20/08/2024
।।मात् श्री नर्मदे हर।।
*वृद्धावस्था व्यथा*
आज प्रातः फोन की घंटी बजी, सामने से वृद्ध आवाज आई :- क्या आप *कैवल्य धाम आश्रम* से बोल रहे हो ?
मै:- जी हाँ बताइये क्या काम है ?
वह:- क्या आपके आश्रम में रुकने की व्यवस्था है?
मै :- जी हाँ, जो पैदल परिक्रमा करते है उन्हें 2 दिन रुकने की अनुमती है।
वह:- जी नहीं मै स्थाई रूप से रहना चाहती हूँ।
मै:- वैसी तो कोई व्यवस्था हमारे आश्रम में नहीं है।
वह:- मै आपकी सारी व्यवस्था के पैसे दूँगी।
मै:- बात पैसे की नहीं है, परंतु किसी की जिम्मेदारी निभाना बहुत दुष्कर है। परंतु आप आश्रमें क्यों रहना चाहती है? क्या आपकी संतान नहीं है?
वह:- जी बेटा, बहू, पोता है, परंतु पती का निधन हो गया है।
मै:- तो क्या आपका बेटा विदेश में रहता है ?
वह:- नहीं हम साथ ही रहते है, मेरा काफी बडा बंगला है, पति भी बहुत धन छोड गए है, बेटा भी अच्छा कमाता है।
मै:- तो फिर समस्या क्या है ?
वह:- समस्य,,,,,मेरी वृद्धावस्था, 75 की आयू हो गई है, घुटने काम नहीं करते, शरीर साथ छोड रहा है।
मै:- यह तो कोई समस्या नहीं है, अधिक आयु की यह समस्या आम बात है।
वह:- परंतु बेटे से परेशान हूँ।
मै:- बेटे से, की बहु से ?
वह:- सभी से।
मै:- देखिये हमारे आश्रम में तो व्यवस्था नहीं है, परंतु आपके ही महानगर के दो तीन व्यक्ती मेरे परिचित है, जो यह व्यवस्था करते है। परंतु कोई भी पराया जब तक आपके पास धन है, तब तक की आपकी सेवा करेगा, संसार बडा स्वार्थी है। और दुसरी बात, जिस बेटे, परिवार, के लिये आपने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया, जब वह आपको संभाल पाने में असमर्थ है, तो पराया क्यों संभालेगा ? और जब सब कुछ व्यवस्थित चल रहा था, तब तो आपको किसी आश्रम की, अथवा दान देने की याद नहीं आई, अब जब आपके अपनों ने आपका साथ छोड दिया, तब आप अपरिचितों से सहयोग की आपेक्षा कर रहे हो?
वह:- (फूट फूट कर रोते हुए) तो क्या करूँ, आप ही कोई मार्ग बताईये?
मै:- देखिये, रोईये मत, मै तो आपके बेटे की आयु का हूँ, मेरी पूर्ण सहानुभूती आपके साथ है, आप से आयू में बहुत छोटा हूँ, परंतु यह परामर्श अवश्य दे सकता हूँ, की आप आपके बेटे के जीवन में अनावश्यक हस्तक्षेप ना करें, यथा संभव शांत और मौन रहे। संसार प्रतिक्षण बदल रहा है, आपकी अवस्था नए परिवेश से तालमेल बिठाने में अक्षम है, यथा संभव प्रभु भजन करें। कुछ दिन यह प्रयोग करें, बदल अवश्य होगा। परायों पर विश्वास सोच समझ कर करें। आपकी अवस्था का लाभ उठाकर कोई भी विश्वास घात कर सकता है।
अच्छा माँ जी, बाजार में जरूरी काम से जाना है, फोन रखता हूँ,आपसे पुनः इस विषय पर बात होगी।
वह:- ठीक है बेटा, आपसे बात करके बहुत अच्छा लगा, सुना था नर्मदा तट के निवासी बहुत अच्छे होते है, आज अनुभव भी कर लिया। मुझे सही मार्गदर्शन मिला है। आपकी बातों को अमल में लाकर देखती हूँ, यह बात भी ठीक है कि मुझे मुझमें भी थोडा बहुत बदलाव करना पडेगा।
अच्छा--- *नर्मदे हर,,,,*
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