01/10/2022
मनिला देवी हिन्दू मंदिर अल्मोड़ा उत्तराखंड |
Manila devi hindu temple Uttrakhand
मनिला देवी मंदिर उत्तराखंड अल्मोड़ा जिले के सल्ट क्षेत्र में स्थित है। देवदार और चीड़ ,बाज बुरॉश आदि धने वृक्षो की छाया में बसा मनीला माता का मंदिर। मनिला इस क्षेत्र का नाम है। और यहाँ स्थित देवी के मंदिर को माँ मनिला देवी मंदिर कहा जाता है।
अल्मोड़ा जिला मुख्यालय लगभग 128 किलोमीटर दूर , रानीखेत से लगभग 85 और रामनगर से लगभग 80 किलोमीटर दूर मनिला नामक स्थान पर माता का चमत्कारी मंदिर है। मनिला एक आकर्षक पर्यटक स्थल है। मनिला में देवदार, चीड़ ,बुरॉश बाज के पेड़ों की छात्र छाया से यहां का प्राकृतिक सौंदर्य निखर जाता है। मनिला पंचाचूली ,नंदा देवी , त्रिशूल आदि हिमाच्छादित शिखरों का आनंद लेने का सर्वश्रेष्ठ स्थान है।
मनिला समुद्र तट से 1850 मीटर उचाई पर स्थित है। यहाँ उचाई वाले क्षेत्रों में सेव नाशपाती, अखरोट संतरा, माल्टा ,खुबानी आदि होते हैं। तथा यहाँ के तराई क्षेत्रो में ,आम पपीता केला आदि होते हैं।
ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से मनिला क्षेत्र का बहुत महत्व है। यह एक अच्छा पर्यटक स्थल बन सकता है, किन्तु अभी तक इसको इतनी तेजी से विकास की राह नही मिली है जितनी मिलनी चाहिए थी।
माँ मनिला देवी के यहाँ 2 मंदिर हैं । एक मंदिर का नाम है, मल्ला मनिला मंदिर अर्थात ऊपर का मनिला मंदिर, मल्ला का अर्थ कुमाउनी भाषा मे ऊपर होता है। दूसरा मंदिर का नाम है , तल्ला मनिला मंदिर मतलब नीचे वाला मनिला मंदिर । तल्ला का मतलब कुमाउनी भाषा मे नीचे होता है। इसके पीछे एक प्रसिद्ध लोक कथा है। जिसे हम आपको इसी लेख में आगे बताइयेंगे।
मनिला देवी को कत्यूरी राजाओं की कुल देवी कहा जाता है। यह मंदिर कत्यूरी निर्माण शैली में बना है। कहा जाता है , कि वर्ष 1488 में कत्यूरी राजा ब्रह्मदेव ने मनिला देवी मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर में काले पत्थर से बनी दुर्गा माँ की मूर्ति तथा भगवान विष्णु की मूर्तियां स्थापित हैं। वर्ष 1977 – 78 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया।
मनिला देवी मंदिर की कहानी –
कहाँ जाता है कि प्राचीन काल मे , यहाँ मा मनीला देवी ,क्षेत्र में कुछ भी अप्रिय घटना होने से पहले लोगो को आवाज लगा कर सतर्क कर देती थी। कहा जाता है,कि एक बार दूर प्रदेश से बैलों की खरीद फरोख्त करने हेतु मनीला क्षेत्र में आये, उनको एक जोड़ी बैल पसंद भी आ गए । लेकिन मोल भाव के कारण या किसी अन्य कारण से बैलों के मालिक ने बैल देने से इंकार कर दिया। व्यापारियों को वो बैल बहुत पसंद आ गए थे। उन्होंने उन बैलों को चुराने का फैसला किया । व्यापारी जैसे ही बैल चुराने की तैयारी कर रहे थे। उसी समय माँ मनिला देवी ने बैलों के मालिक को आवाज लगा कर आगाह कर दिया। manila devi temple
माता की आवाज सुन कर व्यापारियों ने बैलों की चोरी का फैसला त्याग दिया । और वो माँ की मूर्ति अपने प्रदेश ले जाने के लिए चोरी की योजना बनाने लगे। कहा जाता है,कि उन्होंने माँ की मूर्ति उखाड़ने का बहुत प्रयास किया लेकिन उनको सफलता नही मिल पाई। और इसी खिंचा तानी में मूर्ति का एक हाथ उखड़ गया। उस टूटे हाथ को लेकर वो जैसे तैसे थोड़ी दूर तक पहुचे की ,उस हाथ का भार इतना ज्यादा हो गया कि उनको उसे, नीचे रखना पड़ा।
दुबारा उन्होंने उस हाथ को उठाने की कोशिश की तो वो असफल हो गए। वो उस हाथ को वहीं छोड़कर भाग गए। दूसरे दिन गांव वालों को इस घटना के बारे में पता चला तो, उन्होंने वही पर माता के मंदिर की स्थापना कर दी। इस प्रकार मनिला देवी के दो मंदिर मल्ला मनिला देवी और तल्ला मनीला देवी की स्थापना हुई।
मनीला देवी मंदिर का महत्व | Importance of Manila devi mandir
मनीला देवी मंदिर का ऎतिहासिक ,पौराणिक महत्त्व तो है ही, साथ साथ इसका पर्यटन की द्र्ष्टि से विशेष महत्व है। देवदार चीड़ के जंगलों के बीच सुरम्य स्थान में बसा मनिला देवी मंदिर लोगों की अटूट आस्था का प्रतीक है। यहाँ साल भर श्रद्धालुओं का तातां लगा रहता है। यहाँ मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई मन्नत ,माँ मनीला हमेशा पूरा करती है।
मनीला देवी मंदिर में नवविवाहित जोड़े मनोती मागने आते हैं,और माता रानी उनकी झोली खुशियों से भर देती है। दूर क्षेत्र से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 24 कमरे रात्रि विश्राम हेतु बनाये गए हैं।
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