Uttarakhand-सौंदर्य दर्शन

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15/07/2023
14/05/2023
उत्तराखण्ड कुमाऊं - चीर की होली
05/03/2023

उत्तराखण्ड कुमाऊं - चीर की होली

कुमाऊं नी होली में चीर या निशान बंधन का विशेष महत्व है। होलिकाष्टमी के दिन मंदिरों या सार्वजनिक स्थानों पर एकादशी ...

06/02/2023
30/01/2023
26/01/2023

देवभूमि उत्तराखंड.

देवभूमि उत्तराखंड  की  झांकी.....
26/01/2023

देवभूमि उत्तराखंड की झांकी.....

देश 74 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति और तीनों सेनाओं की कमांडर द्रौपदी मुर्मू को परेड ने ...

24/01/2023
22/01/2023
22/01/2023
31/07/2022
25/07/2022

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज संसद भवन कक्ष में केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी से भेंट कर राज्य में चल रहे विकास कार्यों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी जी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों में देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और कनेक्टिविटी में काफी काम हुआ है। मुख्यमंत्री ने NH-109 के चौड़ीकरण हेतु PWD उत्तराखण्ड को निर्माण एजेंसी नामित किये जाने, NH-09 के अन्तर्गत पिथौरागढ़-अस्कोट मोटर मार्ग (किमी0 2.81 से किमी0 50.00) की DPR प्रस्तुत स्वीकृति, सितारगंज-टनकपुर मोटर मार्ग को 04 लेन में निर्मित किये जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से मसूरी में 02 लेन टनल परियोजना के कार्य हेतु PWD को कार्यदायी संस्था बनाये रखने और NH-731 के अन्तर्गत मझौला - खटीमा ( 13 किमी0) मोटर मार्ग को 04 लेन में परिवर्तित किये जाने के सम्बन्ध में भी अनुरोध किया।

23/09/2021

पाताल भुवनेश्वर
(Patal Bhubaneshwar Temple)

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा भक्तों की आस्था का केंद्र है। यह गुफा भूमि से ९० फ़ीट नीचे है, तथा लगभग १६० वर्ग मीटर क्षेत्र में विस्तृत है। यह गुफा उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमांत कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है। पाताल भुवनेश्वर गुफा किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इस गुफा की खोज भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त अयोध्या के राजा ऋतुपर्ण ने की थी।
Iगुफा के अंदर जाने के लिए लोहे की जंजीरों का सहारा लेना पड़ता है यह गुफा पत्थरों से बनी हुई है इसकी दीवारों से पानी रिस्ता रहता है जिसके कारण यहां के जाने का रास्ता बेहद चिकना है।इस गुफा के अंदर काफी अंधेरा है लेकिन अब लाइट की व्यवस्था कर दी गई है। गुफा में शेष नाग के आकर का पत्थर है उन्हें देखकर एेसा लगता है जैसे उन्होंने पृथ्वी को पकड़ रखा है। इस गुफा की सबसे खास बात तो यह है कि यहां एक शिवलिंग है जो लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में शिवलिंग की ऊंचाई 1.50 feet है और शिवलिंग को छूने की लंबाई तीन feet है यहां शिवलिंग को लेकर यह मान्यता है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब दुनिया खत्म हो जाएगी। संकरे रास्ते से होते हुए गुफा के अंदर 180 सीढ़िया पार करने पर एक अलग ही नजारा दिखता है। गुफा के अंदर जाते ही एक कमरा मिलता है, जिसमें करीब 33 हजार देवी देवता की मूर्तियां हैं, यहां पर बहता पानी भी मिलता है। बताया जाता है कि इस गुफा में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजी की जाती है और ऐसी मान्यता है कि गुफा में एक साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ, अमरनाथ देखे जा सकते हैं।
कुछ मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने क्रोध के आवेश में गजानन का जो मस्तक शरीर से अलग किया था, वह उन्होंने इस गुफा में रखा था। दीवारों पर हंस बने हुए हैं जिसके बारे में ये माना जाता है कि यह ब्रह्मा जी का हंस है। गुफा के अंदर एक हवन कुंड भी है। इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि इसमें जनमेजय ने नाग यज्ञ किया था जिसमें सभी सांप जलकर भस्म हो गए थे इस गुफा में एक हजार पैर वाला हाथी भी बना हुआ है.|

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