उत्तराखंड देवभूमि दर्शन

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उत्तराखंड देवभूमि दर्शन our motto is telling to everyone about our uttarakhand beautiful place
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19/03/2024
18/03/2024

संजोग !!!!!!! Circumstances
कभी कभार संजोग से जो नहीं होना चाहिए वो हो जाता है !!
मगर आजकल के. पड़े लिखे पहाड़ी नई पीढ़ी ये सब नहीं मानती और सोचती है ! बस कब कहाँ किसी के बारे में छुंई बनाये जाये बस ये आता है इसलिए

गलत का सपोर्ट कभी नहीं करना चाहिए ना ही किसी को कभी गलत कहना चाहिए..लोगों की पर्सनल लाइफ में भी दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए और ना ही किसी और की गलती की वजह से अपना आपा खोकर किसी और को गाली देनी चाहिए.. यह सब बातों का अंजाम हमेशा बुरा ही होता है और इन बातों को दबाने की वजह कुछ लोग फेमस होने के लिए आग में घी डालने का काम कर रहे हैं कुछ तथाकथित समाज सेवक और कुछ अनप्रोफेशनल कलाकार जिनका कोई सुनना देखना पसंद नहीं करता है वह हमेशा फेमस होने के लिए ऐसे मुद्दों का इंतजार करते हैं.. और अपने संस्कृति की छवि खराब करने में कसर नहीं छोड़ते हैं...

टिहरी झील का सुन्दर दृश्यजय देवभूमि उत्तराखंड❤️
17/02/2024

टिहरी झील का सुन्दर दृश्य
जय देवभूमि उत्तराखंड❤️

30/01/2024
30/01/2024

बढ़ती ज़िम्मेदारिया स्त्री को मोटी और आदमी को गंजा बना देती है,ये
मेरे निजी अनुभव है
😃😃
Just kidding

28/12/2023
28/12/2023
18/11/2023
19/12/2022
Jay bholenath ,jay mata rani ki.
24/09/2022

Jay bholenath ,jay mata rani ki.

31/03/2022

"उत्तराखंड के शक्तिशाली लोक देवता नरसिंह देवता"
हिंदू ग्रन्थों के अनुसार नरसिंह देवता भगवान विष्णु जी के चौथे अवतार थे। जिनका मुँह सिंह का और धड़ मनुष्य का था जो हिंदू ग्रन्थों में इसी रूप में पूजे जाते हैं।
परन्तु उत्तराखंड में नरसिंह देवता को भगवान विष्णु के चौथे अवतार को नही पूजा जाता, बल्कि एक सिद्ध योगी नरसिंह देवता को पूजा जाता है। वो एक जोगी के रूप में पूजे जाते हैं।
उत्तराखंड के लोकदेवता नरसिंह को अवतरित और पूजा करने के लिए जो जागर, घड़ियाल लगाई जाती है, उसमें उनके 52 वीरों और 09 रूपों का वर्णन किया जाता है। जिसमें नरसिंह देवता का एक जोगी के रूप में वर्णन किया जाता है। जो की एक प्रिय झोली, चिमटा और तिमर का डंडा साथ में लिए रहते है। नरसिंह देवता के इन्ही प्रतीकों को देखकर उनको देवरूप मान कर उनकी पूजा की जाती हैं।
उत्तराखंड के गढ़वाल कुमाऊँ में नाथपंती देवताओं की पूजा होती है, जिनमें यह नौ नरसिंह भी है।
बताया जाता है कि भगवान शिव ने इनकी उत्पत्ति की थी और इनकी उत्पति कोई त्रिफल कहता है तो कोई केसर का पेड़ की इनसे 9 नाथ नरसिंह की उत्पत्ति हुई थी।
भगवान शिव ने केसर के बीज बोए उनकी दूध से सिंचाई की केसर की डाली लगी।। उस पर 9 फल उगे और वह 9 फल अलग अलग स्थान/खंडों पर गिरे तब जाकर यह 9 भाई नरसिंह पैदा हुए।
पहला फल गिरा केदार घाटी में केदारी नरसिंह पैदा हो गए,
दूसरा बद्री खंड में तो बद्री नरसिंह पैदा हुए,
तीसरा फल गिरा दूध के कुंड में तो दूधिया नरसिंह पैदा हुए, ऐसे ही जहां जहाँ वह फल गिरे वह पैदा होते गए डौंडियो के कुल में जो फल गिरा तो डौंडिया नरसिंह पैदा हो गए।
यह 9 नाथ नरसिंह गुरु गोरखनाथ के शिष्य थे जो कि बहुत ही वीर हुए यह सन्यासी बाबा थे जिनकी लंबी लंबी जटाएं उनके पास खरवा/खैरवा की झोली, ठेमरु का सौंठा (डंडा), नेपाली चिमटा इत्यादि चीजे होती थी। नौ नरसिंह में सबसे बड़े दूधिया नरसिंह बताए जाते है जो सबसे शांत और दयालु स्वभाव के होते है इनको दूध चढ़ाया जाता है और पूजा में रोट काटा जाता है और सबसे छोटे डौंडिया नरसिंह है जो कि बहुत क्रोध स्वभाव के है इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है और इनको पूजा में बकरे की बलि दी जाती हैं।
इनके अलग अलग जगहों के हिसाब से अलग अलग नाम भी है लेकिन यह 9 ही है।
1. इंगला बीर
2. पिंगला वीर
3. जतीबीर
4. थती बीर
5. घोर- अघोर बीर
6. चंड बीर
7. प्रचंड बीर
8. दूधिया नरसिंह
9. डौंडिया नरसिंह
उत्तराखंड में पूजा होती है तो इनकी धूनी भी रमाई जाती है जिसमे कोयले और राख होती है।
जगरी जो जागर लगाते है वह भी कहते है :-
"तेरु गुरु गोरखनाथ को आदेश,
तेरु माँ काली को आदेश,
तेरी जोशीमठ की नगरी को आदेश,
तेरु नेपाली चिमटा,
ठेमरु को सौंठा को आदेश,
जलती जलंधरी तेरी धूनी को आदेश।"
बताया जाता है की यह 9 भाई नरसिंह तो साथ चलते ही है इनके साथ साथ चलते है भैरव, मसाण और अन्य देवी देवता। नरसिंह देवता के साथ नौ नाग, बारह भैंरो अट्ठारह कलवे, 64 जोगिनी, 52 बीर, छप्पन कोट कलिंका की शक्ति चलती है और साथ ही इनको चौरासी सिद्ध प्राप्त है।
नरसिंह देवता बहुत ही घातक देवता है और कोई शक्ति इनके आगे नहीं टिक पाती। कहते है कि अगर नरसिंह देवता छह पीढ़ी तक नहीं पूजे जाते तो सातवीं पीढ़ी का सर्वनाश कर देते है। इनको पिता भस्मासुर और माता महाकाली के पुत्र भी बताए जाते है जागर में, जागर में इनको बुलाया जाता है।
दूधिया नरसिंह दूध, रोट अथवा श्रीफल से शांत होते है। और डौंडिया नरसिंह में बकरे की बलि की प्रथा है।

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13/03/2022

*बड़ी खबर:- उत्तराखंड को मिल सकती हैं यह पहली महिला मुख्यमंत्री- सूत्र*
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देहरादून:- उत्तराखंड में पूर्ण बहुमत की सरकार बीजेपी बनाने जा रही है। लेकिन बीजेपी में प्रदेश की कमान कौन संभालेगा...

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