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 #गुरुपूर्णिमा #विशेष पूजन हेतु संपर्क करें प. G k Sharma ☎️5 जुलाई 2020 वार रविवार के दिन  गुरुपौर्णिमा  है सनातन धर्म ...
04/07/2020

#गुरुपूर्णिमा #विशेष पूजन हेतु संपर्क करें प. G k Sharma ☎️
5 जुलाई 2020 वार रविवार के दिन गुरुपौर्णिमा है सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा का बड़ा महत्व होता है संत कबीर जी ने अपने दोहे में गुरू को ही प्रथम श्रेष्ठ और भगवान बताया है :-
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पाय बलिहारी गुरुदेव आपने गोविंद दियो बताय
हमें इस दिन दिन भगवान विष्णु शिव और ऋषि वेदव्यास की पूजा अर्चना एवं स्त्रोत पाठ करके अपने इष्ट और गुरु का पूजन करना चाहिये और अपने गुरु जनों की सेवा के साथ यथाशक्ति वस्त्र धन फल मिष्ठान दक्षिणा आदि देकर सेवा करनी चाहिए क्योंकि बताया गया है
जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश को सीधा देखना आंखों के लिए हानिकारक होता है उसको देखने के लिए एक माध्यम होना आवश्यक है ठीक उसी प्रकार ईश्वर का साक्षात्कार भी मनुष्य गुरु के माध्यम से ही कर सकता है गुरु रूपी माध्यम अति आवश्यक है परमात्मा के मिलन के रास्ते को गुरु ही कहा जाता है हर मनुष्य के जीवन में गुरु धारण करना अति आवश्यक बताया गया है कु कि :-
गुरु बिन ज्ञान न उपजै ,गुरू बिन भक्ति न होय ।गुरू बिन संसय ना मिटै ,गुरु बिन मुक्ति ना होए॥
अथारत गुरू बिना ज्ञान नहीं आ सकता और गुरू बिना भक्ति भी नहीं मिल सकती और गुरु बिना गति मुक्ति नहीं होती है ना ही हमारा भ्रम दुर हो सकता गुरु ही हमारे अंदर अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके प्रकाश रूपी ज्ञान देता है
गुरु पूर्णिमा के दिन जीव को गुरू धारण करना चाहिये यह दिन गुरू बनाने के लिये विशेष दिन बताया गया है गुरू का मंत्र :-
गुरुब्रह्मा गुरुविष्णु गुरुदेवो महेश्वर: |
गुरु: साक्षात परंम ब्रम्हा तस्मै श्री गुरवे नमः॥ ध्यानं मूलं गुरुोमूर्ति पूजा मूलं गुरु :पदम |
मंत्र मूलं गुरु वाकयं मोक्ष मूलं गुरु: कृपा॥
वैदिक पूजन हवन नवग्रह शांति जाप गुरु देव पूजन हेतु संपर्क करें प. G k Sharma ☎️

गुरू पूर्णिमा के दिन फिर उपछाया चंद्र ग्रहण लगेगा🌘🌘🌙🌙🌙🌔इस साल जून महीने में लगातार सूर्य और चन्द्र दो ग्रहण के ठीक 15दिन...
04/07/2020

गुरू पूर्णिमा के दिन फिर उपछाया चंद्र ग्रहण लगेगा🌘🌘🌙🌙🌙🌔इस साल जून महीने में लगातार सूर्य और चन्द्र दो ग्रहण के ठीक 15दिन बाद में
गुरू पूर्णिमा के दिन फिर उपछाया चंद्र ग्रहण लगेगा लगातार पड़ने वाले तिनो ग्रहण के कारण विश्व में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव उथल-पुथल होने की प्रबल संभावना होती है है जब पृथ्वी चंद्रमा के ठीक पीछे होती है तो उसकी परछाइयां चंद्रमा मैं आ जाती है उस छाया को ही उप छाया चंद्रग्रहण कहा जाता है मान्यता है कि आम तौर पर खण्ड ग्रास चंद्र ग्रहण का सुतक ग्रहण आंरभ से 9 घंटे पहले लग जाता है जो इस उपछाया चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले लगभग 4 जुलाई रात को 10 :30 से आंरभ हो जायेगा लेकिन यह उपचछाया चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा यह उपछाया चंदर ग्रहण दक्षिणी -पश्चमी यूरोप स्पेन पुर्तगाल इटली फ़्रांस इंग्लैंड आयरलैंड बेल्जियन मध्य दक्षिणी जर्मनी हालेंड और आफ़्रिका दक्षिणी अमेरीका उतरी अमेरिका आदी में दिखेगा भारत में यह ग्रहण द्रष्टीगौचर नहीं होगा इसलिये किसी भी प्रकार से सुतक का विचार भारत में नहीं किया जायेगा ध्यान रहे भारतिये ज्योतिष व ग्रंथों में इस प्रकार के उपछाया व धूंधले पन का धार्मिक महतव नहीं माना जाता है उपछाया ग्रहण में ना तो अन्य पूर्ण खणड ग्रास ग्रहणों की तरह पृथ्वी पर ग्रहण की काली छाया पड़ती है ना ही सौरपिनडों (सूर्य -चंद्रमा )की तरह ग्रहण के प्रभाव से रंग काला होता है केवल चंद्रमा की आकृति और प्रकाश थोड़ा धुधंला हो जाता है बता दे की आम तौर पर सूतक लगने से पहले ही खाने-पीने की वस्तुओं में तुलसी के पत्ते कुसा आदि डाल देने चाहिए जिससे खाद्य वस्तु दुसित ना हो ग्रहण के सुतक के दौरान खाना पीना नहीं चाहिए और किसी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए 5-7-2020 दिन रविवार को भारतियों स्टैंड टाइम के अनुसार
चंद्रग्रहण स्परश आरम्भ - सुबह 8:37 मिनट
चंद्र ग्रहण मध्य सुबह 10-00
चंद्रग्रहण मौक्ष समाप्त दिन 11:22 मिनट
चंद्रग्रहण की कुल अवधि लगभग 2 घण्टे होगी भारत में दृश्य नहीं होगा इसलिए सूतक मान्य नहीं होगा लेकिन कई सधना करने वाले विद्वान साधना के लिए मानते है

18/12/2019
अक्षय तृतीया आज 7 मई को है उसका महत्व क्यों है जानिए कुछ महत्वपुर्ण जानकारीAstrology  Sarvis just watsup/call 3 Complete...
07/05/2019

अक्षय तृतीया आज 7 मई को है उसका महत्व क्यों है जानिए कुछ महत्वपुर्ण जानकारी
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अक्षय तृतीया आज 7 मई को है उसका महत्व क्यों है जानिए कुछ महत्वपुर्ण जानकारी
- 🙏 आज ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था ।
🙏-महर्षी परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था ।
🙏-माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था
🙏-द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था ।
🙏- कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था ।
🙏- कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था ।
🙏-सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था ।
🙏-ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था ।
🙏- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है ।
🙏- बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है अन्यथा साल भर वो बस्त्र से ढके रहते है ।
🙏- इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था ।
🙏- अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है...
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अक्षय तृतीया 7 मई कोकरें दान-पुण्य, होगी शुभ फल की प्राप्ति अक्षय तृतीया के दिन जो भी दान किया जाता है उसका पुण्‍य कई गु...
06/05/2019

अक्षय तृतीया 7 मई को
करें दान-पुण्य, होगी शुभ फल की प्राप्ति अक्षय तृतीया के दिन जो भी दान किया जाता है उसका पुण्‍य कई गुना बढ़ा जाता है.
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अक्षय तृतीया 7 मई को
करें दान-पुण्य, होगी शुभ फल की प्राप्ति

अक्षय तृतीया के दिन जो भी दान किया जाता है उसका पुण्‍य कई गुना बढ़ा जाता है. इस दिन अच्छे मन से घी, शक्‍कर, अनाज, फल-सब्‍जी, इमली, कपड़े और सोने-चांदी का दान करना चाहिए. कई लोग इस दिन इलेक्‍ट्रॉनिक सामान जैसे कि पंखे और कूलर का दान भी करते हैं।
हिन्‍दू धर्म में अक्षय तृतीया का बड़ा महत्‍व है. इस दिन सोना खरीदने की प्रथा है. माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन सौभाग्य और शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस दिन जो भी काम किया जाता है उसका परिणाम शुभ होता है. इस बार अक्षय तृतीया 7 मई को मनाई जा रही है।

अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त :-

इस मुहूर्त में सोना खरीदना बहुत शुभ माना जाता है.
7 मई - सुबह 06:26 से रात 11:47 तक।

अक्षय तृतीया की पूजन व‍िध‍ि :-

1. अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना शुभ माना जाता है.
2. कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं.
3. सुबह उठकर स्नान करने के बाद पीले कपड़े पहनते हैं.
4. विष्णु जी को गंगाजल से नहलाकर, उन्हें पीले फूलों की माला चढ़ाई जाती है.
5. इसी के साथ गरीबों को भोजन कराना और दान देना शुभ माना जाता है.
6. खेती करने वाले लोग इस दिन भगवान को इमली चढ़ाते हैं. मान्‍यता है कि ऐसा करने से साल भर अच्‍छी फसल होती है.

क्‍या दान करें :-

मान्‍यता है क‍ि अक्षय तृतीया के दिन जो भी दान किया जाता है उसका पुण्‍य कई गुना बढ़ा जाता है. इस दिन अच्छे मन से घी, शक्‍कर, अनाज, फल-सब्‍जी, इमली, कपड़े और सोने-चांदी का दान करना चाहिए. कई लोग इस दिन इलेक्‍ट्रॉनिक सामान जैसे कि पंखे और कूलर का दान भी करते हैं।

अक्षय तृतीया का महत्‍व :-

यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन विष्णु जी के अवतार परशुराम का धरती पर जन्म हुआ था. इसी वजह से अक्षय तृतीया को परशुराम के जन्‍मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है. इसके अलावा अक्षय तृतीया को लेकर एक और मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर आईं थीं. इसी के साथ अक्षय तृतीया का दिन रसोई और भोजन की देवी अन्‍नपूर्णा का जन्‍मदिन भी माना जाता है. अक्षय तृतीया के दिन शादी से लेकर पूजा तक, सभी करना शुभ माने जाते हैं.
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*पूजा से जुड़ी अति महत्वपूर्ण बातें जिनको जानना हमारे लिए आवश्यक है * Astrology  Sarvis just watsup/call Complete Consult...
25/04/2019

*पूजा से जुड़ी अति महत्वपूर्ण बातें जिनको जानना हमारे लिए आवश्यक है *
Astrology Sarvis just watsup/call Complete Consultation on Love Marriage Problem, Married Life Problem, Graha Kalesh Problem, Financial
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*1. घर में सेवा पूजा करने वाले जन भगवान के एक से अधिक स्वरूप की सेवा पूजा कर सकते हैं ।*

*2. घर में दो शिवलिंग की पूजा ना करें तथा पूजा स्थान पर तीन गणेश जी नहीं रखें।*

*3. शालिग्राम जी की बटिया जितनी छोटी हो उतनी ज्यादा फलदायक है।*

*4. कुशा पवित्री के अभाव में स्वर्ण की अंगूठी धारण करके भी देव कार्य सम्पन्न किया जा सकता है।*

*5. मंगल कार्यो में कुमकुम का तिलक प्रशस्त माना जाता हैं।*

*6. पूजा में टूटे हुए अक्षत के टूकड़े नहीं चढ़ाना चाहिए।*

*7. पानी, दूध, दही, घी आदि में अंगुली नही डालना चाहिए। इन्हें लोटा, चम्मच आदि से लेना चाहिए क्योंकि नख स्पर्श से वस्तु अपवित्र हो जाती है अतः यह वस्तुएँ देव पूजा के योग्य नहीं रहती हैं।*

*8. तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए क्योंकि वह मदिरा समान हो जाते हैं।*

*9. आचमन तीन बार करने का विधान हैं। इससे त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश प्रसन्न होते हैं।*

*10. दाहिने कान का स्पर्श करने पर भी आचमन के तुल्य माना जाता है।*

*11. कुशा के अग्रभाग से दवताओं पर जल नहीं छिड़के।*

*12. देवताओं को अंगूठे से नहीं मले।*

*13. चकले पर से चंदन कभी नहीं लगावें। उसे छोटी कटोरी या बांयी हथेली पर रखकर लगावें।*

*15. पुष्पों को बाल्टी, लोटा, जल में डालकर फिर निकालकर नहीं चढ़ाना चाहिए।*

*16. श्री भगवान के चरणों की चार बार, नाभि की दो बार, मुख की एक बार या तीन बार आरती उतारकर समस्त अंगों की सात बार आरती उतारें।*

*17. श्री भगवान की आरती समयानुसार जो घंटा, नगारा, झांझर, थाली, घड़ावल, शंख इत्यादि बजते हैं उनकी ध्वनि से आसपास के वायुमण्डल के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। नाद ब्रह्म होता हैं। नाद के समय एक स्वर से जो प्रतिध्वनि होती हैं उसमे असीम शक्ति होती हैं।*

*18. लोहे के पात्र से श्री भगवान को नैवेद्य अपर्ण नहीं करें।*

*19. हवन में अग्नि प्रज्वलित होने पर ही आहुति दें।*

*20. समिधा अंगुठे से अधिक मोटी नहीं होनी चाहिए तथा दस अंगुल लम्बी होनी चाहिए।*

*21. छाल रहित या कीड़े लगी हुई समिधा यज्ञ-कार्य में वर्जित हैं।*

*22. पंखे आदि से कभी हवन की अग्नि प्रज्वलित नहीं करें।*

*23. मेरूहीन माला या मेरू का लंघन करके माला नहीं जपनी चाहिए।*

*24. माला, रूद्राक्ष, तुलसी एवं चंदन की उत्तम मानी गई हैं।*

*25. माला को अनामिका (तीसरी अंगुली) पर रखकर मध्यमा (दूसरी अंगुली) से चलाना चाहिए।*

*26.जप करते समय सिर पर हाथ या वस्त्र नहीं रखें।*

*27. तिलक कराते समय सिर पर हाथ या वस्त्र रखना चाहिए।*

*28. माला का पूजन करके ही जप करना चाहिए।*

*29. ब्राह्मण को या द्विजाती को स्नान करके तिलक अवश्य लगाना चाहिए।*

*30. जप करते हुए जल में स्थित व्यक्ति, दौड़ते हुए, शमशान से लौटते हुए व्यक्ति को नमस्कार करना वर्जित हैं।*

*31. बिना नमस्कार किए आशीर्वाद देना वर्जित हैं।*

*32. एक हाथ से प्रणाम नही करना चाहिए।*

*33. सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए।*

*34. बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें।*

*35. जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं।*

*36. जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए।*

*37. जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए।*

*38. संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध हैं।*

*39. दीपक से दीपक को नही जलाना चाहिए।*

*40. यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं।*

*41. शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की सात परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करना श्रेष्ठ है, किन्तु रविवार को परिक्रमा नहीं करनी चाहिए।*

*42. कूमड़ा-मतीरा-नारियल आदि को स्त्रियां नहीं तोड़े या चाकू आदि से नहीं काटें। यह उत्तम नही माना गया हैं।*

*43. भोजन प्रसाद को लाघंना नहीं चाहिए।*

*44. देव प्रतिमा देखकर अवश्य प्रणाम करें।*

*45. किसी को भी कोई वस्तु या दान-दक्षिणा दाहिने हाथ से देना चाहिए।*

*46. एकादशी, अमावस्या, कृृष्ण चतुर्दशी, पूर्णिमा व्रत तथा श्राद्ध के दिन क्षौर-कर्म (दाढ़ी) नहीं बनाना चाहिए ।*

*47. बिना यज्ञोपवित या शिखा बंधन के जो भी कार्य, कर्म किया जाता है, वह निष्फल हो जाता हैं।*

*48. यदि शिखा नहीं हो तो स्थान को स्पर्श कर लेना चाहिए।*

*49. शिवजी की जलहारी उत्तराभिमुख रखें ।*

*50. शंकर जी को बिल्वपत्र, विष्णु जी को तुलसी, गणेश जी को दूर्वा, लक्ष्मी जी को कमल प्रिय हैं।*

*51. शंकर जी को शिवरात्रि के सिवाय कुंुकुम नहीं चढ़ती।*

*52. शिवजी को कुंद, विष्णु जी को धतूरा, देवी जी को आक तथा मदार और सूर्य भगवानको तगर के फूल नहीं चढ़ावे।*

*53 .अक्षत देवताओं को तीन बार तथा पितरों को एक बार धोकर चढ़ावें।*

*54. नये बिल्व पत्र नहीं मिले तो चढ़ाये हुए बिल्व पत्र धोकर फिर चढ़ाए जा सकते हैं।*

*55. विष्णु भगवान को चांवल, गणेश जी को तुलसी, दुर्गा जी और सूर्य नारायण को बिल्व पत्र नहीं चढ़ावें।*

*56. पत्र-पुष्प-फल का मुख नीचे करके नहीं चढ़ावें, जैसे उत्पन्न होते हों वैसे ही चढ़ावें।*

*57. किंतु बिल्वपत्र उलटा करके डंडी तोड़कर शंकर पर चढ़ावें।*

*58. पान की डंडी का अग्रभाग तोड़कर चढ़ावें।*

*59. सड़ा हुआ पान या पुष्प नहीं चढ़ावे।*

*60. गणेश को तुलसी भाद्र शुक्ल चतुर्थी को चढ़ती हैं।*

*61. पांच रात्रि तक कमल का फूल बासी नहीं होता है।*

*62. दस रात्रि तक तुलसी पत्र बासी नहीं होते हैं।*

*63. सभी धार्मिक कार्यो में पत्नी को दाहिने भाग में बिठाकर धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न करनी चाहिए।*

*64. पूजन करनेवाला ललाट पर तिलक लगाकर ही पूजा करें।*

*65. पूर्वाभिमुख बैठकर अपने बांयी ओर घंटा, धूप तथा दाहिनी ओर शंख, जलपात्र एवं पूजन सामग्री रखें।*

*66. घी का दीपक अपने बांयी ओर तथा देवता को दाहिने ओर रखें एवं चांवल पर दीपक रखकर प्रज्वलित करें।*

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08/05/2018

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पहला सुख निरोगी काया अगर है आप रौगो से परेशान तो हम बतायेगे आपको समाधान इन उपायो से दुर भगाये बिमारी को जाने रोग निवारण ...
04/05/2018

पहला सुख निरोगी काया अगर है आप रौगो से परेशान तो हम बतायेगे आपको समाधान इन उपायो से दुर भगाये बिमारी को जाने रोग निवारण के उपाय ऐ उपाय बनायेगे आपको निरोग ये छोटे छोटे उपाय बदल सकते है आपके जिवन को अधिक जानकारी हेतु अभी फोन करे पंडीत जी को
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रोग निवारण के उपाय
जिस घर में जब कोई रोग आ जाता है तो उस रोगी के साथ साथ उस घर के सभी व्यक्ति भी मानसिक रूप से चिंता और आशांति का अनुभव करने लगते है , लेकिन कुछ छोटी छोटी बातो को ध्यान में रखकर हम हालत पर काबू पा सकते है , शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते है ।

1.यदि आपके परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तो अगर संभव हो तो उसे सोमवार को डॉक्टर को दिखाएँ और उसकी दवा की पहली खुराक भगवान शिव को अर्पित करके कुछ राशी भी चड़ा दें और रोगी व्यक्ति के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करें , व्यक्ति के बहुत जल्दी ही ठीक हो जाने की सम्भावना बन जाती है ।

2.हर पूर्णिमा को किसी भी शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ से अपने परिवार को निरोग रखने की प्रार्थना रखें ,तत्पश्चात मंदिर में और गरीबों में कुछ ना कुछ फल,मिठाई और नगद दान अवश्य दें ।

3.रोगी व्यक्ति को मंगलवार और शनिवार किसी भी दिन हनुमान जी की मूर्ति से सिंदूर लेकर उसके माथे पर लगाने से उसका दिल मजबूत होता है और रोगी जल्दी स्वस्थ भी होता है ।

4.यदि कोई बीमार व्यक्ति प्रात: काल एक गिलास पानी लेकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके खड़े होकर एँ मन्त्र का 21 बार जाप करके पी जाय एवं ईश्वर से अपने रोग को दूर करने के लिए प्रार्थना करें तो शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। यह प्रयोग सोमवार से शुरू करके रविवार तक लगातार 7 दिन तक करना चाहिए ।

5.अशोक के वृक्ष की ताजा तीन पत्तियों को प्रतिदिन प्रातः चबाने से चिंताओं से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य भी उत्तम बना रहता है ।

6.यदि किसी बीमार व्यक्ति का रोग ठीक ना हो रहा हो तो उसके तकिये के नीचे सहदेई और पीपल की जड़ रखने से बीमारी जल्दी ठीक होती है ।

7.यदि किसी रोगी को मृत्युतुल्य पीड़ा हो रही हो , तो जौ के आटे ( बाजार में यह आसानी से उपलब्ध है ) में काले तिल और सरसों का तेल मिला कर रोटी बना कर रोगी के
ऊपर से 7 बार उतारे
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👉गाय से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी जीनको मानव जिवन मे अपनाने का बहुत ही अछा लाभ मिलता है Online love astrology prediction is ...
01/05/2018

👉गाय से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी
जीनको मानव जिवन मे अपनाने का बहुत ही अछा लाभ मिलता है
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1. गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं ।

2. गौ माता में तैंतीस कोटी देवी देवताओं का वास है ।

3. जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं ।

4. गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे ; गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है ।

5. जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है ।

6. गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है । जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते ।

7. गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है ।

8. गौ माता के मुत्र में गंगाजी का वास होता है ।

9. गौ माता के गोबर से बने उपलों का रोजाना घर दूकान मंदिर परिसरों पर धुप करने से वातावरण शुद्ध होता है सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

10. गौ माता के एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है ।

11. गाय इस धरती पर साक्षात देवता है ।

12. गौ माता अन्नपूर्णा देवी है कामधेनु है । मनोकामना पूर्ण करने वाली है ।

13. गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों की क्षमता को कम करता है।

14. गौ माता की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है । किसी व्यक्ति को बुरी नजर हो जाये तो गौ माता की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है ।

15. गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है । उस कुबड़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है । रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबड़ में हाथ फेरने से रोगों का नाश होता है ।

16. गौ माता का दूध अमृत है।

17. गौ माता धर्म की धुरी है। गौ माता के बिना धर्म कि कल्पना नहीं की जा सकती ।

18. गौ माता जगत जननी है।


19. गौ माता पृथ्वी का रूप है।

20. गौ माता सर्वो देवमयी सर्वोवेदमयी है । गौ माता के बिना देवों वेदों की पूजा अधुरी है ।

21. एक गौ माता को चारा खिलाने से तैंतीस कोटी देवी देवताओं को भोग लग जाता है ।

22. गौ माता से ही मनुष्यों के गौत्र की स्थापना हुई है ।

23. गौ माता चौदह रत्नों में एक रत्न है ।

24. गौ माता साक्षात् मां भवानी का रूप है ।

25. गौ माता के पंचगव्य के बिना पूजा पाठ हवन सफल नहीं होते हैं ।

26. गौ माता के दूध घी मख्खन दही गोबर गोमुत्र से बने पंचगव्य हजारों रोगों की दवा है । इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं ।

27. गौ माता को घर पर रखकर सेवा करने वाला सुखी आध्यात्मिक जीवन जीता है । उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती ।

28. तन मन धन से जो मनुष्य गौ सेवा करता है । वो वैतरणी गौ माता की पुछ पकड कर पार करता है। उन्हें गौ लोकधाम में वास मिलता है ।

28. गौ माता के गोबर से ईंधन तैयार होता है ।

29. गौ माता सभी देवी देवताओं मनुष्यों की आराध्य है; इष्ट देव है ।

30. साकेत स्वर्ग इन्द्र लोक से भी उच्चा गौ लोक धाम है।


31. गौ माता के बिना संसार की रचना अधुरी है ।

32. गौ माता में दिव्य शक्तियां होने से संसार का संतुलन बना रहता है ।

33. गाय माता के गौवंशो से भूमि को जोत कर की गई खेती सर्वश्रेष्ट खेती होती है ।

34. गौ माता जीवन भर दुध पिलाने वाली माता है । गौ माता को जननी से भी उच्चा दर्जा दिया गया है ।

35. जहां गौ माता निवास करती है वह स्थान तीर्थ धाम बन जाता है ।

36. गौ माता कि सेवा परिक्रमा करने से सभी तीर्थो के पुण्यों का लाभ मिलता है ।

37. जिस व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वो व्यक्ति अपनी हथेली में गुड़ को रखकर गौ माता को जीभ से चटाये गौ माता की जीभ हथेली पर रखे गुड़ को चाटने से व्यक्ति की सोई हुई भाग्य रेखा खुल जाती है ।

38. गौ माता के चारो चरणों के बीच से निकल कर परिक्रमा करने से इंसान भय मुक्त हो जाता है ।

39. गाय माता आनंदपूर्वक सासें लेती है; छोडती है । वहां से नकारात्मक ऊर्जा भाग जाती है और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है जिससे वातावरण शुद्ध होता है ।

40. गौ माता के गर्भ से ही महान विद्वान धर्म रक्षक गौ कर्ण जी महाराज पैदा हुए थे ।

41. गौ माता की सेवा के लिए ही इस धरा पर देवी देवताओं ने अवतार लिये हैं ।

42. जब गौ माता बछड़े को जन्म देती तब पहला दूध बांझ स्त्री को पिलाने से उनका बांझपन मिट जाता है ।

43. स्वस्थ गौ माता का गौ मूत्र को रोजाना दो तोला सात पट कपड़े में छानकर सेवन करने से सारे रोग मिट जाते हैं ।

44. गौ माता वात्सल्य भरी निगाहों से जिसे भी देखती है उनके ऊपर गौकृपा हो जाती है ।

45. गाय इस संसार का प्राण है ।

46. काली गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं । जो ध्यानपूर्वक धर्म के साथ गौ पूजन करता है उनको शत्रु दोषों से छुटकारा मिलता है ।

47. गाय धार्मिक ; आर्थिक ; सांस्कृतिक व अध्यात्मिक दृष्टि से सर्वगुण संपन्न है ।

48. गाय एक चलता फिरता मंदिर है । हमारे सनातन धर्म में तैंतीस कोटि देवी देवता है । हम रोजाना तैंतीस कोटि देवी देवताओं के मंदिर जा कर उनके दर्शन नहीं कर सकते पर गौ माता के दर्शन से सभी देवी देवताओं के दर्शन हो जाते हैं ।

49. कोई भी शुभ कार्य अटका हुआ हो बार बार प्रयत्न करने पर भी सफल नहीं हो रहा हो तो गौ माता के कान में कहिये रूका हुआ काम बन जायेगा ।

50. जो व्यक्ति मोक्ष गौ लोक धाम चाहता हो उसे गौ व्रती बनना चाहिए ।

51. गौ माता सर्व सुखों की दातार है ।

हे मां आप अनंत ! आपके गुण अनंत ! इतना मुझमें सामर्थ्य नहीं कि मैं आपके गुण विश्व नंबर 1 ज्योतिषी जब कहिँ नही हो काम ; तो हम से ले समाधान 48घन्टे मे आपकी समस्या का पक्का समाधान स्पेसलिस्ट: किया-कराया, प्रेम-विवाह,सौतन दुख,गृहक्लेश,दुश्मन से छुटकारा,व्यापारिक समस्या,विवाह में रुकावट,ऋण होना,ऊपरी समस्या,कुण्डली दोष,नज़र दोष,पति से छुटकारा,मनचाहा प्यार,प्रेमविवाह ,रूठे प्रेमी को मानना ,शादी के लिए माता पिता को मानना,प्रेमी वशीकरण ,प्रेमिका वशीकरण,पति -पत्नी वशीकरण सोतन मुक्ति दुसमन मुक्ति लड़कियों और लड़कों के रिश्ते समस्या,अन्य कास्ट प्रेम विवाह,अपने व्यापार की समस्या,तलाक और पति-पत्नि अनबन की समस्या,सौतन से छुटकारा,शादी की समस्या,अपने प्रेमी की समस्या,अदालत के मामले की समस्या,विवाह में रुकावट की समस्या,नि:संतान के रूप में समस्या,नशामुक्ति,सेक्स की समस्या समाधान किया जाता है एक बार संपर्क करो आपका जीवन ही बदल जायेगा!हम आपके फोन पर आपके जीवन की कठिन से कठिन मुस्किल से मुस्किल समास्यो का घर बैठे तुरन्त समाधान द्वारा किया जाता - हमेशा खुशहाल एवं प्रसन्नचित रहें !

Indan Famus online astrologer जानिये हमारे घर मे स्वस्तिक का महतव अधीक जानकारी के लिये हमे फोन करे हमारा फोन नमबर भारतीय...
23/04/2018

Indan Famus online astrologer

जानिये हमारे घर मे स्वस्तिक का महतव अधीक जानकारी के लिये हमे फोन करे हमारा फोन नमबर
भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही स्वस्तिक को मंगल का प्रतीक माना जाता है. जब हम कोई भी शुभ काम करते हैं तो सबसे पहले स्वस्तिक चिन्ह अंकित करते है और उसकी पूजा करते हैं. स्वस्तिक का शाब्दिक अर्थ होता है अच्छा या मंगल करने वाला. स्वस्तिक शब्द किसी जाति या व्यक्ति की और इशारा नहीं करता है. स्वस्तिक में सारे विश्व के कल्याण की भावना समाई हुई है. स्वस्तिक सबके कल्याण का प्रतीक है. भारतीय संस्कृति में स्वस्तिक को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. सब मुश्किलों को हरने वाले भगवान् गणेश की पूजा, धन, वैभव की देवी लक्ष्मी की पूजा स्वस्तिक के साथ की जाती है. शुभ लाभ, स्वास्तिक तथा बहीखातों की पूजा करने की परम्परा भारतीय संस्कृति में बहुत पुरानी है. स्वस्तिक को सभी धर्मों में महत्वपूर्ण बताया गया है.अलग – अलग देशों में स्वस्तिक को अलग – अलग नामों से जाना जाता है. सिन्धु घाटी की सभ्यता आज से चार हजार पुरानी है. स्वस्तिक के निशान सिन्धु घाटी की सभ्यता में भी मिलते हैं. बोद्ध धर्म में स्वस्तिक को बहुत महत्वपूरण माना जाता है. बोद्ध धर्म में भगवान गौतम बुद्ध के ह्रदय के ऊपर स्वस्तिक का निशान दिखाया गया है. स्वस्तिक का निशान मध्य एशिया के सभी देशों में मंगल एव सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. नेपाल में स्वस्तिक की हेरंब के नाम से की जाती है. बर्मा में महा प्रियेन्ने के नाम से स्वस्तिक की पूजा की जाती है. मिस्र में सब देवताओं के पहले कुमकुम के द्वारा क्रोस की आक्रति बनाई जाती है. मिस्र में एक्टन के नाम से स्वस्तिक की पूजा की जाती है. मेसोपोटेमिया में स्वस्तिक को शक्ति का प्रतीक माना गया है. अस्त्र-शस्त्र पर विजय प्राप्त करने के लिए स्वस्तिक के निशान का प्रयोग किया जाता है. हिटलर ने भी स्वस्तिक के निशान को महत्वपूर्ण माना था. स्वास्तिक जर्मन के राष्ट्रीय ध्वज में विराजमान है.क्रिस्चियन क्रोस का प्रयोग करते हैं जो की स्वस्तिक का ही रूप है. जैन धर्म और सनातन धर्म में स्वस्तिक को मंगल करने वाला माना गया है. वास्तु शास्त्र के अनुसार चार दिशायें होती हैं स्वस्तिक से चारों दिशाओं का बोद्ध होता है. पूर्व, दक्षिण, पश्चिम उतर. चारों दिशाओं के देव अलग अलग होते हैं. पूर्व के इंद्र, दक्षिण के यम, पश्चिम के वरुण, उतर के कुबेर. स्वस्तिक की भुजाओं से चारों उप दिशाओं का पता चलता है. स्वस्तिक के निशान में आठों दिशाओं को दिखाया गया है. वैदिक धर्म में स्वस्तिक को भगवान् गणेश का स्वरूप माना जाता है. स्वस्तिक की चारों दिशाओं से चार युगों का पता चलता है. ये चार युग हैं सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग. स्वास्तिक के निशान से चार वर्ण ब्राह्मण, छत्रिय, वैश्य ,शुद्र का पता चलता है. स्वस्तिक से चार आश्रम ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास का ज्ञान होता है. चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का ज्ञान होता है. चार वेद आदि के बारे में पता चलता है. स्वस्तिक की चार भुजाओं से धर्म के सिद्धांतो का बोद्ध होता है. चारों दिशाओं में भगवान् का दर्शन एक समान होता है.

*स्वस्तिक क्या है महत्तव*

स्वस्तिक की चार भुजाओं से धर्म के सिद्दांतों की जानकारी होती है. चारों दिशाओं से भगवान् का दर्शन एक समान रूप से होता है. स्वस्तिक से हमें चार घातीयों कर्म ज्ञानावार्निया, दर्शानावेर्निय, मोहनीय, अंतराय का बोध होता है. स्वस्तिक से हमें चार अनंत चतुष्टय अनंत्दर्शन, अनंतज्ञान, अनंतसुख, अनंत वीर्य का ज्ञान होता है. कुछ विद्वान् स्वस्तिक की रेखाओं को आग पैदा करने वाली अश्वत्थ और पीपल की दो लकड़ियाँ मानते हैं.स्वस्तिक की इतनी जानकारी देने का उद्देश्य यही है कि स्वस्तिक के आकार में अनगिनत जानकारियाँ व अनगिनत शक्तियां मौजूद हैं. शरीर को बाहर से साफ़ करके साफ वस्त्र पहनकर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए पवित्र भावना से नो अंगुल का स्वस्तिक बनायें. 90 डिग्री के एंगल में सब भुजाओं को एक समान रखते हुए स्वस्तिक बनाएं. ब्रह्म मुहूर्त में विधि के अनुसार केसर से, कुमकुम से, सिन्दूर और तेल को मिलकर अनामिका अंगुली से स्वस्तिक बनायें. ऐसा करने से घर के वातावरण में थोड़े समय तक अच्छा परिवर्तन हो जाता है.बोविस यन्त्र द्वारा स्वस्तिक की जाँच करने से पता चलता है कि स्वस्तिक के अन्दर लगभग एक लाख सकारात्मक उर्जाओं का वास होता है. घर के मुख्य द्वार पर और हर कमरे के द्वार पर स्वस्तिक अंकित करने से सकारात्मक उर्जाएं घर के अन्दर आ जाती हैं Get solution in one call solve all problems related to love & marrige & intercast marriage get lost love back ex back and study job visa and child problem gurranted solution specialist love marrige astrologer baba ji just call and watsap☎️

जानिये नारियल  (श्रीफल) का महत्व ऐक फोन करे और समस्या बताये समाधान पाये जन्म तारिख जन्म समय जन्म जगह के दुवारा जाने अपने...
19/03/2017

जानिये नारियल (श्रीफल) का महत्व ऐक फोन करे और समस्या बताये समाधान पाये
जन्म तारिख जन्म समय जन्म जगह के दुवारा जाने अपने भविष्य का पुरा हाल

नारियल को अत्यंत शुभ व पवित्र माना जाता है। प्राय: हर धार्मिक कार्य में इसका उपयोग होता है। इसके नेत्र शिवस्वरूप माने गए हैं। जब भी किसी धार्मिक कार्य का श्रीगणेश होता है तो नारिफल फोड़कर उसकी खुशी मनाई जाती है, सबको प्रसाद वितरित किया जाता है।

नारियल फोडऩे के साथ एक परंपरा भी जुड़ी है। प्राय: पुरुष ही नारियल फोड़ते हैं, महिलाओं के लिए यह कार्य वर्जित समझागया है। महिलाएं नारियल क्यों नहीं फोड़ सकतीं? इस परंपरा के पीछे कई मान्यताएं हैं।हिंदू धर्म में महिला को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। इसी प्रकार नारियल को सृष्टि का मूल या बीज कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार,सृष्टि के सृजन में जो प्रथम वस्तु उत्पन्न हुई,वह नारियल थी। इसे श्रीफलभी कहा गया है, क्योंकि जहां यह विधिपूर्वक स्थापित किया जाता है, वहां देवी लक्ष्मी (श्री) का वास होता है।सृष्टि का मूल तत्व होने के कारण इसे बीज या प्रजनन तत्व भी माना जाताहै। चूंकि शास्त्रों में नारी शक्ति को भी जननी कहा गया है। अत: नारी के हाथों इस बीज तत्व को फोडऩा अशुभ माना समझा जाता है। इसलिए नारियल फोडऩे के कार्य से महिलाओं को दूर रखा गया है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, नारियल फोडऩे से गर्भाशय पर लगने वाला दबाव इस अंग को हानि पहुंचा सकता है। अत: महिलाओं के लिए नारियल फोडऩे को वर्जित माना गयाहै।
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जिस किसी भी बहन को संतान नहीं होती या होकर नष्ट हो जाती है,वह एक बार अवश्य संपर्क करे |
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18/03/2017


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सूर्य का मीन राशि में गोचर (14 मार्च, 2017)
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ज्योतिष में सूर्य को नव ग्रहों के राजा की उपाधि दी गई है। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है अत: सूर्य के बिना जीवन संभव नहीं है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा और पिता का कारक कहा गया है इसलिए कुंडली में सूर्य को पूर्वजों का प्रतिनिधि माना जाता है। सूर्य प्रधान जातक सरकारी और अन्य सेवाओं में बड़े पदों पर आसीन रहते हैं।
सूर्य 14 मार्च 2017यानी आज को मीन राशि में प्रवेश कर रहे है और यह 14 अप्रैल 2017 तक इसी राशि में संचरण करेगें। निश्चित ही सूर्य के इस गोचर का प्रभाव आपके जीवन पर पड़ेगा। उन तमाम प्रभावों को जानने के लिये पढ़े आचार्य कौशलेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी महराज का बिशेष लेख ......
1.मेष
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वैदिक ज्योतिष में आत्मा का कारक माने जाने वाला सूर्य आपकी राशि से 12वें भाव में प्रवेश करेगा। इसके परिणाम स्वरूप उन छात्रों की इच्छा पूरी हो सकती है जो विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं। इस अवधि में मेष राशि के जातक विदेश यात्रा का भी आनंद उठा सकते हैं। सूर्य के प्रभाव से आप अपने विरोधियों व शत्रुओं पर हावी रहेंगे। इस अवधि में आमदनी के मुकाबले में खर्च बढ़ सकते हैं। बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर आप चिंतित रह सकते हैं। लक्ष्य हासिल करने के लिए आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कार्य क्षेत्र में आपको परिवर्तन देखने को मिल सकता है। ऐसे में संभव है कि आपका ट्रांसफर हो जाए। इसके अलावा आप नौकरी भी बदल सकते हैं। प्रेम जीवन के लिए समय थोड़ा मुश्किल दिखाई दे रहा है।

2.वृषभ
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सूर्य आपकी राशि से 11वें भाव में गोचर करेगा। इसके प्रभाव से आपको प्रॉपर्टी से लाभ प्राप्त होने की संभावना है। किसी वजह से इस अवधि में आप घर से दूर भी रह सकते हैं। कार्य स्थल पर आपके वरिष्ठ अधिकारियों से आप लाभान्वित होंगे। इसके अलावा वृषभ राशि के जातकों को किसी सरकारी महकमे में बैठे उच्च अधिकारियों से भी लाभ मिल सकता है। बड़े भाई-बहनों के स्वास्थ्य की चिंता आपको थोड़ा परेशान कर सकती है। बच्चों की शरारतों से तंग आकर आप उन पर गुस्सा कर सकते हैं, जिससे घर का माहौल तनावपूर्ण हो सकता है। आप अपने पुराने घर को बेचने की योजना बना सकते हैं। किसी नई कला, विद्या को सीखने में आप अपना पैसा और समय दोनों ख़र्च कर सकते हैं। दोस्तों के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा।

3.मिथुन
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सूर्य आपकी राशि से 10वें भाव में प्रवेश करेगा। इसके फलस्वरूप कार्य क्षेत्र में आप बेहतर प्रदर्शन करेंगे। आपके काम से प्रभावित होकर सीनियर्स अथवा बॉस से भी आपको तारीफ मिलेगी। काम के प्रति आपकी सच्ची लगन और मेहनत आपको मंज़िल तक पहुँचाएगी। ऑफ़िस में आपका प्रमोशन भी संभव है, हालाँकि आपका घरेलू जीवन थोड़ा प्रभावित रह सकता है। क्योंकि काम की वजह से आप फ़ैमिली को शायद ज्यादा वक़्त न दे पाएँ जिसकी वे आप से आशा करते हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि आप पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में तालमेल बनाकर चलें। ससुराल पक्ष में किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
4.कर्क
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सूर्य आपकी राशि से नवम भाव में संचरण करेगा। सूर्य के नवम भाव में होने से आपकी आय में बढ़ोतरी होगी। भाग्य आपका साथ देगा और समाज में आपका रुतबा बढ़ेगा। हालाँकि पिताजी के साथ रिश्तों में थोड़ा तनाव हो सकता है। ऐसे भी योग बन रहे हैं कि आप किसी लंबी दूरी की यात्रा पर निकल जाएं। इसमें तीर्थ यात्रा पर जाने के भी योग हैं। धार्मिक कार्यों के प्रति आपकी रूचि बढ़ेगी। आपके भाई-बहनों के लिए समय थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

5.सिंह
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सूर्य आपकी राशि से अष्टम भाव में प्रवेश करेगा। सूर्य के अष्टम भाव में गोचर करने के दौरान आपको नेत्र से जुड़ी कोई पीड़ा हो सकती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह समय थोड़ा हानिकारक प्रतीत हो रहा है। कार्य क्षेत्र में आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान सीनियर्स से भी सहयोग मिलने की उम्मीद थोड़ी कम है। ऐसी परिस्थितियों में आपको बेहद संयम के साथ काम लेना होगा। बेवजह के विवादों से बचने की कोशिश करें। आपके पिता की सेहत में गिरावट देखने को मिल सकती है। बेवजह के खर्चों से आर्थिक परेशानी बढ़ेगी इसलिए खर्चों पर नियंत्रण रखने की कोशिश करें। इस अवधि में पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में तालमेल बनाकर चलने की जरुरत होगी। मानसिक शांति के लिए प्राणायाम करें।

6.कन्या
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सूर्य आपकी राशि से सातवे भाव में गोचर करेगा। सूर्य के सप्तम भाव में होने से आप विदेश में किसी व्यवसाय की शुरुआत कर सकते हैं। जीवन साथी आपके प्रति पूरी तरह से समर्पित रहेगा। हालाँकि जीवन साथी का गुस्सैल रवैया रिश्तों पर असर डाल सकता है, इसलिए किसी भी मुद्दे पर बेवजह विवाद करने से बचें। कार्य क्षेत्र में आपकी कड़ी मेहनत रंग लाएगी। ग़स्से पर क़ाबू रखें और किसी से बहस बाज़ी न करें। वहीं बिज़नेस में किसी भी तरह की डील करने से बचना होगा। अगर कोई फैसला लेना है तो पहले अच्छी तरह से सोच-विचार कर लें।
उपायः संयम से काम लें और किसी महिला साथी के नेतृत्व में कार्य को अंजाम दें।

7.तुला
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सूर्य आपकी राशि से छठे भाव में गोचर करेगा। इसका प्रभाव आपके आर्थिक जीवन पर पड़ सकता है। इस दौरान धन हानि हो सकती है। लिहाज़ा पैसों का निवेश बहुत ही सोच-समझकर करें। वहीं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी गोचर आपके अनुकूल नहीं लग रहा है। आप बुखार, सिरदर्द या आँख से संबंधित छोटी-मोटी बीमारियों से पीड़ित रह सकते हैं। पिता जी से धन लाभ हो सकता है। महिला पक्ष से आपके संबंध बिगड़ सकते हैं। अगर आपका कोई अदालती या कानूनी प्रकरण चल रहा है तो फैसला आपके पक्ष में आने की संभावना है। कड़ी मेहनत से आप विरोधियों को परास्त कर देंगे।

8.वृश्चिक
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सूर्य आपकी राशि से पाँचवें भाव में गोचर करेगा। ऐसे में आपके जीवन में कुछ परिवर्तन देखने को मिलेंगे। आपकी नौकरी में बदलाव हो सकता है। बच्चे स्वास्थ्य को लेकर परेशान हो सकते हैं और वे छोटी-छोटी बात को लेकर अाक्रामक हो सकते हैं। वहीं जो जातक सरकारी नौकरी से जुड़े हुए हैं उन्हें लाभ प्राप्त होना संभव है। कठिन परिश्रम से आपको सफलता निश्चित मिलेगी। आय में इज़ाफ़ा होगा और आप प्रभावी लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाने में भी कामयाब रहेंगे। समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा।

9.धनु
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सूर्य आपकी राशि से चौथे भाव में गोचर करेगा। सूर्य के चौथे भाव में होने से परिवार में आपका सम्मान और भी बढ़ जाएगा, हालाँकि हो सकता है कि आपके स्वभाव में बदलाव आए। जैसे कि आपका रवैया हावी रह सकता है और आपके इसी स्वभाव के कारण घर का शांत माहौल बिगड़ सकता है। माता-पिता की सेहत का ख़्याल रखें। यदि आप किसी सरकारी नौकरी में हैं तो सरकार की ओर से आपको वाहन अथवा घर के रूप में तोहफ़ा मिल सकता हैं। प्रॉपर्टी आदि के विवाद में न पढ़ें। कार्य में भी ग़ुस्से को नज़र अंदाज़ करते हुए विनम्रता से पेश आएँ।

10.मकर
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सूर्य आपकी राशि से तीसरे भाव में गोचर करेगा। इस अवधि में आपके भाई-बहन और पिताजी को कोई शारीरिक कष्ट हो सकता है। आप कार्य के प्रति दृढ़ निश्चयी रहेंगे, हालाँकि अपनी वर्तमान जॉब को चेंज करने के बारे में आप सोच सकते हैं। नौकरी में सीनियर्स आपकी मदद करेंगे। वहीं जो जातक सरकारी नौकरी से जुडे हुए हैं उनको लाभ मिलेगा। छोटी यात्रा आपके योग में बन रही है। सूर्य के प्रभाव से समाज में आपका मान सम्मान बढ़ेगा।

11.कुंभ
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सूर्य आपकी राशि से दूसरे भाव में संचरण करेगा। सूर्य के प्रभाव की वजह से आपको क्रोध अधिक आएगा। परिवार के लोगों के साथ आपका झगड़ा भी संभव है। जीवन साथी की मदद से आर्थिक लाभ होगा। जीवन साथी की मदद से आपको नौकरी या बिज़नेस में लाभ प्राप्त होगा। इस अवधि में आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य थोड़ा प्रभावित रह सकता है। इसलिए आप उनकी सेहत का ध्यान रखें और ख़ुद का भी ख़्याल रखें। बेवजह के विवादों से दूर रहेंगे तो यह आपके लिए ही अच्छा होगा।

12.मीन
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सूर्य देव आपकी राशि में ही गोचर करेंगे। इस अवधि में सूर्य के प्रभाव से आपके अंदर क्रोध की प्रवृत्ति बढ़ेगी। वे जातक जो सरकारी जॉब से संबंध रखते हैं, उन्हें गोचर का पूर्ण लाभ मिलेगा। आपकी सेहत में थोड़ी गिरावट आ सकती है, जैसे-बुखार, सिरदर्द आदि हो सकता है। जीवन साथी आपके प्रति समर्पण का भाव रखेगा लेकिन आपके उग्र स्वभाव की वजह से रिश्तों में कड़वाहट बढ़ सकती है। इस दौरान रिश्तेदारों से मिलने का मौक़ा मिल सकता है। लक्ष्य को पाने के लिए आपको कठिन परिश्रम करना पड़ सकता है।
बाकी आपकी मर्जी
कृपया बहस ना करे। और ज्ञान को समझे

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