Pratapgarh U.P.72

Pratapgarh U.P.72 The district is named after its headquarters town Bela Pratapgarh, commonly known as Pratapgarh. Raja Ajit Pratap Singh, a local raja between 1628–1682, lo

प्रतापगढ़ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है , इसे लोग बेल्हा भी कहते हैं, क्योंकि यहां बेल्हा देवी मंदिर है जो कि सई नहीं के किनारे बना है। इस जिले को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जाता है। यहां के विधानसभा क्षेत्र पट्टी से ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने पदयात्रा के माध्यम से अपना राजनैतिक करियर शुरू किया था। इस धरती को रीतिकाल के श्रेष्ठ कवी आचार्य भिखारीदास और रा

ष्ट्रीय कवि हरिवंश राय बच्चन की जन्मस्थली के नाम से भी जाना जाता है।यह जिला धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी कि जन्मभूमि और महात्मा बुद्ध की तपोस्थली है।
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Pratapgarh district (Hindi: प्रतापगढ़ ज़िला, Urdu: پرتاپ گڑھ ضلع) is one of the districts of Uttar Pradesh state of India, and Pratapgarh town is the district headquarters. Pratapgarh district is a part of Allahabad division. Pratapgarh district, lies between 25° 34' and 26° 11' latitudes while between 81° 19' and 82° 27' longitudes. Pratapgarh is primarily an agrarian district, and is a leading producer of aonla fruit[citation needed]. Pratapgarh is on the Allahabad-Faizabad main road, 39 km from Sultanpur and 61 km from Allahabad. It is one of the older districts of Uttar Pradesh, that came into existence in the year 1858. It is at a height of 137 m from sea level.

09/03/2024

Useful information....

11/02/2024

पहले बच्चों को सूजी, मैदा और आटे में भेद करना सिखाइये ।

पहले बच्चों को मूंग, मसूर, उडद, चना और अरहर पहचानना सिखाइये ।

पहले बच्चों को मख्खन, घी, पनीर, चीज़ के बीच अंतर और उन्हें बनाने की जानकारी सिखाइये ।

पहले बच्चों को सोंठ और अदरक, अंगूर और किशमिश, खजूर और छुहारे के बीच का अंतर सिखाइये ।

पहले बच्चों को दालचीनी, कोकम, राई, सरसों, जीरा, अजवायन और सौंफ पहचानना सिखाइये ।

पहले बच्चों को आलू, अदरक, हल्दी, प्याज और लहसुन के पौधे दिखाइये ।

पहले बच्चों को मेथी, पालक, चौलाई, बथुआ, सरसों, लाल भाजी में फर्क सिखाइये ।

पहले बच्चों को फलों से लदे पेड़ों, फूलों की बगिया दिखाइए ।

पहले बच्चे को गाय, बैल, सांड का फर्क सिखाओ, गधे, घोड़े और ख़च्चर में अंतर समझाओ ।

पहले बच्चों को दिखाएं कि गाय, भैंस और बकरी से दूध कैसे दुहा जाता है।

पहले बच्चों को कीचड़ और मिट्टी में उलट पुलट होना सिखाइये, बरसात में भीगना और गर्मियों में पसीने से तरबतर होना सिखाइये।

पहले बच्चों को बुजुर्गों के पास जाना, उनसे बातें करना, उनके साथ खेलना और मस्ती करना सिखाइये।

बड़ों से तमीज़ से बात करना और घर के काम धाम में माँ-पिता का सहयोग करना सिखाइये।

इन सब के बगैर आप बच्चों को कोडिंग सिखाना चाह रहे हैं तो आपका बच्चा ATM बनेगा, समस्याओं का!

व्हाइटहैट जूनियर की जल्दी क्या है? कोडिंग भी सीख लेंगे, पहले डिकोडिंग तो कर लें, अपने आस-पास की...बचपन को ज़िंदा रखें, मरने न दें।

हाथ जोड़कर निवेदन है ।।

06/02/2024
₹ 50/- प्रति किलो की लागत आती है देसी घी बनाने में!चमड़ा सिटी के नाम से प्रसिद्ध कानपुर में जाजमऊ से गंगा जी के किनारे कि...
01/02/2024

₹ 50/- प्रति किलो की लागत आती है देसी घी बनाने में!
चमड़ा सिटी के नाम से प्रसिद्ध कानपुर में जाजमऊ से गंगा जी के किनारे किनारे 10 -12 कि.मी. के दायरे में आप घूमने जाओ तो आपको नाक बंद करनी पड़ेगी! यहाँ सैंकड़ों की तादात में गंगा किनारे भट्टियां धधक रही होती हैं! इन भट्टियों में जानवरों को काटने के बाद निकली चर्बी को गलाया जाता हैं!
इस चर्बी से मुख्यतः 3 ही वस्तुएं बनती हैं!
(1) एनामिल पेंट (जिसे अपने घरों की दीवारों पर लगाते हैं!)
(2) ग्लू (फेविकोल) इत्यादि, जिन्हें हम कागज, लकड़ी जोड़ने के काम में लेते हैं!)
(3) सबसे महत्वपूर्ण जो चीज बनती हैं वह है "देशी घी"

जी हाँ तथाकथित "शुध्द देशी घी"
यही देशी घी यहाँ थोक मण्डियों में 120 से 150 रूपए किलो तक खुलेआम बिकता हैं! इसे बोलचाल की भाषा में "पूजा वाला घी" बोला जाता हैं!
इसका सबसे ज़्यादा प्रयोग भण्डारे कराने वाले भक्तजन ही करते हैं! लोग 15 किलो वाला टीन खरीद कर मंदिरों में दान करके अद्भूत पुण्य कमा रहे हैं!

इस "शुध्द देशी घी" को आप बिलकुल नहीं पहचान सकते!
बढ़िया रवे दार दिखने वाला यह ज़हर सुगंध में भी एसेंस की मदद से बेजोड़ होता हैं!

दिल्ली एनसीआर के शुद्ध भैंस के देसी घी के कथित ब्रांड ***रस व ***रम( कानूनी पक्ष को देखते हुए पूरा नाम अंकित नहीं किया गया है) इसे 20 25 वर्ष पहले से ही इस्तेमाल कर रहे हैं जानवरों की चर्बी को।

औधोगिक क्षेत्र में कोने कोने में फैली वनस्पति घी बनाने वाली फैक्टरियां भी इस ज़हर को बहुतायत में खरीदती हैं, गांव देहात में लोग इसी वनस्पति घी से बने लड्डू विवाह शादियों में मजे से खाते हैं! शादियों पार्टियों में इसी से सब्जी का तड़का लगता हैं! कुछ लोग जाने अनजाने खुद को शाकाहारी समझते हैं! जीवन भर मांस अंडा छूते भी नहीं, क्या जाने वो जिस शादी में चटपटी सब्जी का लुत्फ उठा रहे हैं उसमें आपके किसी पड़ोसी पशुपालक के कटड़े (भैंस का नर बच्चा) की ही चर्बी वाया कानपुर आपकी सब्जी तक आ पहुंची हो! शाकाहारी व व्रत करने वाले जीवन में कितना संभल पाते होंगे अनुमान सहज ही लगाया जा सकता हैं!
अब आप स्वयं सोच लो आप जो वनस्पति घी आदि खाते हो उसमें क्या मिलता होगा!
कोई बड़ी बात नहीं कि देशी घी बेंचने का दावा करने वाली बड़ी बड़ी कम्पनियाँ भी इसे प्रयोग करके अपनी जेब भर रही हैं!

इसलिए ये बहस बेमानी हैं कि कौन घी को कितने में बेच रहा हैं,
अगर शुध्द घी ही खाना है तो अपने घर में गाय पाल कर ही शुध्द खा सकते हो, या किसी गाय भैंस वाले के घर का घी लेकर खाएँ, यही बेहतर होगा! आगे आपकी इच्छा..... विषमुक्त भारत----

इन  #कीलों को देख रहे है, ये  #चीन की बनी हुई हैं, इन कीलों ने हाल के दिनों में पूरे भारत की काली और मरियल कीलों को रिप्...
31/12/2023

इन #कीलों को देख रहे है, ये #चीन की बनी हुई हैं, इन कीलों ने हाल के दिनों में पूरे भारत की काली और मरियल कीलों को रिप्लेस कर दिया है❗️
इन कीलों की #खासियत ये है कि इन्हें अगर दीवार में ठोका जाये तो ये हमारी किलों के मुकाबले #टेढ़ी नहीं होती हैं❗️

पहले हम अपने देश में बनी कीलों को अपने घरों की दीवार में ठोक पाते थे मगर कुछ सालों से जो कीलें अपने यहां बनने लगी थीं वे दीवार में सही सलामत तभी जा पाती थीं, जब तक #ड्रिलिंग मशीन के सहारे उसे अंदर डाला जाये....
आलम यह था कि अगर आपको घर में चार कीलें लगवानी है तो ड्रिलिंग मशीन किराये पर मंगवायें,,,
मगर अब इन कीलों ने फिर से हमारा काम #आसान कर दिया है, डेढ़ से दो रुपये की एक आती हैं और इन्हें आप हथौड़े से सीधे ठोक सकते हैं...

कीलों पर इतना लंबा #लिखने का एक ही मकसद है कि हम अब अपनी जरूरत के हिसाब से कीलें भी नहीं #बना पा रहे हैं... इसी तरह सखुआ से बने पत्तलों को चाइनीज #थर्मोकोल की पत्तलों ने लगभग रिप्लेस कर दिया है,
भारत की बनी इमरजेंसी #लाइट जहां सात-आठ सौ रुपये से कम की बिकती नहीं वहीं चाइनीज इमरजेंसी लाइट महज सौ रुपये में मिल रही है,
दीपावली की रोशनी वाली #झालरें, होली की पिचकारी और 15 अगस्त का झंडा सब चीन से आ रहा है....
तो भाई हम बना क्या रहे हैं, हम आर्थिक महाशक्ति कैसे बन रहे हैं❓

ये छोटे-छोटे #सवाल नहीं हैं, भारतीय औद्योगिक विकास पर सवालिया #निशान हैं,,,
ये देश के बड़े उद्योगपति कर क्या रहे हैं, बस जमीन बढा रहे हैं कि कुछ जरूरी चीजें बना भी रहे हैं❓

अगर हमको आर्थिक रूप से #मजबूत बनना है तो इन छोटी छोटी चीजों को अपने देश मे ही #बनाना होगा,
#लघु_उद्योगों को बढ़ावा देना होगा, सरकार को #नीतियाँ बनानी होगी, नोकरियों के अलावा भी कमाई के साधन हो सकते है, ये लोगों में जागरूकता पैदा करनी होगी❗️

चीन आज इसी वज़ह से #अतिविकसित देशों की श्रेणी में है, क्योंकि वहाँ,,
घर घर मे कील, सुई से लेकर बड़ी चीजों के उद्योग है, एक 10 साल का #बच्चा घड़ियाँ बनाता हैं❗️

मजबूरन, बहिष्कार के बाद भी हम चीन से #आयात करने को मजबूर है❗️

31/12/2023

Jai shree Ram

 #रिसोर्ट_मे_विवाह नई सामाजिक बीमारी ??कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल मैं शादियाँ होने की परंपरा चली परंतु वह दौर...
22/12/2023

#रिसोर्ट_मे_विवाह नई सामाजिक बीमारी ??

कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल मैं शादियाँ होने की परंपरा चली परंतु वह दौर भी अब समाप्ति की ओर है।
अब शहर से दूर महंगे रिसोर्ट में शादियाँ होने लगी हैं। #शादी के 2 दिन पूर्व से ही ये रिसोर्ट बुक करा लिया जाते हैं और शादी वाला परिवार वहां शिफ्ट हो जाता है। #आगंतुक और मेहमान सीधे वहीं आते हैं और वहीं से विदा हो जाते हैं।

जिसके पास चार पहिया वाहन है वही जा पाएगा। #दोपहिया वाहन वाले नहीं जा पाएंगे। बुलाने वाला भी यही स्टेटस चाहता है, और वह निमंत्रण भी उसी श्रेणी के अनुसार देता है।
दो तीन तरह की श्रेणियां आजकल रखी जाने लगी है।
किसको सिर्फ लेडीज संगीत में बुलाना है।
किसको सिर्फ रिसेप्शन में बुलाना है।
किसको कॉकटेल पार्टी में बुलाना है।
और किस परिवार को इन सभी कार्यक्रमों में बुलाना है।
इस निमंत्रण में #अपनापन की भावना खत्म हो चुकी है। सिर्फ मतलब के व्यक्तियों को या परिवारों को आमंत्रित किया जाता है।

महिला संगीत में पूरे परिवार को नाच गाना सिखाने के लिए महंगे कोरियोग्राफर 10-15 दिन ट्रेनिंग देते हैं।

मेहंदी लगाने के लिए आर्टिस्ट बुलाए जाने लगे है। #मेहंदी में सभी को #हरी ड्रेस पहनना अनिवार्य है जो नहीं पहनता है उसे हीन भावना से देखा जाता है लोअर केटेगरी का मानते हैं

फिर #हल्दी की रस्म आती है, इसमें भी सभी को #पीला कुर्ता पाजामा पहनना अति आवश्यक है इसमें भी वही समस्या है जो नहीं पहनता है उसकी इज्जत कम होती है।

इसके बाद वर निकासी होती है, इसमें अक्सर देखा जाता है जो पंडित को दक्षिणा देने में 1 घंटे डिस्कशन करते है। वह #बारात प्रोसेशन में 5 से 10 हजार नाच गाने पर उड़ा देते हैं ।
इसके बाद रिसेप्शन स्टार्ट होता है। #स्टेज पर वरमाला होती है पहले लड़की और लड़के वाले मिलकर हंसी मजाक करके वरमाला करवाते थे। आजकल स्टेज पर #धुंए की धूनी छोड़ देते है।
दूल्हा-दुल्हन को अकेले छोड़ दिया जाता है, बाकी सब को दूर भगा दिया जाता है
और #फिल्मी स्टाइल में स्लो मोशन में वह एक दूसरे को वरमाला पहनाते है, साथ ही नकली आतिशबाजी भी होती है ।

स्टेज के पास एक स्क्रीन लगा रहता है, उसमें #प्रीवेडिंग सूट की वीडियो चलती रहती है।उसमें यह बताया जाता है की शादी से पहले ही लड़की लड़के से मिल चुकी है और कितने अंग प्रदर्शन वाले कपड़े पहन कर
कहीं चट्टान पर
कहीं बगीचे में
कहीं कुएं पर
कहीं बावड़ी में
कहीं श्मशान में कहीं नकली फूलों के बीच अपने परिवार की इज्जत को #नीलाम कर के आ गई है ।

प्रत्येक परिवार अलग-अलग कमरे में ठहरेगा।
जिसके कारण दूरदराज से आए बरसों बाद रिश्तेदारों से मिलने की #उत्सुकता कहीं खत्म सी हो गई है।
क्योंकि सब अमीर हो गए हैं पैसे वाले हो गए है। मेल मिलाप और आपसी स्नेह खत्म हो चुका है।
रस्म अदायगी पर मोबाइलों से बुलाये जाने पर कमरों से बाहर निकलते है। सब अपने को एक दूसरे से रईस समझते है।
और यही अमीरीयत का दंभ उनके व्यवहार से भी झलकता है।
कहने को तो रिश्तेदार की शादी में आए हुए होते हैं
परंतु अहंकार उनको यहां भी नहीं छोड़ता।
वे अपना #अधिकांश समय करीबियों से मिलने के बजाय अपने अपने कमरो में ही गुजार देते है।

हमारी #संस्कृति को दूषित करने का बीड़ा ऐसे ही अति संपन्न वर्ग ने अपने कंधों पर उठाए रखा है।

मेरा अपने #मध्यमवर्गीय समाज बंधुओं से अनुरोध है
आपका पैसा है ,आपने कमाया है। आपके घर खुशी का अवसर है खुशियां मनाएं, पर किसी दूसरे की देखा देखी नहीं।

कर्ज लेकर अपने और परिवार के मान #सम्मान को खत्म मत करिएगा

जितनी आप में क्षमता है उसी के अनुसार खर्चा करिएगा
4 - 5 घंटे के रिसेप्शन में लोगों की जीवन भर की पूंजी लग जाती है !

दिखावे की इस सामाजिक बीमारी को #अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित रहने दीजिए!

अपना दांपत्य जीवन सर उठा के, #स्वाभिमान के साथ शुरू करिए और खुद को अपने परिवार और अपने समाज के लिए सार्थक बनाइए !

धन्यवाद………… 🙏🙏🙏

"मणिपुर समस्या: एक इतिहास"लेख लम्बा हैलेकिन अगर मणिपुर समस्या की जड़ें जानने की इच्छा है तो पढ़ें 👇वो लोग जो मणिपुर का र...
22/07/2023

"मणिपुर समस्या: एक इतिहास"

लेख लम्बा है

लेकिन अगर मणिपुर समस्या की जड़ें जानने की इच्छा है तो पढ़ें 👇

वो लोग जो मणिपुर का रास्ता नहीं जानते। पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानी शायद जानते हो लेकिन कोई दूसरे शहर का नाम तक नहीं बता सकते उनके ज्ञान वर्धन के लिए बता दूं.

जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पूर्वोत्तर की ओर भी कदम बढ़ाए जहाँ उनको चाय के साथ तेल मिला। उनको इस पर डाका डालना था। उन्होंने वहां पाया कि यहाँ के लोग बहुत सीधे सरल हैं और ये लोग वैष्णव सनातनी हैं। परन्तु जंगल और पहाड़ों में रहने वाले ये लोग पूरे देश के अन्य भाग से अलग हैं तथा इन सीधे सादे लोगों के पास बहुमूल्य सम्पदा है।

अतः अंग्रेज़ों ने सबसे पहले यहाँ के लोगों को देश के अन्य भूभाग से पूरी तरह काटने को सोचा। इसके लिए अंग्रेज लोग ले आए इनर परमिट और आउटर परमिट की व्यवस्था। इसके अंतर्गत कोई भी इस इलाके में आने से पहले परमिट बनवाएगा और एक समय सीमा से आगे नहीं रह सकता। परन्तु इसके उलट अंग्रेजों ने अपने भवन बनवाए और अंग्रेज अफसरों को रखा जो चाय की पत्ती उगाने और उसको बेचने का काम करते थे।

इसके साथ अंग्रेज़ों ने देखा कि इस इलाके में ईसाई नहीं हैं। अतः इन्होने ईसाई मिशनरी को उठा उठा के यहां भेजा। मिशनरीयों ने इस इलाके के लोगों का आसानी से धर्म परिवर्तित करने का काम शुरू किया। जब खूब लोग ईसाई में परिवर्तित हो गए तो अंग्रेज इनको ईसाई राज्य बनाने का सपना दिखाने लगे। साथ ही उनका आशय था कि पूर्वोत्तर से चीन, भारत तथा पूर्वी एशिया पर नजर बना के रखेंगे।

अंग्रेज़ों ने एक चाल और चली। उन्होंने धर्म परिवर्तित करके ईसाई बने लोगों को ST का दर्जा दिया तथा उनको कई सरकारी सुविधाएं दी।

धर्म परिवर्तित करने वालों को कुकी जनजाति और वैष्णव लोगों को मैती समाज कहा जाता है।

तब इतने अलग राज्य नहीं थे और बहुत सरे नगा लोग भी धर्म परिवर्तित करके ईसाई बन गए। धीरे धीरे ईसाई पंथ को मानने वालों की संख्या वैष्णव लोगों से अधिक या बराबर हो गयी। मूल लोग सदा अंग्रेजों से लड़ते रहे जिसके कारण अंग्रेज इस इलाके का भारत से विभाजन करने में नाकाम रहे। परन्तु वो मैती हिंदुओं की संख्या कम करने और परिवर्तित लोगों को अधिक करने में कामयाब रहे। मणिपुर के 90% भूभाग पर कुकी और नगा का कब्जा हो गया जबकि 10% पर ही मैती रह गए। अंग्रेजों ने इस इलाके में अफीम की खेती को भी बढ़ावा दिया और उस पर ईसाई कुकी लोगों को कब्जा करने दिया।

आज़ादी के बाद:

आज़ादी के समय वहां के राजा थे बोध चंद्र सिंह और उन्होंने भारत में विलय का निर्णय किया। 1949 में उन्होंने नेहरू को बोला कि मूल वैष्णव जो कि 10% भूभाग में रह गए है उनको ST का दर्जा दिया जाए। नेहरू ने उनको जाने को कह दिया। फिर 1950 में संविधान अस्तित्व में आया तो नेहरू ने मैती समाज को कोई छूट नहीं दिया। 1960 में नेहरू सरकार द्वारा लैंड रिफार्म एक्ट लाया जिसमे 90% भूभाग वाले कुकी और नगा ईसाईयों को ST में डाल दिया गया। इस एक्ट में ये प्रावधान भी था जिसमे 90% कुकी - नगा वाले कहीं भी जा सकते हैं, रह सकते हैं और जमीन खरीद सकते हैं परन्तु 10% के इलाके में रहने वाले मैती हिंदुओं को ये सब अधिकार नहीं था। यहीं से मैती लोगों का दिल्ली से विरोध शुरू हो गया। नेहरू एक बार भी पूर्वोत्तर के हालत को ठीक करने करने नहीं गए।

उधर ब्रिटैन की MI6 और पाकिस्तान की ISI मिलकर कुकी और नगा को हथियार देने लगी जिसका उपयोग वो भारत विरुद्ध तथा मैती वैष्णवों को भागने के लिए करते थे। मैतियो ने उनका जम कर बिना दिल्ली के समर्थन के मुकाबला किया। सदा से इस इलाके में कांग्रेस और कम्युनिस्ट लोगों की सरकार रही और वो कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थन में रहे। चूँकि लड़ाई पूर्वोत्तर में ट्राइबल जनजातियों के अपने अस्तित्व की थी तो अलग अलग फ्रंट बनाकर सबने हथियार उठा लिया। पूरा पूर्वोत्तर ISI के द्वारा एक लड़ाई का मैदान बना दिया गया। जिसके कारण Mizo जनजातियों में सशत्र विद्रोह शुरू हुआ। बिन दिल्ली के समर्थन जनजातियों ने ISI समर्थित कुकी, नगा और म्यांमार से भारत में अनधिकृत रूप से आये चिन जनजातियों से लड़ाई करते रहे। जानकारी के लिए बताते चलें कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट ने मिशनरी के साथ मिलकर म्यांमार से आये इन चिन जनजातियों को मणिपुर के पहाड़ी इलाकों और जंगलों की नागरिकता देकर बसा दिया। ये चिन लोग ISI के पाले कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थक थे तथा वैष्णव मैतियों से लड़ते थे। पूर्वोत्तर का हाल ख़राब था जिसका पोलिटिकल सलूशन नहीं निकाला गया और एक दिन इन्दिरा गाँधी ने आदिवासी इलाकों में air strike का आर्डर दे दिया जिसका आर्मी तथा वायुसेना ने विरोध किया परन्तु राजेश पायलट तथा सुरेश कलमाड़ी ने एयर स्ट्राइक किया और अपने लोगों की जाने ली। इसके बाद विद्रोह और खूनी तथा सशत्र हो गया।

1971 में पाकिस्तान विभाजन और बांग्ला देश अस्तित्व आने से ISI के एक्शन को झटका लगा परन्तु म्यांमार उसका एक खुला एरिया था। उसने म्यांमार के चिन लोगों का मणिपुर में एंट्री कराया जिसका कांग्रेस तथा उधर म्यांमार के अवैध चिन लोगों ने जंगलों में डेरा बनाया और वहां ओपियम यानि अफीम की खेती शुरू कर दिया। पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड दशकों तक कुकियों और चिन लोगों के अफीम की खेती तथा तस्करी का खुला खेल का मैदान बन गया। मयंमार से ISI तथा MI6 ने इस अफीम की तस्करी के साथ हथियारों की तस्करी का एक पूरा इकॉनमी खड़ा कर दिया। जिसके कारण पूर्वोत्तर के इन राज्यों की बड़ा जनसँख्या नशे की भी आदि हो गई। नशे के साथ हथियार उठाकर भारत के विरुद्ध युद्ध फलता फूलता रहा।

2014 के बाद की परिस्थिति:

मोदी सरकार ने एक्ट ईस्ट पालिसी के अंतर्गत पूर्वोत्तर पर ध्यान देना शुरू किया, NSCN - तथा भारत सरकार के बीच हुए "नागा एकॉर्ड" के बाद हिंसा में कमी आई। भारत की सेना पर आक्रमण बंद हुए। भारत सरकार ने अभूतपूर्व विकास किया जिससे वहां के लोगों को दिल्ली के करीब आने का मौका मिला। धीरे धीरे पूर्वोत्तर से हथियार आंदोलन समाप्त हुए। भारत के प्रति यहाँ के लोगों का दुराव कम हुआ। रणनीति के अंतर्गत पूर्वोत्तर में भाजपा की सरकार आई। वहां से कांग्रेस और कम्युनिस्ट का लगभग समापन हुआ। इसके कारण इन पार्टियों का एक प्रमुख धन का श्रोत जो कि अफीम तथा हथियारों की तस्करी था वो चला गया। इसके कारण इन लोगों के लिए किसी भी तरह पूर्वोत्तर में हिंसा और अशांति फैलाना जरूरी हो गया था। जिसका ये लोग बहुत समय से इंतजार कर रहे थे।

हाल ही में दो घटनाए घटीं:

1. मणिपुर उच्च न्यायालय ने फैसला किया कि अब मैती जनजाति को ST का स्टेटस मिलेगा। इसका परिणाम ये होगा कि नेहरू के बनाए फार्मूला का अंत हो जाएगा जिससे मैती लोग भी 10% के सिकुड़े हुए भूभाग की जगह पर पूरे मणिपुर में कहीं भी रह, बस और जमीन ले सकेंगे। ये कुकी और नगा को मंजूर नहीं।

2. मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने कहा कि सरकार पहचान करके म्यांमार से आए अवैद्य चिन लोगों को बाहर निकलेगी और अफीम की खेती को समाप्त करेगी। इसके कारण तस्करों का गैंग सदमे में आ गया।

इसके बाद ईसाई कुकियों और ईसाई नगाओं ने अपने दिल्ली बैठे आकाओं, कम्युनिस्ट लुटियन मीडिया को जागृत किया। पहले इन लोगों ने अख़बारों और मैगजीन में गलत लेख लिखकर और उलटी जानकारी देकर शेष भारत के लोगों को बरगलाने का काम शुरू किया। उसके बाद दिल्ली से सिग्नल मिलते ही ईसाई कुकियों और ईसाई नगाओं ने मैती वैष्णव लोगों पर हमला बोल दिया। जिसका जवाब मैतियों दुगुना वेग से दिया और इन लोगों को बुरी तरह कुचल दिया जो कि कुकी - नगा के साथ दिल्ली में बैठे इनके आकाओं के लिए भी unexpected था। लात खाने के बाद ये लोग अदातानुसार विक्टम कार्ड खेलकर रोने लगे।

अभी भारत की मीडिया का एक वर्ग जो कम्युनिस्ट तथा कोंग्रस का प्रवक्ता है अब रोएगा क्योंकि पूर्वतर में मिशनरी, अवैध घुसपैठियों और तस्करों के बिल में मणिपुर तथा केंद्र सरकार ने खौलता तेल डाल दिया है।

Via Gaurav Pradhan

शादीशुदा महिलाओ को कुछ बाते अच्छी नहीं लगती,  पर वे किसी से कहती नहीं ,उन्ही एहसासों को इकट्ठा करके एक कविता लिखी है।  "...
11/01/2023

शादीशुदा महिलाओ को कुछ बाते अच्छी नहीं लगती, पर वे किसी से कहती नहीं ,उन्ही एहसासों को इकट्ठा करके एक कविता लिखी है।

" मुझे अच्छा नही लगता"

मैं रोज़ खाना पकाती हूं,
तुम्हे बहुत प्यार से खिलाती हूं,
पर तुम्हारे जूठे बर्तन उठाना..
मुझे अच्छा नही लगता...!

कई वर्षो से हम तुम साथ रहते है,
लाज़िम है कि कुछ मतभेद तो होगे,
पर तुम्हारा बच्चों के सामने चिल्लाना..
मुझे अच्छा नही लगता...!

हम दोनों को ही जब किसी फंक्शन मे जाना हो,
तुम्हारा पहले कार मे बैठ कर यू हार्न बजाना..
मुझे अच्छा नही लगता...!

माना कि अब बच्चे हमारे कहने में नहीं है,
पर उनके बिगड़ने का सारा इल्ज़ाम मुझ पर लगाना..
मुझे अच्छा नही लगता...!

पूरा वर्ष तुम्हारे साथ ही तो रहती हूँ,
पर तुम्हारा यह कहना कि,
ज़रा मायके से जल्दी लौट आना...
मुझे अच्छा नही लगता...!

तुम्हारी माँ के साथ तो..
मैने इक उम्र गुजार दी,
मेरी माँ से दो बातें करते...
तुम्हारा हिचकिचाना...
मुझे अच्छा नहीं लगता...!

यह घर तेरा भी है हमदम,
यह घर मेरा भी है हमदम,
पर घर के बाहर सिर्फ..
तुम्हारा नाम लिखवाना...
मुझे अच्छा नही लगता...!

मै चुप हूँ कि मेरा मन उदास है,
पर मेरी खामोशी को तुम्हारा,
यू नज़र अंदाज कर जाना...
मुझे अच्छा नही लगता...!

पूरा जीवन तो मैने ससुराल में गुज़ारा है,
फिर मायके से मेरा कफन मंगवाना...
मुझे अच्छा नहीं लगता...!

❤️

06/12/2022
रोड हिप्नोसिस क्या है ?....किसी भी वाहन की ड्राइविंग करते समय की एक शारिरिक स्थिति है। सामान्यतः लगातार ढाई-तीन घंटे की ...
13/11/2022

रोड हिप्नोसिस क्या है ?....

किसी भी वाहन की ड्राइविंग करते समय की एक शारिरिक स्थिति है। सामान्यतः लगातार ढाई-तीन घंटे की ड्राइविंग के बाद रोड हिप्नोसिस प्रारम्भ होता है।
ऐंसी सम्मोहन की स्थिति में आँखें खुली होती हैं लेकिन दिमाग अक्रियाशील हो जाता है अतः जो दिख रहा है उसका सही विश्लेषण नहीं हो पाता और नतीजतन सीधी टक्कर वाली दुर्घटना हो जाती है।
इस सम्मोहन की स्थिति में दुर्घटना के 15 मिनिट तक ड्राइवर को न तो सामने के वाहनों का आभास होता है और न ही अपनी स्पीड का। और जब 120-140 स्पीड से टक्कर होती है तो भयानक दुष्परिणाम सामने आते हैं।
उपरोक्त सम्मोहन की स्थिति से बचने के लिए हर ढाई-तीन घंटे ड्राइविंग के पश्चात रुकना चाहिए। चाय-कॉफी पियें, 5-10 मिनिट आराम करें और मन को शांत करें।
ड्राइविंग के दौरान स्थान विशेष और आते कुछ वाहनों को याद करते चलें। अगर आप महसूस करें कि पिछले 15 मिनिट का आपको कुछ याद नहीं है तो इसका मतलब है कि आप खुदको और सहप्रवासियों को मौत के मुँह में ले जा रहे हो।
रोड सम्मोहन ये अचानक रात के समय होता है जब अन्य यात्री सो या ऊँघ रहे होते हैं अतः बेहद गंभीर दुर्घटना हो सकती है।
ड्राइवर को झपकी आ जाए या नींद आ जाए तो दुर्घटना को कोई नहीं रोक सकता लेकिन आँखें खुली हों तो दिमाग का क्रियाशील होना अतिआवश्यक है। ध्यान रखें, सुरक्षित रहें, सुरक्षित ड्राइविंग करें।

लेख सौजन्य : सड़क सुरक्षा अभियान- परिवहन विभाग

देवोत्थान एकादशी व तुलसी विवाह की सभी प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।जगत पालक भगवान विष्णु और माता तुलसी ...
04/11/2022

देवोत्थान एकादशी व तुलसी विवाह की सभी प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

जगत पालक भगवान विष्णु और माता तुलसी की कृपा से सभी का जीवन सुख-शांति एवं समृद्धि से परिपूर्ण हो। संपूर्ण सृष्टि में आरोग्यता का वास हो।

 #संसार में दो प्रकार के  #पेड़  #पौधे होते हैं... #प्रथम - अपना फल स्वयं दे देते हैं... जैसे - आम, अमरुद, केला इत्यादि ।...
27/10/2022

#संसार में दो प्रकार के #पेड़ #पौधे होते हैं...

#प्रथम - अपना फल स्वयं दे देते हैं... जैसे - आम, अमरुद, केला इत्यादि ।
#द्वितीय - अपना फल छिपाकर रखते हैं... जैसे - आलू, अदरक, प्याज इत्यादि ।

जो फल अपने आप दे देते हैं, उन वृक्षों को सभी खाद-पानी देकर सुरक्षित रखते हैं, और ऐसे वृक्ष फिर से फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं ।
किन्तु जो अपना फल छिपाकर रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं, उनका वजूद ही खत्म हो जाता हैं।

ठीक इसी प्रकार...
जो व्यक्ति अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वयं ही समाज सेवा में समाज के उत्थान में लगा देते हैं, उनका सभी ध्यान रखते हैं और वे मान-सम्मान पाते है।
वही दूसरी ओर...
जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वार्थवश छिपाकर रखते हैं, किसी की सहायता से मुख मोड़े रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते है, अर्थात् समय रहते ही भुला दिये जाते है।

प्रकृति कितना महत्वपूर्ण संदेश देती है, बस समझने, सोचने और कार्य में परिणित करने की बात है। आप सभी को #दीपावली पर्व की हार्दिक #शुभकामनाएं।।

20/10/2022
50 वर्ष से अधिक उम्र वाले इस पोस्ट को सावधानी पूर्वक पढें, क्योंकि यह उनके आने वाले जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है ...
18/10/2022

50 वर्ष से अधिक उम्र वाले इस पोस्ट को सावधानी पूर्वक पढें, क्योंकि यह उनके आने वाले जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है : अब वो ज़माना नहीं रहा की पिछले जन्म का कर्जा अगले जन्म में चुकाना है आधुनिक युग में सब कुछ हाथों हाथ हैं l
** सु:खमय वृद्धावस्था **
---------------------------------
1:- 🎪 अपने स्वंय के स्थायी आवास पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का
आनंद ले सकें !
2 :- 💰अपना बैंक बैलेंस और भौतिक संपति अपने पास रखें, अति प्रेम में
पड़कर किसी के नाम करने की ना सोंचे !
3 :- अपने बच्चों 👭👬 के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में
आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता
भी बदल जाती है और कभी-कभी न चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर
पाते हैं !
4 :- उन लोगों को अपने मित्र 🗣👤👥 समूह में शामिल करें जो आपके
जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हों, यानी सच्चे हितैषी हों ! .. 🙏🙏
5 :- किसी के साथ 🙌 अपनी 🧑🏻 तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई
उम्मीद रखें !
6 :- अपनी संतानों 👫👬के जीवन में दखल अन्दाजी ना करे , उन्हें अपने
तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप 🤨 अपने तरीके से जीवन
व्यतीत करें !
7 :- आप अपनी वृद्धावस्था 👩‍🏫👨‍🏫 का आधार बनाकर किसी से सेवा
करवाने तथा सम्मान पाने का प्रयास कभी ना करें !
8 :- लोगों की 👩👦🏻👩👵🏻🧓🏿👴🏻 बातें सुनें 👂 लेकिन अपने स्वतंत्र
विचारों के आधार पर निर्णय लें !
9 :- प्रार्थना करें 🙏लेकिन भीख ना मांगें, यहाँ तक कि भगवान से भी
नहीं, अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफी एंव हिम्मत !
10 :- अपने स्वास्थ्य 💪👈 का स्वंय ध्यान रखें चिकित्सीय परीक्षण के
अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टीक भोजन खाएं
और यथा सम्भव अपना काम अपने हाथों से करें ! छोटे कष्टों पर
ध्यान ना दें, उम्र के साथ छोटी-मोटी शारीरीक 🤷‍♂ परेशानियां
चलती रहतीं हैं !
11 :- अपने जीवन को उल्हास पूर्वक 🤓🕵‍♀😎😍 जीने का प्रयत्न करें,
खुद प्रसन्न 🤪 रहें तथा दूसरों को भी प्रसन्न रखें !
12 :- प्रति वर्ष भ्रमण / छोटी - छोटी यात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य

Attention please......
15/09/2022

Attention please......

12/09/2022

हमारे जानकारी के आधार पर मैंने इसका प्रचार करने से ख़ुद को मना कर दिया।
👉🏻 जिस 'भारत जोड़ो यात्रा' में भारत के टुकड़े करने का मंसूबा रखने वाले गैंग से जुड़े लोग दिखाई दें वो यात्रा जोड़ने का क्या काम करेगी?
👉🏻 जिस यात्रा में युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा तोड़ने वालों का सरगना चल रहा हो वो यात्रा क्या भारत जोड़ेगी?
👉🏻 जिस यात्रा में 'हम लेके रहेंगे आज़ादी' और 'कश्मीर की आज़ादी तक जंग रहेगी जारी' जैसे नारे लगाने वाला चल रहा हो वो क्या भारत जोड़ेगा नहीं राहुल जी!
आप मेरे देश के नागरिक हैं। आप मेरे देश के सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी के मुखिया हैं। आपके परिवार ने देश के लिए क़ुर्बानियां दी है। आप आपने साथ देश तोड़ने की बात करने वालों को कैसे रख सकते हैं? यह बात तय है की pm की कुर्सी किसी एक व्यक्ति या सिर्फ़ एक पार्टी के लिए नहीं, क्योंकि लोकतंत्र है... अभी बीजेपी का दौर है कौन जाने कब कांग्रेस आ जाये... लेकिन इस तरह देशद्रोहियों का साथ देने से कांग्रेस जल्दी तो नहीं आने वाली। दुनिया आपको पप्पू साबित करने में लगी है लेकिन मैं मानता हूँ कि आप एक समझदार व्यक्ति हैं तो इसका परिचय भी देना था आपको। बहरहाल मैं आपके उज्ज्वल भविष्य कि कामना करता हूँ और साथ ही ईश्वर व जनता जनार्दन से ये प्रार्थना भी है की भारत तोड़ने की मंसूबा रखने वाले लोगों को भारत जोड़ो यात्रा में देखें तो कभी उन्हें सत्ता तक पहुँचने का मौक़ा न दें वरना अंज़ाम की कल्पना तो आप कर ही सकते हैं। फ़िलहाल मैं कांग्रेस का समर्थन नहीं करता, भविष्य का पता नहीं।
सधन्यवाद।

कॉपीब्रेन पॉल्यूशन करते धारावाहिकदुर्भाग्य से आज टीवी पर एक धारावाहिक देखने का  अवसर मिल गया। बड़ा चर्चित हो रहा है.........
12/09/2022

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ब्रेन पॉल्यूशन करते धारावाहिक
दुर्भाग्य से आज टीवी पर एक धारावाहिक देखने का अवसर मिल गया। बड़ा चर्चित हो रहा है....... अनुपमा...
पता नही क्या क्या स्टोरी लिखते है इन धारावाहिक के लेखक....कैसे कैसे डायलॉग।
20-25 साल के बच्चे मिलकर अपनी माँ की दूसरी शादी की तैयारी कर रहे है, हद है। पिता जीवित है, उनकी कहीं और सेटिंग चल रही है... अब उनकी माँ कम से कम 45-50 वर्ष की आयु में किसी और से शादी कर रही है।
एक ही बात बार बार कही जा रही है- भाई बहन आपस मे कह रहे है कि हम बड़े भाग्यशाली है कि हमे अपनी मम्मी की डोली सजाने के अवसर मिल रहा है, सबको यह अवसर नही मिलता।
अब उन्हें कौन समझाए की करमठोक हो तुम , हद दर्जे के बेफकूफ हो।

इन धारावाहिक के ऐसे डायलॉग बार बार सुनकर देखकर दिमाग प्रदूषित होना स्वभाविक है। ब्रेन पॉल्यूशन करते धारावाहिक

कोई रोको रे इनको
बहुत बिगाड़ा कर रहे है.......

ब्रेकिंग:-सुंदरम सिंह पुत्र शिकारी सिंह उम्र 14 वर्ष 3 दिन से लापतादोस्त से मिलने जा रहा हूं यह कहकर घर से निकला  छात्र ...
14/03/2022

ब्रेकिंग:-
सुंदरम सिंह पुत्र शिकारी सिंह उम्र 14 वर्ष 3 दिन से लापता
दोस्त से मिलने जा रहा हूं यह कहकर घर से निकला छात्र
3 दिन से लापता नहीं लग रहा कोई सुराग परिजन हो रहे परेशान....
मामला लालगंज कोतवाली के बेलहा ग्राम सभा का ।
अगर कोई सूचना या सुराग मिले तो इन नम्बरों पर तुरंत सूचित करें....+91 63064 01803, 9289265726....
,

20/09/2021

कभी नेनुँआ टाटी पे चढ़ के रसोई के दो महीने का इंतज़ाम कर देता था!

कभी खपरैल की छत पे चढ़ी लौकी महीना भर निकाल देती थी;कभी बैसाख में दाल और भतुआ से बनाई सूखी कोहड़ौरी,सावन भादो की सब्जी का खर्चा निकाल देती थी‌!

वो दिन थे,जब सब्जी पे
खर्चा पता तक नहीं चलता था!

देशी टमाटर और मूली जाड़े के सीजन में भौकाल के साथ आते थे,लेकिन खिचड़ी आते-आते उनकी इज्जत घर जमाई जैसी हो जाती थी!

तब जीडीपी का अंकगणितीय करिश्मा नहीं था!

ये सब्जियाँ सर्वसुलभ और हर रसोई का हिस्सा थीं!

लोहे की कढ़ाई में,किसी के घर रसेदार सब्जी पके तो,गाँव के डीह बाबा तक गमक जाती थी!
धुंआ एक घर से निकला की नहीं, तो आग के लिए लोग चिपरि लेके दौड़ पड़ते थे।
संझा को रेडियो पे चौपाल और आकाशवाणी के सुलझे हुए
समाचारों से दिन रुखसत लेता था!

रातें बड़ी होती थीं;दुआर पे कोई पुरनिया आल्हा छेड़ देता था तो मानों कोई सिनेमा चल गया हो!

किसान लोगो में कर्ज का फैशन नहीं था;फिर बच्चे बड़े होने लगे,बच्चियाँ भी बड़ी होने लगीं!

बच्चे सरकारी नौकरी पाते ही,अंग्रेजी इत्र लगाने लगे!

बच्चियों के पापा सरकारी दामाद में नारायण का रूप देखने लगे;किसान क्रेडिट कार्ड डिमांड और ईगो का प्रसाद बन गया,इसी बीच मूँछ बेरोजगारी का सबब बनी!

बीच में मूछमुंडे इंजीनियरों का दौर आया!

अब दीवाने किसान,अपनी बेटियों के लिए खेत बेचने के लिए तैयार थे;बेटी गाँव से रुखसत हुई,पापा का कान पेरने वाला रेडियो, साजन की टाटा स्काई वाली एलईडी के सामने फीका पड़ चुका था!

अब आँगन में नेनुँआ का बिया छीटकर,मड़ई पे उसकी लताएँ चढ़ाने वाली बिटिया,पिया के ढाई बीएचके की बालकनी के गमले में क्रोटॉन लगाने लगी और सब्जियाँ मंहँगी हो गईं!

बहुत पुरानी यादें ताज़ा हो गई;सच में उस समय सब्जी पर कुछ भी खर्च नहीं हो पाता था,जिसके पास नहीं होता उसका भी काम चल जाता था!

दही मट्ठा का भरमार था,
सबका काम चलता था!
मटर,गन्ना,गुड़ सबके लिए
इफरात रहता था;
सबसे बड़ी बात तो यह थी कि,
आपसी मनमुटाव रहते हुए भी
अगाध प्रेम रहता था!

आज की छुद्र मानसिकता,
दूर-दूर तक नहीं दिखाई देती थी,
हाय रे ऊँची शिक्षा,कहाँ तक ले आई!

आज हर आदमी,एक दूसरे को
शंका की निगाह से देख रहा है!

विचारणीय है कि,
क्या सचमुच हम विकसित हुए हैं,या
यह केवल एक छलावा है।

साभार सोशल मीडिया

प्रतापगढ़ समाचार!@!!सुखद समाचार!!आप सभी की शुभकामनाओं के परिणाम स्वरूप यह बच्ची सही सलामत मिल गयी है.....आप सभी प्रयास के...
03/09/2021

प्रतापगढ़ समाचार!@
!!सुखद समाचार!!

आप सभी की शुभकामनाओं के परिणाम स्वरूप यह बच्ची सही सलामत मिल गयी है.....
आप सभी प्रयास के लिए आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद....

!!प्रतापगढ़ समाचार!!दुःखद घटनाShilpa नाम की  लड़की का किडनैप हो गया है घटना कल यानी 21 अगस्त 2021 शाम 4 बजे की  है। जो अक...
22/08/2021

!!प्रतापगढ़ समाचार!!
दुःखद घटना

Shilpa नाम की लड़की का किडनैप हो गया है घटना कल यानी 21 अगस्त 2021 शाम 4 बजे की है।

जो अकाउंट से पैसे निकालने के लिए मार्केट गई थी रक्षाबंधन का त्योहार था अगले दिन इसके लिए पैसे निकालने गई थी।

उसी वक्त 4 व्हीलर से 4 लोग आते है और उसको रिक्से से खीच कर गाड़ी में बैठा कर उठा ले जाते है

अभी तक कुछ पता नहीं चला है।

मां बाप का रो रो कर बुरा हाल है। ये सोच कर की उनकी बेटी किस हाल में होगी जिंदा बचेगी भी या नहीं। रक्षाबंधन के त्योहार के मौके पर उनके घर में मातम है।

वो लोग बहुत गरीब है
जहां पर घटना हुई है वो प्रतापगढ़ जिले में पड़ता है

लड़की का नाम - शिल्पा सिंह

बाप का नाम- राजेश सिंह

माता का नाम - संगीता

दो भाई - सतीश और आशीष
.........Address.........

गांव - सदा सई ( दुबान का पुरवा )

पोस्ट - मादामई

तहसील - लालगंज अझारा

थाना - लालगंज अझारा

जिला - प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश

कॉन्टैक्ट no.
Satish (silpa ka bhai)- 8429312577

04/07/2021

भर्तृहरि ~

पुराने जमाने में एक राजा हुए थे, भर्तृहरि। वे कवि भी थे। उनकी पत्नी अत्यंत रूपवती थीं।भर्तृहरि ने स्त्री के सौंदर्य और उसके बिना जीवन के सूनेपन पर 100 श्लोक लिखे, जो श्रृंगार शतक के नाम से प्रसिद्ध हैं।

उन्हीं के राज्य में एक ब्राह्मण भी रहता था, जिसने अपनी नि:स्वार्थ पूजा से देवता को प्रसन्न कर लिया। देवता ने उसे वरदान के रूप में अमर फल देते हुए कहा कि इससे आप लंबे समय तक युवा रहोगे। ब्राह्मण ने सोचा कि भिक्षा मांग कर जीवन बिताता हूं, मुझे लंबे समय तक जी कर क्या करना है। हमारा राजा बहुत अच्छा है, उसे यह फल दे देता हूं। वह लंबे समय तक जीएगा तो प्रजा भी लंबे समय तक सुखी रहेगी। वह राजा के पास गया और उनसे सारी बात बताते हुए वह फल उन्हें दे आया। राजा फल पाकर प्रसन्न हो गया। फिर मन ही मन सोचा कि यह फल मैं अपनी पत्नी को दे देता हूं। वह ज्यादा दिन युवा रहेगी तो ज्यादा दिनों तक उसके साहचर्य का लाभ मिलेगा। अगर मैंने फल खाया तो वह मुझ से पहले ही मर जाएगी और उसके वियोग में मैं भी नहीं जी सकूंगा। उसने वह फल अपनी पत्नी को दे दिया।

लेकिन, रानी तो नगर के कोतवाल से प्यार करती थी। वह अत्यंत सुदर्शन, हृष्ट-पुष्ट और बातूनी था। अमर फल उसको देते हुए रानी ने कहा कि इसे खा लेना, इससे तुम लंबी आयु प्राप्त करोगे और मुझे सदा प्रसन्न करते रहोगे। फल ले कर कोतवाल जब महल से बाहर निकला तो सोचने लगा कि रानी के साथ तो मुझे धन-दौलत के लिए झूठ-मूठ ही प्रेम का नाटक करना पड़ता है। और यह फल खाकर मैं भी क्या करूंगा। इसे मैं अपनी परम मित्र राज नर्तकी को दे देता हूं। वह कभी मेरी कोई बात नहीं टालती। मैं उससे प्रेम भी करता हूं। और यदि वह सदा युवा रहेगी, तो दूसरों को भी सुख दे पाएगी। उसने वह फल अपनी उस नर्तकी मित्र को दे दिया। राज नर्तकी ने कोई उत्तर नहीं दिया और चुपचाप वह अमर फल अपने पास रख लिया। कोतवाल के जाने के बाद उसने सोचा कि कौन मूर्ख यह पाप भरा जीवन लंबा जीना चाहेगा। हमारे देश का राजा बहुत अच्छा है, उसे ही लंबा जीवन जीना चाहिए। यह सोच कर उसने किसी प्रकार से राजा से मिलने का समय लिया और एकांत में उस फल की महिमा सुना कर उसे राजा को दे दिया। और कहा कि महाराज, आप इसे खा लेना।

राजा फल को देखते ही पहचान गया और भौंचक रह गया। पूछताछ करने से जब पूरी बात मालूम हुई, तो उसे वैराग्य हो गया और वह राज-पाट छोड़ कर जंगल में चला गया। वहीं उसने वैराग्य पर 100 श्लोक लिखे जो कि वैराग्य शतक के नाम से प्रसिद्ध हैं।

यही इस संसार की वास्तविकता है। एक व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम करता है और चाहता है कि वह व्यक्ति भी उसे उतना ही प्रेम करे। परंतु विडंबना यह कि वह दूसरा व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम करता है। इसका कारण यह है कि संसार व इसके सभी प्राणी अपूर्ण हैं। सब में कुछ न कुछ कमी है। सिर्फ एक ईश्वर पूर्ण है। एक वही है जो हर जीव से उतना ही प्रेम करता है, जितना जीव उससे करता है। बस हमीं उसे सच्चा प्रेम नहीं करते ।

कितना दुर्भाग्यपूर्ण है ये देश के लिए, कृपया जनहित और देशहित में इसको ज्यादा से ज्यादा फैलाएं......
28/06/2021

कितना दुर्भाग्यपूर्ण है ये देश के लिए, कृपया जनहित और देशहित में इसको ज्यादा से ज्यादा फैलाएं......

01/06/2021

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