Ayodhya Touch

Ayodhya Touch Ayodhya is the birth place of Lord Rama.
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17/12/2022

ऐसा कहा जाता है कि जीवन वह है जो आप इसे बनाते हैं जैसे हम स्वयं अपने जीवन को स्वर्ग या नरक में बदल सकते हैं। क्या फर्क...

17/12/2022

वैश्विक स्तरपर सदियों पुरानी भारतीय परंपरागत संगीत की चाहत और प्रतिष्ठा आज भी अनेक देशों में कायम है और उसे देखने,...

(अयोध्या)। जीएसटी के सर्वे को लेकर रविवार को नगर में अफवाहों का बाजार गर्म रहा। जीएसटी का रजिस्ट्रेशन न कराने वाले व्यवस...
12/12/2022

(अयोध्या)। जीएसटी के सर्वे को लेकर रविवार को नगर में अफवाहों का बाजार गर्म रहा। जीएसटी का रजिस्ट्रेशन न कराने वाले व्यवसायियों ने जांच के भय से अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। शाम तक दुकानों के शटर नहीं उठे।

रविवार सुबह नगर में जीएसटी अधिकारियों के आने की खबर से लोग हलकान रहे। 12 बजे के बाद हुसैन मार्केट, भूमिजा मार्केट, भीटी चौराहा, कटरा, रामगंज, तेलियागढ़, बस स्टैंड, नवीन मार्केट की दुकानें एकाएक बंद होने लगीं। व्यापारी नेता व नगर पंचायत भाजपा सभासद प्रशांत कुमार ने कहा कि जीएसटी की जांच सपा सरकार की तरह की जा रही है जो व्यापारियों को बर्दाश्त नहीं है। उन्होंने इस पर रोक लगाए जाने की मांग की।

उत्तर प्रदेश युवा उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष हेमंत गुप्ता ने कहा जीएसटी के अधिकारी उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथ में लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर जांच की कार्रवाई करें। व्यापारी नेता संजय मोदनवाल ने कहा कि यह कार्रवाई सरकार को बदनाम करने की कोशिश है, जिसे व्यापारी बर्दाश्त नहीं करेगा।
वहीं वाणिज्य कर के उपायुक्त एके सिंह का कहना था कि पूरे प्रदेश में सरकार द्वारा जीएसटी में पंजीकृत हुए बिना कारोबार करने वालों के लिए सर्वे की कार्रवाई की जा रही है। जीएसटी नंबर न लेने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
#अयोध्या

Ayodhya News: रामजन्मभूमि में श्रद्धालुओं को अब मिल सकेगी चिकित्सा सुविधाअयोध्या। रामलला के श्रद्घालुओं को बेहतर सुविधाओ...
10/12/2022

Ayodhya News: रामजन्मभूमि में श्रद्धालुओं को अब मिल सकेगी चिकित्सा सुविधा

अयोध्या। रामलला के श्रद्घालुओं को बेहतर सुविधाओं के बीच अपने आराध्य का दर्शन प्राप्त हो सके इसको लेकर लगातार काम चल रहा है। इसी क्रम में अब रामभक्तों को रामजन्मभूमि में चिकित्सा सुविधा भी प्राप्त हो सकेगी। इसके लिए रामलला के दर्शन मार्ग पर मेडिकल यूनिट की स्थापना करने की तैयारी है।

बताते चलें कि राममंदिर निर्माण के बीच रामभक्तों के लिए सुविधाएं विकसित करने का काम भी तेजी से चल रहा है। दर्शनमार्ग पर जहां श्रद्धालुओं के लिए एलईडी लगाई गई है। वहीं दर्शन का समय भी डेढ़ घंटा बढ़ा दिया गया है। इसके चलते श्रद्धालुओं की संख्या में भी तीन गुना वृद्धि हुई है। इसके अलावा भक्तों को रामलला की तीनों आरती में शामिल होने का मौका मिल रहा है।

सुविधाओं के क्रम में ही अब भक्तों के लिए चिकित्सा सुविधा भी रामजन्मभूमि में उपलब्ध कराई जाएगी। विगत दिनों रामजन्मभूमि के दर्शन मार्ग पर छात्र-छात्राओं को शैक्षिक भ्रमण पर लेकर आए एक शिक्षक के बेहोश होने व अस्पताल में उसकी मौत होने के बाद रामजन्मभूमि ट्रस्ट व सुरक्षा एजेंसियों को प्राथमिक उपचार के व्यवस्था की भी जरूरत महसूस हुई। इसी के चलते एडीएम कानून व्यवस्था जितेंद्र कुशवाहा द्वारा डीएम को पत्र लिखकर राम जन्मभूमि के क्रांसिग टू बैरियर पर एक मेडिकल यूनिट की स्थापना करने का सुझाव दिया गया है।
एडीएम ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि रामलला के दर्शनार्थियों की भीड़ काफी बढ़ गई है। इसमें हर वर्ग के दर्शनार्थी बच्चे, वृद्घ, महिलाएं, युवा शामिल होते हैं। भीषण गर्मी व ठंडी के दौरान या फिर भीड़ के दबाव के चलते अक्सर श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिलती है।

इसी के मद्देनजर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एक मेडिकल यूनिट की स्थापना की मांग की गई है। जिससे श्रद्धालुओं को तत्काल प्राथमिक उपचार मिल सकेगा। बताया कि श्रीराम जन्मभूमि परिसर में एंबुलेंस की व्यवस्था पहले से है ही।

पहली पाली में रामजन्मभूमि के गर्भगृह के पास शुक्रवार को लाइन में लगी एक महिला गश खाकर गिर गई, उसे तत्काल एंबुलेंस के जरिए श्रीराम अस्पताल पहुंचाया गया। वहां प्राथमिक उपचार के बाद परिजन उसे घर ले गए।
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31/10/2022

स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था। उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्या....

दिवाली एक धार्मिक त्यौहार है। यह भारत के सबसे प्रसिद्ध त्यौहारो में से एक है। अपनी मान्यताओं, कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं क...
24/10/2022

दिवाली एक धार्मिक त्यौहार है। यह भारत के सबसे प्रसिद्ध त्यौहारो में से एक है। अपनी मान्यताओं, कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं के अनुसार हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध इसे मनाते हैं। हालांकि उनकी मान्यताएं और तर्क भिन्न हो सकते हैं, दिवाली बुराई के खिलाफ अच्छाई की जीत, अज्ञान पर ज्ञान, अंधेरे के खिलाफ प्रकाश और दुख पर विश्वास का प्रतिनिधित्व करती है। दिवाली भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद अपने गृह नगर अयोध्या लौटने की याद दिलाती है और इसे व्यापक रूप से रोशनी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। अपने निर्वासन के दौरान, उन्होंने लंका के राक्षस शासक रावण से युद्ध किया और उस पर विजय प्राप्त की।
दीपावली की शुभकामनाएं #दिवालीकीशुभकामनाएँ #दिवाली_स्पेशल_उपाय #दिवालीमनाएं #दिवालीस्पेशल #दिवालीकीशुभकामनाएँ #दिवाली

अयोध्या में स्थित हनुमान मंदिर (रायगंज)
08/07/2022

अयोध्या में स्थित हनुमान मंदिर (रायगंज)

सुप्रभात हनुमानगढ़ी (अयोध्या)
08/06/2022

सुप्रभात हनुमानगढ़ी (अयोध्या)

Shri Yogi Adityanath Ji ko janmdin ki hardik shubhkamnaen
05/06/2022

Shri Yogi Adityanath Ji ko janmdin ki hardik shubhkamnaen

Shri Nageshwar nath ji (Ayodhya)
04/06/2022

Shri Nageshwar nath ji (Ayodhya)

Jai shree ram Hanuman gadhi (Ayodhya)
03/06/2022

Jai shree ram Hanuman gadhi (Ayodhya)

जेठ के मंगल की हार्दिक शुभकामनाएं।। हनुमानगढ़ी।। अयोध्या
31/05/2022

जेठ के मंगल की हार्दिक शुभकामनाएं।। हनुमानगढ़ी।। अयोध्या

Hanumangadi (Ayodhya) .
30/05/2022

Hanumangadi (Ayodhya) .

Ram ki paidi (अयोध्या )
29/05/2022

Ram ki paidi (अयोध्या )

लखनऊ से जुडी कुछ खास बातें(Facts Of Lucknow In Hindi)1. इमामबाड़े का जवाब नहींलखनऊ में लगभग करीब 163 फीट लंबाई और 60 फीट...
24/05/2022

लखनऊ से जुडी कुछ खास बातें(Facts Of Lucknow In Hindi)
1. इमामबाड़े का जवाब नहीं

लखनऊ में लगभग करीब 163 फीट लंबाई और 60 फीट चौड़ाई में बिना किसी खंभे के फैला 15 मीटर से भी अधिक ऊंचाई वाला एक हॉल है, जो कि लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा(Bara Imambara) के नाम से जाना जाता है। लकड़ी, पत्थर और लोहे की बीम के सहारे के बिना भी यह खड़ा है और इस तरह की विश्व की सबसे बड़ी संरचना है, जो वास्तव में गुरुत्वाकर्षण के नियम का मजाक उड़ाता हुआ प्रतीत होता है।

2. STD कॉल से जुड़ने वाला पहला शहर

सब्सक्राइबर ट्रंक डायलिंग यानी कि एसटीडी कॉल से भारत में जो पहला शहर जुड़ा था, वह लखनऊ ही था। अन्य भारतीय राज्यों के ऑपरेटरों को जोड़ने के लिए ये कॉल्स इस्तेमाल में लाए जाते हैं।

3. खूबसूरती का बेजोड़ नमूना रेलवे स्टेशन

लखनऊ का चारबाग का रेलवे स्टेशन(Lucknow Charbagh Railway Station) जिसे कि मुगलई, अवधी और राजपूताना स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर के सबसे खूबसूरत नमूनों में से एक माना गया है, इस 97 साल पुरानी इमारत को आप ऊपर से देखेंगे तो यह बिल्कुल शतरंज की बिसात की तरह नजर आएगा।

4. मिले थे नेहरू और गांधी

दिसंबर, 1916 में जब पहली बार महात्मा गांधी(Mahatma Gandhi) और पंडित जवाहरलाल नेहरू(Pandit Jawaharlal Nehru) मिले थे, तो उनके मिलन की जगह लखनऊ रेलवे स्टेशन(Lucknow Ka Railway Station) ही थी, जिसने काम करना है 1923 में शुरू किया था।

5. देखने लायक है घंटाघर

Lucknow Ka Ghantaghar: लखनऊ में 130 मीटर की ऊंचाई वाला एक घंटा घर हुसैनाबाद में बना हुआ है, जिसे कि भारत का सबसे ऊंचा क्लॉक टावर होने का गौरव प्राप्त है।

6. कभी हुआ करता था लक्ष्मणपुर

लखनऊ के फैक्ट(Facts Of Lucknow In Hindi) की बात करें तो लखनऊ का नाम कई बार बदल चुका है भगवान राम के भाई लक्ष्मण जिस लक्ष्मणपुर(Laxmanpur) पर शासन कर रहे थे, लखनऊ कभी उसी प्राचीन प्रांत का एक भाग था। नवाबों के शहर को लखनऊ नाम लक्ष्मणपुरी, लखनपुर, लखनावती और लखनौती के बाद मिला है।

7. चार हाईवे निकलते हैं एक चौराहे से

लखनऊ, जिसकी जलवायु घूमने के लिहाज से लगभग हर मौसम में अनुकूल रहती है, यहां के हजरतगंज चौराहे से चार राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं। जी हां, NH-28 बिहार(National Highway 28 Bihar) की ओर तो NH-24 दिल्ली की तरफ(National Highway 24 Delhi), तो NH-25 मध्यप्रदेश(National Highway 25 Madhya Pradesh) की ओर और NH-56 वाराणसी(National Highway 56 Varanasi) की ओर जाता है।

8. रेस-कोर्स है सबसे लंबा

भारत के सबसे लंबे रेस कोर्स(India’s Longest Race Course) की बात करें, तो यह भी लखनऊ में ही है, जिसकी ट्रैक की लंबाई 3.5 किलोमीटर की है।

9. लुप्त होते वन्यजीवों को बचाने वाली जगह

मगरमच्छ की जो प्रजातियां लुप्तप्राय हो चुकी हैं, लखनऊ में कुकरैल उद्यान के नाम से उनका एक प्रजनन स्थल भी मौजूद है।

10. एशिया का सबसे विशाल बाग

जी हां, एशिया के सबसे बड़े पार्क के लिए भी लखनऊ जाना जाता है, जो कि गोमती नगर में स्थित है और जिसका नाम जनेश्वर मिश्र पार्क है। लंदन Hyde Park से प्रेरित इस पार्क को बनाने में 2 साल का वक्त लग गया था।

Bolti Zindagi

छोटी छावनी (अयोध्या)        t
18/05/2022

छोटी छावनी (अयोध्या)
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Comment below Jai shree ram ...
17/05/2022

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बुद्ध पूर्णिमामाना जाता है कि हिन्दू कैलेंडर अनुसार वैशाख माह की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें...
16/05/2022

बुद्ध पूर्णिमा

माना जाता है कि हिन्दू कैलेंडर अनुसार वैशाख माह की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें ज्ञान भी प्राप्त हुआ था। बुद्ध जयंती को हिन्दू और बौद्ध दोनों ही धर्मों के अनुयायी मनाते हैं। भारत और विश्व में ऐसे कई संयुक्त मंदिर है जो भगवान बुद्ध और विष्णु को समर्पित हैं। विश्‍वभर में बुद्ध पूर्णिमा मनाने के अलग अलग तरीके हैं। आओ जानते हैं उत्सव की सामान्य परंपरा।

1. इस पूर्णिमा के दिन घर घर में खीर बनाई जाती है और भगवान बुद्ध को खीर का प्रसाद चढ़ाया जाता है। गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त के बाद खीर पीकर ही अपना व्रत खोला था।
2. इन दिन बौद्ध मंदिरों के बहुत ही अच्छे से सजाया जाता है और वहां पर बौद्ध प्रार्थनाओं का आयोजन किया जाता है।
3. सूर्योदय होने से पहले पूजा स्थल पर इकट्ठा होकर प्रार्थना और नृत्य किया जाता है। कुछ जगह पर परेड और शारीरिक व्यायाम करके भी बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है।
4. बुद्ध पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के बाद मंदिर और धार्मिक स्थलों पर बौद्ध झंडा फहराया जाता है। यह झंडा नीले, लाल, सफ़ेद, पीले और नारंगी रंग का होता है। लाल रंग आशीर्वाद, सफेद रंग धर्म की शुद्धता का, नारंगी रंग को बुद्धिमत्ता का, और पीले रंग को कठिन स्थितियों से बचने का प्रतीक माना जाता है।
5. बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर दान देने का भी विशेष महत्व है। कई बौद्ध मंदिर इस उत्सव का आयोजन लोगों को मुफ्त सुविधा प्रदान करके मनाते हैं।
6. बुद्ध पूर्णिमा के दिन कुछ लोग पिंजरे में कैद पक्षियों और अन्य जानवरों को आजाद करके भी मनाते हैं।
7. श्रीलंकाई इस दिन को 'वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है।
8. इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है।
9. दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं।
10. बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ किया जाता है।
11. मंदिरों व घरों में अगरबत्ती लगाई जाती है। मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाए जाते हैं और दीपक जलाकर पूजा की जाती है।
12. गया के बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं पर हार व रंगीन पताकाएं सजाई जाती हैं। जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है। वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं।
13. इस दिन मांसाहार का परहेज होता है क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे।
14. इस दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है। अत: लोग अपने अपने तरीके से कोई भी एक पुण्य कार्य करते हैं।
15. गरीबों को भोजन व वस्त्र दिए जाते हैं।
16. दिल्ली संग्रहालय इस दिन बुद्ध की अस्थियों को बाहर निकालता है जिससे कि बौद्ध धर्मावलंबी वहां आकर प्रार्थना कर सकें।
#बुद्ध

अयोध्या बनेगी 'जलवायु स्मार्ट सिटी', जानिए क्या होगी खासियतमयार्दा पुरुषोत्तम श्रीराम की नगरी अयोध्या को हर लिहाज से श्र...
16/05/2022

अयोध्या बनेगी 'जलवायु स्मार्ट सिटी', जानिए क्या होगी खासियत

मयार्दा पुरुषोत्तम श्रीराम की नगरी अयोध्या को हर लिहाज से श्रेष्ठ बनाने के प्रयास हो रहे हैं. इसी क्रम में इसे क्लाइमेट स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की सरकार तैयारी कर रही है. सौर ऊर्जा से जगमग, अधुनातन और पुरातन का संगम दिखने वाली अयोध्या में पर्यावरण के हितों का भी ध्यान रखा जाएगा.

सरकार ने इसके लिए बनाया है ये प्लान

क्लाइमेट चेंज के प्रभाव से बचने के अयोध्या को जलवायु स्मार्ट सिटी बनाने की कोशिश में लगी सरकार इसमें वन एवं पर्यावरण ऊर्जा समेत अनेक विभागों की मदद से इसे अच्छे से विकसित करेगी.

मौजूदा समय में वहां सरकार के करीब तीन दर्जन विभाग काम पर लगे हैं. इन परियोजनाओं की लागत 25,000 करोड़ रुपए से अधिक है. काम तय समय पर हो इसके लिए वहां के कार्यों की निगरानी के लिए अलग से अयोध्या प्रोजेक्ट्स बनाया गया है.
इस डैशबोर्ड के जरिए संबंधित विभाग के नोडल अधिकारी नियमित करीब 200 प्रमुख योजनाओं की निगरानी करते हैं. सौर ऊर्जा से जगमग, अधुनातन और पुरातन का संगम दिखने वाली अयोध्या इकोफ्रेंडली भी हो, इसलिए हाल ही में मुख्यमंत्री ने इसे क्लाइमेट स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने का भी निर्देश दिया था.

'दोनों किनारों पर हो भरपूर हरियाली'

अयोध्या का ऐसा शहर बनाने की मंशा है जहां पर साफ-सुथरी चौड़ी-चौड़ी चमचमाती सड़कों के किनारे पक्के फुटपाथ हों. इनके दोनों किनारों पर भरपूर हरियाली हो. सुनियोजित एवं नियंत्रित यातायात हो. बिना शोर मचाए सड़कों पर फर्राटा भरते इको फ्रेंडली वाहन, सोलर लाइट का अधिकतम प्रयोग, साफ पानी से भरे जलाशय, हर सरकारी कार्यालय और निजी घरों पर वाटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्य व्यवस्था हो. शहर जिसमें वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण न्यूनतम हो.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों नगर विकास से संबंधित चार विभागों की बैठक में इस बाबत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए.

हाल ही में अयोध्या को लेकर मुख्यमंत्री के समक्ष जिस विजन डॉक्यूमेंट- 2047 का प्रस्तुतिकरण किया गया उसमें ऐसी अयोध्या की परिकल्पना की गई है जो खुद में सक्षम, सुगम्य, भावनात्मक, स्वच्छ, सांस्कृतिक और आयुष्मान हो.

करीब 7 करोड़ हो जाएगी पर्यटकों की संख्या

दरअसल देश और दुनियां में राम की जो स्वीकार्यता है उसके मद्देनजर आने वाले समय में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि होगी. एक अनुमान के अनुसार 2031 तक यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या करीब 7 करोड़ हो जाएगी. यह मौजूदा संख्या से करीब तीन गुना होगी. भव्य राम मंदिर बनने के बाद श्रद्धालुओं की होने वाली भारी भीड़ के लिए मूलभूत सुविधाएं जुटाने के साथ ही यहां प्रदूषण न हो इसके इंतजाम किए जा रहे हैं.

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर डॉ. वेंकटेश दत्ता ने बताया कि क्लाइमेट सिटी का कॉन्सेप्ट बहुत पुराना है. लो कार्बन सिटी भी चला था. इसकी शुरूआत लंदन से हुई थी. लो कार्बन सिटी बनाने के पीछे की मंशा थी जितना कार्बन का उत्सर्जन हो उतना ही कार्बन फिक्स हो जाए.

कार्बन के उत्सर्जन के श्रोत को न्यूट्रल करने के लिए जंगल की जरूरत होती है. अगर हर शहर में जंगल हो जो कार्बन को सोख ले. क्लाइमेट सिटी में ज्यादा पत्थर न हो. यह तापमान को बढ़ाता है. यह अच्छा प्रयोग है. यह यूरोप में हो चुका है. इसके लिए अलग से साइकिल लेन होना चाहिए. नान मोटराइज्ड ट्रैफिक की व्यवस्था होनी चाहिए. क्लाइमेट सिटी में हरे पेड़ पौधे की मात्रा बहुत होती है. शायद यह भारत में पहली ऐसी सिटी होगी.

वन, पर्यावरण व जंतु उद्यान मंत्री डा. अरुण कुमार सक्सेना का कहना है अयोध्या को सांस्कृतिक और पर्यावरण के अनुकूल विकसित किया जा रहा है. इसमें पर्यावरण के हितों का खासा ध्यान रखा जा रहा है. यहां प्रदूषण न हो इसके इंतजाम किए जा रहे हैं. पूरी अयोध्या को हरा-भरा रखने के लिए यहां पौधारोपण पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा.

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मातृ दिवस की शुभकामनाएंMothers day special post .Read this.
07/05/2022

मातृ दिवस की शुभकामनाएं
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पहले दिन से शुरू हुई माँ की शिक्षा और जीवन में माँ का आशीर्वाद होने तक चलते रहें, इसकी ज़रूरत नहीं है। माँ को शिक्षा प....

15/04/2022

भगवान श्रीराम के वो गुण जिन्होंने बनाया उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम
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भगवान राम ने विषम परिस्थितियों में भी स्थिति पर नियंत्रण रख सफलता प्राप्त की उन्होंने हमेशा वेदों और मर्यादा का पालन किया। स्वयं के सुखों से समझौता कर उन्होंने न्याय और सत्य का साथ दिया। जानिए भगवान राम के 5 ऐसे गुण जिनकी वजह से उनका जीवन सफल हुआ और वो श्री राम के वो गुण जिन्होंने बनाया उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाएं।
2
सहनशील व धैर्यवान
सहनशीलता व धैर्य भगवान राम का प्रमुख गुण है। अयोध्या का राजा होते हुए भी श्री राम ने संन्यासी की तरह ही अपना जीवन व्यापन किया। यह उनकी सहनशीलता को दर्शाता है।
3
दयालु स्वभाव
भगवान राम काफी दयालु स्वभाव के रहें। उन्होंने दया कर सभी को अपनी छत्रछाया में लिया। उन्होंने सभी को आगे बढ़ कर नेतृत्व करने का अधिकार दिया। सुग्रीव को राज्य दिलाना उनके दयालु स्वभाव का ही प्रतिक है।
भगवान श्री राम
4
मित्रता
हर जाति, हर वर्ग के व्यक्तियों के साथ भगवान राम ने मित्रता की। हर रिश्तें को श्री राम ने दिल से निभाया। केवट हो या सुग्रीव, निषादराज या विभीषण सभी मित्रों के लिए उन्होंने स्वयं कई बार संकट झेले।
भगवान श्री राम
5
भगवान राम और भजन
बेहतर नेतृत्व क्षमता
भगवान राम एक कुशल प्रबंधक थे। वो सभी को साथ लेकर चलने वाले थे। भगवान राम के बेहतर नेतृत्व क्षमता की वजह से ही लंका जाने के लिए पत्थरों का सेतु बन पाया।
भगवान श्री राम
6
भगवान राम और हिंदी फिल्मी नगमें
भाई के प्रति प्रेम
भगवान राम ने अपने सभी भाइयों के प्रति सगे भाई से बढ़कर त्याग और समर्पण का भाव रखा और स्नेह दिया। इसी कारण से भगवान राम के वनवास जाते समय लक्ष्मण जी भी उनके साथ वन गए। यही नहीं भरत ने श्री राम की अनुपस्थिति में राजपाट मिलने के बावजूद भगवान राम के मूल्यों को ध्यान में रखकर सिंहासन पर रामजी की चरण पादुका रख जनता की सेवा की।

नवाबों की नगरी लखनऊ की तहजीब पूरे विश्व में जानी जाती है। शहर की शान-ओ-शौकत भी खास है। असल में यह देन है अवध के नवाबों क...
28/02/2022

नवाबों की नगरी लखनऊ की तहजीब पूरे विश्व में जानी जाती है। शहर की शान-ओ-शौकत भी खास है। असल में यह देन है अवध के नवाबों की। उन्होंने न सिर्फ अवध को एक नई पहचान दी, बल्कि दुनिया को तहजीब सिखाई। गंगा-जमुनी संस्कृति को बढ़ावा दिया। आम जनता की भलाई में कई अहम कदम उठाए। आइए हम बताते हैं उन नवाबों की कहानी। जानिए उनका दिलचस्प इतिहास
नवाब सआदत अली खान प्रथम
नवाब सआदत अली खान प्रथम को बुरहान-उल-मुल्क भी कहा जाता है। वह बुरहान-ए-मुल्क नशाकुर के रहने वाले थे। मुगलिया सल्तनत में वह सिपहसालार थे। मुगल शासक ने इन्हें अवध भेजा था। बाद में 1722 में इन्होंने एक स्वायत्त राज्य की स्थापना की। हालांकि सआदत अली खान अवध के राज्यपाल बन कर आए थे, लेकिन जल्द ही उन्हें नवाब के खिताब से नवाजा गया।
गंगा-जमुनी तहजीब को बढ़ावा
नवाब सआदत अली खान ने आते ही अवध की इबारत लिखने का काम शुरू कर दिया था। उन्होंने कई कर और सैनिक सुधार लागू किए। उन्होंने गंगा-जमुनी तहजीब को बढ़ावा दिया। नियुक्तियों में हिंदू-मुस्लिम में भेद नहीं किया। इनका कोई बेटा नहीं था। 17 साल तक अवध पर शासन करने के बाद नवाब सआदत खान ने 1739 में इस दुनिया को अलविदा कहा।
मछली को बनाया राज्य निशान
लखनऊ के नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला एक दिलचस्प वाक्या बताते हैं। वह कहते हैं कि जब सआदत अली खान गोमती नदी के रास्ते लखनऊ आ रहे थे तो उनकी नाव में एक मछली कूदकर अंदर आ गई। तभी से वह मछली अवध का सरकारी निशान बन गई। इस निशान को आज भी आप सरकारी मुहर में और सरकारी इमारतों पर देख सकते हैं।

#अयोध्या

मां सीता एक आदर्श स्त्री का उतकृष्ण उदाहरण हैं। वो अच्छी पुत्री, आदर्श पत्नी, उच्च चरित्र वाली महिलाओं में गिनी जाती हैं...
27/02/2022

मां सीता एक आदर्श स्त्री का उतकृष्ण उदाहरण हैं। वो अच्छी पुत्री, आदर्श पत्नी, उच्च चरित्र वाली महिलाओं में गिनी जाती हैं लेकिन तुलसी दास की राम चरित मानस और वाल्मीकि रामायण में मां सीता के बारे में कुछ अलग-अलग बातें पढ़ने को मिलती हैं।
जानिए भगवान राम के अस्तित्व से जुड़ी खास बातें

आईये एक बार डालते हैं उन खास बातों पर एक नजर...

वाल्मीकि रामायण के मुताबिक मां सीता और भगवान राम की शादी के वक्त सीता की उम्र 6 साल थी।
वाल्मीकि रामायण के मुताबिक मां सीता शादी के बाद 12 साल तक भगवान राम के साथ अयोध्या में रहीं।
वाल्मीकि रामायण जाते वक्त मां सीता की उम्र 18 साल थी, यह भी बाल्मिकी की रामायण में लिखा है।
मां सीता के बारे में और बातें करेंगे नीचे की स्लाइडों में...कृप्या उन्हें पढ़ने के लिए नीचे की स्लाइडरों पर क्लिक कीजिये...

सीता स्वयंवर
रामचरित मानस में सीता स्वयंवर का उल्लेख लेकिन वाल्मीकि रामायण में नहीं।

सीता
बाल्मिकी ने लिखा है कि राम गुरू विश्वामित्र के साथ जनकपुरी गये थे जहां बातों-बातों में उन्होंने शिवजी का धनुष तोड़ दिया जिसके बाद जनक ने सीता का विवाह उनसे कर दिया था क्योंकि उन्होंने प्रण किया था कि वो उसी से सीता की शादी करेंगे जो धनुष तोड़ेगा।

सीता का हरण
वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण ने सीता का हरण अपने रथ से किया था। रावण का यह दिव्य रथ सोने का बना था।

पुष्पक विमान
जबकि तुलसीदास ने लिखा है कि सीता को हरण के बाद रावण उन्हें पुष्पक विमान से लंका ले गया था।

मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी
तुलसीदास ने लिखा है कि मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को सीता और राम की शादी हुई थी लेकिन रामायण में ऐसा नहीं वर्णन नहीं है।

सीता को कभी नहीं भूख-प्यास
वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि सीताहरण के बाद इंद्र ने ऐसी खीर बनाकर सीता को खिलाई जिसके बाद सीता जब तक लंका में रहीं भूख-प्यास नहीं लगी जबकि यह सब कुछ तुलसी दास ने नहीं लिखा है।

#अयोध्या

अयोध्या के बारे में 10 ऐतिहासिक तथ्य1. अयोध्या को साकेत के नाम से भी जाना जाता है जो भारत का एक प्राचीन शहर है या कह सकत...
26/02/2022

अयोध्या के बारे में 10 ऐतिहासिक तथ्य

1. अयोध्या को साकेत के नाम से भी जाना जाता है जो भारत का एक प्राचीन शहर है या कह सकते हैं कि अयोध्या का प्राचीन नाम साकेत है. यह भगवान राम के जन्म और उनके पिता दशरथ के शासन के साथ प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण की पृष्ठभूमि का केंद्र थी. कुछ स्रोतों के अनुसार, शहर समृद्ध और अच्छी आबादी वाला था.

2. पारंपरिक इतिहास में, अयोध्या कोसल राज्य की प्रारंभिक राजधानी थी. अनेकों प्रख्यात राजा यथा इक्ष्वाकु, पृथु, मान्धाता, हरिश्चंद्र, सागर, भागीरथ, रघु, दिलीप, दशरथ तथा राम ने कोशल देश की इस राजधानी से शासन किया था. छठी-पाँचवीं शताब्दी BCE के आसपास के बौद्ध काल में, श्रावस्ती, राज्य का प्रमुख शहर बन गया था. कुछ विद्वानों के अनुसार, अयोध्या साकेत शहर के समान है, जिस स्थान के बारे में कहा जाता है कि बुद्ध एक समय यहाँ निवास करते थे.

3. 11वीं और 12वीं शताब्दी के दौरान, कन्नौज साम्राज्य अयोध्या में उत्पन्न हुआ, जिसे अवध कहा जाता था. बाद में, इस क्षेत्र को दिल्ली सल्तनत, जौनपुर राज्य और 16वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य में शामिल किया गया था.

4. सरयू नदी के पूर्वी तट पर बसा अयोध्या नगर पुरातन काल के अवशेषों से भरा हुआ है. अयोध्या उत्तर प्रदेश के फैजाबाद से ठीक पूर्व घाघरा या सरयू नदी के तट पर स्थित है. इसकी स्थापना अवध के दूसरे नवाब सआदत खान ने लगभग ढाई शताब्दी पूर्व की थी, यह अयोध्या से लगभग 7 किमी की दूरी पर स्थित है. नवाबों के समय की परंपराओं और विरासत को देखने के लिए मोती महल, गुलाब बाड़ी और बहू-बेगम के मकबरे जैसे विभिन्न पर्यटकों के आकर्षण के लिए जाना जा सकता है.

रामायण से जुड़े 13 रहस्य जिनसे दुनिया अभी भी अनजान है

5. सरयू नदी पर लंबे घाटों का निर्माण 19वीं शताब्दी के प्रथम भाग में सरयू नदी पर राजा दर्शन सिंह ने करवाया था. नदी का किनारा सीता-राम तथा नरसिंह को समर्पित सुंदर मंदिरों, चक्रहरि तथा गुप्तहरि मंदिरों से भरा है जो इस स्थान की पवित्रता को बढ़ाते हैं. धार्मिक विचारों वाले लोगों और पर्यटकों हेतु इस स्थान का एक बार भ्रमण बहुत आवश्यक है.
6. सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर की रामायण अनुसार विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापना की गई थी. बाद में, यह सूर्यवंशी (सूर्य) वंश की राजधानी बन गयी, जिसमें सबसे प्रसिद्ध राजा भगवान राम थे.
7. अयोध्या के संदर्भ भी अथर्ववेद में निहित हैं. इसके अलावा, जैन मत के अनुसार अयोध्या में पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था.
8. अयोध्या या अवधपुरी, भगवान राम के जन्मस्थली होने के कारण इसको मोक्षदायिनी एवं हिन्दुओं की प्रमुख तीर्थस्थली के रूप में भी माना जाता है.
9. विभिन्न त्यौहार व उत्सव दीपोत्सव अयोध्या, राम नवमी मेला, श्रावण झूला मेला, राम लीला, परिक्रमाएँ, अनंतग्रही परिक्रमा, पंचकोशी परिक्रमा, चतुर्दशकोशी परिक्रमा, इत्यादि हैं.
10. विभिन्न दर्शनीय स्थल हैं रामकोट, हनुमान गढ़ी, तुलसी स्मारक भवन, श्री नागेश्वरनाथ मंदिर, त्रेता के ठाकुर, कनक भवन, अयोध्या में जैन मंदिर, मणि पर्वत, छोटी देवकाली मंदिर, राम की पैड़ी, कोरियन पार्क – रानी हो, सरयू नदी, राम कथा संग्रहालय, सूरज कुंड, और कुंड तथा घाट इत्यादि.
अयोध्या एक प्राचीन नगरी है और इसे हिंदुओं के सात पवित्र शहरों में से एक माना जाता है. इसे अवध भी कहा जाता है. यह सरयू नदी के तट पर बसा हुआ है. प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण व श्री रामचरितमानस अयोध्या के ऐश्वर्य को प्रदर्शित करते हैं.

#अयोध्या

Interesting Fact About Saryu Riverऋग्वेद में इंद्र द्वारा दो आर्यों के वध की कथा में जिस नदी के तट पर इस घटना के होने का...
25/02/2022

Interesting Fact About Saryu River
ऋग्वेद में इंद्र द्वारा दो आर्यों के वध की कथा में जिस नदी के तट पर इस घटना के होने का वर्णन है वह यही नदी है. रामायण में वर्णित है कि सरयू अयोध्या से होकर बहती है जिसे दशरथ की राजधानी और राम की जन्भूमि माना जाता है. बाद के काल में रामचरित मानस में तुलसीदास ने इस नदी का गुणगान किया है. मत्स्यपुराण के अध्याय 121 और वाल्मीकि रामायण के 24वें सर्ग में इस नदी का वर्णन है. वामन पुराण के 13वें अध्याय, ब्रह्म पुराण के 19वें अध्याय और वायुपुराण के 45वें अध्याय में गंगा, यमुना, गोमती, सरयू और शारदा आदि नदियों का हिमालय से प्रवाहित होना बताया गया है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार सरयू, घाघरा व शारदा नदियों का संगम तो हुआ ही है, सरयू व गंगा का संगम श्रीराम के पूर्वज भगीरथ ने करवाया था. सरयू नदी की कुल लंबाई करीब 160 किमी है. हिंदुओं देवता भगवान श्री राम के जन्मस्थान अयोध्या से होकर बहने से हिंदू धर्म में इस नदी का विशेष महत्व है.

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आज भी मौजूद हैं नवाब शुजाउद्दौला की बनवाई इमारतेंइतिहासकारों के अनुसार सन् 1732 से 1775 के बीच फैजाबाद शहर ने काफी शोहरत...
24/02/2022

आज भी मौजूद हैं नवाब शुजाउद्दौला की बनवाई इमारतें
इतिहासकारों के अनुसार सन् 1732 से 1775 के बीच फैजाबाद शहर ने काफी शोहरत पाई. नवाब शुजाउद्दौला ने फैजाबाद शहर को दिलकुशा पैलेस, गुलाब बाड़ी, बहू बेगम का मकबरा, मोती महल जैसे खूबसूरत इमारतों का तोहफा दिया. इतना ही नहीं शहर के चौक इलाके में बने विशालकाय मेहराबों वाले गेट आज भी मौजूद हैं, जो शहर की पहचान हैं. नवाबी दौर में इन शासकों का रहन-सहन इतना वैभव पूर्ण और विलासिता पूर्ण था कि अंग्रेजी हुकूमत के बड़े अफसर भी हैरान थे.

इमारत में रंग-रोगन की आवश्यकता
पर्यटक ममता शुक्ला ने बताया कि वह अक्सर अपने परिवार के साथ इस इमारत को देखने के लिए आती है. इमारत के आसपास बनी बागवानी मन को लुभाती है. लेकिन मकबरे की हालत अच्छी नहीं है और इसे रंग रोगन की जरूरत है.
पर्यटन को मिले बढ़ावा
छात्रा रूबी तिवारी का कहना है कि गुलाब बाड़ी की देखरेख ठीक ढंग से नहीं हो रही है. यह हमारी ऐतिहासिक धरोहर है, जिसका इतिहास के पन्नों में जिक्र है. जिम्मेदार संस्थाओं द्वारा इस ऐतिहासिक इमारत की देखरेख करने की जरूरत है, जिससे यह इमारत पर्यटन का एक बड़ा जरिया बने.

सौंदर्यीकरण योजना में शामिल हों ऐतिहासिक इमारतें
पर्यटक कुलदीप पाल का कहना है कि अब अयोध्या में पर्यटन की असीमित संभावनाएं है. राम मंदिर निर्माण के साथ केंद्र और प्रदेश सरकार तमाम योजनाएं अयोध्या के सौंदर्यीकरण को लेकर चला रही हैं. लेकिन इन योजनाओं को सीमित नहीं किया जाना चाहिए. अयोध्या जिले की जितनी भी ऐतिहासिक इमारतें हैं उनके रंग-रोगन से लेकर उन्हें भी प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है. जिससे जब पर्यटक अयोध्या आएं तो इन मशहूर ऐतिहासिक इमारतों को भी देखें.

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बहू बेगम का मकबरा नवाब शुजाउद्दौला ने अपनी प्रिय पत्नी की याद में बनवाया था। मकबरा मुगल स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ उदाह...
23/02/2022

बहू बेगम का मकबरा नवाब शुजाउद्दौला ने अपनी प्रिय पत्नी की याद में बनवाया था। मकबरा मुगल स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। इतिहास गवाह है कि सन् 1816 में इस मकबरे को ताजमहल की भव्यता के साथ बनाने का प्रयास किया गया।

चन्द्रमा की दूधिया रौशनी में सफेद संगमरमर अपनी चमक धारण कर लेता है और ऐसा लगता जैसे कि मकबरे को अमरत्व की चमक मिल जाती है। 42 मीटर की ऊँचाई के साथ यह पूरे फैजाबाद शहर और उसके आसपास का रंग-बिरंगा दृश्य प्रस्तुत करता है। इस इमारत की देखरेख भारतीय पुरातत्व विभाग करता है।

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Interesting Fact About Saryu Riverऋग्वेद में इंद्र द्वारा दो आर्यों के वध की कथा में जिस नदी के तट पर इस घटना के होने का...
22/02/2022

Interesting Fact About Saryu River
ऋग्वेद में इंद्र द्वारा दो आर्यों के वध की कथा में जिस नदी के तट पर इस घटना के होने का वर्णन है वह यही नदी है. रामायण में वर्णित है कि सरयू अयोध्या से होकर बहती है जिसे दशरथ की राजधानी और राम की जन्भूमि माना जाता है. बाद के काल में रामचरित मानस में तुलसीदास ने इस नदी का गुणगान किया है. मत्स्यपुराण के अध्याय 121 और वाल्मीकि रामायण के 24वें सर्ग में इस नदी का वर्णन है. वामन पुराण के 13वें अध्याय, ब्रह्म पुराण के 19वें अध्याय और वायुपुराण के 45वें अध्याय में गंगा, यमुना, गोमती, सरयू और शारदा आदि नदियों का हिमालय से प्रवाहित होना बताया गया है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार सरयू, घाघरा व शारदा नदियों का संगम तो हुआ ही है, सरयू व गंगा का संगम श्रीराम के पूर्वज भगीरथ ने करवाया था. सरयू नदी की कुल लंबाई करीब 160 किमी है. हिंदुओं देवता भगवान श्री राम के जन्मस्थान अयोध्या से होकर बहने से हिंदू धर्म में इस नदी का विशेष महत्व है.

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गुप्तार घाट वह लम्बा स्थान है जहाँ पर पायी जाने वाली पत्थर की सीढ़ियाँ सरयू नदी की ओर ले जाती हैं। हिन्दुओं में इस घाट क...
21/02/2022

गुप्तार घाट वह लम्बा स्थान है जहाँ पर पायी जाने वाली पत्थर की सीढ़ियाँ सरयू नदी की ओर ले जाती हैं। हिन्दुओं में इस घाट को बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने पृथ्वी छोड़ने के लिये यहीं पर जलसमाधि ली थी और भगवान विष्णु के पवित्र घर या बैकुण्ठ में प्रवेश किया था। पौराणिक महत्व के अलावा सरयू नदी के तट कई छोटे-छोटे मन्दिरों के साथ को सुन्दर दृश्य अचम्भित कर देने वाला होता है।

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किसी जमाने में अवध की राजधानी के रूप में मशहूर फैजाबाद वर्तमान में अयोध्या अपनी विविधताओं के लिए पूरी दुनिया में जाना जा...
19/02/2022

किसी जमाने में अवध की राजधानी के रूप में मशहूर फैजाबाद वर्तमान में अयोध्या अपनी विविधताओं के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. राम मंदिर कारण ये शहर चर्चा में रहा है. इस बेहद पुराने शहर में राम मंदिर के अलावा भी कई ऐसे दर्शनीय स्थल और ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिसकी शोहरत को पूरी दुनिया में है. ऐसी ही ऐसी ही एक मशहूर इमारत है शहर की गुलाब बाड़ी
गुलाब बाड़ी का मतलब ही है गुलाबों का बाग. अवध के तीसरे नवाब नवाब शुजाउद्दौला ने इस मशहूर इमारत को बनवाया था. आज भी उनके वालिद और उनकी मां की कब्र इस इमारत के अंदर है.

गुलाब बाड़ी की जानें विशेषताएं और इतिहास.
जिंदा रहते नवाब शुजाउद्दौला ने बनवाया था अपना मकबरा
फैजाबाद की मशहूर गुलाब बाड़ी की कहानी बेहद दिलचस्प है. अवध के तीसरे नवाब शुजाउद्दौला ऐसे नवाब भी थे जिन्होंने अपने जीते जी मशहूर गुलाब बाड़ी में अपना मकबरा बनवा दिया था. इस मशहूर इमारत के अंदर नवाब शुजाउद्दौला, उनके पिता सफदरजंग और उनकी मां की कब्रें हैं. नवाब सफदरजंग को पहली बार फैजाबाद की गुलाब बाड़ी में ही दफनाया गया था. इसके बाद उन्हें दिल्ली में दफनाया गया और आज उस जगह को सफदरजंग मकबरे के रूप में पूरी दुनिया जानती है.

गुलाब बाड़ी, अयोध्या.
कई रंगों के गुलाब करतें हैं पर्यटकों को आकर्षित
गुलाब बाड़ी परिसर की खूबसूरती में यहां की बागवानी चार चांद लगाती है. इस इमारत के चारों तरफ गुलाबों की एक बड़ी बागवानी की गई है. जिसमें बेहद खूबसूरत गुलाब के पौधे लगाए गए हैं. इस बाग में लाल, गुलाबी, सफेद, काले, पीले रंग के फूल खिलते हैं. इसके अलावा अन्य रंगों के गुलाब के पौधे और फूल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. बाग में कई अन्य खूबसूरत फूलों के पौधे भी लगाए गए हैं, जो यहां की खूबसूरती को बढ़ाते हैं.

गुलाब बाड़ी.
अपनी रौनक खो रहा मशहूर मकबरा
वैसे तो फैजाबाद की गुलाब बाड़ी साल के 365 दिन पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहती है. बड़ी तादाद में पर्यटक और स्थानीय लोग अपने परिवार के साथ इस मशहूर ऐतिहासिक इमारत के पास बने पार्क में आते हैं. लेकिन वक्त गुजरने के साथ ही अब इस इमारत का नूर बे रौनक हो रहा है. विशालकाय मकबरे की देखरेख ठीक ढंग से न होने के कारण यह कई जगह से जर्जर हो रहा है. पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित में समय-समय पर मरम्मत का काम भी होता है. लेकिन शायद यह कोशिश ऊंट के मुंह में जीरा है. उचित देखरेख और संरक्षण न होने पर कहीं ऐतिहासिक इमारत कहीं इतिहास के पन्नों में ही दर्ज न होकर रह जाए.
देश का एकमात्र मकबरा जहां पर है अशोक स्तंभ
फैजाबाद शहर की एक खूबसूरत इमारत के तौर पर गुलाब बाड़ी की पहचान पूरी दुनिया में है. लेकिन कुछ और बातें भी हैं जो इस मशहूर मकबरे को खास बनाती हैं. इस मकबरे के गेट पर स्थापित विशालकाय अशोक स्तंभ है. कहा जाता है कि यह देश का अकेला ऐसा मकबरा है जहां पर भारत सरकार ने अशोक स्तंभ गड़वा रखा है.

1857 में खत्म हो गई थी नवाबी
सन् 1775 में नवाब शुजाउद्दौला के इंतकाल के बाद उनके बेटे आसिफुद्दौला ने फैजाबाद की जगह लखनऊ को अवध की राजधानी बना दिया. इसके बाद नवाबों की रियासत और नवाबी ठाठ लखनऊ में रच बस गई. नवाब वाजिद अली शाह इस पीढ़ी के आखिरी नवाब साबित हुए. 1857 में जब गदर हुआ उसी दौर में नवाबी खत्म हो गई. लेकिन अवध के नवाबों के किस्से कहानियां आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है

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Facts about saryu nadiसरयू नदी, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश (यूपी) से होकर बहती है और यूपी के बहराइच जिले में महाकाली (शार...
18/02/2022

Facts about saryu nadi
सरयू नदी, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश (यूपी) से होकर बहती है और यूपी के बहराइच जिले में महाकाली (शारदा) और करनाली (घाघरा) नदियों से संगम करती है. महाकाली भारत-नेपाल सीमा के दक्षिण-पश्चिम हिस्से का निर्माण करती है. कुछ मानचित्रकार सरयू को निचले घाघरा नदी का एक हिस्सा मानते हैं. सरयू को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है. अयोध्या सरयू नदी के तट पर स्थित है. रामनवमी पर, भगवान राम के जन्मदिन को मनाने वाले त्योहार, हजारों लोग अयोध्या में सरयू नदी में डुबकी लगाते हैं.

रामायण के अनुसार भगवान राम ने इसी नदी में जल समाधि ली थी. सरयू नदी का उद्‌गम (Origin) उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले से हुआ है. बहराइच से निकलकर यह नदी गोंडा से होती हुई अयोध्या तक जाती है. पहले यह नदी (Saryu River) गोंडा के ‘परसपुर’ तहसील में ‘पसका’ नामक तीर्थ स्थान पर घाघरा नदी से मिलती थी. पर अब यहां बांध बन जाने से यह नदी पसका से क़रीब 8 किलोमीटर आगे ‘चंदापुर’ नामक स्थान पर मिलती है. अयोध्या तक ये नदी (Saryu River) सरयू के नाम से जानी जाती है, लेकिन उसके बाद यह नदी (Saryu River) ‘घाघरा’ के नाम से जानी जाती है. सरयू नदी (Saryu River) की कुल लंबाई लगभग 160 किलोमीटर है. हिंदुओं के पवित्र देवता भगवान श्री राम के जन्मस्थान अयोध्या से हो कर बहने के कारण हिंदू धर्म में इस नदी का विशेष महत्व है. सरयू नदी का वर्णन ऋग्वेद में भी मिलता है.

सरयू नदी की प्रमुख सहायक नदी राप्ती है, जो इसमें उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले के ‘बरहज’ नामक स्थान पर मिलती है. इस क्षेत्र का प्रमुख नगर गोरखपुर इसी राप्ती नदी के तट पर स्थित है और राप्ती तंत्र की अन्य नदियां आमी, जाह्नवी इत्यादि हैं,जिनका जल अंततः सरयू में जाता है. बहराइच, सीतापुर, गोंडा, फैजाबाद, अयोध्या, राजेसुल्तानपुर, दोहरीघाट, बलिया आदि शहर इस नदी के तट पर स्थित हैं.

Saryu appeared through the eyes of Lord Vishnu
पौराणिक कथाओं के अनुसार सरयू, घाघरा व शारदा नदियों का संगम तो हुआ ही है, सरयू व गंगा का संगम श्रीराम के पूर्वज भगीरथ ने करवाया था. पुराणों में वर्णित है कि सरयू भगवान विष्णु के नेत्रों से प्रगट हुई हैं. आनंद रामायण के यात्र कांड में उल्लेख है कि प्राचीन काल में शंकासुर दैत्य ने वेद को चुरा कर समुद्र में डाल दिया और स्वयं वहां छिप गया था. तब भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य का वध किया और ब्रह्मा को वेद सौंप कर अपना वास्तविक स्वरूप धारण किया. उस समय हर्ष के कारण भगवान विष्णु की आंखों से प्रेमाश्रु टपक पड़े. ब्रह्मा ने उस प्रेमाश्रु को मानसरोवर में डाल कर उसे सुरक्षित कर लिया. इस जल को महापराक्र मी वैवस्वत महाराज ने बाण के प्रहार से मानसरोवर से बाहर निकाला. यही जलधारा सरयू नदी कहलाई. बाद में भगीरथ अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाये और उन्होंने ही गंगा व सरयू का संगम करवाया.

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