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भारतीय सेना के मददगार 🇮🇳किसी व्यक्ति ने अपने परिवार के साथ एक हफ्ते के लिए लद्दाख की यात्रा की थी। उनके स्थानीय ड्राइवर ...
05/10/2024

भारतीय सेना के मददगार 🇮🇳किसी व्यक्ति ने अपने परिवार के साथ एक हफ्ते के लिए लद्दाख की यात्रा की थी। उनके स्थानीय ड्राइवर का नाम जिग्मेत था, जो 28 साल का एक युवक था। जिग्मेत के परिवार में उसके माता-पिता, पत्नी और दो छोटी बेटियाँ शामिल हैं।

यात्रा के दौरान हिमालय की गहराइयों में जिग्मेत से यह बातचीत हुई:

प्रशांत -: "इस हफ्ते के अंत में लद्दाख में पर्यटक सीजन खत्म हो जाएगा। क्या तुम गोवा जाने की योजना बना रहे हो, जैसे होटल्स के नेपाली कामगार करते हैं?"

जिग्मेत -: "नहीं, मैं स्थानीय लद्दाखी हूँ, इसलिए सर्दियों में कहीं नहीं जाऊँगा।"

प्रशांत -: "सर्दियों में क्या काम करोगे?"

जिग्मेत -: "कुछ नहीं, घर पर शांति से बैठा रहूँगा।" (हंसते हुए और आँख मारते हुए)

प्रशांत -: "छह महीने तक, अगले अप्रैल तक?"

जिग्मेत -: "मेरे पास एक विकल्प है। मैं सियाचिन जा सकता हूँ।"

प्रशांत -: "सियाचिन? वहाँ क्या करोगे?"

जिग्मेत -: "भारतीय सेना के लिए लोडर का काम।"

प्रशांत -: "तुम्हारा मतलब है कि तुम भारतीय सेना में जवान के रूप में शामिल हो जाओगे?"

जिग्मेत -: "नहीं, मैं सेना में शामिल होने की आयु सीमा पार कर चुका हूँ। यह भारतीय सेना के लिए अनुबंधित नौकरी है। मैं और मेरे कुछ दोस्त, जो ड्राइवर हैं, 265 किलोमीटर की यात्रा कर सियाचिन बेस कैंप तक जाएंगे। वहाँ हमारा चिकित्सा परीक्षण होगा कि क्या हम इस नौकरी के लिए फिट हैं। अगर हम फिट घोषित होते हैं, तो सेना हमें यूनिफॉर्म, जूते, गर्म कपड़े, हेलमेट आदि प्रदान करेगी। हमें पहाड़ों पर 15 दिन चलकर सियाचिन पहुंचना होगा। वहाँ मोटर से पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। हम वहाँ तीन महीने काम करेंगे।"

प्रशांत -: "कौन सा काम करोगे?"

जिग्मेत -: "लोडर का काम। सियाचिन में एक चौकी से दूसरी चौकी तक पीठ पर सामान ले जाना। सारी आपूर्ति एयरड्रॉप की जाती है, और हम उसे उठाकर चौकियों तक पहुँचाते हैं।"

प्रशांत -: "सेना म्यूल्स या वाहनों का उपयोग क्यों नहीं करती?"

जिग्मेत -: "सियाचिन एक ग्लेशियर है। वहाँ ट्रक या अन्य वाहन काम नहीं करते। आइस स्कूटर बहुत ज्यादा शोर करते हैं, जिससे दुश्मन का ध्यान आकर्षित हो सकता है। वाहन का उपयोग करने पर दूसरी तरफ से गोलीबारी हो सकती है। हम आधी रात में, सामान्यतः 2 बजे, चुपचाप बाहर निकलते हैं और सामान उठाकर वापस बैरक में लाते हैं। हम टॉर्च का भी उपयोग नहीं कर सकते। म्यूल्स या घोड़ों का उपयोग नहीं कर सकते क्योंकि 18,875 फीट की ऊँचाई पर, सर्दियों में -50 डिग्री के तापमान में कोई जानवर जीवित नहीं रह सकता।"

प्रशांत -: "तुम इतनी ऊँचाई पर, जहाँ ऑक्सीजन की कमी होती है, पीठ पर सामान कैसे उठा पाते हो?"

जिग्मेत -: "हम अधिकतम 15 किलो वजन उठाते हैं और एक दिन में अधिकतम 2 घंटे काम करते हैं। बाकी समय आराम करते हैं।"

प्रशांत -: "यह तो बहुत जोखिम भरा है!"

जिग्मेत -: "मेरे कई दोस्त वहाँ मारे गए। कुछ असीम गहरी दरारों में गिर गए। कुछ को दुश्मन की गोलियों ने मार डाला। सियाचिन में सबसे बड़ा खतरा फ्रॉस्टबाइट का है, लेकिन यह काम फायदेमंद है। हमें 18,000 रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाता है। सभी खर्चे पूरे होने के कारण, हम तीन महीनों में लगभग 50,000 रुपये बचा सकते हैं। यह पैसा मेरे परिवार, मेरी बेटियों की शिक्षा के लिए अनमोल है। और अंत में, मुझे यह महसूस होता है कि मैं भारतीय सेना की सेवा कर रहा हूँ, यानी अपने देश की सेवा कर रहा हूँ।"

यह बातचीत हमारी ज़िंदगी और पैसों की कीमत को समझने में मदद करती है। अपने बच्चों के साथ इस कहानी को ज़रूर साझा करें, ताकि वे मेहनत से कमाए हुए पैसे की अहमियत को समझ सकें।

साभार

04/10/2024

बीज..बीज..बीज..बीज ही बीज...
जो भाई जलेबी की फैक्ट्री डालने की सोच रहे हैं उनके लिए सुनहरा मौका है।
आपकी फैक्ट्री के लिए एक्सपोर्ट क्वालिटी का आर्गेनिक जलेबी का बीज मंगवा लिया गया है.. थोड़ा महंगा है (इटली से जो इंपोर्ट किया है)
मूल्य:- ढाई हजार पांच सौ रुपए/मीटर
सिलेंडर में पेट्रोल भरवाने के बाद फैक्ट्री में काम की शुरुआत हो जाएगी।
बीज की सप्लाई आनलाईन ही उपलब्ध है। अपने आर्डर जल्दी बुक करवा लें। जीएसटी और पिछत्तीस रुपए भेजने का अलग चार्ज रहेगा।
(प्रो० # बालकबुद्धि)
😄😂🤣

दीमक से छुटकारा पाने का उपाय (देश की नही) लकड़ी का..नमी और सीलन के कारण पनपने वाली दीमक यानी टर्माइट से छुटकारा पाना एक ...
02/10/2024

दीमक से छुटकारा पाने का उपाय (देश की नही) लकड़ी का..

नमी और सीलन के कारण पनपने वाली दीमक यानी टर्माइट से छुटकारा पाना एक मुश्किल काम है, क्योंकि ये आसानी से पीछा नहीं छोड़ती है। इसके लिए अधिकांश लोगों को महंगे टर्माइट ट्रीटमेंट का सहारा ही लेना पड़ता है। हालांकि अगर दीमक शुरुआती स्तर पर ही है तो आप कुछ कारगर घरेलू उपाय अपनाकर भी इससे छुटकारा पा सकते हैं। क्या हैं ये बजट और ईको फ्रेंडली तरीके, आइए जानते

लहसुन और नीम का स्प्रे

लहसुन और नीम दोनों ही दीमक के दुश्मन हैं। आप इन दमदार चीजों को मिलाकर आसानी से घर में ही दीमक दूर करने का स्प्रे बना सकते हैं। इसके लिए आप लहसुन की 10 से 12 कलियों को छील लें। अब नीम की कुछ पत्तियां लें। दोनों को मिलाकर पीसें और बारीक पेस्ट तैयार कर लें। इस पेस्ट को दो कप पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो गैस बंद कर दें। पानी को ठंडा होने पर स्प्रे बोतल में भर लें। तैयार है दीमक भगाने वाला स्प्रे। घर में जहां भी दीमक लगी है, वहां आप इस होममेड हर्बल स्प्रे का छिड़काव करें। दीमक अपने आप दूर हो जाएगी।

सिरके और लौंग का स्प्रे

दीमक से छुटकारा पाने के लिए आप सफेद सिरके और लौंग के तेल का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए 1 कप पानी में आधा कप सफेद सिरका मिलाएं। अब इसमें लौंग के तेल की 10 से 15 बूंदें डालें। आप चाहें तो इसमें दो टीस्पून नीम आयल भी डाल सकते हैं। अब इस मिश्रण में 1 टीस्पून लिक्विड सोप डालें। इन सभी चीजों को एक स्प्रे बोतल में डालकर अच्छे से मिक्स करें और दीमक लगी जगहों पर स्प्रे करें। सप्ताह में कम से कम दो से तीन बार इसे स्प्रे करें। कुछ ही दिनों में दीमक का नामोनिशान खत्म हो जाएगा।

बोरिक एसिड और नमक का स्प्रे

बोरिक एसिड से आप दीमक दूर करने का बजट फ्रेंडली और असरदार स्प्रे मिनटों में बना सकते हैं। इसके लिए 2 से 3 टीस्पून बोरिक एसिड को एक कप पानी में मिला दें। इसमें 1 टीस्पून नमक और लिक्विड साबुन भी मिलाएं। इस मिश्रण को एक स्प्रे बोतल में भरकर मिक्स करें। तैयार है आपका स्प्रे। इसे आप दीमक पर आसानी से अप्लाई करें। इस स्प्रे को ​आप हर दूसरे दिन प्रभावित जगहों पर डालें। आपको जल्द ही रिजल्ट नजर आएंगे।

नींबू और सिरके से बनाएं स्प्रे

नींबू और सिरके, दोनों की तेज गंध दीमक के लिए आफत से कम नहीं है। बस पांच मिनट में आप यह असरदार स्प्रे बना सकते हैं। इसके लिए आप दो नींबू का रस लें। अब इसमें आधा कप सफेद सिरका मिला लें। इस मिश्रण को छानकर एक स्प्रे बोतल में भरें और अच्छे से मिक्स कर लें। तैयार है दीमक का खात्मा करने का स्प्रे। आप इसे दीमक लगी खिड़की, दरवाजों, दीवारों और फर्नीचर पर स्प्रे करें। दीमक आसानी से दूर हो जाएगी।

शहरों में फल और सलाद भी फैशनेबल हो गए हैं। केला....No way कोई केला कैसे खा सकता है। इतना मीठा, इतना पल्पी awww और कीमत द...
01/10/2024

शहरों में फल और सलाद भी फैशनेबल हो गए हैं। केला....No way कोई केला कैसे खा सकता है। इतना मीठा, इतना पल्पी awww और कीमत देखो 50 के 6 , भला फल जैसी कोई चीज इतनी सस्ती कैसे हो सकती है। और वो आम ...लंगड़ा लूला। गंवारों का फल...हम तो अल्फांसो खाते हैं 1200 के दर्जन।

और उसको देखा है कैसे चूसने वाला आम खा रहा था। सारा रस हाथों पर था, how disgusting. नाशपती से ज्यादा नासपीटे कुछ हो सकते हैं क्या? फल हैं स्ट्राबेरी...एप्रीकॉट....प्लम... pear, नाम में ही अमीरी है। Avakado होता है एक्जोटिक फल, खीरा कौन खाता है भाई, zucini खाओ..!!

पपीता भी जब तक पपाया न हो स्वाद नहीं आता। तरबूज को खाने वाले क्या जाने water melon का स्वाद....musk melon के seeds पिल करके खाने को कहां मिलते हैं गरीबों को। फालसे को ब्लू बेरी से तुलना करने वालों को फांसी हो जानी चाहिए। और यह सेब.... गंदा, रसीला aww !! एप्पल खाया करो washington वाला। हर मौसम में अवेलेबल !! हमेशा 250 रुपये किलो...अब एप्पल भला कैसे 80 का किलो मिल सकता है....

सलाद में पता गोभी कौन डालता है भाई?? उसमे डलती है अंग्रेजी पता गोभी Letiuce... टमाटर भला खाने के चीज है क्या? अरे टमाटर के भ्रूण बोले तो चेरी टोमैटो खाते हैं आजकल लोग। प्याज लहसुन, अरे न बाबा.. किसी के साथ बैठ भी न सकें। और जो लोग मूली खाते हैं कसम से उनका आधार कार्ड ही कैंसल होना चाहिए। और सर्दियों में गाजर कौन सलाद में रखता है, हम तो कैरेट भरी गर्मी में खाते हैं जब 200 की किलो मिले। सस्ता पसंद ही नहीं कुछ।

हम गरीब हैं , हमे फलों की तमीज नहीं...हमने कभी guava जूस नही पिया, हमने पेड़ पर चढ़कर अमरूद "चुराए" हैं। हमने रेहड़ी पर गाजर और मूली को चीरा लगा नींबू और मसाले के साथ मौज ली है। हमने पड़ोसी के घर से नारंगी चुरा कर खाई है। दरअसल हम गरीब है, हमे न्यूट्रिशन कहां है या किसमे है मालूम नहीं... हम फल खाते हैं, गाजर मूली खाते हैं, खीरे ककड़ी यूं ही पेड से तोड़कर निबटा डालते हैं। Zomato से 400 रुपए का 250 ग्राम "salad" हमे नसीब नहीं...

कल घर पर यह थैला देखा ... कसम से आंसू निकल आए बालकों की तरक्की देख कर 🤣🤣 zomato से सलाद आएगा। फ्रिज में रखे खीरे फल खराब हो जाएं उनको हाथ नहीं लगाना...

और लिखा 2014 ऐसे हैं जैसे 100 पुराने हल्दीराम 😆😆 साभार: ललित शर्मा जी

30/09/2024

India gate masti

Watch video on YouTube . इंडिया गेट दिल्ली में स्थित एक महत्वपूर्ण स्मारक है, जो भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों ...
30/09/2024

Watch video on YouTube . इंडिया गेट दिल्ली में स्थित एक महत्वपूर्ण स्मारक है, जो भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों की याद में बनाया गया था। गणतंत्र दिवस पर परेड आयोजित की जाती है।

इंडिया गेट दिल्ली का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है जहां रोज हजारों पर्यटक देश विदेश से घूमने आते है, शनिवार, रविवार और छुट्टी के दिन यहां लोगो का हुजूम उमड़ता है। इंडिया गेट, दिल्ली का निर्माण ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रथम विश्व युद्ध 1914-1918 और 1919 में तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में शहीद हुए 80 हजार भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने लिए बनाया गया था। इंडिया गेट की आधारशिला 10 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट द्वारा रखी गई थी। इंडिया गेट का निर्माणकाल 10 वर्ष में पूरा हुआ। इसका उद्घाटन 12 फ़रवरी, 1931 को वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था। इंडिया गेट की ऊंचाई लगभग 42 मीटर है। इंडिया गेट की दीवारों पर उन भारतीय सैनिकों के नाम लिखे हैं, जिन्होंने अफ़ग़ान युद्ध और प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए थे। जय हिंद🇮🇳

31 अक्टूबर।☠️🤖🥳 चालीस से अधिक देशों में मनाया जाने वाला Halloween Festival हमारा श्राद्ध पर्व ही है…..इस विशेष पर्व पर अ...
30/09/2024

31 अक्टूबर।☠️🤖🥳 चालीस से अधिक देशों में मनाया जाने वाला Halloween Festival हमारा श्राद्ध पर्व ही है…..
इस विशेष पर्व पर अमेरिका के प्रत्येक घर के बाहर एक भूत नुमा आकृति सजाकर बैठायी जाती है, मोमबत्ती जलायी जाती है, नाना प्रकार के व्यंजन खासकर कद्दू (Pumpkeen) परोसे जाते हैं। लोग उन्हें गाड़ियों में अपने साथ बैठाकर, मार्केट-रेस्टोरेंट-पार्क आदि स्थानों पर घूमने ले जाते हैं। Halloween को अपने साथ पाकर लोग अपार खुशी, सौभाग्य और संरक्षित महसूस करते हैं। अमेरिका में प्रत्येक 31 अक्टूबर को सामूहिक Halloween Day मनाया जाता है, और सार्वजनिक अवकाश रहता है।

क्या ये पर्व भूत आने की खुशी मनाया जाती है, नहीं। यह अपने श्राद्ध पर्व जैसा ही है। हम इन दोनों पर्वों की तुलना करेंगे तो लगेगा अरे हाँ, यह Halloween Festival अलग कुछ नहीं, हमारे द्वारा मनाया जाने वाले श्राद्ध पक्ष का ही अनुसरण है। हम पन्द्रह दिनों तक पितृ पर्व मनाते हैं। मान्यता है कि इन दिनों हमारे पूर्वज हमें आशीर्वाद देने हेतु धरा-धाम पर आते हैं। हम उनकी खूब आवभगत करते हैं, ब्राह्मण के रूप में उन्हें भोजन करवाते हैं, वस्त्र प्रदान करते हैं, चरण छू कर आशीर्वाद लेते हैं। सिर्फ मानव श्रेष्ठ ब्राह्मण ही नहीं, सांकेतिक रूप से संपूर्ण सृष्टि यानि कौवा भोजन, गौ ग्रास, सूर्य अर्घ्य, जल तर्पण कर उनका वंदन करते हैं। श्राद्ध पक्ष में चूँकि पूर्वज धरा पर आये होते हैं तो उनको और सिर्फ उनको ही महत्व देने हेतु घर में अन्य कोई उत्सव-अनुष्ठान नहीं करते। हम सात्विक, साधक, त्यागी और धार्मिक मनोभाव से रहते हैं। और फिर विदेशी Halloween Day यानि हमारे महालया के दिन पितृ तर्पण, जौ, आटा पिण्ड दान, मुंडन, भोजन, वस्त्रादि भेंट कर उन्हें विदाई देते हैं। यह है सनातन द्वारा चलायी गयी सनातन परम्पराएँ।

अभी पितृ पक्ष यानि श्राद्ध पर्व चल रहा है। जिनका खून आपकी शिराओं में दौड़ रहा है वे स्वयं धरा पर आए हैं। उनका आशीर्वाद हमें अप्रत्याशित सफलता, ख़ुशी और धन्यता प्रदान करता है। यथा संभव उनका सत्कार करें। सनातन द्वारा प्रतिपादित भारतीय परंपराओं को समझें, सीखें और विवेकपूर्ण तरीक़े से इनका अक्षरशः पालन करें। आज विश्व के चालीस से अधिक देशों में Halloween Festival मनाया जाने लगा है। श्राद्ध पर्व यानि श्रद्धा का पर्व।

चलते चलते थक गए, थोड़ा आराम करते है। इंडिया गेट, दिल्ली। रविवार की शाम
29/09/2024

चलते चलते थक गए, थोड़ा आराम करते है। इंडिया गेट, दिल्ली। रविवार की शाम

29/09/2024
जब भारत ने अरिहंत पनडुब्बी बनाई थी तो दुनिया का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया था क्योंकि यह भारत की पहली परमाणु बै...
29/09/2024

जब भारत ने अरिहंत पनडुब्बी बनाई थी तो दुनिया का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया था क्योंकि यह भारत की पहली परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी थी। परमाणु पनडुब्बियों की खासियत यह होती है कि यह न्यूक्लियर रिएक्टर द्वारा अपना फ्यूल खुद पैदा करती है और इन्हें बार-बार फ्यूल लेने के लिए बाहर नहीं आना पड़ता और यह महीनों तक पानी के अंदर विचरण कर सकती है जिसके कारण इनकी पोजीशन का दुश्मन देश को पता ही नहीं चलता।

फिर भारत ने बनाई आईएनएस अरिघाट जो कि अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बी का उन्नत संस्करण है। यह विशाखापत्तनम में शिप बिल्डिंग सेंटर में परमाणु पनडुब्बी बनाने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी पोत (एटीवी) परियोजना के तहत भारत द्वारा बनाई गई दूसरी परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है और इसका कोड नाम S3 है।

इसके अवतरण के बाद दुनिया के कान खड़े हो गए। रूस अमेरिका फ्रांस जर्मनी जैसे देशों को समझ लगनी शुरू हो गई कि अब भारत उनका ग्राहक नहीं रहा।
लेकिन जिस तेजी से भारत ने अपनी तीसरी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी जो की अरिघाट का भी बाप है और जिसको अगले 6 महीनो में लॉन्च करने की योजना बनाई है उससे दुनिया की सभी महाशक्तियों को पसीना आना शुरू हो गया है जिसके दो कारण है:
1. यह पनडुब्बी परमाणु हथियारों से लैस होकर समुद्र के अंदर ही अंदर किसी भी देश की सीमा के पास पहुंचकर परमाणु मिसाइल (ब्रह्मोस) को लांच कर सकती है जिसे रोक पाना किसी भी देश के लिए असंभव है और परमाणु बम कितनी तबाही मचाएगा उस विषय पर ज्यादा डिटेल में जाने की जरूरत नहीं है।
2. दूसरा भारत जितनी तेजी से परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है उससे बड़े से बड़ा ताकतवर देश भी भारत की ताकत के आगे आने वाले समय में बेबस और नतमस्तक हो जाएगा।

यहां यह बताना जरूरी समझता हूं कि जहां एक और भारत कभी जर्मनी, कभी फ्रांस और कभी रूस के आगे हाथ जोड़कर एयर प्रोपल्शन वाली पनडुब्बियों के लिए याचक बनकर हाथ जोड़ रहा है वहीं भारत स्वयं परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बीयों का तेजी से निर्माण कर रहा है।

जल्द ही भारत एयर प्रोपल्शन वाली पनडुब्बियों के निर्माण की तकनीक का भी स्वयं ही विकास कर लेगा।

क्रेडिट: chandra mohan ji

जय हो🥰❤️।                                    Ten Unknown Facts About   👍🌹❤️1. Founding and History: BMW, Bayerische Moto...
29/09/2024

जय हो🥰❤️। Ten Unknown Facts About 👍🌹❤️

1. Founding and History: BMW, Bayerische Motoren Werke AG, was founded in 1916 in Munich, Germany, initially producing aircraft engines. The company transitioned to motorcycle production in the 1920s and eventually to automobiles in the 1930s.

2. Iconic Logo: The BMW logo, often referred to as the "roundel," consists of a black ring intersecting with four quadrants of blue and white. It represents the company's origins in aviation, with the blue and white symbolizing a spinning propeller against a clear blue sky.

3. Innovation in Technology: BMW is renowned for its innovations in automotive technology. It introduced the world's first electric car, the BMW i3, in 2013, and has been a leader in developing advanced driving assistance systems (ADAS) and hybrid powertrains.

4. Performance and Motorsport Heritage: BMW has a strong heritage in motorsport, particularly in touring car and Formula 1 racing. The brand's M division produces high-performance variants of their regular models, known for their precision engineering and exhilarating driving dynamics.

5. Global Presence: BMW is a global automotive Company

6. Luxury and Design: BMW is synonymous with luxury and distinctive design, crafting vehicles that blend elegance with cutting-edge technology and comfort.

7. Sustainable Practices: BMW has committed to sustainability, incorporating eco-friendly materials and manufacturing processes into its vehicles, as well as advancing electric vehicle technology with models like the BMW i4 and iX.

8. Global Manufacturing: BMW operates numerous production facilities worldwide, including in Germany, the United States, China, and other countries, ensuring a global reach and localized production.

9. Brand Portfolio: In addition to its renowned BMW brand, the company also owns MINI and Rolls-Royce, catering to a diverse range of automotive tastes and luxury segments.

10. Cultural Impact: BMW's vehicles often become cultural icons, featured in fi

28/09/2024

ज़्यादा बोलने या अपने इरादों को जाहिर करने से लोग आपके खिलाफ षड्यंत्र कर सकते हैं, इसलिए उन्हें सिर्फ़ परिणामों के रूप में अपने कार्य दिखाएं।

श्राद्ध,,एक मित्र कह रहे थे कि श्राद्ध में कौवे को खीर इसलिए खिलाई जाती है क्यूंकि यह उनका प्रजनन काल है,, वे पुष्ट हो स...
25/09/2024

श्राद्ध,,

एक मित्र कह रहे थे कि श्राद्ध में कौवे को खीर इसलिए खिलाई जाती है क्यूंकि यह उनका प्रजनन काल है,, वे पुष्ट हो सकें,,कोई प्रश्न उठाये कि कौवे को खीर क्यों खिलाते हैं तो उसमें इतना रक्षात्मक होने की क्या आन पड़ी है,, अरे खिलाते हैं, हमारी खीर हमारा कोवा हमारे पूर्वज तुम्हें क्या? दूसरी बात ये की अगर कोई सनातन परम्परा चली आ रही है तो जवाब संस्कृत में ही मिलेगा,,जैसे तोते की आयु लगभग 125 साल होती है,, #मुसोलिनी ने जो तोता पाला था द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले वो अभी एक दो साल पहले मरा है, पर्याप्त खबरों में रही उसकी मृत्यु,,
तो बात बस इतनी है की संस्कृत में #चिरंजीवी कौवे को कहते हैं,,पक्षीयों में अकेला कौवा है जिसकी आयु हजार साल है,, चिर काल तक जीने वाला, चिरंजीवी,,
इसलिए बालकों को आशीर्वाद देते हैं तो कहते हैं चिरंजीवी भव,,इसका ये अर्थ नहीं की कौवे बन जाओ, इसका अर्थ है की खूब जिओ,,
जैसे अर्जुन को भीष्म जी कहते थे कि आओ #वत्स,, इसका मतलब ये नहीं कि अर्जुन का नाम वत्स है या बालकों को वत्स कहते हैं,, इसका अर्थ इतना मात्र है कि संस्कृत में वत्स कहते हैं गाय के #बछड़े को, बछड़े जितना प्यारा और नटखट जो हो वो वत्स, अरे आइयो मेरे बछड़े,, बस इतना ही,
जैसे संस्कृत में पक्षी को कहते हैं #शकुनी,, यानी इधर से उधर इस डाल से उस डाल घूमने वाला,, तो दुर्योधन के मामा को भीष्म जी शकुनी कहते थे कि इधर उधर घूमता रहता है, बाद में सब कहने लगे,, शकुनी मनुष्य का नाम नहीं,पक्षी को कहते हैं,,

तो कौवा प्रतीक मात्र है पूर्वजों के चिरंजीवी होने का यानी वे #शाश्वत हैं,, वे चिरकाल तक हमारा आतीथ्य स्वीकार करें और देंखे की उनके आशीर्वाद से हम #खीर पूड़ी हलवा खा रहे हैं यानी सुखी स्मृद्ध हैं,,

दूसरी बात ये की हरेक पूर्वज पितर नहीं बनता,, जिनके पुण्य अतिशय हैं, जिन्होंने #यज्ञ किए हैं,,दान किए हैं, कुएं बावड़ियाँ बनवाई हैं,, हजारों लाखों #गौपालन और रक्षण किया है, वेद विद्या ग्रहण की और आगे की पीढ़ियों में पहुंचाई है, जो सिद्ध हुए हैं अपने तप से, ऋषि हुए हैं, महापुरुष हुए हैं,, तपस्वी हुए है, आचार्य हुए हैं, बलिदानी हुए है,, उन्हें उनके पुण्यो के कारण दिव्य शरीर मिलता है और वे पितर होते हैं,,
हम सौभाग्यशाली हैं जो पितर पूज पा रहे हैं,, क्यूंकि हम ऐसे महान वंश में हैं जिनमें हजारों हजारों लोग अपने तप से अपने #ज्ञान से अपनी पुण्याई से पितर हुए हैं,,

विरोध करते हैं न जो श्राद्ध आदि का, हंसी उड़ाते हैं इस परम्परा या व्यवस्था की, वो सिर्फ इसलिए की उनके कुल वंश में #चप्पल जूते चुराने वाले हुए होंगे,, मुगलो को अपनी बेटियां भेजने वाले हुए होंगे,, अंग्रेजो के साथ मिलकर क्रन्तिकारी बन्धुओ को मारते होंगे या अन्य जघन्य अपराध किए होंगे उनके पुरखों ने, तो उन्हें पक्का विश्वास हो गया है की लोग पितर नहीं बनते, भूत प्रेत बनते हैं, नरक में वास करते हैं, पुनः पुनः कुत्ता बिल्ली कीड़ा मकोड़ा बनकर जन्मते मरते हैं, जब नाली में पड़ा #कीड़ा घर के बाहर ही बिलबिला रहा है तो क्यों बाहर ढूंढ़ने जाना, पक्का पता है की अपना ही दादा नाना या दादी नानी है,,

पितर होने के लिए पुण्यो की पर्वत जैसी ऊंचाई चाहिए, #फटीचरगिरी से पितर नहीं #तीतर बनते हैं,,

इसलिए सदैव धूमधाम से श्राद्ध पक्ष मनाइये,, गर्व कीजिए की ऐसे कुल वंश के आप पुत्र पुत्रीयां या बहु बेटे हैं जिनके पूर्वज पुण्यो से दिव्य शरीर प्राप्त करके पितर रूप में आकाश में जगमग कर रहे हैं,, इन पंद्रह दिन उन्हें खूब मान दान तर्पण दीजिए,,

ॐ श्री परमात्माने नम *सूर्यदेव*

25/09/2024

आज की कहानी उज्जैन के महाकाल मंदिर में काल भैरव को महाकाल का द्वारपाल कहा जाता है, और इसके पीछे एक पौराणिक और धार्मिक कथा जुड़ी हुई है।कथाओं के अनुसार, एक समय था जब ब्रह्मा जी ने अपनी सृष्टि रचना शक्ति पर घमंड करना शुरू कर दिया था। उनके इस अहंकार को समाप्त करने के लिए भगवान शिव ने काल भैरव का अवतार लिया। काल भैरव ने ब्रह्मा जी के पांचवें सिर को काट दिया, जिससे उनका अहंकार नष्ट हो गया। लेकिन इस कार्य के बाद काल भैरव को ब्रह्महत्या का दोष लगा। उस दोष से मुक्ति पाने के लिए काल भैरव को पूरे विश्व में भटकना पड़ा और अंततः उन्होंने उज्जैन में महाकाल के पास विश्राम किया।महाकाल भगवान शिव के एक रूप हैं और काल भैरव को उनका द्वारपाल कहा जाता है क्योंकि काल भैरव भगवान शिव के प्रिय हैं और उनकी रक्षा करते हैं। यह भी माना जाता है कि महाकाल के दर्शन करने से पहले काल भैरव की पूजा करने से ही महाकाल की कृपा प्राप्त होती है।काल भैरव को उज्जैन के महाकाल मंदिर के द्वारपाल के रूप में स्थापित किया गया है ताकि वे भक्तों की रक्षा करें और उन्हें भगवान महाकाल के दर्शन के योग्य बनाएं। यही कारण है कि काल भैरव को महाकाल का द्वारपाल कहा जाता है।

दादाजी : बेटा सारा दिन मोबाइल घोचता रहता है ,तू कभी बोर नहीं होता क्या? ऐसा क्या है इसमें ?पोता : अरे दादाजी इसमें बहुत ...
25/09/2024

दादाजी : बेटा सारा दिन मोबाइल घोचता रहता है ,तू कभी बोर नहीं होता क्या? ऐसा क्या है इसमें ?

पोता : अरे दादाजी इसमें बहुत कुछ है, आप एक काम करो,आप इसमें अपने पुराने मित्रों को ढूँढो।

दादाजी : अरे कैसे ढूँढे बेटा..? वो भी फोन पर...... मेरे सारे दोस्त मेरे साथ दसवीं तक पढ़े हैं, उन सबको मेरी याद होगी क्या ?
पोता : अरे, आप एक बार, ट्राय तो करो दादाजी।

और फिर 70 साल के दादा जी का फेसबुक अकाउँट बनाया गया।

आधे घंटे के भीतर, ध्यानो राम, चौण्डू राम और भंगिया राम इत्यादि इनकी फ्रेंड रिक्वेस्ट आ गई।

यह सब फ्रेण्ड रिक्वेस्ट देखते ही दादाजी की आँखें चमक उठीं.....
और वे पोते से बोले: "अरे, बेटा जरा देख तो.....
इसमें आशवा, ब्यासदेईया, कमलो और चन्द्रकान्तो और हेमवतीया! इनका कुछ पता लगता है क्या....??

पोता अभी तक मूर्छित अवस्था में है।🙄🙄🙄

मोरल: मोबाइल सबसे बुरी लत है। समझे? 🤣🤣🤣🤣🤣

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भारत मां ने एक ही परिवार में भाई और बहन को वर्ल्ड चैंपियन बनने का आशीर्वाद दिया। क्या ग़ज़ब की फ़ैमिली है! एक ही परिवार ...
24/09/2024

भारत मां ने एक ही परिवार में भाई और बहन को वर्ल्ड चैंपियन बनने का आशीर्वाद दिया। क्या ग़ज़ब की फ़ैमिली है! एक ही परिवार में शतरंज के दो दो वर्ल्ड चैंपियन। दोनों ने अभी चेस ओलिंपियाड में गोल्ड लिया है। बहन वैशाली बड़ी है। भाई प्रज्ञानंद छोटा है। मां नागालक्ष्मी के चेहरे पर गर्व देखिए। आम तौर पर जब दोनों विदेश दौरे पर होते हैं, तो माँ ही साथ होती हैं। प्रज्ञानंद और वैशाली को ऐतिहासिक जीत की बधाई दीजिए।

अमेरिकन ग्रैंड मास्टर हिकारी नाकामुरा ने ट्विट किया की यह वास्तव में अकल्पनीय है कि यह बच्चा एक ऐसे देश से आया, जहाँ कोई...
24/09/2024

अमेरिकन ग्रैंड मास्टर हिकारी नाकामुरा ने ट्विट किया की यह वास्तव में अकल्पनीय है कि यह बच्चा एक ऐसे देश से आया, जहाँ कोई शतरंज संस्कृति नहीं थी, और न केवल विश्व चैंपियन बना, बल्कि भारतीय बच्चों की पीढ़ियों को शतरंज को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। महान शख्सियत, विश्वनाथ आनंद को ! भारत को चेस ओलंपियाड जीतने के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!

विशी ने एकबार अश्विन के यूट्यूब चैनल पर ख़ुद बताया था कि वो कहीं यात्रा पर थे तो एक अजनबी से मिले । उससे बात चीत होने लगी तो उसने पूछा कि आप क्या करते हैं? विशी ने बताया की वह चेस खेलते है?

उस आदमी ने कहा ,”इस उम्र में चेस खेल रहे ज़रूर आपके पिता कोई बड़ी कंपनी के मालिक होंगे।”

वीशी ने कहा कि नहीं चेस उनका फुल टाइम करियर है। फिर उसे आदमी ने वीशी को तरस खाते हुए देखा और कहा अगर तुम्हें विश्वनाथन आनंद के तरह चेस खेलने आता है तभी खेलो वरना कुछ दूसरा कर लो जीवन में ।

वीशी आज अपने जीवन के दूसरी पारी में अपने लहलहाते हुए फसल को देखकर कितने ख़ुश होते होंगे। प्रज्ञानंद , गुकेश जैसे ढेरो रत्न।

कल भारत चेस ओलंपियाड के पुरुष और स्त्री वर्ग दोनों का चैम्पियन बन गया है। यह कुछ ऐसा ही जैसे हम क्रिकेट में महिला पुरुष दोनों विश्वकप जीत जाये।
पर इसका मीडिया में कोई कवरेज नहीं है। दुर्भाग्य है कि इससे १०० गुना ज़्यादा कवरेज मीडिया ने खाप गोल्ड मेडलिस्ट के स्वागत यात्रा को दिया था। ेरिकन ग्रैंड मास्टर हिकारी नाकामुरा ने ट्विट किया की यह वास्तव में अकल्पनीय है कि यह बच्चा एक ऐसे देश से आया, जहाँ कोई शतरंज संस्कृति नहीं थी, और न केवल विश्व चैंपियन बना, बल्कि भारतीय बच्चों की पीढ़ियों को शतरंज को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। महान शख्सियत, विश्वनाथ आनंद को ! भारत को चेस ओलंपियाड जीतने के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!

विशी ने एकबार अश्विन के यूट्यूब चैनल पर ख़ुद बताया था कि वो कहीं यात्रा पर थे तो एक अजनबी से मिले । उससे बात चीत होने लगी तो उसने पूछा कि आप क्या करते हैं? विशी ने बताया की वह चेस खेलते है?

उस आदमी ने कहा ,”इस उम्र में चेस खेल रहे ज़रूर आपके पिता कोई बड़ी कंपनी के मालिक होंगे।”

वीशी ने कहा कि नहीं चेस उनका फुल टाइम करियर है। फिर उसे आदमी ने वीशी को तरस खाते हुए देखा और कहा अगर तुम्हें विश्वनाथन आनंद के तरह चेस खेलने आता है तभी खेलो वरना कुछ दूसरा कर लो जीवन में ।

वीशी आज अपने जीवन के दूसरी पारी में अपने लहलहाते हुए फसल को देखकर कितने ख़ुश होते होंगे। प्रज्ञानंद , गुकेश जैसे ढेरो रत्न।

कल भारत चेस ओलंपियाड के पुरुष और स्त्री वर्ग दोनों का चैम्पियन बन गया है। यह कुछ ऐसा ही जैसे हम क्रिकेट में महिला पुरुष दोनों विश्वकप जीत जाये।
पर इसका मीडिया में कोई कवरेज नहीं है। दुर्भाग्य है कि इससे १०० गुना ज़्यादा कवरेज मीडिया ने खाप गोल्ड मेडलिस्ट के स्वागत यात्रा को दिया था।

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