02/06/2022
#चापड़ा चटनी
#माटरा चांटी के चटनी
छतीसगढ़ में पेड़ों में बहुतायत में पाया जाने वाला लाल चींटी विशेषकर बस्तर क्षेत्र में काफी लोकप्रिय है। यहां के लोगों का मानना है कि चापड़ा स्वास्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इन चीटियों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन के साथ ही आयरन और कैल्सियम पाया जाता है, इसके सेवन से मलेरिया, पीलिया और अन्य जलजनित बीमारियों से आराम मिलता है, यही नहीं ग्रामीण अंचलों में रहने वाले आदिवासी तेज बुखार होने पर इस चींटी के झुंड में पंहुच जाते हैं और इन चींटियों के डंक से बुखार भी धीरे- धीरे उतरने लगता है। मार्च और अप्रैल का महीना आते ही ये लाल चींटियां जंगलों में आम के पेड़, सरगी और सालवन के पेड़ों के पत्तों मे बड़े पैमाने पर छत्ता बनाती हैं, फिर ग्रामीण इन इन चींटियों को जमा कर लेते हैं, अगर इसकी चटनी बनानी हो तो उसे सिलबट्टे पर पीस कर उसमें स्वाद के अनुसार नमक और मिर्च मिलाते हैं, इससे स्वाद चटपटा हो जाता है और फिर बड़े चाव से खाते हैं।
चापड़ा चटनी में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन होने की वजह से यह शरीर को काफी चुस्त दुरुस्त रखती है. बस्तर में चापड़ा चटनी और मंडिया पेज का खासा कंबीनेशन है।
आप भी अपने बस्तर यात्रा में इसी शामिल जरूर करें।