13/07/2023
सिलिंग महादेव" (किन्नौर)
सौलारिंग की पहाडियां में यह स्थान हैं इस वायरल पोस्ट को पढ़े जानें।
लोक मान्यताओं के अनुसार माता गौरी ने यहीं पर भगवान शिव की प्राप्ति के लिए कठिन तपस्या की थी। उन्होंने अपने निवास स्थान के ठिक सामने #सिलिंग पर्वत के शिखर पर सिंह रूपी #शिवलिंग की स्थापना की और उस शिवलिंग की कठोर उपासना करती रही। अन्त में जब भगवान शिव, गौरी माता के तपस्या से प्रसन्न हुए तब भगवान शिव ने गौरी माता को शिव रूपी महादेव का वर प्रदान किया। गौरी माता के द्वारा उपासित वह प्राचीन शिवलिंग आज भी सिलिंग पर्वत माला के चोटी पर मौजूद है। इस शिवलिंग के दर्शन #शिमला से # किन्नौर आते वक्त कई जगहों से होते हैं। यह शिवलिंग आम लोगों में उतना प्रसिद्ध नहीं है, जितने की अन्य शिवलिंग है। जब कि यह शिवलिंग पौराणिक और मानव के समझ से परे, देवों के पूजनीय #शिवलिंग है। गौरी माता द्वारा पूजित शिवलिंग किन्नौर के निचार खण्ड में आता है। यह शिवलिंग #सुंगरा (ग्रोसनम) गांव के सामने सतलुज नदी के दुसरी ओर #सौलारिंग गांव के ऊपर सिलिंग पर्वत की चोटी पर स्थित है। इस पर्वत का नाम सिलिंग ( सिंह शिव लिंग) के कारण पड़ा । सिलिंग पर्वत प्रसिद्ध धौलाधार पर्वत माला का हिस्सा है। सिलिंग पर्वत की दुसरी तरफ "वाङपो घाटी" (भावा वैली) है। सौलारिंग से शिवलिंग तक पहुंच पाना नामुम्किन ही नहीं बल्कि असम्भव है। लेकिन भावा घाटी के #मुलिंग से केवल साहसी लोग उक्त शिवलिंग तक पहुंचने का साहस कर सकते है। आप... नारकंडा, किंगल, झाखड़ी, सराहन और तराण्डा, पौण्डा, बरी, काचे, कंगोस यानी पुरे क्षेत्र से इस शिवलिंग के साफ दर्शन कर सकते है। पौण्डा गांव के "थानङ कौलधारङ" से इस शिवलिंग के अविश्वसनीय दर्शन करने को मिलते है!
ग्रोसनम की गौरी माता आज के युग में भी इस शिवलिंग की पुजा नियम अनुसार करती है। यह शिवलिंग मानव के अलावा देवों के द्वारा पुजित, आलौकिक शिवलिंग है। जिसका रूप #सिंह और #हुवाहु लिंग जैसा है। यह सिंलिंग एक दिव्य लिंग है, जिसके दर्शन मात्र से आत्मशुद्धी के साथ साथ मानवीय इच्छाओं की पूर्ति भी होती है। क्योंकि यह शिवलिंग केवल देवों द्वारा पूजित शिवलिंग है। जब भी मानव इस दिव्य शिवलिंग के दर्शन करता है तो उस की अत्या रूह कांप उठती है। इस शिवलिंग के दर्शन एवं पूजा से पूर्व माता गौरी और महादेव जी का आशीर्वाद अवश्य लें।
Kinnaur Ab Tak