Beauty of badam

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23/09/2023

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22/09/2023

झारखण्ड

यहां की अधिकतर नदियां बरसती होती हैं,
और वर्षा ऋतु में इन नदियों में जल का स्तर उफान पर होता है और ग्रीष्म ऋतु आते-आते इन नदियों का जलस्तर निम्न से निम्न हो जाता है।

09/09/2023

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सोलहवीं शताब्दी में बनी थी हजारीबाग के बादम में पहली मस्जिद,मस्जिद में तीन गुम्बज हैं। गुम्बजों में ईंट और पत्थर का इस्त...
09/09/2023

सोलहवीं शताब्दी में बनी थी हजारीबाग के बादम में पहली मस्जिद,

मस्जिद में तीन गुम्बज हैं। गुम्बजों में ईंट और पत्थर का इस्तेमाल हुआ है,
साथ ही छह मीनारें बनाई गई हैं,
गुम्बजों और मीनारों पर बेहतरीन नक्काशी की गई है।
एक मीनार अलग से बनाई गई है, जिस के ऊपर जाकर मोअज्जिन पांच वक्त की नमाजे अजान देता है,
मस्जिद के अंदर काफी खूबसूरत मेहराबें बनाई गई हैं। दो तल्ला इस मस्जिद की गुम्बजों, मीनारों एवं मस्जिद के अंदर मेहराबों की जो कारीगरी है वह मुगल शैली की प्रतीत होती हैं।

04 कट्ठा है मस्जिद का कुल परिसर। मस्जिद की जमीन वहां के लोगों ने दान में या जगह बदली पर दी है।

20 वीं शताब्दी की शुरुआत में पुरानी मस्जिद को शहीद कर नई मस्जिद की तामीर की गई।

रांची से करीब 72 किलोमीटर की दूरी पर बादम, बड़कागांव में एक मध्यकालीन मस्जिद है। ऐसा बताया जाता है कि राजा हेमंत,
राजा दलेल के समय में वहां पर मुसलमानों का आगमन हुआ था।
राजा हेमंत सिंह के समय जो मुस्लिम वहां आए थे, वे राजा के सैनिक थे।
धीरे-धीरे यहां मुसलमानों की आबादी बढ़ती गई। इस दौरान पांच वक्त की नमाज अदा करने के लिए एक छोटी-सी मस्जिद का निर्माण किया गया ।
आबादी बढ़ने के कारण वह मस्जिद नमाजियों के लिए छोटी पड़ने लगी। फिर आज से करीब 120 साल पहले मस्जिद को बड़ा बनाया गया। आज इसकी भव्यता दूर से ही नजर आती है। दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं।

Beauty of badam

झारखंड में एक से बढ़कर एक ऐसे अनोखे मंदिर और मान्यताएं देखने को मिलती है। हजारीबाग के बड़कागांव में स्थित पंच वाहिनी मंदिर...
30/08/2023

झारखंड में एक से बढ़कर एक ऐसे अनोखे मंदिर और मान्यताएं देखने को मिलती है। हजारीबाग के बड़कागांव में स्थित पंच वाहिनी मंदिर इनही में से एक है। इस मंदिर में भक्त मन्नत पूरी करने के लिए मां को पत्थर चढ़ाते हैं। इस मंदिर में पांच माताओं की पूजा होती है। इसी कारण यहां पांच पत्थर चढ़ाने की परंपरा है। भक्त यहां देवी पर पत्थर चढ़ाते हैं और मन्नत मांगते हैं। मकर संक्रांति पर यहां विशेष पूजा होती है। दुनिया के हर मंदिरों में मिठाइयों से प्रसाद चढ़ाए जाते हैं, लेकिन झारखंड के इस मंदिर में पत्थरों का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

बता दें कि मंदिर के नीचे गुफानुमा जलकुंड है, जहां लोग स्नान कर पूजा अर्चना-करते हैं। इसी स्थल के पत्थरों को मंदिर में चढ़ाया जाता है। बताया जाता है कि यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। पंच वाहिनी मंदिर में पत्थर चढ़ाकर पूजा होती है, मनोकामना पूरी होने के बाद पत्थर उताराने की भी मान्यता है। यहां 5 पत्थर चढ़ाने का विशेष महत्व है।

मंदिर के पुजारी कहते हैं कि पत्थर चढ़ाकर मुराद मांगने से मां हर कष्ट हर लेती हैं और भक्तों की सारी मुरादें पूरी कर देती हैं। यह अस्था ही है जिससे भक्त माता के मंदिर तक खींचे चले आते हैं। यहां हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर मेला भी लगता है। यह मेला 4 दिनों तक चलता है। यह मेला करणपुरा क्षेत्र के बड़कागांव, केरेडारी, टंडवा उरीमारी, रामगढ़ व हजारीबाग क्षेत्र में प्रसिद्ध है।

23/08/2023

बादाम गांव बादाम पंचायत बड़कागांव हज़ारीबाग़ जिले में स्थित है।
इस गांव के लोग बहुत शांतिपूर्ण तरीके से रह रहे हैं।बेहद गौरवशाली इतिहास वाला यह गांव है, इस गाँव का मुख्य व्यवसाय कृषि है,

अभी भी यह गांव औद्योगिक विकास की बाट जोह रहा है. शिक्षा, पेयजल, सड़क और बिजली इस गांव की मुख्य चिंता है.

युवा पीढ़ी आजकल मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर टेक्नोलॉजी की ओर ज्यादा आकर्षित हो रही है।
यदि बैंक और वित्त संस्थान ग्रामीणों को ऋण और अन्य वित्तीय सहायता प्रदान करें, तो इस गांव में वास्तविक विकास होगा।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना होगा।

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23/08/2023

अगर हमारे गांव कस्बों में बड़ी बड़ी औद्योगिक विकास के नाम पर कंपनियों आ जाती हैं तो ऐसी मनोरमय नदियां जंगल झाड़ और प्राकृतिक मनोरम दृश्य सब के सब विलुप्त हो जायेंगे।

पुस्तक और प्रकृति से बेहतर कोई मित्र नहीं होता।बहुत दिनों बाद
22/08/2023

पुस्तक और प्रकृति से
बेहतर
कोई मित्र नहीं होता।

बहुत दिनों बाद

ठंडी हवाएंठंडी फिजाएंऔर गर्म चाय की चुस्की।
07/12/2022

ठंडी हवाएं
ठंडी फिजाएं
और गर्म चाय की चुस्की।

06/08/2022

इस्लामिक नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं।

मीडिया में जो 4 से 8 फीट तक भिन्न-भिन्न आकार के कथित शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है वह मस्जिद हौज का फव्वारे का पत...
17/05/2022

मीडिया में जो 4 से 8 फीट तक भिन्न-भिन्न आकार के कथित शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है वह मस्जिद हौज का फव्वारे का पत्थर है ऐसे पत्थर ज्यादातर शाही मस्जिदों में मिल जाएंगे।

यह सफदरजंग मस्जिद का हौज है। ऐसी ही पत्थर ज्ञानवापी मस्जिद के हौज में भी है इसी पत्थर को कोर्ट ने कहा यह एक साक्ष्य हो सकता है, शिवलिंग होने का कोई जिक्र नहीं है कोर्ट के ऑर्डर में, इसे प्रोपेगेंडा के तहत मीडिया में दावे के साथ शिवलिंग बताया जा रहा है।
दावा मस्जिद के तह खाने में शिवलिंग का था जब पूरी मस्जिद में कहीं कुछ नहीं मिला तो हौज के पत्थर को ही एक अहम साक्ष्य मान लिया गया हद है मतलब कुछ भी।

05/07/2021

आप सभी को शायद पता न हो सोचा बतादूं
2011 के जनगणना के अनुसार बादम गांव में जनसंख्या 7,015 है और क्षेत्र की बात करें तो बादम गांव का सम्पूर्ण क्षेत्र 234 हेक्टेयर है इस गांव की तहसील बड़कागांव इस गांव के पंचायत में (कुतुलवा,तथा राउतपारा) आते हैं इस गांव में घरों की संख्या 1284 है।

साफ सफाई अभियान:बादम मुस्लिम कब्रिस्तान की हुई सफाई, लोगों ने स्वच्छता के लिए प्रेरित किया।मौके पर अंजुमन सदर, सचिव, ने ...
05/07/2021

साफ सफाई अभियान:बादम मुस्लिम कब्रिस्तान की हुई सफाई, लोगों ने स्वच्छता के लिए प्रेरित किया।

मौके पर अंजुमन सदर, सचिव, ने कहा कि कब्रिस्तान में सफाई करने का उद्देश्य अपने आसपास के क्षेत्र को स्वच्छ बनाए रखना
बादम मुस्लिम अंजुमन सदर मो मोकितउल्लाह एवं अंजुमन सचिव शहंशाह खान के आह्वान पर दर्जनों युवा, बुजुर्ग, एवं बच्चों ने कब्रिस्तान में श्रमदान कर साफ सफाई अभियान चलाया। लोगों ने स्वच्छता के लिए प्रेरित किया। कब्रिस्तान में चारों तरफ झाड़ फैल गया था जिससे अंतिम संस्कार एवं पूर्वजों की कब्रिस्तान में दुआ के लिए आने जाने में लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। स्वच्छता अभियान के तहत तीन दिन तक ग्रामीणों के द्वारा श्रमदान किया जाएगा।

मौके पर अंजुमन सदर, सचिव, ने कहा कि कब्रिस्तान में सफाई करने का उद्देश्य अपने आसपास के क्षेत्र को स्वच्छ बनाए रखना है। जनभागीदारी के माध्यम से यह संदेश देना है कि लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक हो। आजसू नेता राजा खान ने कहा के घर व धार्मिक स्थलों के आसपास का क्षेत्र स्वच्छ रहेगा तो एक अच्छा संदेश जाएगा।

पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि मानव में पर्यटन के प्रति रुचि होना उसके आनेक आदिम स्वाभाओं में से एक है जिसे वह अभी भी न...
01/07/2021

पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि मानव में पर्यटन के प्रति रुचि होना उसके आनेक आदिम स्वाभाओं में से एक है जिसे वह अभी भी नहीं छोड़ पाया है।

झारखंड हजारीबाग के अंतर्गत जो गांव बादम है वह अपने आप में बहुत ही विशेष स्थान रखता है चाहे ऐतिहासिक हो या प्राकृतिक बादम गांव में जो गट्टी कोचा की पहाड़ी है उसका विकास आर्कियन काल (200 करोड़ वर्ष पूर्व) से लेकर प्लेस्टोसीन काल (10 लाख वर्ष पूर्व) के बीच ही हुआ है।

संक्षेप रूप में यह कहा जा सकता है कि बादम की पहाड़ियां आज से लगभग 200 से 400 करोड़ वर्ष पुरानी है यह पहाड़ियां उस काल में हो रही लावा नि: सरण तथा अनेक भू संचालन जैसी घटनाओं के परिणाम हैं।

ज्यादातर लोग गट्टी कोचा जलप्रपात के बारे में नहीं जानते लेकिन दिन प्रतिदिन इस जलप्रपात में सैलानियों की भीड़ इकट्ठा होने लगी है।
सरकार को भी चाहिए कि इस जलप्रपात को पर्यटक केंद्र में तब्दील कर सैलानियों के लिए मनोरंजन का केंद्र बनाए।

आप भी हमारी पोस्ट को ज्यादा शेयर करें ताकि हमारी आवाज सरकार तक पहुंच सके।

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अंग्रेज़ के सामने सर झुकाए ये तस्वीर गद्दार मीर जाफर की है जिसकी वजह से आज ही के दिन 23 जून 1757 को अंग्रेजों ने "प्लासी...
23/06/2021

अंग्रेज़ के सामने सर झुकाए ये तस्वीर गद्दार मीर जाफर की है जिसकी वजह से आज ही के दिन 23 जून 1757 को अंग्रेजों ने "प्लासी के युद्ध" में सिराजुद्दौला को हराकर बंगाल पर कब्जा कर लिया था।

कहने को तो यह जंग थी लेकिन असल में यह जंग लड़ी ही नहीं गई।
सिराजुद्दौला के गद्दार सेनापति मीर जाफर और उसके सैनिकों ने गद्दारी कर दी और अंग्रजों के साथ जा खड़े हुए सिराजुद्दौला अकेले खड़े रह गए। अंग्रेज़ बिना लड़े जंग जीत गए सिराजुद्दौला को गिरफ्तार कर उनका क़त्ल कर दिया गया।

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जगन्नाथ मंदिर रांची के बड़कागढ़ रियासत के उदयपुर परगना जगन्नाथपुर धुर्वा में स्थित है, इसका निर्माण सन् 1691 ई में नागवं...
21/06/2021

जगन्नाथ मंदिर रांची के बड़कागढ़ रियासत के उदयपुर परगना जगन्नाथपुर धुर्वा में स्थित है, इसका निर्माण सन् 1691 ई में नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने किया था, यह उत्कल पुरी के जगन्नाथ मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है। मंदिर का निर्माण एक छोटी पहाड़ी पर किया गया है जिसकी ऊँचाई लगभग 85-90 मीटर है। मंदिर परिसर में कई घने वृक्ष हैं जो इसके वातावरण को और भी शुद्ध बनाते हैं। निर्माण काल से लेकर आज तक मंदिर की संरचना में कई बदलाव किये गये हैं। वर्त्तमान में वाहन लेकर सीधे मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुँचने की सुविधा है।

मुख्य मंदिर से थोड़ी दूरी पर स्थित एक पहाड़ी पर एक और छोटा मंदिर है जिसे मौसीबाड़ी के नाम से जानते हैं। रथयात्रा के अवसर पर मुख्य मंदिर से लेकर मौसीबाड़ी तक यात्रा निकाली जाती है। यहाँ प्रत्येक वर्ष भव्य रथयात्रा होती है और सात दिनों तक मेला लगता है।

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मत पूछ आरे नादान की हमारी उड़ान कितनी ऊंची है,हमारे पूर्वजों की बनाई ईमारतें आज भी आसमान छूती हैं।Beauty of badam
21/06/2021

मत पूछ आरे नादान की हमारी उड़ान कितनी ऊंची है,
हमारे पूर्वजों की बनाई ईमारतें आज भी आसमान छूती हैं।

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सुखद अनुभव के लिए भीड़ की जरूरत नहीं होती। #मोत्रा_घाटी_बादमBeauty of badam
21/06/2021

सुखद अनुभव के लिए भीड़ की जरूरत नहीं होती।

#मोत्रा_घाटी_बादम
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मेरे प्यारे मित्रों आप सभी बादम निवासियों से मेरी हाथ जोड़कर विनती है कि आप सभी बीएमसी (BMC) ग्राउंड जो बादम की एकमात्र ...
17/06/2021

मेरे प्यारे मित्रों आप सभी बादम निवासियों से मेरी हाथ जोड़कर विनती है कि आप सभी बीएमसी (BMC) ग्राउंड जो बादम की एकमात्र ग्राउंड है।
इसे आप दूषित तथा खूनी होने से बचाएं बादम ग्राउंड में जो लोग दारू पीकर बोतलें छोड़ देते हैं फिर वही बोतल बच्चे तोड़ देते हैं और दारु पीने वाले लोग यह सोचते होंगे कि इन चीजों से क्या होने वाला है?
लेकिन दोस्तों याद रखें कि इन चीजों से बहुत कुछ हो सकता है।

जब यह बच्चे इन बोतलों (शिश्यों) को पत्थरों से मार के तोड़ देते हैं तो बोतलें धारदार हो जाती हैं इसी क्रम में हम यह देखते हैं कि बीएमसी ग्राउंड को दारू और अन्य नशा करने वाले लोग अधिक ज्यादा छतिग्रस्त कर रहे हैं यह ग्राउंड केवल एक व्यक्ति के मनोरंजन और खेलने दौड़ने तथा व्यायाम करने का स्थान नहीं है।

यह समस्त बादम के निवासियों का है
तो आप जिसे भी इस ग्राउंड में दारू पीते या किसी अन्य तरह की नशीली चीजों का सेवन या ग्राउंड को क्षति पहुंचाते किसी को देखें तो तुरंत मना करें।
अन्यथा अगर व्यक्ति ना माने तो हजारीबाग के अन्तर्गत बड़कागांव में इनकी शिकायत करें। कॉल करें और इन पर IPC की
धारा 91 राजस्व संहिता की धारा 67
भू राजस्व अधिनियम 34/35 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

श्री आदित्य कुमार आनंद IAS 06546-224805

Kartik S. (IPS)
9431706297

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01/05/2021

बीमारी किसी को भी हो सकती है
मौत किसी को भी आ सकती है मसला मौत या ज़िन्दगी नहीं है आप अपने पीछे क्या छोड़कर गए ।

मोहब्बत या नफ़रत ।

गुजरने के बाद लोग राम को भी याद करते हैं रावण को भी याद करते हैं।

हुसैन को भी याद करते हैं यजीद को भी याद करते हैं।

दुनिया वाले हुसैन की मौत पर गम मनाते हैं यजीद ऑर रावण की मौत पर खुशियां मनाते हैं ।

इंसान के उसके नाम से नहीं कर्मों से याद किया जाता है।
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मौत पर फैला कर नाच रही है।लोग कब्र खोदने के लिए जमीन ढूंढ रहे हैं। चिताओं के लिए आग ढूंढ रहे हैं ।बीमारों को दफन खैराती ...
28/04/2021

मौत पर फैला कर नाच रही है।
लोग कब्र खोदने के लिए जमीन ढूंढ रहे हैं।
चिताओं के लिए आग ढूंढ रहे हैं ।
बीमारों को दफन खैराती सांसो पर चलती जिंदगी के गज़ नाप रहे हैं।
हुकूमत पर बैठे लोग अपने तख्त के लिए लड़ रहे हैं ।
आम जनता एक एक सांस के लिए भटक रही है।

यही एक एक सांस के लिए दर दर भटकने वाले लोग अपनो को खोने के बाद भी सियासतदानों के लिए मज़हब के नाम पर लड़ेंगे ,मंदिर ,मस्ज़िद के नाम पर लड़ेंगे।

और लाशों के ढेर पर यूंही हुकूमत चलती रहेगी।

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इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नौवां महीना रमजान का होता है। रमजान के पवित्र महीने में मुसलमान लोग रोजा रखते हैं। इस दौरान ...
17/04/2021

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नौवां महीना रमजान का होता है।
रमजान के पवित्र महीने में मुसलमान लोग रोजा रखते हैं।
इस दौरान सूरज निकलने से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाया-पीय नहीं जाता है। रमजान रहमतों और बरकतों का महीना है। इसमें हर नेकी का कई गुना सवाब मिलता है।
इसलिए इस दौरान कहा जाता है कि रमजान के दिनों में हर रोजेदार को बुरी आदतों से दूर रहना होता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि रमजान की शुरुआत कब से हुई? और इस्लाम धर्म में इसकी क्या मान्यता है?
यदि नहीं तो आइये इसे जानिए।

इस्लामिक मान्यता के अनुसार मोहम्मद सल्लालाहो अलैहे असल्लम को साल 610 में लेयलत-उल-कद्र के मौके पर पवित्र कुअरान शरीफ का ज्ञान प्राप्त हुआ। कहते हैं कि उसी समय से रमजान को इस्लाम धर्म के पवित्र महीने के तौर पर मानाया जाने लगा। इसके अलावा रमजान के पवित्र महीने के बारे में कुरान में लिखा है कि अल्लाह ने पैगम्बर को अपने दूत के रूप में चुना था। इसलिए लिहाज से यह पवित्र माह हर मुसलमानों के लिए खास है। इस्लाम यह कहता है कि रमजान के दौरान रोजे रखने का मतलब केवल यह नहीं होता कि रोजेदार भूखे-प्यासे रहें।
बल्कि, इस दौरान मन में बुरे विचार न आने देने के लिए भी कहा गया है।

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