26/08/2022
मैंने अपनी ज़िंदगी का लगभग हिस्सा मुस्लिम बहुल इलाक़े में ही गुज़ारा हैं।
इन तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों में मुसलमानों को खुब मनमानी करते देखा,
करप्शन करते देखा,
मस्जिद मदरसों की कमेटी के लिए गुटबंदी करते देखा,
गुटबंदी ऐसी कि लाठी तलवार चलते देखा,
आपस में खूब झूटे मुकदमें करते देखा,
फ्लैटों और प्लॉटों पर कब्ज़ा करते देखा,
रास्ते और सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा करते देखा,
दुकानदारों से रंगदारी मांगते देखा,
गंदगी और कुड़े का अंबार देखा,
एक मस्जिद में दो गुटों का दो बार जुमे का नमाज़ देखा,
चंदे का कारोबार देखा,
लोगों को सुद का कारोबार करते देखा,
नशे में डुबे बच्चों और युवाओं का भविष्य देखा
लेकिन काउंसलर चुप,
विधायक चुप,
इमाम चुप,
एनजीओ चुप,
अख़बार वाले चुप,
अख़बार और चैनल में काम करने वाले चुप,
जमाती चुप ,
तब्लीग़ी चुप,
अपनी कियादत वाले चुप,
उसकी कियादत वाले चुप,
मज़ार वाले चुप,
हदीस वाले चुप,
क़ुरान वाले चुप,
फातिहा वाले चुप,
चिल्ला वाले चुप,
पैसे वाले चुप,
डॉ चुप,
प्रोफेसर चुप,
बिल्डर चुप,
डीलर चुप,
एक्टीविस्ट चुप ,
नमाज़ी चुप,
हाजी चुप,
सबके सब चुप।
#कारण_सिर्फ़
मामलात न बिगड़ जाए,
रिश्ते न बिगड़ जाएं,
कारोबार पर असर न पड़ जाए ,
विधायक न नाराज़ हो जाए ,
काउंसलर न ग़ुस्सा हो जाए ,
गुंडा बदमाश न पीछे पड़ जाए ,
दोस्ती न टुट जाए ,
रिश्तेदारी न बिगड़ जाए,
डील न टुट जाए,
कॉन्ट्रैक्ट न ख़त्म हो जाए,
मंथली न रूक जाए ,
नौकरी न छुट जाए।
बगैरह बगैरह।
यानी सिर्फ़ अपने ज़ाती फायदे के लिए सब के सब चुप हैं जबकि अल्लाह के नबी का फ़रमान हैं
कि तू रोक अगर ताक़त है,
तू बोल अगर मुंह में ज़ुबान है
या तू दिल में मान कि ग़लत ग़लत है ।
#लेकिन_यही_मुस्लिम_समाज_चाहत_ है
कि केजरीवाल बोले,
राहुल बोले,
ममता बोले,
अखिलेश बोले,
लालू बोले ,
नीतीश बोले ।
मेरे भाई जिस तरह आप अपने चंद फायदों के लिए अपने समाज में हो रहे ज़ुल्म पर चुप रहते हैं,
तमाशाबीन रहते हैं
वैसे ही यह भी अपने फायदे के लिए चुप रहते हैं।
आपको क्या लगता है कि आपके पांच सीट के लिए कोई 65 सीटों की कुर्बानी दे दे ?
जिस तरह आप चुप हैं वैसे ही यह भी चुप रहेंगे।
याद रखें।
बैलेंस करना सिर्फ़ आप ही नहीं जानते,
नेता भी जानते हैं।
दुनियादारी सिर्फ़ आप नहीं जानते,
नेता भी जानते हैं।
आप दुनियादारी छोड़ दें,
आप बोलना शुरू करें
फिर देखें मुर्दा भी बोल उठेगा