15/01/2024
जौनसार बावर के सुप्रसिद्ध समाजसेवी एवं व्यवसायी नंदा सिंह नेगी का निधन, क्षेत्र में शोक की लहर।
सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करते ही इस भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्याग दी। मृत्यु सैया पर लेटे भीष्म पितामाह ने कहा था कि जब सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करेंगे तब मैं अपनी देह त्याग दुगा। कुछ ऐसा ही वाक्य प्रसिद्ध व्यवसायी नंदा सिंह नेगी जी के साथ भी हुआ वह कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और आज जब सूर्य देवता उत्तरायण में प्रवेश कर रहे थे तब उन्होंने अपनी देह त्याग दी। वह जौनसार बावर के सच्चे हितेश थे और हमेशा जौनसार बावर को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहते थे।
यह वाक्या 6 जूलाई 2022 का है, जैसे ही मैंने दरवाजा खोला वह तुरंत खड़े हो गए। मैंने पैर छूते हुए कहा! कि आप खड़े क्यों होते हैं? उन्होंने मुस्कुराते हुए बैठने का इशारा किया। 83 वर्ष की आयु में आज भी बिना चश्मे के अखबार पढ़ लेते हैं, जी हां मैं बात कर रहा हूं जौनसार बावर के सुप्रसिद्ध व्यवसायी श्री नंदा जी नेगी जी कीl
कोरोना काल के दौरान कुशल क्षेम पूछने के लिए मैंने एक आध बार दूरभाष पर उनसे बात की थी और उसके पश्चात एक लंबे अंतराल के पश्चात् आज उनसे भेंट करने यात्रिक होटल पहुंचाl श्री नंदा सिंह नेगी जी का जन्म तब हुआ जब यह देश आजाद नहीं था अर्थात 1 जुलाई 1940 को। जौनसार बावर के बागी गांव में श्री नंदा जी नेगी जी का जन्म हुआ । संघर्षमय जीवन के साथ अपने परिश्रम शुरू किया। युवा अवस्था में आए तो कुछ समय के लिए बंदोबस्त के सुदृढ़ीकरण के लिए पटवारी भी रहे और फिर आपने साठ के दशक में ठेकेदारी शुरू की। परिणाम स्वरूप यमुना निर्माण कंपनी, यात्रिक होटल और तमाम प्रतिष्ठान आपने प्रारंभ किए l निर्माण कार्य में आपने विश्वास और प्रतिष्ठा को हमेशा कायम रखा, कार्य की गुणवत्ता एवं तय समय सीमा पर कार्य पूरा करना आपकी पहचान रही हैl इसी का परिणाम है कि आप निरंतर शून्य से शिखर की ओर बढ़ते चले गए ।
शायद ही जौनसार बावर का ऐसा कोई संगठन अथवा नेता होगा जिनको नंदा सिंह नेगी जी ने आर्थिक रूप से सहयोग न किया हो। करोना काल के दौरान लगे लॉकडाउन में जब संकट चरम पर था ऐसे समय में भी श्री नंदा सिंह नेगी जी ने भामाशाह की तरह अपने खजाने की तिजोरी खोल दी और प्रधान मंत्री राहत कोष को ₹ दस लाख दिए l
उम्र के इस पड़ाव में भी जौनसार बावर में क्या हो रहा है ? जौनसार बावर का हित कैसे हो सकता है? इन जैसे तमाम विषयों पर उन्होंने बातचीत कीl मैंने उनसे जिज्ञासावश पूछा कि तब का जौनसार और अब के जौनसार में क्या अंतर है ? बस उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि जमाना बहुत फास्ट हो गया है। अब के छोटे-छोटे बच्चे भी अपने उंगलियों से दुनिया को मुट्ठी में कर लेते हैंl हमारे समय में इतनी तेजी नहीं थी। ठहराव था, लोगों के अंदर स्थायीत्व था परंतु अब किसी के पास फुर्सत नहीं है।
मैंने पूछा आपकी आयु कितनी हो गई है तो उन्होंने हंसते हुए कहा है कि अरे अभी अभी 1 जुलाई को ही तो बच्चों और नाती पोतों ने जन्मदिन मनायाl श्री नंदा सिंह नेगी जी जैसे विरले ही लोग होते हैं जिन्होंने अपने जीवन में अपने परिवार के साथ साथ समाज के उत्थान के लिए भी हर समय अपने दरवाजे खुले रखें।
उनके इस परंपरा को उनके सुपुत्र रमेश नेगी जो ठेकेदारी व्यवसाय के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम में श्रम के साथ-साथ आर्थिक श्रमदान भी कर रहे हैंl दूसरे सुपुत्र दिनेश नेगी जी जौनसार गैस एजेंसी तथा तीसरे सुपुत्र भी उनके व्यवसाय को आगे बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। श्री नंदा सिंह नेगी जी कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और मकर संक्रांति के सूर्य उत्तरायण में होते ही उन्होंने अपनी देह को त्याग दिया। और वह हमसे हमेशा हमेशा के लिए विदा हो गए।