Valley fog. From Munsyari to Pithoragarh in UK
माता पार्वती ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को विवाह हेतु प्रसन्न किया और भगवान शिव ने माता पार्वती के प्रस्ताव को स्वीकार किया। माना जाता है शिव-पार्वती का विवाह इसी मंदिर में सम्पन्न हुआ था। भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भ्राता होने का कर्तव्य निभाते हुए उनका विवाह संपन्न करवाया। ब्रह्मा जी इस विवाह में पुरोहित थे। इस मंदिर के सामने अग्निकुंड के ही फेरे लेकर शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। उस अग्निकुंड में आज भी लौ जलती रहती है। यह लौ शिव-पार्वती विवाह की प्रतीक मानी जाती है, इसलिए इस मंदिर को अखंड धूनी मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर के पास ही तीन कुण्ड भी है।
ब्रह्माकुण्ड:- इस कुण्ड में ब्रह्मा जी ने विवाह से पूर्व स्नान किया था व स्नान करने के पश्चात विवाह में प्रस्तुत हुए।
विष्णुकुण्ड:- विवाह से पूर्व विष्णु जी ने इस कुण्ड में स्नान किया था।
रुद्रकुण्ड:- विवाह म
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☘️🔱 ᴏᴍ ɴᴀᴍᴀʜ ꜱʜɪᴠᴀya 🪔🧘
सुनी पड़ गई केदारपुरी भक्तों के बिना
आज बाबा केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद केदारबाबा की पंचमुखी चल बिग्रह उत्सव देव डोली आज अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान कर रही है
धनतेरस की रात्रि को निकली प्रसिद्ध हरियाली कांठा यात्रा, हजारों भक्तों ने लिया भाग,
हरियाल पर्वत में पूजा-अर्चना के बाद यात्रा ने किया जसोली के लिए प्रस्थान,
सिद्धपीठ हरियाली देवी की डोली यात्रा ने मंगलवार शाम हरियाल पर्वत के लिए प्रस्थान किया। इस दौरान जसोली स्थित मंदिर में पूजा अर्चना की गई, जबकि देवी के पश्वा ने अवतरित होकर भक्तों को आशीर्वाद दिया। आज हरियाल पर्वत से डोली यात्रा पूजा-अर्चना के बाद वापस जसोली लौटी।
हरियाली देवी को विष्णुशक्ति, योगमाया, महालक्ष्मी का रूप माना जाता है। इस देवी की क्रियाएं सात्विक रूप में पालन की जाती हैं। यात्रा करने से सात दिन पूर्व तामसिक भोजन मीट-मांस, मदिरा, प्याज, लहसून का त्याग करना जरूरी होता है। यह विश्व की एक ऐसी यात्रा है, जो रात के समय की जाती है और इस यात्रा में हजारों की संख्या में भक्त भाग लेते हैं।
परम्परा का निर्वहन : केदारनाथ कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू , शीतकाल में छः माह के लिये केदारपुरी के रक्षपाल बाबा भकुंड भैरव के कपाट हुए बन्द
पंच केदारों में चतुर्थ केदार श्री रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए पूर्ण विधि विधान से आज बंद कर दिए गए हैं। कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर में पुजारी श्री वेदप्रकाश भट्ट ने भगवान रुद्रनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की। जिसके पश्चात पौराणिक परंपराओं के अनुसार मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। जिसके बाद श्री रुद्रनाथ जी ने डोली ने सैकड़ों भक्तों के साथ अपने शीतकालीन पूजा स्थल गोपीनाथ मंदिर के लिए प्रस्थान किया।
जय धारी माँ, नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां धारी देवी जी के प्रातः काल लाइव दर्शन