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07/04/2023

आप सभी को #हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकानाएं
जय श्री राम ❣️

Yogi Aditya nath may we say.nore ...one of the best CM of UP 🙏🙏
07/04/2023

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Ajmer belongs to him & his clan...not the malechchs who captured it later & established some memorials later...jai hindu...
02/01/2023

Ajmer belongs to him & his clan...not the malechchs who captured it later & established some memorials later...jai hindu rashtra...jai kesariya 💪💪🎊🎊🎉🎉

अजमेर के संस्थापक क्षत्रिय कुलभूषण चौहान मुकुटमणि श्री अजयपाल देव चौहान जी के स्मृति दिवस पर कोटि कोटि नमन।

अजयपाल चौहान शाकंभरी चाहमान वंश से संबंधित राजपूत राजा थे। अजमेर से लगभग 10 किमी दूर अरावली पर्वतमाला की सुरम्य घाटी में अजयसर गांव के पास “अजोगंध महादेव मंदिर” नामक प्राचीन मंदिर स्थित है। यह ऐतिहासिक अजयमेरु नगर (अजमेर) के संस्थापक चौहान क्षत्रिय राजा अजयपाल का स्मृति रूपी यह प्राचीन मंदिर है जो अजोगंध महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है, को कहीं इतिहास के कोने में विस्मृत कर दिया गया है।

हिंदूवादियों की नजर आज तक इस मंदिर में नहीं पड़ी, ना ही इसे हिंदू जनमानस में कभी समाहित किया गया।

प्राचीन काल से ही क्षत्रिय सन्यास लेने के बाद भी हथियार व सवारी (घोड़ा आदि) का त्याग नहीं करते थे। साथ ही उनके आस-पास रहने वाले साधू, चरवाह आदि अपनी सुरक्षा व अन्य समस्याओं के लिए भी उन्हीं पर निर्भर रहते थे। पुष्कर के आस-पास रहने वाले साधुओं को आक्रान्ताओं द्वारा तंग करने व पशु पालकों का पशुधन लूटने वालों को राजा अजयपाल सन्यासी होने के बावजूद वहां दण्ड देते रहे। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने अपनी इतिहास पुस्तक में यहाँ राजा अजयपाल द्वारा शिव की तपस्या करने का उल्लेख किया है।

बाबा अजयपाल चौहान ने ना केवल अजमेर की स्थापना की बल्कि नागौर के गजनवी गवर्नर बहलिम को हराया। गजनवी सुल्तान बेहराम शाह को हराकर इस शहर को कला और साहित्य का केंद्र बनाया। उनके कई चांदी और तांबे के सिक्के पाए गए।

बाबा अजयपाल शैव थे लेकिन जैन धर्म और वैष्णवो को भी संरक्षण दिया। उनके दरबार में अनेक श्वेतांबर और दिगंबर संत निवास करते थे। वे शिव के लकुलीश रूप की पूजा करता थे तथा नाथ सम्प्रदाय के अनुयायी थे। पुष्कर में साधुओं को बचाने के लिए भोमिया बन गए थे।

इतने स्वर्णिम इतिहास के बावजूद अजमेर के संस्थापक और पूजनीय बाबा अजयपाल पर किसी राजनीतिक बुद्धिजीवी की नजर नहीं पड़ी यहां तक अजमेर जैसे विशाल शहर की स्थापना करने वाले इस महापुरुष की वहां कोई प्रतिमा तक नहीं।

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05/10/2021

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