APNA KASHI

APNA KASHI ये पेज काशी की विभिन्न अध्यात्मिक और सांस्कृतिक विशेषताओं को बताएगा.

नवरात्र का पहला दिन शैलपुत्री का माना जाता है। शैलपुत्री का एक प्राचीन मंदिर पूरे भारत में फेमस है। यहां पर दूर-दूर से ल...
02/10/2024

नवरात्र का पहला दिन शैलपुत्री का माना जाता है। शैलपुत्री का एक प्राचीन मंदिर पूरे भारत में फेमस है। यहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते है। माना जाता है कि यहां पर आने मात्र से ही भक्तों की हर मुराद पूरी हो जाती है। यह शैलपुत्री का मंदिर घाटों के शहर कहे जाने वाले वाराणसी में है।

यूपी के वाराणसी के अलईपुर में मां शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर है।

नवरात्र में इस मंदिर में पूजा करने का खास महत्व होता है। माना जाता है कि अगर आपके दापत्यं जीवन में परेशानी आ रही है तो यहां पर आने से आपको सभी कष्टों से निजात मिल जाता है। इस मंदिर को लेकर एक कथा प्रचलित है। इसके अनुसार माना जाता है कि मां कैलाश से काशी आई थी।

* स्वर्वेद महामंदिर मानव जाति को समर्पित एक ध्यान केंद्र है; * उनके नैतिक और आध्यात्मिक विकास के लिए पवित्र शहर वाराणसी ...
17/01/2024

* स्वर्वेद महामंदिर मानव जाति को समर्पित एक ध्यान केंद्र है;
* उनके नैतिक और आध्यात्मिक विकास के लिए पवित्र शहर वाराणसी में स्थित है।
* 20,000 ध्यान अभ्यासियों के लिए हैं।
* 300,000 वर्ग फुट से अधिक तक फैला हुआ है।
* इसकी दीवारों पर स्वर्वेद की ऋचाएं खुदी हुई हैं।
* सात मंज़िला सुपर-स्ट्रक्चर।
सभी पृष्ठभूमियों के आध्यात्मिक साधकों के लिए स्थान।

27/11/2023
15/01/2023
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21/04/2022

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04/03/2022

महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवबारात का आयोजन

महाशिवरात्रि पावन पर्व पर काशी में भगवान बाबा काशी विश्वनाथ जी दूल्हे के रूप में विराजमान थे ॥धन्य है काशी और धन्य है प्...
04/03/2022

महाशिवरात्रि पावन पर्व पर काशी में भगवान बाबा काशी विश्वनाथ जी दूल्हे के रूप में विराजमान थे ॥

धन्य है काशी और धन्य है प्रभु की महिमा

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 #शिवमयसोमवार काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े 11 फैक्ट्स :-1. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है। दाहिने भाग में शक...
03/03/2022

#शिवमयसोमवार काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े 11 फैक्ट्स :-
1. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है। दाहिने भाग में शक्ति के रूप में मां भगवती विराजमान हैं। दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप (सुंदर) रूप में विराजमान हैं। इसीलिए काशी को मुक्ति क्षेत्र कहा जाता है।
2. देवी भगवती के दाहिनी ओर विराजमान होने से मुक्ति का मार्ग केवल काशी में ही खुलता है। यहां मनुष्य को मुक्ति मिलती है और दोबारा गर्भधारण नहीं करना होता है। भगवान शिव खुद यहां तारक मंत्र देकर लोगों को तारते हैं। अकाल मृत्यु से मरा मनुष्य बिना शिव अराधना के मुक्ति नहीं पा सकता।
3. श्रृंगार के समय सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं। इस ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों साथ ही विराजते हैं, जो अद्भुत है। ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता है।
4. विश्वनाथ दरबार में गर्भ गृह का शिखर है। इसमें ऊपर की ओर गुंबद श्री यंत्र से मंडित है। तांत्रिक सिद्धि के लिए ये उपयुक्त स्थान है। इसे श्री यंत्र-तंत्र साधना के लिए प्रमुख माना जाता है।
5. बाबा विश्वनाथ के दरबार में तंत्र की दृष्टि से चार प्रमुख द्वार इस प्रकार हैं :- 1. शांति द्वार। 2. कला द्वार। 3. प्रतिष्ठा द्वार। 4. निवृत्ति द्वार। इन चारों द्वारों का तंत्र में अलग ही स्थान है। पूरी दुनिया में ऐसा कोई जगह नहीं है जहां शिवशक्ति एक साथ विराजमान हों और तंत्र द्वार भी हो।
6. बाबा का ज्योतिर्लिंग गर्भगृह में ईशान कोण में मौजूद है। इस कोण का मतलब होता है, संपूर्ण विद्या और हर कला से परिपूर्ण दरबार। तंत्र की 10 महा विद्याओं का अद्भुत दरबार, जहां भगवान शंकर का नाम ही ईशान है।
7. मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण मुख पर है और बाबा विश्वनाथ का मुख अघोर की ओर है। इससे मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवेश करता है। इसीलिए सबसे पहले बाबा के अघोर रूप का दर्शन होता है। यहां से प्रवेश करते ही पूर्व कृत पाप-ताप विनष्ट हो जाते हैं।
8. भौगोलिक दृष्टि से बाबा को त्रिकंटक विराजते यानि त्रिशूल पर विराजमान माना जाता है। मैदागिन क्षेत्र जहां कभी मंदाकिनी नदी और गौदोलिया क्षेत्र जहां गोदावरी नदी बहती थी। इन दोनों के बीच में ज्ञानवापी में बाबा स्वयं विराजते हैं। मैदागिन-गौदौलिया के बीच में ज्ञानवापी से नीचे है, जो त्रिशूल की तरह ग्राफ पर बनता है। इसीलिए कहा जाता है कि काशी में कभी प्रलय नहीं आ सकता।
9. बाबा विश्वनाथ काशी में गुरु और राजा के रूप में विराजमान है। वह दिनभर गुरु रूप में काशी में भ्रमण करते हैं। रात्रि नौ बजे जब बाबा का श्रृंगार आरती किया जाता है तो वह राज वेश में होते हैं। इसीलिए शिव को राजराजेश्वर भी कहते हैं।
10. बाबा विश्वनाथ और मां भगवती काशी में प्रतिज्ञाबद्ध हैं। मां भगवती अन्नपूर्णा के रूप में हर काशी में रहने वालों को पेट भरती हैं। वहीं, बाबा मृत्यु के पश्चात तारक मंत्र देकर मुक्ति प्रदान करते हैं। बाबा को इसीलिए ताड़केश्वर भी कहते हैं।
11. बाबा विश्वनाथ के अघोर दर्शन मात्र से ही जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। शिवरात्रि में बाबा विश्वनाथ औघड़ रूप में भी विचरण करते हैं। उनके बारात में भूत, प्रेत, जानवर, देवता, पशु और पक्षी सभी शामिल होते हैं।

काशी की उत्पत्ति अभी तक अज्ञात है। काशी, बनारस शहर का पुराना नाम है। जिसे अब वाराणसी भी कहा जाता है। माना जाता है कि काश...
03/02/2022

काशी की उत्पत्ति अभी तक अज्ञात है। काशी, बनारस शहर का पुराना नाम है। जिसे अब वाराणसी भी कहा जाता है। माना जाता है कि काशी दुनिया के सबसे पुराने जीवित शहरो में से एक है। यह स्थान पवित्र गंगा नदी के तट पर बसा है। काशी अपने मंदिरो के लिए जाना जाता है। यहाँ पर सबसे प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर है।
काशी की भूमि सदियो से हिंदुयों के लिए परम तीर्थ स्थान रही है। हिंदुयों का मानना है कि काशी की भूमि पर मरने से जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्राप्त होती है।
माना जाता है कि काशी में गंगा नश्वर लोगो के पापो को धोने की शक्ति रखती हैI
संझेप में, काशी का अस्तित्व तब भी था जब एथेंस की नींव भी नहीं रखी थी।
प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक और साहित्यकार मार्क ट्वेन ने लिखा है , "काशी इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से भी पुराना है, किदवंतीयो से भी पुराना है और इन सभी को मिलाकर देखने से दोगुना पुराना है।"

02/01/2022

गंगा आरती, काशी

बनारस का पहला कोहरा *****
31/12/2021

बनारस का पहला कोहरा *****

काशीविश्वनाथ मंदिर  का प्रसाद घर घर वितरण किया गया।
18/12/2021

काशीविश्वनाथ मंदिर का प्रसाद घर घर वितरण किया गया।

Sankatmochan Temple संकटमोचन मंदिरमाना जाता हैं कि इस मंदिर की स्थापना वही हुईं हैं जहाँ महाकवि तुलसीदास को पहली बार हनु...
14/12/2021

Sankatmochan Temple संकटमोचन मंदिर
माना जाता हैं कि इस मंदिर की स्थापना वही हुईं हैं जहाँ महाकवि तुलसीदास को पहली बार हनुमान का स्वप्न आया था। संकट मोचन मंदिर की स्थापना कवि तुलसीदास ने की थी।
प्रसाद ग्रहण कीजिये जय हनुमान

मोदी जी योगी जी बनारस रेलवे स्टेशन पर, गैर-राजनितिक विचार दीजिये बनारस के विकास के लिए
14/12/2021

मोदी जी योगी जी बनारस रेलवे स्टेशन पर,
गैर-राजनितिक विचार दीजिये बनारस के विकास के लिए

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