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पर्यटन मिथिला Tourism in Mithila has the potential to promote faster, sustainable and more inclusive growth. It could be used as a powerful antidote to tackle poverty.

दरभंगा रेलवे कमाई में सबसे आगे लेकिन सुविधा में सबसे पीछे पिछले 20 साल से दिल्ली मुंबई के कोई नया ट्रेन नही मिला जो ट्रे...
13/02/2023

दरभंगा रेलवे कमाई में सबसे आगे लेकिन सुविधा में सबसे पीछे

पिछले 20 साल से दिल्ली मुंबई के कोई नया ट्रेन नही मिला जो ट्रेन था उसका भी फेरा नही बढ़ा सांसद कह रहे यहां के लोग मोदी जी के नाम पर वोट करते है काम करे ना करे वोट तो मिलेगा ही
दरभंगा रेलवे स्टेशन जो समस्तीपुर मंडल का सबसे अधिक कमाई देनेवाला स्टेशन है फिर मोदी सरकार ने एक भी लंबी दूरी के आरक्षित ट्रेन नही दिया जो था उसे भी जयनगर भेजकर दरभंगा दरभंगा से छीन लिया गया जिससे स्टेशन का दर्जा और कमाई दोनो पर असर पड़ा 2012 में घोषित दरभंगा अजमेर ट्रेन 10 साल बाद पिछले साल स्पेशल बना के चलाया गया और लंबी वेटिंग टिकट होने के बाद इसे बंद कर दिया दरभंगा अर्नाकुलम स्पेशल ट्रेन भी बंद कर दिया गरीब रथ का फेरा नही बढ़ा
बागमती का फेरा नही बढ़ा
हैदराबाद के लिए फेरा नहीं बढ़ा
साबरमती का फेरा नहीं बढ़ा
गुवाहाटी की गाड़ी बंद हो गई
सिलीगुड़ी की बंद हुई
दरभंगा नरकटियागंज पहले छोटी लाइन के समय कई सवारी गाड़ी चल रहा था लेकिन बड़ी लाइन होने के बाद एक सवारी गाड़ी नही चला ना ही इस मार्ग से दिल्ली के कोए सुपरफास्ट ट्रेन जबकि ये एक वैकल्पिक मार्ग है जिससे दिल्ली की दूरी 200 किलोमीटर कम हो जाता है लेकिन अब तक मोदी सरकार मे जो ट्रेन मिला है वो मजदूर को ध्यान में रखकर अंतोदय वो भी बनारसी तक सप्ताह में सिर्फ एक दिन उसको भी दिल्ली तक कर दिया जाता तो लोगो को राहत मिलता दिल्ली मुंबई के ट्रेन में 4 पहले हो जाता बुकिंग खत्म लोगो टिकट नहीं मिलने के कारण लोग बस में जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को मजबूर लेकिन सांसद रेल समिति में होने के ना तो एक भी दिल्ली मुंबई के लिए ट्रेन चलवा पाए ना पहले वाले का फेरा बढ़ा पाए

गरीब रथ का फेरा नही बढ़ा
दरभंगा अजमेर बंद हो गया
बागमती का फेरा नही बढ़ा
हैदराबाद के लिए फेरा नहीं बढ़ा
साबरमती का फेरा नहीं बढ़ा
गुवाहाटी की गाड़ी बंद हो गई
सिलीगुड़ी की बंद हुई
दरभंगा नरकटियागंज ट्रेन नही
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दरभंगा एम्स निर्माण बंद
31/12/2022

दरभंगा एम्स निर्माण बंद

15/03/2022

मिथिला पेंटिंग

09/02/2022
23/06/2021

दरभंगा जिले अनुमंडल के अंतर्गत अहियारी गाँव है, जो अहिल्या स्थान के नाम से विख्यात है। पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि विश्वामित्र की आज्ञा से इसी स्थान पर प्रभु राम ने देवी अहिल्या का उद्धार किया था। भारत के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु यहा पूजा अर्चना करने आते है। 🙏🏻

22/06/2021

दरभंगा एयरपोर्ट के विकास के लिए राज्य सरकार ने अब तक कुछ नहीं किया ये बात एयरफोर्स की तरफ से जारी पत्र में साफ हो गया है Sanjay Kumar Jha कह रहे थे कि एयरफोर्स बाधा उत्पन्न कर रहा है पैसा लेकर जमीन नहीं दे रहा है लेकिन सच्चाई ये की एयरफोर्स और केंद्र सरकार के कारण ही दरभंगा के उड़ान भर रहे हैं गेट से टर्मिनल तक के लिए रास्ता बनाने के लिए एयरफोर्स ने राज्य सरकार से कहा था लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया न ही स्थाई टर्मिनल के लिए 78 एकड़ जमीन दिया
Nitish Mishra Nitish Kumar JDU DARBHANGA CITY

13/04/2021

विद्यापति एयरपोर्ट दरभंगा Vidyapati Airport Darbhanga के लिए Nitish Kumar द्वारा टर्मिनल के लिए 78 एकड़ जमीन अभी तक नहीं दिया गया जिस कारण धूप में झुलस रहे लोग

27/03/2021
26/03/2021

#दरभंगा_एयरपोर्ट सबके चकित क दलक आब 8 टा फ्लाइट प्रतिदिन

 #पर्यटन स्थल का विकास के लिए राज सरकार बस पेपर तक ही
26/03/2021

#पर्यटन स्थल का विकास के लिए राज सरकार बस पेपर तक ही

22/03/2021
 #मिथिला पर्यटन स्थल के FlySpiceJet  सेहो प्रोमोशन क रहल
22/03/2021

#मिथिला पर्यटन स्थल के FlySpiceJet सेहो प्रोमोशन क रहल

05/03/2021

#उपेक्षा का शिकार #बेगूसराय का नौलखा #मंदिर
#रामचरितमानस की पंक्ति – “समरथ को नहिं दोष गोसाईं” भले ही चौदहवीं शताब्दी में लिखी गई हो लेकिन आज के संदर्भों में भी अक्षरशः लागू होती है। बिहार के कई मंदिरों और उनकी संपत्ति बलपूर्वक कब्जा करने वाले बड़े-बड़े माफिया मजे में हैं। उनका कोई बाल भी बाँका नहीं कर पाता, मानो भागवान भी उनके सामर्थ्य को देखकर उनका दोष नहीं मानते। बिहार में राजा-रजवाड़ों या महंतों ने भले ही उद्योग स्थापित करने या अस्पताल बनवाने में कुछ खास दिलचस्पी न दिखाई हो लेकिन उन्होंने मंदिरों के निर्माण में खूब उदारता दिखाई। ऐसे मंदिरों की दुर्दशा अब देखते बनती है। इन्हीं में एक है बेगूसराय शहर में स्थित #प्रसिद्ध #नौलखा मंदिर। आजादी के तुरंत बाद बनाए गए इस मंदिर पर उस समय नौ लाख रुपए खर्च हुए थे और मंदिर प्रबंधन का दावा है कि यह देश का इकलौता मंदिर है जिसमें शीशे की इतनी आकर्षक कलाकृतियाँ लगी हैं। कभी इनकी चमक लोगों को कुछ किलोमीटर दूर से ही दिखने लगती थीं। आज इसने अपना वह आकर्षण खो दिया है। वैसे राज्य सरकार ने बिहार धार्मिक न्यास परिषद की पहल पर इसमें दिलचस्पी दिखाई है जिससे इस मंदिर के कायाकल्प की संभावना बनी है। अचल संपत्ति के मामले में यह नौलखा मंदिर एक समय बिहार के गिने-चुने मंदिरों में एक था। मंदिर की स्थापना के समय इसकी वसीयत में साफ लिखा गया कि इसकी संपत्ति बेचने का अधिकार किसी को नहीं है लेकिन आज सैकड़ों लोग पूर्व के महंतों से जमीन खरीदने का दावा कर रहे हैं। आज भी कागजों में मंदिर के पास 200 एकड़ जमीन है लेकिन कब्जे में मात्र 35 एकड़ है। आज भी इसके पास संपत्ति कम नहीं है लेकिन संस्थापक महंत की अगली पीढ़ी से लेकर आस-पड़ोस दबंगों और पहुँचवालों की लालची नजरें इस पर गड़ी हैं। मंदिर की संपत्ति को हथियाने-हड़पने का दौर शुरू हो चुका है। बिहार धार्मिक न्यास परिषद की ओर से गठित मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव महंत रामदेव दास ने बताया कि मंदिर के आसपास और अनेक गाँवों में इसकी करीब 6200 एकड़ जमीन थी। मंदिर की स्थापना के समय इसकी वसीयत में साफ लिखा गया कि इसकी संपत्ति बेचने का अधिकार किसी को नहीं है लेकिन आज सैकड़ों लोग पूर्व के महंतों से जमीन खरीदने का दावा कर रहे हैं। आज भी कागजों में मंदिर के पास 200 एकड़ जमीन है लेकिन कब्जे में मात्र 35 एकड़ है। समिति की कोषाध्यक्ष डॉ. मीरा सिंह ने बताया कि मंदिर की संपत्ति पर कब्जा करने या उस पर नाजायज हक जताने वाले ऐसे रसूखदार लोग भी हैं जिनके खिलाफ लोग आवाज उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। डॉ. मीरा सिंह ने बताया कि प्रशासन भी मंदिर की संपत्ति के साथ अबतक न्याय नहीं कर सका है। शहरी क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद मंदिर पर हदबंदी लगा दी गई और इसे सिर्फ एक इकाई यानी 35 एकड़ जमीन दी गई। मंदिर प्रबंधन पाँच इकाई की लड़ाई लड़ रहा है। डॉ. सिंह ने बताया कि 200 लोगों की अवैध जमाबंदी खारिज की गई है। अब भी 300 एकड़ जमीन अवैध कब्जे में है। इस मंदिर के पास स्थित बाजार में 22 दुकानें हैं लेकिन उनका किराया महज 8 हजार रुपए तय था। किराये के लाखों रुपए बकाया पड़े हैं। अब दुकानों का किराया बढ़ाकर बारह हजार प्रति माह किया गया है। इसी तरह मंदिर के लीची के बगीचे से पहले 50-55 हजार की कमाई दिखाई जाती थी जो इसबार 1.21 लाख पर पहुँच गई है। मंदिर का प्रबंधन 1992 में जिला प्रशासन के हाथ में चला गया तबसे इसकी देखभाल करने में किसी की दिलचस्पी नहीं रही। मंदिर परिसर बदहाल होता गया और यहाँ आने वाले भक्तों की संख्या घटती गई। इससे इस भव्य मंदिर में प्रतिमाह हजार-डेढ़ हजार रुपए ही चढ़ावे के आते हैं। मंदिर प्रबंधन को इस बात का मलाल है कि जहां प्रशासन को इस भव्य मंदिर को धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करना चाहिए था वहीं उसने मंदिर की जमीन पर ही विभागीय कार्यालयों के निर्माण की योजना तैयार कर ली है। डॉ. सिंह ने बताया कि मंदिर के सामने स्थित मंदिर के नवरत्न भवन के पीछे 12 एकड़ जमीन पर 12 विभागों के दफ्तर बनाने की योजना तैयार की गई है। प्रबंध समिति के विरोध से फिलहाल मामला रुक गया है। गौरतलब है कि इस मंदिर के निर्माण के समय न केवल बेहतरीन कलाकृतियों को प्राथमिकता दी गई बल्कि इसके परिसर को भी खूबसूरत बनाने पर ध्यान दिया गया। भव्य प्रवेशद्वार, साधु-संतों व सुरक्षाकर्मियों के ठहरने के लिए तथा भंडारे के लिए भवन बनाए गए। विशाल मंदिर परिसर में आधुनिक और सुंदर तालाब भी बनाया गया जिसमें सालों भर जल का तय स्तर सुनिश्चित करने के लिए नहर से पानी पहुँचाने और अतिरिक्त पानी निकाले जाने की व्यवस्था की गई। लेकिन पिछले सत्रह वर्षों से उपेक्षा झेलने के कारण तालाब बदहाल है, मंदिर का गुंबद टूट गया है और कलाकृतियाँ अपना सौंदर्य खो रही हैं। ऊपर से मंदिर के नवरत्न भवन में कभी कालेज खोला गया तो कभी फायर स्टेशन। फायर स्टेशन हटाने के आदेश पर अमल नहीं किया जा रहा है। नवरत्न भवन के दोनों तरफ स्थित तालाब की भी शक्ल बिगड़ चुकी है। मंदिर तक पहुँचने के लिए मौजूद सड़क भी बेहतर और चौड़ी नहीं है। हालांकि डॉ. मीरा सिंह ने बताया कि सरकार ने इस मंदिर के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए साढ़े तीन करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। इससे नक्षत्र भवन, विवाह भवन और पार्क का निर्माण होना है। तालाब के जिर्णोंद्धार के लिए नगर विकास विभाग ने एक करोड़ रुपए आंवटित कर दिए हैं। इससे मंदिर के कायाकल्प की उम्मीद जगी है लेकिन राज्य सरकार अगर इसकी करोड़ों की अचल संपत्ति को अवैध कब्जे से मुक्त कराने में थोड़ी दिलचस्पी दिखाए तो यह एक खूबसूरत धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है। https://begusarai.wordpress.com/author/begusarai/

22/02/2021

#राजधानी_दरभंगा के लिए सड़क से सदन तक

25/01/2021

पर्यटन मिथिला मिथिला पर्यटन स्थलों का विकास

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27/09/2020

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सीतामढ़ी, बिहार राज्य में स्थित एक जिला है। उस समय यह राजा जनक की राजधानी  #मिथिला के अंतर्गत आता था। धार्मिक ग्रंथों के...
22/07/2020

सीतामढ़ी, बिहार राज्य में स्थित एक जिला है। उस समय यह राजा जनक की राजधानी #मिथिला के अंतर्गत आता था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सीतामढ़ी का पुनौरा गांव ही माता सीता की जन्मस्थली है। यहां पर ही राजा जनक द्वारा खेत में हल चलाने के दौरान माता सीता कलश से प्रकट हुई थीं। इस स्थान पर देवी सीता का एक मंदिर बना हुआ है जिसमें देवी के प्राकट्य के दृश्य को दर्शाया गया है।

इसलिए राजा जनक ने पुत्री का नाम रखा सीता बैसाख मास के शुक्‍ल पक्ष की नवमी के दिन सीता नवमी या जानकी जयंती के रूप में ....

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04/09/2018

#मधुबनी में 49 पर्यटन स्थल का चयन अब जल्द वहाँ सुविधा भी उपलब्ध हो Sanjay Kumar Jha Nitish Kumar CM Sushil Kumar Modi Department of Personnel and Training (DoPT), Government of India Dr. Mahesh Sharma

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