31/03/2022
"उत्तराखंड के शक्तिशाली लोक देवता नरसिंह देवता"
हिंदू ग्रन्थों के अनुसार नरसिंह देवता भगवान विष्णु जी के चौथे अवतार थे। जिनका मुँह सिंह का और धड़ मनुष्य का था जो हिंदू ग्रन्थों में इसी रूप में पूजे जाते हैं।
परन्तु उत्तराखंड में नरसिंह देवता को भगवान विष्णु के चौथे अवतार को नही पूजा जाता, बल्कि एक सिद्ध योगी नरसिंह देवता को पूजा जाता है। वो एक जोगी के रूप में पूजे जाते हैं।
उत्तराखंड के लोकदेवता नरसिंह को अवतरित और पूजा करने के लिए जो जागर, घड़ियाल लगाई जाती है, उसमें उनके 52 वीरों और 09 रूपों का वर्णन किया जाता है। जिसमें नरसिंह देवता का एक जोगी के रूप में वर्णन किया जाता है। जो की एक प्रिय झोली, चिमटा और तिमर का डंडा साथ में लिए रहते है। नरसिंह देवता के इन्ही प्रतीकों को देखकर उनको देवरूप मान कर उनकी पूजा की जाती हैं।
उत्तराखंड के गढ़वाल कुमाऊँ में नाथपंती देवताओं की पूजा होती है, जिनमें यह नौ नरसिंह भी है।
बताया जाता है कि भगवान शिव ने इनकी उत्पत्ति की थी और इनकी उत्पति कोई त्रिफल कहता है तो कोई केसर का पेड़ की इनसे 9 नाथ नरसिंह की उत्पत्ति हुई थी।
भगवान शिव ने केसर के बीज बोए उनकी दूध से सिंचाई की केसर की डाली लगी।। उस पर 9 फल उगे और वह 9 फल अलग अलग स्थान/खंडों पर गिरे तब जाकर यह 9 भाई नरसिंह पैदा हुए।
पहला फल गिरा केदार घाटी में केदारी नरसिंह पैदा हो गए,
दूसरा बद्री खंड में तो बद्री नरसिंह पैदा हुए,
तीसरा फल गिरा दूध के कुंड में तो दूधिया नरसिंह पैदा हुए, ऐसे ही जहां जहाँ वह फल गिरे वह पैदा होते गए डौंडियो के कुल में जो फल गिरा तो डौंडिया नरसिंह पैदा हो गए।
यह 9 नाथ नरसिंह गुरु गोरखनाथ के शिष्य थे जो कि बहुत ही वीर हुए यह सन्यासी बाबा थे जिनकी लंबी लंबी जटाएं उनके पास खरवा/खैरवा की झोली, ठेमरु का सौंठा (डंडा), नेपाली चिमटा इत्यादि चीजे होती थी। नौ नरसिंह में सबसे बड़े दूधिया नरसिंह बताए जाते है जो सबसे शांत और दयालु स्वभाव के होते है इनको दूध चढ़ाया जाता है और पूजा में रोट काटा जाता है और सबसे छोटे डौंडिया नरसिंह है जो कि बहुत क्रोध स्वभाव के है इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है और इनको पूजा में बकरे की बलि दी जाती हैं।
इनके अलग अलग जगहों के हिसाब से अलग अलग नाम भी है लेकिन यह 9 ही है।
1. इंगला बीर
2. पिंगला वीर
3. जतीबीर
4. थती बीर
5. घोर- अघोर बीर
6. चंड बीर
7. प्रचंड बीर
8. दूधिया नरसिंह
9. डौंडिया नरसिंह
उत्तराखंड में पूजा होती है तो इनकी धूनी भी रमाई जाती है जिसमे कोयले और राख होती है।
जगरी जो जागर लगाते है वह भी कहते है :-
"तेरु गुरु गोरखनाथ को आदेश,
तेरु माँ काली को आदेश,
तेरी जोशीमठ की नगरी को आदेश,
तेरु नेपाली चिमटा,
ठेमरु को सौंठा को आदेश,
जलती जलंधरी तेरी धूनी को आदेश।"
बताया जाता है की यह 9 भाई नरसिंह तो साथ चलते ही है इनके साथ साथ चलते है भैरव, मसाण और अन्य देवी देवता। नरसिंह देवता के साथ नौ नाग, बारह भैंरो अट्ठारह कलवे, 64 जोगिनी, 52 बीर, छप्पन कोट कलिंका की शक्ति चलती है और साथ ही इनको चौरासी सिद्ध प्राप्त है।
नरसिंह देवता बहुत ही घातक देवता है और कोई शक्ति इनके आगे नहीं टिक पाती। कहते है कि अगर नरसिंह देवता छह पीढ़ी तक नहीं पूजे जाते तो सातवीं पीढ़ी का सर्वनाश कर देते है। इनको पिता भस्मासुर और माता महाकाली के पुत्र भी बताए जाते है जागर में, जागर में इनको बुलाया जाता है।
दूधिया नरसिंह दूध, रोट अथवा श्रीफल से शांत होते है। और डौंडिया नरसिंह में बकरे की बलि की प्रथा है।