13/02/2024
असीरगढ़ किला
मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में असीरगढ का ऐतिहासिक क़िला बहुत प्रसिद्ध है। इसकी गणना विश्व विख्यात उन गिने चुने क़िलों में होती है, जो दुर्भेद और अजेय, माने जाते थे।
कुछ इतिहासकार इस क़िले का महाभारत के वीर योद्धा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा की अमरत्व की गाथा से संबंधित करते हुए उनकी पूजा स्थली बताते हैं। बुरहानपुर के 'गुप्तेश्वर महादेव मंदिर' के समीप से एक सुंदर सुरंग है, जो असीरगढ़ तक लंबी है। ऐसा कहा जाता है कि, पर्वों के दिन अश्वत्थामा ताप्ती नदी में स्नान करने आते हैं, और बाद में 'गुप्तेश्वर' की पूजा कर अपने स्थान पर लौट जाते हैं।
प्रसिद्ध इतिहासकार 'मोहम्मद कासिम' के कथनानुसार इसका निर्माण यादव वंश के क्षत्रिय राजा आशा अहीर ने हजारों गायों की सुरक्षा के लिए करवाया था।
फ़िरोज़शाह तुग़लक़ के एक सिपाही मलिक ख़ाँ के पुत्र नसीर ख़ाँ फ़ारूक़ी ने धोखे से अहीर को मार दिया और इस किले पर आधिपत्य कर लिया।
उसके बाद आदिलशाह फ़ारूक़ी के देहांत के बाद असीरगढ़ का क़िला बहादुरशाह फ़ारूक़ी के अधिकार में आ गया था। अकबर ने धोखे से बहादुरशाह फ़ारूक़ी को मार गिराया।
जिस प्रकार फ़ारूक़ी बादशाह ने इस क़िले को राजनीतिक चालों से, धूर्तता से प्राप्त किया था, ठीक उसी प्रकार यह क़िला भी उनके हाथों से जाता रहा था।
फिर मराठों ने शासन किया और उनके बाद अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया।
साभार: विकिपीडिया
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