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चुशुल की लड़ाई: बर्फ और खून का एक गाथासाल था 1962, जगह लद्दाख का चुशुल क्षेत्र। बर्फ से ढके पहाड़ों की चादर में लिपटा यह...
05/10/2024

चुशुल की लड़ाई: बर्फ और खून का एक गाथा

साल था 1962, जगह लद्दाख का चुशुल क्षेत्र। बर्फ से ढके पहाड़ों की चादर में लिपटा यह इलाका, शांति से सो रहा था, लेकिन उसके भीतर तूफान उठने वाले थे। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया था और चुशुल इस तूफान का केंद्र बनने जा रहा था।

चुशुल अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण बेहद महत्वपूर्ण था। यह भारत के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह था। अगर यह दुश्मन के हाथों में चला जाता तो भारत की सुरक्षा को गंभीर खतरा होता। भारतीय सेना ने इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास किया।

अक्टूबर के महीने में चीनी सेना ने धीरे-धीरे चुशुल की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। भारतीय सेना उनकी हर हलचल पर नजर रख रही थी। 18 नवंबर का दिन आया और तनाव अपने चरम पर पहुंच गया। चीनी सेना ने एक बड़े हमले की योजना बनाई थी।

जब चीनी सेना ने हमला किया तो भारतीय जवानों ने अदम्य साहस का परिचय दिया। संख्या में कम होने के बावजूद उन्होंने दुश्मन का डटकर मुकाबला किया। बर्फीले पहाड़ों के बीच, गोली की आवाज और बर्फ के टूटने की आवाज एक साथ गूंज रही थी। कई वीर जवान शहीद हो गए लेकिन उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक लड़े।

दिन रात एक हो गए थे। युद्ध का मैदान खून से लाल हो चुका था। अंततः, संख्या बल के आगे भारतीय सेना को पीछे हटना पड़ा। यह एक बड़ा झटका था लेकिन इसने भारतीय सैनिकों के हौसले को कम नहीं किया।

चुशुल की लड़ाई सिर्फ एक युद्ध नहीं थी, यह बलिदान, साहस और देशभक्ति की एक कहानी थी। इस युद्ध ने भारतीय सेना की ताकत और देशवासियों के हौसले को मजबूत किया। यह हमें याद दिलाता है कि हमारी सीमाएं हमारी सुरक्षा की पहली दीवार हैं

सुबह 7 बजे Noobra Valley से निकल के हम thang के लिए निकल चुके हैं जोकि इस तरफ़ का भारत का अंतिम गाँव है । अभी हम काकोरम ...
05/08/2024

सुबह 7 बजे Noobra Valley से निकल के हम thang के लिए निकल चुके हैं जोकि इस तरफ़ का भारत का अंतिम गाँव है । अभी हम काकोरम (K२) रेंज में हूँ।

और हम पाकिस्तान से 30-32 KM दूर हैं। और तो और ये जो फोटो में आप लोकेशन देख रहें हैं। ये 1972 युद्ध तक POK का हिस्सा हुआ करती थी।

आज ट्रिप का 9 वाँ दिन है और ये यात्रा रोमांचक होती जा रही है।

I always wanted to go in Military because my maternal uncle was in Army, I’m a lover of Army Uniform. Due to a hand inju...
03/08/2024

I always wanted to go in Military because my maternal uncle was in Army, I’m a lover of Army Uniform.
Due to a hand injury in my childhood, I became medically unfit and I couldn’t make it.
It was my top secret, I never told it to anyone, even my mother.
When on my leh trip , I got a chance to stay in Army camp at and when I was travelling to then I again I got to stay in army camp and posting it from here only. It’s dream come true for me.

आज सुबह से लद्दाख यात्रा शुरू हुई है। और अपने पहले पड़ाव पर हम मनाली रुके हुए है। मेरे co- traveller अक्षय सर , पूरे दिन...
28/07/2024

आज सुबह से लद्दाख यात्रा शुरू हुई है। और अपने पहले पड़ाव पर हम
मनाली रुके हुए है। मेरे co- traveller अक्षय सर , पूरे दिन ड्राइव करने के बाद थक कर सो गए थे।

4x4 स्कॉर्पियो N चलाने का मन तो मेरा भी हुआ था सोचा था , सर से बोलूँ के आप आराम कर लो तो मैं देख लेता हूँ थोड़ी देर , हम दोनों को ही मेरी ड्राइविंग स्किल पर पूर्ण भरोसा है तो फिर उन्होंने बढ़िया-२ गाना बजाने का काम दे दिया।

सर सो गये थे तो मैं प्रॉपर्टी में रुके अन्य यात्रियों के साथ मेलज़ोल बड़ाने निकल गया । हाल चाल और उनके अंग्रेज़ी के इंट्रो को उन्हीं के ज़बान में जवाब देकर उनके बेकार से इटेलेक्चुअल चूटुकुलों को समझने का नाटक करते हुए बोर हो रहा था तब तक बात marvel, dc से होते हुए ।
धोनी और रोहित पर आ गई । फिर क्या था अपन ने 5-7 बढ़िया फैक्ट्स बताकर माहौल सेट करके । फिर उनके जोक्स पर उन्हीं की पेल पाल कर वापस कमरे में आ गये हैं।

बारिश हो रही है हल्की-२ सोने का प्रयास कर रहे हैं।

शुक्रवार को ऑफिस से घर निकालना था। फिर घर से रविवार को गुरु पूर्णिमा पर गुरुजी के आश्रम जाना था। वैसे तो हर बार पिछले कई...
21/07/2024

शुक्रवार को ऑफिस से घर निकालना था। फिर घर से रविवार को गुरु पूर्णिमा पर गुरुजी के आश्रम जाना था।

वैसे तो हर बार पिछले कई सालों कह सकते हैं , से हम और हमारे परिवार के सभी सदस्य ताऊजी, ताईजी, भैया मम्मी पापा सब लोग गुरु पूर्णिमा को जाया ही करते थे ।

बड़े लोग जिन्होंने गुरु दीक्षा ले रखी थी वो आशीर्वाद लेने और हम सब बच्चे लोग आशीर्वाद के साथ भंडारे का आनंद लेने।

पर इस साल फ़रवरी में होने वाले वार्षिक यज्ञ में मैंने भी गुरु दीक्षा ग्रहण की थी। सो इसबार गुरुपूर्णिमा का भाव मेरे लिये अलग सा था।

तब तक घर से फ़ोन आता है कि गुरु जी गोलोक वासी हो गये हैं, ये पल पैरों तले ज़मीन खिसकने वाला था। जिस व्यक्ति होते हुए जीवन के सारे कष्ट - दुख बिना चिंता किए ख़त्म हो जाते थे। आज उस आदमी का चला जाना अविश्वसनीय था।

जब आश्रम पहुँचा था , कल तो उनके साथ रहने वाले उनके पैतृक परिवार के एक लड़के ने बताया कि भैया 3 दिन पहले गुरुजी आपके घर जाने की बात कर रहे थे । कह रहे थे एकबार सुशील ( मेरे पापा) के यहाँ हो आयें।

मैंने गुरु तो उनको इसी साल बनाया था, पर उनको हमेशा अपना एक वृद्ध guardian मानता था।

गुरुजी आप हमेशा हमारे बीच रहेंगे ।

बचपन में जब नानी के घर ( टुंडला के पास , आगरा) जाता था तो, पापा बस स्टैंड तक छोड़ कर जाते थे , मम्मी मुझे और नेहा को  मो...
08/07/2024

बचपन में जब नानी के घर ( टुंडला के पास , आगरा) जाता था तो, पापा बस स्टैंड तक छोड़ कर जाते थे , मम्मी मुझे और नेहा को मोना तब पैदा नहीं हुई थी । फिर हम लोग आगरा की बस पकड़ कर टुंडला उतरते थे। फिर वहाँ से टेम्पो या जुगाड़ से नानी के घर तक , इस पूरी यात्रा में, दो जगह का बेहद इंतज़ार रहता था, शिकोहाबाद और फ़िरोज़ाबाद ।

क्योंकि यहाँ बस स्टैंड पर और बस के अंदर भी दाल बेचने वाले आते थे। जो सिर्फ़ मैंने यहाँ ही खाई है।

फिर कुछ दिनोंबाद जब में स्कूल जाने लगा फिर मुझे नानी के घर ले जाना बंद हो गया , मतलब ये नियम बनाया गया । कि हम तीनों भाई बहन में से कोई एक ही जाएगा तो मेरा नंबर आता ही नहीं था , क्योंकि मोना और नेहा छोटे होने का फ़ायदा ले जातीं थीं, और मुझे ये लालच दे दिया जाता था कि यहाँ बाग से जो आम आयेंगे वो कौन खाएगा, नानी के घर तो बाग है नहीं। और फिर मैं इस शर्त पर मानता था कि लौट के आते वक्त मेरे लिये ये डाल लाई जाएगी। और ये शर्त एक या दो बार ही पूरी की गई ।

आज जब ग्वालियर जा रहा था तो इटावा वाले रास्ते में पल क्षतिग्रस्त हो गया था। फिर आगरा होकर जाना पड़ा और इस रास्ते में वही दो जगह मिलीं जहां में शिकोहाबाद इस दाल को ढूँढ रहा था और फ़िरोज़ाबाद में एक फेरी वाले भैया चड़े। और मोना ने बिना देरी किए हुए फाटक से दाल ख़रीद ली ।

क्या आपने खाई है ये दाल , कमेंट में बताएँ?

Office में बोल के आया था , won’t be available in this weekend, want to be with parents on their 30th wedding anniversary...
06/07/2024

Office में बोल के आया था , won’t be available in this weekend, want to be with parents on their 30th wedding anniversary.

वैसे तो वीकेंड ऑफ ही होता , पर जब कोई आपको पैसा और सम्मान ठीक ठाक देता हो तो ज़िम्मेदारी ये बनती है कि उसको कोई नुक़सान ना हो, इसीलिए अपनी अनुपस्थिति के बारे में बता देना उचित है।

हाँ तो वापस आते हैं , आज मम्मी पापा की वैवाहिक वर्षगाँठ थी तो घर आये थे और मम्मी ने क्या पकवान बना दिये, मतलब लज़ीज़..
एक तो लज़ीज़ व्यंजन, दाल की कचौड़ी, घुईया ( अरबी ) के पत्ते, कटहल, और उसमें से एक खीर वो भी मम्मी के हाथ के, मतलब अप्रतिम।

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