03/03/2020
उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य और खूबसूरती को देखना चाहते हैं। तो अपनी यात्रा में #डोडीताल ट्रेकिंग को शामिल करना न भूलें। उत्तराखंड राज्य के “उत्तरकाशी जिले में स्थित #डोडीताल″(Dodital) झील समुद्र तल से 3,050 मीटर की ऊंचाई पर नैसर्गिक छटा बिखेरती झील है। इन सुंदर मनोरम तालों के दृश्यों कारण उत्तराखंड की नैसर्गिक खूबसूरती के बारे में कहा जाता है कि इसके आगे यूरोप की खूबसूरती भी फेल है। यही वजह है कि इन खूबसूरत वादियों में दुनियाभर से पर्यटक आते हैं। डोडीताल अपनी शांत एवं सुन्दर वातावरण के कारण उत्तर भारत के सबसे खूबसूरत उच्च ऊंचाई वाली झीलों में से एक है। यह झील बहुत कम जलीय पारितन्त्रों में से एक हैं जहां दुर्लभ #हिमालयी #ब्राउन #ट्राउट मछली पायी जाती है। हिमालय की गोद में बसा यह खुबसूरत प्राकृतिक झील डोडीताल प्रकृति प्रेमियों और ट्रैकिंग के प्रति उत्साही लोगों के लिए यह एक काफी मनोरम स्थान है। इसे भारत के खूबसूरत झीलों में एक माना जाता है। डोडीताल उत्तरकाशी से लगभग 39 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। डोडीताल तक पहुंचने के लिए संगमचट्टी से अगोड़ा व बेवरा, मांझी होते हुए कुल 22 किलोमीटर पैदल यात्रा तय करनी पड़ती है। डोडीताल को अद्धभुत रहस्यमय ताल माना जाता हैं पौराणिक कथाओं के अनुसार इस ताल को भगवान गणेश की जन्म भूमि माना जाता हैं इस ताल को ढुड़ी गणेश ताल या गणेश झील के नाम से भी जाना जाता हैं। यहां पर मां अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर भी है। इस ताल की उत्पत्ति प्राकृतिक झरने जो दारबा टाॅप से आता है से है। और यह झील असीगंगा नदी का उद्गम स्थल भी है जो गंगोरी में भागीरथी(गंगा) से मिलती है। हवाई सफर के रास्ते यहाँ तक पहुचने के लिए आप जॉली ग्रांट एअरपोर्ट तक बायएयर आ सकते हैं वहां से बस अथवा टैक्सी से आसानी से जा सकते हैं जॉली ग्रांट एअरपोर्ट से डोडीताल की दूरी लगभग 207 किलोमीटर है तथा यदि आप देहरादून तक ट्रेन से भी आना चाहें तो आसानी आ सकते हैं। देहरादून से बस अथवा कार से आसानी से डोडीताल तक जा सकते हैं देहरादून से डोडीताल की दूरी लगभग 190 किमी है। इस जगह पर वन विभाग एक गेस्ट हाऊस व धर्मशाला भी है किंतु अधिकांश ट्रेकिंग पर आये लोग अपने एजेंसियों के टैंट में रहना पंसद करते हैं। डोडीताल मंदिर समिति द्वारा यहाँ प्रतिवर्ष अप्रैल में कपाट खुलने के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है। समशीतोष्ण वनस्पति की इस क्षेत्र में प्रधानता व प्रतिनिधित्व है। सामान्यतः यहां की वनस्पतियों में क्वर्कस प्रजातियों का प्रभुत्व है; क्वकर्स ल्योकोट्राइकोफोरा, डाइलेटा, रोडोडेन्ड्रोन अरबोरिययम, बर्बेरिस एरिस्टाटा, सालिक्स एलिगेंस आदि जैसी प्रजातियों के अलावा यहाँ क्लेमाटिस ग्रैटा, क्लेमाटिस गौरियाना के अनेको औषधीय महत्व की हर्ब, शर्ब व ट्री भी मौजूद हैं। जलीय पारिस्थितिकी तंत्र मानव जाति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भौतिक-रासायनिक विश्लेषण व अध्ययन के आधार पर गर्मियों, मानसून और सर्दियों के मौसम के दौरान झील में जल के पीएच में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखा गये हैं। झील के जल का पीएच मान 6.5 से 7.20 के बीच पाया गया है। यह परिवर्तन 6.5 से 8.5 (WHO) की अनुमेय सीमा (permissible limit) के भीतर पायी गयी है जो कि उत्तम है। मानसून और सर्दियों के दौरान पीएच में गिरावट झील के पानी में कार्बोनिक एसिड की मात्रा में वृद्धि के कारण व मौसमी बारिश के वजह हो सकती है। जलीय परिस्थितियां न तो उच्च क्षारीय है और न ही अत्यधिक अम्लीय है। क्षारीयता लगभग 33- 40 mgl -l है। पानी का pH मुख्यतः CO2 द्वारा प्रभावित होता है। जल का तापमान (0C) वर्षभर औसतन न्यूनतम 2 से अधिकतम 7 है। इसी प्रकार हवा का तापमान वर्षभर औसतन 10 डिग्री से नीचे ही पाया गया है। पानी में कुल घुलित ठोस (टीडीएस) अत्यधिक न्यून यानि 10 पीपीएम से कम हैं। जल की कठोरता 14 से 16 पीपीएम के मध्य व क्लोराइड 4 से 15 पीपीएम है। जल में घलित आक्सीजन (Dissolved oxygen: DO) की मात्रा औसतन 8 से 11 mgl -l है। पानी में मुक्त कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 3.5 से 4.5 mgl -l के बीच रहती है। जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के आवश्यक घटकों में कार्बन डाइऑक्साइड की बहुतायता कुछ विशिष्ट प्रभावों को उजागर करती है।