u.h.r.a(Universal Human Rights ASSOCIATION),nagpur

u.h.r.a(Universal Human Rights ASSOCIATION),nagpur Reg.no - Maha-614/2002 --- F-No-19477 Nagpur-- Registerd U/s (12 A)-80G ....Pan No -AAATU/1603R C. C.under the presidency of Sanjay Patil of U.H. R. A. at R. B. I.

WORK DONE UNDER THE ASSOCIATION

August 31st to 5th September-2001

'Stood on a hunger strike to protest against the stand taken by India towards the International Conference against Racism', which is being held in Durban, South Africa. The hunger Strike has been planned 'to draw attention to the neglect Dalits that is Scheduled Casts by the

Indian Government, and pleased to inform that the United Nation should agree to include the "Caste Discrimination" in its draft for United Nation World Conference against Racism. Also demanded that the delegation of United Nation Organization should visit India ( Nagpur-MS) to study the problems of atrocities on Dalits, Woman and exploitation of the Socially & Economically Backward Classes. And also demanded that the delegation should make a study report on the atrocities & bring the issue under the purview of Human Rights.

10th July 2002

Made a participation to Boycott the Study course of Astrology form Nagpur University.
18th October 2002

Providing Food & and Drinking Water in collaboration with National Council of Churches for the occasion of 'Dhammachakraprawartandin' , inveted Chief Guest Dr. Joseph, Secretary, N. January 2003

Association organized Blood Donation Camp, donated to The Meyo Hospital Nagpur.
22nd February 2003

Organize program of conversation on the topic of " Peace and Brotherhood"

April to October 2003

Distributed Coins of Reserve Bank of India Nagpur in proper way and job providing 50 unemployed College Students

22nd October to 27th October 2003

Organize program of conversation on the topic of "Peace and Justice,Youth Overcoming Violence", at Vasantrao Deshpande, Hall, Civil Line, Nagpur. December 2003

Distributed Cloths to the Beggar and Very Poor People at Railway Station & Yashwant Stedium, Nagpur.

9th August2004

Took Participation with Justice Bhou Wahane for Demanding to rewrite the incorrect book "THE BOMBAY HIGH COURT: THE STORY OF BUILDING 1878-2003" which is belongs to the history of Rashtrapita Mahatma Karamchand Gandhi, Bharat Ratna Dr. Babasaheb Ambedkar, Lokmanya Bal Gangadhar Tilak. Square, Nagpur.

3rd DECEMBER,2005

AWARENESS PROGRAMME ABOUT HIV(AIDS).

23rd to 29th October2007

Providing Food to the People in which they came to celebrated the Dhammachakraprartandin, at Dikshabhumi, Nagpur.

19th November 2007

Agitation, Hunger Strike, Dharna Against the Corruption in Maharashtra standing various demands like "open the center to educate the people about Human Rights in all over India ",at Temple Road, Nagpur.

11th December 2007

DISTRIBUTION OF HIV AIDS MEDICINE TO HIV AIDS PEOPLE ON THE OCCASION OF DEATH ANNIVERSARY OF BHARAT RATNA DR. BABASAHEB AMBEDKAR.AT NAGPUR

22nd March 2008

Taking action against failed Government of maharashtra to make appointments in Public Works Department, After our action is granted 9 thousands families getting benefits of the deceased employees in all over Maharastra.Govt has pass New G. for deceased employees.

19th to 30th December 2008

Starting Agitation for (Anukampa Dharak) Deceased family, Rehabilitation Hospital for HIV Aids People for Rehabilitation,and Educational Center for Human Rights.

12 April 2009

Arrange awareness programe of Human Rights in various parts of Vidharbh.

30 March 2009

Started the Health Care Seminars every last Sunday of the Month which will be continue for the year 2010 to 2012, at G. S. -3 Ekdant Apartment, cmpdi/wcl road, Jaripatka, Nagpur.

20th April 2009
Celebration of Birth Anniversary of Bharat Ratna Dr. Babasaheb Ambedkar, at Samata Miadan, Postal Ground, Yawatmal, with "World Famous Singer Wiashali Made".

एक रहस्य, गोंदिया अस्पताल का निर्माण सात साल से स्थगीत, - संजय पाटीलगोंदिया: संजय पाटिल: 7: 12: 2021: गोंदिया के सरकारी ...
07/12/2021

एक रहस्य, गोंदिया अस्पताल का निर्माण सात साल से स्थगीत, - संजय पाटील

गोंदिया: संजय पाटिल: 7: 12: 2021: गोंदिया के सरकारी मेडिकल कॉलेज को सात साल पहले 2015 में मंजूरी मिली थी. पाठ्यक्रम दूसरे वर्ष 2016 में शुरू हुआ। गोंदिया के साथ-साथ बारामती चंद्रपुर में सरकारी मेडिकल कॉलेज की शुरुआत की गई। उनकी अच्छी तरह से सुसज्जित इमारतों को पूरा किया जाने लगा। गोंदिया के लिए स्वीकृत 19 करोड़ रुपये में से केवल 4 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, इसलिए भवन का मुद्दा अभी भी एक रहस्य है। गोंदिया के लिए स्वीकृत 19 करोड़ रुपये में से केवल 4 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं। राज्य सरकार की हिस्सेदारी 40 फीसदी और केंद्र सरकार की 60 फीसदी हिस्सेदारी होगी. राज्य सरकार ने 689 करोड़ 46 लाख 81 हजार रुपये सरकार की मंजूरी मिल गई की लागत से एक सुसज्जित मेडिकल कॉलेज, फैकल्टी, स्टाफ क्वार्टर और छात्रों (लड़कों और लड़कियों के लिए स्वतंत्र) छात्रावास के साथ 25 एकड़ के अस्पताल के निर्माण के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव प्रस्तुत किया। . इससे पहले कॉलेज को संचालन के लिए 19 करोड़ रुपये मिले थे। इसमें से 4 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं और फिलहाल यह राशि लोक निर्माण विभाग के पास है. सात साल बीत जाने के बाद भी एक भी ईंट नहीं रखी गई है। राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी को विफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

गोंदिया: संजय पाटिल: 7: 12: 2021: गोंदिया के सरकारी मेडिकल कॉलेज को सात साल पहले 2015 में मंजूरी मिली थी. पाठ्यक्रम दूसरे वर्ष...

नागपुर महानगर पालिके ने 50 हजार गड्ढों को भरने का किया दावा- संजय पाटिल
07/12/2021

नागपुर महानगर पालिके ने 50 हजार गड्ढों को भरने का किया दावा- संजय पाटिल

नागपुर महानगर पालिके ने 50 हजार गड्ढों को भरने का किया दावा- संजय पाटिल by Journalist Sanjay Patil on December 07, 2021 0 Comment SHARE  

एक तरफ जाम है तो दूसरी तरफ सड़क निर्माण-संजय पाटीलनागपूर : २८ - ११-२०२१ : संजय पाटील  :  दिघोरी और शीतला माता मंदिर के ब...
28/11/2021

एक तरफ जाम है तो दूसरी तरफ सड़क निर्माण-संजय पाटील

नागपूर : २८ - ११-२०२१ : संजय पाटील : दिघोरी और शीतला माता मंदिर के बीच सड़क का काम चल रहा है। काम में देरी हो रही है, दोनों तरफ के वाहन एक ही सड़क पर आ-जा रहे हैं, क्योंकि एक तरफ सड़क बंद है, जिससे जाम की स्थिति बनी हुई है. दिघोरी में उमरेड मार्ग पर सीमेंट सड़क का कार्य प्रगति पर है, दिघोरी से दूसरी ओर शकरधारा शीतला माता मंदिर चौक तक सड़क का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिससे चालकों को एक ओर सड़क निर्माण कार्य का सामना करना पड़ता है और सड़क पर जाम का सामना करना पड़ता है.

दिघोरी से शीतलामाता मंदिर के रास्ते में नागरिक समय से अपने कार्यस्थल पर नहीं जा रहे हैं, एक तरफ सड़क का काम पूरा हो चुका है, और दूसरी तरफ सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है. लेकिन वाहनों की वजह से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. यह सड़क वर्तमान में सड़क निर्माण के उद्देश्य से वन-वे लेन हो चूका है. दुकानों में भीड़भाड़ और बसों के आवागमन के कारण इस मार्ग पर कार चालकों के साथ-साथ दोपहिया वाहनों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस सड़क पर पैदल चलने वालों को बेहद कठिन परिस्थितियों में सड़क पर चलने के लिए एक बड़ी कसरत से गुजरना पड़ रहा है. बाजार से निकलने वाले लोगों को अपना ख्याल रख कर सड़कों पर चलना पड़ रहा है.

नागरिकों ने संदेह जताया है कि लोक निर्माण विभाग द्वारा विभिन्न विभिन्न स्थानों पर सड़क का काम कराया टुकड़ा टुकड़ा में दिया गया है. चिंता की बात यह है कि अधूरे काम के साथ-साथ वाहनों की लंबी कतारें हादसों का कारण बन रही हैं. इस सड़क का निर्माण कार्य लंबे समय ले चल रहा है.

नागपूर : २८ - ११-२०२१ : संजय पाटील : दिघोरी और शीतला माता मंदिर के बीच सड़क का काम चल रहा है। काम में देरी हो रही है, दोनो.....

आदिवासी हिंदू आहेत की नाहीत ?? आदिवासी  हिंदू  आहेत        की  नाहीत  ??संविधानाने आदिवासींना कोणत्याच धर्माचे मानलेले न...
06/03/2021

आदिवासी हिंदू आहेत की नाहीत ??

आदिवासी हिंदू आहेत की नाहीत ??
संविधानाने आदिवासींना कोणत्याच धर्माचे मानलेले नाही. आदिवासींची म्हणजे अनुसूचित जनजातीची म्हणजेच शेड्युल्ड ट्राईब्सची वर्गवारी मान्य करतांना संविधानाने त्यांची जगण्याची स्थिती व सांस्कृतिक आधार ही मानदंडे व मापदंडे पाहिली. त्याचवेळी शेड्युल्ड कास्ट व ओबीसी यांची वर्गवारी मान्य करतांना सामाजिक विषमता व धार्मिक आधार हे स्वीकारले.

या देशातील कोट्यवधी आदिवासी अलिकडे अस्तित्वाच्या तिढ्यात गुंतलेय ! हा तिढा म्हणजे आदिवासी हिंदू आहेत की हिंदू नाहीत ?

खरेतर, संविधानाने आदिवासींना कोणत्याच धर्माचे मानलेले नाही. आदिवासींची म्हणजे अनुसूचित जनजातीची म्हणजेच शेड्युल्ड ट्राईब्सची वर्गवारी मान्य करतांना संविधानाने त्यांची जगण्याची स्थिती व सांस्कृतिक आधार ही मानदंडे व मापदंडे पाहिली. त्याचवेळी शेड्युल्ड कास्ट व ओबीसी यांची वर्गवारी मान्य करतांना सामाजिक विषमता व धार्मिक आधार हे स्वीकारले. अर्थात भारतातील आदिवासींचा भारतातील हिंदू धर्मासह कोणत्याच धर्माशी तसाही संबंध नव्हता. याशिवाय संविधानाने संविधानाच्या ५ व ६ अनुसूचीमध्ये आदिवासींना विशेष तरतुदी व संरक्षण दिल्याने आदिवासींची स्वतंत्र ओळख अधोरेखित झाली होती. परंतु आदीवासींच्या अलिकडील हिंदुकरणामुळे प्रश्न निर्माण झाला आहे.

स्वातंत्र्यपूर्व व स्वातंत्र्योत्तर काही वर्षे या देशात आदिवासींचे ख्रिस्तीकरण होत होते. तेव्हा अशी बाब चर्चेला नव्हती. पण जेंव्हापासून संघाने आदिवासींचे हिंदूकरण अर्थात धर्मांतरण करण्यात योजनाबध्द लक्ष घातले तेव्हापासून ही बाब प्रकर्षाने उठली. आधी संघाने आदिवासींना आदिवासी म्हणणे नाकारले. त्याऐवजी वनवासी शब्द रुढ केला.त्यानंतर वनवासी कल्याण आश्रमाच्या माध्यमातून आदिवासीत शैक्षणिक व राजकीय लाभार्थी वाढविले.संघाचा जसजसा देशभर प्रभाव वाढत गेला तसे या कार्याचे ही प्रभावक्षेत्र वाढत गेले.शिवाय, वाढलेल्या लाभार्थ्यांनी हिंदू लिहावे ही मागणी उचलून धरली.

संघवर्तुळाची या कार्यामागे वैचारिक भूमिकाही आहे. आदिवासी हे हिंदुच आहेत. ते वेगळे नाहीत. हिंदू एक रिलिजन नाही. ती जीवनदृष्टी आहे. हिंदुत्व एक रुपाची Form गोष्ट करीत नाही. एकतेची वा एकत्वाची दृष्टी म्हणजे हिंदुत्व. म्हणून आदिवासी हे हिंदुपासून अलग नाहीत. आदिवासी जर निसर्गपूजक असतील तर हिंदू ही पंचमहाभूते ( पृथ्वी, जल, वायू, तेज, आकाश ) मानतातच. यामुळे आदिवासींची वेगळी सांस्कृतिक व पुजेची ओळख हिंदुसोबत कायम व सुरक्षित राहू शकेल. त्यामुळेच त्यांनी येत्या २०२१ च्या जनगणनेत हिंदू लिहावे.

एकूण लोकसंख्येच्या ९ टक्के आदिवासी आहेत. भारतात आदिवासींच्या एकूण ७०५ व महाराष्ट्रात ४५ जाती आहेत. सवलती व आरक्षणाचे प्रमाण ७.५ टक्के महाराष्ट्रात १३ टक्के आहे. प्रत्येक राज्यात राज्याचे प्रमाण वेगवेगळे आहे. मात्र, काही राज्ये आदिवासीबहुल आहेत. पण एक खरे की, एससी व ओबीसी यांच्या अस्पृश्यता, इतर मागास घटक व सामाजिक विषमता या बाबींचा संबंध हिंदू धर्माशी होता. आदिवासींचे तसे नाही. ती त्यांची स्वतंत्र ओळख आहे.

संघाच्या , हिंदू लिहा या आवाहनावर देशभर तीव्र प्रतिक्रिया उमटल्या. झारखंड व आंध्र प्रदेश सरकारने तर विधेयक पारित करून आदिवासी हिंदू नाहीत हा निर्णय घेतला. शिवाय आम्ही हिंदू नाहीत हे सांगण्यासाठी देशभर मोर्चे निघत आहेत. या मोर्चातून, आम्हाला स्वतंत्र धर्म कोड द्या अशी मागणी होत आहे. प्रामुख्याने आदिवासीतील नवी शिकलेली पीढी यात पुढाकार घेत आहे. शिवाय, वेगवेगळ्या ठिकाणी आदिवासींच्या महाग्रामसभा होत आहेत. या सभेत, हिंदू लिहिणाऱ्या आदिवासींच्या सवलती व जातप्रमाणपत्र रद्द करावे अशीही मागणी होत आहे.

झारखंडचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यांनी नुकतेच हार्वर्ड इंडिया कान्फरंसला संबोधन करतांना यासंदर्भात आपली भूमिका स्पष्ट केली. ते म्हणाले, आदिवासी कधीच हिंदू नव्हते. आजही नाहीत. आदिवासींची संस्कृती, सभ्यता व व्यवस्था वेगळी आहे. हे वेगळेपण हीच खरी ओळख. आम्ही धर्म म्हणून हिंदू कशाला ? सरना धर्म लिहू असेही ते म्हणाले.

आदिवासीतील जाणकार ही लिहू लागले आहेत. ते लिहितात, आदिवासींचा हिंदुत दर्जा काय राहील ? शूद्र की अस्पृश्य ? हिंदुंच्या सर्व देवांनी ज्या राक्षस, दैत्य, दानव, असुर यांची हत्या केली हे कोण होते ? याची आधी उत्तरे द्यावीत.

असे हे आदिवासी जगतात सुरू आहे. अर्थात कळीचे मुद्दे बुचकळ्यात गेले आहेत. कुठे मुसलमान घाबरवून आहेत. कुठे ख्रिश्चन घाबरून गेले आहेत. आता आदिवासी संभ्रमात आहेत.

लेखक : रणजित मेश्राम

आदिवासी हिंदू आहेत की नाहीत ?? संविधानाने आदिवासींना कोणत्याच धर्माचे मानलेले नाही. आदिवासींची म्हणजे अनुसूचित ज...

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : २०/१०/२०२०: अमरावती : भारतीय नियामक व महालेखा परीक्षक, कॅगने जारी केलेल्या अहवालात फड...
20/10/2020

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : २०/१०/२०२०: अमरावती : भारतीय नियामक व महालेखा परीक्षक, कॅगने जारी केलेल्या अहवालात फडणवीस सरकारची महत्वकांगशी योजना जलयुक्तस शिवार अपयशी ठरली. यामुळे प्रभागातील पाण्याशी संबंधित कामांवर 938 कोटी खर्च केल्यावर प्रश्नचिन्ह ठेवले होते. तथापि, तत्कालीन सरकारने 31.05 टीएमसी जलाशय आणि विभागातील 2 लाख हेक्टर क्षेत्रावर सिंचनासाठी सिंचित केल्याचा दावा केला गेला. विभागीय आयुक्तांच्या रेपोर्टवर लक्ष दिले असता ३ वर्षात मात्र विभागात ६६ हजार ५९८ कामे मंजूर झाले, ज्यात ६५,३७६ काम पूर्ण करण्यात आल्याची माहिती प्राप्त झाली. [ 227 more words ]

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संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : २०/१०/२०२०: अमरावती : भारतीय नियामक व महालेखा परीक्षक, कॅगने जारी केलेल्या अहवाला.....

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १९ओक्टोबर २०२० : नागपूर : बुट्टीबोरी, हैदराबाद आणि वर्धाकडे जाणाऱ्या आणि राष्ट्रीय मह...
19/10/2020

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १९ओक्टोबर २०२० : नागपूर : बुट्टीबोरी, हैदराबाद आणि वर्धाकडे जाणाऱ्या आणि राष्ट्रीय महामार्गावर असणार्‍या खापरी आरओबीने शहराला रस्त्याशी जोडले असून ते अवजड वाहनांच्या हालचालींमध्ये बारमाही व्यस्त आहे. परंतु वरच्या टार पृष्ठभाग धुर्यामुळे, आरओबीच्या रॅम्पमुळे प्रवाशांच्या सुरक्षिततेस गंभीर धोका निर्माण झाला आहे. शहराच्या दिशेने येताना आणि खाली येताना अशीच स्थिती आहे आणि वाढलेली झुडपे टाळायची की रस्त्याच्या पृष्ठभागावरील मोकळ्या रेव्हेवर वाहन संतुलित करायचे की नाही याचा गोंधळ उडाला. [ 1,047 more word ]

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संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १९ओक्टोबर २०२० : नागपूर : बुट्टीबोरी, हैदराबाद आणि वर्धाकडे जाणाऱ्या आणि राष्ट्र....

संजय पाटील: नागपूर प्रेस मीडिया: 18 ऑक्टोबर 2020 : नागपूर : आरबीआय स्क्वेअर जवळ वाय आकाराच्या सदर उड्डाणपुलाचे लँडिंग नि...
18/10/2020

संजय पाटील: नागपूर प्रेस मीडिया: 18 ऑक्टोबर 2020 : नागपूर : आरबीआय स्क्वेअर जवळ वाय आकाराच्या सदर उड्डाणपुलाचे लँडिंग नियोजन व बांधकाम या मुद्द्यांमुळे वाहनधारकांसाठी धोकादायक बनली आहे. कोणताही अपघात पूर्ववत करण्यासाठी वाहतुकीच्या पोलिसांनी सुमारे 10 महिन्यांपूर्वी कोणताही अपघात पूर्व-शून्य करण्यासाठी रोडकडे जाण्यासाठी लिबर्टी सिनेमा चौकातून समधान चौक ते एलआयसी चौकात जाणारी वाहतूक वळविली होती. यामुळे सदर उड्डाणपुलावरुन एलआयसी स्क्वेअर ते समविधान चौक दरम्यानच्या रस्त्यावर बॉटेलनेक न येता वाहनांना परवानगी मिळाली. [ 78 more words ]

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संजय पाटील: नागपूर प्रेस मीडिया: 18 ऑक्टोबर 2020 : नागपूर : आरबीआय स्क्वेअर जवळ वाय आकाराच्या सदर उड्डाणपुलाचे लँडिंग न....

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १७ ओक्ट : २०२० : नागपूर : जगात चांगले रस्ते बनविण्यामागे यातायात चांगली झाली पाहिजे व...
17/10/2020

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १७ ओक्ट : २०२० : नागपूर : जगात चांगले रस्ते बनविण्यामागे यातायात चांगली झाली पाहिजे व लोकांना चालण्यासाठी सुविधा उपलब्ध झाली पाहिजे. परंतु जगात विख्यात असलेली ऑरेंज सिटी नागपुरात करोडोच्या लागतीत बनवलेली सिमेंट रस्ते वाहन चालकांसाठी नाही तर ते रस्ते वारंवार तोडन्यासाठी बनवल्या गेलेली आहेत काय ? मनपा, पीडब्ल्लूडी,ट्रैफिक विभाग, महावितरण, जलपूर्ती विभाग यांच्या मध्ये कोणत्याही प्रकारचा ताळमेळ नसल्याकारणाने नवीन रस्त्याना नाली , ड्रेनेज लाईन, विजलाईन, केबल लाईन पसरविण्याच्या नावाने तोडले जात आहे. [ 519 more words ]

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संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १७ ओक्ट : २०२० : नागपूर : जगात चांगले रस्ते बनविण्यामागे यातायात चांगली झाली पाहिज....

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १७ ओक्ट : २०२० : नागपूर : मागील आठ वर्षात केवळ ३२ करोड रुपये राज्य सरकारने नागपूर जिल...
17/10/2020

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १७ ओक्ट : २०२० : नागपूर : मागील आठ वर्षात केवळ ३२ करोड रुपये राज्य सरकारने नागपूर जिल्हापरिषदच्या बांधकाम विभागाला ग्रामीण भागात रस्ते बनविण्याकरिता दिलेत. परंतु मागील ८ वर्षात त्यांना रस्त्याच्या दुरुस्ती करीता ४२२ कोटी पाहिजे होते. जिल्हा परिषदेच्या तत्कालीन सत्ताधारी लोकांनी भाजपाच्या सरकारला कित्येकदा पत्र पाठवून निधी ची मागणी केली असता, तरीही निधी मंजूर झाली नाही. [ 209 more words ]

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संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १७ ओक्ट : २०२० : नागपूर : मागील आठ वर्षात केवळ ३२ करोड रुपये राज्य सरकारने नागपूर जि....

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १७ ओक्ट : २०२० : मुंबई : लाचलुचपत प्रतिबंधक विभाग आणि विशेष तपास पथक ( एसआयटी) या दोन...
17/10/2020

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १७ ओक्ट : २०२० : मुंबई : लाचलुचपत प्रतिबंधक विभाग आणि विशेष तपास पथक ( एसआयटी) या दोन्ही यंत्रणांकडून सिंचन घोटाळ्यात क्लीन चिट मिळाल्यानंतर आता सक्तवसुली संचालनालय (ईडी) पुन्हा सक्रिय झाले आहे. विदर्भ पाटबंधारे विकास महामंडळ, कोकण पाटबंधारे विकास महामंडळ आणि कृष्णा खोरे पाटबंधारे विकास महामंडळांनी सन १९९९ ते २००९ या कालखंडातील धरणांच्या निविदा, सुधारित प्रशासकीय मान्यता, कंत्राटदारांना अदा दिलेली बिले अशी सर्व कागदपत्रे द्यावीत, अशी मागणी 'ईडी'ने केली आहे. [ 270 more words ]

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संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १७ ओक्ट : २०२० : मुंबई : लाचलुचपत प्रतिबंधक विभाग आणि विशेष तपास पथक ( एसआयटी) या दोन.....

Sanjay Patil  14 Oct 2020, 20:57 (11 hours ago) to me संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया : वार्ताहर : १५ ओक्टोम्बर २०२० :ए...
15/10/2020

Sanjay Patil 14 Oct 2020, 20:57 (11 hours ago) to me संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया : वार्ताहर : १५ ओक्टोम्बर २०२० :एसआयटी मार्फत जलयुक्त शिवार योजनेचे चौकशी होणार वसंत मुंडे मुंबई महाराष्ट्र मध्ये भाजपच्या मुख्यमंत्र्याची महत्वकांक्षी योजना जलयुक्त शिवाराची 2014 पासून कार्यरत झाली भ्रष्टाचार करून गुत्तेदारला पोसणारी योजना होती असा आरोप काँग्रेसचे नेते वसंत मुंडे यांनी केला . [ 634 more words ]

http://humanrightstv.art.blog/2020/10/15/%e0%a4%ad%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%be%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a5%af-%e0%a4%b9%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a5%ac%e0%a5%a9%e0%a5%aa-%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%9f/

Sanjay Patil 14 Oct 2020, 20:57 (11 hours ago)to me संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया : वार्ताहर : १५ ओक्टोम्बर २०२० :एसआयटी मार्फत जलयुक्....

संजय पाटिल: नागपुर प्रेस मीडिया: १२ अक्टूबर २०२० नागपुर : वर्षों से, गोसीखुर्द सिंचाई परियोजना काम की खराब गुणवत्ता और अ...
12/10/2020

संजय पाटिल: नागपुर प्रेस मीडिया: १२ अक्टूबर २०२० नागपुर : वर्षों से, गोसीखुर्द सिंचाई परियोजना काम की खराब गुणवत्ता और अकुशल देरी से सुर्खियों में थी। पिछले कुछ वर्षों में, तस्वीर बदल रही है। गोसीखुर्द परियोजना की वाम बैंक नहर (एलबीसी) का निर्माण आधिकारिक रिपोर्टों में भी तीखी आलोचना के लिए आया था। हालांकि, वर्षों में, 'विफलताओं से सीख', विदर्भ सिंचाई विकास निगम (VIDC) पूरे 23.93 किमी एलबीसी का पुनर्निर्माण कर रहा है। गोसीखुर्द राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना में दो मुख्य नहरें शामिल हैं - एलबीसी और राइट बैंक नहर (आरबीसी)। एलबीसी की कुल लंबाई 22.93 किलोमीटर है। 11 किमी तक के निर्माण का काम एक ठेकेदार को दिया गया था, और शेष हिस्से को दूसरे ठेकेदार को। [ 947 more words ]

http://humanrightstv.art.blog/2020/10/12/%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%85%e0%a4%ad%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%b5%e0%a5%80%e0%a4%a3/

संजय पाटिल: नागपुर प्रेस मीडिया: १२ अक्टूबर २०२० नागपुर : वर्षों से, गोसीखुर्द सिंचाई परियोजना काम की खराब गुणवत्त.....

10/09/2020

‘सिंचन म्हणजे भ्रष्टाचार’ - भारताचे नियंत्रक आणि महालेखापरीक्षक (कॅग)



सिंचनात, बांधकाम विभागात ठेकेदारांवर मेहेरबानी आणि जलयुक्त शिवार योजनेत अपयश :संजय पाटील

संजय पाटील नागपुर प्रेस मीडिया: मुंबई : ९ सप्टेम्बर २०२० : देवेंद्र फडणवीस यांच्या नेतृत्वाखालील सरकारच्या काळातील शेवटच्या वर्षांतील कारभाराचा लेखाजोखा मांडणारा कॅगच्या अहवालात मागील वर्षी सार्वजनिक बांधकाम विभागाने मनमानीपणे एका कंत्राटदाराकडील काम काढून दुसऱ्याला वाढीव दराने दिल्याने पावणेतीन कोटी रुपयांची उधळपट्टी झाल्याचे आणि सदोष नियोजन-भूसंपादन न करताच काम सुरू करणे यासारख्या प्रकारांमुळे जलसंपदा विभागाच्या कामांमध्ये २११ कोटी रुपयांची उधळपट्टी झाल्याचे ताशेरे कॅगने ओढले आहेत. पावसाळी अधिवेशनात मागील वर्षांतील आर्थिक क्षेत्रावरील अहवाल सादर झाला असून त्यात तत्कालीन सार्वजनिक बांधकाममंत्री चंद्रकांत पाटील व जलसंपदामंत्री गिरीश महाजन यांच्या खात्यांमधील गैरकारभारावर ताशेरे ओढण्यात आले आहेत.

सार्वजनिक बांधकाम विभागाने शीव-पनवेल महामार्गाच्या कामाचे काही टप्प्यांतील काम एका कंत्राटदाराकडून काढून घेतले व निविदा न काढताच दुसऱ्या कं त्राटदाराला वाढीव दराने दिले. यामुळे २ कोटी ८६ लाखांचा विनाकारण खर्च झाला. तो टाळता आला असता, असे कॅगच्या अहवालात नोंदवण्यात आले आहे. तसेच पहिल्या कंत्राटदाराकडून काम काढून घेण्याची प्रक्रिया सुरू होण्याआधीच दुसऱ्याला काम सुरू करण्यास सांगण्यात आल्याचे दिसते, असेही म्हटले आहे.

सिंचन प्रकल्पांच्या कामातही उधळपट्टी झाल्याचे कॅगचा अहवाल सांगतो. अंजनी मध्यम प्रकल्पाची उंची वाढवण्याचे काम भूसंपादन न करताच सुरू केल्याने ३२.३८ कोटी रुपयांचा वायफळ खर्च झाला. वाघूर प्रकल्पातही याच रीतीने ४.३८ कोटी रुपयांची उधळपट्टी झाली. माजलगाव उपसा सिंचन योजनेतही ऑक्टोबर २०१५ मध्ये कंत्राटदाराला ११७ कोटी रुपये देण्यात आले; पण सदोष नियोजनामुळे २०१९ मध्येही काम सुरू झाले नव्हते, याकडे कॅगने लक्ष वेधले आहे. अव्यवहार्य असतानाही मराठवाडय़ातील उणके श्वर प्रकल्पाच्या कामात ५५ कोटी २२ लाखांची उधळपट्टी झाल्याचे ताशेरेही कॅ गने ओढले आहेत. याबरोबरच इतरही प्रकल्पांतही अशा प्रकारे वायफळ पैसे खर्च झाल्याचे कॅगने म्हटले आहे.

जलयुक्त शिवार योजनेत अपयश

मुंबई : तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांची अतिशय महत्वाची जलयुक्त शिवार योजना असफहल झाल्याचा ठपका नियंत्रक व महालेखा परीक्षक ” कैग ” ने ठेवला आहे. ही बाब भाजप – शिवसेना सरकारच्या कार्यकाळात सर्वाधिक चर्चेत राहिलेली आहे. राज्यातील गावे दुशकाळमुक्त करण्याचे ‘जलयुक्त शिवाराची ‘ उद्दीष्ट्ये सफल झाले नाहीच शिवाय अनेक गावामध्ये भूजल पातळी वाढण्याऐवजी घटली, असे कैग ने म्हटले असून, तत्कालीन सरकार साठी हा मोठा धक्का
मानला जात आहे.

जलयुक्त शिवार योजेनेवर ९ हजार ६३४ कोटी रुपये खर्च करूनही राज्यातील पाण्याची गरज भागवण्यात, तसेच भूजल पातळी वाढवण्यात अपयश आल्याचा गंभीर ठपकाठेवून कैग ने अहवालात ठेवून मंगळवारी विधिमंडळात मांडण्यात आला.जलयुक्त शिवाराच्या कामाची कोणतीही गुनवता तपासण्याची कार्यपद्धती अवलंबिली नाही. जलयुक्त शिवार योजनेसंदर्भात कैग ने पाहणी केलेल्या १२० गावापैकी एकही गावात दुरुस्ती व देखभालीसाठी राज्य सरकारने अनुदान दिले नाही. पाच जिल्ह्यांमध्ये अहमदनगर, बीड , बुलढाणा , सोलापूर आणि नागपूरयेथे जलयुक्त शिवाराची कामे योग्य रित्या झाली नाहीत. या जिल्ह्यात जलयुक्त शिवारात झालेल्या भ्रस्टाचाराची साक्ष तिथले साप्ताहिक पेपर आणि दैनिक वर्तमान पत्रात देखील प्रकाशित झालेली आहेत. या कामासाठी २६१७ कोटी रुपयांचा खर्च झाला होता. याकडे कैग ने लक्ष वेधले होते. पाण्याची साठवण निर्मिती कमी असतानाही काही गावे जलपरिपूर्ण म्हणून घोषित केले होते कैग ने म्हटले आहे. या कामाची छायाचित्रे वेबसाईटवर टाकण्यात आली नाहीत. अनेक कामांचे त्रयस्त संस्थेकडून मूल्यमापन झाले नाही, अशी पुष्टीही कैग ने जोडली आहे.

माजी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी प्रतिष्ठेच्या केलेल्या जलयुक्त शिवार योजनेत अनेक त्रुटी होत्या, त्रयस्थ संस्थेकडून त्याचे मूल्यमापन झाले नाही आणि नियोजनाअभावी गावांचा तेवढा फायदाही झाला नाही, असा ठपका ठेवतानाच ९,६३३ कोटी रुपये खर्चूनही भूजलातील पाण्याची पातळी वाढविण्यात अपयश आले, असे ताशेरे भारताचे नियंत्रक आणि महालेखापरीक्षकांनी (कॅग) अहवालात ओढले आहेत. यावरून आता शिवसेनेनं निशाणा साधला आहे. शेवटी ‘नाव मोठे लक्षण खोटे’ अशी जलयुक्तची अवस्था असल्याचं म्हणत शिवसेनेनं यावर टीका केली.

कुठलीही योजना कागदावर चांगलीच असते. तिचा उद्देशही चांगलाच असतो. प्रश्न असतो तो पारदर्शक आणि प्रभावी अंमलबजावणीचा. त्यात जेव्हा गडबड होते तेव्हा त्यावरून केलेली बडबड ‘पोकळ’ आणि खर्च ‘वायफळ’ ठरतो. जलयुक्त शिवार योजनेचे तेच झाले. ‘कॅग’ने मारलेल्या ताशेऱ्यांचा तोच अर्थ आहे, असं शिवसेनेनं म्हटलं आहे.

काय म्हटलंय अग्रलेखात?

आधीच्या फडणवीस सरकारने ज्या अनेक योजनांचा गाजावाजा केला त्यापैकी जलयुक्त शिवार ही एक योजना होती. मात्र इतर योजनांबद्दल जे आक्षेप नोंदवले गेले तेच जलयुक्त शिवार योजनेबाबतही घेतले गेले. फडणवीस सरकार असतानाही तज्ञांनी या योजनेवर टीका केली होती. मात्र फडणवीस आणि मंडळींनी ही टीका चुकीची तसेच राजकीय असल्याचे सांगत जलयुक्त शिवार योजनेचे जोरदार समर्थन केले होते. आता प्रत्यक्ष ‘कॅग’नेच या योजनेच्या यशावर प्रश्नचिन्ह उभे केले आहे. त्यावर जलयुक्त शिवार योजनेचा डिंडोरा पिटणाऱ्यांचे काय म्हणणे आहे? या योजनेचा हेतू तर साध्य झाला नाहीच, शिवाय गावे दुष्काळमुक्त करण्याचा दावाही फोल ठरला.

विरोधी पक्षांचे आरोप ‘राजकीय हेतूने प्रेरित’ होते असे वादासाठी गृहीत धरले तरी ‘कॅग’ने मागील सरकारच्या दाव्याचा फोलपणा उघड केला आहे. फडणवीस सरकारने वर्षानुवर्षे सुरू असलेला ‘पाणलोट क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ बंद केला. त्यातील १२ योजनांचे एकत्रीकरण केले आणि त्याचे ‘जलयुक्त शिवार योजना’ असे बारसे केले. ही योजना म्हणजे जणू ‘महाराष्ट्र दुष्काळमुक्त झाला हो’ असे वातावरण निर्माण केले गेले. वास्तविक, या योजनेच्या मर्यादा, तांत्रिक उणिवा, अंमलबजावणीतील दोष यावर तज्ञ आणि विरोधकांनीही वेळोवेळी बोट ठेवले होते; पण त्या सर्वांची हेटाळणी केली गेली. आता ‘कॅग’नेच ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ केले.

मागील सरकारने योजनेच्या यशाचा भुलभुलैया कायमच ठेवला. अर्थात त्याचे वास्तव आधी महाविकास आघाडी सरकारच्या लक्षात आले आणि आता ‘कॅग’ने उरलासुरला पडदादेखील दूर केला. २०१२ ते २०१५ या काळात महाराष्ट्रावर कायम दुष्काळाचे सावट राहिले. त्याशिवाय ‘सिंचन म्हणजे भ्रष्टाचार’ असे एक वातावरण ‘कॅग’च्याच अहवालांचे दाखले देत तयार करण्यात आले होते. ज्यांनी हे केले त्यांच्याच हातात राज्याची सूत्रे आली होती. त्यामुळे ‘जलयुक्त’च्या माध्यमातून महाराष्ट्र ‘दुष्काळमुक्त’ करण्याची संधी या मंडळींना होती, पण ती त्यांनी गमावली असे आता आम्ही नाही, तर ‘कॅग’नेच म्हटले आहे.

सिंचनात, बांधकाम विभागात ठेकेदारांवर मेहेरबानी आणि जलयुक्त शिवार योजनेत अपयश :संजय पाटील संजय पाटील नागपुर प्रे....

‘सिंचन म्हणजे भ्रष्टाचार’ - भारताचे नियंत्रक आणि महालेखापरीक्षक (कॅग) https://ift.tt/3ifnrm1 सिंचनात, बांधकाम विभागात ठे...
10/09/2020

‘सिंचन म्हणजे भ्रष्टाचार’ - भारताचे नियंत्रक आणि महालेखापरीक्षक (कॅग) https://ift.tt/3ifnrm1



सिंचनात, बांधकाम विभागात ठेकेदारांवर मेहेरबानी आणि जलयुक्त शिवार योजनेत अपयश :संजय पाटील

संजय पाटील नागपुर प्रेस मीडिया: मुंबई : ९ सप्टेम्बर २०२० : देवेंद्र फडणवीस यांच्या नेतृत्वाखालील सरकारच्या काळातील शेवटच्या वर्षांतील कारभाराचा लेखाजोखा मांडणारा कॅगच्या अहवालात मागील वर्षी सार्वजनिक बांधकाम विभागाने मनमानीपणे एका कंत्राटदाराकडील काम काढून दुसऱ्याला वाढीव दराने दिल्याने पावणेतीन कोटी रुपयांची उधळपट्टी झाल्याचे आणि सदोष नियोजन-भूसंपादन न करताच काम सुरू करणे यासारख्या प्रकारांमुळे जलसंपदा विभागाच्या कामांमध्ये २११ कोटी रुपयांची उधळपट्टी झाल्याचे ताशेरे कॅगने ओढले आहेत. पावसाळी अधिवेशनात मागील वर्षांतील आर्थिक क्षेत्रावरील अहवाल सादर झाला असून त्यात तत्कालीन सार्वजनिक बांधकाममंत्री चंद्रकांत पाटील व जलसंपदामंत्री गिरीश महाजन यांच्या खात्यांमधील गैरकारभारावर ताशेरे ओढण्यात आले आहेत.

सार्वजनिक बांधकाम विभागाने शीव-पनवेल महामार्गाच्या कामाचे काही टप्प्यांतील काम एका कंत्राटदाराकडून काढून घेतले व निविदा न काढताच दुसऱ्या कं त्राटदाराला वाढीव दराने दिले. यामुळे २ कोटी ८६ लाखांचा विनाकारण खर्च झाला. तो टाळता आला असता, असे कॅगच्या अहवालात नोंदवण्यात आले आहे. तसेच पहिल्या कंत्राटदाराकडून काम काढून घेण्याची प्रक्रिया सुरू होण्याआधीच दुसऱ्याला काम सुरू करण्यास सांगण्यात आल्याचे दिसते, असेही म्हटले आहे.

सिंचन प्रकल्पांच्या कामातही उधळपट्टी झाल्याचे कॅगचा अहवाल सांगतो. अंजनी मध्यम प्रकल्पाची उंची वाढवण्याचे काम भूसंपादन न करताच सुरू केल्याने ३२.३८ कोटी रुपयांचा वायफळ खर्च झाला. वाघूर प्रकल्पातही याच रीतीने ४.३८ कोटी रुपयांची उधळपट्टी झाली. माजलगाव उपसा सिंचन योजनेतही ऑक्टोबर २०१५ मध्ये कंत्राटदाराला ११७ कोटी रुपये देण्यात आले; पण सदोष नियोजनामुळे २०१९ मध्येही काम सुरू झाले नव्हते, याकडे कॅगने लक्ष वेधले आहे. अव्यवहार्य असतानाही मराठवाडय़ातील उणके श्वर प्रकल्पाच्या कामात ५५ कोटी २२ लाखांची उधळपट्टी झाल्याचे ताशेरेही कॅ गने ओढले आहेत. याबरोबरच इतरही प्रकल्पांतही अशा प्रकारे वायफळ पैसे खर्च झाल्याचे कॅगने म्हटले आहे.

जलयुक्त शिवार योजनेत अपयश

मुंबई : तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांची अतिशय महत्वाची जलयुक्त शिवार योजना असफहल झाल्याचा ठपका नियंत्रक व महालेखा परीक्षक ” कैग ” ने ठेवला आहे. ही बाब भाजप – शिवसेना सरकारच्या कार्यकाळात सर्वाधिक चर्चेत राहिलेली आहे. राज्यातील गावे दुशकाळमुक्त करण्याचे ‘जलयुक्त शिवाराची ‘ उद्दीष्ट्ये सफल झाले नाहीच शिवाय अनेक गावामध्ये भूजल पातळी वाढण्याऐवजी घटली, असे कैग ने म्हटले असून, तत्कालीन सरकार साठी हा मोठा धक्का
मानला जात आहे.

जलयुक्त शिवार योजेनेवर ९ हजार ६३४ कोटी रुपये खर्च करूनही राज्यातील पाण्याची गरज भागवण्यात, तसेच भूजल पातळी वाढवण्यात अपयश आल्याचा गंभीर ठपकाठेवून कैग ने अहवालात ठेवून मंगळवारी विधिमंडळात मांडण्यात आला.जलयुक्त शिवाराच्या कामाची कोणतीही गुनवता तपासण्याची कार्यपद्धती अवलंबिली नाही. जलयुक्त शिवार योजनेसंदर्भात कैग ने पाहणी केलेल्या १२० गावापैकी एकही गावात दुरुस्ती व देखभालीसाठी राज्य सरकारने अनुदान दिले नाही. पाच जिल्ह्यांमध्ये अहमदनगर, बीड , बुलढाणा , सोलापूर आणि नागपूरयेथे जलयुक्त शिवाराची कामे योग्य रित्या झाली नाहीत. या जिल्ह्यात जलयुक्त शिवारात झालेल्या भ्रस्टाचाराची साक्ष तिथले साप्ताहिक पेपर आणि दैनिक वर्तमान पत्रात देखील प्रकाशित झालेली आहेत. या कामासाठी २६१७ कोटी रुपयांचा खर्च झाला होता. याकडे कैग ने लक्ष वेधले होते. पाण्याची साठवण निर्मिती कमी असतानाही काही गावे जलपरिपूर्ण म्हणून घोषित केले होते कैग ने म्हटले आहे. या कामाची छायाचित्रे वेबसाईटवर टाकण्यात आली नाहीत. अनेक कामांचे त्रयस्त संस्थेकडून मूल्यमापन झाले नाही, अशी पुष्टीही कैग ने जोडली आहे.

माजी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी प्रतिष्ठेच्या केलेल्या जलयुक्त शिवार योजनेत अनेक त्रुटी होत्या, त्रयस्थ संस्थेकडून त्याचे मूल्यमापन झाले नाही आणि नियोजनाअभावी गावांचा तेवढा फायदाही झाला नाही, असा ठपका ठेवतानाच ९,६३३ कोटी रुपये खर्चूनही भूजलातील पाण्याची पातळी वाढविण्यात अपयश आले, असे ताशेरे भारताचे नियंत्रक आणि महालेखापरीक्षकांनी (कॅग) अहवालात ओढले आहेत. यावरून आता शिवसेनेनं निशाणा साधला आहे. शेवटी ‘नाव मोठे लक्षण खोटे’ अशी जलयुक्तची अवस्था असल्याचं म्हणत शिवसेनेनं यावर टीका केली.

कुठलीही योजना कागदावर चांगलीच असते. तिचा उद्देशही चांगलाच असतो. प्रश्न असतो तो पारदर्शक आणि प्रभावी अंमलबजावणीचा. त्यात जेव्हा गडबड होते तेव्हा त्यावरून केलेली बडबड ‘पोकळ’ आणि खर्च ‘वायफळ’ ठरतो. जलयुक्त शिवार योजनेचे तेच झाले. ‘कॅग’ने मारलेल्या ताशेऱ्यांचा तोच अर्थ आहे, असं शिवसेनेनं म्हटलं आहे.

काय म्हटलंय अग्रलेखात?

आधीच्या फडणवीस सरकारने ज्या अनेक योजनांचा गाजावाजा केला त्यापैकी जलयुक्त शिवार ही एक योजना होती. मात्र इतर योजनांबद्दल जे आक्षेप नोंदवले गेले तेच जलयुक्त शिवार योजनेबाबतही घेतले गेले. फडणवीस सरकार असतानाही तज्ञांनी या योजनेवर टीका केली होती. मात्र फडणवीस आणि मंडळींनी ही टीका चुकीची तसेच राजकीय असल्याचे सांगत जलयुक्त शिवार योजनेचे जोरदार समर्थन केले होते. आता प्रत्यक्ष ‘कॅग’नेच या योजनेच्या यशावर प्रश्नचिन्ह उभे केले आहे. त्यावर जलयुक्त शिवार योजनेचा डिंडोरा पिटणाऱ्यांचे काय म्हणणे आहे? या योजनेचा हेतू तर साध्य झाला नाहीच, शिवाय गावे दुष्काळमुक्त करण्याचा दावाही फोल ठरला.

विरोधी पक्षांचे आरोप ‘राजकीय हेतूने प्रेरित’ होते असे वादासाठी गृहीत धरले तरी ‘कॅग’ने मागील सरकारच्या दाव्याचा फोलपणा उघड केला आहे. फडणवीस सरकारने वर्षानुवर्षे सुरू असलेला ‘पाणलोट क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ बंद केला. त्यातील १२ योजनांचे एकत्रीकरण केले आणि त्याचे ‘जलयुक्त शिवार योजना’ असे बारसे केले. ही योजना म्हणजे जणू ‘महाराष्ट्र दुष्काळमुक्त झाला हो’ असे वातावरण निर्माण केले गेले. वास्तविक, या योजनेच्या मर्यादा, तांत्रिक उणिवा, अंमलबजावणीतील दोष यावर तज्ञ आणि विरोधकांनीही वेळोवेळी बोट ठेवले होते; पण त्या सर्वांची हेटाळणी केली गेली. आता ‘कॅग’नेच ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ केले.

मागील सरकारने योजनेच्या यशाचा भुलभुलैया कायमच ठेवला. अर्थात त्याचे वास्तव आधी महाविकास आघाडी सरकारच्या लक्षात आले आणि आता ‘कॅग’ने उरलासुरला पडदादेखील दूर केला. २०१२ ते २०१५ या काळात महाराष्ट्रावर कायम दुष्काळाचे सावट राहिले. त्याशिवाय ‘सिंचन म्हणजे भ्रष्टाचार’ असे एक वातावरण ‘कॅग’च्याच अहवालांचे दाखले देत तयार करण्यात आले होते. ज्यांनी हे केले त्यांच्याच हातात राज्याची सूत्रे आली होती. त्यामुळे ‘जलयुक्त’च्या माध्यमातून महाराष्ट्र ‘दुष्काळमुक्त’ करण्याची संधी या मंडळींना होती, पण ती त्यांनी गमावली असे आता आम्ही नाही, तर ‘कॅग’नेच म्हटले आहे.

संजय पाटील नागपुर प्रेस मीडिया: मुंबई : ९ सप्टेम्बर २०२० : देवेंद्र फडणवीस यांच्या नेतृत्वाखालील सरकारच्या काळातील शेवटच...
09/09/2020

संजय पाटील नागपुर प्रेस मीडिया: मुंबई : ९ सप्टेम्बर २०२० : देवेंद्र फडणवीस यांच्या नेतृत्वाखालील सरकारच्या काळातील शेवटच्या वर्षांतील कारभाराचा लेखाजोखा मांडणारा कॅगच्या अहवालात मागील वर्षी सार्वजनिक बांधकाम विभागाने मनमानीपणे एका कंत्राटदाराकडील काम काढून दुसऱ्याला वाढीव दराने दिल्याने पावणेतीन कोटी रुपयांची उधळपट्टी झाल्याचे आणि सदोष नियोजन-भूसंपादन न करताच काम सुरू करणे यासारख्या प्रकारांमुळे जलसंपदा विभागाच्या कामांमध्ये २११ कोटी रुपयांची उधळपट्टी झाल्याचे ताशेरे कॅगने ओढले आहेत. [ 180 more words ]
http://humanrightstv.art.blog/2020/09/09/%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%9a%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a4-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a7%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%ae-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a4%be%e0%a4%a4/

संजय पाटील नागपुर प्रेस मीडिया: मुंबई : ९ सप्टेम्बर २०२० : देवेंद्र फडणवीस यांच्या नेतृत्वाखालील सरकारच्या काळात.....

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : भंडारा : 9 सप्टेंबर 2020 : तुमसर-कटंगी राज्य महामार्गावर बावनथडी नदीवरील महाराष्ट्र व...
09/09/2020

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : भंडारा : 9 सप्टेंबर 2020 : तुमसर-कटंगी राज्य महामार्गावर बावनथडी नदीवरील महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश राज्याला जोडणारा पूल गेल्या 10 वर्षांपासून देखभाल व अचूक अभावामुळे पूर्णपणे कमकुवत झाला आहे. सर्वात व्यस्त मार्ग असूनही सार्वजनिक बांधकाम विभागाकडून याकडे दुर्लक्ष केले जात आहे. एखादी अनुचित घटना टाळता येत नाही. कॉंग्रेसचे कृष्णकांत बघेल यांच्या वतीने या पुलाची तातडीने दुरुस्ती करण्यासाठी बांधकाम विभागाच्या मंत्र्यांना निवेदन पाठविण्यात आले आहे. [ 484 more words ]
http://humanrightstv.art.blog/2020/09/09/%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%a8%e0%a4%a5%e0%a4%a1%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%9a%e0%a5%80-%e0%a4%85%e0%a4%b5%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a5%e0%a4%be-%e0%a4%ac%e0%a4%bf/

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : भंडारा : 9 सप्टेंबर 2020 : तुमसर-कटंगी राज्य महामार्गावर बावनथडी नदीवरील महाराष्ट्र ....

07/09/2020

संजय पाटील: नागपूर प्रेस मीडिया: नागपूर: 7 सितंबर 2020 : नागपुर: अभिभावक पालकमंत्री मंत्री नितिन राउत, नागपुर को भारत के बौद्ध सर्किट का हिस्सा बनाने की बात करते हैं, लेकिन वह इसके तहत आने वाली परियोजना के लिए धन सुरक्षित नहीं कर पाए हैं। चिचोली में डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर संग्रहालय का काम धन की कमी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसे दिसंबर 2018 में पूरा किया जाना था, लेकिन विभिन्न कारणों से इसमें देरी हुई. [ 169 more words ]
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संजय पाटील: नागपूर प्रेस मीडिया: नागपूर: 7 सितंबर 2020 : नागपुर: अभिभावक पालकमंत्री मंत्री नितिन राउत, नागपुर को भारत के...

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : ६ सप्टेंबर २०२० : सार्वजनिक बांधकाम विभाग विशेष प्रकल्प नागपूर यांनी नाबार्ड अर्थसाहा...
06/09/2020

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : ६ सप्टेंबर २०२० : सार्वजनिक बांधकाम विभाग विशेष प्रकल्प नागपूर यांनी नाबार्ड अर्थसाहाय निधीतून वर्ष २०१४-२०१५ , ग्रामीण पायाभूत विकास निधी -२०१९ या निधीतून , सार्वजनिक बांधकाम विभाग विशेष प्रकल्प नागपूर , " पारशिवनी तालुक्यातील मास्तर -माहुली - सालई- बिटोली रस्त्यावर इ . जी . मा . - १२६ पेंच नदीवर मोठ्या बुडीत पुलाचे बांधकाम " या शीर्षकाखाली, रुपये १२२०. [ 549 more words ]
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