Darbhanga Wale

Darbhanga Wale आइये दरभंगा को करीब से जानते हैं use or tag 4 support
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जय भारत, जय बिहार, जय मिथिला

16/04/2024

कभीं किसी को देख कर जज करना इंसानों की सबसे बड़ी मूर्खता है हम जो देखते हैं जरूरी नहीं वो पूर्ण सत्य हो
कल बनारस घाट पर टहल रहा था,दोपहर 3 बजे के लगभग धूप तेज थी और जबरदस्त भूख और प्यास लगी थी
तभी अचानक ये खीरा का खोमचा दिखा
एक लड़का मुंह पर मास्क लगा कर बगल में मोबाइल चला रहा था, और मोबाइल भी i phone जब इससे बोला की कितने का दिए
उसने फोन रख के बोला 20 रुपए पीस
हमने तुरंत कहा भाई क्यों जट रहे हो बाहर 30 रुपए किलो मिल रहा है और एक किलो में 5 पीस मिल जाएंगे तुम 20 का दे रहे हो
तो वो तुरंत बोलता है भैया बाहर ले लीजिए फिर
मैने बोला हां तो लेंगे भाई लेकिन खाना अभी है
तो बोला इसी लिए तो 20 रुपए ले रहे 10 खीरा का 10 आप को तुरंत खाना है इसका
अब इसके बोलने का लहजा थोड़ा बिहारी लगा, हम बोला बिहार से हो क्या तो बोला हां भैया बिहार के हैं यही BHU में पढ़ते हैं
क्या पढ़ते हो तो बोला भैया arts
हम बोले यार यहां बैठकर खीरा बेच रहे हो तो कॉलेज कब जाते हो
तो बोला 2 बजे तक कॉलेज होता है इसके बाद खाली हैं

हमने बोला यार पापा mummy पढ़ने के लिए भेजे हैं तुम यहां खीरा बेच रहे हो और फोन चला रहे इतना महंगा

तो बोला क्या हुआ 4 पैसे आएंगे तो कोई दिक्कत है क्या
हम बोले नही तो बोलता है पैसा रहेगा तो नौकरी की जरूरत नहीं पड़ेगी
हम बोले हां भाई ये बात तो सही कह रहे हो तो बात बात में बताया कि उसके पापा का जूते का बिजनेस है और बिहार में ही 2 दुकान है
जिससे पता चला की लड़का अच्छे घर का है
फिर बात हुई धंधे की
उसने बताया कि एक बार मंडी से खीरा लाता है और वो 4 दिन चलता है
और प्रतितिद्न 80 से 100 पीस खीरा निकलता है
अनुमानित 2000 का धंधा यानी महीने के 60000
का धंधा करता है
अब इसे सुन के धक्का तो लगा था उसके बाद और भी धक्का लगा आगे की बात सुन के

उसने बताया की घाट के बगल में ही एक पंडित जी हैं जो ऐसे ही खोमचे पर भेलपूरी बेचते हैं

पूरे हफ्ते का स्टॉक उन्ही के घर पर रखता हूं और ये खोमचा भी उन्ही का है उन्ही से किराया पर लिया है रोज का 50 रुपए देता हूं और उनके कमरे का 1000 रुपए महीना जिसमे खीरा और खीरा का छिलका नमक ये रखता हूं
इसके बाद भैया एक लड़का है घाट पर घूमता है उसे कभी 50 कभी 100 कभी खाना कुछ भी खिला देते हैं
मैने बोला क्यों भाई छिलका चिलवते हो क्या उससे
तो बोला नही उसका काम 2 बजे से तक खोमचा लगाना और कमरा पर से खीरा ला कर रखना है और 6 बजे सारा समान वापस रखना है क्यों की शाम को कोई खाता नहीं
हम बोले यार बड़े जुगाड़ू आदमी हो तो हंसने लगा बोला बिहार से हैं ना
तभी हम बोला छिलका क्यों रखते हो तो बोला एक लोग हैं वो इस छिलके को लेके उसका खाना बनाते हैं पशुओं के लिए तो 5 रुपए किलो के भाव से लेते हैं
हमने बोला खाना पीना
तो बोला उसका तो कोई दिक्कत ही नही है हॉस्टल है खाना पीना सब मिलता है हमारा कोई खर्चा नही है
खाना रहना हॉस्टल में हैं बीमार पड़े तो दावा फ्री में मिलती है
कहीं आना जाना हुआ तो दोस्तों के साथ हो जाता
पापा हर महीने 5000 भेजते हैं
खीरे का आधा खर्चा भी इसके छिलके से आजता है

अब सोचिए जिस काम को हम लोग छोटा समझते।हैं
उसे थोड़ा सा दिमाग और जुगाड की वजह से लड़का 40000 का मुनाफा कमाता है, और बहुत से ऐसे लोग हैं जो बढ़िया पढ़ाई के बाद भी 20000 महीना की नौकरी करते हैं
खैर ये बात भी है की इस काम को ऐसे जुगाड़ू ढंग से केवल UP और बिहार के लोग ही कर सकते हैं
लोग भले ही up aur बिहार के लोगो का मजाक उड़ाएं लेकिन मेहनत और जुगाड से काम करने में हमारा कोई मुकाबला nhi hai
आप up या बिहार के किस जिले से हैं कमेंट कर के बताइए जरूर

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31/03/2024

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15/02/2024

मुझे उतनी दूर मत ब्याहना
जहाँ मुझसे मिलने जाने ख़ातिर
घर की बकरियाँ बेचनी पड़े तुम्हे

मत ब्याहना उस देश में
जहाँ आदमी से ज़्यादा
ईश्वर बसते हों

जंगल नदी पहाड़ नहीं हों जहाँ
वहाँ मत कर आना मेरा लगन

वहाँ तो कतई नही
जहाँ की सड़कों पर
मान से भी ज़्यादा तेज़ दौड़ती हों मोटर-गाडियाँ
ऊँचे-ऊँचे मकान
और दुकानें हों बड़ी-बड़ी

उस घर से मत जोड़ना मेरा रिश्ता
उस घर से मत जोड़ना मेरा रिश्ता
जिस घर में बड़ा-सा खुला आँगन न हो
मुर्गे की बाँग पर जहाँ होती ना हो सुबह
और शाम पिछवाडे से जहाँ
पहाडी पर डूबता सूरज ना दिखे ।

मत चुनना ऐसा वर
जो पोचाई[1] और हंडिया में
डूबा रहता हो अक्सर

काहिल निकम्मा हो
माहिर हो मेले से लड़कियाँ उड़ा ले जाने में
ऐसा वर मत चुनना मेरी ख़ातिर
जो बात-बात में बात करे लाठी-डंडे की
कोई थारी लोटा तो नहीं
कि बाद में जब चाहूँगी बदल लूँगी
अच्छा-ख़राब होने पर

जो बात-बात में
बात करे लाठी-डंडे की
निकाले तीर-धनुष कुल्हाडी
जब चाहे चला जाए बंगाल, आसाम, कश्मीर
ऐसा वर नहीं चाहिए मुझे
और उसके हाथ में मत देना मेरा हाथ
जिसके हाथों ने कभी कोई पेड़ नहीं लगाया
फसलें नहीं उगाई जिन हाथों ने
जिन हाथों ने नहीं दिया कभी किसी का साथ
किसी का बोझ नही उठाया

और तो और
जो हाथ लिखना नहीं जानता हो "ह" से हाथ
उसके हाथ में मत देना कभी मेरा हाथ
महुआ का लट और खजूर का गुड़
ब्याहना तो वहाँ ब्याहना
जहाँ सुबह जाकर
शाम को लौट सको पैदल

मैं कभी दुःख में रोऊँ इस घाट
तो उस घाट नदी में स्नान करते तुम
सुनकर आ सको मेरा करुण विलाप.....

महुआ का लट और
खजूर का गुड़ बनाकर भेज सकूँ सन्देश
तुम्हारी ख़ातिर
उधर से आते-जाते किसी के हाथ
भेज सकूँ कद्दू-कोहडा, खेखसा[2], बरबट्टी[3],
समय-समय पर गोगो के लिए भी
मेला हाट जाते-जाते
मेला हाट जाते-जाते
मिल सके कोई अपना जो
बता सके घर-गाँव का हाल-चाल
चितकबरी गैया के ब्याने की ख़बर
दे सके जो कोई उधर से गुजरते
ऐसी जगह में ब्याहना मुझे

उस देश ब्याहना
जहाँ ईश्वर कम आदमी ज़्यादा रहते हों
बकरी और शेर
एक घाट पर पानी पीते हों जहाँ
वहीं ब्याहना मुझे!

- निर्मला पुतुल

07/10/2023
04/08/2023
08/07/2023
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21/06/2023

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19/06/2023
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08/06/2023

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07/05/2023

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