Agnihotri tour organiser

Agnihotri tour organiser Providing all type taxi vehicles,bus, accommodation,foo launge etc. services

10/05/2024

अक्षय तृतीया की सभी को अग्निहोत्री टूर ऑर्गनाइजर की तरफ से हार्दिक बधाई।।
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Char dham yatra yatra is on.........First group started our spritual tour with AGNIHOTRI TOUR ORGANIZER on blessings of ...
08/05/2024

Char dham yatra yatra is on.........
First group started our spritual tour with AGNIHOTRI TOUR ORGANIZER
on blessings of Badri Vishal.
Jai Badri Vishal
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08/05/2024

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केदारनाथ जी हेलीकॉप्टर सेवा सिर्फ irctc की आधिकारिक वेबसाइट https://heliyatra.irctc.co.in पर हि बुक करे ।किसी फर्जी विज्...
13/04/2024

केदारनाथ जी हेलीकॉप्टर सेवा सिर्फ irctc की आधिकारिक वेबसाइट https://heliyatra.irctc.co.in पर हि बुक करे ।
किसी फर्जी विज्ञापन या फर्जी वेबसाइट/एजेंट के शिकार होने से बचें l

*चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नव संवत्सर २०८१, भारतीय नव वर्ष, गुड़ी पड़वा, एवं चैत्र नवरात्रि की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।*...
09/04/2024

*चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नव संवत्सर २०८१, भारतीय नव वर्ष, गुड़ी पड़वा, एवं चैत्र नवरात्रि की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।*

*नव वर्ष में आप सभी को आरोग्य, सुख समृद्धि एवं यश प्राप्त हो।*

*इन्ही शुभकामनाओं के साथ पुनः आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।*
*🌷सबका मंगल हो🌷*

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03/04/2024

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01/04/2024

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01/04/2024
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12/03/2024

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Book your Uttarakhand spritual tour with us.Contact:-Mob no.:- +91 080778 27566 ,8439527881Email id:- shubhamagnihotri.9...
11/03/2024

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Contact:-
Mob no.:- +91 080778 27566 ,8439527881

Email id:- [email protected]

Uttarakhand summer Char dham Yatra season started.Yamunotri ji, Gangotri ji, Kedarnath ji gate open on 10th May 2024 and...
10/03/2024

Uttarakhand summer Char dham Yatra season started.

Yamunotri ji, Gangotri ji, Kedarnath ji gate open on 10th May 2024 and Badrinath ji gate open on 12th May 2024.

For your char dham yatra booking contact 080778 27566 ,8439527881.

SSATTE 2024,,NOIDA INDIAN EXPO.
24/02/2024

SSATTE 2024,,

NOIDA INDIAN EXPO.

पंचबद्री उत्तराखंड में स्थित, पंच बद्री बद्रीनाथ धाम की तरह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है| बद...
12/10/2023

पंचबद्री उत्तराखंड में स्थित, पंच बद्री बद्रीनाथ धाम की तरह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है| बद्रीनाथ धाम पंच बद्री में से ही एक है पंच बद्री मंदिरों की यह विशेषता है कि इनमें विष्णु भगवान के अलग-अलग रूपों की मूर्ति स्थापित है | यह पांचो मंदिर बद्रीनाथ धाम के क्षेत्र से लेकर नंदप्रयाग के बीच में स्थित है पंच बद्री में बद्रीनाथ, योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री और आदि बद्री का नाम आता है|

1. बद्रीनाथ
बद्रीनाथ मंदिर का वर्णन हिन्दू धर्म ग्रंथों में भी मिलता है, लेकिन यह माना जाता है कि यहां स्थित वर्तमान मंदिर की स्थापना आठवीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी| इस मंदिर का ढांचा कई बार भूकंप की वजह से टूटा है लेकिन इसका जीर्णोद्धार होता रहा है| बद्रीनाथ धाम को विष्णु भगवान का बैकुंठ भी कहा जाता है, यह मंदिर हिमालय पर्वत की रेंज में नर और नारायण पहाड़ियों के बीच में 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान विष्णु ने नर और नारायण के अवतार के रूप में तपस्या की थी| बद्रीनाथ भारत में स्थित आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार धाम मंदिरों में से एक है यह मंदिर चमोली जिले में स्थित है |

2. योग ध्यान बद्री
यह मंदिर चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे गोविंद घाट के पास स्थित है समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1920 मीटर है| यह जिस स्थान पर स्थित है उसे पांडुकेश्वर कहा जाता है, ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर पांडवों का जन्म हुआ था और यहां पर जो मूर्ति स्थापित है उसकी स्थापना पांडवों के पिता पांडू ने की थी| इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां विष्णु भगवान की जो मूर्ति स्थापित है उसमें वह ध्यान मुद्रा में दिखाई देते हैं इसीलिए इस मंदिर को योग ध्यान बद्री के रूप में जाना जाता है |

3. भविष्य बद्री
भविष्य बद्री चमोली जिले के जोशीमठ के पास सुभाई गांव में स्थित है, यह मंदिर 2744 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था| यह मंदिर घने जंगलों में स्थित है, यहाँ भगवान विष्णु के नरसिंह रूप की पूजा होती है| इस मंदिर तक पहुंचने के लिए जोशीमठ से सलधर नामक जगह तक जाना पड़ता है, जोशीमठ से सलधर की दूरी 11 किलोमीटर है, यह दूरी बस या गाड़ियों द्वारा तय की जाती है, यहाँ से फिर 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रियों को पैदल पहाड़ों की सीधी चढ़ाई करनी पड़ती है |

4. वृद्ध बद्री
वृद्ध बद्री मंदिर जोशीमठ से 7 किलो दूरी पर अनिमथ गांव में स्थित है यहां भगवान विष्णु की पूजा एक वृद्ध व्यक्ति के रूप में की जाती है| भगवान विष्णु के समृद्ध रूप की एक कथा प्रचलित है ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी भगवान विष्णु उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर एक वृद्ध व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए थे यह मंदिर पूरे साल खुला रहता है|

5. आदिबद्री
यह मंदिर पंडाल और अलकनंदा नदी के संगम पर स्थित है, यह चमोली जिले में कर्णप्रयाग से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस मंदिर के लिए यह कथा प्रचलित है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे तब उन्होंने इन मंदिरों का निर्माण करवाया था| पहले यहां 16 मंदिर थे जिनमें से 2 मंदिर अब नष्ट हो चुके हैं और 14 मंदिर बचे हुए हैं इनमें से मुख्य मंदिर भगवान विष्णु का है, इस मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है जो कि काले रंग के पत्थर से बनी हुई है, यहां स्थापित मंदिरों की शैली कत्यूरी शैली है जिसका निर्माण बाद में करवाया गया था|

उत्तराखंड कुमाउँ-गढ्वाल और नेपाल का डोटी भाग में असीम प्राकृतिक सौंदर्य को अपने गर्भ में छिपाए, हिमालय की पर्वत शृंखलाओं...
09/10/2023

उत्तराखंड कुमाउँ-गढ्वाल और नेपाल का डोटी भाग में असीम प्राकृतिक सौंदर्य को अपने गर्भ में छिपाए, हिमालय की पर्वत शृंखलाओं के मध्य, सनातन हिन्दू संस्कृति का शाश्वत संदेश देने वाले, अडिग विश्वास के प्रतीक केदारनाथ और अन्य चार पीठों सहित, पंच केदार के नाम से जाने जाते हैं। श्रद्धालु तीर्थयात्री, सदियों से इन पावन स्थलों के दर्शन कर, कृतकृत्य और सफल मनोरथ होते रहे हैं।

केदारनाथ

केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से ३५८३ मीटर की ऊँचाई पर है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग है, इसे जीवित ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। मंदिर के लिए पैदल मार्ग का आरंभ गौरीकुंड से होता है, जिसकी दूरी लगभग वर्तमान में 18 किलोमीटर है। गंगोत्री यात्रा के बाद केदारनाथ यात्रा का विधान है जो गंगोत्री से लगभग 343 किलोमीटर दूरी पर जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

तुंगनाथ

तुंगनाथ मंदिर विश्व का सर्वाधिक ऊंचा शिव मंदिर है, यह समुद्र तल से 3680 मीटर की ऊँचाई पर है। उखीमठ तथा गोपेश्वर दोनों से ही लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चोपता (मिनी स्विट्जरलैंड) से मंदिर के लिए लगभग 3.5 किलोमीटर का पैदल मार्ग आरंभ होता है। तुंगनाथ में भगवान शिवजी की भुजाओं की पूजा होती है।

रुद्रनाथ

रुद्रनाथ मंदिर समुद्र तल से २२८६ मीटर की ऊंचाई पर है। यहां के लिए सागर नामक स्थान से मंदिर तक लगभग 18 किलोमीटर का पैदल मार्ग है।

मध्यमहेश्वर

मध्यमहेश्वर मंदिर समुद्र तल से ३४९० मीटर की ऊँचाई पर है। उखीमठ से रांसी तक सड़क मार्ग है लेकिन वहां से आगे लगभग 18 किलोमीटर पैदल मार्ग है।

कल्पेश्वर

कल्पेश्वर मंदिर समुद्र तल से २२०० मीटर की ऊँचाई पर है। हेलांग नामक स्थान से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसमें लगभग 3 किलोमीटर का पैदल मार्ग है

Uttarakhand panch kedar
07/05/2023

Uttarakhand panch kedar

मां गंगा का सफर गौमुख से हरिद्वार तक〰️〰️🌼〰️〰️🌼🌼〰️〰️🌼〰️〰️उत्तराखंड देवभूमि है। यहां पंच प्रयाग में दर्शन से जीवन में उल्ल...
07/05/2023

मां गंगा का सफर गौमुख से हरिद्वार तक
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उत्तराखंड देवभूमि है। यहां पंच प्रयाग में दर्शन से जीवन में उल्लास आता है।

ये प्रमुख पंच प्रयाग हैं👉 विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग।

यह पंच प्रयाग उत्तराखंड की मुख्य नदियों के संगम पर हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नदियों का संगम बहुत ही पवित्र माना जाता है। इन पंच प्रयागों का पवित्र जल एक साथ अलकनंदा और भगीरथी का जल भगवान श्रीराम की तपस्थली देवप्रयाग में मिलता है और यहीं से भगीरथी और अलकनंदा का संगम गंगा के रूप में अवतरित होता है।

उत्तराखंड के हिमालय के क्षेत्र के पंच प्रयाग यानी संगम को सबसे पवित्र माना गया है, क्योंकि गंगा, यमुना सरस्वती और उनकी सहायक नदियों का उत्तराखंड देवभूमि उद्गम स्थल है। जिन जगहों पर इनका संगम होता है उन्हें प्रमुख तीर्थ माना जाता है। जिनमें स्नान का विशेष महत्व है और इन्हीं संगम स्थलों पर पूर्वजों के मोक्ष के लिए श्राद्ध तर्पण भी किया जाता है।

विष्णुप्रयाग
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बद्रीनाथ से होकर निकलने वाली विष्णु प्रिया अलकनंदा नदी और धौली गंगा नदी का जोशीमठ के नजदीक जिस स्थान पर मिलन होता है इन दोनों नदियों के उस पवित्र संगम को विष्णु प्रयाग कहते हैं। इस पवित्र संगम पर भगवान विष्णु का प्राचीन मंदिर है। यह या पवित्र संगम तल से 1372 मीटर की ऊंचाई पर है। स्कंदपुराण में विष्णुप्रयाग की महिमा बताई गई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस संगम की प्रमुख नदियों धौलीगंगा और अलकनंदा में पांच-पांच कुंड हैं। यहीं से सूक्ष्म बदरिकाश्रम प्रारंभ होता है। इसी स्थान पर दाएं जय और बाएं विजय दो पर्वत स्थित हैं, जिन्हें विष्णु भगवान के द्वारपालों के रूप में जाना जाता है।

नंदप्रयाग
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अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम को नंदप्रयाग कहते हैं। यह समुद्र तल से 2805 फुट की ऊंचाई पर है। पौराणिक कथा के मुताबिक इस स्थान पर मंदाकिनी और अलकनंदा के संगम स्थल पर नंद महाराज ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए और पुत्र की प्राप्ति की कामना के लिए कठोर तप किया था। यहां पर नंदादेवी का दिव्य और भव्य मंदिर है। नन्दा का मंदिर, नंद की तपस्थली एवं नंदाकिनी के संगम के कारण इस स्थान का नाम नंदप्रयाग पड़ा।

कर्णप्रयाग
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अलकनंदा तथा पिण्डर नदियों का संगम स्थल कर्णप्रयाग के नाम से विख्यात है। पिण्डर नदी को कर्ण गंगा भी कहा जाता है। इसलिए इस तीर्थ संगम का नाम कर्ण प्रयाग पडा। यहां पर उमा मंदिर और कर्ण मंदिर स्थित है। संगम स्थल पर मां भगवती उमा का अत्यंत प्राचीन मंदिर है। कहते हैं कि यहां पर दानवीर कर्ण ने कठोर तपस्या की थी और यहां पर संगम से पश्चिम दिशा की तरफ शिलाखंड के रूप में दानवीर कर्ण की तपस्थली और मन्दिर हैं। कर्ण की तपस्थली होने के कारण ही यह पवित्र पावन स्थान कर्णप्रयाग के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

रुद्रप्रयाग
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मंदाकिनी तथा अलकनंदा नदियों के संगम पर रुद्रप्रयाग स्थित है। संगम स्थल क्षेत्र में चामुंडा देवी व रुद्रनाथ मंदिर है। मान्यता है कि नारद मुनि ने इस पर संगीत के रहस्यों को जानने के लिये रुद्रनाथ महादेव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था। पौराणिक मान्यता है कि यहां पर ब्रह्मा की आज्ञा से देवर्षि नारद ने कई वर्षों तक भगवान शंकर की तपस्या की थी भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर नारद को सांगोपांग गांधर्व शास्त्र विद्या से पारंगत किया था। यहां पर भगवान शंकर का रुद्रेश्वर नामक लिंग है। यहीं से केदारनाथ के लिए तीर्थ यात्रा शुरू होती है।

देवप्रयाग
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देवप्रयाग में अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों का संगम है। देवप्रयाग समुद्र तल से 1500 फुट की ऊंचाई पर है। गढ़वाल क्षेत्र में भगीरथी नदी को सास तथा अलकनंदा नदी को बहू कहा जाता है। देवप्रयाग में शिव मंदिर तथा रघुनाथ मंदिर हैं। रघुनाथ मंदिर द्रविड़ शैली से निर्मित है। देवप्रयाग को सुदर्शन क्षेत्र भी कहा जाता है। स्कंद पुराण के केदारखंड में इस तीर्थ ब्रह्मपुरी क्षेत्र कहा गया है लोक कथाओं के अनुसार देवप्रयाग में देव शर्मा नामक ब्राह्मण ने सतयुग में निराहार सूखे पत्ते चबाकर तथा एक पैर पर खड़े रहकर कई वर्षों तक कठोर तप किया और भगवान विष्णु के दर्शन कर वर प्राप्त किया।
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Uttarakhand panch prayag
02/05/2023

Uttarakhand panch prayag

आज बद्रीनाथ धाम के कपाट 6 महीने के लिए खोल दिए गए हैं।चार धाम यात्रा दर्शन एवम उत्तराखंड भ्रमण हेतु संपर्क करें।  807782...
27/04/2023

आज बद्रीनाथ धाम के कपाट 6 महीने के लिए खोल दिए गए हैं।

चार धाम यात्रा दर्शन एवम उत्तराखंड भ्रमण हेतु संपर्क करें। 8077827566

Chard dham yatra started on 22th April 2023
16/04/2023

Chard dham yatra started on 22th April 2023

Haridwar local side scene
15/04/2023

Haridwar local side scene

Dehradun side scene
14/04/2023

Dehradun side scene

13/04/2023

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Daily service from Haridwar to Mussoorie
08/04/2023

Daily service from Haridwar to Mussoorie

Mussoorie Daily service from Haridwar
08/04/2023

Mussoorie Daily service from Haridwar

07/04/2023

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08/02/2023

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For booking contact 080778 27566

नववर्ष की  आपको हार्दिक शुभकामनाएं । आने वाला वर्ष आपके जीवन में सुख संपत्ति वैभव स्वास्थ्य प्रदान करें यही कामना मां श्...
01/01/2023

नववर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाएं । आने वाला वर्ष आपके जीवन में सुख संपत्ति वैभव स्वास्थ्य प्रदान करें यही कामना मां श्री गंगा जी से जी से करता हूं।

आप सभी को नववर्ष 2023 की हार्दिक शुभकामनाएं।।
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Haridwar
249401

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