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06/27/2023
12/28/2022

समाप्त होते वर्ष में मेरे मन कर्म और वाणी से यदि किसी को भी ठेस लगी हो तो मैं हृदय क्षमा प्रार्थी हु।🙏🙏
🙏🙏

Good Morning
10/14/2022

Good Morning

🌹🌹 Dhan Nirankar ji🙏🙏 Pls share
10/12/2022

🌹🌹 Dhan Nirankar ji🙏🙏 Pls share

 #विजयादशमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.. ्री_राम 🙏🚩 #विजयादशमी_उत्सव  ्रीराममाँ दुर्गा के आशीर्वाद से आपका जीवन सुखम...
10/05/2022

#विजयादशमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं..
्री_राम 🙏🚩
#विजयादशमी_उत्सव
्रीराम
माँ दुर्गा के आशीर्वाद से आपका जीवन सुखमय हो..
आप सभी मित्रो को पावन पर्व दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं 💐
प्रभु श्री राम जी की कृपा आप और आपके पूरे परिवार पर हमेशा बनी रहे.!
जय श्री राम 🙏🚩
॥ जय श्री राम ॥

09/24/2022
      बिहार को वंदे भारत ट्रेन की सौगात! 6-8 घंटे कम हो जाएगी पटना से दिल्ली की दूरी, जानिए रूट बिहार के लोगों को भारतीय...
08/27/2022


बिहार को वंदे भारत ट्रेन की सौगात! 6-8 घंटे कम हो जाएगी पटना से दिल्ली की दूरी, जानिए रूट
बिहार के लोगों को भारतीय रेलवे की ओर से बड़ी सौगात मिलने वाली है. बता दे कि इस साल के अंत तक भारतीय रेलवे की ओर से देश के 27 रूटों पर 18 वंदे मातरम ट्रेन चलाने की तैयारी की जा रही है. इस तैयारी के दौरान जिन रूटों का चयन किया गया है उनमें पहले फेज में पटना-काशी-दिल्ली शामिल है. रेलवे के द्वारा चलाये गए इस बंदे मातरम एक्सप्रेस से दिल्ली जाने वाले यात्रियों को काफी सुबिधा मिलेगीं. वैसे यात्री जो दिल्ली जाना चाहते है वे महज सिर्फ बारह घंटो के बदले सिर्फ पांच घंटो में दिल्ली पहुँच जायेंगे.
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि यह ट्रेन उन लोगों को बेहतर विकल्प देगी जो यात्रा के दौरान बेहतर सुविधा चाहते हो. उन्होंने बताया कि इस ट्रेन में लोगों को कई तरह की सुबिधायें दी जाएँगी और साथ ही सभी यात्रियों का काफी समय भी बचेगा. हालांकि अभी तक अधिकारियों के द्वारा ट्रेन के किराये को लेकर कुछ नही कहा गया हैं
जानकारी के अनुसार भारतीय रेलवे की ओर से चलाई जा रही पहली वंदे भारत ट्रने दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाई गई. 15 फरवरी 2019 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा वंदे भारत एक्सप्रेस का उद्घाटन किया गया था. जिसके बाद इस ट्रेन को व्यावसायिक परिचालन के रूप में 17 फरवरी 2019 को शुरू कर दी गयी. वहीं अभी इस ट्रेन का परिचालन दिल्ली और जम्मू के बीच किया जा रहा है. अंबाला रूट पर ट्राइल चल रहा है और साथ ही यह फैसला लिया जा रहा की इस ट्रेन का परिचालन अब मुंबई और अहमदाबाद के बीच भी शुरु कर दी जाए.

बुलेट ट्रेन को भी देती है मात

रेलवे सूत्रों की माने तो यह ट्रेन कई मामलों में बुलेट ट्रेन को भी मात देती है। भारतीय रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक वंदे भारत ट्रेन जीरो से सौ किलोमीटर की रफ्तार तक पहुंचने में कुछ ही सेकेंड लगता है।
यह ट्रेन 54 सेकंड का समय में जीरो से 100 की स्पीड में पहुंच जाती है, जबकि दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से चलने वाली बुलेन ट्रेन को यह दूरी तय करने में 55.4 सेकेंड लग जाता है।

अपग्रेडेड वर्जन स्पीड होगी 260 किमी प्रतिघंटा

रेलवे के अधिकारियों के अनुसार वंदे भारत ट्रेन काफी अपग्रेडेड है। इसी खासियत के कारण इस ट्रने की रफ्तार दूसरे ट्रेनों से काफी तेज है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस ट्रेन के 16 डब्बों में से पांच में मोटर लगी होती है। स्वचलित मोटरों की मदद से ही त्वरित रफ्तार अधिक होती है।

वंदे भारत एक्सप्रेस की खासियत

वंदे मातरम् ट्रेन में कुछ खासियत है जो इसे दुसरे ट्रेनों से अलग बनाती हैं. जानकारी के लिए बता दे कि इस ट्रेन में सेंट्रलाइज्ड कोच लगाए जाएंगे, जिससे एक ही स्थान से पूरी ट्रेन पर नजर रखी जा सकेगी और ट्रेन में मौजूद सारे सिस्टम की निगरानी की जाएगी. यह ट्रेन पूरी तरह वातानुकुलित ट्रेन हैऔर आने वाले अपग्रेडेड वर्जन में इस ट्रेन का कोच बैक्टिरिया फ्री एयर कंडीशनिंग सिस्टम से लैस किया जाएगा. इसमें लोगों के बैठने की भी सहूलियत का ख़ास ध्यान दिया जायेगा. रेलवे के द्वारा इस ट्रेन में सिक्यूरिटी का भी पूरा ध्यान रखा गया है. इसमें सिक्यूरिटी फीचर के साथ चार इमरजेंसी विंडो का भी निर्माण किया जायेगा.

बुलेट ट्रेन के आगे लगे एक इंजन पर वंदे भारत के पूरे ट्रेन में लगी 20 मोटर से ज्यादा कारगर होती है। मौजूदा समय में वंदे भारत ट्रेन की स्पीड 160 किलोमीटर प्रतिघंटा है। चरणबद्ध तरीके से साल 2025 तक अपग्रेडेड वर्जन अब 260 किमी प्रतिघंटा से दौड़ेगी।

Happy Independence Day ......🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳75 वे स्वतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं👏👏
08/15/2022

Happy Independence Day ......🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
75 वे स्वतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं👏👏

धन निरंकार जी
08/10/2022

धन निरंकार जी

08/09/2022

अजमेर शरीफ-
पुष्करराज दर्शन...
सितंबर 3-4(शनि -रवि ...
शताब्दी द्वारा आना -जाना , खाना पीना, होटल में रहना तथा दर्शन .. .
4800/रूपए प्रति व्यक्ति। संपर्क करें..

"जीवन में खुश वही लोग हैंजो अपना मूल्यांकन करते है;और परेशान वह लोग हैंजो दूसरों का मूल्यांकन करते हैं।"
08/02/2022

"जीवन में खुश वही लोग हैं
जो अपना मूल्यांकन करते है;
और परेशान वह लोग हैं
जो दूसरों का मूल्यांकन करते हैं।"

सतगुरु की मेहरसजदे दा तरीका आउंदा नहीं आउंदे मैनु अरदास नी,मेरे विच नहीं कोई खुभी कोई हुनर कोई गुण खास नहींसब नजर इनायत ...
08/02/2022

सतगुरु की मेहर
सजदे दा तरीका आउंदा नहीं आउंदे मैनु अरदास नी,
मेरे विच नहीं कोई खुभी कोई हुनर कोई गुण खास नहीं
सब नजर इनायत दे तेरे
रेहमत दियां तू झड़ियां लाइयाँ,
मांगना वि नहीं आउंदा मैनु फिर भी तू मेहरा वरसाइयाँ
धन निरंकार जी
👏👏👏👏👏

 नागपंचमी (श्रावण पंचमी) 02 अगस्त विशेष〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी...
08/02/2022

नागपंचमी (श्रावण पंचमी) 02 अगस्त विशेष
〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजा करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है।
ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता। इस बार यह पर्व 2 अगस्त मंगलवार को है। इस दिन नागदेवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है।
पूजन विधि
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नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें नागों की पूजा शिव के अंश के रूप में और शिव के आभूषण के रूप में ही की जाती है। क्योंकि नागों का कोई अपना अस्तित्व नहीं है। अगर वो शिव के गले में नहीं होते तो उनका क्या होता। इसलिए पहले भगवान शिव का पूजन करेंगे। शिव का अभिषेक करें, उन्हें बेलपत्र और जल चढ़ाएं।
इसके बाद शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करे। नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। इसके बाद चने, खील बताशे और जरा सा कच्चा दूध प्रतिकात्मक रूप से अर्पित करेंगे।
घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी पूजा करें।
घर के मुख्य द्वार पर सर्प की आकृति बनाने से जहां आर्थिक लाभ होता है, वहीं घर पर आने वाली विपत्तियां भी टल जाती हैं।
इसके बाद 'ऊं कुरु कुल्ले फट् स्वाहा' का जाप करते हुए घर में जल छिड़कें। अगर आप नागपंचमी के दिन आप सामान्य रूप से भी इस मंत्र का उच्चारण करते हैं तो आपको नागों का तो आर्शीवाद मिलेगा ही साथ ही आपको भगवान शंकर का भी आशीष मिलेगा बिना शिव जी की पूजा के कभी भी नागों की पूजा ना करें। क्योंकि शिव की पूजा करके नागों की पूजा करेंगे तो वो कभी अनियंत्रित नहीं होंगे नागों की स्वतंत्र पूजा ना करें, उनकी पूजा शिव जी के आभूषण के रूप में ही करें।
नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
इसके बाद पूजा व उपवास का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, फूल, धूप, दीप से पूजा करें व सफेद मिठाई का भोग लगाएं। यह प्रार्थना करें।
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जाप करें-
ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें
ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
नागदेवता की आरती करें और प्रसाद बांट दें। इस प्रकार पूजा करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।
नागपंचमी
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महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। इनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख हैं। नागपंचमी के अवसर पर हम आपको ग्रंथों में वर्णित प्रमुख नागों के बारे में बता रहे हैं।
तक्षक नाग
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धर्म ग्रंथों के अनुसार, तक्षक पातालवासी आठ नागों में से एक है। तक्षक के संदर्भ में महाभारत में वर्णन मिलता है। उसके अनुसार, श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी। तक्षक से बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ में अनेक सर्प आ-आकर गिरने लगे। यह देखकर तक्षक देवराज इंद्र की शरण में गया।
जैसे ही ऋत्विजों (यज्ञ करने वाले ब्राह्मण) ने तक्षक का नाम लेकर यज्ञ में आहुति डाली, तक्षक देवलोक से यज्ञ कुंड में गिरने लगा। तभी आस्तिक ऋषि ने अपने मंत्रों से उन्हें आकाश में ही स्थिर कर दिया। उसी समय आस्तिक मुनि के कहने पर जनमेजय ने सर्प यज्ञ रोक दिया और तक्षक के प्राण बच गए।
कर्कोटक नाग
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कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।
ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित लिंग की स्तुति की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा। इसके बाद कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग में प्रवेश कर गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं। मान्यता है कि जो लोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार के दिन कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करते हैं उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती।
कालिया नाग
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श्रीमद्भागवत के अनुसार, कालिया नाग यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ निवास करता था। उसके जहर से यमुना नदी का पानी भी जहरीला हो गया था। श्रीकृष्ण ने जब यह देखा तो वे लीलावश यमुना नदी में कूद गए। यहां कालिया नाग व भगवान श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। तब कालिया नाग की पत्नियों ने श्रीकृष्ण से कालिया नाग को छोडऩे के लिए प्रार्थना की। तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम सब यमुना नदी को छोड़कर कहीं और निवास करो। श्रीकृष्ण के कहने पर कालिया नाग परिवार सहित यमुना नदी छोड़कर कहीं और चला गया।
इनके अलावा कंबल, शंखपाल, पद्म व महापद्म आदि नाग भी धर्म ग्रंथों में पूज्यनीय बताए गए हैं।
नागपंचमी पर नागों की पूजा कर आध्यात्मिक शक्ति और धन मिलता है। लेकिन पूजा के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है।
हिंदू परंपरा में नागों की पूजा क्यों की जाती है और ज्योतिष में नाग पंचमी का क्या महत्व है।
अगर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक ना हो तो इस दिन विशेष पूजा का लाभ पाया जा सकता है।
जिनकी कुंडली में विषकन्या या अश्वगंधा योग हो, ऐसे लोगों को भी इस दिन पूजा-उपासना करनी चाहिए. जिनको सांप के सपने आते हों या सर्प से डर लगता हो तो ऐसे लोगों को इस दिन नागों की पूजा विशेष रूप से करना चाहिए।
भूलकर भी ये ना करें
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1. जो लोग भी नागों की कृपा पाना चाहते हैं उन्हें नागपंचमी के दिन ना तो भूमि खोदनी चाहिए और ना ही साग काटना चाहिए.।
2. उपवास करने वाला मनुष्य सांयकाल को भूमि की खुदाई कभी न करे।
3. नागपंचमी के दिन धरती पर हल न चलाएं।
4. देश के कई भागों में तो इस दिन सुई धागे से किसी तरह की सिलाई आदि भी नहीं की जाती।
5. न ही आग पर तवा और लोहे की कड़ाही आदि में भोजन पकाया जाता है।
6. किसान लोग अपनी नई फसल का तब तक प्रयोग नहीं करते जब तक वह नए अनाज से बाबे को रोट न चढ़ाएं।
राहु-केतु से परेशान हों तो क्या करें
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एक बड़ी सी रस्सी में सात गांठें लगाकर प्रतिकात्मक रूप से उसे सर्प बना लें इसे एक आसन पर स्थापित करें। अब इस पर कच्चा दूध, बताशा और फूल अर्पित करें। साथ ही गुग्गल की धूप भी जलाएं.
इसके पहले राहु के मंत्र 'ऊं रां राहवे नम:' का जाप करना है और फिर केतु के मंत्र 'ऊं कें केतवे नम:' का जाप करें।
जितनी बार राहु का मंत्र जपेंगे उतनी ही बार केतु का मंत्र भी जपना है।
मंत्र का जाप करने के बाद भगवान शिव का स्मरण करते हुए एक-एक करके रस्सी की गांठ खोलते जाएं. फिर रस्सी को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें. राहु और केतु से संबंधित जीवन में कोई समस्या है तो वह समस्या दूर हो जाएगी।
सांप से डर लगता है या सपने आते हैं।
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अगर आपको सर्प से डर लगता है या सांप के सपने आते हैं तो चांदी के दो सर्प बनवाएं साथ में एक स्वास्तिक भी बनवाएं। अगर चांदी का नहीं बनवा सकते तो जस्ते का बनवा लीजिए।
अब थाल में रखकर इन दोनों सांपों की पूजा कीजिए और एक दूसरे थाल में स्वास्तिक को रखकर उसकी अलग पूजा कीजिए।
नागों को कच्चा दूध जरा-जरा सा दीजिए और स्वास्तिक पर एक बेलपत्र अर्पित करें. फिर दोनों थाल को सामने रखकर 'ऊं नागेंद्रहाराय नम:' का जाप करें।
इसके बाद नागों को ले जाकर शिवलिंग पर अर्पित करें और स्वास्तिक को गले में धारण करें।
ऐसा करने के बाद आपके सांपों का डर दूर हो जाएगा और सपने में सांप आना बंद हो जाएंगे।
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Good Morning "गलतियाँ साबित करते हैं कि हम कोशिश कर रहे हैं, आंसू साबित करते हैं कि हममें भावनाएं हैं, झगड़े साबित करते ...
08/01/2022

Good Morning
"गलतियाँ साबित करते हैं कि हम कोशिश कर रहे हैं,
आंसू साबित करते हैं कि हममें भावनाएं हैं,
झगड़े साबित करते हैं कि हम रिश्ते में हैं,
भूख साबित करती है कि हम जिंदा हैं।
कुछ बुरे अनुभव जीवन में अच्छे लोगों की कीमत साबित करते हैं।*

07/31/2022




Good Morning "गलतियाँ साबित करती हैं कि हम कोशिश कर रहे हैं, आंसू साबित करते हैं कि हममें भावनाएं हैं, झगड़े साबित करते ...
07/13/2022

Good Morning
"गलतियाँ साबित करती हैं कि हम कोशिश कर रहे हैं,
आंसू साबित करते हैं कि हममें भावनाएं हैं,
झगड़े साबित करते हैं कि हम रिश्ते में हैं,
भूख साबित करती है कि हम जिंदा हैं।
कुछ बुरे अनुभव जीवन में अच्छे लोगों की कीमत साबित करते हैं।*

07/01/2022

जुलाई माह की तारीखो की खासियत....
प्रभु हम....1\7
तुम यदि..... 2\7
हम रहे सदा....7\7
यदि बना रहे....13\7
🙏 🙏
🌹🌹🌹🌹🌹 ✈️

06/30/2022


06/27/2022

विषय:-  विशेष सत्संग कार्यक्रम नंदग्राम में आदरणीय महात्मा इंदरजीत सिंह आहलूवालिया जी की अध्यक्षता में आयोजित किया जा रह...
06/25/2022

विषय:- विशेष सत्संग कार्यक्रम

नंदग्राम में आदरणीय महात्मा इंदरजीत सिंह आहलूवालिया जी की अध्यक्षता में आयोजित किया जा रहा है

🙏🏻अतः आपसे नम्र निवेदन है, कि सत्संग कार्यक्रम में पधारकर परिवार को आशीर्वाद दे।

शनिवार 25 जून 2022

➡ स्थान:- साई एनक्लेव D ब्लॉक नंदग्रम गाज़ियाबाद।
➡ दिनांक:- शनिवार , 25 जून 2022
➡समय :- शाम 7 से 8:30 बजे तक

निवेदक:-
बिंदर वर्मा जी
8595579512

दीपचंद जी
9315930166

माता प्रसाद जी
8800529965

सत्संग स्थल तक पहुंचने के लिए इसका उपयोग करे 👉🏻
653
https://maps.app.goo.gl/qTnxjwYcdfrf7Jnh9

06/16/2022

उत्तर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थल और मंदिर – Famous Temples in Uttar Pradesh In Hindi
Table of Contents
उत्तर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थल – Famous religious places in Uttar Pradesh In Hindi
वाराणसी – Varanasi In Hindi
वाराणसी के प्रमुख मंदिर- Temples Of Varanasi In Hindi
काशी विश्वनाथ मंदिर – Kashi Vishwanath Temple In Hindi
तुलसी मानसा मंदिर – Tulsi Manasa Temple In Hindi
दशाश्वमेध घाट – Dashashwamedh Ghat In Hindi
संकट मोचन मंदिर – Sankat Mochan Mandir In Hindi
कालभैरव मंदिर – Kaal Bhairav Mandir In Hindi
डंडी राज गणेश मंदिर – Dundi Raj Ganesh Temple In Hindi
वाराणसी के अन्य प्रसिद्ध मंदिर – Other Famous Temples Of Varanasi In Hindi
मथुरा – Mathura In Hindi
मथुरा के प्रमुख मंदिर – famous Temples Of Mathura in Hindi
कृष्ण जन्म भूमि मंदिर – Krishna Janma Bhoomi Mandir in Hindi
द्वारकाधीश मंदिर – Dwarkadhish Temple in Hindi
राधा कुंड – Radha Kund in Hindi
गोवर्धन पहाड़ी – Govardhan Hill in Hindi
रंगजी मंदिर – Rangji Temple Mathura in Hindi
मथुरा के अन्य धार्मिक स्थल – Other Religious Places In Mathura
वृंदावन – Vrindavan Dham In Hindi
वृंदावन के प्रमुख मंदिर – Famous Temples Of Vrindavan In Hindi
बांके बिहारी मंदिर – Banke Bihari Mandir In Hindi
प्रेम मंदिर वृंदावन धाम – Prem Mandir In Hindi
इस्कॉन मंदिर वृंदावन – Iskcon Temple In Hindi
गोपेश्वर महादेव मंदिर – Gopeshwar Mahadev Temple In Hindi
शाहजी मंदिर – Shahji Temple In Hindi
वृंदावन के अन्य प्रमुख मंदिर – Other major temples of Vrindavan In Hindi
इलाहाबाद – Allahabad In Hindi
इलाहाबाद के प्रमुख मंदिर और तीर्थ स्थल – Major Temples And Religious Places of Allahabad in Hindi
कुंभ मेला – kumbh Mela In Hindi
त्रिवेणी संगम – Triveni Sangam In Hindi
बड़े हनुमान मंदिर – Bade Hanuman Temple In Hindi
अलोपी देवी मंदिर – Alopi Devi Temple In Hindi
मनकामेश्वर मंदिर – Mankameshwar Temple In Hindi
ऑल सेंट कैथेड्रल – All Saints Cathedral Chruch In Hindi
माघ मेला – Magh Mela In Hindi
अयोध्या – Ayodhya In Hindi
अयोध्या के प्रमुख मंदिर – Famous Temples of Ayodhya In Hindi
रामजन्म भूमि – Ram Janma Bhoomi In Hindi
हनुमान गढ़ी – Hanuman Garhi In Hindi
त्रेता के ठाकुर – Treta Ke Thakur In Hindi
कनक भवन – Kanak Bhawan In Hindi
सीता की रसोई मंदिर – Sita Ki Rasoi In Hindi
चित्रकूट – Chitrakoot In Hindi
चित्रकूट के प्रमुख मंदिर और धार्मिक स्थल – Famous Temples And Religious Places Of ChitrakootIn Hindi
राम घाट – Ram Ghat In Hindi
अनुसुइया आश्रम – Sati Anusuya Ashrama In Hindi
हनुमान धारा – Hanuman Dhara In Hindi
भरत मिलाप मंदिर – Bharat Milap Mandir In Hindi
जानकी कुण्ड – Janki Kund In Hindi
चित्रकूट के अन्य मंदिर और धार्मिक स्थल – Other Temples And Religious Places of Chitrakoot In Hindi
सारनाथ – Sarnath in Hindi
सारनाथ के प्रमुख बौद्ध स्थल और मंदिर – Sarnath ke Prmukh Baudh Sthal Aur Mandir in Hindi
चौखंडी स्तूप – Chaukhandi Stupa In Hindi
थाई मंदिर – Thai Temple Sarnath In Hindi
तिब्बती मंदिर – Tibetan Temple In Hindi
अशोक स्तंभ – Ashoka Pillar In Hindi
विंध्याचल – Vindhyachal in Hindi
विंध्याचल के प्रमुख मंदिर – Famous Temples Of Vindhyachal In Hindi
विन्ध्यवासिनी मंदिर – Vindhyavasini Temple In Hindi
काली खोह मंदिर – Kali Khoh Temple In Hindi
अष्टभुजा मंदिर – Ashtabhuja Devi Temple In Hindi
रामेश्वर महादेव मंदिर – Rameshwar Mahadev Mandir In Hindi
विंध्याचल के अन्य मंदिर और धार्मिक स्थल – Other Temples And Religious Places Of Vindhyachal

उत्तराखंड के चार धाम | छोटा चार धामउत्तराखंड के चारधाम को छोटा चार धाम कहा जाता है। यह चार धाम करने से 1 धाम की यात्रा प...
06/16/2022

उत्तराखंड के चार धाम | छोटा चार धाम
उत्तराखंड के चारधाम को छोटा चार धाम कहा जाता है। यह चार धाम करने से 1 धाम की यात्रा पूर्ण होती है। बल्कि असली चार धाम तो बद्रीनाथ ,द्वारका ,जगन्नाथ पूरी और रामेश्वरम को कहा जाता है। पर उत्तराखंड के चार धाम का भी विशेष महत्व बताया गया है। धर्म ग्रंथो के अनुसार अगर तीर्थ यात्री यहाँ की यात्रा संपूर्ण कर लेता है तो वह जीवन मरण के चक्रो से मुक्त होकर सदगति को प्राप्त होता है। इस स्थान का विशेष महत्व इसलिए है की यह वही स्थान है जो पृथ्वी और स्वर्ग को एकाकार करवाता है।

हिमालय में बसे इन चार धामों को हिन्दू ग्रंथो में पवित्रम स्थानों में से बताया गया है। यह भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह यात्रा उत्तराखंड से गढ़वाल में उत्तरकाशी ,रुद्रप्रयाग और चमोली ज़िले में पड़ती है। और यह उत्तराखंड के चार धाम के नाम है,

1. यमुनोत्री

2. गंगोत्री

3. केदारनाथ और

4. बद्रीनाथ।

उत्तराखंड के चार धाम में बद्रीनाथ को भारत के चार धामों में पहला उत्तर स्थित धाम बताया गया है। यह उत्तराखंड के चार धाम को लगभग 4000 मीटर से भी अधिक ऊंचाई को चढ़ना होता है। यह इतना भी आसान नहीं है। पर श्रद्धा और विश्वास हो तो यह भी कठिन नहीं लगता।

उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा अधिक कठिन थी। पर चीन के साथ युद्ध के वक्त हमारे सैनिको का आना जाना लगा रहा ,इसकी वजह से यात्रालु के लिए यह रस्ते धीरे-धीरे आसान से होने लगे। फिर छोटा चार धाम मेसे छोटा शब्द को हटा दिया गया और हिमालय के चार धाम यात्रा और उत्तराखंड के चार धाम के नाम से प्रचलित होने लगा। जैसे जैसे पर्यटक और यात्रालू का भारी मात्रा में आना जाना बढ़ा , वैसे-वैसे यह स्थान उत्तराखंड के चार धाम का प्रमुख तीर्थ यात्रा धाम बन गया। अप्रैल से नवम्बर तक यहाँ तक़रीबन 2 लाख से 2.5 लाख के आस पास यात्रालु यहाँ आते है। मानसून से पहले तीर्थ यात्री ज्यादा आते है। क्यूंकि मानसून में भूस्खलन का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसीलिए उत्तराखंड के चार धाम अप्रैल और मई यात्रा का श्रेष्ठ समय माना जाता है।

उत्तराखंड के चार धाम

1. यमुनोत्री:

बांदरपूछ के पश्चिमी जगह, पवित्र यमुनोत्री का मंदिर मिलता है। प्राचीन रूप से यमनोत्री तीर्थयात्री का पहला पड़ाव है। जानकी चट्टी से 6 किलोमीटर चढ़ाई करके यमुनोत्री पहुंचते है। जयपुर की महारानी गुलेरिया ने इस मंदिर का निर्माण 19 मि शतापदि में किया था।
पौराणिक कथा के अनुसार यमराज और यमुना देवी दोनों सूर्य के पुत्र ,पुत्री थे। यह कहा गया है ,अगर कोई तीर्थयात्री श्रद्धा से यह यमुना नदी में स्नान करता है ,तो उसे यमराज की पीड़ा नहीं सहनी पड़ती। यमुना देवी को अपने भाई यमराज से यह वरदान मिला था।

यमुनोत्री के पास कई गरम पानी के कुंड भी मिलते है। जैसे सूर्य कुंड काफी प्रसिद्ध कुंड में से एक है। कहते है, सूर्यदेव ने अपनी पुत्री को आशीर्वाद स्वरुप यह गरम पानी का रूप लिया।

तीर्थ यात्री इसी कुंड में चावल डालते है, फिर जब वह चावल गर्म पानी में पक जाते है, तब प्रसाद स्वरुप श्रद्धालु उसे अपने घर ले जाते है। सूर्य कुंड के पास एक दिव्य शिला भी है। श्रद्धालु इस शिला की पूजा भी करते है।

चार धाम की यात्रा में यमनोत्री तीर्थयात्री पहले पहुंचते है। नदी किनारे का यह धाम का उद्गम स्थल कलिंद पर्वत से निकलता है।

पुराण कथा के अनुसार एक बार भैयादूज पर यमराज ने अपनी बहन यमुना को यह आशीर्वाद दिया था, के जो कोई तीर्थयात्री यमुना नदी में स्नान करे, या डुबकी लगता है, तो उसे यमलोक नहीं लेजाया जायेगा।

उसे सीधा मोक्ष का मार्ग मिलेगा। यह भी कहते है, की यमुना में स्नान से आकस्मिक और दर्दनाक मृत्यु से छुटकारा मिलता है। शायद इसीलिए यमनोत्री जानेका महत्व सबसे पहले माना गया है।

2. गंगोत्री:

गंगोत्री की ऊंचाई समुद्र तल से 3140 मीटर तक है। गंगोत्री को भागीरथी नदी भी कहते है। हिन्दू धर्म की पवित्रम नदिओं में से एक भागीरथी नदी मानी जाती है। राजा भगीरथ ने यह नदी को पृथ्वी पे लाने के लिए तपस्या की थी। इसीलिए इसका नाम भागीरथी कहा गया है।

पुराण कथा मिलती है की राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ करवाया था। यह अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को उन्होंने जहा-जहा दौड़वाया ,वहा की जगहों को उनके 60,000 पुत्रो ने अपने आधिपत्य यानि कब्ज़े में ले लिया था।

इससे देवराज इंद्र को चिंता हुई और उन्होंने उस यज्ञ के घोड़े को कपिलमुनि के आश्रम में पंहुचा दिया। राजा सगर के पुत्रो ने ज़बरजस्ती करके कपिल मुनि के आश्रम से वह घोडा छुड़ा लिया ,तब कपिल मुनि काफी नाराज़ हुवे।

उन्होंने क्रोध वश राजा सगर के सभी पुत्रो को श्राप दे डाला। जिससे सारे पुत्र एक राख में बदल गए। राजा सगर की विनती से कपिल मुनि ने अपनी नाराज़गी दूर की और उन्होंने एक उपाय बताया, की स्वर्ग में विचरण करने वाली नदी को अगर पृथ्वी पे ला सके, तो उसके पवित्र जल से आपके सारे पुत्र पुनः जीवित हो उठेंगे।
पर राजा सगर स्वर्ग की नदी को लाने में सफल नहीं हुवे। फिर राजा सगर के पुत्र भगीरथ ने घोर तपस्या करि ,और नदी को प्रुथ्वी पर लाने में सफल हुवे।

पर गंगा के तेज़ प्रवाह को पृथ्वी में पटकना इतना आसान नहीं था। उन्होंने भगवन शंकर से सहाय मांगी और कहा आप इस नदी के प्रवाह को अपनी जटा से नियंत्रित करे।

उसके बाद राजा भगीरथ ने सगर के 60,000 पुत्रो को गंगा के पवित्र जल के स्पर्श से जीवित किया। भारत में गंगा नदी को मोक्षदायनी नदी के रूप में माना जाता है।

इसी वजह से हिन्दू अपने पितृ का श्राद्ध और पिंड दान चंद्र पंचांग के अनुसार करते है। इसके बाद गंगा नदी के जल में स्नान करके श्रद्धालु गंगा नदी के पवित्र जल को अपने साथ ले जाते है।

गंगोत्री में लिया गया जल तीर्थयात्री केदारनाथ और सभी तीर्थो में भी अर्पित करते है। गंगा नदी सबसे पवित्र और सबसे लंबी नदी में से एक है। गंगोत्री मंदिर से 19 किलोमीटर दूर गौमुख ग्लेशियर गंगा नदी का वास्तविक स्थान है। भगीरथ ने 1000 वर्षो तक तप्या के पश्चात् गंगा स्वर्ग से उतरी थी।
3. केदारनाथ:

समुद्र से 11746 फिट ऊंचाई में केदारनाथ स्थित है। यमुनोत्री के बाद केदारनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने को पवित्र माना गया है।

वायु पुराण में बताया गया है की भगवान् विष्णु मनुष्यो के कल्याण के लिए पृथ्वी लोक आके बसे थे। सबसे पहले बद्रीनाथ पर उनका पावन चरण पड़ा।

यह जगह पहले भगवान् शिव की थी, परन्तु भगवन विष्णु को यह जगह ध्यान के लिए योग्य लगी, तो फिर भगवन शिव ने भगवन विष्णु के लिए यह स्थान को त्याग दिया ,और केदारेश्वर चले गए।

इसीलिए केदारनाथ का स्थल त्याग की भावनाओ को भी दर्शाता है, इसीलिए शायद पंचकेदार यात्रा करने में केदारनाथ को उत्तम अवं अहम् स्थान कहा गया है।आदि शंकराचार्य ने 32 वर्ष की आयु में यही समाधी मग्न होकर अपने प्राण त्यागे थे।

केदारनाथ मात्र आध्यात्मिक दृस्टि से नहीं बल्कि स्थापत्य कला में भी यह मंदिर सबसे अलग है। इस मंदिर को कत्युरी शैली में बनाया गया है।

केदारनाथ तीर्थ 12 ज्योर्तिर्लिंगो मे से एक है। और पंचकेदार में सबसे ख़ास। केदारनाथ मंदिर के पास मन्दाकिनी नदी स्थित है ,और केदारनाथ हिमालय की गोद में बिराजमान है।

इससे जुडी एक कथा हमे मिलती है, की महाभारत युद्ध के बाद पांडवो को भातृ हत्या का पाप लगा था। पांडवो को ऋषि ने इस पाप से बचने के लिए भगवन शंकर के दर्शन का मार्ग बताया।

तब भगवन शंकर पांडवो के भातृहत्या से नाराज़ थे, तो भगवन शंकर उनको दर्शन नहीं देना चाहते थे ,तो वह केदारनाथ जाके बस गए।

पांडव उनको ढूँढ़ते हुवे हिमालय आ पहुंचे। तब भगवन शिव ने अपने आप को एक बेल में बदल लिया। भीम को पता चल गया की यह बेल नहीं है बल्कि भगवन शंकर ही है।

भीम ने उनको पकड़ना चाहा पर वह अंतर्धान हो गए ,तब भीम ने उनकी पीठ पकड़ली थी। तब पांच अलग-अलग जगह पर वापस से दिखाई पड़े थे।
कहा जाता है, की बेल के रूप में शिवजी अंतर्धान हुवे, तब उनके धड़ के ऊपर का भाग, काठमांडू में प्रगट हुआ। जिसे आज पशुपतिनाथ मंदिर के रूप में माना जाता है।

उनकी भुजाये तुंगनाथ में ,उनका मुख रुद्रनाथ में ,नाभि मधेश्वर में ,और उनकी जटा कल्पेश्वर में प्रगट हुई। इसीलिए इन चार स्थान के साथ पांचवा स्थान केदारेश्वर को पंच केदार के नाम से भी जाना जाता है।

4. बद्री नारायण:

बद्री नारायण नर और नारायण दोनों पर्वत के मध्य में स्थित है। जो समुद्र ताल से 3133 मीटर की उंचाइओ पर स्थित है। अलकनंदा नदी मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता को निखारती है।

कहते है की भगवन विष्णु इसी स्थान पर ध्यान में लीन रहते है। विष्णु जी को छाया मिल सके इसलिए लक्ष्मीजी ने बैर (बदरी) के पेड़ का रूप लिया था।

अचंभे की बात यह है की अभी बैर के पेड़ बहुत ही कम मात्रा में दिखाई पड़ते है, पर बद्रीनारायण का पेड़ अभी भी वही के वही ही है। नारदजी जो नारायण के सबसे बड़े भक्तो में से एक है, उनकी उपासना भी यहाँ की जाती है।

अभी जो मंदिर बना हुवा है, उसका निर्माण राजा गढ़वाल द्वारा किया गया था। शंकुधारी शैली में बना यह मंदिर की ऊंचाई 15 मीटर की है। मंदिर में 15 मुर्तिया बिराजमान है।
मंदिर में नर और नारायण के साथ श्री विष्णु भी ध्यान की स्थिति में विद्धमान है। वैदिक काल में बना यह मंदिर को पुनउद्धार आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया। इस मंदिर में देवी लक्ष्मी ,माता पारवती, शंकर भगवन और भगवन गणेश जी की भी मूर्ति है।

चार धाम यात्रा का अंतिम और चौथा स्थान बद्रीनाथ धाम है। बद्रीनाथ धाम उपमहाद्रीप में सबसे पवित्रम स्थान माना गया है।

बद्रीनाथ हर साल 10 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री आने का अनुमान है। यह एक ही ऐसा स्थान है, की चारधाम और छोटा चारधाम दोनों का ही भाग है।

मंदिर के अंदर भगवन बद्रीनाथ की एक मीटर काले पथ्थर से जुडी लंबी मूर्ति विद्धमान है। यह मूर्ति 8 स्वयंभू मूर्तियों में से एक है, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित की गई थी।

पौराणिक कथा अनुसार भगवन विष्णु ध्यान के लिए स्थान खोज रहे थे ,और अचानक इस स्थान पर आ पहुंचे। यहाँ विष्णु जी इतने ध्यान में लीन हो गए की यहाँ की अत्यधिक ठंड का भी उनको एहसास नहीं हुआ।

उनको इस ठन्डे मौसम से रक्षा हेतु लक्ष्मीजी ने अपने आपको बैर के वृक्ष, यानि बद्री के वृक्ष में धारण कर लिया। भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी की भक्ति से प्रसन्न होकर इस जगह को ‘बद्रिकाश्रम ‘ नाम दिया।

उत्तराखंड के चार धाम से जुड़े प्रश्न उत्तर।
चार धाम का क्या अर्थ है?
चार धाम यात्रा करने से हमारे सभी पाप धूल जाते है ,और हमारे अंदर आध्यात्मिकता का संचार होता है। हिन्दू ग्रंथो अनुसार व्यक्ति जीवन मरण से मुक्त होकर ,मोक्ष का भागिदार बनता है।

चार धाम कौन से?
वैसे तो हिन्दू धर्म में चार धाम बद्रीनाथ ,द्वारका ,जगन्नाथ पूरी और रामेश्वरम को बताया गया है। पर उत्तराखंड के चार धाम के नाम भी इसमें शामिल है जिसे छोटा चार धाम भी कहा जाता है। इसमें यमनोत्री ,गंगोत्री ,केदारनाथ और बद्रीनाथ शामिल है।
चार धाम की यात्रा करने से क्या होता है?
चार धाम की यात्रा से यमुनोत्री और गंगोत्री नदी का अधिक महत्व बताया गया है। इस यात्रा में यह दो नदियों में स्नान करने से मनुष्य सभी पापो से मुक्त हो जाता है ,और जीवन मरण से मुक्त होकर, मोक्ष की गति को प्राप्त करता है।

भारत का पहला धाम कौन सा है?
हिन्दू ग्रंथो के अनुसार भारत का पहला धाम भगवान् विष्णु के बद्रीनाथ धाम को बताया गया है।

06/16/2022

06/13/2022

*बारिश में नहाना आसान तो है*,
*लेकिन....*
*रोज नहाने के लिए हम बारिश*
*के सहारे नहीं रह सकते...!!*
*इसी प्रकार भाग्य से कभी-कभी*
*चीजे आसानी से मिल जाती है,*
*किन्तु हमेशा भाग्य के भरोसे नहीं जी*
*सकते...!!*
*कर्म ही असली भाग्य है*

चिंता करना यानि ईश्वर की सत्ता पर  शक करना है।
06/11/2022

चिंता करना
यानि ईश्वर की
सत्ता पर शक
करना है।

06/07/2022

कुछ महत्वपूर्ण व्यवहार , जिसमें हम अक्सर चूक करते रहते हैं ।
👇😊 🙏
1. किसी को लगातार दो बार से ज्यादा कॉल न करें। यदि वे आपका कॉल नहीं उठाते हैं, तो मान लें कि उनके पास करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण काम है;
2. उधार लेने वाले व्यक्ति को याद करने या मांगने से पहले भी जो पैसा आपने उधार लिया है उसे लौटा दें। यह आपकी ईमानदारी और चरित्र को दर्शाता है।
3. जब कोई आपको लंच/डिनर दे रहा हो तो मेन्यू में कभी भी महंगी डिश ऑर्डर न करें।
4. अजीब सवाल मत पूछो जैसे 'ओह तो आपने अभी तक शादी नहीं की है?' या 'क्या आपके बच्चे नहीं हैं' या 'आपने घर क्यों नहीं खरीदा?' या आप कार क्यों नहीं खरीदते ? भगवान के लिए यह आपकी समस्या नहीं है;
5. अपने पीछे आने वाले व्यक्ति के लिए हमेशा दरवाजा खोलें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह लड़का है या लड़की, सीनियर या जूनियर। सार्वजनिक रूप से किसी के साथ अच्छा व्यवहार करने से आप छोटे नहीं हो जाते;
6. यदि आप किसी मित्र के साथ टैक्सी लेते हैं और वह अभी भुगतान करता है, तो अगली बार भुगतान करने का प्रयास करें;
7. विचारों के विभिन्न रंगों का सम्मान करें। याद रखें कि आपके लिए जो 6 है वह आपके सामने आने वाले व्यक्ति को 9 दिखाई देगा। इसके अलावा, दूसरी राय एक विकल्प के लिए अच्छी है;
8. बात करने वाले लोगों को कभी बाधित न करें। उन्हें इसे बाहर निकालने दें। जैसा वे कहते हैं, उन सब को सुनो और उन सब को विश्लेषण करे ;
9. यदि आप किसी को चिढ़ाते हैं, और वे इसका आनंद नहीं लेते हैं, तो इसे रोकें और फिर कभी ऐसा न करें। यह व्यक्ति को और अधिक करने के लिए प्रोत्साहित करता है और यह दर्शाता है कि आप कितने प्रशंसनीय हैं;
10. जब कोई आपकी मदद कर रहा हो तो "धन्यवाद" कहें।
11. सार्वजनिक रूप से प्रशंसा करें। निजी तौर पर आलोचना करें;
12. किसी के वजन पर टिप्पणी करने का लगभग कोई कारण नहीं है। बस कहें, "आप शानदार लग रहे हैं।" अगर वे वजन कम करने के बारे में बात करना चाहते हैं, तो वे करेंगे;
13. जब कोई आपको अपने फोन पर फोटो दिखाता है, तो बाएं या दाएं स्वाइप न करें। आप कभी नहीं जानते कि आगे क्या है;
14. यदि कोई सहकर्मी आपको बताता है कि उनके पास डॉक्टर का अपॉइंटमेंट है, तो यह न पूछें कि यह किस लिए है, बस "मुझे आशा है कि आप ठीक हैं" कहें। उन्हें अपनी व्यक्तिगत बीमारी बताने की असहज स्थिति में न डालें। यदि वे चाहते हैं कि आपको पता चले, तो वे आपकी जिज्ञासा के आपको बता ही देंगे ;
15. क्लीनर के साथ सीईओ के समान, सम्मान के साथ व्यवहार करें। कोई भी इस बात से प्रभावित नहीं होता है कि आप अपने से नीचे के किसी व्यक्ति के साथ कितना असभ्य व्यवहार कर सकते हैं, लेकिन यदि आप उनके साथ सम्मान से पेश आते हैं तो लोग नोटिस करेंगे;
16. अगर कोई व्यक्ति आपसे सीधे बात कर रहा है, तो अपने फ़ोन में देखते रहना अशिष्टता है;
17. कभी भी सलाह न दें जब तक आपसे पूछा न जाए;
18. किसी से लंबे समय के बाद मिलते समय, जब तक कि वे इसके बारे में बात न करना चाहें, उनसे उनकी उम्र और वेतन न पूछें;
19. अगर आप गली में किसी से बात कर रहे हैं तो अपना धूप का चश्मा हटा दें। यह सम्मान का प्रतीक है। और फिर, आँख से संपर्क करना आपके भाषण जितना ही महत्वपूर्ण है ।
20. ग़रीबों के बीच कभी भी अपनी धन-संपत्ति की बातें न करें ।
21. एक अच्छा संदेश पढ़ने के बाद "संदेश के लिए धन्यवाद" कहने का प्रयास करें।

Happiness 🥰
06/07/2022

Happiness 🥰

Tu hi NirankarMai Teri Sharan HaaMainu Baksh LoDhan Nirankar Jiअगर मालिक के लिए अपने अन्तर में सच्ची तड़प पैदा नही हुई त...
06/02/2022

Tu hi Nirankar
Mai Teri Sharan Haa
Mainu Baksh Lo
Dhan Nirankar Ji
अगर मालिक के लिए अपने अन्तर में सच्ची तड़प पैदा नही हुई तो उसकी बन्दगी में लगे रहों क्योंकि वह मालिक तो मजदूरों को अपनी मजदूरी से वंचित नहीं रख सकता l

भगती गलॉं नाल नहीं हूंदीबेड़ी पार छलॉं नाल नहीं हूंदी बहुत ज़रूरी होणां हूंदा रूह नूं रब दा एहसासDhan Nirankar Ji
06/01/2022

भगती गलॉं नाल नहीं हूंदी
बेड़ी पार छलॉं नाल नहीं हूंदी
बहुत ज़रूरी होणां हूंदा रूह नूं रब दा एहसास
Dhan Nirankar Ji

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