Himalaya Pass

16/10/2024

ासू_देवता

22/01/2024

Shedkudiya Maharaj 🙏🙏🙏Nada
16/01/2024

Shedkudiya Maharaj 🙏🙏🙏

Nada

बाढ़ के बाद पंचवक्त्र महादेव जी का मन्दिर 🙏Pic 01:-
12/07/2023

बाढ़ के बाद पंचवक्त्र महादेव जी का मन्दिर 🙏

Pic 01:-

11/07/2023

the cult of hills The foundation date of the Panhvaktra templ is still unknown. As per the historical facts, the temple was restored under the reign of Sidh Sen's kingship (1684-1727) as it was damaged due to floods. Main porch or Mandap of the temple is supported by 4 minutely carved pillars.

Panchvaktra temple is a supreme shrine dedicated to Lord Shiv. The temple is built in the typical Shikhara architecture style which looks astounding. Temple got its name from the five faced statue image of Lord Shiva, out of which only three can be seen when viewed from the front.

It is one of the protected monuments which comes under the Archaeological Survey of India and has been declared a national site. Inside the Panchvaktra temple, there is a huge statue of Lord Shiv. The statue has five faces which depict about the different character of Lord Shiv- Aghora, Ishana, Tat Purusha, Vaamdeva and Rudra. Aghora is the destructive nature, Ishana is omnipresent and omnipotent, Tat Purusha is his ego, Vaamdeva is the female facet and Rudra is his creative and destructive aspect. Panchvaktra is defined as the union of all these.

Flood_cliip:-

11/07/2023

जय केदार बाबा 🙏🙏🙏

The Majestic Tso-moriri Lake💙June'23
03/07/2023

The Majestic Tso-moriri Lake💙
June'23

_देहरादून के बारे में कुछ जानकारियांयह शहर 1611ई में 3005 रुपये कीमत में बिका था,1674  से पहले देहरादून का नाम पृथ्वीपुर...
17/06/2023

_देहरादून के बारे में कुछ जानकारियां

यह शहर 1611ई में 3005 रुपये कीमत में बिका था,

1674 से पहले देहरादून का नाम पृथ्वीपुर था,

1676 में मुगल सम्राट औरंगजेब ने देहरादून क्षेत्र गुरु रामराय को उपहार में दे दिया था,

1757 में नजीबुदौला ने टिहरी नरेश को हराकर हासिल किया,

1803 में गोरखाओं ने देहरादून पर कब्जा किया,

1804 14 मई को खुड़बुड़ा देहरादून में गोरखा सेना लड़ते हुए गढवाल नरेश प्रद्युम्न शाह वीरगति को प्राप्त हुए थे,

1811 में टिहरी नरेश सुदर्शन शाह ने कैप्टेन हरसी यंग को देहरादून हस्तगत किया,

1814 में कैप्टन हरसी ने देहरादून को मात्र ₹100 मासिक लीज़ पर ईस्ट इंडिया कम्पनी को दे दिया,

1815 में अंग्रेजों ने गोरखाओं को भगाकर देहरादून हथिया लिया,

1823 में पलटन बाजार बना, इसके दोनों तरफ पलटन रहती थी,

1840 में यहां चीन से लाया गया लीची का पौधा लगाया गया,

1842 में यहाँ अफगान शासक अमीर दोस्त द्वारा अफगानिस्तान से लायी बासमती बोई गयी,

1842 में दून में डाक सेवा शुरू हुई,

1854 में यहां मिशन स्कूल खोला गया,

1857 में डा. जानसन द्वारा चाय का बाग लगाया गया,

1863 में दून स्थित शिवाजी धर्मशाला में पहली बार रामलीला का विराट मंचन किया गया,

1867 में यहां नगर पालिका बनी,

1868 में यहां चकराता बना,

1873 में सहारनपुर रोड़ एवं*1892ई* में रायपुर रोड बनी,

1871 में देहरादून जिला बना,

1889 में नाला पानी से दून को जलापूर्ति हुई,

1901 में दून रेल सेवा आरंम्भ हुई,

1902 में महादेवी पाठशाला और *1904ई* में डीएवी कालेज आरंम्भ हुए,

1916 में यहाँ विद्युत आपूर्ति शुरू हुई,

1918 में यहाँ ओलम्पिया और ओरएन्ट सिनेमा घर खुले,

1920 में लोगों ने यहाँ पहली बार कार देखी,

1930 में देहरादून में मसूरी मोटर मार्ग बना,

1939 तक दून में केवल दो ही कारें थी,

1944 में लाला मंशाराम नें 58 बीघा जमीन में कनाट-प्लेस बनवाया,

1947 में यहाँ जातीय उपद्रव हुआ,

1948 में यहां प्रेमनगर और क्लेमनटाउन सिटी बस सेवा शुरू हुई,

1948 से 1953 तक आनंदसिंह ने यहां अपने पिता बलबीर सिंह की याद में घण्टाघर बनाया,

1978 में यहाँ वायु सेवा शुरू हुई,

1985 में यहाँ पहला विक्रम आया UGY - 229 नम्बर था

मित्रों देहरादून के सम्बन्ध मे छोटी सी जानकारी आपको शेयर कर रहा हूँ। आशा है आपको पसंद आयेगी।

16/06/2023

Please Dont Come To Ladakh If Such Stupidity Is Your Intent...!!!

One Month Old Video

(Video is just for reminding)

श्री केदारनाथ आपदा की 10वी बरसी पर असमय काल कलवित हुए,बाबा केदार के सभी भक्तो को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।🌹🌹🌹🌹🌹ॐ शांति शां...
16/06/2023

श्री केदारनाथ आपदा की 10वी बरसी पर असमय काल कलवित हुए,बाबा केदार के सभी भक्तो को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।🌹🌹🌹🌹🌹
ॐ शांति शांति शांति 🌹🌹🌹🌹🙏

23/05/2023

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