Born_to_travel

Born_to_travel ᴛʀᴀᴠᴇʟʟᴇʀ ʙʏ ᴘᴀꜱꜱɪᴏɴ 🌆ᴘʜᴏᴛᴏɢʀᴀᴘʜᴇʀ ʙʏ ʜᴏʙʙʏ📸
𝐋𝐨𝐯𝐞 𝐭𝐨 𝐭𝐫𝐚𝐯𝐞𝐥 𝐚𝐧𝐝 𝐞𝐱𝐩𝐥𝐨𝐫𝐞
(3)

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं सभी साथियों को।जय श्री राम ❤️
12/11/2023

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं सभी साथियों को।

जय श्री राम ❤️




Born_to_travel
29/10/2023

Born_to_travel

एक प्यारा सा गांवसुकून और शांति के साथ ।     💙
15/10/2023

एक प्यारा सा गांव
सुकून और शांति के साथ ।



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आज की यात्रा 😎।आज कल टिहरी झील का जलस्तर भी फुल है जिसकी वजह से नजारा और भी बाडिया हो जाता है और आज कल मौसम भी साफ है तो...
06/10/2023

आज की यात्रा 😎।
आज कल टिहरी झील का जलस्तर भी फुल है
जिसकी वजह से नजारा और भी बाडिया हो जाता है और आज कल मौसम भी साफ है तो फोटो और भी शानदार आती हैं।
पेश हैं आज के कुछ छायाचित्र 📸

𝐋𝐨𝐯𝐞 𝐭𝐨 𝐭𝐫𝐚𝐯𝐞𝐥 𝐚𝐧𝐝 𝐞𝐱𝐩𝐥𝐨𝐫𝐞 💥






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ज्यादा जानकारी के लिए संपर्क करें।098974 95238
05/10/2023

ज्यादा जानकारी के लिए संपर्क करें।
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A home close to the natureकनातालFor more details 📞 098974 95238
01/10/2023

A home close to the nature

कनाताल

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 #चंबा एक खुबसूरत पर्यटन स्थल है जो की उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है जिसकी उचाई समुद्री तट से लगभग 1524 मी...
26/09/2023

#चंबा एक खुबसूरत पर्यटन स्थल है जो की उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है जिसकी उचाई समुद्री तट से लगभग 1524 मीटर की है। यह जगह अपने प्राकृतिक परिवेश और प्रदूषण रहित खूबसूरती क लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। देवदार और चीड़ के पेड़ों से घिरा हुआ, चंबा का अन्नवेषित इलाका प्रकृति प्रेमियों के लिए एक सपनों की दुनिया के सामान है।

क्या है चंबा के आस पास

यह हिल स्टेशन अपने सेब और खुबानी के बाग और साथ ही साथ बुरांश के फूलों के लिए माना जाता है। टिहरी बांध, सुरकंडा देवी मंदिर, कनाताल और ऋषिकेश की ओर बढ़ रहे पर्यटकों के लिए चंबा एक आदर्श ठहराव स्थल के रूप में कार्य करता है। गब्बर सिंह नेगी मेमोरियल और श्री बागेश्वर महादेव मंदिर कुछ ऐसी लोकप्रिय जगह हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।

चम्बा घूमने गए यात्रियों के लिए गब्बर सिंह नेगी के स्मारक काफी लोकप्रिय है। इसका निर्माण 1925 में ठाकुर गब्बर सिंह के सम्मान में बनाया किया गया था जिन्होंने सन 1913 में गढ़वाल राइफल्स में बंदूकधारी सैनिक के रूप में अपनी सेवाएँ दी थीं और साथ ही साथ प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी में अपनी बटालियन के साथ लड़े और युद्ध में विजय हासिल की। अपनी बहादुरी के लिए, उन्हे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, मरणोपरांत विजय क्रॉस के साथ सम्मानित किया गया। हर साल 21 अप्रैल को गढ़वाल रेजिमेंट इस महान योद्धा को अपनी श्रद्धांजलि देती है।

#कनाताल
वर्तमान में यह शांत हिल स्टेशन काफी प्रसिद्ध हो रहा है। kanatal दिल्ली से लगभग 300 किलोमीटर दूर है
Kanatal भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक छोटा और सुन्दर हिल स्टेशन है। उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित यह हिल स्टेशन, पवित्र शहर ऋषिकेश के पास स्थित है। समुद्र तल से 8500 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन,सुन्दर व शान्त हिमालय के पहाड़ों से घिरा हुवा है। दरसल कानाताल एक सुन्दर गांव है । यह शांत हिल स्टेशन मसूरी – चम्बा हाईवे पर स्थित है।

#टेहरी_लेक
एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झीलों में से एक, टिहरी झील ने भागीरथी नदी पर बने अपने विशाल बांध के लिए लोकप्रिय है । यहां गोवा जैसे सारी वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी हो जाती हैं ।

कैसे जाएं चंबा

यात्रि चंबा जाने के लिए वायु, रेल और सड़क मार्ग से पहुँच सकते हैं। देहरादून में जॉली ग्रांट सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। यह चंबा से 80 किमी की दूरी पर स्थित है और यहाँ से आप को दिल्ली के इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एअरपोर्ट के लिए नियमित उड़ानें मिल जाएँगी। यात्री जॉली ग्रांट से चंबा के लिए टैक्सी किराये पे ले सकते है।

ऋषिकेश रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो चंबा से लगभग 60 किमी की दूरी पर स्थित है। हिल स्टेशन पहुचने के लिए यात्री यहाँ से टैक्सी किराये पे ले सकते हैं। यहाँ से आप को निकट के शहरों के लिए बसें और टैक्सियां मिल जाएँगी। श्रीनगर, देहरादून, टिहरी, देवप्रयाग, उत्तरकाशी, मसूरी, और ऋषिकेश से आप को चंबा के लिए काफी बसें मिल जाएँगी।

चंबा का मौसम
सामान्य व सुहाना मौसम होने की वजह यहाँ साल भर सैलानियों को देखा जा सकता है। गर्मी के मौसम के दौरान अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जाता है, जबकि न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। जुलाई के महीने में इस क्षेत्र में मानसून के मौसम की शुरुआत हो जाती है। मानसून के दौरान चंबा में सामान्य से कम बारिश होती है। बारिश के मौसम के तुरंत बाद सर्दियों का मौसम लग जाता है जो कि नवंबर के महीने से शुरू होता है। इस दौरान न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जाता है।

नई टिहरी से दिखता हुआ पुरानी टिहरी ।टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के सबसे सुंदर जनपदों में से एक जनपद है। टिहरी ...
20/09/2023

नई टिहरी से दिखता हुआ पुरानी टिहरी ।
टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के सबसे सुंदर जनपदों में से एक जनपद है। टिहरी गढ़वाल जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता व साहसिक खेलों के लिए पूरे देश भर में प्रसिद्ध है। यह नगर उत्तराखंड की दो प्रसिद्ध नदियों के संगम पर बसा हुआ था। जो टिहरी बांध बन जाने के कारण 24 अक्टूबर 2005 को पूर्ण रूप से झील में विलीन हो गया था।

टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड ❤️

यदि आप सीमित बजट में हिल स्टेशन की सैर करना चाहते है। तो पैक कीजिए अपना सामान और आ जाईये चंबा (टिहरी) आमतौर पर चंबा का न...
17/09/2023

यदि आप सीमित बजट में हिल स्टेशन की सैर करना चाहते है। तो पैक कीजिए अपना सामान और आ जाईये चंबा (टिहरी) आमतौर पर चंबा का नाम आते ही लोगो के जहन में हिमाचल की ही तस्वीर उभर कर आती है लेकिन यदि आप उत्तराखंड आयें तो यहाँ के चंबा के दर्शन कर सकते है
इस चंबा की खूबसूरती देखते ही बनती है । देवदार और बुरांश के जंगलो के बीच चंबा प्रकृति प्रेमिओं के लिए स्वर्ग से कम नही।
कयोंकि हिमालय के सभी शिखरों के द्श्यों को चंबा के आस-पास से आप आसानी से देख सकते हैं।
चंबा मौसमी फलों के लिए भी मशहूर है क्योंकि यहाँ का एक इलाका फल पट्टी के रूप में जाना जाता है जिसे हम कनाताल कहते हैं।
टिहरी झील बनने से भी इुस क्षेत्र का आकर्षण कुछ ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि
टिहरी झील यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है टिहरी झील में आप गोवा जैसी सभी वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी कर सकते हैं वो भी गोवा से बिलकुल आधे दामों में ।
चंबा की सबसे बड़ी खासियत है कि मसूरी और टिहरी जैसे हिल स्टेशनों के करीब होते हुए भी इस छोटी से शांत कस्बे ने अपने ग्रामीण परिवेश को आज भी संजोये रखा है यही वजह है कि जब सैलानी यहाँ पहुंचे हैं तो उन्हें शहर के कोलाहल से कुछ समय के लिए शांति और सुकुन मिलते हैं चंबा उन जगहों में से है जहा आप आसानी से कुछ दिन बिता सकते हैं सूर्यास्त का नजारा भी यहाँ विस्यकारी है चंबा और इसके आस-पास देखने के लिए भी कई जगह हैं।
तो आइए और आनंद दीजिए स्वर्ग से सुंदर चंबा का।
हमारा होमस्टे और कॉटेज दोनो ही चम्बा के पास में हैं ।
होमस्टे चंबा से न्यू टिहरी वाले रास्ते में है जो की चंबा से 6 km की दूरी पर है और वहां से पूरा चंबा व्यू और सुरकंडा देवी पर्वत रेंज बहुत अच्छी तरह दिखती है ।
और कॉटेज मैन कानाताल में हैं जो चंबा से 7 km की दूरी पर है यहां से हिमालयन पर्वत रेंज और सर्दियों में विंटर लाइन बहुत अच्छी तरह दिखती है ।
और हम Born_to_travel l कंपनी नाम से ट्रैवल tour भी आपके हिसाब से कस्टमाइज करवाता करवाते । जिसमे मैं आपके हिसाब से आइटनरी बना के पैकेज बनाते हैं 1 दिन 2 दिन 4 दिन जैसा आपके हिसाब से ठीक लगे ।
इसमें टिहरी लेक, धनौल्टी, कनाताल, सुरकांडा देवी , और भी लोकल साईट सीन सामिल हैं।
अगर कोई ग्रुप से आता है तो उनको हम अच्छा डिस्काउंट भी देते हैं ।
शर्त ये है उनको कुछ दिन पहले अपनी बुकिंग करवानी होगी ।
किसी को भी चम्बा, कनाताल के बारे में कोई जानकारी चाहिए तो बिल्कुल ले सकता है हम उनकी पूरी सहयता करेंगे ।

और जानकारी के लिए आप व्हाट्सएप या कॉल कर सकते हैं
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16/09/2023

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Tehri lake Tehri lake give you the full adventure water sports in Uttarakhand. Tehri lake offers a different type of adv...
14/09/2023

Tehri lake
Tehri lake give you the full adventure water sports in Uttarakhand. Tehri lake offers a different type of adventure programs water sports, Angling, Canoeing, Rowing, Boating, Water scooter, speed Boating, Rafting, Kayaking. Tehri is unique city which has something to offer for everyone.

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𝐓𝐎𝐔𝐑 𝐓𝐑𝐀𝐕𝐄𝐋 𝐀𝐃𝐕𝐄𝐍𝐓𝐔𝐑𝐄,






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हमारे यहां ( चम्बा,टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड ) से आज कल विंटर लाइन दिखना शुरू हो गई है और जैसे जैसे सर्दियों आयेंगे ये और ...
07/09/2023

हमारे यहां ( चम्बा,टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड ) से आज कल विंटर लाइन दिखना शुरू हो गई है और जैसे जैसे सर्दियों आयेंगे ये और भी लाल होती जायेगी ।
जिनको नही पता विंटर लाइन क्या होती है उनको उनको बता दूं विंटर लाइन के बारे में बताया जाता है कि यह रेखा धूल के कणों से बनती है, जो शाम के समय धूल के अधिक ऊपर उठने के कारण इस पर पड़ने वाली सूरज की किरणों से चमक उठती है. धूल के कण जितने अधिक होते हैं, विंटर लाइन उतनी ही अधिक गहरी बनती है. सूर्यदेव के छिपने के बाद आसमान में पहाड़ों में एक नारंगी और लाल लाइन बन जाती है. यही विंटर लाइन कहलाती है आमतौर पर मसूरी में अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में आसमान में एक अनोखा नजारा दिखाई देता है. आसमान में एक रंग उभरता है, मानो कुदरत अपना जादू बिखेर रही हो. लाल, नारंगी इस रंगीन रेखा को जो भी देखता है, बस देखता ही रह जाता है. इसे ही विंटर लाइन कहते हैं.
कहते हैं स्वीटजरलैंड और मसूरी ही ऐसी जगह हैं जहां विंटर लाइन ज्यादा स्पष्ट से दिखाई देती है मसूरी में तो हर साल 25 दिसंबर से 31 दिसंबर तक विंटर लाइन फेस्टिवल होता है । जिसमे दूर दूर से लोग देखने आते हैं।

 💙 डोबरा चांठी पुलटिहरी गढ़वाल उत्तराखंड
30/08/2023

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डोबरा चांठी पुल
टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड







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30/08/2023

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  Location - Dobra to lambgaon Road Tehri Garhwal Uttarakhand 💙
29/08/2023



Location - Dobra to lambgaon Road
Tehri Garhwal Uttarakhand

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14/08/2023

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        ❤️
04/08/2023






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Tehri lake ❤️
04/08/2023

Tehri lake ❤️

Some Portrait from my Home Garden 🏡 📸
27/07/2023

Some Portrait from my Home Garden 🏡 📸





क्या आपको पता है कनाताल को  #कनाताल। क्यों कहते हैं ?इसका नाम कानाताल एक झील के नाम पर पड़ा, लेकिन अब यह ताल सूख चुका है...
24/07/2023

क्या आपको पता है कनाताल को #कनाताल। क्यों कहते हैं ?

इसका नाम कानाताल एक झील के नाम पर पड़ा, लेकिन अब यह ताल सूख चुका है।कानाताल का मतलब होता है, “एक आंख वाली झील या ताल”।

वर्तमान में यह शांत हिल स्टेशन काफी प्रसिद्ध हो रहा है। kanatal दिल्ली से लगभग 300 किलोमीटर दूर है
Kanatal भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक छोटा और सुन्दर हिल स्टेशन है। उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित यह हिल स्टेशन, पवित्र शहर ऋषिकेश के पास स्थित है। समुद्र तल से 8500 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन,सुन्दर व शान्त हिमालय के पहाड़ों से घिरा हुवा है। दरसल कानाताल एक सुन्दर गांव है। यह शांत हिल स्टेशन मसूरी – चम्बा हाईवे पर स्थित है।

दो दिन पर्याप्त हैं कनाताल एक्सप्लोर करने के लिए ।

For more details - call व्हाट्सएप 9897495238
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टिहरी झीलउत्तराखंड केवल देवभूमि ही नहीं बल्कि प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर नदियों और पर्वतों की भूमि भी है | टिहरी शहर भा...
22/07/2023

टिहरी झील
उत्तराखंड केवल देवभूमि ही नहीं बल्कि प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर नदियों और पर्वतों की भूमि भी है | टिहरी शहर भागीरथी एवं भिलंगना नदियों के संगम (गणेश प्रयाग) पर बसा एक छोटा सा शहर था | विश्व के बड़े बांधों में शामिल टिहरी बाँध के निर्माण के फलस्वरूप टिहरी शहर पानी में डूब गया तथा टिहरी झील जिसे आज सुमन सागर के नाम से जाना जाता है, का निर्माण हुआ | टिहरी शहर को विस्थापित करके नई टिहरी शहर में बसाया गया है |
टिहरी बांध निर्माण योजना में राज्य सरकार (उत्तराखंड) ने टिहरी झील को एक साहसिक पर्यटन में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है। टिहरी झील में जेट स्कीइंग से हॉट एयर बैलून सवारी तक कई अलग-अलग और विविध गतिविधियां शामिल हैं।

साहसिक खेल के नाम पर राज्य के लोगों के पास सीमित विकल्प थे और लोग साहसिक गतिविधियों एवं रोमांच के लिए पर्यटन स्थलों की खोज में रहते थे किन्तु बदलते समय एवं भारत में साहसिक खेलों के उदय के साथ, उत्तराखंड सरकार ने प्रसिद्ध टिहरी झील को एक प्रमुख साहसिक पर्यटन स्थल में बदलने की योजना बनायी है।
टिहरी झील में साहसिक खेल एवं गतिविधियों की सूची –

नौका विहार
जेट स्पीड बोट सवारी
वाटर स्कीइंग
जोर्बिंग
बनाना वोट सवारी
बैंडवेगन वोट सवारी
हॉटडॉग सवारी
पैराग्लाइडिंग

टिहरी झील पर जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून के ग्रीष्मकालीन महीनों में है।

Enjoy  non-stop fun at the Tehri Lake with Tehri lake give you the full adventure water sports in Uttarakhand. Tehri lak...
14/07/2023

Enjoy non-stop fun at the Tehri Lake with

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𝐓𝐎𝐔𝐑,𝐓𝐑𝐀𝐕𝐄𝐋,𝐀𝐃𝐕𝐄𝐍𝐓𝐔𝐑𝐄, 𝐓𝐑𝐄𝐊𝐈𝐍𝐆, 𝐂𝐀𝐌𝐏𝐈𝐍𝐆 𝐁𝐄𝐒𝐓 𝐃𝐄𝐀𝐋




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Hometown ❤️
12/07/2023

Hometown ❤️

Never stop exploring.
11/07/2023

Never stop exploring.



08/07/2023



    💙     mountains                                  .
06/07/2023





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mountains .

घर ऐसी जगह हो 4 लोग कहें भाई तू तो स्वर्ग में रहता है 🤩
05/07/2023

घर ऐसी जगह हो
4 लोग कहें भाई तू तो स्वर्ग में रहता है 🤩




लफ्ज़ अलग हैं जज्बात वही हैं इश्क कहो या पहाड़ बात वही है ।                          ❤️
18/06/2023

लफ्ज़ अलग हैं जज्बात वही हैं
इश्क कहो या पहाड़ बात वही है ।








❤️

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07/06/2023




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 TEHRI GARHWALUTTARAKHAND𝙷𝚎𝚢 𝚃𝚛𝚊𝚟𝚎𝚕𝚎𝚛𝚜 🙌𝚝𝚑𝚎𝚛𝚎 𝚊𝚛𝚎 𝚕𝚘𝚝𝚜 𝚘𝚏 𝚘𝚏𝚏- 𝚛𝚘𝚞𝚝𝚎 𝚙𝚕𝚊𝚌𝚎𝚜 𝚒𝚗 𝚝𝚎𝚑𝚛𝚒 𝚐𝚊𝚛𝚑𝚠𝚊𝚕, 𝚒𝚏 𝚢𝚘𝚞 𝚊𝚛𝚎 𝚙𝚕𝚊𝚗𝚗𝚒𝚗𝚐 𝚊 𝚟𝚊𝚌𝚊...
03/06/2023


TEHRI GARHWAL
UTTARAKHAND
𝙷𝚎𝚢 𝚃𝚛𝚊𝚟𝚎𝚕𝚎𝚛𝚜 🙌
𝚝𝚑𝚎𝚛𝚎 𝚊𝚛𝚎 𝚕𝚘𝚝𝚜 𝚘𝚏 𝚘𝚏𝚏- 𝚛𝚘𝚞𝚝𝚎 𝚙𝚕𝚊𝚌𝚎𝚜 𝚒𝚗 𝚝𝚎𝚑𝚛𝚒 𝚐𝚊𝚛𝚑𝚠𝚊𝚕, 𝚒𝚏 𝚢𝚘𝚞 𝚊𝚛𝚎 𝚙𝚕𝚊𝚗𝚗𝚒𝚗𝚐 𝚊 𝚟𝚊𝚌𝚊𝚝𝚒𝚘𝚗 𝚔𝚒𝚗𝚍𝚕𝚢 𝚐𝚒𝚟𝚎 𝚞𝚜 𝚛𝚎𝚜𝚙𝚘𝚗𝚜𝚒𝚋𝚒𝚕𝚒𝚝𝚢 𝚘𝚏 𝚢𝚘𝚞𝚛 𝚌𝚘𝚖𝚏𝚘𝚛𝚝𝚊𝚋𝚕𝚎 𝚜𝚝𝚊𝚢 & 𝚑𝚢𝚐𝚒𝚎𝚗𝚒𝚌 𝚏𝚘𝚘𝚍, 𝚠𝚎 𝚠𝚒𝚕𝚕 𝚐𝚞𝚒𝚍𝚎 𝚢𝚘𝚞 𝚝𝚒𝚕𝚕 𝚝𝚑𝚎 𝚎𝚗𝚍 𝚘𝚏 𝚢𝚘𝚞𝚛 𝚓𝚘𝚞𝚛𝚗𝚎𝚢
𝚔𝚒𝚗𝚍𝚕𝚢 𝚝𝚛𝚞𝚜𝚝 𝚘𝚞𝚛 𝚜𝚎𝚛𝚟𝚒𝚌𝚎𝚜.

ᒪOᐯE TO TᖇᗩᐯEᒪ ᗩᑎᗪ E᙭ᑭᒪOᖇE 📸

𝐁𝐨𝐨𝐤 𝐲𝐨𝐮𝐫 𝐜𝐮𝐬𝐭𝐨𝐦𝐢𝐳𝐞𝐝 𝐭𝐫𝐢𝐩 𝐰𝐢𝐭𝐡 𝐮𝐬 𝐚𝐧𝐝 𝐠𝐞𝐭 𝐚𝐦𝐚𝐳𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐫𝐚𝐯𝐞𝐥 𝐯𝐢𝐛𝐞𝐬.
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𝐁𝐄𝐒𝐓 𝐃𝐄𝐀𝐋 𝐎𝐍 👉 𝐓𝐎𝐔𝐑, 𝐓𝐑𝐀𝐕𝐄𝐋, 𝐀𝐃𝐕𝐄𝐍𝐓𝐔𝐑𝐄, 𝐇𝐎𝐓𝐄𝐋𝐒, 𝐂𝐀𝐌𝐏𝐒𝐈𝐓𝐄, 𝐂𝐎𝐓𝐓𝐀𝐆𝐄𝐒 𝐀𝐍𝐃 𝐇𝐎𝐌𝐄𝐒𝐓𝐀𝐘 🏠

[ᴅᴍ ꜰᴏʀ ᴍᴏʀᴇ ᴛʀᴀᴠᴇʟ Qᴜᴇʀɪᴇꜱ]

📲 𝐂𝐚𝐥𝐥 - 𝟗𝟖𝟗𝟕𝟒𝟗𝟓𝟐𝟑𝟖 ☑️

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 Lakhamandal is an ancient Hindu temple complex, situated in the Jaunsar-Bawar region of Dehradun district in the state ...
28/03/2023


Lakhamandal is an ancient Hindu temple complex, situated in the Jaunsar-Bawar region of Dehradun district in the state of Uttarakhand. The temple is dedicated to lord Shiva

लाखा का मतलब है लाख और मंडल का अर्थ लिंग। महाभारत की एक अन्य कहानी के अनुसार जब पांडव महाभारत के युद्ध के बाद हिमालय आए तो उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। उन्होंने यहां पर एक लाख शिवलिंगों की स्थापना की थी। एक लाख शिवलिंगो के कारण इस जगह का नाम लाखामंडल रखा गया था।
लाखामंडल के भवानी पर्वत में कई रहस्यमयी गुफाएं हैं। मान्यताओं के अनुसार दुर्योधन ने पांडवों को मारने के लिए पुरोचन से लाक्षागृह का निर्माण करवाया था। इसके बाद विदुर ने एक खनिक को भेजकर एक सुरंग का निर्माण करवाया था। ये सुरंग एक गुफा की तरफ जाती थी और वहां पर से बाहर निकलने का रास्ता था। युद्धिष्ठर अपने चारों भाई और माता कुंति के साथ चित्रेश्वर नाम की गुफा से निकले थे। शिव मंदिर से 2 किमी की दूरी पर ही लाखामंडल गांव के निचले हिस्से में ये गांव मौजूद है।
मंदिर में मौजूद शिवलिंग द्वापर और त्रेता युग के हैं। जब भगवान राम ने धरती पर अवतार लिया था। इसके अलावा मंदिर के गर्भगृह में मौजूद पांव के निशान माता पार्वती के बताए जाते हैं।
यह मंदिर देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 128 किलोमीटर की दूरी पर बसे लाखामंडल नामक स्थान पर मौजूद है । मान्यता के अनुसार द्वापर युग में महाभारत काल के समय दुर्योधन ने पांडवों और उनकी माता कुंती को जीवित जला देने के लिए यहां एक लाशाग्रह का निर्माण किया था लेकिन पांडव इस लाशाग्रह से बच निकले थे । पांडव जिस गुफा से बचकर निकले थे वह ऐतिहासिक गुफा आज भी यहां मौजूद है ।
यहां पर पाए जाने वाले शिवलिंग की खासियत है कि हर शिवलिंग का रंग अलग-अलग है शिवलिंग हजारों साल पुराने हैं लेकिन इतने समय तक जमीन के नीचे दबे रहने के कारण भी इन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा । लाखामंडल में मौजूद शिवलिंग को महामंडलेश्वर के नाम से जाना जाता है इस मंदिर के आगमन में एक शिवलिंग है जिसके बारे में यह माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना अज्ञातवास में पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर ने की थी । यह शिवलिंग ग्रेफाइट का बना हुआ है और जब भी इस पर जल चढ़ाया जाता है यह चमकने लगता है इस दौरान इस शिवलिंग में आपका चेहरा बिल्कुल साफ दिखाई देगा ।
मंदिर के आंगन में इस शिवलिंग के सामने 2 द्वारपाल पश्चिम की ओर मुंह करकर खड़े हैं माना जाता है किसी भी मृत व्यक्ति को इनके सामने रख दिया जाता है । पुजारी द्वारा अभिमंत्रित जल छिड़कने पर वह फिर से जीवित हो जाता है जीवित होते ही वह देवों के देव महादेव को याद करता है और उनका नाम लेता है ‌। उसके बाद उसे पुजारी के हाथ से चावल, दूध और गंगाजल दिया जाता है गंगाजल ग्रहण करकर उसकी आत्मा फिर से शरीर त्याग कर चली जाती है इसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान सका ।



महासू देवता मंदिर-महासू देवता मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में त्यूनी-मोरी रोड के नजदीक व चकराता के पास हनोल गांव म...
12/03/2023

महासू देवता मंदिर-

महासू देवता मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में त्यूनी-मोरी रोड के नजदीक व चकराता के पास हनोल गांव में टोंस नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। यह मंदिर देहरादून से 190 किलोमीटर और मसूरी से 156 किलोमीटर दूर स्थित हैं।

महासू देवता मंदिर उत्तराखंड की प्रकृति की गोद में बसा एक पौराणिक व प्रसिद्ध मंदिर हैं। मान्यता है कि महासू देवता मंदिर में जो भी कोई भक्त सच्चे मन से कुछ भी मांगता है तो महासू देवता उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि यहां हर साल दिल्ली से राष्ट्रपति भवन की ओर से नमक भेंट किया जाता है। मिश्रित शैली की स्थापत्य कला को संजोए यह मंदिर बहुत प्राचीन व प्रसिद्ध हैं।

महासू देवता मंदिर में महासू देवता की पूजा की जाती हैं, जो कि शिवशंकर भगवान के अवतार माने जाते हैं। 'महासू देवता' एक नहीं चार देवताओं का सामूहिक नाम है और स्थानीय भाषा में महासू शब्द 'महाशिव' का अपभ्रंश है। चारों महासू भाइयों के नाम बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू है, जो कि भगवान शिव के ही रूप हैं।

महासू देवता के मंदिर के गर्भ गृह में भक्तों का जाना मना है। केवल मंदिर का पुजारी ही मंदिर में प्रवेश कर सकता है। यह बात आज भी रहस्य है। कि मंदिर में हमेशा एक अखंड ज्योति जलती रहती है जो कई वर्षों से जल रही है। मंदिर के गर्भ गृह में पानी की एक धारा भी निकलती है, लेकिन वह कहां जाती है, कहां से निकलती है यह अज्ञात है।

मंदिर में महासू देवता के नाम का भी गूढ़ अर्थ है। मान्यता है कि महासू का मतलब है- महाशिव, जो अपभ्रंश होकर महासू हो गया। उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी, संपूर्ण जौनसार-बावर क्षेत्र, रंवाई परगना के साथ साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, शिमला, बिशैहर और जुब्बल तक महासू देवता की पूजा होती है। उत्तराखंड के इन क्षेत्रों में महासू देवता को न्याय के देवता और मन्दिर को न्यायालय के रूप में माना जाता है। वर्तमान में महासू देवता के भक्त मन्दिर में न्याय की गुहार करते हैं और उसमें अर्जी लगाते है, जिससे उनको न्याय तुरन्त मिलता हैं।

महासू देवता की कहानी-

महासू देवता भगवान भोलेनाथ के रूप हैं। मान्यता भी है कि महासू ने किसी शर्त पर हनोल का यह मंदिर जीता था। महासू देवता जौनसार बावर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ईष्ट देव हैं। यह मंदिर 9वीं शताब्दी में बनाया गया था। वर्तमान में यह मंदिर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के संरक्षण में है।

किवदंती है कि महासू देवता का मंदिर जिस गांव में बना है उस गांव का नाम हुना भट्ट ब्राह्मण के नाम पर रखा गया है। इससे पहले यह जगह चकरपुर के रूप में जानी जाती थी। पांडव लाक्षा ग्रह( लाख का महल) से निकलकर यहां आए थे। हनोल का मंदिर लोगों के लिए तीर्थ स्थान के रूप में भी जाना जाता है।

महासू देवता से सम्बंधित कहानी के बारे में बहुत ही कम लोग जानते है। महासू देवता न्याय के देवता है, जो उत्तराखड के जौनसार-बावर क्षेत्र से सम्बन्ध रखते है। महासू देवता चार देव भ्राता है जिनके नाम इस प्रकार है।

1. बोठा महासू
2. पबासिक महासू
3. बसिक महासू
4. चालदा महासू

जनजाती क्षेत्र जौनसार - बावर के ग्राम हनोल स्थित तमसा ( टौंस ) नदी किनारे श्री महासू देवता का मंदिर वास्तुकला के नागर शैली में बना है। पौराणिक कथा के अनुसार किरमिक नामक राक्षस के आंतक से क्षेत्रवासीयो को छुटकारा दिलाने के लिए हुणाभाट नामक ब्राह्मण ने भगवान शिव और शक्ति की पूजा / तपस्या की।

भगवान शिव और शक्ति के प्रसन्न होने पर मैट्रेथ हनोल में चार भाई महासू की उत्पत्ति हुई और महासू देवता ने किरमिक राक्षस का वध कर क्षेत्रीय जनता को इस राक्षस के आंतक से मुक्ति दिलाई, तभी से लोगो ने महासू देवता को अपना कुल आराध्य देवता माना और पूजा अर्चना शुरू की। बोठा महासू , बाशिक, पवासी एवं चालदा चार महासू भाई है। बोठा महासू देवता का मुख्य मंदिर हनोल में है, बोठा महासू को न्याय का देवता कहा जाता है उनका निर्णय स्थानीय लोगो में सर्वमान्य होता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार महासू मंदिर हनोल में 9 वीं से 10 वीं शताब्दी का बताया गया है।

14/12/2022
𝐈𝐟 𝐲𝐨𝐮 𝐭𝐫𝐮𝐥𝐲 𝐥𝐨𝐯𝐞 𝐧𝐚𝐭𝐮𝐫𝐞𝐘𝐨𝐮 𝐰𝐢𝐥𝐥 𝐟𝐢𝐧𝐝 𝐛𝐞𝐚𝐮𝐭𝐲 𝐞𝐯𝐞𝐫𝐲𝐰𝐡𝐞𝐫𝐞ᒪᗝᐯᗴ 丅ᗝ 丅ᖇᗩᐯᗴᒪ ᗩᑎᗪ ᗴ᙭ᑭᒪᗝᖇᗴ 📸 A home Close to the nature          ...
20/11/2022

𝐈𝐟 𝐲𝐨𝐮 𝐭𝐫𝐮𝐥𝐲 𝐥𝐨𝐯𝐞 𝐧𝐚𝐭𝐮𝐫𝐞
𝐘𝐨𝐮 𝐰𝐢𝐥𝐥 𝐟𝐢𝐧𝐝 𝐛𝐞𝐚𝐮𝐭𝐲 𝐞𝐯𝐞𝐫𝐲𝐰𝐡𝐞𝐫𝐞

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A home Close to the nature





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04/09/2022

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सीधे पहाड़ से  ❤️                 ❤️
27/08/2022

सीधे पहाड़ से ❤️


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Bheem 🙏Somewhere on earthᒪOᐯE TO TᖇᗩᐯEᒪ ᗩᑎᗪ E᙭ᑭᒪOᖇE 📸
26/08/2022

Bheem 🙏
Somewhere on earth
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Dhari Devi Temple Uttarakhand माता धारी देवी का मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल में स्थित एक भव्य मंदिर है...
19/08/2022

Dhari Devi Temple Uttarakhand

माता धारी देवी का मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल में स्थित एक भव्य मंदिर है । यह मंदिर काली माता को समर्पित है इसे उत्तराखंड की संरक्षक एवं पालकी देवी के रूप में माना जाता है। इस मंदिर में देवी की मूर्ति का सिर्फ ऊपरी भाग सिर स्थित है एवं निचला भाग कालीमठ में स्थित माँ मैठाणा नाम से प्रसिद्ध है।

कहा जाता है धारी देवी मंदिर में माँ धारी देवी अपने 3 रूप बदलती है। धारी देवी मंदिर में नवरात्रों में विशेष पूजा आयोजित की जाती है । मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्र और शारदीय नवरात्री में हजारों श्रद्धालु अपनी प्रार्थना को पूरी करने के लिए माँ के मंदिर में दूर - दूर से पँहुचते हैं। धारी देवी मंदिर में ज्यादातर नवविवाहित जोड़े अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु माँ के मंदिर में पँहुचते हैं।
माँ धारी देवी उत्तराखंड की रक्षक के रूप में भी जानी जाती है।

Dhari Devi Mandir Story

माता धारी देवी 7 भाइयों की इकलौती बहन थी। माता धारी देवी अपने सात भाइयों से अत्यंत प्रेम करती थी ,वह स्वयं उनके लिए अनेक प्रकार के खाने के व्यंजन बनाती थी और उनकी अत्यंत सेवा करती थी यह कहानी तब की है जब माँ धारी देवी केवल सात साल की थी । परन्तु जब उनके भाइयों को यह पता चला कि उनकी इकलोती बहन के ग्रह उनके लिए खराब हैं तो उनके भाई उनसे नफरत करने लगे ।
वैसे तो माता धारी देवी के सातों भाई माँ धारी देवी से बचपन से ही नफरत करते थे ,क्योंकि माँ धारी देवी का रंग बचपन से ही सांवला था ।
परन्तु माँ धारी देवी अपने सात भाइयों को ही अपना सब कुछ मानती थीं क्योंकि इनके माता - पिता के जल्दी गुजर जाने के कारण धारी देवी का पालन - पोसण अपने भाइयों के हाथों से ही हुआ था और उनके लिए अपने भाई ही सब कुछ थे ।
धीरे धीरे समय बीतता गया और धारी माँ के भाइयों की माँ के प्रति नफरत बढ़ती गयी, परन्तु एक समय ऐसा आया कि माँ के पाँच भाइयों की मोत हो गयी । और केवल दो शादी - शुदा भाई ही बचे थे और इन दो भाई की परेशानी और बढ़ती गयी क्योंकि इन दो भाइयों को ऐसा लगा कि कंही हमारे पाँच भाइयो की मोत हमारे इस इकलोती बहन के हमारे प्रति खराब ग्रहों के कारण तो नी हुयी क्योंकि उन्हें बचपन से यही पता चला था कि हमारी बहन के ग्रह हमारे लिए खराब हैं ।
ओर उन दोनों भाइयों ने वही किया, इन दो भाइयों ने जब वह कन्या अर्थात माँ धारी केवल 13 साल की थी तो उनके दोनों भाइयों ने उनका सिर उनके धड़ से अलग कर दिया ओर उनके मृत - शरीर को रातों रात नदी के तट में प्रवाहित कर दिया।

ओर इस कन्या का सिर वहाँ से बहते - बहते कल्यासौड़ के धारी नामक गाँव तक आ पहुँचा, जब सुबह - सुबह का वक्त था तो धारी गाँव में एक व्यक्ति नदी तट के किनारे पर कपड़े धुल रहा था तो उन्होंने सोचा कि नदी में कोई लड़की बह रही है ।

उस व्यक्ति ने कन्या को बचाना चाहा परन्तु उन्होंने यह सोचकर कि में वहाँ जाऊँ तो जाऊँ कैसे, क्योंकि नदी में तो बहुत ही ज्यादा पानी था और वह इस डर से घबरा गए कि में कहीं स्वंय ही न बह जाऊँ और उसका धैर्य टूट गया और उसने सोच लिया कि में अब वह कन्या को नहीं बचायेगा।

परन्तु अचानक एक आवाज नदी से उस कटे हुए सिर से आयी जिसने उस व्यक्ति का धैर्य बढ़ा दिया, वह आवाज थी कि तू घबरा मत और तू मुझे यहाँ से बचा। और मैं तेरे को यह आश्वासन दिलाती हूँ कि तू जहाँ जहाँ पैर रखेगा में वहाँ वहाँ पे तेरे लिए सीढ़ी बना दूँगी, कहा जाता है कि कुछ समय पहले ये सीडिया यहाँ पर दिखाई देती थीं ।

कहा जाता है कि जब वह व्यक्ति नदी में कन्या को बचाने गया तो सच में अचानक एक चमत्कार हुआ, जहाँ जहाँ उस व्यक्ति ने अपने पैर रखे वहाँ - वहाँ पर सीढ़ियाँ बनती गयी ।

जब वह व्यक्ति नदी में गया तो उस व्यक्ति ने उस कटे हुये सिर को जब कन्या समझ कर उठाया तो वह व्यक्ति अचानक से घबरा गया वह जिसे कन्या समझ रहा था वह तो एक कट हुआ सिर है ।
फिर उस कटे हुए सिर से आवाज आई कि तू घबरा मत में देव रूप में हूँ और मुझे एक पवित्र, सुन्दर स्थान पर एक पत्थर पर स्थापित कर दे ।

ओर उस व्यक्ति ने वही किया जो उस कटे हुए सिर ने उस व्यक्ति को बोला क्योंकि उस व्यक्ति के लिए भी वह किसी चमत्कार से कम नहीं था कि एक कटा हुआ सिर आवाज दे, उस व्यक्ति के लिए सीढ़ी बनाएं, एवं उसे रक्षा का आश्वासन दे, यह सब देखकर वह व्यक्ति भी समझ गया कि यह एक देवी ही है।
जब उस व्यक्ति ने उस कटे हुए सिर को एक पत्थर पर स्थापित किया तो उस कटे हुए सिर न अपने बारे में सब कुछ बताया कि मैं एक कन्या थी, जो कि सात भाइयों की इकलौती बहन थी ओर मुझे मेरे दो भाइयों के द्वारा मारा दिया गया और यह सब कुछ बताकर उस कटे हुए सिर ने एक पत्थर का रूप धारण कर लिया।
तब से उस पत्थर की वहाँ पर पूजा अर्चना होने लगी और वहाँ पर एक सुन्दर धारी देवी मंदिर बनाया गया था। और जो उस कन्या का धड़ वाला हिस्सा था वह रुद्रप्रयाग के कालीमठ में माँ मैठाणी के नाम से प्रसिद्ध हुआ , यहाँ पर भी माँ का भव्य मंदिर है और इस मंदिर को बदन वाला हिस्सा भी कहा जाता है ।
कालीमठ भारत में 108 शक्ति स्थलों में से एक है, धार्मिक परम्पराओं के अनुसार कालीमठ एक ऐसा स्थान है जहाँ देवी काली ने रक्तबीज नामक राक्षस को मारा था और उसके बाद देवी पृथ्वी के नीचे चली गयी थी। शक्तिपीठों में कालीमठ का वर्णन पुराणों में भी मिलता है। कहा जाता है कि जब कोई व्यक्ति भी यहाँ पर सच्चे मन से आता है तो उसकी सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है ।

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KANATAL ( काणाताल )Kanatal is a small village and a hill station in the state of Uttarakhand, India. Kanatal is 78 km fr...
17/08/2022

KANATAL ( काणाताल )
Kanatal is a small village and a hill station in the state of Uttarakhand, India. Kanatal is 78 km from Dehradun (capital of the State Uttarakhand), 38 km from Mussoorie and 12 km from Chamba. It is on the Chamba-Mussoorie road and nearly 300 km from Delhi.
Kanatal is located at an elevation of approximately 8500 feet (2590 meters). Surkanda Devi Temple is the highest poinT

NEAREST PLACES

Tehri Dam at New Tehri is dam is built on the confluence of River Bhagirathi and Bhilangna.

Kodia Jungle is 1 km away on the road towards Chamba.

Mussoorie is 40 km from Kanatal and is a popular tourist destination.

Chamba is 15 km from Kanatal.

Dhanaulti is 15 km from Kanatal.

Shivpuri is about 75 km from Kanatal and close to Rishikesh is Shivpuri, a rafting location.

SunSet Point
Sun Set is Best Visible from Himalyan Aleph Bunglow amongst the daisies in the summer in their Orchard all year around or bhandri farm eco park.
Resting goddess hill view point ( Best view in moon light)
Bliss of Nature Kanatal also offers adventure and activites

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Address

Chamba Tehri Garhwal
Tehri-Garhwal
249145

Telephone

+919897495238

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