Traveling KedarNath

Traveling KedarNath Kedarnath is believed to be the place where Lord Shiva, one of the major deities in Hinduism. These months are also the best time to visit Badrinath temple.
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According to Hindu legends, the temple was initially built by Pandavas, and is one of the twelve Jyotirlingas, the holiest Hindu shrines of Shiva. Adi Shankaracharya

Legend has it that the original Pandavas built the temple of Kedarnath and the present temple was established by Adi Shankaracharya, who restored the glory of the shrine in the 8th century A.D. The temple is said to be more than 1,20

0 years old and one among the 12 jyotirlingas in India. How old is Kedarnath temple

The temple, which is dedicated to Lord Shiva, is said to be more than 1,200 years old. It was built by Adi Shankaracharya and is among one of the 12 jyotirlingas in India. A visit to the Kedarnath temple is an integral part of the famous Char Dham Yatra in Uttarakhand. Summers from April to June are the best time to visit Kedarnath temple. Gangotri and Yamunotri lie at a higher altitude, so summer starts a little later there, almost at the end of April. One of the holiest pilgrimages in north India, Kedarnath is situated in Uttarakhand. It is located at an altitude of 3,584 m above sea level, near the head of river Mandakini. HOW TO REACH KEDARNATH

By Air. The nearest domestic airport is Jolly Grant Airport in Dehradun, about 239 km from Kedarnath and operates daily flights to Delhi. ...
By Train. The nearest railhead is at Rishikesh, 221 km away. ...
By Road. Visitors can board regular buses from Rishikesh and Kotdwar to Kedarnath. Popular Kedarnath Tour Packages

Kedarnath Packages Price (Per person on twin sharing) Nights
Chardham Yatra by Helicopter Rs 2,59,999rs 5 Nights
Dodham Yatra by Helicopter Rs 1,30,999rs 3 Nights
Chardham - Ex Delhi Rs 31,000rs 11 Nights
Do Dham Yatra (kedarnath And Badrinath) - By Road Rs 33,000rs 7 Nights

09/05/2024
07/05/2024

Kedarnath Dham Live Darshan 7 may 2024

आराध्य देव बाबा श्री केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली पाहुची गुप्तकाशी रात्रि विश्राम के लिए तत्पश्चात 10 मई प्रातः चरण दर्शन...
06/05/2024

आराध्य देव बाबा श्री केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली पाहुची गुप्तकाशी रात्रि विश्राम के लिए तत्पश्चात 10 मई प्रातः चरण दर्शनार्थ हेतु खोल दिए जाएंगे बाबा श्री केदारनाथ जी के कपाट..!!

कल सायं श्री पंचकेदार शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में पूरे विधि विधान के साथ श्री भैरव नाथ जी की पूज...
06/05/2024

कल सायं श्री पंचकेदार शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में पूरे विधि विधान के साथ श्री भैरव नाथ जी की पूजा की गयी।

श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से पूर्व प्रतिवर्ष जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर परिसर में आयोजित होने वाला तिमुंडया वीर मेल...
05/05/2024

श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से पूर्व प्रतिवर्ष जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर परिसर में आयोजित होने वाला तिमुंडया वीर मेले का आयोजन हुआ। श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने से एक सप्ताह पूर्व यह प्राचीन एवं पारंपरिक धार्मिक आयोजन किया जाता है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य श्री बद्रीनाथ यात्रा की कुशलता एवं समस्त क्षेत्र में खुशहाली के लिए किया जाता है।

उत्तराखण्ड में आगामी 10 मई से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु प्रथम 15 दिनों के दौरान VIP दर...
02/05/2024

उत्तराखण्ड में आगामी 10 मई से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु प्रथम 15 दिनों के दौरान VIP दर्शन नहीं होगा, इसी क्रम में मुख्य सचिव की ओर से समस्त प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भी पत्र भेजा गया है।

27/04/2024

जनपद चमोली के जोशीमठ स्थित सलूड़डुंग्रा गांव में हर वर्ष अप्रैल में होने वाले विश्व धरोहर "रम्माण उत्सव" की झलकियां।

27/04/2024

#तीर्थ_स्नान

तीर्थ स्थल पर स्नान की विधि

(यह वीडियो श्रीचित्रकूट धाम अघमर्षण कुण्ड का है। जहाँ महाभारत की कथा में युधिष्ठिर और यक्ष के प्रश्न उत्तर का प्रसंग आता है।)

~~~~~संत प्रसादम

।। जय जय श्रीसीताराम।।

रम्माण!-- मुखौटा शैली और भल्दा परम्परा की अनूठी लोकसंस्कृति, कल 25 अप्रैल को होगा भव्य आयोजन..ग्राउंड जीरो से संजय चौहान...
26/04/2024

रम्माण!-- मुखौटा शैली और भल्दा परम्परा की अनूठी लोकसंस्कृति, कल 25 अप्रैल को होगा भव्य आयोजन..
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
उत्‍तराखंड ने सदियों से लोकसंस्‍कृति, लोककालाओं, लोकगाथाओं को संजोकर रखा है। विश्‍व प्रसिद्ध नौटी की नंदाराजात हो या फिर देवीधुरा का बग्‍गवाल युद्ध, गुप्‍तकाशी के जाख देवता का जलते अंगारों पर हैरतंगैज नृत्‍य हो या फिर जौनसार का बिस्सू मेला। ये सभी देवभूमि की लोकसंस्‍कृति की झलक दिखलाती है। उत्‍तराखंड में रामायण, महाभारत की सैकड़ों विधाएं मौजूद हैं। जिसमें से कई विधाएं विलुप्‍ती की कगार पर हैं। परंतु कई लोगों के अथक प्रयास व दृढ़ संकल्‍प, निश्‍चय से इनके संरक्षण और विकास के लिए अभूतपूर्व कार्य कर इस लोकसंस्‍कृति को बचाने के लिए अहम भूमिका निभाई है। जो पीढ़ी-दर- पीढ़ी लोगों व श्रद्धालुओं को यहां की लोकसंस्‍कृति के दर्शन कराते हैं, साथ ही वर्षों पुरानी सांस्‍कृतिक विरासत को संजोए रखने का प्रयास भी करते है। ऐसी ही एक लोक संस्‍कृति है रम्‍माण। चमोली के पैनखण्‍डा से यूनेस्‍को के विश्‍व सांस्कृतिक धरोहर बनने में रम्‍माण ने लोकसंस्‍कृति की अनूठी छटा पेश की है। जिसने देवभूमि को हर बार गौरवान्वित होने का अवसर दिया है।

ये है रम्माण!

माना जाता है कि रम्‍माण का इतिहास लगभग 500 वर्षों से भी पुराना है। जब यहां हिन्‍दू धर्म का प्रभाव समाप्ति पर था तो आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा हिन्‍दू धर्म के पुनर्जन्‍म हेतु पूरे देश में चार पीठों की स्‍थापना की गई, साथ ही ज्‍योर्तिमठ (जोशीमठ) के आस-पास के इलाकों में हिन्‍दू धर्म के प्रति लोगों को पुन: जागृत करने हेतु अपने शिष्‍यों को हिन्‍दू देवी-देवताओं के मुखौटे पहनाकर रामायण, महाभारत के कुछ अंशों को मुखौटा नृत्‍य के माध्‍यम से गांव-गांव में भेजा गया ताकि लोक हिन्‍दू धर्म को पुन: अपना सकें. शंकराचार्य के शिष्‍यों द्वारा कई सालों तक मुखौटे पहनकर इन गांवों में नृत्‍यों का आयोजन किया जाता रहा, जो बाद में यहां के समाज का अभिन्‍न अंग बनकर रह गई और आज विश्‍व धरोहर बन चुकी है।

ऐसा होता है आयोजन!

पैनखण्‍डा (जोशीमठ) के सलडू-डूंग्रा गांव में रम्‍माण का आयोजन प्रतिवर्ष बैशाख माह में किया जाता है. एक पखवाड़े तक चलने वाली मुखौटा शैली व भल्‍दा परंपरा की यह लोकसंस्‍कृति आज शोध का विषय बन गई है. पांच सौ वर्ष से चली आ रही इस धार्मिक विरासत में राम, लक्ष्‍मण, सीता, हनुमान के पात्रों द्वारा नृत्‍य शैली में रामकथा की प्रस्‍तुति दी जाती है. जिसमें 18 मुखौटे 18 ताल, 12 ढोल, 12 दमाऊं, आठ भंकोरे प्रयोग में लाये जाते हैं. इसके अलावा राम जन्‍म, वनगमन, स्‍वर्ण मृग वध, सीता हरण, लंका दहन का मंचन ढोलों की थापों पर किया जाता है. जिसमें कुरू जोगी, बण्‍यां-बण्‍यांण तथा माल के विशेष चरित्र होते हैं जो लोगों को खासे हंसाते हैं, साथ ही जंगली जीवों के आक्रमण का मनमोहक चित्रण म्‍योर-मुरैण नृत्‍य नाटिका भी होती है.

रम्‍माण:-- एक नजर

इतिहास 500 वर्ष पुराना
आयोजन सलूड--- डूंग्रा (पैनखण्‍डा), जोशीमठ, चमोली
तिथि प्रत्‍येक वर्ष बैशाख माह (अप्रैल)
शैली जागर, भल्‍ला
वाद्य यंत्र-- ढोल, दमाऊं, झांझर, मंजीरे, भंकोरे
परिधान-- घाघरा, चूड़ीदार पायजामा, रेशमी साफे
नृत्‍य नाटिका-- 18 मुखौटे, 18 ताल, 12 ढोल, 12 दमाऊं, 8 भौकरे
विशेष चरित्र-- कुरू जोगी, बण्‍यां–बण्‍यांण, माल, म्‍योर-मुरैण नृत्‍य
मंचन -- गायन शैली,
मुखौटा नृत्‍य विश्‍व सांस्‍कृतिक धरोहर 02 अक्‍टूबर 2009
रम्माण को विश्‍व धरोहर बनाने में डॉ. कुशल सिंह भण्‍डारी (सलूड-डूंग्रा), प्रो: डीआर पुरोहित, पूर्व निदेशक केंद्रीय गढ़वाल विश्‍वविद्यालय, अरविंद मुदगिल छायाकार सहित विभिन्न लोगों का ममहत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्ष 2007 तक रम्‍माण सिर्फ पैनखण्‍डा तक ही सीमित था परंतु गांव के ही डॉ. कुशल सिंह भण्‍डारी के मेहनत का ही नतीजा था कि आज रम्‍माण को वो मुकाम हासिल है. कुशल सिंह भण्‍डारी ने रम्‍माण को लिपिबद्ध कर इसे अंग्रेजी में अनुवाद किया, तत्‍पश्‍चात इसे गढ़वाल विश्‍वविद्याल लोक कला निष्‍पादन केंद्र की सहायता से वर्ष 2008 में दिल्‍ली स्थित इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र तक पहुंचाया गया. इस संस्‍थान को रम्‍माण की विशेषता इतनी पसंद आई कि उक्‍त संस्‍थान की पूरी टीम सलूड-डूंग्रा पहुंची और वे लोक इस आयोजन से इतने अभिभूत हुए कि 40 लोगों की एक टीम को दिल्‍ली बुलाया गया, जिन्‍होंने दिल्ली में अपनी शानदार प्रस्‍तुतियां दी. तत्‍पश्‍चात इसे भारत सरकार द्वारा यूनेस्‍को भेजा गया, जिसके बाद 02 अक्‍टूबर 2009 को यूनेस्‍को द्वारा पैनखण्‍डा के रम्‍माण को विश्‍व सांस्‍कृतिक धरोहर घोषित किया गया तथा 11 व 12 दिसंबर 2009 को आईसीएस के दो सदस्‍सीय दल में शामिल जापान मूल के होसिनो हिरोसी तथा यूमिको ने प्रमाण-प्रत्र ग्रामवासियों को सौंपे तो गांव वालों की खुशी का ठिकाना ना रहा.वहीं रम्माण नें गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली राजपथ परेड में दुनिया को लोकसंस्कृति के दीदार कराये।

बण्‍यां-बण्‍यांण नृत्य!

इसके बारे में कहा जाता है कि ये तिब्‍बत के व्‍यापारी थे जो व्‍यापार करने गांवों में आते थे, एक बार चोरों ने इनका सबकुछ लूट लिया जिसे इस नृत्‍य के द्वारा प्रस्‍तुत किया जाता है.

म्‍योर-मुरैण नृत्‍य!

पहाड़ों में जंगलों में लकड़ी व घास लाने के समय जंगली जानवरों द्वारा आक्रमण किया जात है, जिसका चित्रण म्‍योर-मुरैण नृत्‍य में किया जाता है.माल-मल्‍ल नृत्‍य 1804-14 के समय गोरखा काल में स्‍थानीय लोगों व गोरखाओं के मध्‍य हुए युद्ध का चित्रण इस नृत्‍य में किया जाता है.कुरू-जोगीहास्‍य पात्र जो अपने पूरे शरीर पर कुरू (विशेष प्रकार का घास चिपकने वाला) लगाकर लोगों के मध्‍य जाता है. कुरू चिपकने के भय से लोग इधर-उधर भागते हैं, कुरू जोगी (साधु) अपने शरीर के कुरू को निकालकर लोगों पर फेंकता है.अर्थात कुल मिलाकर रम्‍माण में संस्‍कृति, इतिहास, जीवनशैली की अनूठी झलक देखने को मिलती है।

रम्‍माण के अंत में भूम्‍याल देवता प्रकट होते हैं और समस्‍त गांववासी भूम्‍याल को एक परिवार विशेष के घर विदाई देने पहुंचते हैं, जहां पूरे सालभर उसी परिवार द्वारा भूम्‍याल देवता की पूजा-अर्चना की जाती है।

इस साल विश्व की सांस्कृतिक विरासत रम्माण का आयोजन 25 अप्रैल को हो रहा है। अगर आप भी इस अनूठी लोकसंस्कृति का हिस्सा बनना चाहते हैं तो जरूर आइऐगा चमोली जनपद के जोशीमठ ब्लाॅक के सलूड गांव (पैनखंडा)..

25/04/2024

देखिए जब बाघ ने किया भालू पर हमला..

विनम्र श्रद्धांजलि!!!!!!!!बाबा केदार के अनन्य भक्त और भजन माला के सम्राट मृतुन्जय हिरेमठ (मय्या)  जी नहीं रहे!!!!!!आपके ...
20/04/2024

विनम्र श्रद्धांजलि!!!!!!!!

बाबा केदार के अनन्य भक्त और भजन माला के सम्राट मृतुन्जय हिरेमठ (मय्या) जी नहीं रहे!!!!!!

आपके भजनों की धुन सभी भक्तों के दिल और दिमाग़ में हमेशा गूंजती रहेगी.. केदारनाथ धाम में वेदपाठी के पद पर रहते हुए जिस तरह से आप मंत्रो का उच्चारण करते थे वो कभी ना भूलने वाले हैं...

युवा शांन्त स्वभाव, विद्वान, वेदों के ज्ञानी दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि!!!!!

भगवान मृत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें और परिवार को इस असीम दुःख को सहन करने की शक्ति दें।

जय बाबा केदार 🙏🙏🙏

हर हर महादेव 🙏🙏🙏कल महाशिवरात्रि का पावन पर्व है, ऊखीमठ में ओम्कारेश्वर मंदिर जहाँ शीतकालीन शत्र के दौरान बाबा केदार की ड...
07/03/2024

हर हर महादेव 🙏🙏🙏

कल महाशिवरात्रि का पावन पर्व है, ऊखीमठ में ओम्कारेश्वर मंदिर जहाँ शीतकालीन शत्र के दौरान बाबा केदार की डोली की पूजा होती है, खूबसूरत फूलों से सज चुका है!! कल ही के दिन बाबा केदार के कपाट सभी भक्तों के लिए खुलने का दिन सुनिश्चित होगा...

हर हर महादेव 🙏🙏🙏

12/02/2024

बाबा केदारनाथ जी के कपाट परम्परानुसार 14 May 2024 को 6 महीनों के लिए सभी तीर्थ यात्रीयो के लिए खोल दिए जायेगे...

Kedarnath Temple Opening Ceremony 14 May 2024

Kedarnath Temple Near By Hotel

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1. kedarnath Temple
2. Shri Bhairavnath Temple
3. Adi Guru Shankaracharya Samadhi
4. Modi Gufa Kedarnath
5 . Gandhi Sarovar Kedarnath
6. Vasuki Tal Kedarnath

Six Best Place To Stay In Kedarnath

1. Shivpuri House Kedarnath
2. New AgraBhawan Kedarnath
3. Old AgraBhawan Kedarnath
4. Jaipur House Kedarnath
5. Hotel Behal Kedarnath
6. Punjab Sindh Kedarnath

kedarnath Yatra & Chardham Yatra 2024

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15/01/2024

Kedarnath Yatra 2024 Booking Now Available

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Wishing you a harvest of good times and a year filled with moments to cherish. Happy Lohri!
14/01/2024

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Har Har Mahadev 🕉️🛕🙏🚩❤️      .
25/12/2023

Har Har Mahadev 🕉️🛕🙏🚩❤️

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25/12/2023

अवधूत दादा गुरू और संत सियाराम बाबा निर्विकार संवाद

अखंड निराहार मां नर्मदा सेवा परिक्रमा

1100 दिनो से अखंड जारी दादा गुरू की निराहार महाव्रत साधना !

#महादेव #केदारनाथ

जय श्री  #केदारनाथ हर हर  #महादेव                #महाकाललोक
18/12/2023

जय श्री #केदारनाथ

हर हर #महादेव

#महाकाललोक

Gyrocopter tested successfully under Uttarakhand Tourism for the 1st time in India  Tourism gets India’s first Gyrocopte...
17/12/2023

Gyrocopter tested successfully under Uttarakhand Tourism for the 1st time in India

Tourism gets India’s first Gyrocopter 🚁

Himalaya Darshan through Gyrocopter will soon be launched with state of the art ’ trials began at on 16.12.2023.

This will be India’s 1st such service.

Address

Kedarnath Temple
Kedarnath
246445

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