मिर्ज़ापुर

मिर्ज़ापुर an ancient place, historical city, full of natural sights, temples, tales, herbs, tribes and glories.

रिहंद बांध (रेनुकुट सोनभद्र), इसको बल्लभ पंत सागर के नाम  से भी  जाना जाता  है, क्षमता के हिसाब से देश का सबसे बड़ा बांध ...
06/02/2024

रिहंद बांध (रेनुकुट सोनभद्र), इसको बल्लभ पंत सागर के नाम से भी जाना जाता है, क्षमता के हिसाब से देश का सबसे बड़ा बांध है, इस बांध का निर्माण 1954 मे शुरू हुई और 1962 - 63 मे पूर्ण रुप से बनकर तैयार हुआ जिसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने किया, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के रास्ते अनपरा से होते पानी आकर इस बांध मे रुकता है, यहाँ 300 मेगावाट की बिजली भी पैदा होती है।
13 फाटक लगे हैं इस बांध मे, ये जगह रेनुकुट से 8 से 10 किलो मीटर की दुरी पर पड़ता है और बनारस से 150 किलोमीटर के आस पास, रेनुकुट मे होटल की शानदार ब्यवस्था है रुकने के लिये..

Highlight

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के प्रत्येक शनिवार को लगता है लोहन्दी महावीर का मेला।मिर्ज़ापुर की स्थानीय नदियों में एक, लोहंदी...
26/08/2023

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के प्रत्येक शनिवार को लगता है लोहन्दी महावीर का मेला।

मिर्ज़ापुर की स्थानीय नदियों में एक, लोहंदी नदी के तट पर स्थित है हनुमानजी का प्राचीन मंदिर जिसे हम सब लोहन्दी महावीर के नाम से जानते हैं।

पुराणों में यह क्षेत्र लोमस ऋषि की तपोभूमि के रूप में जाना जाता है।
मानस कथा के सुप्रसिद्ध विद्वान पंडित रामगुलाम द्विवेदी ने भी इसी मंदिर में कठिन साधना करके भगवान लोहंदी महावीर से आशीर्वाद प्राप्त किया था।

यहां पर लगने वाला मेला मंदिर की तरह ही प्राचीन है। यहां पर ग्रामीण जनता अधिक एकत्र होती है।

उत्तर प्रदेश विंध्य धाम तीर्थ विकास परिषद की एक अच्छी पहल....बधाई और शुभकामनाएं 🌺🌺🌺
05/07/2023

उत्तर प्रदेश विंध्य धाम तीर्थ विकास परिषद की एक अच्छी पहल....
बधाई और शुभकामनाएं 🌺🌺🌺

रात में जंगल में झींगुर का तेज शोर सुनाई पड़ता है असल में वह शोर झींगुर का नहीं बल्कि रेवा नाम के जीव का होता है।लगभग एक...
26/05/2023

रात में जंगल में झींगुर का तेज शोर सुनाई पड़ता है असल में वह शोर झींगुर का नहीं बल्कि रेवा नाम के जीव का होता है।
लगभग एक इंच साइज का यह जीव अकेला ही बहुत ज्यादा शोर पैदा करने में सक्षम है।

बहुत कम लोग जानते हैं कि रेवा शोर तभी करता है जब उसकी मौत आ जाती है तस्वीर में दिख रहा यह जीव रेवा है जो कि मर चुका है।

नमस्कार!
26/05/2023

नमस्कार!

यह चैनल विंध्य क्षेत्र मिर्जापुर सोनभद्र एवं चंदौली के छुपे हुए प्राकृतिक खजानों, विंध्य क्षेत्र की संस्कृति, परंपराओं ए...
20/05/2023

यह चैनल विंध्य क्षेत्र मिर्जापुर सोनभद्र एवं चंदौली के छुपे हुए प्राकृतिक खजानों, विंध्य क्षेत्र की संस्कृति, परंपराओं एवं पर्यटन से जुड़ी हुई दुर्लभ और अद्भुत जानकारियां प्रसारित करने के उद्देश्य से स्थापित है।

मिर्ज़ापुर, सोनभद्र एवं चंदौली विंध्य क्षेत्र के अद्भुत शहर हैं जहाँ रहस्यमई किले, प्राकृतिक जलप्रपात, वन्य जीव अभ्यारण्य, प्रागैतिहासिक केव पेंटिंग्स, विश्व की प्राचीन आदिवासी संस्कृति, कजरी लोक गायन शैली, रोमन स्थापत्य कला में रचा बसा नगर, खूबसूरत नक्काशी वाले गंगा घाट, छोटे बड़े ढेर सारे बांध, 6 से भी अधिक स्थानीय पहाड़ी नदियां, दर्जनों प्राचीन मंदिर, आधा दर्जन से अधिक पारंपरिक उद्योग तथा पर्यटन से जुड़े हुए सैकड़ों स्थलों से भरा हुआ है।

चैनल को अधिक से अधिक सब्सक्राइब करके हमारी टीम का मनोबल बढ़ाएं....

यह चैनल विंध्य क्षेत्र मिर्जापुर सोनभद्र एवं चंदौली के छुपे हुए प्राकृतिक खजानों, विंध्य क्षेत्र की संस्कृति, पर.....

10/11/2022

भारतवर्ष में मिर्ज़ापुर जनपद के अलावा कौन सा जिला है जहां से भारत की सभी दिशाओं एवं राज्यों में जाने का सीधा मार्ग उपलब्ध है
नीचे कमेंट करके बताएं

शिवगढ़ का गहरवार राजवंश कन्तित-विजयपुर के 10वें राजा शक्ति सिंह (1681-1701 ई.) के द्वितीय पुत्र राजकुमार बाबू रतन सिंह श...
08/11/2022

शिवगढ़ का गहरवार राजवंश

कन्तित-विजयपुर के 10वें राजा शक्ति सिंह (1681-1701 ई.) के द्वितीय पुत्र राजकुमार बाबू रतन सिंह शिवगढ़ के इलाक़ेदार हुए। महाराजकुमार बाबू रतन सिंह के पश्चात् क्रमशः महाराजकुमार बाबू क्षत्रपति सिंह, महाराजकुमार बाबू दशपति सिंह एवं महाराजकुमार बाबू भवानी सिंह शिवगढ़ के इलाक़ेदार हुए। महाराजकुमार बाबू भवानी सिंह के एक पुत्र महाराजकुमार बाबू बख़्तावर सिंह एवं एक पुत्री राजकुमारी भवनाथ कुँवरि थीं, जिनका विवाह देवगढ़ के चन्देल इलाक़ेदार महाराजकुमार बाबू वेणीमाधवप्रसाद सिंह के साथ 1798 ई. में सम्पन्न हुआ था।

महाराजकुमार बाबू बख़्तावर सिंह के दो पुत्र बाबू लालबहादुर सिंह तथा बाबू दानबहादुर सिंह थे। ज्येष्ठ पुत्र शिवगढ़ के तथा कनिष्ठ पुत्र सगबना के इलाक़ेदार हुए। बाबू लालबहादुर सिंह के पुत्र बाबू तेगबहादुर सिंह थे। बाबू तेगबहादुर सिंह के तीन पुत्र बाबू रघुराजबहादुर सिंह, बाबू महारिजबहादुर सिंह तथा बाबू शिवराजबहादुर सिंह थे। महाराजकुमार बाबू शिवराजबहादुर सिंह महा प्रतापी, देवीभक्त, ऐतिह्यविद्, प्रातिभ कवि एवं निष्ठावान् पुरुष थे। बाबू शिवराजबहादुर सिंह के पुत्र बाबू राजेन्द्रबहादुर सिंह हुए।

सौजन्य :
चित्र ― Dr. Dhananjay Singh Ji
जानकारी – Dr. Jitendra Kumar Singh Ji

भारत या पूरी दुनिया की प्रत्येक संस्कृति में विभिन्न प्रकार के रीति रिवाज और परंपराएं होते हैं जिसके साथ कुछ लोग कथाएं भ...
02/07/2022

भारत या पूरी दुनिया की प्रत्येक संस्कृति में विभिन्न प्रकार के रीति रिवाज और परंपराएं होते हैं जिसके साथ कुछ लोग कथाएं भी जुड़ी होती हैं। यह असल में जीवन शैली के इतिहास को प्रदर्शित करती हैं।
हमारे मिर्ज़ापुर का नगरीय क्षेत्र यद्यपि बहुत बाद में विकसित हुआ लेकिन हमारा यह वन क्षेत्र अत्यधिक प्राचीन है।
आज का सोनभद्र कभी मिर्ज़ापुर का ही अंग था, सांस्कृतिक आध्यात्मिक और ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर वह हमसे आज भी जुड़ा हुआ है।
हमारा यह क्षेत्र प्रायः कोल बैगा गोंड जैसी एक दर्जन से अधिक आदिम जातियों की मूल स्थान है। ऐसे में हमारे ग्रामीण परिवेश ओं में विभिन्न प्रकार की रीति रिवाज और परंपराएं व्याप्त है।

हम इस पेज के जरिए जुड़े हुए तमाम साथियों से आग्रह करना चाहते हैं कि अपने क्षेत्र मैं यदि आप इस तरह की किसी भी परंपरा रीति रिवाज अथवा रिचुअल के विषय में जानते हैं तो हमें उसकी सूचना अवश्य दें।
इन जानकारियों के जरिए हम सभी प्रयास करेंगे कि मिर्ज़ापुर के सांस्कृतिक विकास की यात्रा को संरक्षित करने की दिशा में कार्य किया जा सके।

धन्यवाद।

16/06/2022

26/05/2022

प्यारे साथियों इस पेज पर एडमिन के रूप में मैं हमेशा से अकेला ही रहा मैंने साथियों की भी तलाश की लेकिन असफल रहा
इस पेज पर आपका साथ देने के लिए आप सभी को हृदय से धन्यवाद जल्दी ही हम नई अलौकिक और गूढ़ सूचनाओं के साथ फिर से उपलब्ध होंगे

Beauty of Alopi Dari, Umariya Ayodhya Prasad.
11/07/2021

Beauty of Alopi Dari, Umariya Ayodhya Prasad.

मिर्ज़ापुर-सोनभद्र की महान विभूति――•――•――•――•――•――•― डॉ. अर्जुनदास केसरी...डॉ. अर्जुनदास केसरी का जन्म 1939 में भारत के उ...
20/04/2021

मिर्ज़ापुर-सोनभद्र की महान विभूति
――•――•――•――•――•――•―

डॉ. अर्जुनदास केसरी...

डॉ. अर्जुनदास केसरी का जन्म 1939 में भारत के उत्तर प्रदेश के भवानी गाँव में हुआ था। वह एक शिक्षक परिवार से हैं। उनका जीवन संघर्ष से भरा था जहां वे अभावों के कारण न केवल गरीब जीवन के साथ बल्कि बेहतर शिक्षा और भोजन के लिए लड़ रहे थे। इन परिस्थितियों में डॉ. केसरी अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम थे और सभी प्रयासों के साथ उन्होंने न केवल अपने अस्तित्व के लिए, बल्कि समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों के लिए भी संघर्ष किया। अपने शोध और उच्च शिक्षा के पहले दिन से, उन्होंने आदिवासी संस्कृति, लोक कला, लोकगीत, आदिवासी गायन, नृत्य और उनकी जीवन शैली का अध्ययन करना शुरू कर दिया। न केवल इन पहलुओं पर बल्कि कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को भी उन्होंने अपने शैक्षिक, शिक्षण और अनुसंधान यात्रा के दौरान कवर किया।

डॉ. केसरी 48 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। उनकी अधिकांश पुस्तकों के विषय सामाजिक मुद्दों, आदिवासी संस्कृति, शिक्षा, पर्यावरण, लोकगीत और लोक साहित्य पर आधारित हैं। उनके कई शीर्षकों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है, जिनमें लोरिकायन, लोरिकायन एक-अधययन, मध्यभारत के लोकनाट्य, लोकवार्ता निबन्धावली, आदिवासी जीवन, लोकनाट मंच की पीठिका और कई अन्य शामिल हैं। ये पुस्तकें विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी हैं क्योंकि इन पुस्तकों की सिफारिश सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों जैसे BHU (वाराणसी), इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इलाहाबाद), JNU (नई दिल्ली), पूर्वांचल विश्वविद्यालय (U.P.) में संदर्भ पुस्तक के रूप में की जाती है।

डॉ. केसरी लोकवार्ता शोहद संस्थान के संस्थापक और सचिव हैं, जो मुख्य रूप से लोक संस्कृति साहित्य के विकास और विकास का उद्देश्य है। लोकवार्ता शोधन संस्थान अनुसंधान विद्वानों / पाठकों / शिक्षकों के लिए एक स्थान है जहाँ वे बिना कोई पैसा खर्च किए फलदायी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। डॉ. केसरी स्कूल में शिक्षक के रूप में और लोकवार्ता शोहद संस्थान के अनुसंधान विद्वानों के रूप में सेवारत हैं।

डॉ. केसरी को केंद्र और राज्य सरकार के संस्थानों से भी कई प्रस्ताव मिले। उन्होंने NCZCC, इलाहाबाद में 3 वर्ष से अधिक समय तक सर्वेक्षण अधिकारी के रूप में कार्य किया। वह 4 साल के लिए भारत सरकार के वरिष्ठ राष्ट्रीय साथी और विशेषज्ञ भी थे। वह राज्य शिक्षा संस्थान के विशेषज्ञ थे और अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन में अध्यक्ष के रूप में भी कार्य करते थे। समाज, साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए, डॉ केसरी को राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जैसे कि-
पंडित दीनदयाल उपाध्याय सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा लोकभूषण सम्मान, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार और अनगिनत पुरस्कार उन्हें राज्य सरकारों, संगठनों, विश्वविद्यालयों और व्यक्तित्वों द्वारा प्रदान किए गए हैं।

Address

Mirzapur
231001

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when मिर्ज़ापुर posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to मिर्ज़ापुर:

Videos

Share

Nearby travel agencies


Other Mirzapur travel agencies

Show All

You may also like