Himalayan Shri khand Discovery

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31/05/2022

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22/04/2022

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26/12/2021

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17/10/2021

6 मार्ग श्रीखंड महादेव पहुंचने के (6 ways to reach Shrikhand Mahadev)

श्रीखंड महादेव कैलाश एक पवित्र तीर्थयात्रा है । यह स्थान हिन्दू भगवान शिव से सम्बन्धित है और पांच कैलाशों में से एक गिना जाता है । अति दुर्गम रास्ते पर चलते हुए श्रद्धालु समुन्द्र तल से 5140 मी. (16864 फुट) की ऊंचाई पर स्थित इस खंडित शिवलिंग तक पहुंचते हैं । इस पर्वत के दायीं दिशा में स्थित है ‘किन्नर कैलाश’ और बायीं दिशा से यह ‘ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क’ से जुड़ा है । क्या आपको पता है श्रीखंड महादेव 6 अलग-अलग रास्तों से पहुंचा जा सकता है । आईये जानते हैं यह 6 रास्ते कौन-कौन से हैं ।

श्रीखंड महादेव कैलाश

क्या है पौराणिक महत्व : श्रीखंड महादेव की पौराणिकता मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या के बदले भगवन शिव से वरदान मांगा था कि वह जिस पर भी अपना हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा । राक्षस प्रवृति के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली । इसलिए भस्मापुर ने भगवान शिव के ऊपर हाथ रखकर उन्हें भस्म करने की योजना बनाई । निरमंड स्थित देवधांक गुफा में प्रवेश करके भगवन शिव श्रीखंड पहुंचे और श्रीखंड शिला के रूप में समाधिस्त हो गए । दूसरी तरफ भगवान विष्णु ने भस्मासुर की मंशा को नष्ट करने के लिए माता पार्वती का रूप धारण किया और फलस्वरूप उन्होंने भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने ही सिर पर हाथ रख लिया और भस्म हो गया ।
यह स्थान आज भी भीम डुआरी में लाल रंग की धरती के रूप में देखा जा सकता है । भस्मासुर के समाप्त हो जाने के बाद भी जब भगवान शिव श्रीखंड रूपी शिला से बाहर नहीं आये तब गणेश, कार्तिकेयन और माँ पार्वती ने इसी स्थान पर घोर तपस्या की तब जाकर महादेव श्रीखंड शिवलिंग रूपी चट्टान को खंडित करके बाहर आये ।

श्रीखंड महादेव एक 72 फीट ऊँचा खंडित शिवलिंग है । प्रत्येक साल यह यात्रा सावन मास में आधिकारिक तौर पर मात्र 2 हफ़्तों के लिए खुलती है । साल 2014 से यह यात्रा प्रशासन के हाथ में चली गयी है जिसके तहत सभी यात्रियों का यात्रा पंजीकरण सिंहगाड में होता है । अभी तक पंजीकरण के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है ।
श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए मुख्यतः 2 ही मार्गों का इस्तेमाल किया जाता रहा है परन्तु कुछ घुमक्कड़ तीसरे रास्ते से भी अवगत होंगे । इस साल (2017) जब मैंने यह यात्रा पूरी करी तब कई प्रकार की जानकारी हाथ लगी । स्थानियों और गद्दियों से प्राप्त जानकारी के हिसाब से श्रीखंड महादेव 6 अलग-अलग रास्तों से पहुंचा जा सकता है ।

श्रीखंड पहुंचने का पहला मार्ग : निरमंड – बागीपुल - जाओं - क्या आप यकीन मानोगे कि श्रीखंड महादेव पहुंचने का यही रास्ता सबसे आसान है । जितने भी लोगों ने श्रीखंड के दर्शन इस रास्ते से किये हैं वो जानते हैं कि यह रास्ता कितना आसान है लेकिन अगर इसकी तुलना दूसरे रास्तों से करें तो यही रास्ता बचता है जो आपको सुगम महसूस होगा ।
जाओं गाँव से शुरू होती इस यात्रा की श्रीखंड महादेव तक एकतरफा दूरी लगभग 25.5 किमी. है । जाओं समुन्द्र तल से 1949 मी. पर स्थित और श्रीखंड महादेव की ऊँचाई 5140 मी. है । यात्रा के इस मार्ग से जाने पर सिंहगाड़ में प्रत्येक यात्री का ऑफलाइन पंजीकरण होता है ।
आधिकारिक तौर पर शुरू हुई यात्रा में यात्रियों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्राप्त होती हैं जैसे मेडिकल सहायता, सर्च एंड रेस्क्यू, स्थानीय पुलिस, लंगर और कई स्थानों पर रहने और खाने की निशुल्क व्यव्स्था । पगडण्डी की कम चौड़ाई और लगातार खड़ी चढ़ाई के कारण अभी तक इस मार्ग पर खच्चर व घोड़ों की सुविधा मौजूद नहीं है । पिछले कुछ सालों से बढती श्रधालुओं की संख्या ने स्थानीय लड़कों को पोर्टर व गाइड बनकर अतिरिक्त कमाई करने का अवसर प्रदान किया है ।

जाओं कैसे पहुंचे : दिल्ली से शिमला की रोड़ दूरी 350 किमी. है और शिमला से दत्तनगर की दूरी 125 किमी. है । इक्चुक यात्री दिल्ली से वॉल्वो या आर्डिनरी बस (403 रु. प्रति-व्यक्ति किराया) से लगभग 12 घंटे के सफ़र के बाद दत्तनगर पहुंच सकते हैं । दत्तनगर से हर घंटे सरकारी बस बागीपुल जाती है जिसका किराया प्रति-व्यक्ति 50-60 रु. रहता है । दत्तनगर से बागीपुल की दूरी लगभग 41 किमी. है और बागीपुल से जाओं की दूरी मात्र 7 किमी. है । सभी प्रकार की बस सेवा सिर्फ बागीपुल तक ही सीमित है । बागीपुल से आगे-जाने के लिए आपको स्थानीय गाड़ियों से लिफ्ट या टैक्सी बुक करनी होगी जिसका किराया 100-150 रु. है ।
श्रीखंड जाते समय प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मंदिर, जाओं में माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, आदि स्थानों के दर्शन किये जा सकते हैं ।

यात्रा मार्ग पर कहां रुकें : पार्वती बाग़ तक प्रसाशन और स्थानियों की ओर से कई स्थानों पर यात्रियों के लिए निशुल्क रहने और खाने की सुविधा उपलब्ध है । लंगर की व्यव्स्था निरमंड, जाओं, सिंहगाड़, थाचडू, और भीम डुआरी में सुनिश्चित की गई है । निरमंड, जाओं और सिंहगाड़ में यात्रियों के लिए निशुल्क ठहरने की व्यव्स्था भी है । थाचडू और भीम डुआरी में सीमित टेंटों की वजह से ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर लंगर वाले ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराते हैं । इस यात्रा का अंतिम पढ़ाव पार्वती बाग़ है जिसे साल 2017 से आपातकालीन स्थिति के लिए बचाकर रखा गया है । यहाँ सिर्फ वृद्ध और उन यात्रियों को शरण मिलती है जिन्हें श्रीखंड महादेव से लौटते हुए देर हो जाती है । यहाँ प्राइवेट टेंट व खाना इसलिए गुज़ारिश है कि दर्शन वाले दिन अपने साथ कम-से-कम 1000 रु. नकद रखें ।

यह तो हुई प्रसाशन और लंगर वालों की बात, अब बात करते हैं प्राइवेट टेंटों की । प्राइवेट टेंट अपनी भूमिका ब्राटी नाला के बाद निभाते हैं । खुम्बा डुआर, थाटी बील, थाचडू, तनैन गई, काली टॉप, भीम तलाई, कुंशा, भीम डुआरी और पार्वती बाग़ इन सभी जगहों पर यात्रियों को प्राइवेट टेंट की सुविधा मिलती है ।

यात्रा के दौरान ठहरने के स्थान, उनकी क्षमता और किराया दर्शाती तालिका

मोबाइल नेटवर्क की उपलब्धता : इस दुर्गम मार्ग पर काली घाटी को छोड़कर बाकी लगभग सभी जगहों पर नेटवर्क मौजूद है । इस इलाके में बी.एस.एन.एल (BSNL), एयरटेल, और आईडिया का नेटवर्क मिलता है । फ़ोन में बैटरी हो तो जाओं, सिंहगाड़, खुम्बा डुआर, थाटी बील, थाचडू, काली टॉप से अपने परिजनों से बात होनी सम्भव है ।
काली घाटी के बाद नेटवर्क नहीं है लेकिन मजे की बात है भीम बही पर नेटवर्क उपलब्ध है । इस साल कुछ यात्रियों ने तो सकुशल दर्शन का समाचार अपने परिजनों को श्रीखंड के सामने से दिया । बिजली सिंहगाड़ से आगे कहीं नहीं है । कुछ स्थानों पर जरनेटर के द्वारा बिजली मौजूद है जैसे थाचडू, भीम डुआरी, और पार्वती बाग़ । ध्यान रखें मोबाइल का नेटवर्क खराब मौसम पर निर्भर करता है और कैमरा नहीं होने की स्थिति में मोबाइल के साथ पॉवर बैंक अवश्य रखें ।

जाओं से श्रीखंड महादेव का सैटलाइट नक्शा

जाओं से श्रीखंड महादेव का दूरी व ऊँचाई का चार्ट

श्रीखंड पहुंचने का दूसरा मार्ग : ज्यूरी - फांचा – इस साल (2017) श्रीखंड महादेव दर्शन की तैयारी मेरी इसी रास्ते से थी लेकिन बाद में ज्ञात हुआ कि इस मार्ग पर कहीं बादल फटने से परिस्थितियां सामान्य नहीं है, तो अब समस्त उम्मीद 2018 पर टिकी हैं । 5373 मी. के विशाल हाईट गेन के साथ फांचा से इस मार्ग की पैदल दूरी करीबन 18 किमी. है ।
इस घाटी के मुंहाने पर गानवी गाँव स्थित है जिसकी वजह से इस घाटी को स्थानीय भाषा में ‘गानवी वैली’ भी कहते हैं । ज्यूरी समुन्द्र तल से 1381 मी. पर स्थित है और यहीं से इस मार्ग का आरम्भ होता है । सीधी चढ़ाई और जमी बर्फ के खड़े टुकडें इसे अत्यधिक दुर्गम बनाते हैं ।
श्रीखंड पहुंचने के इस मार्ग पर गद्दियों के अलावा अन्य किसी भी प्रकार की कोई सुविधा मौजूद नहीं है जोकि इसे और मुश्किल बनाता है ।
नीचे इस मार्ग से सम्बन्धित जानकारी देने का प्रयास कर रहा हूँ, हो सकता है निम्नलिखित स्थानों के अलावा भी कुछ और स्थान हो जहां यात्रियों के लिए अतिरिक्त सुविधा मौजूद हो ।

12/10/2021

Altitude: 5,227 meters/17,150 ft

Trail Type: Difficult gradients. Steep incline trek going through rough glaciers covers, rocky moraine path. People with no or less High altitude trekking experience should not attempt this trek.

Rail head: Shimla is the nearest rail head to Jaon village – 170 Km. Shimla is connected with narrow gauge line with Kalka.

Road Head: Buses are available from Shimla ISBT. Take a cab/ local bus from Shimla to Rampur 130 km, then to Jaun village via Nirmand (Kullu). Finally , the last 8 km from Bagi pul to Jaun is a kuccha road.

Base Camp: Jaon Village or Singhgad.

Trek Itinerary:

Day 1: Drive from Shimla to Jaon. Trek to Singhgad (6,873 ft); 5-6 hours drive + 3 km trek

Day 2: Singhgad (6,873 ft) to Thachru (11,318 ft)

Day 3: Thachru (11,318 ft) to Kaali Ghat (12,500 ft) to Kunsha (12,200 ft)

Day 4: Kunsha (12,200 ft) to Parvati Baag (13,662 ft)

Day 5: Parvati Baag (13,662 ft) to Nain Sarovar (14,527 ft); return to Parvaat Baag (acclimatisation)

Day 6: Parvati Baag (13,662 ft) to summit (17,150 ft); return to Bhimdwaar/Parvati Baag

Day 7: Bhimdwaar/Parvati Baag (13,662 ft) to Thachru (11,318 ft)

Day 8: Thachru (11,318 ft) to Jaon. Drive back to Shimla

Day 9: Buffer day

Author: hira dogra

Alternative Treks by fb

Shrikhand Mahadev is of course a great trek. But more than that it is a yatra – a pilgrimage. Therefore during the month of September the trail is full of devotees making their visit to the holy peak. And therefore somewhere along the trail, the feeling of being on trek gets lost.

It’s not an out-and-out trek and you’ll miss the wilderness and the solitude that you seek while on a trek. And you’ll also miss the camraderie of fellow trekkers.

08/04/2021
मेरे सभी मित्रों को महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर दिल की गहराइयों से हार्दिक शुभकामनाएं भगवान  श्रीखंड भोलेनाथ आप सबकी...
12/03/2021

मेरे सभी मित्रों को महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर दिल की गहराइयों से हार्दिक शुभकामनाएं भगवान श्रीखंड भोलेनाथ आप सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करें व आपका नव वर्ष मंगलमय हो!

Bheemdwari Kahghati Parvati water fall Shri khand mahadev
10/02/2021

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25/01/2021

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23/12/2020

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