20/09/2023
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥ इस श्लोक का अर्थ है: आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है।
डॉ. दीपक आचार्य ने हमेशा लोगो तक रोशनी ही पहुंचाई । हमेशा उन लोगों का भला करना चाहा जिन्हे कोई पूछने को तैयार नहीं था। फक्कड़ था वो , ऐसे ही आज हम सबको रोता छोड़ चला गया।
भगवान ने फिर एक अच्छे आदमी को समय से पहले अपने पास बुला लिया। अपने अपने ईश्वर उसकी आत्मा की शांति की प्रार्थना कीजिए। और दीपक की तरह ही खुद जल कर लोगों तक ज्ञान के प्रकाश को पहुंचाने का संकल्प लीजिए।
लोक वनस्पति विज्ञान के दीपक का उजाला अब हम सबको प्राप्त नही होगा। डॉ. दीपक आचार्य का देवलोकगमन हो गया है। ईश्वर उन्हें श्री चरणों मे स्थान प्रदान करें। मैं, हमसब, आपका पातालकोट, आपका सतपुड़ा आपके ज्ञान के प्रकाश के बिना अधूरे हैं।
आपका यूँ चले जाना सिर्फ एक शिकायत है । अभी तो ज्ञान के प्रकाश की सुबह ही हुई थी। आपने कहा था एकदम ठीक हूँ। किडनी से संबंधित ऑटो इम्यून डिसऑर्डर और हार्ट अटैक के कारण डॉ दीपक का यूँ चले जाना दुखद है।
विनम्र श्रद्धांजली
🙏🙏🙏
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