Barot Valley: Paradise on Earth

Barot Valley: Paradise on Earth Barot is a picnic spot situated mid of himalya 40 km far from J/Nagar, 66 km from Mandi & 25 km from Ghatasni (NH 154). Its a good choice for trekking...
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Barot is a picnic spot and tourist location in Mandi district in the Indian state of Himachal Pradesh. It is situated 40 km from Jogindernagar and 66 km from Mandi, the district headquarters. The road to Barot branches off at Jogindernagar-Mandi high ways and from Jogindernagar the distance is 40 km. It is sometimes possible to use the trolley from Jogindernagar which reduces the distance to 12 km

.A haulage trolley of the British times connects Barot to Jogindernagar. This trolley link was set up to facilitate transport of construction material to Barot for a reservoir on Uhl river for Shanan Power House. The trolley was also sparingly used as a means of transport since Barot was not linked to a road till 1975.Barot is situated in a small V-Shaped valley formed by the Uhl river. Surrounded on both sides by parts of the Dhauladhar range of the Himalayas, Barot is located at an elevation of 1819 metres above the mean sea level. Most of the village is settled along the banks of Uhl on both sides in Joginder Nagar Valley. The Uhl barrage and reservoir for the Shanan Power House are a major geographical feature of Barot. Most of the forest around Barot is Deodar and Himalayan Oak...Barot is a frequent backpacker and day tourist destination. Many trekking trails pass through Barot, including trails to Bada Bhangal, Manali and Kullu. Most of the day tourists as attracted by the serene surroundings and cheap availability of accommodation The Thandi Golai ground on the way to old Mayot road is the camp site for various treckers organised by the trecking organisers. Rulling, the highest village in Mandi district is just an hour's uphill treck falling in Lapas panchayat.

Property for lease at Barot valley interested party may contact us...
19/04/2024

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please share it widely ताकि कोटरोपि और शिमला जैसी घटना यहां घटित न हो। सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है की यह स्थान बोचि...
20/08/2023

please share it widely ताकि कोटरोपि और शिमला जैसी घटना यहां घटित न हो।
सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है की यह स्थान बोचिंग के साथ लगते लपास रोड लिंक के पास का है जो भारी त्रासदी का संकेत दे रहा है, इसकी शुरुआत रोड साइड से हो गयी है और इसके अंत का अंदाजा लगाना नामुमकिन है, क्युकि इस छयाचित्र में जो दरारे दिखाई दे रही है बो रोड से लगभग 200 मीटर सीधे ऊपर है. जहा से दरारे पड़ी हुयी है यदि बही से ये पहाड़ी टुटती है तो शिमला जैसे हालात दिख सकते है, क्युकि इस पहाड़ी के निचे स्कूल और कैंपिंग साइट बनी हुयी है. मै स्थानीय जनता से अपील करता हू की बो अपने व अपने परिवार को इस पहाड़ी की ओर कम से कम भेजे ताकि किसी के साथ कोई दुर्घटना ना हो. जो लोग गाड़ियों से इस रोड की तरफ आ जा रहे है बो पहले मोके का जायजा ले कर आगे बढ़े. मै प्रशाशनिक अधिकारियो से भी निवेदन करता हू कि हो सके तो आप मौक़े की परिस्थिति व हालात का जायजा लेकर स्थानीय जनता जो डर के मारे सहमी हुयी है उनका भी मार्गदर्शन करे.. हमे तब भी दुःख होता है जब कोई व्यक्ति बिना किसी कारण प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करता है, और हमे तब भी दुःख होता है जब प्राकृतिक आपदा से लोगो का नुकसान होता है... इसलिए हम सभी को एक दूसरे के सहयोग में शामिल होकर अपनी जिम्मेबारियो को बखूबी निभाते रहना चाहिए ..
धन्यबाद....
By : Ram Krishan (Forest Beat officer Boaching)

मैं ऊहल हूँ। कभी धौलाधार की पहाड़ियों से पिघले चांदी के गुणों युक्त व चुहार घाटी व छोटा भंगाल के जंगलों से निकले रहस्यमयी...
29/06/2023

मैं ऊहल हूँ।
कभी धौलाधार की पहाड़ियों से पिघले चांदी के गुणों युक्त व चुहार घाटी व छोटा भंगाल के जंगलों से निकले रहस्यमयी अमृत को ब्यास तक ले जाती थी। इस रहस्यमयी अमृत के गुणों को अपने में धारण कर विपाशा भी बहुत प्रसन्न और गुणों से भरपूर महसूस करती थी। लेकिन समय के साथ-2 मुझपर आश्रित मानव जरूरत से बढ़कर लालची होता गया। आज आलम यह है कि हर दिन मेरी इज्जत से इसी घाटी के लोग खेल रहे हैं। हर दिन मेरी सुंदरता की टूरिज्म रूपी बाजार में बोली लगती है। खूबसूरती बेचने वाले घाटी के लोग खूब कमाते हैं। रात को वही कमाने वाले लोग मेरे इस अहसान को भूलकर दिनभर के कूड़े कचरे को मुझि पर फेंक कर मेरी इज्जत उछालते हैं। मैं थक चुकी हूं। मेरा संयम अब टूट रहा है। मैं कभी अमृत ढोया करती थी। आज उस अमृत में प्लास्टिक, दवाइयों से लेकर न जाने कितना जहर मैं अपने साथ ढोकर ब्यास में डाल रही हूं। ब्यास भी परेशान है। आखिर क्या गुनाह है मेरा और मुझपर आश्रित जलीय जीव जंतुओं का। क्या जीवन का अधिकार तुम लालची लोगों को ही है?? मैं ऊहल हूँ,, शोषित ऊहल,, जिसकी इज्जत को तुम न केवल बाहरी लोगों को नीलाम करते हो। बल्कि सुबह या रात को खुद भी लूटते हो।

क्या तुम में से कोई भी नहीं जो मेरी पीड़ा को समझ सकता है?? मेरे लिए आगे आ सकता है..। कहाँ है तुम्हारा ज्ञान?? तुम्हारी डिग्रियां?? इससे बेहतर तो तुम्हारे बुजुर्ग थे। क्या तुम रोज स्कूलों में शोषण करने के पैंतरे सीखते हो?? क्या तुम्हें सिखाने वाले भी रोज यही सिखाते हैं??

यदि कोई है तो आगे आकर समय रहते मुझे बचाने के लिए प्रयास कर लें,, अन्यथा मुझे केदारनाथ लाने में देरी नहीं लगेगी। मेरा संयम टूट रहा है।

: जोगिंदर सिंह

23/06/2023

25 जून को आप सभी सादर आमंत्रित है....।
अपने साथ अपनी पानी के बोतल, Gloves की जोड़ी व छाता लेकर आएं।

25 जून 2023, को आप सभी बरोट वासी आमंत्रित हैं।
15/06/2023

25 जून 2023, को आप सभी बरोट वासी आमंत्रित हैं।

ऊहल नदी प्रोजेक्ट या शानन पावर हाउसपंजाब का है या हिमाचल का?? मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश सुखविंदर सिंह सुखु जी द्वारा सत्...
05/06/2023

ऊहल नदी प्रोजेक्ट या शानन पावर हाउस
पंजाब का है या हिमाचल का??

मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश सुखविंदर सिंह सुखु जी द्वारा सत्ता में आते ही शानन पावर प्रोजेक्ट का मुद्दा फिर उठाया गया है। इससे पहले अन्य सरकारों द्वारा भी इसपर बात होती रही है। सुखु जी कहते हैं कि 99 साल की लीज वर्ष 1924 में राजा जोगिंदर सेन और पंजाब स्टेट के बीच हुई थी वह अब 2024 में खत्म होने जा रही है। इसलिए अब हिमाचल प्रदेश इस लीज को आगे बढ़ाने के बजाए स्वयं चलाने के मूड में हैं।

अब तक मुझे भी यही लगता था कि शायद जब तक लीज खत्म न हो हम कभी ऊहल प्रोजेक्ट पर क्लेम नहीं कर सकते। तब तक पंजाब का इसपर लीगल अधिकार है। अधिकतर लोगों को भी यही लगता है। बहुत कम लोगों ने इसपर कभी जानकारी जुटाने का प्रयास किया है। मैं स्थानीय इतिहास को जानने के बारे में रुचि रखता हूँ। जिस कारण इंटरनेट का सदुपयोग करते हुए पुरानी किताबें, जर्नल, लेख, यात्रा वृतांत, न्यूज़ कटिंग आदि देखता रहता हूँ।

कुछ वर्ष पहले मुझे खोजते हुए राजा जोगिंदर सेन और पंजाब स्टेट के बीच की एग्रीमेंट की वह कॉपी मिली जिसमें 99 वर्ष लीज किन किन शर्तों पर दी गयी। वह सब लिखा है। इससे ज्यादा खोजबीन करने की कोशिश मैंने भी नहीं की। यह जरूर कभी-2 सुनता था कि सेंटर पर डिपेंड करेगा कि यह हमें मिलेगा या नहीं। लेकिन इसके मायने मैं समझ नहीं पा रहा था। क्योंकि लीज में तो सेंटर का कोई लेना देना ही नहीं था।

मान साहब ने सुखु जी द्वारा उनके लिए लिखे पत्र के जवाब में जो कुछ लिखा गया उसे कुछ प्रतिष्ठित न्यूज़ साइट्स द्वारा कोट किया गया। जिसमें उन्होंने Punjab Reorganisation act 1966 का हवाला देते हुए कहा है कि यह भले ही पहले लीज की तौर पर पंजाब को मिला था लेकिन PRA के प्रावधानों के अनुसार उस प्रोजेक्ट पर अब पंजाब का ही अधिकार है।

इस बात की जड़ तक जाने के लिए पंजाब Reorganisation Act 1966 को पढ़ना और समझना जरूरी है। खोजते हुए और पढ़ते हुए मैं उन अधिसूचना तक पहुंचा जहां भारत सरकार द्वारा Punjab reorganisation Act 1966 के provision में दी गयी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए। शानन पावर प्रोजेक्ट को पंजाब को ही allocate कर दिया था। हैरानी इस बात की है कि यह लड़ाई अब की नहीं वर्षों की है। हिमाचल सरकार इस प्लांट पर अधिकार 70 के दशक की शुरुआत में भी उठा चुकी है। लेकिन तब भी मिनिस्ट्री ऑफ इरीगेशन एंड पावर द्वारा इसपर मंथन करने के बाद क्लेरिफिकेशन जारी कर हिमाचल के दावे को खारिज कर दिया गया। इन सबकी जानकारी लोगों तक पहुंची ही नहीं। बेहद कम लोग यह जानते हैं कि शानन पावर प्रोजेक्ट में असलियत क्या है और इसे लेने की पेचीदगी क्या है।

जानकारी के अभाव के चलते अब तक हम जितना आसानी से शानन पावर प्रोजेक्ट को वापिस लेने की सोच रखते थे वह असल में इतना आसान है नहीं। यह एक टेढ़ी खीर के जैसा है। माननीय हाई कोर्ट हिमाचल प्रदेश में भी शानन के कुछ जमीन के मुद्दों में किये गए केस पर यह बातें साफ तौर पर मानी गयी है कि शानन पावर प्लांट का स्वामित्व न्यू पंजाब को सौंप दिया गया है।

अब समझना यह है कि क्या इसमें कोई लीगल बेस है कोई लीगल लूपहोल है जिससे हम इसे वापिस ले सकते हैं?? या इसे एक जन आंदोलन बनाकर इस लड़ाई को सीधा केंद्र सरकार से लड़ना होगा। लेकिन हम स्थानीय जनता को समझना होगा कि हमारे रिसोर्सेस का इस्तेमाल करके यह प्लांट तैयार किया गया है। इसे बनाने के लिए पत्थर minerals से लेकर सब फ्री ऑफ कोस्ट उस समय दिए गए हैं। लोगों की जमीनों का अधिग्रहण कर उन्हें कहीं और जमीनें दी गयी है। उस समय के दरबार को कुल बनाई गई बिजली का आधा या 1 प्रतिशत बिजली फ्री में दी जाती थी। यह बिजली किसे फ्री में मिली इसकी कोई जानकारी नहीं है। क्या यहां के रिसोर्सेस को चूसकर फायदा कोई और ले जा सकता है?? यह सोचना समझना हमें हैं।

मुझे पता है कि स्थानीय लोगों को यह प्रोजेक्ट इसलिए नहीं चाहिए होगा कि उन्हें यह दिक्कत है कि यहां के रिसोर्सेस का इस्तेमाल कर अन्य स्टेट फायदा ले रही है। बल्कि वे इसे इसलिए लेना चाहेंगे कि इससे उन्हें पैसा मिलता दिख रहा है। चलिए जिसके लिये जो हित जुड़े हैं वही सही। लेकिन इस लड़ाई को यदि लड़ना है तो इसे बहुत गहराई से जानने की जरूरत है। उसके पश्चात इसपर रणनीति बनाने की आवश्यकता है। यदि यह Legaly लिया जा सकता है तो कोशिश वही करनी चाहिये,, यदि इसके लिए जन आंदोलन खड़ा करना पड़े तो स्थानीय जनता को इसके लिए भी अपने सारे काम काज छोड़कर आगे आना चाहिए।

✍️ : जोगिंदर सिंह

Remembering those Bravehearts of Himachal Pradesh on the occasion of "National Forest Martyrs' Day" who laid down their ...
11/09/2022

Remembering those Bravehearts of Himachal Pradesh on the occasion of "National Forest Martyrs' Day" who laid down their life for conservation and protection of Forest Wealth.
Salute to all those Green soldiers who gave their supreme sacrifice for our future,, For the welfare of all the Life whether its Human life or Wild life,, for this Mother earth who nurture us selflessly.

ये घने जंगल, कल-2 करता जल, साफ हवा, उपजाऊ मिट्टी, मन को रोमांचित कर देने वाले जंगली जीव-जंतु,,
वनों पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।
🌲Jai Hind🌲

अंतिम रस्म पूर्ण करने से पूर्व 8 देवता एक साथ अपने भक्तों के बीच नाचने आते हुए। ____Feel The Devine Vibes____
06/08/2022

अंतिम रस्म पूर्ण करने से पूर्व
8 देवता एक साथ अपने भक्तों के बीच नाचने आते हुए।
____Feel The Devine Vibes____

Third world war will be for water यह कथन कितना सत्य है यह हमें पंजाब और हरियाणा के बीच के SYL यानी सतलुज यमुना लिंक cana...
27/06/2022

Third world war will be for water
यह कथन कितना सत्य है यह हमें पंजाब और हरियाणा के बीच के SYL यानी सतलुज यमुना लिंक canal मुद्दे पर देखने को मिलता है। ऐसे और भी कई उदाहरण देश और विश्व में भरे पड़े हैं। SYL पर बात इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि हाल ही में सिधु मूसेवाला का मरणोपरांत एक गाना रिलीज किया गया जिसका नाम ही SYL रखा गया है।

SYL पर सिधु मूसेवाला के विचार इस गाने से पता चलते हैं। गाने में केवल SYL canal का जिक्र न कर उन्होंने वही पुराने पंजाब की भी बात की है जिसमें पंजाब हरियाणा चंडीगढ़ हिमाचल हुआ करता था। इसके अलावा कई विवादास्पद बातें उसमें है जिसके चलते सरकार ने यूट्यूब से उस वीडियो को आधिकारिक तौर पर रिमूव करवाया है।

सिधु के लिखे गाने को अलग-2 तरह से interpret किया जा रहा है। कुछ के अनुसार वे हरियाणा को पानी न देने की बात,, यह कहकर कर रहे हैं कि जब तक समस्या का हल नहीं निकल जाता हम एक भी बून्द पानी नहीं देंगे। तो कुछ के अनुसार यह संबोधन हरियाणा को नहीं किसी और को किया गया है।

इधर सिधु का SYL आया उधर हरियाणा के गायक भी हरियाणा का पक्ष कैसे पीछे छोड़ सकते हैं उन्होंने SYL (हरियाणा रिप्लाई) निकाल दिया। गाने का जवाब गाने से ही दे दिया।

मेरी रुचि यहां यह नहीं है कि 2 प्रदेश आपस में लड़ रहे हैं। मेरी रुचि यहां यह है कि मैं सरकार की योजनाओं से हैरान हूँ। बात पानी की है इसलिए हिमाचल के परिपेक्ष्य में बात करूंगा और खासकर अपनी चुहार घाटी की बात करूंगा। जैसी लड़ाई पंजाब हरियाणा में पानी के लिए वर्षों से चली है। कुछ उसी तरह की लड़ाई लड़ी जा रही थी पंजोड नाला से लाभांवित लोगों द्वारा।

हो क्या रहा है? जरा आसपास देखिए,, पानी का स्तर दिन प्रतिदिन घटता जा रहा है। लेकिन हमारी सरकारें पानी मुहैया कराने के लिए एक जगह के नालों से पानी उठाकर दूसरी जगह भेज रही है। आलम यह है पानी आसपास जाता तो भी कुछ नहीं था लेकिन पानी को कोसों दूर के गांव की प्यास बुझाने के लिए दिया जा रहा है।

आप सोचेंगे इसमें खराबी क्या है? इसमें खराबी तब तक नहीं है जब तक उन नालों में पानी की मात्रा जस की तस है। जिस दिन पानी का घटता स्तर न्यूनतम में जाकर जिस क्षेत्र से पानी उठाया गया है, उसी को पर्याप्त नहीं होगा तो क्या होगा?? क्या वह क्षेत्र अपने उस थोड़े से पानी को भी अन्य जगह जाने देगा?? यह सोचने वाली बात है। हालांकि जिस तरह के उदाहरण आज हमारे बीच है शायद ही ऐसा हो।

तो क्या जो सरकारें एक जगह का पानी उठाकर दूसरी जगह देकर ताली और वोट बटोर रही है। वह कोई परमानेंट समाधान है पानी की समस्या से निजात पाने का?? नहीं,, पानी की समस्या से निजात पाने के स्थायी हल की ओर तो कोई सोच ही नहीं रहा। क्योंकि यह बातें किसी के समझ में नहीं आती और जो बातें किसी के समझ नहीं आती उसमें वोट भी कैसे मिलेंगे।

अच्छा है लोगों को सीधा लाभ दिखे ताकि वह लाभ वोट बनकर उन तक भी पहुंचे। यहां अस्थायी हल की बुराई भी नहीं की जा सकती लेकिन अस्थायी हल के साथ-2 यदि वहां के जलस्तर को फिर से मेंटेन करने की ओर कदम ही नहीं उठाए जाएं तो फिर समस्या आती है। जबकि स्थायी हल के तौर पर सरकारों को और वहां की जनता को यह कदम उठाने की जरूरत है कि जिस भूमिगत जल स्तर को हमने गिराया है उसे फिर मेंटेन कैसे किया जाए। ताकि पानी कहीं कोसों दूर से नहीं स्वयं अपनी जगह से ही मिलना शुरू हो जाये। या यूं कहें कि हमें पानी बनाने की कला को सीखना पड़ेगा। यही एक स्थायी हल है किसी क्षेत्र में पानी की समस्या से निजात दिलाने का।

पानी भले ही राष्ट्रीय संपति हो लेकिन पंजाब क्यों पानी को हरियाणा से बांटना नहीं चाहता?? क्योंकि पंजाब ने अपने पानी का अंधाधुंध दोहन कर भूमिगत जलस्तर को इतना नीचा किया है कि आज वह रेगिस्तान बनने की ओर अग्रसर है। क्या यमुना सतलुज अकेले ही उसे बचा सकती है?? हाँ
मगर कब तक?? तभी तक जब तक उनका जल स्तर बना हुआ है। लेकिन जिस गति से जंगलों का दोहन हो रहा है। वन भूमि पर कब्जे,, हर कहीं रोड बनाना,, बड़े प्रोजेक्ट लगने का सिलसिला जारी है। वनों के लिए भूमि सिकुड़ती जा रही है। वनों के सिकुड़ने से नदी नाले खत्म होते जा रहे हैं।

जब स्थिति विकट होगी तो तीसरा विश्व युद्ध भी हो सकता है और गृह युद्ध भी छिड़ सकता है। इसलिए हमें और सरकारों को आज इन आने वाले चैलेंजेस का समाधान करने की ओर कदम उठाने होंगे। तभी कुछ हो सकता है। वरना पानी के लिए एक दूसरे से लड़ना तय है।

🙏 सभी जनता सहयोग करें 🙏और इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें
26/05/2022

🙏 सभी जनता सहयोग करें 🙏
और इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें

14/04/2022

वीरू बसंती के बीच की नोक झोंक
एक छोटे से बच्चे की जुबानी।
देखिए और मजा लीजिए। समय मिले तो छोटे से बच्चे के डायलॉग याद रखने, बोलने और इस तरह एक्ट करने पर जरूर अपने विचार रखियेगा।
वीडियो : गिरिक ठाकुर (गांव बड़ी झरवाड़, बरोट)

मण्डी के 4 मुख्य देवी देवता के दर्शन एक साथ..।चुहार घाटी की कटयानधार से दिखता यह मनमोहक दृश्य।
07/02/2022

मण्डी के 4 मुख्य देवी देवता के दर्शन एक साथ..।
चुहार घाटी की कटयानधार से दिखता यह मनमोहक दृश्य।

03/02/2022
इस सीरीज का जरूर हिस्सा बनेFOREST REST HOUSES OF FOREST CIRCLE MANDI (भाग 1)
31/01/2022

इस सीरीज का जरूर हिस्सा बने
FOREST REST HOUSES OF FOREST CIRCLE MANDI (भाग 1)

किसी शायर की गज़ल जो दे रूह को सुकून के पल कोई मुझको यूं मिला जैसे बंजारे को घर...  #प्रकृति  #डैनसर  #हरियाली 🌳🌳🌳🌳☘️☘️☘️
23/07/2021

किसी शायर की गज़ल जो दे रूह को सुकून के पल
कोई मुझको यूं मिला जैसे बंजारे को घर...

#प्रकृति #डैनसर #हरियाली 🌳🌳🌳🌳☘️☘️☘️

21/07/2021

Culture of CHHOTA Bhangal area of Kangra.

The Best View Comes After The Hardest Climb___●______●_____●_____●_____●_____●______on the way to Dainasar_
18/07/2021

The Best View Comes
After The Hardest Climb
___●______●_____●_____●_____●_____●_____
_on the way to Dainasar_

इन वादियों में टकरा चुके हैं हमसे मुसाफिर यूं तो कईदिल न लगाया हमने किसी से किस्से सुने यूं तो कई....  #बरोट  #ऊहलघाटी
08/07/2021

इन वादियों में टकरा चुके हैं हमसे मुसाफिर यूं तो कई
दिल न लगाया हमने किसी से किस्से सुने यूं तो कई....

#बरोट #ऊहलघाटी

ये फितूर मेरा ❤️लाया मुझको है तेरे करीब____ये फितूर मेरा रेहमत तेरी...  #ऊहलघाटी #बरोट  #चुहारघाटी
05/07/2021

ये फितूर मेरा ❤️
लाया मुझको है तेरे करीब____
ये फितूर मेरा रेहमत तेरी...

#ऊहलघाटी
#बरोट #चुहारघाटी

__Scally Breasted Munia___After relishing delicious Onion seeds..At : Hurang, The Land of Narain
01/07/2021

__Scally Breasted Munia___
After relishing delicious Onion seeds..

At : Hurang, The Land of Narain

एक समय था जब हम गांववासी प्रकृति को बचाने के मंत्र Reduce, Reuse, Recycle को फॉलो करते थे। मैं बचपन में सिंगल used प्लास...
28/06/2021

एक समय था जब हम गांववासी प्रकृति को बचाने के मंत्र Reduce, Reuse, Recycle को फॉलो करते थे। मैं बचपन में सिंगल used प्लास्टिक को इकट्ठा कर घरवालों द्वारा बनाये *बिन्ने* यानी मैट पर बड़े चाव से बैठता था। रंग बिरंगे प्लास्टिक उसे बहुत कलरफुल बना देते थे और उसकी यह सुंदरता बचपन मे हमें बहुत आकर्षित करती थी। प्लास्टिक से बने इन Binnon के लिए बचपन में भाई बहन अक्सर लड़ा करते थे।

फिर आया पैसों का दौर,,, जैसे-2 पैसा आने लगा हमने एक ऐसे जीवन को जीना छोड़ दिया तो प्रकृति के अनुकूल था। एक समय था जब हम जीवन इसलिए नहीं जीते थे कि हमें जीवन में भांति-2 के कपड़े पहनने हैं फ़ैशन करना है। हम कपड़े इसलिए पहनते थे कि यह हमारी मूलभूत जरूरत थी। कपड़े का बिज़नेस करने वालों ने कब हमारे मन में इसके लिए लालसा का बीज भर दिया हमें पता ही न चला। आज हमें भांति-2 के कपड़े चाहिए और चंद महीने का फैशन खत्म होते ही वह कपड़े कहीं फेंक दिए जाते हैं। जबकि पहले कोई वस्त्र तब तक इस्तेमाल किया जाता था जब तक वह इस्तेमाल करने योग्य न रह जाये।

बड़े भाई के कपड़े छोटा भाई, फिर उसका छोटा भाई,, फिर किसी और को दान दे दिए जाते थे। मुझे याद है मैंने स्कूल टाइम में अपने पिता व चाचू के समय की स्वेटर तक पहनी है। अगर कपड़े सही स्थिति में होते थे तो घरवाले कपड़ों को बचाकर रखते थे कि फलाना बड़ा होगा तो उसके काम आएंगे।

कपड़े जब पहनने लायक नहीं रहते थे तो उसे हम फाड़कर सोते समय धकने के लिए *खिंद* यानी कम्बल रजाई टाइप बनाया करते थे।

यह एक माध्यम था जीवन जीने का जब हम कम रिसोर्सेज का इस्तेमाल करने पर भी जीवन अच्छे से जी लेते थे। इसी को तो सस्टेनेबिलिटी कहते हैं।

अब यह ट्रेंड गांव में भी बदल रहा है। हमें शर्म आती है ऐसे खिंद खन्दोलो में सोने से, शर्म आती है ऐसे मैट बनाकर उसपर बैठने या उसे मेहमान को देने में और मेहमान भी इस तरह के खिंद आदि मिलने पर उसे स्टेटस का इशू बना लेते हैं। जबकि इसमें शर्म वाली कोई बात है ही नहीं उल्टा यह अच्छी बात है कि हम कम से कम रिसोर्सेज़ का इस्तेमाल कर जीवन जी रहे हैं और प्रकृति को शुद्धतम रूप में रखने की कोशिश कर रहे हैं। कहीं न कहीं हमें इस जीवन जीने के तरीके को वापस जिंदा करना होगा और प्रोमोट भी करना होगा।

*यदि आपके गांव या घर में भी Single used plastic जैसे रेपर आदि से कुछ बेहतर घरेलू प्रोडक्ट बनाये जाते हो तो कृपया कमेंट सेक्शन में उसकी फोटो भेजने की कृपा करें। ताकि यह देखा जा सके कि लोकली हम इसका इस्तेमाल कितना बेहतर और विविध तरीके से करते थे।*
: जोगिंदर ठाकुर

21/06/2021

सफाई अभियान
बरोट वैली paradise on earth, नेचर क्लब ऊहल के स्थानीय जागरूक युवाओं और बच्चों के साथ सफाई अभियान में अपनी उपस्थिति देते हुए।

Address

Barot, Mandi
Joginder Nagar
175013

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