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26/06/2023

#उदयपुर_न्यूज़ उदयपुर, राजस...

Today event Rishihood university Career counseling & scholarship pograme
24/06/2023

Today event
Rishihood university
Career counseling & scholarship pograme

02/05/2023
02/06/2022
10/04/2022
02/04/2022
27/02/2022
14/08/2018
13/07/2018

LED Driver Housing Cp-1

Specifications:44mm length 16mm width and 20mm heights.
Available in black and white color and any costumer specific color in bulk.
For more information visit leddriverhousing.com and moldmakers.in

06/07/2018

Power Adapter Housing Cp-10
This is widely used as power adapter for laptops, led drivers, heavy duty high ampere led drivers, led pole lights.
This is snap fit housing with 4 PCB mounting stud.
PCB size 110mm x 52mm internal space 30 mm
Available in black color.
Visit leddriverhousing.com and moldmakers.in for more information

07/05/2018

We make LED Driver Housing of various sizes, PCB mounting accessories, Plastic Washers etc.
Visit our website for more products and mail your requirement at below e mail.
http://leddriverhousing.com
[email protected]

We make molds. We have fully equipped tool room and advance injection molding machines to cater your special requirements too.

15/02/2018

शिवलिंग को गुप्तांग की संज्ञा कैसे दी और अब हम हिन्दू खुद शिवलिंग को शिव् भगवान का गुप्तांग समझने लगे हे और दूसरे हिन्दुओ को भी ये गलत जानकारी देने लगे हे।

प्रकृति से शिवलिंग का क्या संबंध है ..?
जाने शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है और कैसे इसका गलत अर्थ निकालकर हिन्दुओं को भ्रमित किया...??

कुछ लोग शिवलिंग की पूजा
की आलोचना करते हैं..।
छोटे छोटे बच्चों को बताते हैं कि हिन्दू लोग लिंग और योनी की पूजा करते हैं । मूर्खों को संस्कृत का ज्ञान नहीं होता है..और अपने छोटे'छोटे बच्चों को हिन्दुओं के प्रति नफ़रत पैदा करके उनको आतंकी बना देते हैं।संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है । इसे देववाणी भी कहा जाता है।

*लिंग*
लिंग का अर्थ संस्कृत में चिन्ह, प्रतीक होता है…
जबकी जनर्नेद्रीय को संस्कृत मे शिशिन कहा जाता है।

*शिवलिंग*
>शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक….
>पुरुषलिंग का अर्थ हुआ पुरुष का प्रतीक इसी प्रकार स्त्रीलिंग का अर्थ हुआ स्त्री का प्रतीक और नपुंसकलिंग का अर्थ हुआ नपुंसक का प्रतीक। अब यदि जो लोग पुरुष लिंग को मनुष्य की जनेन्द्रिय समझ कर आलोचना करते है..तो वे बताये ”स्त्री लिंग ”’के अर्थ के अनुसार स्त्री का लिंग होना चाहिए ।

*शिवलिंग”’क्या है ?*
शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है । स्कन्दपुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है।शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्माण्ड ( क्योंकि, ब्रह्माण्ड गतिमान है ) का अक्स/धुरी (axis) ही लिंग है।
शिव लिंग का अर्थ अनन्त भी होता है अर्थात जिसका कोई अन्त नहीं है और ना ही शुरुआत।

शिवलिंग का अर्थ लिंग या योनी नहीं होता ।.दरअसल यह गलतफहमी भाषा के रूपांतरण और मलेच्छों यवनों के द्वारा हमारे पुरातन धर्म ग्रंथों को नष्ट कर दिए जाने पर तथा बाद में षडयंत्रकारी अंग्रेजों के द्वारा इसकी व्याख्या से उत्पन्न हुआ है ।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक ही शब्द के विभिन्न भाषाओँ में अलग-अलग अर्थ निकलते हैं ।
उदाहरण के लिए
यदि हम हिंदी के एक शब्द “सूत्र” को ही ले लें तो
सूत्र का मतलब डोरी/धागा गणितीय सूत्र कोई भाष्य अथवा लेखन भी हो सकता है। जैसे कि नासदीय सूत्र ब्रह्म सूत्र इत्यादि ।
उसी प्रकार “अर्थ” शब्द का भावार्थ : सम्पति भी हो सकता है और मतलब (मीनिंग) भी ।
ठीक बिल्कुल उसी प्रकार शिवलिंग के सन्दर्भ में लिंग शब्द से अभिप्राय चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक है । धरती उसका पीठ या आधार है और सब अनन्त शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा है।तथा कई अन्य नामों से भी संबोधित किया गया है। जैसे : प्रकाश स्तंभ/लिंग, अग्नि स्तंभ/लिंग, उर्जा स्तंभ/लिंग, ब्रह्माण्डीय स्तंभ/लिंग (cosmic pillar/lingam)

ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे हैं: ऊर्जा और प्रदार्थ। हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है।
इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते हैं।
ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा ऊर्जा शिवलिंग में निहित है। वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है.

The universe is a sign of Shiva Lingam

शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-आनादी एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतिक भी है। अर्थात इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है अर्थात दोनों सामान हैं।

*अब बात करते है योनि शब्द पर-*
मनुष्ययोनि ”पशुयोनी”पेड़-पौधों की योनी’जीव-जंतु योनि
योनि का संस्कृत में प्रादुर्भाव ,प्रकटीकरण अर्थ होता है....जीव अपने कर्म के अनुसार विभिन्न योनियों में जन्म लेता है। किन्तु कुछ धर्मों में पुर्जन्म की मान्यता नहीं है नासमझ बेचारे। इसीलिए योनि शब्द के संस्कृत अर्थ को नहीं जानते हैं। जबकी हिंदू धर्म मे 84 लाख योनि बताई जाती है।यानी 84 लाख प्रकार के जन्म हैं। अब तो वैज्ञानिकों ने भी मान लिया है कि धरती में 84 लाख प्रकार के जीव (पेड़, कीट,जानवर,मनुष्य आदि) है।

*मनुष्य योनि*
पुरुष और स्त्री दोनों को मिलाकर मनुष्य योनि होता है।अकेले स्त्री या अकेले पुरुष के लिए मनुष्य योनि शब्द का प्रयोग संस्कृत में नहीं होता है। तो कुल मिलकर अर्थ यह है:-

लिंग का तात्पर्य प्रतीक से है शिवलिंग का मतलब है पवित्रता का प्रतीक ।
दीपक की प्रतिमा बनाये जाने से इस की शुरुआत हुई, बहुत से हठ योगी दीपशिखा पर ध्यान लगाते हैं | हवा में दीपक की ज्योति टिमटिमा जाती है और स्थिर ध्यान लगाने की प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करती है। इसलिए दीपक की प्रतिमा स्वरूप शिवलिंग का निर्माण किया गया। ताकि निर्विघ्न एकाग्र होकर ध्यान लग सके | लेकिन कुछ विकृत मुग़ल काल व गंदी मानसिकता बाले गोरे अंग्रेजों के गंदे दिमागों ने इस में गुप्तांगो की कल्पना कर ली और झूठी कुत्सित कहानियां बना ली और इसके पीछे के रहस्य की जानकारी न होने के कारण अनभिज्ञ भोले हिन्दुओं को भ्रमित किया गया |
आज भी बहुतायत हिन्दू इस दिव्य ज्ञान से अनभिज्ञ है।
हिन्दू सनातन धर्म व उसके त्यौहार विज्ञान पर आधारित है।जोकि हमारे पूर्वजों ,संतों ,ऋषियों-मुनियों तपस्वीयों की देन है।आज विज्ञान भी हमारी हिन्दू संस्कृति की अदभुत हिन्दू संस्कृति व इसके रहस्यों को सराहनीय दृष्टि से देखता है व उसके ऊपर रिसर्च कर रहा है।

*नोट÷* सभी शिव-भक्तों हिन्दू सनातन प्रेमीयों से प्रार्थना है, यह जानकारी सभी को भरपूर मात्रा में इस पोस्ट को शेयर करें ताकि सभी को यह जानकारी मिल सके जो कि मुस्लिम और गोरे अंग्रेजों ने षड्यंत्र के तहत फैला दी थी।

14/11/2017

"कुछ तो जिम्मेदारी आप भी लो, सिर्फ प्रधानमंत्री के कहने मात्र से ही भारत स्वच्छ हो जाएगा क्या? नहीं !
यह आपकी जिम्मेदारी है। राजसूय यज्ञ में भगवान ने तो झूठे पत्तल उठाये थे। आप अपने भगवान को भी तो देख लो। अपना कर्तव्य तय कर लो।"
- दीदी माँ पटना के गाँधी मैदान में भागवत सप्ताह के अंतिम दिन।

11/11/2017

आगामी दिनांक 22 जनवरी से 28 जनवरी 2018 तक पूज्य दीदी माँ ऋतंभरा जी के श्रीमुख से ॥ श्रीमद् भागवत कथा॥ का भव्य एवम् दिव्य आयोजन बी एन विश्वविद्यालय, उदयपुर में आयोज्य है।
आप सपरिवार, इष्ट मित्रों सहित भक्ति रस का श्रवण आनंद लेने पधारें।

28/05/2017

श्री अगस्त मुनि = बिज़ली के अविष्कारक

महर्षि अगस्त्य एक वैदिक ॠषि थे। इन्हेंसप्तर्षियों में से एक माना जाता है। ये वशिष्ठ मुनि (राजा दशरथ के राजकुल गुरु) के बड़े भाई थे। वेदों से लेकर पुराणों में इनकी महानता की अनेक बार चर्चा की गईहै, इन्होने अगस्त्य संहिता नामक ग्रन्थ की रचना की जिसमे इन्होँने हर प्रकार का ज्ञान समाहित किया, इन्हें त्रेता युग में भगवान श्री राम से मिलने का सोभाग्य प्राप्त हुआ . उस समय श्री राम वनवास काल में थे, इसका विस्तृत वर्णन श्री वाल्मीकि कृत रामायण में मिलता है, इनका आश्रम आज भी महाराष्ट्र के नासिक की एक पहाड़ी पर स्थित है।

राव साहब कृष्णाजी वझे ने १८९१ में पूना से इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की। भारतमें विज्ञान संबंधी ग्रंथों की खोज के दौरान उन्हें उज्जैन में दामोदर त्र्यम्बक जोशी के पास अगस्त्य संहिता के कुछ पन्ने मिले। इस संहिता के पन्नों में उल्लिखित वर्णन को पढ़कर नागपुर में संस्कृत के विभागाध्यक्ष रहे डा. एम.सी. सहस्रबुद्धे को आभास हुआ कि यह वर्णन डेनियल सेल से मिलता-जुलता है। अत: उन्होंने नागपुर में इंजीनियरिंग के प्राध्यापक श्री पी.पी. होले को वह दिया और उसे जांचने को कहा। श्री अगस्त्य ने अगस्त्य संहिता में विद्युत उत्पादन से सम्बंधित सूत्रों में लिखा :
संस्थाप्य मृण्मये पात्रे
ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्।
छादयेच्छिखिग्रीवेन
चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥

दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:।
संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्॥
-अगस्त्य संहिता

अर्थात् एक मिट्टी का पात्र (Earthen pot) लें, उसमें ताम्र पट्टिका (copper sheet) डालें तथा शिखिग्रीवा डालें, फिर बीच में गीली काष्ट पांसु (wet saw dust) लगायें, ऊपर पारा (mercury) तथा दस्ट लोष्ट (Zinc) डालें, फिर तारों को मिलाएंगे तो, उससे मित्रावरुणशक्ति(बिजली) का उदय होगा।
अब थोड़ी सी हास्यास्पद स्थिति उत्पन्न हुई

उपर्युक्त वर्णन के आधार पर श्री होले तथा उनके मित्र ने तैयारी चालू की तो शेषसामग्री तो ध्यान में आ गई, परन्तु शिखिग्रीवा समझ में नहीं आया। संस्कृत कोष में देखने पर ध्यान में आया कि शिखिग्रीवा याने मोर की गर्दन। अत: वे औरउनके मित्र बाग गए तथा वहां के प्रमुख से पूछा, क्या आप बता सकते हैं, आपके बाग में मोर कब मरेगा, तो उसने नाराज होकर कहा क्यों ? तब उन्होंने कहा, एक प्रयोग के लिए उसकी गर्दन की आवश्यकता है। यह सुनकर उसने कहा ठीक है। आप एक अर्जी दे जाइये। इसके कुछ दिन बाद एक आयुर्वेदाचार्य से बात हो रही थी। उनको यह सारा घटनाक्रम सुनाया तो वे हंसने लगे और उन्होंने कहा, यहां शिखिग्रीवा का अर्थ मोर की गरदन नहीं अपितु उसकी गरदन के रंग जैसा पदार्थ कॉपरसल्फेट (नीलाथोथा) है।

यह जानकारी मिलते ही समस्या हल हो गई और फिर इस आधार पर एक सेल बनाया और डिजिटल मल्टीमीटर द्वारा उसको नापा। परिणामस्वरूप 1.138 वोल्ट तथा 23 mA धारा वाली विद्युत उत्पन्न हुई।
प्रयोग सफल होने की सूचना डा. एम.सी. सहस्रबुद्धे को दी गई। इस सेल का प्रदर्शन 7 अगस्त, 1990 को स्वदेशी विज्ञान संशोधन संस्था (नागपुर) के चौथेवार्षिक सर्वसाधारण सभा में अन्य विद्वानों के सामने हुआ।

आगे श्री अगस्त्य जी लिखते है :
अनने जलभंगोस्ति प्राणो दानेषु वायुषु।
एवं शतानां कुंभानांसंयोगकार्यकृत्स्मृत:॥

सौ कुंभों की शक्ति का पानी पर प्रयोग करेंगे, तो पानी अपने रूप को बदल कर प्राण वायु (Oxygen) तथा उदान वायु (Hydrogen) में परिवर्तित हो जाएगा।
आगे लिखते है:
वायुबन्धकवस्त्रेण
निबद्धो यानमस्तके
उदान : स्वलघुत्वे बिभर्त्याकाशयानकम्।
(अगस्त्य संहिता शिल्प शास्त्र सार)

उदान वायु (H2) को वायु प्रतिबन्धक वस्त्र (गुब्बारा) में रोका जाए तो यह विमान विद्या में काम आता है।
राव साहब वझे, जिन्होंने भारतीय वैज्ञानिक ग्रंथ और प्रयोगों को ढूंढ़ने में अपना जीवन लगाया, उन्होंने अगस्त्य संहिता एवं अन्य ग्रंथों में पाया कि विद्युत भिन्न-भिन्न प्रकार से उत्पन्न होती हैं, इस आधार पर उसके भिन्न-भिन्न नाम रखे गयें है:
(१) तड़ित् - रेशमी वस्त्रों के घर्षण से उत्पन्न।

(२) सौदामिनी - रत्नों के घर्षण से उत्पन्न।

(३) विद्युत - बादलों के द्वारा उत्पन्न।

(४) शतकुंभी - सौ सेलों या कुंभों से उत्पन्न।

(५) हृदनि - हृद या स्टोर की हुई बिजली।

(६) अशनि - चुम्बकीय दण्ड से उत्पन्न।

अगस्त्य संहिता में विद्युत् का उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating) के लिए करने का भी विवरण मिलता है। उन्होंने बैटरी द्वारा तांबा या सोना याचांदी पर पॉलिश चढ़ाने की विधि निकाली। अत: महर्षि अगस्त्य को कुंभोद्भव (Battery Bone) कहते हैं।

आगे लिखा है:

कृत्रिमस्वर्णरजतलेप: सत्कृतिरुच्यते।
-शुक्र नीति

यवक्षारमयोधानौ सुशक्तजलसन्निधो॥
आच्छादयति तत्ताम्रं
स्वर्णेन रजतेन वा।
सुवर्णलिप्तं तत्ताम्रं
शातकुंभमिति स्मृतम्॥

५ (अगस्त्य संहिता)

अर्थात् कृत्रिम स्वर्ण अथवा रजत के लेप को सत्कृति कहा जाता है। लोहे के पात्र में सुशक्त जल अर्थात तेजाब का घोल इसका सानिध्य पाते ही यवक्षार (सोने या चांदी का नाइट्रेट) ताम्र को स्वर्ण या रजत से ढंक लेता है। स्वर्ण से लिप्त उस ताम्र को शातकुंभ अथवा स्वर्ण कहा जाता है।

उपरोक्त विधि का वर्णन एक विदेशी लेखक David Hatcher Childress ने अपनी पुस्तक" Technology of the Gods: The IncredibleSciences of the Ancients" में भी लिखा है। अब दुर्भाग्य की बात यह है कि हमारे ग्रंथों को विदेशियों ने हम से भी अधिक पढ़ा है। इसीलिए दौड़ में आगे निकल गये और सारा श्रेय भी ले गये। और इंडिया के सेकुलर यो यो करते हुए अधपकी इंग्लिश के साथ अपने आप को मॉर्डन समझ रहे हैँ।

आज हम विभवान्तर की इकाई वोल्ट तथा धारा की एम्पियर लिखते है जो क्रमश: वैज्ञानिक Alessandro Volta तथा André-Marie Ampère के नाम पर रखी गयी है,
जबकि इकाई अगस्त्य होनी चाहिए थी।

(-अतुल्य वैदिक भारत-)

smart rods....control the traffic..
14/10/2015

smart rods....control the traffic..

Happy Navratri                                                                                                          ...
13/10/2015

Happy Navratri LAXMI PUBLICITY

05/10/2015

Udaipur has been included in the list of 100 cities of India which might become smart city as selected by Prime Minister Narendra Modi. In Rajasthan, 4 cities including Udaipur, Jaipur, Jodhpur and Ajmer are selected. Further decision will be taken by State Government in assembly meeting.

On implementation of Smart City Project in Udaipur, roads especially highways would be kept clean along with installation of safety measures. Local transport would be strengthened; public places will be equipped with WiFi and other ultra modern facilities.

The listed cities are required to have some basic amenities for implementing the project, said sources.The parameters of smart city includes proper sewerage line, heritage walk, low carbon mobility, presence of good education institutes and stared hotels

05/10/2015

Branding creates a unifying thought for a city with internal and external audiences alike, driven by the long term vision and values of a city. Successful branding activity would result in the brand being carried forward by citizens and outsiders – each adding their own experience to this unified vision of the city.

05/10/2015

We highlight the 10 key points from PM Narendra Modi’s speech at the Smart Cities Mission launch:

* Urbanisation should be viewed as an opportunity and urban centres should be viewed as growth engines

* India is rapidly urbanising. Every year Hindustan gives birth to a small country

* Smart City will be selected through a competition among cities while 500 cities are being identified under AMRUT.

* For the first time in India, a challenge was being floated, in which the citizens of urban India could contribute in the formulation of development visions of their cities. This competitive mechanism would end the top-down approach, and lead to people-centric urban development.

* These urban development schemes were not prepared by the Government alone, but involved perhaps the biggest consultation exercise ever taken by the Union Government, involving all stakeholders and examining global best practices.

* There is a lack of holistic vision about urban planning, and expansion is driven not by the administrators of a city, but by property developers.

* Through AMRUT, the aim of the Government is to give cities themselves the chance to plan their future growth

* There should be facility for walk-to-work because today a person spends maximum time in travelling to office and gets very little time to work

* A house was a turning point in the lives of poor, which leads towards a better life and the government’s effort was to not just provide a house, but to provide the right environment to live life to the fullest.”

* Citing the existing housing shortage of 2 crore units, he said India would complete 75 years of Independence in 2022, and by then, it was “our responsibility to provide a house for everyone.

* The country’s 40 per cent population lives in cities and it is the responsibility of the government to uplift their standards of life. We cannot leave them on their fate

03/10/2015

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Udaipur
313001

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