Indian heritage

Indian heritage Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Indian heritage, Tour guide, Lucknow.
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We aim to tell you about all the historical buildings of India through this page, give information about the food and culture traditions of those places, so that when you visit these places so you should not have any problem in roaming there.

30/06/2024

The Residency

29/06/2024
THERE IS NO COMPARISON OF MAHARANA PRATAP
29/06/2024

THERE IS NO COMPARISON OF MAHARANA PRATAP

#अकबर ने 7 फ़ीट 8 इंची #बहलोल_खान को भेजा था
#महाराणा_प्रताप का सर लाने, कभी नहीं हारा था बहलोल
मुगली अकबर का सबसे खतरनाक वाला एक सेना नायक हुआ नाम - बहलोल खां
कहा जाता है कि हाथी जैसा बदन था इसका और ताक़त का जोर इतना कि नसें फटने को होती थीं
ज़ालिम इतना कि तीन दिन के बालक को भी गला रेत-रेत के मार देता था बशर्ते वो हिन्दू का हो
एक भी लड़ाई कभी हारा नहीं था अपने पूरे करियर में ये बहलोल खां ॥
काफी लम्बा था, 7 फुट 8 इंच की हाइट थी, कहा जाता है की घोडा उसने सामने छोटा लगता था ॥ बहुत चौड़ा और ताकतवर था बहलोल खां, अकबर को बहलोल खां पर खूब नाज था, लूटी हुई औरतों में से बहुत सी बहलोल खां को दे दी जाती थी ॥
फिर हल्दीघाटी का युद्ध हुआ, अकबर और महाराणा प्रताप की सेनाएं आमने सामने थी, अकबर महाराणा प्रताप से बहुत डरता था इसलिए वो खुद इस युद्ध से दूर रहा ॥
अब इसी बहलोल खां को अकबर ने भिड़ा दिया हिन्दू-वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप से
लड़ाई पूरे जोर पर और मुगलई गंद खा-खा के ताक़त का पहाड़ बने बहलोल खां का आमना-सामना हो गया अपने प्रताप से ॥
अफीम के ख़ुमार में डूबी हुई सुर्ख नशेड़ी आँखों से भगवा अग्नि की लपट सी प्रदीप्त रण के मद में डूबी आँखें टकराईं और जबरदस्त भिडंत शुरू. . . कुछ देर तक तो राणा यूँ ही मज़ाक सा खेलते रहे मुगलिया बिलाव के साथ
और फिर गुस्से में आ के अपनी तलवार से एक ही वार में घोड़े सहित हाथी सरीखे उस नर का पूरा धड़ बिलकुल सीधी लकीर में चीर दिया
ऐसा फाड़ा कि बहलोल खां का आधा शरीर इस तरफ और आधा उस तरफ गिरा ॥
ऐसे-ऐसे युद्ध-रत्न उगले हैं सदियों से भगवा चुनरी ओढ़े रण में तांडव रचने वाली मां भारती ने...
ाराणा ेवाड


#इतिहास

Real mogli THE Jungle Book Story
29/06/2024

Real mogli THE Jungle Book Story

In 1867, a band of hunters stumbled upon a 6-year-old boy raised by wolves in a Pradesh jungle cave, took him to an orphanage, and tried teaching him how to walk and talk.
Named Dina Sanichar, the feral boy preferred eating raw meat, had trouble standing on two feet, growled like a wolf, and gnawed on bones to sharpen his teeth.
He never learned to speak and became the inspiration for The Jungle Book's character of Mowgli.

See what kind of Temple it is?
29/06/2024

See what kind of Temple it is?

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Shout out to my newest followers! Excited to have you onb...
28/06/2024

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Amit Kumar, Neeraj Mittal, Rajendra Vaghe, Pramod Prajapat, Kishore Rana, Jyothish Ps, Shikha Verma, चन्दन राय, Nilesh Anand, Hemant Khera, Vishal Gusai, Dinesh Pawar, Ashok Agrawal, Sadhna Jha, Md Dilshad, Hemraj Patel, Preeti Singh, Dalchand Nagda, Dhiraj Gala, Manjula Godhani, Muskan Sharma

।। महाभारतकालीन अम्बरनाथशिव मंदिर ।।मुम्बई के निकट एक ऐसा मंदिर है, जिसके बारे में मान्यता है, की यह मंदिर द्वापरकाल में...
23/06/2024

।। महाभारतकालीन अम्बरनाथशिव मंदिर ।।

मुम्बई के निकट एक ऐसा मंदिर है, जिसके बारे में मान्यता है, की यह मंदिर द्वापरकाल में पांडवो ने बनाया था, और वह भी मात्र एक ही रात में ।। स्थानीय लोगो का तो यहां तक कहना है, की यह मंदिर महाभारत काल मे ही नही , रामायणकाल में भी विद्यमान था, क्यो की इस मंदिर में एक गुफा है, कहते है, उसका रास्ता सीधे पंचवटी तक जाता है ।।द्वापरकाल में जब धर्म की हानि हुई, और यह मंदिर टूटे, तब पांडवो ने एक ही रात में इस मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार कर दिया ।। बताया जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव कुछ वर्ष अंबरनाथ में बिताए थे, तब उन्होंने विशाल पत्थरों से एक ही रात में इस मंदिर का निर्माण किया था। फिर कौरवों द्वारा लगातार पीछे किए जाने के भय से यह स्थान छोड़कर चले गए। जिससे मंदिर का कार्य पूरा नहीं हो सका। सालों से मौसम की मार झेल रहा यह मंदिर आज भी खड़ा है।। और पांडवो के बाद आज से लगभग 1000 वर्ष पहले 1060 ईं में राजा मांबाणि ने इस मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार करवाया ।।

इस मंदिर पर हुई कारीगरी को तो देखिए, इस मंदिर ओर यहां की मूर्तियों की सुंदरता, और जिस तरह से पत्थरो को सफाई से काटा गया है, कोई भी व्यक्ति इस कला को देकर केवल बारम्बार हैरान ही हो सकता है ।। इस मंदिर की प्रशंसा के लिए भी शब्दो का अकाल पड़ गया है ।। इस मंदिर को देखते रहे , निहारते रहे, या इस मंदिर प्रशंसा करें...... आदमी इसी हैरानी में बस अवाक रह जाता है ।।

इस मंदिर के बारे में खास मान्यता यह भी है, की जिन लोगो का विवाह नही होता , वे लोग विशेष रूप से इस मंदिर में जाकर अपने विवाह की प्रार्थनाएं भगवान भोलेनाथ से करते है ।।

।।अम्बरनाथ मंदिर
मुम्बई के निकट अम्बरनाथ शहर में ।।

With Doordarshan National (DD1) – I just got recognized as one of their rising fans! 🎉
22/06/2024

With Doordarshan National (DD1) – I just got recognized as one of their rising fans! 🎉

इतिहासकार अर्नाल्ड जे टायनबी ने कहा था कि, विश्व के इतिहास में अगर किसी देश के इतिहास के साथ सर्वाधिक छेड़ छाड़ की गयी ह...
21/06/2024

इतिहासकार अर्नाल्ड जे टायनबी ने कहा था कि, विश्व के इतिहास में अगर किसी देश के इतिहास के साथ सर्वाधिक छेड़ छाड़ की गयी है, तो वह भारत का इतिहास ही है।

भारतीय इतिहास का प्रारम्भ तथाकथित रूप से सिन्धु घाटी की सभ्यता से होता है, इसे हड़प्पा कालीन सभ्यता या सारस्वत सभ्यता भी कहा जाता है। बताया जाता है, कि वर्तमान सिन्धु नदी के तटों पर 3500 BC (ईसा पूर्व) में एक विशाल नगरीय सभ्यता विद्यमान थी। मोहनजोदारो, हड़प्पा, कालीबंगा, लोथल आदि इस सभ्यता के नगर थे।

पहले इस सभ्यता का विस्तार सिंध, पंजाब, राजस्थान और गुजरात आदि बताया जाता था, किन्तु अब इसका विस्तार समूचा भारत, तमिलनाडु से वैशाली बिहार तक, आज का पूरा पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान तथा (पारस) ईरान का हिस्सा तक पाया जाता है। अब इसका समय 7000 BC से भी प्राचीन पाया गया है।

इस प्राचीन सभ्यता की सीलों, टेबलेट्स और बर्तनों पर जो लिखावट पाई जाती है उसे सिन्धु घाटी की लिपि कहा जाता है। इतिहासकारों का दावा है, कि यह लिपि अभी तक अज्ञात है, और पढ़ी नहीं जा सकी। जबकि सिन्धु घाटी की लिपि से समकक्ष और तथाकथित प्राचीन सभी लिपियां जैसे इजिप्ट, चीनी, फोनेशियाई, आर्मेनिक, सुमेरियाई, मेसोपोटामियाई आदि सब पढ़ ली गयी हैं।

आजकल कम्प्यूटरों की सहायता से अक्षरों की आवृत्ति का विश्लेषण कर मार्कोव विधि से प्राचीन भाषा को पढना सरल हो गया है।

सिन्धु घाटी की लिपि को जानबूझ कर नहीं पढ़ा गया और न ही इसको पढने के सार्थक प्रयास किये गए। भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद (Indian Council of Historical Research) जिस पर पहले अंग्रेजो और फिर नकारात्मकता से ग्रस्त स्वयं सिद्ध इतिहासकारों का कब्ज़ा रहा, ने सिन्धु घाटी की लिपि को पढने की कोई भी विशेष योजना नहीं चलायी।

क्या था सिन्धु घाटी की लिपि में? अंग्रेज और स्वयं सिद्ध इतिहासकार क्यों नहीं चाहते थे, कि सिन्धु घाटी की लिपि को पढ़ा जाए?

अंग्रेज और स्वयं सिद्ध इतिहासकारों की नज़रों में सिन्धु घाटी की लिपि को पढने में निम्नलिखित खतरे थे...

1. सिन्धु घाटी की लिपि को पढने के बाद उसकी प्राचीनता और अधिक पुरानी सिद्ध हो जायेगी। इजिप्ट, चीनी, रोमन, ग्रीक, आर्मेनिक, सुमेरियाई, मेसोपोटामियाई से भी पुरानी. जिससे पता चलेगा, कि यह विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है। भारत का महत्व बढेगा जो अंग्रेज और उन इतिहासकारों को बर्दाश्त नहीं होगा।

2. सिन्धु घाटी की लिपि को पढने से अगर वह वैदिक सभ्यता साबित हो गयी तो अंग्रेजो और स्वयं सिद्ध द्वारा फैलाये गए आर्य द्रविड़ युद्ध वाले प्रोपगंडा के ध्वस्त हो जाने का डर है।

3. अंग्रेज और स्वयं सिद्ध इतिहासकारों द्वारा दुष्प्रचारित ‘आर्य बाहर से आई हुई आक्रमणकारी जाति है और इसने यहाँ के मूल निवासियों अर्थात सिन्धु घाटी के लोगों को मार डाला व भगा दिया और उनकी महान सभ्यता नष्ट कर दी। वे लोग ही जंगलों में छुप गए, दक्षिण भारतीय (द्रविड़) बन गए, शूद्र व आदिवासी बन गए’, आदि आदि गलत साबित हो जायेगा।

कुछ इतिहासकार सिन्धु घाटी की लिपि को सुमेरियन भाषा से जोड़ कर पढने का प्रयास करते रहे तो कुछ इजिप्शियन भाषा से, कुछ चीनी भाषा से, कुछ इनको मुंडा आदिवासियों की भाषा, और तो और, कुछ इनको ईस्टर द्वीप के आदिवासियों की भाषा से जोड़ कर पढने का प्रयास करते रहे। ये सारे प्रयास असफल साबित हुए।

सिन्धु घाटी की लिपि को पढने में निम्लिखित समस्याए बताई जाती है...

सभी लिपियों में अक्षर कम होते है, जैसे अंग्रेजी में 26, देवनागरी में 52 आदि, मगर सिन्धु घाटी की लिपि में लगभग 400 अक्षर चिन्ह हैं। सिन्धु घाटी की लिपि को पढने में यह कठिनाई आती है, कि इसका काल 7000 BC से 1500 BC तक का है, जिसमे लिपि में अनेक परिवर्तन हुए साथ ही लिपि में स्टाइलिश वेरिएशन बहुत पाया जाता है। ये निष्कर्ष लोथल और कालीबंगा में सिन्धु घाटी व हड़प्पा कालीन अनेक पुरातात्विक साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद निकला।

भारत की प्राचीनतम लिपियों में से एक लिपि है जिसे ब्राह्मी लिपि कहा जाता है। इस लिपि से ही भारत की अन्य भाषाओँ की लिपियां बनी। यह लिपि वैदिक काल से गुप्त काल तक उत्तर पश्चिमी भारत में उपयोग की जाती थी। संस्कृत, पाली, प्राकृत के अनेक ग्रन्थ ब्राह्मी लिपि में प्राप्त होते है।

सम्राट अशोक ने अपने धम्म का प्रचार प्रसार करने के लिए ब्राह्मी लिपि को अपनाया। सम्राट अशोक के स्तम्भ और शिलालेख ब्राह्मी लिपि में संस्कृत आदि भाषाओं में लिखे गए और भारत में लगाये गए।

सिन्धु घाटी की लिपि और ब्राह्मी लिपि में अनेक आश्चर्यजनक समानताएं है। साथ ही ब्राह्मी और तमिल लिपि का भी पारस्परिक सम्बन्ध है। इस आधार पर सिन्धु घाटी की लिपि को पढने का सार्थक प्रयास सुभाष काक और इरावाथम महादेवन ने किया ।

सुभाष काक ने तो बहुत शोध पत्र तैयार किया एवम सिंधु घाटी की लिपि को लगभग हल कर लिया था, परंतु प्रकाशित करने के एक दिन पहले रहस्यमय मृत्यु हो गई। ये भी शास्त्री जी वाली कहानी थी।

सिन्धु घाटी की लिपि के लगभग 400 अक्षर के बारे में यह माना जाता है, कि इनमे कुछ वर्णमाला (स्वर व्यंजन मात्रा संख्या), कुछ यौगिक अक्षर और शेष चित्रलिपि हैं। अर्थात यह भाषा अक्षर और चित्रलिपि का संकलन समूह है। विश्व में कोई भी भाषा इतनी सशक्त और समृद्ध नहीं जितनी सिन्धु घाटी की भाषा।

बाएं लिखी जाती है, उसी प्रकार ब्राह्मी लिपि भी दाएं से बाएं लिखी जाती है। सिन्धु घाटी की लिपि के लगभग 3000 टेक्स्ट प्राप्त हैं।

इनमे वैसे तो 400 अक्षर चिन्ह हैं, लेकिन 39 अक्षरों का प्रयोग 80 प्रतिशत बार हुआ है। और ब्राह्मी लिपि में 45 अक्षर है। अब हम इन 39 अक्षरों को ब्राह्मी लिपि के 45 अक्षरों के साथ समानता के आधार पर मैपिंग कर सकते हैं और उनकी ध्वनि पता लगा सकते हैं।

ब्राह्मी लिपि के आधार पर सिन्धु घाटी की लिपि पढने पर सभी संस्कृत के शब्द आते है जैसे; श्री, अगस्त्य, मृग, हस्ती, वरुण, क्षमा, कामदेव, महादेव, कामधेनु, मूषिका, पग, पंच मशक, पितृ, अग्नि, सिन्धु, पुरम, गृह, यज्ञ, इंद्र, मित्र आदि।

निष्कर्ष यह है कि...

1. सिन्धु घाटी की लिपि ब्राह्मी लिपि की पूर्वज लिपि है।

2. सिन्धु घाटी की लिपि को ब्राह्मी के आधार पर पढ़ा जा सकता है।

3. उस काल में संस्कृत भाषा थी जिसे सिन्धु घाटी की लिपि में लिखा गया था।

4. सिन्धु घाटी के लोग वैदिक धर्म और संस्कृति मानते थे।

5. वैदिक धर्म अत्यंत प्राचीन है।

वैदिक सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन व मूल सभ्यता है, यहां के लोगों का मूल निवास सप्त सैन्धव प्रदेश (सिन्धु सरस्वती क्षेत्र) था जिसका विस्तार ईरान से सम्पूर्ण भारत देश था।वैदिक धर्म को मानने वाले कहीं बाहर से नहीं आये थे और न ही वे आक्रमणकारी थे। आर्य द्रविड़ जैसी कोई भी दो पृथक जातियाँ नहीं थीं जिनमे परस्पर युद्ध हुआ हो।

In 1867, a band of hunters stumbled upon a 6-year-old boy raised by wolves in a Pradesh jungle cave, took him to an orph...
20/06/2024

In 1867, a band of hunters stumbled upon a 6-year-old boy raised by wolves in a Pradesh jungle cave, took him to an orphanage, and tried teaching him how to walk and talk.
Named Dina Sanichar, the feral boy preferred eating raw meat, had trouble standing on two feet, growled like a wolf, and gnawed on bones to sharpen his teeth.
He never learned to speak and became the inspiration for The Jungle Book's character of Mowgli.

 #अकबर ने 7 फ़ीट 8 इंची  #बहलोल_खान को भेजा था  #महाराणा_प्रताप का सर लाने, कभी नहीं हारा था बहलोल मुगली अकबर का सबसे खतर...
20/06/2024

#अकबर ने 7 फ़ीट 8 इंची #बहलोल_खान को भेजा था
#महाराणा_प्रताप का सर लाने, कभी नहीं हारा था बहलोल
मुगली अकबर का सबसे खतरनाक वाला एक सेना नायक हुआ नाम - बहलोल खां
कहा जाता है कि हाथी जैसा बदन था इसका और ताक़त का जोर इतना कि नसें फटने को होती थीं
ज़ालिम इतना कि तीन दिन के बालक को भी गला रेत-रेत के मार देता था बशर्ते वो हिन्दू का हो
एक भी लड़ाई कभी हारा नहीं था अपने पूरे करियर में ये बहलोल खां ॥
काफी लम्बा था, 7 फुट 8 इंच की हाइट थी, कहा जाता है की घोडा उसने सामने छोटा लगता था ॥ बहुत चौड़ा और ताकतवर था बहलोल खां, अकबर को बहलोल खां पर खूब नाज था, लूटी हुई औरतों में से बहुत सी बहलोल खां को दे दी जाती थी ॥
फिर हल्दीघाटी का युद्ध हुआ, अकबर और महाराणा प्रताप की सेनाएं आमने सामने थी, अकबर महाराणा प्रताप से बहुत डरता था इसलिए वो खुद इस युद्ध से दूर रहा ॥
अब इसी बहलोल खां को अकबर ने भिड़ा दिया हिन्दू-वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप से
लड़ाई पूरे जोर पर और मुगलई गंद खा-खा के ताक़त का पहाड़ बने बहलोल खां का आमना-सामना हो गया अपने प्रताप से ॥
अफीम के ख़ुमार में डूबी हुई सुर्ख नशेड़ी आँखों से भगवा अग्नि की लपट सी प्रदीप्त रण के मद में डूबी आँखें टकराईं और जबरदस्त भिडंत शुरू. . . कुछ देर तक तो राणा यूँ ही मज़ाक सा खेलते रहे मुगलिया बिलाव के साथ
और फिर गुस्से में आ के अपनी तलवार से एक ही वार में घोड़े सहित हाथी सरीखे उस नर का पूरा धड़ बिलकुल सीधी लकीर में चीर दिया
ऐसा फाड़ा कि बहलोल खां का आधा शरीर इस तरफ और आधा उस तरफ गिरा ॥
ऐसे-ऐसे युद्ध-रत्न उगले हैं सदियों से भगवा चुनरी ओढ़े रण में तांडव रचने वाली मां भारती ने...
ाराणा ेवाड


#इतिहास

जबकि कुछ लोगों का मानना है कि पृथ्वी केवल 6000 साल पुरानी है, मेसोपोटामिया में पुरातात्विक खोजों ने एक व्यापक चित्र चित्...
19/06/2024

जबकि कुछ लोगों का मानना है कि पृथ्वी केवल 6000 साल पुरानी है, मेसोपोटामिया में पुरातात्विक खोजों ने एक व्यापक चित्र चित्रित किया है। प्राचीन शहर उर में, आज के दक्षिणी इराक में स्थित, सुमेरियों ने 4000 ईसा पूर्व के आसपास पके हुए मिट्टी के छल्ले का उपयोग करके एक उन्नत जल निकासी प्रणाली विकसित की। इन रिंग-ड्रेन ने न केवल कचरे के पानी को कुशलता से प्रबंधित किया बल्कि शहरी स्वच्छता और बाढ़ की रोकथाम में भी सुधार किया। यह उल्लेखनीय नवाचार प्रारंभिक मेसोपोटामिया समाजों के उन्नत इंजीनियरिंग कौशल को प्रदर्शित करता है, जिससे हमें प्राचीन तकनीकी उपलब्धियों की हमारी समझ पर फिर से विचार करने के लिए प्रेरित किया गया है।

Thanks for being a top engager and making it on to my weekly engagement list! 🎉 Ankit Tiwari
18/06/2024

Thanks for being a top engager and making it on to my weekly engagement list! 🎉 Ankit Tiwari

With Shejal Bhadauria – I just got recognized as one of their rising fans! 🎉
17/06/2024

With Shejal Bhadauria – I just got recognized as one of their rising fans! 🎉

भारत की इतिहास की किताबों में यह क्यो नही पढ़ाया गया। आज आपको यह सच्चा इतिहास जानना जरूरी है।कुछ देसी और विदेशी इतिहासकार...
16/06/2024

भारत की इतिहास की किताबों में यह क्यो नही पढ़ाया गया। आज आपको यह सच्चा इतिहास जानना जरूरी है।

कुछ देसी और विदेशी इतिहासकारों ने हमारे इतिहास को केवल 200 वर्षों में ही समेट दिया है। उन्होंने हमें कभी भी नहीं बताया कि हमारे भारत मे एक राजा ऐसा भी हुआ, जिसकी सेना में महिलाएं कमांडर थी और उसने अपनी विशाल नौकाओं वाली शक्तिशाली नौसेना की ताकत से पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया पर कब्जा कर अपना सनातनी साम्राज्य बढ़ा लिया था

यह राजा राजेन्द्र चोल प्रथम (1012-1044) थे। जिन्हें अंग्रेजी में Rajendra Chola I कहा जाता है। कुछ इतिहासकारों के साजिशों की भेंट चढ़ने वाला हमारे इतिहास का एक महान शासक राजेन्द्र चोल, चोल राजवंश के सबसे महान शासक रहे।

आज पूरे भारत मे कुछ लोगो मे आलावा उन्हें कोई नही जानता है। उन्होंने अपनी विजयों द्वारा चोल सम्राज्य का विस्तार कर उसे दक्षिण भारत का सबसे3 शक्तिशाली साम्राज्य खड़ा किया था।

राजेंद्र चोल प्रथम भारत के एकमात्र ऐसे राजा थे, जिन्होंने न सिर्फ अन्य स्थानों पर अपनी विजय का ध्वज लहराया, बल्कि उन स्थानों पर वास्तुकला और सुशासन की अद्भुत प्रणाली का प्रसार किया।

बता दें कि सन 1017 ईसवी में हमारे इस शक्तिशाली राजा ने सिंहल (श्रीलंका) के प्रतापी राजा महेंद्र पंचम को बुरी तरह परास्त करके सम्पूर्ण सिंहल(श्रीलंका) पर कब्जा कर लिया था ।

जहाँ कई महान राजा नदियों के मुहाने पर पहुँचकर अपनी सेना के साथ आगे बढ़ पाने का सफल नहीं हो पाते थ, वहीं राजेन्द्र चोल ने एक शक्तिशाली नोसेना का गठन किया था, जिसकी मदत से वह अपने मार्ग में आने वाली हर विशाल नदी को आसानी से पार कर लेते थे। फिर युद्ध कौशल तो पहले से था।

वे अपनी शक्तिशाली नौसेना की मदत से अरब सागर स्थित सदिमन्तीक नामक द्वीप पर भी अपना अधिकार स्थापित पाए थे, यहाँ तक कि अपने घातक युद्धपोतों की सहायता से कई राजाओं की सेना को तबाह करते हुए राजेन्द्र प्रथम ने जावा, सुमात्रा एवं मालदीव पर अधिकार कर लिया था ।

एक विशाल भूभाग पर अपना साम्राज्य स्थापित करने के बाद उन्होंने (गंगई कोड़ा) चोलपुरम नामक एक नई राजधानी का निर्माण किया था, वहाँ उन्होंने एक विशाल कृत्रिम झील का निर्माण कराया जो सोलह मील लंबी तथा तीन मील चौड़ी थी। यह झील भारत के इतिहास में मानव निर्मित सबसे बड़ी झीलों में से एक मानी जाती है। उस झील में बंगाल से गंगा का जल लाकर डाला गया।

एक तरफ आगरा मे शांहजहाँ के शासन के दौरान भीषण अकाल के बावजूद इतिहासकार उसकी प्रशंसा में इतिहास के पन्नों को भरने में लगे रहे दूसरी तरफ जिस राजेन्द्र चोल के अधीन दक्षिण भारत एशिया में समृद्धि और वैभव का प्रतिनिधित्व कर रहा था उसके बारे में हमारे इतिहास की किताबें एक साजिश के तहत खामोश रहीं ।

यहाँ तक कि बंगाल की खाड़ी जो कि दुनिया की सबसे बड़ी खाड़ी है इसका प्राचीन नाम चोला झील था, यह सदियों तक अपने नाम से चोल की महानता को बयाँ करती रही, बाद में यह कलिंग सागर में बदल दिया गया।

फिर ब्रिटिशर्स द्वारा बंगाल की खाड़ी में परिवर्तित कर दिया गया, वाम इतिहासकारों ने हमेशा हमारे नायकों के इतिहास को नष्ट करने की साजिश रची और हमारे मंदिरों और संस्कृति को नष्ट करने वाले मुगल आक्रांताओं के बारे में पढ़ाया, राजेन्द्र चोल की सेना में कमांडर के पद पर कुछ महिलाएं भी थी, सदियों बाद मुगलों का एक ऐसा वक्त आया जब महिलाएं पर्दे के पीछे चली गईं । फिर भारतीय राजाओ ने भी अपनी पत्नियों के लिए घूंघट प्रथा अपना ली। यह सब हमारे इतिहास में नही लिखा गया। छुपा लिया गया।

This is   Panel from 10th Century kept in  Bihar, Terai region, India. Pala dynasty was the ruling dynasty in Bihar and ...
16/06/2024

This is Panel from 10th Century kept in Bihar, Terai region, India. Pala dynasty was the ruling dynasty in Bihar and Bengal, India, from the 8th to the 12th century. Its founder, was a local chieftain who rose to power in the mid 8th century during a period of anarchy. His successor was .

Pala power was maintained under Devapala (reigned c. 810–850), who carried out raids in the north, the Deccan, and the peninsula; but thereafter the dynasty declined in power, and Mahendrapala, the Gurjara-Pratihara emperor of Kannauj in the late 9th and early 10th centuries, penetrated as far as northern Bengal. Pala strength was restored by Mahipala I (reigned c. 988–1038), whose influence reached as far as Varanasi, but on his death the kingdom again weakened.

This is Pala era Trimurti – Vishnu, Shiva, Brahma, Who are standing on Lotus, with four hands ,Two upwards and two downwards. One of them (Right hand in downward) is in while rest three are holding various objects as per the iconography. The Hindu Sacrificial thread know as Janeau / the Brahma-sutra on their left shoulder is also visible. All three have crowns on their head too. All three have their respective mounts (Vahana) also at their feet.

👉Vishnu is carved with Padma (Lotus), Shankha (Conch) and Danda (Staff) along with his mount Garuda (Eagle) on his bottom right.
👉Three hands of Shiva are broken but broken Trishula (Trident) is visible in his left hand with Sarpa (Snake) surrounding to his neck on left side. His mount Nandi (Bull) is placed on his bottom tight.
👉Three faced Brahma (4th face is behind, four faces signify the four directions) carved with Mala, Kamandala and Ladel (Ghee-Patra). Fourth object is not clearly identifiable to me. His mount Hamsa (Swan) is at his bottom right. On other side is perhaps an attendant with folded hands.

सूडान के नुबिया के पिरामिडों के अंदर 2500 ईसा पूर्व से मिली पेंटिंग। ई.
15/06/2024

सूडान के नुबिया के पिरामिडों के अंदर 2500 ईसा पूर्व से मिली पेंटिंग। ई.

संघ सरकार और संगठन और चुनावी उलटफेर की बातें वरिष्ठ पत्रकार श्री बृजेश सिंह जी के द्वारा देखिए सुनिए और अपनी अपनी राय कम...
13/06/2024

संघ सरकार और संगठन और चुनावी उलटफेर की बातें वरिष्ठ पत्रकार श्री बृजेश सिंह जी के द्वारा देखिए सुनिए और अपनी अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

11/06/2024
10/06/2024
10/06/2024
बंदा बैरागी का हुक्मनामा आज 9जून अमर बलिदानी बंदा बैरागी का बलिदान दिवस है।सन 1710 में बंदा बैरागी द्वारा सतयुग शासन की ...
09/06/2024

बंदा बैरागी का हुक्मनामा
आज 9जून अमर बलिदानी बंदा बैरागी का बलिदान दिवस है।
सन 1710 में बंदा बैरागी द्वारा सतयुग शासन की स्थापना करने पर तम्बाकू, शराब,अफीम, मांस, मछली पर प्रतिबन्ध लगाने का हुकुमनामा जारी किया गया।
यह स्पष्ट रूप से वेदों के आदेश का पालन था। वेद कहते है समाज को पथभ्रष्ट होने से बचाना राजा का कर्त्तव्य है।
बंदा बहादुर का हुकुमनामा हिंदी और पंजाबी में पढ़िए।
ॐ फ़तेह दर्शन
श्री सच साहिब जी का हुकुम है सरबत खालसा
जौनपुर का गुरु राखो गुरु जपना जन्म स्वर्गा
तुसी अकाल पुरख जी का खालसा हो
5 हथियार बाण के हुकुम देखदिया दर्शनी आवो
खालसा ही रेहत रहना
भांग,तम्बाकू, अफ़ीम, पोस्ट, दारू कोई नहीं खाना। मांस, मछली और प्याज नहीं खाना।
आसा सतयुग वार्ताया है।
आप विच प्यार करना मेरा हुकुम है।
जो खालसा दी गत रहेगा
गुरु उसदी भली करेगा
दिनांक-पोष 13, सम्वत 1
ਬਾਬਾ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਹੁਕਮ ਨਾਮਾ :-
ਇੱਕ ਓਂਕਾਰ ਫਤਿਹ ਦਰਸ਼ਨ
ਸਿਰੀ ਸਚੁ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਕਾ ਹੁਕਮ ਹੈ ,
ਸਰਬਤ ਖਾਲਸਾ ਜਉਨ ਪੁਰ ਕਾ ਗੁਰੂ ਰਖੋਗੁਰੂ ਗੁਰੂ ਜਪਣਾ ਜਮਨ ਸਵਾਰੇਗਾ,
ਤੁਸੀ ਸਿਰੀ ਅਕਾਲ ਪੁਰਖ ਜੀ ਕਾ ਖਾਲਸਾ ਹੋ,
ਪੰਜ ਹਥਿਆਰ ਬਨੁ ਕੈ ਹੁਕਮੁ ਦੇਖਦਿਆਂ ਦਰਸ਼ਨੀ ਆਵੌ,
ਖਾਲਸੇ ਦੀ ਹਰਤ ਰਹਿਣਾ, ਭੰਗ, ਤਮਾਕੂ, ਅਫੀਮ, ਦਾਰੂ, ਪੋਸਤ ਨਹੀਂ ਖਾਣਾ, ਮਾਸੁ , ਮੱਛੀ , ਪਿਆਜ ਨਹੀਂ ਖਾਣਾ।
ਚੋਰੀ ਜ਼ਾਰੀ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਅਸਾਂ ਸਤਯੁਗ ਵਰਤਾਇਆ ਹੈ,
ਆਪ ਵਿੱਚ ਪਿਆਰ ਕਰਨਾ ਮੈਰਾ ਹੁਕਮ ਹੈ।
ਜੋ ਖਾਲਸੇ ਦੀ ਗਤ ਰਹੇਗਾ ਉਸ਼ਦੀ ਗੁਰੂ ਭਲੀ ਕਰੇਗਾ।।
ਮਿਤੀ ਪੋਹ 13 ਸੰਮਤ ਪਹਿਲਾਂ 1..
#डॉ_विवेक_आर्य

07/06/2024

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