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 #काशी_यात्रा  #आदि_न_अंत_ये_है_अनंत आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्राकाशी यात्रा में हम आपके सहय...
28/01/2023

#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्रा
काशी यात्रा में हम आपके सहयोगी और मार्गदर्शक बने यह हमारा परम सौभाग्य होगा के माध्यम से हम अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

विशालाक्षीश्वरं लिङ्गं तत्रैव क्षेत्रवस्तिदम्।
( #काशीखण्ड्)

#काशी मे #विशालक्षी देवी द्वारा स्थापित विशालाक्षीश्वर लिंग अपने भक्त को काशी क्षेत्र में वास देने वाला हैं।

#काशी वास पाने के इक्षुक लोग यहां दर्शन पूजन कर के यहां काशी में स्थाई निवास प्राप्त कर सकते हैं

पता - विशालक्षी देवी मंदिर में मीरघाट, वाराणसी।


 #काशी_यात्रा  #ॐकारेश्वर_महादेव        #काशी_खंडोक्तकाशी के 42 मुक्ति लिंग अंतर्गतअकारख्यमिदं लिङ्गमुकाराख्यमिदं परम् ।...
09/01/2023

#काशी_यात्रा

#ॐकारेश्वर_महादेव #काशी_खंडोक्त

काशी के 42 मुक्ति लिंग अंतर्गत

अकारख्यमिदं लिङ्गमुकाराख्यमिदं परम् ।
मकाराह्वयमेतच्च नादाख्यं बिन्दुसंज्ञकम् ।।
( #काशीखण्ड्)

यह ओंकार नामक शिवलिंग अकार, उकार, मकार, नाद और बिंदु से परिपूर्ण ॐकारात्मक हैं।

काशी में ॐकारेश्वर के दर्शन मात्र से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता हैं, इसीलिए काशी में प्रयत्नपूर्वक ॐकारेश्वर का दर्शन पूजन करना चाहिए।

पता - A 33/23 पठानी तोला, कोयला बाजार, मछोदरी, वाराणसी

#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्रा
काशी यात्रा में हम आपके सहयोगी और मार्गदर्शक बने यह हमारा परम सौभाग्य होगा के माध्यम से हम अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
#काशी_यात्रा


 #काशी_यात्रा  #वृषेश्वर_महादेव    #काशी_खण्डोक्त  आगादिह महादेवो वृषेशो वृषभध्वजात्  ।  बाणेश्वरस्य  लिङ्गष्य   समीपे व...
08/01/2023

#काशी_यात्रा

#वृषेश्वर_महादेव #काशी_खण्डोक्त

आगादिह महादेवो वृषेशो वृषभध्वजात् ।
बाणेश्वरस्य लिङ्गष्य समीपे वृषदः सदा ।।
( #काशीखण्ड्)

~धर्मप्रद लिंग वृषेश्वर , जो कि वृषभध्वज तीर्थ से यहाँ आकर बाणेश्वर महादेव के समीप में सदैव शोभायान रहते है ।

काशी में वृषेश्वर लिंग का स्थापना महादेव के परम भक्त नंदी द्वारा किया गया है।
काशीखण्ड पुराण के हिसाब से वृषेश्वर लिंग वृषभध्वज तीर्थ से काशी में नन्दी जी के आग्रह पर आये थे । वृषेश्वर के दर्शन पूजन से वृषभध्वजेश्वर महादेव के दर्शन का फल मिलता है।
(वृषभध्वजेश्वर लिंग काशी से कुछ दूर सलारपुर - कपिलधारा पर स्थित है)

काशी में वृषेश्वर लिंग का प्रादुर्भाव नंदी के द्वारा हुआ है ।
वृषेश्वर लिंग चतुर्दश लिंगो में से एक है जिसकी दर्शन यात्रा करने से मुक्ति अवश्य ही मिलती है ।
आषाढ़ कृष्ण पक्ष दशमी तिथि को इनकी यात्रा का प्रावधान है।

वृषेश्वर लिंग का स्थान उत्तर दिग्देव यात्रा के 201 शिव लिंगो में भी है , इस यात्रा को करने से समस्त जन्मों के पाप कट कर मोक्ष मिल जाता है ।

प्राचीन समय मे यहां वृषेश नामक कूप(कुँवा) भी था जिसका पता अब नही लगता पर मंदिर प्रांगण में एक कूप है जिसको वृषेश कूप से जोड़ कर देखा जा सकता है । यहां श्राद्ध तर्पण करने का भी बहुत फल मिलता है ।

पता- k 58/78 गुरु गोरखनाथ का टीला , मैदागिन , वाराणसी।
इस मंदिर से थोड़ा पहले बाणेश्वर महादेव का भी मन्दिर है।
#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
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#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
#काशी_यात्रा


 #काशी_यात्रा  #श्री_नर_नारायण (श्री बद्री विशाल जी)  #काशीखंडोक्त  नर नारायण घाट (महता घाट)पौष पूर्णिमा दर्शन  #काशी_या...
06/01/2023

#काशी_यात्रा

#श्री_नर_नारायण (श्री बद्री विशाल जी) #काशीखंडोक्त
नर नारायण घाट (महता घाट)
पौष पूर्णिमा दर्शन
#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
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#काशी_यात्रा


 #रत्नेश्वर_महादेव     #काशी_खंडोक्तकाशी के 42 मुक्तिलिंग अंतर्गतयोSत्र रत्नेश्वरं नत्वा मृतो देशान्तरेष्वपि ।न स स्वर्ग...
05/01/2023

#रत्नेश्वर_महादेव #काशी_खंडोक्त

काशी के 42 मुक्तिलिंग अंतर्गत

योSत्र रत्नेश्वरं नत्वा मृतो देशान्तरेष्वपि ।
न स स्वर्गादिहागच्छेत्क्ल्पकोटिशतैरपि ।।
( #काशीखण्ड)

जो यहां काशी में रत्नेश्वर का दर्शन कर किसी अन्य देश में भी शरीर छोड़ता हैं, वह करोड़ो करोड़ो कल्पों तक भी स्वर्ग से स्खलित नही होता है। (अर्थात सदा सर्वदा स्वर्गलोक मे निवास करता है )
ये हिमालय राज के द्वारा लाए गए रत्न, आभूषण, मणि जो कि अपने जामाता शिव जी के लिए लाए थे किंतु काशी का वैभव देख उन्हें अपनी ये भेट तूक्छ जान पड़ी इसलिए इसे कालभैरव नजदीक छोड़ कर चले गए। पर महादेव ने कृपा कर यहां प्रकट होकर स्वयं भू रूप में स्थापित हो गए और यहां दर्शन करने वाले को अनेकों वर दिए।

पता - K53/40 वृद्धाकाल मोहल्ला, मृत्युंजय मंदिर मार्ग रोड पर, वाराणसी।

 #काशी_यात्रा  #आदि_न_अंत_ये_है_अनंत आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्राकाशी यात्रा में हम आपके सहय...
28/12/2022

#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्रा
काशी यात्रा में हम आपके सहयोगी और मार्गदर्शक बने यह हमारा परम सौभाग्य होगा के माध्यम से हम अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
#काशी_यात्रा



#यमादित्य #काशी_खंडोक्त

यम द्वारा स्थापित सूर्य विग्रह

यमादित्यं नरो दृष्ट्वा यमलोकं न पश्यति।
श्राध्दं कृत्वा यमे तीर्थे पूजयित्वा यमेश्वरं ।।
यमादित्यं नमस्कृतं पितरणांनृणो भवेत् ।
( #काशीखण्ड)

यमादित्य के दर्शन से कभी यमलोक देखना नहीं पड़ता,
यमतीर्थ में श्राद्ध यमेश्वर शिव लिंग का पूजन और यमादित्य को नमस्कार करने से मनुष्य पितरो के ऋण से मुक्त हो जाता हैं।
नरक वासी पितृगण हमेसा यही अभिलाषा किया करते हैं कि, ज़ब मंगलवार भरनी नक्षत्र को चतुर्दशी तिथि मिल जाये और यह उत्तम योग आजाये तोह कोई मेरे वंश का महाबुद्धिमान पुत्र काशी क्षेत्र के यमतीर्थ में स्नान कर हम सबकी मुक्ति के लिए यदि तिल का तर्पण भी कर देता तोह हम लोग तृप्त होजाते।

पता -संकठा मंदिर से संकठा घाट जाने वाले मार्ग पर (सिंधिया घाट) चौक, वाराणसी।

 #काशी_यात्रा    ्व_विनायककाशी खंडोक्त पता: फुटहीकोट, राजघाट से कपिलधारा मार्ग, आदि केशव के पहले। काशीजब महादेव मंदराचल ...
27/11/2022

#काशी_यात्रा

्व_विनायक
काशी खंडोक्त
पता: फुटहीकोट, राजघाट से कपिलधारा मार्ग, आदि केशव के पहले। काशी
जब महादेव मंदराचल पर्वत पर निवास कर रहे थे तो सभी देवी देवताओं के बाद उन्होंने श्री हरि विष्णु और श्री गणेश को काशी भेजा, तब श्री गणेश जी इसी स्थान पर सर्वप्रथम आए और साथ ही श्री हरि विष्णु जी भी पास में ही आदि केशव के रूप में रहे। आदि अर्थात सर्वप्रथम केशव यही आए।( यहां से गंगा के तट तक जौ छीटने का विधान है)

#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्रा
काशी यात्रा में हम आपके सहयोगी और मार्गदर्शक बने यह हमारा परम सौभाग्य होगा के माध्यम से हम अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
#काशी_यात्रा


 #काशी_यात्रा    #आदि_न_अंत_ये_है_अनंत काशी यानी आनंदवन में  #आनंद_भैरव का दर्शन करने मात्र से संपूर्ण जीवन में आनंद ही ...
25/11/2022

#काशी_यात्रा

#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत

काशी यानी आनंदवन में #आनंद_भैरव का दर्शन करने मात्र से संपूर्ण जीवन में आनंद ही आनंद बना रहता है।
(पता:विशालाक्षी मंदिर के पास बड़े हनुमान मंदिर के सामने, काशी)
#महादेवी_काली_मंदिर_मंदाकिनी_तट_काशी
#नवरात्रि
#काशी_यात्रा #आदि_न_अंत_ये_है_अनंत बीबी
सप्तम्म कालरात्रि च....

#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
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काशी यात्रा में हम आपके सहयोगी और मार्गदर्शक बने यह हमारा परम सौभाग्य होगा के माध्यम से हम अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
#काशी_यात्रा


 #काशी_यात्रा    #उपशान्तेश्वर_महादेव        #काशी_खंडोक्त लिङ्गस्य संस्पर्शात्परां   शान्तीं समृच्क्षति ।उपशान्तशिवं लि...
23/11/2022

#काशी_यात्रा


#उपशान्तेश्वर_महादेव #काशी_खंडोक्त

लिङ्गस्य संस्पर्शात्परां शान्तीं समृच्क्षति ।
उपशान्तशिवं लिङ्ग दृष्ट्वा जन्मशतर्जितम्।।
त्यजेदश्रेयसोराशिं श्रेयोराशिं च विदन्ति ।
( #काशीखण्ड्)

उपशान्तशिव लिङ्ग के स्पर्श करते ही परम शान्ति आजाती है, एवं उस उपशांत नामक शिव लिंग के दर्शन करने से सैकड़ो जन्मों के बटोरे हुवे पापपुंज को त्यागकर मनुष्य मंगल राशि को प्राप्त करता हैँ।

उपशांतेश्वर महादेव काशी के 42 सर्वश्रेष्ठ मुक्ति_लिंगो मे से एक हैं, इनका दर्शन करने से सर्वकार्य सिद्ध होता हैँ और पुनः इस संसार मे जन्म नहीं लेना पड़ता अर्थात इनकी भक्ति करने से मुक्ति प्राप्त होती है।

पता - #अग्निश्वर_घाट पटनी टोला ck 2/4 #चौक #वाराणसी।

#काशी
#मुक्तिलिंग
#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
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#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
#काशी_यात्रा


 #काशी_यात्रा कार्तिक_पूर्णिमा_के_दुसरे_दिन_काशी_में_देवी_रूप_में_होती_है_राक्षसी_त्रिजटा_की_पूजा।महादेव की नगरी में देव...
09/11/2022

#काशी_यात्रा
कार्तिक_पूर्णिमा_के_दुसरे_दिन_काशी_में_देवी_रूप_में_होती_है_राक्षसी_त्रिजटा_की_पूजा।
महादेव की नगरी में देवी-देवताओं और ग्रहों के अलावा राक्षसी का भी मंदिर है। कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन मां त्रिजटा की पूजा होती है। विश्वनाथ गली के साक्षी विनायक मंदिर में ही त्रिजटा का भी मंदिर है। त्रिजटा को देवी रूप में पुजा के दिन मूली और बैगन चढ़ाया जाता है।

#रामायण_काल_से_जुड़ी_है_ये_मान्यता...
माता सीता जब रावण के हरण के बाद अशोक वाटिका में थीं, तो त्रिजटा ने ही सीता के लिए भोजन बनाने से लेकर अन्य सभी सेवा की थी। माता सीता ने ही त्रिजटा को कलियुग में एक दिन की देवी रूप में पूजा जाने का आशीर्वाद दिया था।

#त्रिजटा_करती_थी_सीतामाता_की_सेवा_और_रक्षा।
अशोक वाटिका में अन्य राक्षसी जब सीता मां को परेशान करती थीं, तो त्रिजटा ही रक्षा करती थीं। कई बार जब सीता को भूखा रखा जाता था, तो त्रिजटा भोजन लेकर जाती थीं। कहा जाता है हनुमान जी को सीता के पास त्रिजटा ही ले गई थीं।

#त्रिजटा_को_चढ़ाया_जाता_है_मूली_और_बैंगन
अशोक वाटिका में आखरी दिन जब त्रिजटा कच्ची सब्जी मूली और बैगन लेकर बनाने पहुंचीं, तो पता चला सीता मां जा रही हैं। वो दौड़कर मूली और बैगन हाथों में लिए पहुंची थी। सीतामाता ने आशीर्वाद दिया कि कलयुग में एक दिन तुम्हारी देवी के रूप में पूजा होगी, जो सब्जी तुम मुझे खिलाने वाली थीं, वही तुम्हे भक्त चढ़ाएंगे।

#मुक्ति_के_लिये_किया_था_काशीवास
राक्षसी योनी से मुक्ति के लिए सीतामाता के कहने त्रिजटा काशीवास करने काशी आ गई और महादेव की भक्ति कर मोक्ष पाया।
#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्रा
काशी यात्रा में हम आपके सहयोगी और मार्गदर्शक बने यह हमारा परम सौभाग्य होगा के माध्यम से हम अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
#काशी_यात्रा


 #काशी_यात्रा  #हजारा  #पंचगंगा_घाट_काशी_______काशी अपनी मान्यताओ का पालन दृढता से करती हैं ।विश्व प्रसिध्द देव दिपावली ...
07/11/2022

#काशी_यात्रा
#हजारा
#पंचगंगा_घाट_काशी
_______
काशी अपनी मान्यताओ
का पालन दृढता से करती हैं ।
विश्व प्रसिध्द देव दिपावली पर
प्रथमतः पंचगंगा स्थित श्रीमठ
में नीचे चित्रित स्तंभ्भ के सांय
दीप प्रज्वलन से काशी वासी
उत्सव महोत्सव का शुंभ्भारंभ
करते हैं ।
परपंरानुसार काशी नरेश की
गरिमामयी उपस्थिति भी होती हैं
चित्र आभार Nishant Chaturvedi
#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्रा
काशी यात्रा में हम आपके सहयोगी और मार्गदर्शक बने यह हमारा परम सौभाग्य होगा के माध्यम से हम अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
#काशी_यात्रा


 #काशी_यात्रा काशी यात्रा के क्रम में कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी से पूर्णमासी तक जिसे भीष्म पंचक भी कहा जाता है उसमें काश...
03/11/2022

#काशी_यात्रा
काशी यात्रा के क्रम में कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी से पूर्णमासी तक जिसे भीष्म पंचक भी कहा जाता है उसमें काशी खंड एवं पद्मपुराण के अनुसार पंचगंगा घाट, बिंदु माधव जिसे बिंदु तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है ।वहां बिंदु माधव के दर्शन का विधान है। कार्तिक महीने में विशेषता शुक्ल पक्ष एकादशी से पूर्णमासी तक पचनाढ्य तीर्थ में अर्थात पंचगंगा घाट गंगा स्नान एवं बिंदुमाधव के दर्शन करने से सभी प्रकार के मनोरथ सिद्ध होते हैं एवं मनुष्य सभी प्रकार के पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है ।संपूर्ण संसार में पंचगंगा अर्थात पंचनंद तीर्थ से पवित्र स्थान कोई भी नहीं है। यहां दान, धर्म, जप,तर्पण, मार्जन, स्नान इत्यादि का अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।
#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्रा
काशी यात्रा में हम आपके सहयोगी और मार्गदर्शक बने यह हमारा परम सौभाग्य होगा के माध्यम से हम अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
#काशी_यात्रा


 #काशी_यात्रा "जय छठी मईया"सूर्य और जल पृथ्वी पर जन जीवन के आधार हैं।  पवित्र जल मे स्थित होकर डूबते सूर्य के प्रति कृतज...
30/10/2022

#काशी_यात्रा
"जय छठी मईया"
सूर्य और जल पृथ्वी पर जन जीवन के आधार हैं। पवित्र जल मे स्थित होकर डूबते सूर्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर एवम् नई आशा के उगते को समान रूप से नमन करना ही छठ में अभीष्ट है। पौराणिक एवम् प्राकृतिक पर्व है छठ ।
'उगते सूरज की पूजा' तो संसार का विधान है, पर केवल और केवल हम 'भारतवासी' अस्ताचलगामी सूर्य की भी अराधना करते हैं, और वो भी, उगते सूर्य से पहले। अगर 'उदय' का 'अस्त' भौगोलिक नियम है, तो 'अस्त' का 'उदय' प्राकृतिक और आध्यात्मिक सत्य।
प्रकृति के अंतिम स्वरूप और ऊर्जा के अक्षुण्ण श्रोत , भगवान भास्कर की अराधना के पर्व 'छठ' की आप सभी को असीम शुभकामनाएँ ।

जब विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता की स्त्रियां अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ सज-धज कर अपने आँचल में फल ले कर निकलती हैं तो लगता है जैसे संस्कृति स्वयं समय को चुनौती देती हुई कह रही हो, "देखो! तुम्हारे असँख्य झंझावातों को सहन करने के बाद भी हमारा वैभव कम नहीं हुआ है, हम सनातन हैं, हम भारत हैं। हम तबसे हैं जबसे तुम हो, और जबतक तुम रहोगे तबतक हम भी रहेंगे।"
जब घुटने भर जल में खड़ी व्रती की सिपुलि में बालक सूर्य की किरणें उतरती हैं तो लगता है जैसे स्वयं सूर्य बालक बन कर उसकी गोद में खेलने उतरे हैं। स्त्री का सबसे भव्य, सबसे वैभवशाली स्वरूप वही है। इस धरा को "भारत माता" कहने वाले बुजुर्ग के मन में स्त्री का यही स्वरूप रहा होगा। कभी ध्यान से देखिएगा छठ के दिन जल में खड़े हो कर सूर्य को अर्घ दे रही किसी स्त्री को, आपके मन में मोह नहीं श्रद्धा उपजेगी।
छठ वह प्राचीन पर्व है जिसमें राजा और रंक एक घाट पर माथा टेकते हैं, एक देवता को अर्घ देते हैं, और एक बराबर आशीर्वाद पाते हैं। धन और पद का लोभ मनुष्य को मनुष्य से दूर करता है, पर धर्म उन्हें साथ लाता है।
अपने धर्म के साथ होने का सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि आप अपने समस्त पुरुखों के आशीर्वाद की छाया में होते हैं। छठ के दिन नाक से माथे तक सिंदूर लगा कर घाट पर बैठी स्त्री अपनी हजारों पीढ़ी की अजियासास ननियासास की छाया में होती है, बल्कि वह उन्ही का स्वरूप होती है। उसके दउरे में केवल फल नहीं होते, समूची प्रकृति होती है। वह एक सामान्य स्त्री सी नहीं, अन्नपूर्णा सी दिखाई देती है। ध्यान से देखिये! आपको उनमें कौशल्या दिखेंगी, उनमें मैत्रेयी दिखेगी, उनमें सीता दिखेगी, उनमें अनुसुइया दिखेगी, सावित्री दिखेगी... उनमें पद्मावती दिखेगी, उनमें लक्ष्मीबाई दिखेगी, उनमें भारत माता दिखेगी। इसमें कोई संदेह नहीं कि उनके आँचल में बंध कर ही यह सभ्यता अगले हजारों वर्षों का सफर तय कर लेगी।
छठ डूबते सूर्य की आराधना का पर्व है। डूबता सूर्य इतिहास होता है, और कोई भी सभ्यता तभी दीर्घजीवी होती है जब वह अपने इतिहास को पूजे। अपने इतिहास के समस्त योद्धाओं को पूजे और इतिहास में अपने विरुद्ध हुए सारे आक्रमणों और षड्यंत्रों को याद रखे।
छठ उगते सूर्य की आराधना का पर्व है। उगता सूर्य भविष्य होता है, और किसी भी सभ्यता के यशश्वी होने के लिए आवश्यक है कि वह अपने भविष्य को पूजा जैसी श्रद्धा और निष्ठा से सँवारे... हमारी आज की पीढ़ी यही करने में चूक रही है, पर उसे यह करना ही होगा... यही छठ व्रत का मूल भाव है।
मैं खुश होता हूँ घाट जाती स्त्रियों को देख कर, मैं खुश होता हूँ उनके लिए राह बुहारते पुरुषों को देख कर, मैं खुश होता हूँ उत्साह से लबरेज बच्चों को देख कर... सच पूछिए तो यह मेरी खुशी नहीं, मेरी मिट्टी, मेरे देश, मेरी सभ्यता की खुशी है।
मेरे देश की माताओं! जब आदित्य आपकी सिपुलि में उतरें, तो उनसे कहिएगा कि इस देश, इस संस्कृति पर अपनी कृपा बनाये रखें, ताकि हजारों वर्ष बाद भी हमारी पुत्रवधुएँ यूँ ही सज-धज कर गंगा के जल में खड़ी हों और कहें- "उगs हो सुरुज देव, भइले अरघ के बेर..."
जय हो....cp...
#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्रा
काशी यात्रा में हम आपके सहयोगी और मार्गदर्शक बने यह हमारा परम सौभाग्य होगा के माध्यम से हम अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
#काशी_यात्रा


 #काशी_यात्रा  #अन्नकूट 56 (छप्पन) भोग का रहस्य............*भगवान को लगाए जाने वाले भोग की बड़ी महिमा है। इनके लिए ५६ प्...
26/10/2022

#काशी_यात्रा
#अन्नकूट
56 (छप्पन) भोग का रहस्य............
*
भगवान को लगाए जाने वाले भोग की बड़ी महिमा है। इनके लिए ५६ प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं, जिसे छप्पन भोग कहा जाता है। यह भोग रसगुल्ले से शुरू होकर दही, चावल, पूरी, पापड़ आदि से होते हुए इलायची पर जाकर खत्म होता है। अष्ट पहर भोजन करने वाले बालकृष्ण भगवान को अर्पित किए जाने वाले छप्पन भोग के पीछे कई रोचक कथाएं हैं।
ऐसा कहा जाता है कि यशोदाजी बालकृष्ण को एक दिन में अष्ट पहर भोजन कराती थी, अर्थात् बालकृष्ण आठ बार भोजन करते थे। जब इंद्र के प्रकोप से सारे व्रज को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार सात दिन तक भगवान ने अन्न जल ग्रहण नहीं किया। आठवे दिन जब भगवान ने देखा कि अब इंद्र की वर्षा बंद हो गई है तो उन्होंने सभी व्रजवासियो को गोवर्धन पर्वत से बाहर निकल जाने को कहा। तब दिन में आठ प्रहर भोजन करने वाले व्रज के नंदलाल कन्हैया का लगातार सात दिन तक भूखा रहना उनके व्रज वासियों और मैया यशोदा के लिए बड़ा कष्टप्रद हुआ। भगवान के प्रति अपनी अनन्य श्रद्धा भक्ति दिखाते हुए सभी व्रजवासियो सहित यशोदा जी ने सात दिन और अष्ट पहर के हिसाब से ७ x ८=५६ व्यंजनो का भोग बाल कृष्ण को लगाया।
श्रीमद्भागवत के अनुसार, गोपिकाओं ने एक माह तक यमुना में भोर में ही न केवल स्नान किया, अपितु कात्यायनी मां की अर्चना भी इस मनोकामना से की, कि उन्हें नंदकुमार ही पति रूप में प्राप्त हों। श्रीकृष्ण ने उनकी मनोकामना पूर्ति की सहमति दे दी। व्रत समाप्ति और मनोकामना पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ही उद्यापन स्वरूप गोपिकाओं ने छप्पन भोग का आयोजन किया। ऐसा भी कहा जाता है कि गौलोक में भगवान श्रीकृष्ण राधिका जी के साथ एक दिव्य कमल पर विराजते हैं। उस कमल की तीन परतें होती हैं। प्रथम परत में "आठ", दूसरी में "सोलह" और तीसरी में "बत्तीस पंखुड़िया" होती हैं। प्रत्येक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखी और मध्य में भगवान विराजते हैं। इस तरह कुल पंखुड़ियों संख्या भी छप्पन होती है।
छप्पन भोग इस प्रकार है...............
भक्त (भात)
सूप (दाल)
प्रलेह (चटनी)
सदिका (कढ़ी)
दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी)
सिखरिणी (सिखरन)
अवलेह (शरबत)
बालका (बाटी)
इक्षु खेरिणी (मुरब्बा)
त्रिकोण (शर्करा युक्त)
बटक (बड़ा)
मधु शीर्षक (मठरी)
फेणिका (फेनी)
परिष्टïश्च (पूरी)
शतपत्र (खजला)
सधिद्रक (घेवर)
चक्राम (मालपुआ)
चिल्डिका (चोला)
सुधाकुंडलिका (जलेबी)
धृतपूर (मेसू)
वायुपूर (रसगुल्ला)
चन्द्रकला (पगी हुई)
दधि (महारायता)
स्थूली (थूली)
कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी)
खंड मंडल (खुरमा)
गोधूम (दलिया)
परिखा
सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त)
दधिरूप (बिलसारू)
मोदक (लड्डू)
शाक (साग)
सौधान (अधानौ अचार)
मंडका (मोठ)
पायस (खीर)
दधि (दही)
गोघृत
हैयंगपीनम (मक्खन)
मंडूरी (मलाई)
कूपिका (रबड़ी)
पर्पट (पापड़)
शक्तिका (सीरा)
लसिका (लस्सी)
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Cp..
#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्रा
काशी यात्रा में हम आपके सहयोगी और मार्गदर्शक बने यह हमारा परम सौभाग्य होगा के माध्यम से हम अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

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#काशी_यात्रा


 #काशी_यात्रा विष्णवे नमः श्री हरि विष्णु  (चित्र Nishant Chaturvedi)  कंगन वाली हवेली, पंचगंगा  काशी।पवित्र कार्तिक मास...
20/10/2022

#काशी_यात्रा
विष्णवे नमः श्री हरि विष्णु (चित्र Nishant Chaturvedi)
कंगन वाली हवेली, पंचगंगा काशी।

पवित्र कार्तिक मास में काशी में विष्णु पुरी अर्थात श्री हरि विष्णु के दर्शन करने का महात्म है। आदि केशव से पंचगंगा घाट बिंदुमाधव तक विष्णु काशी, (आदि विष्णु क्षेत्र) कही जाती है। इस क्षेत्र में प्रसिद्ध गोपाल मंदिर सहित अनेक श्री हरि विष्णु के सिद्ध पीठ विग्रह है। कार्तिक मास में विशेष रूप से यहां की यात्रा का विधान है,और दर्शन पूजन का विशेष महत्व होता है।

#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्रा
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 #काशी_यात्रा  #चतुर्दन्त_विनायक      #काशी_खण्डोक्तछप्पन विनायक अंतर्गतकुणीताक्षात्थैशान्यां चतुर्दन्तो विनायकः  ।तस्य ...
18/10/2022

#काशी_यात्रा

#चतुर्दन्त_विनायक #काशी_खण्डोक्त

छप्पन विनायक अंतर्गत

कुणीताक्षात्थैशान्यां चतुर्दन्तो विनायकः ।
तस्य दर्शनमात्रेन विघ्न्संघः क्षयेत् स्वयम् ।।
( #काशीखण्ड्)

कुणीताक्ष विनायक के ईशान कोण पर चतुर्दन्त विनायक है, इनके दर्शन पूजन से विघ्न समूह अपने आप ही भाग जाते है।
काशी मे यह विनायक पांचवे आवरण मे आते है और काशी क्षेत्र की और अपने भक्तो की रक्षा करते है।

पता - नईसड़क पर सनातनधर्म इंटरकॉलेज के परिषर मे, (गोदौलिया गिरजाघर चौराहा के पास) वाराणसी।
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 #काशी_यात्रा खाण्डोँबा श्री हरि विठ्ठल   दुर्गा घाट, काशी (चित्र, निशांत चतुर्वेदी ) #काशी_यात्रा  #आदि_न_अंत_ये_है_अनं...
16/10/2022

#काशी_यात्रा
खाण्डोँबा श्री हरि विठ्ठल
दुर्गा घाट, काशी (चित्र, निशांत चतुर्वेदी )

#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
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#काशी_यात्रा


 #काशी_यात्रा काशी यात्रा में मास यात्रा जो होती है यानी महीने की जो यात्रा बतलाई गई है। उसमें कार्तिक मास में जो कि बहु...
10/10/2022

#काशी_यात्रा
काशी यात्रा में मास यात्रा जो होती है यानी महीने की जो यात्रा बतलाई गई है। उसमें कार्तिक मास में जो कि बहुत ही पवित्र मास है और विष्णु भगवान का महीना कहा जाता है इस महीने में पंचगंगा तीर्थ में स्नान और बिंदु माधव का दर्शन करने का विधान बताया गया है। ऋषिकृत में लिखा है,और यह प्राचीन काल से परंपरा चली आ रही है।
इसके साथ ही पंचगंगा घाट पर कार्तिक मास के प्रथम दिन से अर्थात प्रतिपदा से आकाश दीप जलाने का चलन अति प्रसिद्ध व प्राचीन है।
आकाश दीप जलाकर व्यक्ति अपने प्रिय जनों को अपने पितरों को सम्मान प्रदान करता है। वह ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करता है
#काशी_यात्रा
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 #महादेवी_काली_मंदिर_मंदाकिनी_तट_काशी  #नवरात्रि  #काशी_यात्रा  #आदि_न_अंत_ये_है_अनंत सप्तम्म कालरात्रि च.... #काशी_यात्...
02/10/2022

#महादेवी_काली_मंदिर_मंदाकिनी_तट_काशी
#नवरात्रि
#काशी_यात्रा #आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
सप्तम्म कालरात्रि च....

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02/10/2022

#महादेवी_काली_मंदिर_मंदाकिनी_तट_काशी
#नवरात्रि
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सप्तम्म कालरात्रि च....

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 #काशी_यात्रा     #आदि_न_अंत_ये_है_अनंत  #चंद्रघंटा (चित्रघंटा)     #काशी_खंडोक्त #तृतीय_चन्द्रघंटाचित्रगुप्तेश्वर वीक्ष...
28/09/2022

#काशी_यात्रा

#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत

#चंद्रघंटा (चित्रघंटा) #काशी_खंडोक्त

#तृतीय_चन्द्रघंटा

चित्रगुप्तेश्वर वीक्ष्य चित्रघण्टां प्रपूज्य च ।
बहुपताकयुक्तोSपि त्यक्तधर्मपथोSपि वा ।।
न चित्रगुप्तलेख्यः स्यच्चित्रघण्टाSअर्चको नरः ।
( #काशीखण्ड)

जो मनुष्य चित्रगुप्तेश्वर लिंग और चित्रघंटा (चंद्रघंटा) देवी का पूजन कर लेता है , चाहे वह बहुत सारे पापों से पूर्ण और धर्म मार्ग का त्याग भी कर दिया हो इसके बावजूद भी अगर उसने चंद्रघंटा अथवा चित्रघंटा देवी का पूजन कर लिया तोह वह , चित्रगुप्त के लिखने के योग्य नही होता ।
(अर्थात यमराज के सभा मे उसके पाप का कोई लेखा झोखा नही होता , नर्क का मुख नही देखने पता)

पता- चौक थाना के सामने चित्रघंटा गली में , वाराणसी ।
#काशी_यात्रा
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#काशी_यात्रा


 #नवरात्रि महादेवी काली मंदिर, मंदाकिनी तट, काशी। #काशी_यात्रा  #आदि_न_अंत_ये_है_अनंत आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ प...
27/09/2022

#नवरात्रि
महादेवी काली मंदिर, मंदाकिनी तट, काशी।

#काशी_यात्रा
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#काशी_यात्रा


 #नवरात्रि  #काशी_यात्रा   काशी वास करने वाले लोगों के लिए काशी में यात्रा के विधान में आश्विन शुक्ल पक्ष प्रथमा से नवमी...
25/09/2022

#नवरात्रि
#काशी_यात्रा

काशी वास करने वाले लोगों के लिए काशी में यात्रा के विधान में आश्विन शुक्ल पक्ष प्रथमा से नवमी तक अर्थात क्वार शरद नवरात्र में विश्व भुजा गौरी के दर्शन करने का विधान है। काशी खंड के ७० वें अध्याय के २३श्लोक में इनके दर्शन का विधान बताया गया है।

शारदं नवरात्रं च कार्या यात्रा प्रयत्नतः।
देव्या विश्वभुजाया वै सर्वकामसमृध्ये।।
अर्थात
आश्विन मास के नवरात्र भर इनकी यात्रा(दर्शन) बड़े परिश्रम से करनी चाहिए। क्योंकि विश्व भुजा देवी ही सब कामनाओं को पूर्ण करती हैं।
यदि कोई भी स्त्री या पुरुष आश्विन मास के नवरात्र भर शुद्ध मन से संकल्प करके इनका दर्शन करता है। तो उसकी मनोकामना निश्चय ही पूर्ण होती है। इसमें किसी प्रकार का कोई भी संशय नहीं रखना चाहिए।
( पता = विश्व भुजा गौरी का मंदिर, धर्मकूप के पास, विशालाक्षी देवी मंदिर के निकट, मीर घाट, वाराणसी में स्थित है।)
#काशी_यात्रा
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#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
#काशी_यात्रा


 #एकायतन_यात्राजो कोई भी काशी वास करने वाला,  श्री गंगा जी के हृदय स्वरूप श्री मणिकर्णिका तीर्थ में नहा कर भगवान विश्वेश...
21/09/2022

#एकायतन_यात्रा
जो कोई भी काशी वास करने वाला, श्री गंगा जी के हृदय स्वरूप श्री मणिकर्णिका तीर्थ में नहा कर भगवान विश्वेश्वर का दर्शन करता है।
वह शिव रूप हो जाता है अर्थात फिर उसका जन्म नहीं होता। यही यात्रा काशी खंड के अनुसार #एकायतनयात्रा भी कही गई है।

काशी की ये सबसे मुख्य यात्रा है।

"दृश्यो विश्वेश्वरो नित्यम स्नातव्या मणिकर्णिका।"
अर्थात
नित्य ही विश्वनाथ का दर्शन और मणिकर्णिका का स्नान करना चाहिए।
#काशी_यात्रा
#आदि_न_अंत_ये_है_अनंत
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 #काशी_तीर्थ_यात्रा #काशीखंड नारी वा पुरुषो वापि लभते वांछितं पदम्स्नात्वा च ललितातीर्थे ललिता प्रणिपत्य वैआश्विन मास की...
11/09/2022

#काशी_तीर्थ_यात्रा

#काशीखंड
नारी वा पुरुषो वापि लभते वांछितं पदम्
स्नात्वा च ललितातीर्थे ललिता प्रणिपत्य वै

आश्विन मास की कृष्णा द्वितीय तिथि पर ललिता देवी का पूजन करने से क्या स्त्री, क्या पुरुष सभी अपने वांछित फल को पा जाते है।

#जो_इस_वर्ष_12_09_22_को_है

ललिता तीर्थ (घाट) पर नहाकर ललिता देवी को प्रणाम कर के जो कुछ बन पड़े स्तुति करने से सर्वत्र ही लालित्यालाभ ही किया जा सकता है।
#काशी_यात्रा
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#काशी_यात्रा


 #पितृपक्ष महालय प्रारंभ।।धर्मो रक्षति रक्षित:।। #महातीर्थ_क्षेत्र_मणिकर्णिका_तीर्थसनातन धर्म के प्रत्येक संस्कार, कर्म,...
11/09/2022

#पितृपक्ष
महालय प्रारंभ
।।धर्मो रक्षति रक्षित:।।
#महातीर्थ_क्षेत्र_मणिकर्णिका_तीर्थ
सनातन धर्म के प्रत्येक संस्कार, कर्म,पर्व,व्रत, देव दर्शन, तीर्थ स्थान, #तीर्थ_यात्रा, सभी मानव के प्रत्यक्ष कल्याण के लिए है। जब आप इन पर शोध करते हैं तो आप पायेंगे कि ये सभी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी 100% सिद्ध होते हैं। और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, चारों की सिद्धि प्रदान करते हैं।
हर हर महादेव, जय महाकाली...
#काशी_यात्रा
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आइए हम और आप करते हैं काशी तीर्थ पुण्य क्षेत्र की यात्रा
काशी यात्रा में हम आपके सहयोगी और मार्गदर्शक बने यह हमारा परम सौभाग्य होगा के माध्यम से हम अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

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#पित्रपक्ष

 #काशी_यात्राजैसा कि अपने धर्म पुराणों में वर्णित है कि काशी मात्र जीवन यापन करने, भोग करने के लिए नहीं है।बल्कि काशीवास...
10/09/2022

#काशी_यात्रा
जैसा कि अपने धर्म पुराणों में वर्णित है कि काशी मात्र जीवन यापन करने, भोग करने के लिए नहीं है।बल्कि काशीवास करने के लिए है। अर्थात काशी आने वाले या रहने वालों को कुछ यात्राएं प्रमुख रूप से बताई गई हैं जिनका यथाशक्ति प्रयास करके दर्शन पूजन जप, तप, साधना, उस स्थान पर जाकर करना चाहिए। जिसे काशी यात्रा कहते है।ताकि काशी में रहने का कुछ पुण्य लाभ मिल सके। काशी यात्रा के क्रम में वार्षिक यात्रा में, भाद्र शुक्लपक्ष पूर्णिमा को कुलस्तंभ, लाटभैरो पर, कुंड में स्नान, आचमन कर के लाट भैरव के दर्शन पूजन की यात्रा है।
#काशी_यात्रा
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