Gaurav tour and travels

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सुबह ठीक 11:15 बजे गंगोत्री धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे। वहीं, मां यमुना की डोली मंगलवार सुबह शीतकालीन पड़ाव खरसाली से रव...
03/05/2022

सुबह ठीक 11:15 बजे गंगोत्री धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे। वहीं, मां यमुना की डोली मंगलवार सुबह शीतकालीन पड़ाव खरसाली से रवाना हुई और दोपहर 12:15 बजे यमुनोत्री धाम के कपाट खुल गए हैं

28/04/2022

Uttarakhand joshimath सलूड रमवाण

27/04/2022
17/03/2022

Bhramtall trek

पीले-पीले सरसों के फूल, पीली उड़ी पतंगरंग बरसे पीले और छाए सरसों की उमंगजीवन में आपके रहे हमेशा बसंत के ये रंगआपके जीवन ...
05/02/2022

पीले-पीले सरसों के फूल, पीली उड़ी पतंग
रंग बरसे पीले और छाए सरसों की उमंग
जीवन में आपके रहे हमेशा बसंत के ये रंग
आपके जीवन में बनी रहे खुशियों की तरंग
हैप्पी बसंत पंचमी 2022

26/01/2022

समस्त देशवासियों को 73वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। "आज़ादी का अमृत महोत्सव" के पावन अवसर पर भारतीय परंपराओं को सुदृढ़ करने तथा भारत को "विश्व गुरु" बनाने में योगदान देने का संकल्प लें

26/01/2022

# राजपथ पर दिखेगी देवभूमि उत्तराखंड कि दिव्य

अपने जीवन में कभी शब्दों को कम मत आंकियेक्योंकि जीवन में एक छोटा सा हां और एक छोटा साना सब कुछ बदलकर रख देता है।
25/01/2022

अपने जीवन में कभी शब्दों को कम मत आंकिये
क्योंकि जीवन में एक छोटा सा हां और एक छोटा सा
ना सब कुछ बदलकर रख देता है।

पहली गोली हमारी नही होगी पर उसके बाद हम गोलियों की गिनती भी नहीं करेंगे!🥺    Never Die 💔🇮🇳
09/12/2021

पहली गोली हमारी नही होगी पर उसके बाद हम गोलियों की गिनती भी नहीं करेंगे!🥺
Never Die 💔🇮🇳

04/11/2021

Happy diwali
Gourav tour and travel
Famali

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20/08/2021

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"आपको और आपके परिवार को फूलदेई पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।।आप सभी का जीवन फूलों की खुशबू की तरह महकता रहे।।""💐💐🌺💐🍁🍂🌹🌹सुप...
14/03/2021

"आपको और आपके परिवार को फूलदेई पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।।आप सभी का जीवन फूलों की खुशबू की तरह महकता रहे।।""
💐💐🌺💐🍁🍂🌹🌹

सुप्रभात.......🙏🙏फूलदेई त्यौहार उत्तराखंड का एक प्यारा सा लोक पर्व

हिन्दू नववर्ष के स्वागत का पर्व ,
उत्तराखंड की लोक संस्कृति से जुडा पर्व हैं फूलदेईं।

उत्तराखंड अपनी खूबसूरत वादियों , झीलों , ऊंचे ऊँचे पहाड़ , नदियों व खूबसूरती से भरे हिमालय के दर्शन के लिए जाना जाता है । और यहा पर प्रकृति द्वारा बिना कहे दिए जाने वाले अनगिनत उपहारों के बदले प्रकृति को धन्यवाद देने हेतु अनेक त्यौहार मनाए जाते है । उनमें से एक त्यौहार है फूलदेई (phool-dei) या फूल संक्रांति ।

कब मनाया जाता है फूलदेई त्यौहार।

फूलदेई हर वर्ष चैत्र मास की संक्रांति को मनाया जाता है । यह चैत्र मास का प्रथम दिन माना जाता है । और हिंदू परंपरा के अनुसार इस दिन से हिंदू नव वर्ष की शुरुवात होती है । यह त्यौहार नववर्ष के स्वागत के लिए ही मनाया जाता है । इस वक्त उत्तराखंड के पहाडों में अनेक प्रकार के सुंदर फूल खिलते हैं । पूरे पहाड़ रंग बिरंगे फूलो से सज जाते है । और बसंत के इस मौसम में खुमानी, पुलम , आडू , बुरांश और भी बहुत सारे फूल खिल कर अपनी खुशबु से चारो तरफ के वातावरण को खूबसूरत बना देते है । जहां पहाड़ बुरांश के सुर्ख लाल चटक फूलों से सजे रहते है वही घर आँगन में लगे खुमानी, आडू के पेडों में सफेद व हल्के बैगनी रंग के फूल खिले रहते है ।

कैसे मनाया जाता है फूलदेई त्यौहार

चैत्र मास की संक्रांति के दिन या चेत्र माह के प्रथम दिन छोटे-छोटे बच्चे जंगलों या खेतों से फूल तोड़ कर लाते है । और उन फूलों को एक टोकरी में या थाली में सजा कर सबसे पहले अपने देवी देवताओं को अर्पित करते है । उसके बाद वे पूरे गांव में घूम -घूम कर गांव की हर देहली( दरवाजे) पर जाते हैं । और उन फूलों से दरवाजे देहली पूजन करते हैं । यानि दरवाज़ों में उन सुंदर रंग बिरंगे फूलों को बिखेर देते है । साथ ही साथ एक सुंदर सा लोक गीत भी गाते है ।
” फूलदेई…. छम्मा देई
देंणी द्वार… भर भकार
फूलदेई…. छम्मा देई “

यह भी पढ़े – एक दिन में कई मौसम देखने है तो इस जन्नत में आईये

उसके बाद घर के मालिक द्वारा इन बच्चों को चावल. गुड़ .भेट या अन्य उपहार दिए जाते हैं । जिससे ये छोटे-छोटे बच्चे बहुत प्रसन्न होते हैं ।इसीं तरह गांव के हर दरवाज़े का पूजन कर उपहार पाते है । यह प्रकृति और इंसानों के बीच मधुर संबंध को दर्शाता है ।जहा प्रकृति बिना कुछ कहे इंसान को अनेक उपहारों से नवाज देती है । और बदले में प्रकृति का धन्यवाद उसी के दिए हुए इन प्राकृतिक रंग बिरंगे फूलों को देहली में सजाकर किया जाता है ।

विशेष व्यंजन

इस दिन वैसे तो शाम को तरह तरह के व्यंजन बनाए जाते है । मगर चावल से बनने वाला सई ( शैया) विशेष तौर से बनाया जाता है । चावल के दानो को दही में मिलाया जाता है । फिर उसको लोहे की कड़ाई में घी डालकर पकने तक भूना जाता है । उसके बाद उसमें स्वादानुसार चीनी और मेवे डाले जाते है यह अत्यंत स्वादिष्ट और विशेष तौर से इस दिन खाया जाने वाला व्यंजन

हमारी प्रज्ञा और विवेक ,बुद्दी को संरक्षित करने वाली माँ सरस्वती पूजन ।।और सरद ऋतु के समापन व ऋतुराज बसंत ऋतु यानि की बस...
16/02/2021

हमारी प्रज्ञा और विवेक ,बुद्दी को संरक्षित करने वाली माँ सरस्वती पूजन ।।और सरद ऋतु के समापन व ऋतुराज बसंत ऋतु यानि की बसंत पंचमी के आगमन पर। सभी के जीवन में उमंगे व नयी आसओ की नयी किरणें आयें ।और जिस तरह जगत का हर पौधा यौवन की अवस्था में आता है उसी तरह सभी के जीवन में उमंगे से भरा हुआ ।।नयी दिशाओं में संचारित होता रहे ।।
सभी को बसंत पंचमी की अनंत शुभकामनायें व बधाइयाँ ।।।!!!

07/02/2021

आवश्यक सूचना
आम जनमानस को सूचित किया जाता है की चमोली जोशीमठ तपोवन रेडी क्षेत्र मे ग्लेशियर टूटने की वजह से आई भारी सुनामी जिस कारण जल का स्तर बढ़ता ही जा रहा है अलकनंदा नदी के किनारे जो भी लोग रह रहे हैं उनसे अपील की जाती है कि जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों की तरफ चले जाए ताकि आप लोगों को जान की हानि ना हो घर एक बार टूट जाए तो दोबारा बन सकता है लेकिन जिंदगी बार-बार नहीं आती 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 जनहित में जारी

देश की जल सीमाओं और सागर संपदा के सजग प्रहरी, अदम्य साहस और पूर्ण निष्ठा से देशसेवा में समर्पित सभी भारतीय नौ-सैनिकों को...
04/12/2020

देश की जल सीमाओं और सागर संपदा के सजग प्रहरी, अदम्य साहस और पूर्ण निष्ठा से देशसेवा में समर्पित सभी भारतीय नौ-सैनिकों को कोटिशः नमन एवं आप सभी को 'भारतीय नौसेना दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएं।

आपके राष्ट्रप्रेम और कर्तव्य परायणता से ही हम सुरक्षित और गौरवान्वित महसूस करते हैं। भारतीय नौसेना के सभी वीर योद्धाओं को उनके शौर्य के लिए कोटिशः नमन।!!!
( tour and travels,)

Happy Guru Nanak Jayanti (Gurpurab) 2020 Wishes Images, Status, Quotes,  # सिखों का सबसे बड़ा त्योहार गुरु पर्व यानी गुर...
30/11/2020

Happy Guru Nanak Jayanti (Gurpurab) 2020 Wishes Images, Status, Quotes, # सिखों का सबसे बड़ा त्योहार गुरु पर्व यानी गुरु नानक जयंती ही माना जाता है। सिखों के प्रथम गुरु व इस समुदाय के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्मदिन गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती कार्तिक के महीने में पूर्णिमा के दिन होती है, इस कारण इसे कार्तिक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। 15 अप्रैल 1469 को पाकिस्तान के वर्तमान शेखपुरा जिले में राय-भोई-दी तलवंडी में जन्में गुरु नानक जी का मन शुरू से ही धार्मिक गतिविधियों में लगता था।

इस खास मौके पर सिख धर्म के लोग नए कपड़े पहनते हैं और गुरुद्वारों में जाते हैं। गुरु नानक जयंती की सुबह गुरुद्वारे में प्रभात फेरी के साथ शुरू होती है। इस दिन लोग गुरुद्वारे में वाहे गुरु का नाम जपते हैं, शबद-कीर्तन और भजन-गायन का आयोजन भी होता है।
गुरु पर्व के मौके पर आप अपने परिजनों व दोस्तों को शुभकामना भरे संदेश भेज सकते हैं –

खालसा मेरा रूप है खास,
खालसे में ही करूं निवास,
खालसा अकाल पुरख की फौज,
खालसा मेरा मित्र कहाए,
खालसा दे जन्मदिन दी
सब को लख-लख बधाई।

राज करेगा खालसा, बाके रहे ना कोए,
वाहेगुरु जी का खालसा वाहे गुरु जी की फ़तेह..!!
हैप्पी गुरु नानक जयंती

गुरु नानक देव जी के सद्कर्म,
हमे सदा दिखाएंगे राह,
वाहे गुरु के ज्ञान से,
सबके बिगड़े हुए कामकाज बन जाएंगे,
गुरु नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।

सतगुरु सब दे काज संवारे
आप सब को प्रथम सिख गुरु
नानक देव जी के जन्म दिवस की
हार्दिक बधाइयां

खुशियां और आपका जन्म जन्म का साथ हो,
हर किसी की जुबान पर आपकी हंसी की बात हो।
जीवन में कभी कोई मुसीबत आए भी,
तो आपके सिर पर गुरु नानक का हाथ हो।
गुरु पर्व की शुभकामनाएं
30 NOV 2020
राज करेगा खालसा...
राज करेगा खालसा,
बाके रहे ना कोए।
वाहे गुरु जी का खालसा
वाहे गुरु जी दी फ़तेह
हैप्पी गुरु नानक जयंती!!!!!!

 #कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं होता, तबीयत से एक पत्थर उछाल के तो देखो यारो।।, यह कहानी हमारे ग्राम सभा वाण के एक य...
21/11/2020

#कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं होता, तबीयत से एक पत्थर उछाल के तो देखो यारो।।, यह कहानी हमारे ग्राम सभा वाण के एक युवा की है जिन्होंने हाल में ही उत्तराखंड के high altitude trek ronti saddle मैं एक रिकॉर्ड कायम किया था, उसके बाद हाल में ही भारत के लिए प्रतिभाग कर मनाली ट्रैक को जो कि 60 किलोमीटर 9 घंटे 46 मिनट में पूरा कर प्रथम स्थान प्राप्त कर एक नया रिकॉर्ड कायम किया है , इसे क्वालीफाई करने के लिए 14 घंटे का समय तय किया था, बड़े भाई को बहुत बहुत शुभकामनाएं, आपने हमारे क्षेत्र का नाम नहीं बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन किया है,
अल्ट्रा वारियर नैनीताल ट्रेल मैराथन सेकेंड एडिशन 50 किमी
प्रथम स्थान #कलम सिंह बिष्ट मंदोली चमोली उत्तराखंड
ने प्राप्त किया जिसको क्वलीफाई करने का टाइम 12 घंटे था । जो उन्होने 5 घंटे 46 सेकेंड मै फिनिश किया द्वितीय स्थान कलम सिंह बिष्ट वाण चमोली उत्तराखंड ने प्राप्त किया जिनका टाइम था 5 घंटा 7 मिनट में पूरा करा तृतीय स्थान शास्वत राव ने प्रप्त किया जिनका टाइम था 5 घंटा 14 मिनट
हिमाचल प्रदेश से है
इसको आई टी आर के नाम से जाना जाता जिसका पूरा नाम internetnal ट्रेल run है।!!!!!

केदारखांटा विंटर ट्रेक की शुरुआत जानते हैं दिन 1: देहरादून से सांकरी (10-11 बजे) दिन 2: शक से जुदा का तालाब दिन 3: जूडा ...
05/11/2020

केदारखांटा विंटर ट्रेक की शुरुआत जानते हैं
दिन 1: देहरादून से सांकरी (10-11 बजे)
दिन 2: शक से जुदा का तालाब
दिन 3: जूडा का तालबा से केदारकांठा बेस
दिन 4: केदारकांठा चोटी केदारकांठा आधार; हर गाँव में उतरना
दिन 5: हर गाँव से सांकरी
दिन 6: ड्राइव वापस देहरादून

विस्तृत यात्रा कार्यक्रम
दिन 1 - सांकरी में आगमन
विदेशी और आकर्षक केदारकांठा ट्रेक देहरादून शहर से शुरू होता है। यात्रा के लिए ट्रेकर्स यात्रा शुरू होने से एक दिन पहले या शुरू होने की तारीख से 6 बजे पहले ही देहरादून पहुंच जाना चाहिए। सांकरी की ओर आगे की यात्रा के लिए सुबह 6:30 बजे देहरादून से अधिकृत निजी द्वारा ट्रेकर्स को गर्मजोशी से प्राप्त किया जाएगा। संकरी राष्ट्रीय राजमार्ग 123 पर 220kms की दूरी पर स्थित है। यह एक टाटा सूमो या एक समान वाहन पर एक लंबी दर्शनीय ड्राइव है जो ट्रेकर्स को पूर्ण आराम प्रदान करती है ताकि वे स्थान की सुंदरता का आनंद ले सकें। यह प्राकृतिक परिवेश है जो गंतव्य तक पहुंचने की खुशी को बढ़ाता है और रोमांचकारी दौरे का आनंद उठाता है जो अभी तक अनुभव नहीं है। यात्रा एक लंबी है और गंतव्य तक पहुंचने में लगभग शाम लगती है। बीच में लोकप्रिय भोजनालयों में लंच ब्रेक का आनंद ले सकते हैं, जिसमें कुछ स्थानीय भोजन और घर के बने मसाले होंगे। आखिरी 22 किलोमीटर सांकरी के बाद से और अधिक रोमांचक है क्योंकि यह गोविंद नेशनल पार्क के माध्यम से यात्रा करता है जो इस क्षेत्र के विशिष्ट फूलों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है और देश के किसी अन्य स्थान पर नहीं पाया जाता है। सांकरी पहुंचने का अपेक्षित समय शाम 5 बजे है लेकिन चूंकि कुछ क्षेत्रों में सड़कें थोड़ी ऊबड़ खाबड़ और उबड़-खाबड़ हैं, इसलिए समय थोड़ा लंबा हो सकता है। हालांकि गंतव्य तक पहुंचने पर कोई भी पहले से बुक किए गए होटल में जांच कर सकता है और हमारे प्रतिनिधि औपचारिकताओं में जांच में मदद कर सकते हैं। तरोताजा होने के बाद, क्योंकि शाम खाली समय के लिए मुफ्त है, कोई भी घर के अंदर आनंद ले सकता है और आराम कर सकता है या सुंदर सांकरी गांव का पता लगाने के लिए बाहर सेट कर सकता है जहां स्थानीय दुकानें और छोटे बाजार हैं जो ज्यादातर दैनिक सामान बेचते हैं और कुछ ढाबों का संग्रह है। बीएसएनएल का नेटवर्क यहां काफी अनिश्चित है इसलिए फोन लाइनों को प्राप्त करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। हालाँकि, सांकरी से ग्रेटर हिमालय पर डूबते सूरज की प्राकृतिक सुंदरता एक शानदार दृश्य है। एक होटल के परिसर में रात का भोजन कर सकता है या कुछ स्थानीय स्वादों का स्वाद लेने और क्षेत्र के व्यंजनों का अनुभव करने के लिए ढाबों पर रात के खाने का आनंद ले सकता है। रात को होटल में रहना।

दिन २ -संकरी से जूडा-का-तालाब
हालांकि यह दौरा देहरादून से शुरू होता है लेकिन ट्रेकिंग यात्रा केवल सांकरी से शुरू होती है। होटल में एक स्वस्थ नाश्ते के बाद एक शुरुआती शुरुआत के बाद यह सीधे जुदा का तालाब की ओर जाता है जो 9100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह 4 किमी की ट्रेकिंग यात्रा है और इसके पहुंचने का अनुमानित समय लगभग 5 घंटे है। यात्रा सोंरी गाँव से निकलकर सोर नामक एक विस्तार से शुरू होती है। एक बार जब गाँव को पार कर लिया जाता है तो सड़क चौड़ी होती है और तेजी से चढ़ती है। धारा के साथ चलते हुए यह वह सड़क है जो केदारकांठा की ओर बढ़ती है। प्रारंभिक चढ़ाई घने जंगल के पेड़ों और मैपल और देवदार के मोटे कालीन के माध्यम से कई पुलों पर चढ़ते हुए सभी भूरे रंग की होगी। यह एक उत्कृष्ट दृष्टि और एक सचित्र दृश्य है जो सभी को मंत्रमुग्ध कर देता है। पगडंडी चौड़ी है और सभी के माध्यम से चलने वाली धाराओं की आवाज़ सुन सकते हैं, लेकिन बहुत आगे तक देखने में नहीं हो सकता है। रास्ते में दूर-दराज के गाँव देखे जा सकते हैं जहाँ महिलाएँ और बच्चे लकड़ी के लट्ठों, लकड़ी के डंडों और सूखी पत्तियों के बंडलों को घर में पकाने और रात में आग लगाने के लिए इस्तेमाल करते पाए जाते हैं। रास्ते में सूखे मेपल और ओक के पत्तों को उखाड़ते हुए, हिमालयी लैंगर को पेड़ों की एक शाखा से दूसरी में झूलते हुए भी देख सकते हैं। यद्यपि वे कुछ शर्मीले जानवर हैं, लेकिन उनके लिए एक वीरतापूर्ण दृष्टिकोण रखना मुश्किल है क्योंकि वे दृष्टि की सीमा से जल्दी चलते हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र में सूअर, मार्टेंस और हार्स भी देखे जा सकते हैं। परिदृश्य हालांकि गर्मियों के महीनों में बहुत बदल जाता है जब सुस्वाद घास के मैदान अद्वितीय प्रकार के पहाड़ी फूलों के साथ हरे रंग के रहते हैं। कुछ धाराओं को पार करते हुए और ट्रेल के माध्यम से जारी रखने और घने ओक्स के माध्यम से तेज होने के कारण, जदु का तालाब के सुंदर सचित्र स्थान तक पहुंच सकता है जो कि इसके तेज विपरीत और अद्वितीय सुंदरता के कारण किसी भी ट्रेकर द्वारा कभी भी याद नहीं किया जा सकता है। Jadu Ka talab एक बहुत ही सही गंतव्य है। बाईं तरफ एक विशालकाय झील और दाईं ओर घने देवदार और ओक के जंगल का तेज विपरीत, एक आकर्षक माँ प्रकृति की गोद और आदर्श शाम बिताने के लिए एक आदर्श शिविर है। सबसे अच्छे क्षेत्र का पता लगाने के लिए व्यक्ति फ़ोटोग्राफ़ी या नेचर वॉक जैसी गतिविधियों में संलग्न हो सकता है। रात के समय में साफ आसमान के नीचे कुछ गर्म पेय के साथ रात का खाना साझा करने के लिए कैम्प फायर भी एक अच्छा विचार हो सकता है। रात का आकाश हालांकि चमकदार और चमकते सितारों के साथ आंखों के लिए एक शानदार आभा है जो सभी ट्रेकर्स के लिए सुखद है। रात भर सोने की व्यवस्था टेंट में की जाती है।

दिन 3-जूडा-का-तालाब से केदारकांठा बेस
नशे की यात्रा दिन पर दिन जारी रहती है, जहां ट्रेकर्स केदारकांठा बेस की ओर जाने के लिए प्रेरित होते हैं, जो 11, 250 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। जदु का तालाब से इस गंतव्य की दूरी लगभग 4kms है और मध्यम गति में इस जगह तक पहुंचने में लगभग 2.5 घंटे लगते हैं। अगली सुबह की यात्रा के लिए सुबह का नाश्ता करने के बाद, जहाँ का रास्ता कुछ आगे सीधा है और काफी दर्शनीय है। ट्रैक फिर से चीड़ और ओक के पेड़ों के घने जंगलों के माध्यम से शुरू होता है और केवल खड़ी रिज और बहुत अधिक घने क्षेत्रों के माध्यम से। इस पगडंडी में कई लोग खुले घास के मैदानों में कई चरवाहों की झोपड़ी में आएंगे जो देखने में समान रूप से रमणीय हैं। लगभग 10,400 फीट की ऊंचाई पर कोई भी ट्रैक पर और उसके आसपास बर्फ के निशान की कल्पना कर सकता है, अगर वह सर्दियों के महीनों का ट्रैकिंग हो। शुष्क ओक के जंगलों, फैली घास के मैदानों और चरवाहों के आसपास गलियों के माध्यम से घुमावदार सड़कों के साथ राह केदारकांठा बेस तक जाती है। बीच में एक लंबे समय तक शरीर को फिर से संगठित करने और क्षेत्र में प्राकृतिक असाधारणता के रोमांचकारी दृश्य प्राप्त करने के लिए एक लंबा ब्रेक ले सकते हैं। केदारकांठा बेस पहुंचने से ठीक पहले एक बंदर के बर्फ से ढके पहाड़ों के आकार के आकर्षक दृश्य का आनंद ले सकते हैं जिसमें बंदरपून, स्वर्गारोहिणी, काला नाग और रंगलाना शामिल हैं जो अपनी सुंदरता को दिखाते हुए गर्व से खड़े हैं। आधार तक पहुंचने के बाद, तम्बू को एक पसंदीदा चयनित स्थान पर स्थापित करें जो खुला है और एक रात के आकाश के स्पष्ट दृश्य का आनंद ले सकता है। हालांकि यह अंधेरे में बहुत बिखरे हुए तरीके के बजाय करीबी समूह पर आधारित होने की सलाह दी जाती है। शाम का आसमान चमकते सितारों और चमकते ग्रहों के साथ सूरज की परिक्रमा करते हुए उतना ही खूबसूरत है। जैसे-जैसे रात बढ़ती है दृष्टि एक छोर से दूसरे छोर तक खींचते हुए मिल्की के रास्ते के साथ और अधिक आकर्षक होती जाती है, सितारों का घना नेटवर्क और पहाड़ की चकाचौंध चरम सब एक साथ आते हैं जो खौफनाक दृश्य प्रदान करता है जो मन में अंकित रहता है। हालाँकि इतनी ऊँचाई में शीत लहरों का होना संभव है इसलिए सुरक्षा के लिए उचित ऊनी कपड़े ले जाने चाहिए। रात भर तंबू में सोते रहे।

दिन 4 - केदारकांठा का आधार केदारकांठा चोटी, हरगाँव शिविर तक जाता है
ट्रेक का चौथा दिन केदारनाथ चोटी को जीतने के लिए नियत है। आज ट्रेकर्स को 11,250 फीट से 12,500 फीट की ऊंचाई तक जाने की जरूरत है। दिन के शेड्यूल में केदारकांठा चोटी तक पैदल यात्रा और फिर से हरगांव कैंप तक उतरना शामिल है जो 89,000 फीट पर आधारित है। कुल यात्रा में कुल 6kms शामिल हैं और मध्यम गति में लगभग 7 घंटे का समय लगता है। आदर्श रूप से यह एक लंबा दिन है, लेकिन आने-जाने वालों का उत्साह और चरम पर विजय प्राप्त करना आगंतुकों के लिए आगे आने वाली चुनौतियों की तुलना में कहीं अधिक और अधिक योग्य होगा। दिन की शुरुआत एक नाश्ते से होती है और केदारकांठा घास के मैदान से सूर्योदय का आनंद लेते हैं, जो एक अद्भुत, शुद्ध और दिव्य है। एक सुबह की सूरज की पहली किरणों में बास कर सकता है और आने वाले दिन के लिए जितना संभव हो उतना ऊर्जावान हो सकता है। यहां तक ​​कि इन घास के मैदानों से सुंदर चोटी की कल्पना भी की जा सकती है जो उत्साह को बढ़ाती है। शीर्ष का रास्ता कई पगडंडियों के माध्यम से बनाया जा सकता है, लेकिन मुख्य पगडंडी पर ले जाना बेहतर है क्योंकि यह एक समतल स्तर पर बढ़ता रहता है। इस मार्ग पर, ट्रेकर्स को फिर से ओक वन के कुछ हिस्सों को कवर करने की आवश्यकता है लेकिन इस निशान के माध्यम से यात्रा बहुत आसान और तेज है। अपने अंत तक जंगल से गुज़रते हुए, केदारकांठा चोटी को बहुत करीब से जान सकते हैं। पगडंडी के अंत की ओर और ऊपर की ओर ट्रेक थोड़ा मुश्किल हो जाता है और विशेष रूप से पहली बार ट्रेकर्स के लिए थोड़ा कठिन हो सकता है। हालांकि शीर्ष और अद्भुत स्थान से दृश्य प्रयास के लायक है। शिखर के शीर्ष पर भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित एक सुंदर अभी तक छोटा सा मंदिर है। भगवान गणेश का एक छोटा मंदिर भी है। उत्तराखंड की बर्फ से ढकी चोटियों के गिरफ्तार किए गए 360 दृश्य नशे में हैं और शब्दों से परे हैं। कोई कुछ समय के लिए शीर्ष पर आराम कर सकता है और प्रकृति की जादुई सुंदरता का आनंद ले सकता है और फिर दोपहर तक बेस कैंप की ओर उतर सकता है। शिविर में पहुंचने के बाद दोपहर के भोजन और जलपान के लिए ब्रेक लें। एक बार आराम करने के बाद, हरगाँव शिविर के लिए नीचे उतरें। इस बार फिर, यह घने ओक के जंगलों, देवदार और मेपल के पेड़ों, चरवाहों की झोपड़ियों और जमे हुए नदियों के माध्यम से एक यात्रा है। स्थान की सुंदरता को पसंद करते हुए और नियमित क्लीयरिंग का आनंद लेते हुए, जो केदारकांठा यात्रा के लिए अद्वितीय है, आगे चलकर होरेगाँव कैम्पस तक पहुंचती है। शिविरों में पहुंचने पर तम्बू को सेट करें और रात के खाने के साथ एक और रमणीय दिन के अंत को चिह्नित करें और रात भर तम्बू में सोएं। हालांकि उत्साही यात्रियों के लिए यहां एक कैम्प फायर स्थापित करने और रात के समय के माहौल का आनंद लेने और यात्रा करने वाले दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताने का विकल्प है।

5 दिन - सांकरी को हरगांव कैंप
आज अनुसूची को सांकरी से आगे नीचे उतरने के लिए चिह्नित किया गया है जो 8900 फीट से 6400 फीट तक नीचे उतर रहा है। लगभग 6 किलोमीटर लंबी पगडंडी पर उतरने का समय मध्यम गति से 4 घंटे या उससे अधिक है। होरेगाँव कैंपसाइट से पहली सुबह का सूरज घने लकड़ी के देवदार के जंगल के समान है। नाश्ता करने के बाद, छोटे और पत्थरों से लदे एक और अधिक स्पष्ट रूप से चिह्नित अच्छी तरह से पक्के मार्ग के माध्यम से बैकपैक को उतरने के लिए पैक करें। अमीर घने देवदार के जंगलों से गुजरते हुए, एक धीमी और स्थिर तरीके से बहने वाली नदियों की दृष्टि देख सकते हैं। बाकी ट्रैक के लिए यहां पानी भरा जा सकता है। थोड़ी दूर आगे पगडण्डी आती है, जहाँ से यह हर की दून घाटी या देवताओं की घाटी को अपने आनंदमय और सौहार्दपूर्ण दृश्य के शानदार दृश्य प्रदान करती है। एक और जगह का पता लगाने और दूर से सुंदर घाटी की तस्वीर लेने का आनंद ले सकते हैं। कोई भी सुंदर वनस्पतियों और जीवों के स्थलों का आनंद ले सकता है और भविष्य के लिए रखी गई सुंदर यादों को बनाए रखने के लिए उसी के त्वरित स्नैक्स ले सकता है। घने जंगलों के माध्यम से आगे बढ़ते हुए, कोई बस्ती के पहले संकेत देख सकता है और शाम तक एक सांकरी तक पहुंच सकता है। पिछले 2500 फीट में घने देवदार के जंगल हैं। बेस पर पहुंचने पर, होटल में वापस जाएं और फ्रेश हो जाएं और दिन के लिए व्यवस्थित हो जाएं। यदि उत्साह बना रहे, तो कोई फिर से स्थान की स्मारिका के रूप में रखने के लिए कुछ स्थानीय वस्तुओं को इकट्ठा करने के लिए गांव की खोज कर सकता है। हालांकि यहां कई उत्पाद उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन दोस्तों और परिवारों के लिए हमेशा छोटे हाथ से बने सामान, लकड़ी के खिलौने और लकड़ी के घरेलू सजावट के सामान हो सकते हैं। स्थानीय लोगों से मिलें और उनकी जीवन शैली के बारे में अधिक जानें। संकरी में जीवन धीमी गति से चलता है जो लगभग 120 परिवारों के लिए घर है। आलू, चावल और सेब यहां की मुख्य सामग्री हैं और लोग ठंड के मौसम से बचाने के लिए लकड़ी के घरों में जाते हैं। यहां धर्म में विश्वास काफी मजबूत है और यहां नियमित रूप से मेलों या मेलों का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोकगीतों और देशी नृत्य के साथ मनोरंजन किया जाता है। रात के खाने को यहां स्थित ढाबों पर चखा जा सकता है और स्थानीय भोजन परोस सकते हैं या होटल के परिसर में स्वादिष्ट उत्तर भारतीय और पश्चिमी व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। रात को होटल में रहना।

दिन 6 - प्रस्थान दिवस (सांकरी से देहरादून)
यात्रा का अंतिम दिन प्रस्थान का दिन होता है, जहां ट्रेकर्स को देहरादून वापस जाने की आवश्यकता होती है। टाटा सूमो या इसी तरह की एक कार शहर के 220 किलोमीटर की यात्रा के लिए प्रदान की जाएगी। संकरी से एक बार फिर सुबह के सूरज का आनंद लेकर दिन की शुरुआत करें और फिर होटल में एक स्वस्थ और आनंददायक नाश्ते का आनंद लें। बैग पैक करें और सभी सामान ले जाएं और सुबह 8 बजे तक होटल से बाहर की जाँच करें, ताकि देहरादून की यात्रा जल्दी शुरू हो सके। दूरी को तोड़ने के समय तक पहुंचने में लगभग 10 घंटे लगते हैं इसलिए पहले वाला हमेशा बेहतर होता है। वापसी फिर से NH123 के माध्यम से होगी, हालांकि अन्य मार्ग भी मोरी सांकरी रोड या NH72 के माध्यम से उपलब्ध हैं। हालाँकि शुरुआती NH123 मार्ग को ही लेना बेहतर है क्योंकि यह सबसे छोटा है और यातायात बहुत कम है। दर्शनीय वातावरण और सुंदर वातावरण देहरादून शहर की सड़कों को चिह्नित करते हैं। स्थान की सुरम्य सुंदरता, प्रकृति की सुंदर सुंदरता, खिंचे हुए परिदृश्य, दिल को छू लेने वाला और शानदार वातावरण, जो हर तरह से दिल को भाता है। यात्रा का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि यात्रा अच्छी तरह से संतुलित और चालाकी से पैक की जाती है ताकि यात्रियों को पर्याप्त आराम और आराम मिले और किसी भी स्थान पर बिना किसी हड़बड़ी के हर पड़ाव पर सुंदरता का आनंद लें। यह एक यात्रा अच्छी तरह से यात्रियों की सुविधा और सुविधाओं का ख्याल रखने के लिए डिज़ाइन की गई है। देहरादून की यात्रा शाम के समय 7 बजे के आसपास पहुँचती है। छुट्टियों को रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डे पर अपनी आवश्यकता के अनुसार बंद किया जा सकता है। यहां से वे रात 8 बजे के बाद यात्रा की बुकिंग करके अगली यात्रा की योजना बना सकते हैं। उन सभी के लिए जो देहरादून में रहना चाहते हैं और एक या एक दिन के लिए जगह का आनंद लेते हैं, शहर में एक होटल बुक कर सकते हैं और खूबसूरत हिमालय के बीच में कुछ और सुंदर दिन बिता सकते हैं।

प्रकृति ने अजीबोगरीब खजाना छिपा रखा है!यह  #पांडवारा_बत्ती (पांडवों की मशाल) है, एक ऐसा पौधा जिसे महाभारत के पांडवों ने ...
02/11/2020

प्रकृति ने अजीबोगरीब खजाना छिपा रखा है!
यह #पांडवारा_बत्ती (पांडवों की मशाल) है, एक ऐसा पौधा जिसे महाभारत के पांडवों ने अपने वनवास के दौरान चिमनी की मशाल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए रखा था।

आप इसकी ताज़ी हरी पत्ती के साथ भी एक मशाल जला सकते हैं - पत्ती की नोक पर लगाया जाने वाला तेल की एक बूंद प्रकाश को एक बाती की तरह काम करने लगती है।

भारत में और श्रीलंका में केवल पश्चिमी घाट के भीतर पाया जाने वाला यह पौधा तमिलनाडु के अय्यर मंदिर और भैरवर मंदिर की तरह कई दक्षिण भारतीय मंदिरों में उपयोग किया जाता है।!!!!!

 #भारत के राजनीतिक एकीकरण में लौहपुरूष, भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उनकी ...
31/10/2020

#भारत के राजनीतिक एकीकरण में लौहपुरूष, भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उनकी पहल पर ही देश की 562 रियासतों का एकीकरण हुआ। देशसेवा में पटेल जी के योगदान को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए 31अक्टूबर को "राष्ट्रीय एकता दिवस" के रूप में मनाया जाता है। देश की इस महान विभूति को उनकी जयंती पर कोटिशः नमन।!!!!

हिमालय की तलहटी मे बसे द्वितीय  केदार  भगवान मध्यमहेश्वर  के कपाट शीतकाल के लिये 19 नवम्बर यानी 4 गते मार्गशीर्ष  को बन्...
26/10/2020

हिमालय की तलहटी मे बसे द्वितीय केदार भगवान मध्यमहेश्वर के कपाट शीतकाल के लिये 19 नवम्बर यानी 4 गते मार्गशीर्ष को बन्द हो जायेगे* ऊखीमठ का प्रसिद्ध 😧 मध्यमहेश्वर मेला😧 इस वर्ष 22 नवम्बर याने 7 गते मार्गशीर्ष को होगा* प्रथम केदार बिश्वप्रसिद्ध धाम केदारनाथ के कपाट मार्गशीर्ष संक्रान्ति भैय्यादूज 16नवम्बर को शीतकाल के लिये बन्द कर दिये जायेगे " आज असत्य पर सत्य की जीत 'अधर्म पर धर्म की जीत ' बुराई पर अच्छाई की बिजय के प्रतीक बिजयदशमी के महान पर्व पर पंचकेदारौ की गद्दीस्थली'राजामानधाता की तपस्थली' ऊषा-अनिरूद्ध की बिबाह स्थली' 'हिमवत केदार बैराग्यपीठ जगद्गुरु पीठाधीश्वर राजधानी ' भगवान शिव एव महाशिवा की चिन्तन राजधानी नन्दब्रहम औकारेश्वर मंन्दिर ऊषामठ मे बिद्वान आचार्य बर्ग' बेदपाठियौ' मंन्दिर समिति के कार्याधिकारी 'कर्मचारी एवं ऊखीमठ गौठगा'व के प्रतिनिधियौ की उपस्थिति मे मे इस शुभघडी, का लग्न किया गया* 😥😤 लग्न के अनुसार-- केदारबाबा की डोली 16 नवम्बर को कपाट बन्द होकर उसी दिन रात्रि बिश्राम हेतु रामपुर पहुचेगी '17 नवम्बर को गुप्तकाशी और 18 नवम्बर को 3गते मार्गशीर्ष डोली गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुचेगी" 6 माह तक भगवान की पूजा यही पर होगी😣 वही द्वितीय केदार मध्यमहेश्वर की डोली 19 नवम्बर 4 गते मार्गशीर्ष को कपाट बन्द होने पर रात्रि बिश्राम हेतु गौण्डार पहुँचेगी ' 20 नवम्बर को उत्सव डोली राशी "21 नवम्बर को गिरिया' और भगवान की उत्सव डोली 22 नवम्बर यानी 7 गते मार्गशीर्ष ऊखीमठ के औकारेश्वर मंन्दिर मे पहुचेगी जहाँ पर बर्षौ की परम्परानुसार भब्य धार्मिक "मध्यमहेश्वर मेला" लगेगा।💐💐💐💐💐💐💐💐💐🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
चंद्रमोहन उखियाल
मण्डल महामंत्री (भाजपा)
ऊखीमठ(रुद्रप्रयाग)

"सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।" ऐसी बुलंद सोच रखने वाले 'मिसाइ...
15/10/2020

"सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।" ऐसी बुलंद सोच रखने वाले 'मिसाइलमैन' पूर्व राष्ट्रपति, भारतरत्न डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम जी भारतीय मिसाइल क्रांति के जनक कहे जाते हैं। एक असाधारण शिक्षक, अद्भुत प्रेरक, उत्कृष्ट वैज्ञानिक के रूप में डॉ.कलाम जी हर भारतीय के दिल में आज भी ज़िंदा हैं और हमेशा रहेंगे। आज उनकी जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन।!!!!

रामेश्वरम से आया राम मंदिर के लिए 613 किलो का घंटा 10 किलोमीटर तक सुनाई देगी इसकी आवाज घंटे से निकलेगी "ॐ" की ध्वनि !!! ...
14/10/2020

रामेश्वरम से आया राम मंदिर के लिए 613 किलो का घंटा 10 किलोमीटर तक सुनाई देगी इसकी आवाज घंटे से निकलेगी "ॐ" की ध्वनि !!! 💪🚩"जय श्रीराम"🙏🎪🚩लिखे!!!

गौरा देवी को और उनकी जैसी और भी कई महिलाओं को हमारा नमन जो अपनी परवाह करे बिना हिमालय, पेड़-पौधों और कई निर्जीवों को बचान...
14/10/2020

गौरा देवी को और उनकी जैसी और भी कई महिलाओं को हमारा नमन जो अपनी परवाह करे बिना हिमालय, पेड़-पौधों और कई निर्जीवों को बचाने का कार्य करती थी है और करती भी रहेगी।

आइए जानते है पोस्ट में गौरा देवी जी के कुछ बलिदानो और क्रांतिकारी आंदोलन के बारे में।,

12/10/2020

स्व० मोहन प्रसाद थपलियाल जी एवं स्व० कुलदीप सिंह चौहान जी के पार्थिव शरीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किए और दिवंगतों के परिजन से मिलकर उन्हें सांत्वना प्रदान की। उनका यूं अचानक जाना हम सबके लिए बेहद दुःखद है। यह पार्टी के साथ-साथ मेरे लिए भी बड़ी व्यक्तिगत क्षति है। परमपिता परमेश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति व शोक संतप्त परिवारजन को धैर्य प्रदान करे।

विनम्र श्रद्धांजलि।

||ॐ शांति शांति शांति||

चमोली में कार के खाई में गिरने से शिक्षक की मौत, पत्नी घायल उत्तराखंड के चमोली जिले में थराली में कार के खाई में गिरने स...
12/10/2020

चमोली में कार के खाई में गिरने से शिक्षक की मौत, पत्नी घायल

उत्तराखंड के चमोली जिले में थराली में कार के खाई में गिरने से शिक्षक की मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी घायल हो गई। घायल को खाई से निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हादसा ग्वालदम-थराली मोटरमार्ग पर थाला के समीप हुआ। देवराडा गांव निवासी पेशे से शिक्षक नंदन सिंह गुसाईं पत्नी मंजू देवी के साथ बैजनाथ से अल्ट्रासाउंड कराकर सेंट्रो कार से थराली की तरफ लौट रहे थे।
थाला के पास कार अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिर गई। हादसे की सूचना पर ग्रामीण और पुलिस मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू शुरू किया। इस दौरान नंदन गुसाईं की मौके पर ही मौत हो गई। घायल महिला को खाई से निकाल कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थराली उपचार के लिए भर्ती कराया गया है। जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।

उत्तराखंड की बेटी भागीरथी ने अंतर्राष्ट्रीय धावक  #सुनील शर्मा के साथ 100 किमी का पैदल ट्रैक मात्र 24 घंटे में किया तय |...
08/10/2020

उत्तराखंड की बेटी भागीरथी ने अंतर्राष्ट्रीय धावक #सुनील शर्मा के साथ 100 किमी का पैदल ट्रैक मात्र 24 घंटे में किया तय |

निर्धन परिवार से ताल्लुक रखने वाली उत्तराखंड के वान गाँव चमोली (7800 फीट ऊंचाई) निवासी भागीरथी ने अंतर्राष्ट्रीय अल्ट्रा मैराथन धावक सुनील शर्मा के साथ रोंटी ट्रैक से दौड़ लगाकर 18000 फीट ऊँची पर्वत श्रंखला को 24 घंटे में पार किया है आमतौर पर इस ट्रैक को पूरा करने के लिए 7 से 8 दिन का समय लगता है इस ट्रैक को देश का सबसे लम्बा व कठिन ट्रैक माना जाता है |

#भागीरथी बहुत गरीब परिवार से है मात्र 3 वर्ष की आयु में #भागीरथी के पिता का देहांत हो गया था घर में रहकर की भागीरथी ने पढाई की है भागीरथी की इस अनोखी उपलब्धि को देखकर को देखकर अंतर्राष्ट्रीय धावक सुनील शर्मा हैरान रह गये उन्होंने #भागीरथी की इस प्रतिभा को देखकर उसे गोद ले लिया है, सुनील ने कहा की वह भागीरथी को एक बड़े एथलीट के रूप में निखारना चाहते हैं | उन्होंने इस बेटी का नाहन कालेज में दाखिला भी करवा दिया है |

Air Force Day 2020: आज भारतीय वायुसेना का 88वां स्थापना दिवस, सीमा तनाव के बीच सेना हिंडन एयरबेस पर दिखाएगी ताकतAir Forc...
08/10/2020

Air Force Day 2020: आज भारतीय वायुसेना का 88वां स्थापना दिवस, सीमा तनाव के बीच सेना हिंडन एयरबेस पर दिखाएगी ताकत
Air Force Day 2020: 8 अक्टूबर, 1932 को आईएएफ जो भारतीय सशस्त्र बलों की वायु शाखा है को रॉयल इंडियन एयर फ़ोर्स के रूप में बनाया गया था.
Force Day 2020: भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए एक बहुत ही खास दिन हैं. वायुसेना आज गुरुवार को अपना गौरवशाली 88 वां स्थापना दिवस मना रही है. इस स्थापना दिवस को वायु सेना दिवस के रूप में भी जाना जाता है. चीन के साथ पिछले छह महीने से चले आ रहे सीमा विवाद के बीच आर भारतीय वायुसेना अपना स्थापना दिवस मनाने जा रही है. इस अवसर पर वायुसेना आसमान में राफेल सहित दूसरे फाइटर जेट से उड़ान भर दुश्मन देश को अपनी ताकत का एहसास कराएंगे. भारतीय वायु सेना का गठन आजादी से 15 साल पहले 8 अक्टूबर, 1932 को हुआ था. Also Read - Air Force Day 2020: आज भारतीय वायुसेना का 88वां स्थापना दिवस, सीमा तनाव के बीच सेना हिंडन एयरबेस पर दिखाएगी ताकत
स्थापना दिवस के अवसर पर आज गाजियाबाद स्थित हिंडन एयर बेस पर इस साल की परेड का इंतजाम किया गया है. बता दें कि भारतीय वायुसेना में 10 सितंबर को औपचारिक रूप से शामिल होने वाला लड़ाकू विमान राफेल भी आज अपने करतब दिखाएगा. आज हर किसी की नजर सिर्फ राफेल पर ही टिकेगी.
#आपको बता दें कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे पुरानी वायुसेना की लिस्ट में भी गिनी जाती है. समय बीतने के साथ साथ भारतीय वायुसेना ने अपने आपको को बहुत मजबूत बनाया है. भारतीय सेना की ताकत का बदला रूप इस बात से ही अंदाजा लागाय जा सकता है कि सेना अब अपने दुश्मन देश चाहे पाकिस्तान हो या फिर चीन किसी को भी करारा जवाब देने की हिम्मत रखती है. भारतीय वायुसेना को आजादी से पहले रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाता था. 1950 के बाद इसमें से रॉयल शब्द हटाकर इंडियन एयर फोर्स कर दिया गया.

8 अक्टूबर, 1932 को आईएएफ जो भारतीय सशस्त्र बलों की वायु शाखा है को रॉयल इंडियन एयर फ़ोर्स के रूप में बनाया गया था. ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता के बाद आगे लगे जाने वाले उपसर्ग ’रॉयल’ को समाप्त कर दिया गया था. इसका प्राथमिक मिशन भारतीय हवाई क्षेत्र को सुरक्षित करना और सशस्त्र संघर्ष के दौरान हवाई युद्ध करना है. यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है. # # #
love May India #

जनपद बागेश्वर के पोथिंग गांव निवासी बड़े भाई   #विनोद_जोशी आज के दिन यानि 5 अक्टूबर 2001को जम्मू-कश्मीर के पुंछ इलाके मे...
06/10/2020

जनपद बागेश्वर के पोथिंग गांव निवासी बड़े भाई #विनोद_जोशी आज के दिन यानि 5 अक्टूबर 2001को जम्मू-कश्मीर के पुंछ इलाके में माँ भारती की रक्षा करते हुए शहीद हो गये थे।
मात्र 20 वर्ष की आयु में ही ये देश की रक्षा करते हुए शहीद होने वाले इस गाँव के प्रथम शहीद हैं।

शहीद विनोद जोशी को उनके शहादत दिवस पर अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि एवं कोटि-कोटि नमन।

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