02/08/2024
मानें या ना मानें ये महादेव का ही प्रकोप था...
श्रीखंड महादेव चोटी के पास से निकलने वाली तीन खड्ड... स्मेज, कुर्पन और गानवी सहित श्रीखंड चोटी के साथ कार्तिक पर्वत के पीछे से निकलने वाला मलाणा नाला... इन चारों ने ही जो 31 जुलाई की रात तबाही मचाई वो समझ पाना बेहद मुश्किल हैं।
श्रीखंड महादेव तक जाने वाले दोनों मुख्य रास्ते जाओं/ बागीपुल और गानवी/ फांचा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।।
31 जुलाई 2024 की मध्यरात्रि को श्रीखंड महादेव की चोटी से पर प्रलय की बारिश हुई, जिसका परिणाम ये हुआ कि 1 अगस्त की सुबह श्रीखंड महादेव से निकलने वाली हर जलधारा अपना तांडव रूप मचा चुकी थी। जिसमें अनेकों लोग हताहत हुए।।
महादेव सभी की रक्षा करें।।
परंतु ये भी समझना होगा कि ये पहाड़ जंगल व्यक्तिगत आनंद का जरिया नहीं हैं।। इनकी मर्यादाएं हैं, इनकी एक सीमाएं हैं। हिमालय की श्रीखंड महादेव जैसी अनेकों धार्मिक यात्राओं को लोगों ने घूमने का स्थान बना दिया है। ये धार्मिक यात्राएं व्यतिगत घूमने की नही बल्कि आध्यात्मिक शांति का प्रतीक हैं। प्रकृति अर्थात साक्षात देवी मां पार्वती, जिनका हर वर्ष दोहन हो रहा है।। फिर वो सतलुज ब्यास की धाराओं सहित हिमालय क्षेत्र की प्रत्येक छोटी बड़ी धाराओं का द्रौपदी चीरहरण की तरह अंधाधुंध दोहन हो या असीमित विकास के नाम पर पहाड़ों का कटान।
जिस प्रकृति को देवी मां का स्थान प्रदान किया गया था, आज उसका नाश करने पर हमलोग आमादा है।
ये तो तय ही है कि जब प्रकृति अर्थात शक्ति पर आघात हुआ है तो महादेव का त्रिनेत्र खुलता ही हैं।।
इस भीषण आपदा का प्रमाण तो इस वर्ष की श्रीखंड महादेव यात्रा में अंधाधुंध भीड दे रही थी। यात्रा के नाम पर मनोरंजन और फूहड़ता का प्रत्यक्ष प्रमाण आज महादेव दे रहे हैं।।
सभी को जरूर सोचना होगा।
महादेव रक्षा करें