09/12/2017
हित तौ कीजै कमलनैन सौं, जा हित के आगैं और हित लागै फ़ीकौ।
कै हित कीजै साधु-संगति सौं, ज्यौं कलमष जाय सब जी कौ॥
हरि कौ हित ऐसौ, जैसौ रंग मजीठ, संसार हित रंग कसूँभ दिन दुती कौ।
कहिं श्रीहरिदास हित कीजै श्रीबिहारीजू सौं, और निबाहु जानि जी कौ॥