Know Your Bharat

  • Home
  • Know Your Bharat

Know Your Bharat Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Know Your Bharat, .

28/03/2024
प्रायः मैं दिन में सिर्फ दो बार चाय पीता हूँ लेकिन न जाने क्यों, कल शाम की चाय के बाद सोचने लगा और फिर ख्याल आया कि :*यू...
20/03/2024

प्रायः मैं दिन में सिर्फ दो बार चाय पीता हूँ लेकिन न जाने क्यों, कल शाम की चाय के बाद सोचने लगा और फिर ख्याल आया कि :
*यूपी से सरकार चले जाने के बाद अखिलेश यादव ने सैफई महोत्सव क्यों नहीं मनाया ??😳

बसपा सरकार जाने के बाद मायावती के जन्मदिन पर उसे हीरे, ताज, नोटों से क्यों नहीं तौला गया ???? 🤔

यूपी में योगी जी के सीएम बनने के बाद अब अतीक अहमद, आजम खान, मुख्तार अंसारी जैसा बाहुबली क्यों नहीं पैदा हुआ है ????? 😍

मोदी के आने के बाद , पी. चिदंबरम अपने बंगले के गमलों में 6 करोड़ की गोभी क्यों नहीं उगा पा रहा है ??? 🤔🤔

आजकल सुप्रिया सुले अपनी दस एकड़ जमीन में 670 करोड़ की फसल क्यों नहीं उगा पाती हैं ???😀

हरियाणा में कांग्रेस की सरकार चले जाने के बाद रोबर्ट वाड्रा ने वहाँ कोई जमीन क्यों नहीं खरीदी ???😘

कांग्रेस सरकार जाने के बाद मुंबई में फिर कोई हाजी़ मस्तान, करीम लाला, दाऊद इब्राहिम पैदा क्यों नहीं हुआ ???😳

यस बैंक के मालिक राणा कपूर को ढाई करोड़ की पेंटिंग बेचने के बाद, प्रियंका गांधी ने फिर कोई पेंटिंग क्यों नहीं बेची ??😂

ए. के. एंटनी ने अपनी पत्नी के हाथ की पेंटिंग सरकार को 28 करोड़ में बेचने के बाद अपनी पत्नी से फिर कोई पेंटिंग क्यों नहीं बनवाई ???😀

यूपीए के दस वर्षीय (2004-14) शासनकाल में सोनिया अपनी अज्ञात बीमारी के इलाज के लिये प्रत्येक छ: माह के अन्तराल पर "अज्ञात" देश को नियमित रुप से जाती थी.वह रहती दिल्ली में है पर उसकी उडा़न हमेशा केरल के एयरपोर्ट से होती थी और उसके लगेज में 4-5 बडे़-बडे़ ट्रंक हमेशा हुआ करते थे 🤔

किसी प्रकार की सिक्योरिटी-चेक का सवाल ही नहीं था क्योंकि वह उस समय भारत की "सुपर पीएम" थी. 2014 में सत्ता परिवत्तॆन के बाद आश्चयॆजनक रुप से सोनिया की "अज्ञात" बीमारी उड़न छू कैसे हो गई ???😀

कल फिर कडक चाय पिऊंगा और फिर सोंचूँगा! आप भी एक बार इस बारे में जरूर सोचना!! प्रश्न वाकई गंभीर है.😔

ऐसे और अनगिनत सवाल हैं, जिनके बारे में हम सबको सोचना ही चाहिए।🥳

जय माँ भारती 🙏🏻

🙏🏻हर हर महादेव🙏🏻

अकबर के नौरत्नों से इतिहास भर दिया पर महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों की कोई चर्चा पाठ्यपुस्तकों में नहीं है। जबकि सत्य...
31/05/2022

अकबर के नौरत्नों से इतिहास भर दिया पर महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों की कोई चर्चा पाठ्यपुस्तकों में नहीं है। जबकि सत्य यह है कि अकबर को महान सिद्ध करने के लिए महाराजा विक्रमादित्य की नकल करके कुछ धूर्तों ने इतिहास में लिख दिया कि अकबर के भी नौ रत्न थे ।
राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों को जानने का प्रयास करते हैं।
राजा विक्रमादित्य के दरबार में मौजूद नवरत्नों में उच्च कोटि के कवि, विद्वान, गायक और गणित के प्रकांड पंडित शामिल थे, जिनकी योग्यता का डंका देश-विदेश में बजता था। चलिए जानते हैं कौन थे।
ये हैं नवरत्न –
1– #धन्वन्तरि-
नवरत्नों में इनका स्थान गिनाया गया है। इनके रचित नौ ग्रंथ पाये जाते हैं। वे सभी आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र से सम्बन्धित हैं। चिकित्सा में ये बड़े सिद्धहस्त थे। आज भी किसी वैद्य की प्रशंसा करनी हो तो उसकी ‘धन्वन्तरि’ से उपमा दी जाती है।
2– #क्षपणक-
जैसा कि इनके नाम से प्रतीत होता है, ये बौद्ध संन्यासी थे।
इससे एक बात यह भी सिद्ध होती है कि प्राचीन काल में मन्त्रित्व आजीविका का साधन नहीं था अपितु जनकल्याण की भावना से मन्त्रिपरिषद का गठन किया जाता था। यही कारण है कि संन्यासी भी मन्त्रिमण्डल के सदस्य होते थे।
इन्होंने कुछ ग्रंथ लिखे जिनमें ‘भिक्षाटन’ और ‘नानार्थकोश’ ही उपलब्ध बताये जाते हैं।
3– #अमरसिंह-
ये प्रकाण्ड विद्वान थे। बोध-गया के वर्तमान बुद्ध-मन्दिर से प्राप्य एक शिलालेख के आधार पर इनको उस मन्दिर का निर्माता कहा जाता है। उनके अनेक ग्रन्थों में एक मात्र ‘अमरकोश’ ग्रन्थ ऐसा है कि उसके आधार पर उनका यश अखण्ड है। संस्कृतज्ञों में एक उक्ति चरितार्थ है जिसका अर्थ है ‘अष्टाध्यायी’ पण्डितों की माता है और ‘अमरकोश’ पण्डितों का पिता। अर्थात् यदि कोई इन दोनों ग्रंथों को पढ़ ले तो वह महान् पण्डित बन जाता है।
4– #शंकु –
इनका पूरा नाम ‘शङ्कुक’ है। इनका एक ही काव्य-ग्रन्थ ‘भुवनाभ्युदयम्’ बहुत प्रसिद्ध रहा है। किन्तु आज वह भी पुरातत्व का विषय बना हुआ है। इनको संस्कृत का प्रकाण्ड विद्वान् माना गया है।
5– #वेतालभट्ट –
विक्रम और वेताल की कहानी जगतप्रसिद्ध है। ‘वेताल पंचविंशति’ के रचयिता यही थे, किन्तु कहीं भी इनका नाम देखने सुनने को अब नहीं मिलता। ‘वेताल-पच्चीसी’ से ही यह सिद्ध होता है कि सम्राट विक्रम के वर्चस्व से वेतालभट्ट कितने प्रभावित थे। यही इनकी एक मात्र रचना उपलब्ध है।
6– #घटखर्पर –
जो संस्कृत जानते हैं वे समझ सकते हैं कि ‘घटखर्पर’ किसी व्यक्ति का नाम नहीं हो सकता। इनका भी वास्तविक नाम यह नहीं है। मान्यता है कि इनकी प्रतिज्ञा थी कि जो कवि अनुप्रास और यमक में इनको पराजित कर देगा उनके यहां वे फूटे घड़े से पानी भरेंगे। बस तब से ही इनका नाम ‘घटखर्पर’ प्रसिद्ध हो गया और वास्तविक नाम लुप्त हो गया।
इनकी रचना का नाम भी ‘घटखर्पर काव्यम्’ ही है। यमक और अनुप्रास का वह अनुपमेय ग्रन्थ है।
इनका एक अन्य ग्रन्थ ‘नीतिसार’ के नाम से भी प्राप्त होता है।
7– #कालिदास –
ऐसा माना जाता है कि कालिदास सम्राट विक्रमादित्य के प्राणप्रिय कवि थे। उन्होंने भी अपने ग्रन्थों में विक्रम के व्यक्तित्व का उज्जवल स्वरूप निरूपित किया है। कालिदास की कथा विचित्र है। कहा जाता है कि उनको देवी ‘काली’ की कृपा से विद्या प्राप्त हुई थी। इसीलिए इनका नाम ‘कालिदास’ पड़ गया। संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से यह कालीदास होना चाहिए था किन्तु अपवाद रूप में कालिदास की प्रतिभा को देखकर इसमें उसी प्रकार परिवर्तन नहीं किया गया जिस प्रकार कि ‘विश्वामित्र’ को उसी रूप में रखा गया।
जो हो, कालिदास की विद्वता और काव्य प्रतिभा के विषय में अब दो मत नहीं है। वे न केवल अपने समय के अप्रितम साहित्यकार थे अपितु आज तक भी कोई उन जैसा अप्रितम साहित्यकार उत्पन्न नहीं हुआ है। उनके चार काव्य और तीन नाटक प्रसिद्ध हैं। शकुन्तला उनकी अन्यतम कृति मानी जाती है।
8– #वराहमिहिर –
भारतीय ज्योतिष-शास्त्र इनसे गौरवास्पद हो गया है। इन्होंने अनेक ग्रन्थों का प्रणयन किया है। इनमें-‘बृहज्जातक‘, सुर्यसिद्धांत, ‘बृहस्पति संहिता’, ‘पंचसिद्धान्ती’ मुख्य हैं। गणक तरंगिणी’, ‘लघु-जातक’, ‘समास संहिता’, ‘विवाह पटल’, ‘योग यात्रा’, आदि-आदि का भी इनके नाम से उल्लेख पाया जाता है।
9– #वररुचि-
कालिदास की भांति ही वररुचि भी अन्यतम काव्यकर्ताओं में गिने जाते हैं। ‘सदुक्तिकर्णामृत’, ‘सुभाषितावलि’ तथा ‘शार्ङ्धर संहिता’, इनकी रचनाओं में गिनी जाती हैं।
इनके नाम पर मतभेद है। क्योंकि इस नाम के तीन व्यक्ति हुए हैं उनमें से-
1.पाणिनीय व्याकरण के वार्तिककार-वररुचि कात्यायन,
2.‘प्राकृत प्रकाश के प्रणेता-वररुचि
3.सूक्ति ग्रन्थों में प्राप्त कवि-वररुचि
नोट आपको पता है ऐसे नवरत्न अब क्यों नहीं पैदा होते क्योंकि वेदों के ऊपर रिसर्च नहीं होता धर्म ग्रंथों को पढ़ाया नहीं जाता और धर्म ग्रंथों के ज्ञान को सिर्फ एक समाज के फायदे से जोड़ दिया और धर्म ग्रंथ के ज्ञान को पूजा-पाठ तक ही सीमित रख दिया मगर आप सच्चाई जानते हैं हमारे धर्म ग्रंथों का ज्ञान किसी भी विज्ञान गणित साइंस से भी आगे है ऋषि परंपरा गुरुकुल की बहुत आवश्यकता है

29/11/2021

माता शबरी बोली- यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते?"
राम गंभीर हुए। कहा, "भ्रम में न पड़ो अम्मा! राम क्या रावण का वध करने आया है? छी... अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से वाण चला कर भी कर सकता है। राम हजारों कोस चल कर इस गहन वन में आया है तो केवल तुमसे मिलने आया है अम्मा, ताकि हजारों वर्षों बाद जब कोई पाखण्डी भारत के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा करे तो इतिहास चिल्ला कर उत्तर दे कि इस राष्ट्र को क्षत्रिय राम और उसकी भीलनी माँ ने मिल कर गढ़ा था !जब कोई कपटी भारत की परम्पराओं पर उँगली उठाये तो तो काल उसका गला पकड़ कर कहे कि नहीं ! यह एकमात्र ऐसी सभ्यता है जहाँ एक राजपुत्र वन में प्रतीक्षा करती एक दरिद्र वनवासिनी से भेंट करने के लिए चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार करता है। राम वन में बस इसलिए आया है ताकि जब युगों का इतिहास लिखा जाय तो उसमें अंकित हो कि सत्ता जब पैदल चल कर समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे तभी वह रामराज्य है। राम वन में इसलिए आया है ताकि भविष्य स्मरण रखे कि प्रतिक्षाएँ अवश्य पूरी होती हैं !!!
सबरी एकटक राम को निहारती रहीं। राम ने फिर कहा- " राम की वन यात्रा रावण युद्ध के लिए नहीं है माता! राम की यात्रा प्रारंभ हुई है भविष्य के लिए आदर्श की स्थापना के लिए। राम आया है ताकि भारत को बता सके कि अन्याय का अंत करना ही धर्म है l राम आया है ताकि युगों को सीख दे सके कि विदेश में बैठे शत्रु की समाप्ति के लिए आवश्यक है कि पहले देश में बैठी उसकी समर्थक सूर्पणखाओं की नाक काटी जाय, और खर-दूषणो का घमंड तोड़ा जाय। और राम आया है ताकि युगों को बता सके कि रावणों से युद्ध केवल राम की शक्ति से नहीं बल्कि वन में बैठी सबरी के आशीर्वाद से जीते जाते हैं।"
सबरी की आँखों में जल भर आया था। उसने बात बदलकर कहा- कन्द खाओगे राम?
राम मुस्कुराए, "बिना खाये जाऊंगा भी नहीं अम्मा..."
सबरी अपनी कुटिया से झपोली में कन्द ले कर आई और राम के समक्ष रख दिया। राम और लक्ष्मण खाने लगे तो कहा- मीठे हैं न प्रभु?
यहाँ आ कर मीठे और खट्टे का भेद भूल गया हूँ अम्मा! बस इतना समझ रहा हूँ कि यही अमृत है...

सबरी मुस्कुराईं, बोलीं- "सचमुच तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो राम! गुरुदेव ने ठीक कहा था..."

Manoj Muntashir

प्राचीन काल से शादी विवाह आदि उत्सवों में मालू के पत्तल, छोटे बड़े दोने उपयोग होते रहे हैं, मालू की पत्तल पर खाने का अपन...
29/11/2021

प्राचीन काल से शादी विवाह आदि उत्सवों में मालू के पत्तल, छोटे बड़े दोने उपयोग होते रहे हैं, मालू की पत्तल पर खाने का अपना अलग ही स्वाद है, स्वास्थवर्धक भी है, पर्यावरण की दृष्टि भी उपयोगी है, उपयोग के बाद पत्तो को जानवर खा लेते हैं उन्हें भोजन मिल जाता है, और कचरा निस्तारण भी हो जाता है, पर अब वक्त के साथ-साथ यह लगभग खत्म हो गया।
अब इनका स्थान थर्माकोल,प्लास्टिक ने ले लिया जो पर्यावरण के लिए घातक तो है इनमें भोजन करने के कारण इंसान कैंसर से मर रहा है और जानवर इनको खा कर मर रहे हैं और जो बच जाता है वह समुद्र में जाकर मिलता है वहां भी नुकसान ही है। आधुनिक तकनीकी के समय में जो जो आविष्कार हुए हैं सब ने पर्यावरण का सत्यानाश कर दिया साथ ही इंसान को आलसी और निठल्ला बना दिया।
यज्ञ अनुष्ठान में मालू पात शुभ माना जाता हैं, विवाह के विषय में एक कथन है(हल्दी हाथ ,मालू पात), विवाह में जिस प्रकार हल्दी लगाना शुभ माना जाता है उसी प्रकार मालू पात भी शुभ माना जाता है।
मालू के पत्तों को ढककर रख दिया जाय ताकि पत्तो पर हवा न लगे तो मालू के पत्ते महीनों तक खराब नहीं होते। बारिश से बचने के लिए मालू के पत्तों से छाता भी बनता है, मालू की बेल की छाल बहुत मजबूत होती है, इससे मजबूत कालीन बनती है जो कई वर्षो तक चलती है।
मालू के पत्तों के अनेक उपयोग हैं, जो हमें अपने पूर्वजों के द्वारा उपहार में मिली हुई संपति है, हम सब का कर्तव्य है जन, जंगल, जमीन,पर्यावरण को बचाना 🙏
साभार 🙏
🌹🙏🌹🙏

पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था,मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्...
26/11/2021

पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था,
मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी?
आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था?
शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी।
लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था।
वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं!
आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था?
भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी?
किसने आपके कपड़े धोये?
डोली अपने कंधे पर कौन मीलो-मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे।
किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी?
कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था?
कौन फसल लाता था?
कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं?
जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे। . . और कहते है कि छुआछूत था।
यह छुआछूत की बीमारी मुस्लिमों और अंग्रेजों ने हिंदू धर्म को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।
जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई उल्लेख नहीं करता।
अगर जातिवाद होता तो राम कभी सबरी के झूठे बेर ना खाते,
बाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढता,
कृष्ण कभी सुदामा के पैर ना धोते!
जाति में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये..
देश जोड़िये.. सभी को अवगत कराएं!
सभी जातियाँ सम्माननीय हैं...
एक हिंदु, एक भारत, श्रेष्ठ भारत।

 #पोरस_महान_और_सिकन्दरजो जीता वो सिकन्दर नही बल्कि जो जीता वो योद्धा पोरस बोलो, राजा पोरस सैनी को नहीं हरा पाया था सिकंद...
19/11/2021

#पोरस_महान_और_सिकन्दर
जो जीता वो सिकन्दर नही बल्कि जो जीता वो योद्धा पोरस बोलो, राजा पोरस सैनी को नहीं हरा पाया था सिकंदर !
आज तक आपने यही पढ़ा होगा की जो जीता वही सिकंदर।लेकिन असलियत में जो जीता वो पोरस होना चाहिए था। बहुत कम लोग ये बात जानते है की कैसे पोरस के साथ युद्ध में सिकंदर अपनी जान बचा के भागा था। और सबसे बड़ी बात ये कि पोरस की हार सिकंदर से नहीं हुई थी। पोरस की हार को गलत तरीके से दिखाने का काम कुछ इतिहासकारों ने किया है।
इतिहास ज्ञाता एवं प्रख्यात लेखक प्लूटार्क ने भी लिखा है कि सिकंदर सम्राट पुरु यानि के पोरस की 20,000 की सेना के सामने नहीं ठहर पाई थी। असल में तो पोरस की सेना ने सिकंदर की सेना को बुरी तरह मार गिराया था। नहीं तो आप ही सोचिये की अगर सिकंदर जीत जाता तो मगध की गद्दी पर बैठा होता। मगर सिकंदर का कारवां तो पारस के साम्राज्य तक ही सिमट के रह गया और उससे आगे नहीं बढ़ पाया।
जिसका साफ़ मतलब निकलता है की सिकंदर वहीं हार चुका था और मगध नहीं पहुँच पाया था। इसका उल्लेख ‘व्यथित जम्मू कश्मीर’ नामक किताब में भी किया गया है।
आइये अब आपको पोरस और सिकंदर के युद्ध के बारे में पूरी जानकरी देते हैं :
भारत में सिंध-पंजाब सहित एक बहुत बड़े भू–भाग के स्वामी महाराजा पोरस थे। उपरी भारत में घुसने के लिए सिंध को पार करना पड़ता था।वहीँ दूसरी ओर सिंकदर मेसेडोनिया का ग्रीक शासक था। सिकंदर ने अपने पिता की मृत्यु के बाड़ अपने ही भाइयों का क़त्ल करने पर ये राज सत्ता हासिल कर सका था। जबकि भारतीय इतिहास में सिकंदर को बहुत दयालु राजा की तरहद र्शाया गया है, असल में सिकंदर ने की कत्लेआम किये हैं।
सिकंदर जब भारत आया तो उसकी भारत पर कब्ज़ा करने की इच्छा हुई। पोरस के बारे में सुनने के बाद सिकंदर ने पोरस को अपने साथ शामिल होने प्रस्ताव दिया। परन्तु अपनी धरती माँ के प्यार से सराबोर पोरस ने सिकंदर के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। फिर तय हुआ की युद्ध होगा और जिसकी जीत होगी वही इतिहास लिखेगा।
सिकंदर अच्छी तरह जानता था की भारत पर कब्ज़ा करने के लिए पोरस को हराना बहुत ज़रूरी है।
झेलम नदी को पार कर सिकंदर की सेना ने पोरस की सेना पर हमला बोल दिया और तब सिकंदर इस बात से अनजान था की झेलम की नदी पार करना उसकी सबसे बड़ी गलती साबित होगी। सिकंदर की सेना के झेलम नदी पार करते ही, नदी में बाड़ आ गयी। ऐसे हालात बन गये की एक तरफ से नदी का पानी वार कर रहा था तो दूसरी तरफ से पोरस की सेना वार कर रही थी। इस तरह पोरस और सिकंदर के इस युद्ध में सिकंदर की हार हुई।
मगर कुछ इतिहासकारों के अनुसार उस युद्ध में सिकंदर के साथ उसकी पत्नी भी उसके साथ थी ओए जब उसे लगा की पोरस का हराना बहुत कठिन हो रहा है तो सिकंदर को बचने के लिए उसने पोरस को राखी बाँध दी थी। इसी कारण पोरस ने सिकंदर को नहीं मारा।
सिकंदर और पोरस के बीच बहुत भयंकर युद्ध हुआ था और सिकंदर की सेना पोरस सेकाफी घबरा गयी थी और वहां से लौट गयी l
तो यह है असल इतिहास जो यूरोपीय लिखना भूल गये और जब आप ध्यानपूर्वक इसे खोजने का प्रयास करोगे तो आपको यहाँ लिखा हुआ इतिहास प्रमाण सहित किताबों में मिल जायेगा।
पोरस की वीरता को झेलम तू ही बतादे, यूनानी का सिकन्दर था तेरे तट पे हारा

पाताल भुवनेश्वर !!🔱 🚩🙏पाताल भुवनेश्वर चूना पत्थर की एक प्राकृतिक गुफा है, जो उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट ...
18/11/2021

पाताल भुवनेश्वर !!🔱 🚩🙏

पाताल भुवनेश्वर चूना पत्थर की एक प्राकृतिक गुफा है, जो उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट नगर से १४ किमी दूरी पर स्थित है। इस गुफा में धार्मिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई प्राकृतिक कलाकृतियां स्थित हैं। यह गुफा भूमि से ९० फ़ीट नीचे है, तथा लगभग १६० वर्ग मीटर क्षेत्र में विस्तृत है।

इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्णा ने की थी, जो सूर्य वंश के राजा थे और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करते थे।स्कंदपुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहां आते हैं। यह भी वर्णन है कि राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफा में प्रविष्ट हुए तो उन्होंने इस गुफा के भीतर महादेव शिव सहित ३३ कोटि देवताओं के साक्षात दर्शन किये थे। द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां चौपड़ खेला और कलयुग में जगदगुरु आदि शंकराचार्य का ८२२ ई के आसपास इस गुफा से साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने यहां तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया।

गुफा के अंदर जाने के लिए लोहे की जंजीरों का सहारा लेना पड़ता है यह गुफा पत्थरों से बनी हुई है इसकी दीवारों से पानी रिस्ता रहता है जिसके कारण यहां के जाने का रास्ता बेहद चिकना है। गुफा में शेष नाग के आकर का पत्थर है उन्हें देखकर एेसा लगता है जैसे उन्होंने पृथ्वी को पकड़ रखा है। इस गुफा की सबसे खास बात तो यह है कि यहां एक शिवलिंग है जो लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में शिवलिंग की ऊंचाई 1.50 feet है और शिवलिंग को छूने की लंबाई तीन feet है यहां शिवलिंग को लेकर यह मान्यता है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब दुनिया खत्म हो जाएगी। संकरे रास्ते से होते हुए इस गुफा में प्रवेश किया

🙏🔱🔱🚩🚩हर हर महादेव 🚩🚩🔱🔱🙏

22/01/2021

Follow Touroxy for amazing and ..

Ab Ghumo ❤️ khol ke
Keep travelling with

12/01/2021
05/01/2021
𝑲𝑵𝑶𝑾 𝒀𝑶𝑼𝑹 𝑩𝑯𝑨𝑹𝑨𝑻𝐎𝐌 𝐁𝐄𝐀𝐂𝐇Gokarna is a small temple town on the western coast of India in  Uttara Kannada district of Karn...
28/12/2020

𝑲𝑵𝑶𝑾 𝒀𝑶𝑼𝑹 𝑩𝑯𝑨𝑹𝑨𝑻

𝐎𝐌 𝐁𝐄𝐀𝐂𝐇

Gokarna is a small temple town on the western coast of India in Uttara Kannada district of Karnataka. Om beach is around 6 km from Gokarna, along a muddy hill, and is named so because it is shaped like the auspicious ॐ Om symbol.

🇮🇳🇮🇳🇮🇳
🚩🚩🚩

🕉️🕉️🕉️
🔱🔱🔱
🙏🏼🙏🏼🙏🏼

📸 by:

Address


Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Know Your Bharat posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Shortcuts

  • Address
  • Alerts
  • Claim ownership or report listing
  • Want your business to be the top-listed Travel Agency?

Share