रामेश्वरम ज्योति तमिलनाडु के पवित्र शहर रामेश्वरम में स्थित एक प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल है, जो हिंदू धर्म और पौराणिक कथाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह प्रसिद्ध रामनाथस्वामी मंदिर के समीप स्थित है और भगवान शिव की अनंत कृपा का प्रतीक माना जाता है। यहां दूर-दूर से भक्त आते हैं, आध्यात्मिक शांति और ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं। रामायण से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के कारण यह स्थान हिंदू तीर्थ यात्राओं में विशेष महत्व रखता है और भक्तों के लिए आस्था का एक अद्वितीय केंद्र है।
जल नारायण मंदिर दर्शन, काठमांडू जिसे आमतौर पर बुढानिलकांठा मंदिर या सोते हुए विष्णु मंदिर के रूप में जाना जाता है। यह एकमात्र विष्णु मंदिर है जहाँ भगवान विष्णु सोते हुए पाए जाते हैं। इस मंदिर में स्थापित हिंदू भगवान विष्णु की मूर्ति को पूरे नेपाल में सबसे सुंदर और सबसे बड़ी मूर्ति के रूप में जाना जाता है और यह काठमांडू के केंद्र से लगभग 10 किलोमीटर दूर शिवपुरी पहाड़ी के तल पर स्थित है। साथ ही, इसे बहुत ही रहस्यमयी भी माना जाता है!विष्णु की ऊंची मूर्ति की लंबाई लगभग 5 मीटर है और यह 'सोते हुए विष्णु' की मूर्ति है। यह अधिसूचित किया गया है कि इस मूर्ति का निर्माण अज्ञात स्रोत से प्राप्त काले बेसाल्ट के केवल एक ब्लॉक की सहायता से किया गया है। मूर्ति लगभग 13 मीटर लंबी ब्रह्मांडीय समुद्र का प्रतीक एक लेटी हुई स्थिति में प्रचुर मात्रा में पानी से भरे तालाब पर ले
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है। इसे 'दक्षिण का कैलाश' भी कहा जाता है। यह स्थान भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है।
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने श्रीशैलम आए थे। इस स्थान पर भगवान शिव ने मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास किया। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मंदिर का वास्तुशिल्प अद्भुत है और यह द्रविड़ शैली में बना हुआ है। यहां हर साल महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन होता है, जहां देशभर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। ओंकारेश्वर का नाम "ओंकार" शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है भगवान शिव का दिव्य और अनंत स्वरूप। यह ज्योतिर्लिंग दो रूपों में पूजित है—ओंकारेश्वर और ममलेश्वर।
पौराणिक कथा के अनुसार, यह वही स्थान है जहां भगवान शिव ने अपने भक्त मंदाता की तपस्या से प्रसन्न होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया था। इसके अलावा, इस क्षेत्र का नाम "ओंकार" इसलिए पड़ा क्योंकि यहां नर्मदा नदी का स्वरूप 'ॐ' के आकार में दिखता है।
मंदिर नर्मदा नदी के एक पवित्र द्वीप पर स्थित है, और यहां पहुंचने के लिए भक्तों को नदी पार करनी पड़ती है। सावन के महीने और महाशिवरात्रि के दौरान यहां विशेष उत्सव का आयोजन होता है, जिसमें हजारों श्रद
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर गुजरात के द्वारका के निकट सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता यह है कि इसे "दर्शन और मोक्ष" का प्रतीक माना जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, यह वही स्थान है जहां भगवान शिव ने अपने भक्त दारुक का राक्षसों से उद्धार किया था। दारुक राक्षसों द्वारा परेशान था, तब भगवान शिव ने यहां प्रकट होकर उसे अभयदान दिया और ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।
मंदिर के परिसर में भगवान शिव की विशाल मूर्ति है, जो भक्तों के लिए मुख्य आकर्षण है। शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है, और दूर-दूर से भक्त इस पवित्र स्थल के दर्शन के लिए आते हैं।
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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है और यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। भीमाशंकर को भगवान शिव का दिव्य स्थान माना जाता है। यह स्थान सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला में स्थित है और घने जंगलों और प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है।पौराणिक कथाओं के अनुसार, भीमाशंकर का नाम राक्षस भीम से जुड़ा है, जो कि कुंभकर्ण का पुत्र था। राक्षस भीम को भगवान शिव ने इसी स्थान पर पराजित किया और यहां अपनी उपस्थिति का आशीर्वाद दिया। इसी कारण यह स्थान भीमाशंकर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।यहां का वातावरण शांत और भक्तिमय है, जहां श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर अपने जीवन को पवित्र बनाते हैं। भीमाशंकर में स्थित प्राचीन मंदिर अद्भुत वास्तुकला का प्रतीक है। इसके अलावा, यह स्थान ट्रेकिंग और नेचर लवर्स के लिए भी बहुत आकर्षक है।अगर आप अध्यात्म और प्रकृति दोनों का अ
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