्ग का निर्माता माना है जो बाद में गढ़ बिठली और फिर तारागढ़ पडा 1940 से पहले चंद्रवरदाई द्वारा रचित पृथ्वी राज रासो में चौहान का वर्णन है और वर्ष 1940 में प्रो. ब्यूहमर द्वारा कसमीर द्वारा पुष्कर में रचित पृथ्वी राज विजय महाकाव्य की उपलब्धता ने यथार्थ की ओर अग्रसर किया अजमेरू को चौहान वंश की राजधानी बनाई गई बाद में अजमेरू का नाम अजमेर हुआ बाद में राजा अजय राज चौहान के उत्तराधिकारी राजा अर्नोराज ने अजमेर आना सागर की स्थापना करी बताया जाता है की इन्होने पुष्कर झील के चारो और घाटों का निर्माण इन्होंने ही कराया था राजा अर्नोराज के दूसरे पुत्र विग्रह राज चतुर्थ बिस्लदेव के शासनकाल में सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिला उन्होंने बिसलसर झील व बीसलपुर नगर की स्थापना करी इसके बाद पृथ्वी राज दिर्तीय ने शासन किया और फिर सोमेश्वर राजा बना
Places to see in Pushkar
1
(1) Pushkar lake
(2) Roj Garden Pushkar outside
(3) Brahma's Temple
(4) Pushkar Camel Fair
(5) Varaha Temple
(6) Savitri Temple
(7) Rangji Temple
(8) Gurudwara Sahib Pushkar
(9) Gayatri Mata Temple
(10) Varaha Ghat
(11) Gau Ghat
(12) Man Mahal
(13) Pushkar Bazaar
(14) Mahadev Temple
(15) Budha Pushkar Lake
(16) Aloo Baba Temple
There are 52 ghat in Pushkar and each has its own importance
ब्रह्म जी ने यज्ञ के समय सावित्री को बुलाया था पर वह नही आई और गोप की कन्या को अपनी पत्नी बनाकर यज्ञ शुरू कर दिया तब फिर सावत्रि अपने गहने और सृंगार कर अपनी सखियों के संग गाजे बाजे से यज्ञ मंडप में पहुंची जब ब्रह्मा ने ज्यों ही सावित्री को यज्ञ मंडप में सखियों के साथ आई देखा उसी समय मस्तिष्क को नीचा कर लिया और वैसे ही महादेव विष्णु इंद्र और ब्राह्मण यज्ञ का काम छोड़कर भय से चुप हो गए तब फिर सावित्री ब्रह्मा जी से बोली हे महावृद्ध तुम्हे इतना भी विचार नही किया गोप कि कन्या को स्त्री बनाया जिसके दोनो पक्षों में असंख्य पति किए जाते है यदि यज्ञ में दूसरी स्त्री की आवस्यकता ही थी तो क्या तीनो लोको में कोई भी ब्राह्मणी कन्या नही थी और क्रोधीत होकर ब्रह्म जी को श्राप देने लगी कि तुझे पुष्कर आरण्य को छोड़कर दूसरे स्थान पर मनुष्य तेरी पूजा नही करेगा तब इंद्र को श्राप दिया कि आज से युद्ध में तेरी जीत कभी नही होगी और भय से सदा स्वर्ग में निवास करेगा तब फिर वासुदेव को श्राप दिया कि गोप की कन्या को विवाह के लिए अनुमोदित किया था इसलिए निंदित मनुष्य योनी को पाकर स्त्री के वियोग में दुखी रहेगा क्योंकि दूसरे के दुख को तू नही जानता है उसी समय के श्राप के प्रभाव से भगवान विष्णु ने रामावतार लिया तब ब्रह्मण को श्राप दिया की मेरे वचन से सदा दरिद्र रहोगे और जप होम वेद पाठ और यज्ञ सोम पाखंड से करोगे तथा सोमलता का विक्रय करोगे इस प्रकार ब्राह्मणों को श्राप देकर गाय को श्राप देने लगी कि गायत्री को मुख में डालकर पवित्र किया इसलिए इस मुख से विष्टा खाओगी फिर वायु को श्राप दिया तुम में श्रेष्ठ गंध है वैसा ही अपवित्र गंधवान होगा और अग्नि से कहा हे हुतासन जहा अपवित्र कुलहीन यज्ञ के काम में ऐसी गुजर की लडकी पत्री साला में स्थित प्रज्वलित हुआ इसलिए मेरे वाक्य से तू सर्व भक्षी होगी इस प्रकार सावित्री ने सबको श्राप देकर यज्ञ मंडप से निकली तब फिर ब्रह्मा जी ने कहा सावित्री इसमें मेरा क्या दोष है और मेरे कहने से पत्री साला में आओ और गायत्री तेरी दासी बनकर रहेगी तब सावित्री बोली मेने प्रतिज्ञा की है की में उस स्थान पर जाकर बैठूंगी जहा तेरा नाम भी न सुन सकू इस प्रकार ऐसा कहकर पर्वत के शिखर पर चढ़कर प्रचंड तप करने लगी
ब्रह्मा जी ने उत्तम मूहर्त आने पर पुलस्त्य ने यज्ञ के रथ पर बांस के पात्र में सोम रस को ब्रह्म के मस्तक पर धारण किया फिर पुलस्त्य ने अरणी अग्नी के मथने के लिऐ काष्ठ को मंथन करते हुए बोले कि पत्री पत्री ऐसा उच्च स्वर बोले तब ब्रह्म जी ने नारद को सावित्री के यज्ञ में बुलाने के लिऐ भेजा तब नारद उनके पास जाकर बोले हे सुरेस्वरी यज्ञ में बैठने के लिए आपको पिताजी बुला रहे हैं तब वह आने लगी फिर सोचा उस यज्ञ मंडप में अकेली सोभा नही पाऊंगी तब सावत्री जी ने वायु को ऋषि मुनियों की पत्नियों को बुलाने के लिए भेजा फिर नारद जी ने ब्रह्म जी को आकर कहा की माता सावत्री जी अभी ग्रह कार्य में लगी हुई है तब कुद्र होकर ब्रह्म जी ने पुलस्त्य को सावत्री के पास भेजा तब पुलस्त्य ने नारद जी के अनुसार पिताजी से कहा अभी माता जी ग्रह कार्य में है तब ऋषियो ने कहा यज्ञ में सोमरस पान का मूहर्त निकल रहा है तब ब्रह्म जी खड़े हुए और इंद्र से कहा में यज्ञ अवश्य करूंगा तुम सीग्र किसी कन्या को खोजकर लाओ तब इंद्र विमान में बैठकर कन्या को खोजने निकला तब उसने एक चंद्र मुखी कमल नयनी गोप की कन्या छाछ का घड़ा सीर पर रखे हुए देखी तो इंद्र ने उसको विमान में बैठाकर यज्ञ मंडप में ले आया फिर इंद्र ने कन्या को गाय के मुख से डालकर पीठ से निकालकर के ज्येष्ठ कुण्ड में स्नान कराके गायत्री नाम से प्रसिद्ध किया तब ऋषियों ने कहा गोप की कन्या होते हुए उत्तम ब्राह्मणी बन गई फिर चतुरानन ब्रह्म ने गायत्री जी के हाथ से सोमरस का विधिपूर्वक पान कराके पाणिग्रहण किया Pushkar क्षेत्र में पाणिग्रहण संस्कार करने से सौभाग्य को देने वाली संसार में विख्यात हुई जो मनुष्य मन से तीर्थ पुष्कर में कन्या दान करता है वह राजसूय और अस्वमेघ यह के सम्पूर्ण फल को प्राप्त करता है
में आपको धीरे धीरे पुरे तीर्थ नगरी पुष्कर और राजस्थान की जानकारी दे रहा हू क्योंकि कोई भी व्यक्ति अगर राजस्थान घूमने आते है या राजस्थान के किसी भी टूरिस्ट पैलेस पर जाते है तो सबसे पहले उनके दिमाग में यह आता है की हम वहा जा तो रहे है परंतु हमे गाइड कोन करेगा हम वहा पर क्या क्या देखेंगे कहा पर रुकेंगे कोनसी होटल या धर्मशाला अच्छी है इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए में आपको सही जानकारी देने की कोशिश करूंगा यह सभी समस्या उन मेहमानो के लिए आती है जो उस स्थान पर पहली बार या कुछ सालो बाद आ रहा हो
History of Pushkar Province of Rajasthan
एक समय की बात है ब्रह्मा जी के मन में विचार आया की इस मृत्यु लोक में सब देवताओं के स्थान है इसलिए इस पृथ्वी पर मेरा भी स्थान होना चाहिए ऐसा विचार करके मंगल ही मंगल का उच्चारण करते हुए हाथ से कमल का फूल पृथ्वी पर फेखा वह कमल का फूल जहा पहले गिरा वहा से उछल कर दूसरे स्थान पर गिरा फिर वहा से भी उछलकर तीसरे स्थान पर गिरा इस प्रकार तीनो स्थानों पर निर्मल जल निकला तब ब्रह्मा जी ने कहा की इस पवित्र स्थान को पुष्कर के नाम से जाना जाएगा जहा जहा पर फूल गिरा वहा पर तीन कुंड है और ये कुंड तीनो लोको में कर्म से ज्येष्ठ मध्य और कनिष्ठ नाम से विख्यात होंगे इन तीनों कुंड में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप नाश होंगे ऐसा कहकर ब्रह्मा जी ने यज्ञ स्थान के लिए इंद्र मार्ग के उत्तर में प्राची सरस्वती तक नंदा के पूर्व में कन्यास तक योजन प्रमाण भूमी ठहराई यह पवित्र पुष्कर तीर्थ हुआ
History of Pushkar Province of Rajasthan
तीर्थ नगरी पुष्कर राज में लगभग 350 मंदिर है जिसमे मुख्य मंदिर ब्रह्मा जी का है यात्री पुष्कर राज में स्नान करके सबसे पहले ब्रह्मा जी के दर्शन करते है यह यहाँ की मान्यता है श्री ब्रह्मा जी ने अपने कर कमलों द्वारा यहा यज्ञ किया था इसी के उपलक्ष्य में यहा हर साल की कार्तिक शुक्ल पक्ष में ग्यारस से पूर्णिमा तक भारी मेला लगता है जहा लाखो की संख्या में जानवर आते है पृथ्वी के सारे तीर्थो में स्नान और दान करने से मनुष्य पवित्र होता है इसमें कोई दोराय नहीं है लेकिन तीर्थ राज पुष्कर के दर्शन व स्मरण करने मात्र से ही मनुष्य सीघ्र पापो से छूट जाता है
Jai Pushkar Raj ki
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1898 में लाल किले के सामने बैल गाड़ी जाती हुई
History of Pushkar Province of Rajasthan
History of Pushkar Province of Rajasthan
श्री ब्रह्मा पुष्कर तीर्थ अजमेर के पश्चिम उत्तर करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ स्थलों में बसा हुआ है यात्रा का मार्ग पहाड़ी में से आता है सड़क के दोनो ओर मनोहर छायादार पेड़ सुशोभित है पुष्कर का मुख्य पवित्र स्थान सरोवर है सरोवर के चारो ओर राजा महा रजावो के 52 घाट बने है जिसमे मुख्य गऊ घाट और बारह घाट है गऊ घाट में सांतुराम बावलिया की यादगार में मराठों ने उस समय 125000 खर्च करके एक सुंदर छतरी बनाई इंग्लैंड के भूतपूर्व स्मार्ट पंचम जार्ज की पत्नी क्विनमेरी ने जनाना घाट यादगार में बनाया कांग्रेस सरकार के राज्य में महात्मा गांधी पंडित जवाहर लाल नेहरु और श्री लालबहादुर शास्त्री की अस्थियां इसी घाट पर विसर्जित की गई थी इस गऊ घाट पर सुबह शाम पुष्कर राज की आरती होती है
History of Pushkar Province of Rajasthan
संपूर्ण भारत में तीर्थो को प्राचीन काल से बहूत महत्व दिया गया है श्री पुष्कर तीर्थ सब तीर्थों का गुरु माना जाता है सब तीर्थों की यात्रा का फल पुष्कर स्नान व ब्रह्मा के दर्शन से मिलता है पद्मपुराण के अनुसार गंगा माता प्रयाग राज व पुष्कर राज सब तीर्थों का गुरु कहलाता है
पुष्कर राज एक तीर्थ स्थान है परंतु यह जान नही पाते की यह पावन तिर्थ पुष्कर केसे कब और किसने इसकी उत्पत्ति की तथा यहां पर स्नान दर्शन और पूजा पाठ से क्या फल मिलता है पुष्कर राज का जल निर्मल चंद्रमा के समान है पृथ्वी के दो नेत्र है पहला पुष्कर राज और दूसरा नेत्र नर्सिंग कटाश राज है इस पुष्कर राज में स्नान करके मनुष्य करोड़ो पापो से मुक्त होकर बरहमा लोक में जाता है इस पवित्र एक योजन भूमी में पशु पक्षी भी मरने के बाद मोक्ष को प्राप्त होता है
यह पुष्कर राज की बहुत पुरानी फोटो है
House Number 38, Madhav Nagar I. D. S. M. T. Colony
Pushkar
305022
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में आपको धीरे धीरे पुरे तीर्थ नगरी पुष्कर और राजस्थान की जानकारी दे रहा हू क्योंकि कोई भी व्यक्ति अगर राजस्थान घूमने आते है या राजस्थान के किसी भी टूरिस्ट पैलेस पर जाते है तो सबसे पहले उनके दिमाग में यह आता है की हम वहा जा तो रहे है परंतु हमे गाइड कोन करेगा हम वहा पर क्या क्या देखेंगे कहा पर रुकेंगे कोनसी होटल या धर्मशाला अच्छी है इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए में आपको सही जानकारी देने की कोशिश करूंगा यह सभी समस्या उन मेहमानो के लिए आती है जो उस स्थान पर पहली बार या कुछ सालो बाद आ रहा हो