06/03/2022
बस्तर के मलंग....
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बस्तर के मलंग....
आज से लगभग 47 वर्ष पूर्व छोड़े गए अंतरिक्ष यान, सुदूर अंतरिक्ष में अनंत की ओर अग्रसर होते हुए वायज़र - 1 लगभग 40,000 वर्षों के बाद संभवतः ए सी. - 793888 नामक सितारे से जो कैमलोपारडा नामक नक्षत्र समूह में स्थित है - 149 खरब कि.मी. की दूरी से गुज़रे एवं वायज़र - 2 लगभग 2,96,000 कि.मी. वर्षों बाद संभवतः लुब्धक सितारे जो धरती से 400 खरब कि.मी. दूर स्थित है ; के समीप से गुजरे, अगर ये यान किसी कारणवश नष्ट न हुए तो युगों तक आकाश गंगा के असीमित क्षेत्र की यात्रा करते रहेंगे, और किसी ऐसे ग्रह के पास से गुज़रें जहाँ बुद्धिमान प्राणी रहते हों।
इस तरह यह पहला अवसर है जब मानव निर्मित वस्तु सौरमंडल के बाहरी छोर पर दस्तक दे रही है। इनके द्वारा पृथ्वी पर भेजी गयी सूचनाओं से अनेक मिथक और भ्रांतियों भी टूट गयी हैं,और संभवतः हमें ऐसी और सूचनाएं मिलें जो अभी असंभव प्रतीत होती हों।
वानर से मनुष्य बनने, पारलौकिक जीवन,धर्म के पीछे कई अवधारणा अब तक प्रचलित हैं, और हम मनुष्य उस पर विश्ववास करते आये हैं। इन विश्वासों को मिथक और भ्रान्ति भी कहा जाता है, पर क्या पता यही विज्ञान कल इन्हें स्वीकार कर ले !
विश्व के सभी धर्मों में पारलौकिक जीवन पर भिन्न धारणायें प्रचलित हैं, बस्तर (छत्तीसगढ़) के आदिवासियों में भी मृत्यु को लेकर एक विश्वास है कि मृतात्मा ही उनके सुख दुख का कारण है, और इन आत्माओं को पेन या देव कहा जाता है।इन्हीं मृतात्माओं को सम्मान देने वार्षिकोत्सव का आयोजन किया जाता है। इनके कई स्वरूप होते हैं - आंगा,कोला,डांड,प्रेत और अन्य।
यह समुदाय मृतात्माओं का विशिष्ट पद्धति से आव्हान करता है, और इस कार्य को करने वाले ही सिरहा कहलाते हैं,जो मनुष्य और आत्माओं के मध्य पुल का काम करते हैं।
https://youtu.be/sWOq1A6XyvU
बस्तर (छत्तीसगढ़) में विभिन्न प्रकार के खाद्य व पेय प्रचलित हैं। पेय के रूप में महुआ,केला,तेंदू,जाम फल आदि से निर्मित शराब, चाँवल से निर्मित लांदा, प्राकृतिक पेय के रूप में सल्फ़ी, छिंद, ताड़ी का उपयोग सामान्य है।
वैसे तो आदिवासी संस्कृति काफ़ी प्राचीन है। इनकी जीवन शैली,कला,संस्कृति व संस्कारों का अलिखित विवरण, पारंपरिक रूप से गोटुल और जन श्रुतियों, गीत व नृत्य के माध्यम से हस्तांतरित होता आया है। पराली-बोदल ग्राम के धुरवा जनजाति से संबंध रखने वाले इस बुज़ुर्ग से हमें सुनने को मिली, महुआ शराब के अस्तित्व की कहानी।
आप भी सुनिए।
आदिवासी सियान ने सुनाया महुआ शराब कब से पिया जाना शुरू हुआ Bastar Tribal Villageआदिवासी क्यो बनाते है देशी दारू सुनिये पूरी कहा....
वर्ष 2007 से हमने अपने गाँव छोटेकवाली में देसी और विदेशी पर्यटकों के लिए अपने घर को खोल दिया था, तब से अब तक सैकड़ों पर्यटक और यात्री अनवरत आ रहे हैं और बस्तर के लोक जीवन, कला, संस्कृति और यहां की नैसर्गिक सुंदरता को आत्मसात कर रहे हैं। इससे न केवल बस्तर की छवि वरन स्थानीय लोगों को रोज़गार मिला, आज हमारे साथ यश नागेश, गिनता नागेश, लंबरु नाग, मोगरा नाग, खगेश्वर नाग, महेश सागर, विजय बारसे, शंकर बारसे, नरेंद्र पोयाम, मेघप्रकाश सरपा, तरुण कुर्रम, रेनुका सिंह जैसे कई युवा जुड़ कर पर्यटन व्यवसाय को नई दिशा और दशा दे रहे हैं।
राज्य शासन के अतिरिक्त ज़िला प्रशासन भी अब इसमें अपनी सक्रीय भूमिका निभा रहा है, जिसके कारण नए युवा भी लगातार जुड़ते जा रहे हैं।
यदि कोई व्यक्ति इस विधा को अपनाना चाहता हो तो निश्चित रूप से उसे हमारा आवश्यक सहयोग मिलेगा, आप हमसे इस नम्बर पर संपर्क कर सकते हैं - 8319846855
धुरवा जनजातीय लोक गीत
बस्तर में देवी देवताओं का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कोई व्यक्ति बीमार है, आर्थिक समस्या है, खेती किसानी में बाधा है, फसल लगाना हो, फसल काटना हो, या जीवन का कोई भी कार्य हो...देवताओं की अनुमति और सहमति अति आवश्यक है।
देवताओं के प्रति अपना सम्मान और आभार प्रकट करने एक उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें समस्त देवी देवता आमंत्रित होते हैं। बस्तर में इसे जतरा या जात्रा भी कहा जाता है।
Sundi Para, Primry School Road, Chhotekawali
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आज से लगभग 47 वर्ष पूर्व छोड़े गए अंतरिक्ष यान, सुदूर अंतरिक्ष में अनंत की ओर अग्रसर होते हुए वायज़र - 1 लगभग 40,000 वर्षों के बाद संभवतः ए सी. - 793888 नामक सितारे से जो कैमलोपारडा नामक नक्षत्र समूह में स्थित है - 149 खरब कि.मी. की दूरी से गुज़रे एवं वायज़र - 2 लगभग 2,96,000 कि.मी. वर्षों बाद संभवतः लुब्धक सितारे जो धरती से 400 खरब कि.मी. दूर स्थित है ; के समीप से गुजरे, अगर ये यान किसी कारणवश नष्ट न हुए तो युगों तक आकाश गंगा के असीमित क्षेत्र की यात्रा करते रहेंगे, और किसी ऐसे ग्रह के पास से गुज़रें जहाँ बुद्धिमान प्राणी रहते हों। इस तरह यह पहला अवसर है जब मानव निर्मित वस्तु सौरमंडल के बाहरी छोर पर दस्तक दे रही है। इनके द्वारा पृथ्वी पर भेजी गयी सूचनाओं से अनेक मिथक और भ्रांतियों भी टूट गयी हैं,और संभवतः हमें ऐसी और सूचनाएं मिलें जो अभी असंभव प्रतीत होती हों। वानर से मनुष्य बनने, पारलौकिक जीवन,धर्म
बस्तर में देवी देवताओं का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कोई व्यक्ति बीमार है, आर्थिक समस्या है, खेती किसानी में बाधा है, फसल लगाना हो, फसल काटना हो, या जीवन का कोई भी कार्य हो...देवताओं की अनुमति और सहमति अति आवश्यक है। देवताओं के प्रति अपना सम्मान और आभार प्रकट करने एक उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें समस्त देवी देवता आमंत्रित होते हैं। बस्तर में इसे जतरा या जात्रा भी कहा जाता है। #culturaltours #culturetrip #culturetravel #tribalfestival #travelindia #indiantraveller #outlooktraveller #offbeattravel #traveltolearn #bastartourism #chhattisgarhheritage #chhattisgarh #chhattisgarhtourism #festivalsofindia #bastardiaries #gondtribe #incradibleindia #storiesofindia #culturaltours #indiatours #spritualtravel #touristattraction #tourguide_shakeelrizvi #aboriginalculture #aboriginaltours #discover_india #india_undiscovered #roamtheplanet #touristdestination #touristattraction
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