Braveheartz

Braveheartz Braveheartz started with a zeal to serve the learnings imparted by Lord Shiva to human beings. It wil
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BRAVEHEARTZ, was conceived not just with the idea of entering into travel, but also a will to explore and share about culture, places and people. To make BRAVEHEARTZ diverse in nature, it took its first venture to the land of Shiva, Kailash Mansarovar. BRAVEHEARTZ vision’s to be known as the creator of unprecedented and superior holidaying experience company. We aim to develop new travelling areas

and create a niche in tourism that are benchmarks in quality and service. Underpinning this vision is a powerful commitment for innovative destination filled with promise to perform, be customer driven, play in a team, build the trust and confidence, excel in our offerings and be reliable and acquire all know-how safety measures. BRAVEHEARTZ thus believes in connecting to the social responsibility, continuous improvement, openness and transparency for each and every traveller. Continuous research and survey on destinations visited and even new ones help us track the demands and tastes of the clients. With our base in the heart of NCR region, NOIDA, we are able to provide our clients the personalized services and our staff can also be reached 24/7 at any point of time. What an amazing trip we've begun, only to be together for a lifetime.

हर हर महादेवश्री कैलाश के दुर्लभ दर्शन
22/02/2024

हर हर महादेव

श्री कैलाश के दुर्लभ दर्शन

हर किसी में होते हैं "शिव"  दर्शन कीजिये श्री कैलाश पर्वत के!
20/02/2024

हर किसी में होते हैं "शिव" दर्शन कीजिये श्री कैलाश पर्वत के!

2019 से श्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा स्थगित है। पहले कोविड फिर भारत चीन के संबंधों को इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है! ...
19/02/2024

2019 से श्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा स्थगित है। पहले कोविड फिर भारत चीन के संबंधों को इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है! माननीय विदेश मंत्री श्री जयशंकर जी से सभी भारत के यात्रियों की तरफ से निवेदन है कि इस वर्ष 2024 में यात्रा प्रारंभ हो इस पर भी विचार करें। भगवान् शिव के दर्शन को सभी यात्री लालायित है।

आप सब कंमेंट् बॉक्स में अपनी हामी दीजिये ताकि यह कार्य मुमकिन हो पाए।

19/02/2024
ओम नमः नमः
18/02/2024

ओम नमः नमः


Devon ke Dev Mahadev. For those who know that he is there in heart of everyone.
01/05/2022

Devon ke Dev Mahadev. For those who know that he is there in heart of everyone.

10th June 2022 to 15th June 2022. Join us for Lord Vishnu's Darshan. Via Kathmandu and Pokhra in Nepal.
01/05/2022

10th June 2022 to 15th June 2022. Join us for Lord Vishnu's Darshan. Via Kathmandu and Pokhra in Nepal.

Part 16वनवास – 14 दिनों कादो वर्ष कोरोना के भीषण महामारी के पूर्ण हुए. यह वक़्त इतिहास के पन्नो में कुछ इस तरह समाहित होग...
01/05/2022

Part 16

वनवास – 14 दिनों का

दो वर्ष कोरोना के भीषण महामारी के पूर्ण हुए. यह वक़्त इतिहास के पन्नो में कुछ इस तरह समाहित होगा जहाँ हमने प्रकृति के वो नज़ारे देखे जिन्हें हम जितनी जल्दी भूल जाएँ उतना बेहतर. इंसान से प्रकृति के रिश्तों की ये कहानी शायद ही किसी रचनाकार ने लिखी होगी या अनुभव किया होगा. कुछ ने अपनों को खोया, कुछ ने खुद को बचा लिया पर उनका सब कुछ विलीन हो गया. यहाँ भी मुझे 2013 का उल्लेख करना होगा जब महादेव के प्रकोप से उत्तराखंड में आये सैलाब से कई घर उजड़ गए और बहुत से लोग महादेव की कृपा से बचते हुए अपनों के पास पहुँच गए. हमने क्या सीखा, हमने क्या देखा और हमने आने वाली पीढ़ी के लिए क्या छोड़ा, यह बातें गौर करने की हैं.

उल्लेख मैं कैलाश की यात्रा का ही कर रहा हूँ. इसलिए यह यात्रा भौतिक सुख की अनुभूति की नहीं है. क्योंकि जिस सुख की अनुभूति की कामना आप करना चाहते हैं उसे पाने के लिए हमें इन्हें पैसों से अर्जित सुख से परे सोचना और समझना होगा. भगवान श्री राम ने अपने 14 वर्षों के वनवास में अयोध्या के राजपाठ के भौतिक सुखों को संग्रहित करते हुए ही इतने सहज भाव से वनवास को स्वीकारा था. पक्षियों की चहचहाहट, नदियों की कलकल, फलों का मीठा रस, पेड़ों की छाओं में पत्तियों की शैया और अनजान लोगों का सुखपूर्ण मिलन. ये सब भौतिक सुखों के भी ऊपर के सुख होते हैं. यहीं पर मनुष्य प्रकृति से ताल मेल बना कर एक दुसरे की ज़रूरतों को पूर्ण रूप से स्वीकारते हुए अग्रसर होता है.

महादेव ने इसी सामंजस्य को समझने के लिए प्रकृति के सबसे सुन्दरतम स्थल को अपना निवास स्थान चुना है. जिस तरह मैंने प्रभु श्रीराम के वनवास में आंतरिक सुख का विवरण किया है कुछ वैसे ही यह श्री कैलाश की यात्रा है. श्रीराम 14 वर्षों के उपरान्त अयोध्या आये तो हम सबने दिवाली मनाई. कुछ वैसे ही हम पैदल मार्ग से श्री कैलाश की यात्रा 14 दिनों में पूर्ण कर सकते हैं. यह भी वनवास जैसा ही सुख देगा और आपको उस अनुभव के सागर को पार करते हुए स्वर्ण नगरी यानी देवभूमि के दर्शन कराएगा. आपके हृदय को असली धन की प्राप्ति होगी. भौतिक सुख और आत्मिक सुख के अंतर को समझने के लिए ही इस यात्रा का महत्वपूर्ण विश्लेषण कर रहा हूँ.

Part 15 अंतरात्मा पिछले भाग में ये लिखा था की कैलाश गए,  बिना श्री  कैलाश के दर्शन और बारिश के जल के स्पर्श मात्र से ही ...
29/07/2021

Part 15
अंतरात्मा
पिछले भाग में ये लिखा था की कैलाश गए, बिना श्री कैलाश के दर्शन और बारिश के जल के स्पर्श मात्र से ही मानसरोवर की अनुभूति से स्वयं को उस दिव्य स्थान पर होने का एहसास कर सकते है ! वो मात्र एक उल्लेख या दार्शनिक भाव नहीं थे ! श्री कैलाश यात्रा एक आत्म विभोर करने वाली यात्रा है! शरीर, आत्मा और परमात्मा का अद्भुत संगम ! हर नदी का स्रोत कहीं न कहीं पहाड़ों से होता है ! और उसकी नियति अपना मार्ग प्रशस्त करते हुए किसी बड़े नदी में विलय होना निश्चित होता है ! विलय में सार्थकता होती है शालीनता होती है निर्मलता होती है ! सृष्टि की रचना में हर बूँद का योगदान होता है ! नदी तालाब सागर महासागर ये सब मनुष्य और सभी प्राणियों का जीवन स्रोत है ! समझिये यही आने वाले मार्ग में हमें किसी न किसी स्वरुप में मिलेगी ! वही मानव और मानवता का जन्म भी होता है!
तो यात्रा को अंदरूनी तौर पर समझने के लिए पर्वतों नदियों और इस सृष्टि के रचनाकार की हर छोटी से छोटी चीज़ों को समझना भी सफल यात्रा का अभिप्राय भी है ! क्योंकि अगर हम प्रकृति के स्वभाव को सजगता से समझेंगे तो हमें श्री कैलाश के मार्ग का अनुमान और उनके बदलते स्वरुप को जागरूकता से समझ पायेंगे ! यहाँ एक महत्वपूर्ण बात का उल्लेख करना चाहूँगा जो मेरी कही बातों की पुष्टि भी करेगा ! २६ दिसंबर २००४ में जब हिन्द महासागर में सुनामी का प्रकोप आया था तब अंदमान की निकट की पांच प्रमुख जनजातीय (tribal) का एक भी व्यक्ति हताहत नहीं हुआ ! वो इसलिए की ये आदिवासी समुदाय प्रकृति की ध्वनी, धमनी और सुगंध के बखूबी परिचित है ! इन्हें मौसम, पशु पक्षी, और समुद्री जीव जंतुओं का ज्ञान और उनसे ताल मेल बनाकर अग्रसर होना आता है ! प्रकृति के विरुद्ध जाना मतलब हम स्वयं और आनेवाली पीढ़ी के लिए एक मुश्किल का दौर ही खड़ा करेंगे ! यात्रा का उद्देश्य अंतरात्मा से ही जुड़ा है ! अन्तर्मन में भगवान शिव की बनाई हुई हर सूक्ष्म से सूक्ष्म निर्मित की हुई चीज़ों के प्रति सजगता हमारी यात्रा की नीव रखता है ! आगे के भागों में लिखूंगा की जब आप शहर के कोलाहल से दूर, भौतिक सुख सुविधाओं से परे दर्शन का अर्थ क्या होता है ! जब आप प्रकृति की गोद में रमते और समाते अपने अंतरात्मा के रथ पर सवार देव भूमि की ओर अग्रसर होंगे तो वो दर्शन भी अद्भुत होगा और महादेव का प्रसाद भी !

Part 14 खोज मूलतः यात्रा का एक ही उद्देश्य होता है या फिर यूँ कहें की होना चाहिए ! संपूर्ण आनंद ! मानसरोवर के उस  पावन ज...
29/07/2021

Part 14
खोज
मूलतः यात्रा का एक ही उद्देश्य होता है या फिर यूँ कहें की होना चाहिए ! संपूर्ण आनंद ! मानसरोवर के उस पावन जल में स्वयं को सराबोर करने का प्रयास ! और श्री कैलाश के समक्ष अपने होने का एहसास ! मैंने भाग ८ में इसी सन्दर्भ में लिखा था शून्य के बारे में ! शून्य यानी एक ऐसी अवस्था जहाँ पर सिर्फ आप और आपकी अंतरात्मा होती है ! इन्ही दोनों का वार्तालाप , इन्ही दोनों की ध्वनि, इन्ही दोनों का मिलन और इन्ही दोनों की खोज ! संग तो यात्री और भी होंगे पर खोज सिर्फ आपकी होगी ! और फिर इस यात्रा का सिर्फ एक ही उद्देश्य रह जाएगा ! वह है खोज ! तो बताते चलू की, जब आप शून्य से अवतरित होकर एक शरीर की अवस्था में आते हैं और आपके अन्दर रक्त का संचार होता है, यानी जीवन और जीवित होने आभास होता है ! यह यात्रा भी कुछ इसी तरह से समझने का प्रयास करें ! हम जीवन की हर अवस्था में एक अनदेखी , अनसुनी अनकही तलाश में व्यतीत करते हैं ! बालावस्था, व्यस्क ,गृहस्थ और वृध्थावस्था में कुछ न कुछ तलाशते रहते हैं ! कुछ सफल होते है कुछ असफल ! पर खोज निरंतर जारी रहती है! जो सफल होते हैं उन्हें इस बात का कभी पता ही नहीं चलता की उस सफलता का तात्पर्य क्या है ! इंसान का मूलभूत स्वभाव ही है निरंतर बढ़ते रहना ! पर जीवन में रुकना भी ज़रूरी है ! और रुक कर तलाशना चाहिए किसी पेड़ की छाओं को, किसी प्यासे पक्षी को, किसी ज़रूरतमंद की लाचारी को और दूर ना जा कर अपने माता पिता की बूढी होती आँखों में उन बातों को जो कभी कह ही नहीं पाए ! जिस दिन हम रुकना सीखेंगे उसदिन हमें हज़ारों मील दूर से ही श्री कैलाश के दर्शन होना आरम्भ हो जाएगा ! बारिश में अपने मुख को आसमान की ओर कर गिरते हुए बूंदों के स्पर्शमात्र से ही मानसरोवर के जल की अनुभूति प्राप्त होने लगेगी ! पर अभी तो हम यात्रा की तैयारी में हैं ! अगर मैं अपने अनुभव को शब्दों के माध्यम से आप तक पहुंचा पा रहा हूँ तो एक बहुत ही गूढ़ बात का ही ज़िक्र कर रहा हूँ ! वो है विश्राम और खोज ! और श्री कैलाश के द्वार तक सफलता पूर्वक पहुँचने का है यह एक गुप्त मार्ग ! स्वयं से हो कर गुज़रते हुए , शून्य अवस्था में चलते हुए आपको इस मार्ग का होगा पूर्वाभास !

Part 15                                                                                                                 ...
28/07/2021

Part 15

अंतरात्मा

पिछले भाग में ये लिखा था की कैलाश गए, बिना श्री कैलाश के दर्शन और बारिश के जल के स्पर्श मात्र से ही मानसरोवर की अनुभूति से स्वयं को उस दिव्य स्थान पर होने का एहसास कर सकते है ! वो मात्र एक उल्लेख या दार्शनिक भाव नहीं थे ! श्री कैलाश यात्रा एक आत्म विभोर करने वाली यात्रा है! शरीर, आत्मा और परमात्मा का अद्भुत संगम ! हर नदी का स्रोत कहीं न कहीं पहाड़ों से होता है ! और उसकी नियति अपना मार्ग प्रशस्त करते हुए किसी बड़े नदी में विलय होना निश्चित होता है ! विलय में सार्थकता होती है शालीनता होती है निर्मलता होती है ! सृष्टि की रचना में हर बूँद का योगदान होता है ! नदी तालाब सागर महासागर ये सब मनुष्य और सभी प्राणियों का जीवन स्रोत है ! समझिये यही आने वाले मार्ग में हमें किसी न किसी स्वरुप में मिलेगी ! वही मानव और मानवता का जन्म भी होता है!

तो यात्रा को अंदरूनी तौर पर समझने के लिए पर्वतों नदियों और इस सृष्टि के रचनाकार की हर छोटी से छोटी चीज़ों को समझना भी सफल यात्रा का अभिप्राय भी है ! क्योंकि अगर हम प्रकृति के स्वभाव को सजगता से समझेंगे तो हमें श्री कैलाश के मार्ग का अनुमान और उनके बदलते स्वरुप को जागरूकता से समझ पायेंगे ! यहाँ एक महत्वपूर्ण बात का उल्लेख करना चाहूँगा जो मेरी कही बातों की पुष्टि भी करेगा ! २६ दिसंबर २००४ में जब हिन्द महासागर में सुनामी का प्रकोप आया था तब अंदमान की निकट की पांच प्रमुख जनजातीय (tribal) का एक भी व्यक्ति हताहत नहीं हुआ ! वो इसलिए की ये आदिवासी समुदाय प्रकृति की ध्वनी, धमनी और सुगंध के बखूबी परिचित है ! इन्हें मौसम, पशु पक्षी, और समुद्री जीव जंतुओं का ज्ञान और उनसे ताल मेल बनाकर अग्रसर होना आता है ! प्रकृति के विरुद्ध जाना मतलब हम स्वयं और आनेवाली पीढ़ी के लिए एक मुश्किल का दौर ही खड़ा करेंगे ! यात्रा का उद्देश्य अंतरात्मा से ही जुड़ा है ! अन्तर्मन में भगवान शिव की बनाई हुई हर सूक्ष्म से सूक्ष्म निर्मित की हुई चीज़ों के प्रति सजगता हमारी यात्रा की नीव रखता है ! आगे के भागों में लिखूंगा की जब आप शहर के कोलाहल से दूर, भौतिक सुख सुविधाओं से परे दर्शन का अर्थ क्या होता है ! जब आप प्रकृति की गोद में रमते और समाते अपने अंतरात्मा के रथ पर सवार देव भूमि की ओर अग्रसर होंगे तो वो दर्शन भी अद्भुत होगा और महादेव का प्रसाद भी !

Part 14खोजमूलतः यात्रा का एक ही उद्देश्य होता है या फिर यूँ कहें की होना चाहिए  ! संपूर्ण आनंद ! मानसरोवर के उस  पावन जल...
28/07/2021

Part 14

खोज

मूलतः यात्रा का एक ही उद्देश्य होता है या फिर यूँ कहें की होना चाहिए ! संपूर्ण आनंद ! मानसरोवर के उस पावन जल में स्वयं को सराबोर करने का प्रयास ! और श्री कैलाश के समक्ष अपने होने का एहसास ! मैंने भाग ८ में इसी सन्दर्भ में लिखा था शून्य के बारे में ! शून्य यानी एक ऐसी अवस्था जहाँ पर सिर्फ आप और आपकी अंतरात्मा होती है ! इन्ही दोनों का वार्तालाप , इन्ही दोनों की ध्वनि, इन्ही दोनों का मिलन और इन्ही दोनों की खोज ! संग तो यात्री और भी होंगे पर खोज सिर्फ आपकी होगी ! और फिर इस यात्रा का सिर्फ एक ही उद्देश्य रह जाएगा ! वह है खोज ! तो बताते चलू की, जब आप शून्य से अवतरित होकर एक शरीर की अवस्था में आते हैं और आपके अन्दर रक्त का संचार होता है, यानी जीवन और जीवित होने आभास होता है ! यह यात्रा भी कुछ इसी तरह से समझने का प्रयास करें ! हम जीवन की हर अवस्था में एक अनदेखी , अनसुनी अनकही तलाश में व्यतीत करते हैं ! बालावस्था, व्यस्क ,गृहस्थ और वृध्थावस्था में कुछ न कुछ तलाशते रहते हैं ! कुछ सफल होते है कुछ असफल ! पर खोज निरंतर जारी रहती है! जो सफल होते हैं उन्हें इस बात का कभी पता ही नहीं चलता की उस सफलता का तात्पर्य क्या है ! इंसान का मूलभूत स्वभाव ही है निरंतर बढ़ते रहना ! पर जीवन में रुकना भी ज़रूरी है ! और रुक कर तलाशना चाहिए किसी पेड़ की छाओं को, किसी प्यासे पक्षी को, किसी ज़रूरतमंद की लाचारी को और दूर ना जा कर अपने माता पिता की बूढी होती आँखों में उन बातों को जो कभी कह ही नहीं पाए ! जिस दिन हम रुकना सीखेंगे उसदिन हमें हज़ारों मील दूर से ही श्री कैलाश के दर्शन होना आरम्भ हो जाएगा ! बारिश में अपने मुख को आसमान की ओर कर गिरते हुए बूंदों को स्पर्शमात्र से ही मानसरोवर के जल की अनुभूति प्राप्त होने लगेगी ! पर अभी तो हम यात्रा की तैयारी में हैं ! अगर मैं अपने अनुभव को शब्दों के माध्यम से आप तक पहुंचा पा रहा हूँ तो एक बहुत ही गूढ़ बात का ही ज़िक्र कर रहा हूँ ! वो है विश्राम और खोज ! और श्री कैलाश के द्वार तक सफलता पूर्वक पहुँचने का एक ये गुप्त मार्ग ! स्वयं से हो कर गुज़रते हुए , शून्य अवस्था में चलते हुए आपको इस मार्ग का होगा पूर्वाभास !

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