Himalaya Premi

Himalaya Premi Hi My name Vijay Negi i am a travel blogger

18/09/2024

पंवालीकांठा ट्रेक।। गंगोत्री से केदारनाथ का पुराना पैदल रास्ता।। बुग्गयाल ट्रैक।।

07/09/2024

GMVN Muaaoorie

अलकनंदा मंदाकिनी नदियों के पवित्र संगम पर बसा यह सुंदर और पवित्र स्थान रुद्रप्रयाग  है।  जो उत्तराखंड के पांच प्रयागों म...
19/07/2024

अलकनंदा मंदाकिनी नदियों के पवित्र संगम पर बसा यह सुंदर और पवित्र स्थान रुद्रप्रयाग है। जो उत्तराखंड के पांच प्रयागों में से एक है ,भगवान शिव के एक अवतार रुद्र अवतार के नाम से इस कस्बे का नाम रुद्रप्रयाग पड़ा। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने किसी स्थान पर नारद जी को संगीत की शिक्षा दी की थी और नारद जी को वीणा भी प्रदान की थी। भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर आज भी अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम के ठीक ऊपर स्थित है।

मानसून के मौसम में पहाड़ों की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है।भीषण गर्मी में बाद जब मानसून दस्तक देता है, तो  लोग खुशी से झूम...
12/07/2024

मानसून के मौसम में पहाड़ों की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है।भीषण गर्मी में बाद जब मानसून दस्तक देता है, तो लोग खुशी से झूम उठते हैं। कई लोगों को बारिश का मौसम इस कदर अच्छा लगता है कि घूमने के लिए भी निकल जाते हैं। उत्तराखंड में श्री केदारनाथ धाम के पास ये सूंदर जगह है उखीमठ, प्राचीन काल में ऊखीमठ को उषामठ के नाम से जाना जाता था और यह वही पौराणिक स्थान है जहां पर श्री कृष्ण के पोते अनिरुद्ध एवं बाणासुर की पुत्री उषा का विवाह संपन्न कराया गया था, आज भी विवाह मंडप यहां पर विराजमान है इस खूबसूरत स्थान की अलौकिक सुंदरता के अलावा इस स्थान को जाना जाता है भगवान शिव के शीतकालीन गद्दी स्थल के रूप में,। श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो जाने के पश्चात यहीं पर भगवान शिव की 6 माह विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है, पूरी घाटी में उड़ते हुए बादल, हरे भरे सीढ़ीदार खेत, मंदाकिनी नदी की कल कल करती आवाज एवं सुबह शाम ओंकारेश्वर मंदिर से आते शिव मंत्रों का उच्चारण आपको शिव तत्व के करीब ले जाएगा।

I've received 100 reactions to my posts in the past 30 days. Thanks for your support. 🙏🤗🎉
12/07/2024

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10/06/2024

☺️

Heaven on earth
24/05/2024

Heaven on earth

Way To Gaumoukh  Tapovan
17/05/2024

Way To Gaumoukh Tapovan

11/05/2024

GMVN का सबसे बेहतरीन रिसोर्ट ।। मंदाकिनी रिसोर्ट तिलवाड़ा ।। Best Riverside Resort ||

01/05/2024

उत्तराखंड के जनपद रुद्रप्रयाग में चोपता से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है द्वितीय केदार भगवान श्री तुंगनाथ जी का भव्य मंदिर, यूं तो यह मंदिर छह माह के लिए बंद हो जाता है लेकिन इस मंदिर में शिव भक्तों का आवागमन लगातार वर्ष भर बना रहता है. यूं तो चोपता की इस घाटी को उत्तराखंड का मिनी स्विट्ज़रलैंड भी कहा जाता है। छुपता का हर मौसम में जो नैसर्गिक सौंदर्य है वह एकदम बहुत सुंदर होता है यदि आप यहां बरसात में आते हैं तो चारों तरफ से उड़ते हुए बादल और हरियाली ही हरियाली यदि आप मार्च अप्रैल में यहां पर आते हैं तो पूरा जंगल सुर्ख़ लाल रंग से सरोवर हो जाता है । नवंबर से और मार्च तक पूरी घाटी बर्फ के आगोश में समा जाती है।

25/04/2024

उत्तराखंड के जनपद रुद्रप्रयाग में सारी गांव से लगभग 3 किलोमीटर पैदल चलकर बाँज बुराँशऔर देवदार के खूबसूरत जंगलों के बीच में चौखंबा पर्वत श्रेणियां के ठीक आगे यह झील स्थित है। इस झील को उत्तराखंड की रहस्यमई झील भी कहा जाता है कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि पांडव जब वनवास के दौरान बहुत प्यास व्याकुल हो गए थे तब वह इस जलाशय में पानी पीने आए थे जलाशय में पानी पीने से पहले जलाशय में यक्ष प्रकट हुए थे। सबसे पहले पानी पीने के लिए सदेव जैसे ही जलाशय में गए तो यक्ष ने उनको कुछ प्रश्नों का उत्तर देने के लिए कहा था और यह कहा था कि जब तक इन प्रश्नों का वह उत्तर नहीं देते तब तक पानी नहीं पी सकते लेकिन पानी से पानी की प्यास से व्याकुल सहदेव ने बिना प्रश्नों के उत्तर दिए जल पी लिया पानी पीते ही सहदेव मूर्छित हो गए और इसी प्रकार धीरे-धीरे नकुल भीम और अर्जुन भी यश के प्रश्नों के उत्तर दिए बिना पानी पीने के कारण मूर्छित हो गए जब युधिष्ठिर इस जलाशय में आए तो युधिष्ठिर ने यक्ष के सारे प्रश्नों का उत्तर देकर अपने सारे भाइयों को जीवित कर दिया लोगों का ऐसा मानना है कि यह वही झील है जहां पर यक्ष ने युधिष्ठिर से यक्ष प्रश्न किए थे।

04/04/2024

हिमालय में यहां हुआ श्रीगणेश का जन्म | DodiTal Trek || Agoda To Manjhi | Day-1|| Best Biggners Trek

22/02/2024

संस्कृति,परंपरा और दैवीय शक्ति का महोत्सव कुबेर देवरा। उत्तराखंड में यक्षराज कुबेर का एकमात्र मंदिर। इस मंदिर में भगवान विष्णु से कर्जा वसूलने हर साल आते हैं कुबेर देव, रोचक है कहानी

A beauti village Pandukeshwar Uttrakhand
16/02/2024

A beauti village Pandukeshwar Uttrakhand

गंगा तेरा पानी अमृत।। click during my pandukeshwar journey.
12/02/2024

गंगा तेरा पानी अमृत।। click during my pandukeshwar journey.

Let us not forget the rich heritage of our country and feel proud to be a part of this nation. Happy Republic Day.
26/01/2024

Let us not forget the rich heritage of our country and feel proud to be a part of this nation. Happy Republic Day.

21/01/2024

उत्तराखंड के पांच केंद्रों में सबसे कठिन यात्रा मानी जाती है चतुर्थ केदार भगवान श्री रुद्रनाथ जी की,
भगवान श्री रुद्रनाथ जी की यदि आपकी कृपा हो तभी यह यात्रा संपन्न हो सकती है भगवान महादेव की कृपा से आज हम लोग चोपता से लगभग 2 घंटे में सगर गांव पहुंचे और सागर गांव पहुंचते ही एकदम रूबरू हुआ भीषण गर्मी से एकदम तेज गर्मी से ऐसा लगा कि बस चलना मुश्किल हो जाएगा लेकिन महादेव की कृपा से जैसे ही हम लोग आगे बढ़े 2 किलोमीटर के बाद पुंग बुग्गयाल में पहुंचे और पुंग में हमने वहां पर लंच किया। पुंग में रुकने के लिए एक छोटी सी छानी है जो स्थानीय गांव वाले ऑपरेट करते हैं लेकिन खाने का जो टेस्ट वहां पर है वह लाजवाब है लंच करने के बाद हम लोग आगे बढ़े और इसके बाद ही असली अग्नि परीक्षा शुरू होती है एकदम खड़ी चढाई वाला रास्ता है लेकिन रास्ता अच्छा है बीच-बीच में दो-तीन किलोमीटर पर घना जंगल है जंगल में तो खैर रास्ते का पता ही नहीं चलता है की रास्ता कब गुजर गया । चक्रगोनि की जो चढ़ाई है वही असली थकान वाली चढ़ाई है चक्रगोनि की चढ़ाई के बाद हम लोग मौली खर्क पहुंचे। यहां से चढ़ाई थोड़ा सा काम हो जाती है यहां पर छोटा सा चाय वाला विश्राम लेकर हम लोग आगे बढ़े लूटी बुग्याल की ओर रात काफी हो चुकी थी और रास्ते में अंधेरा भी हो गया था लेकिन रात को चलने का भी अपना ही एक मजा होता है क्योंकि उसे समय धूप नहीं होती है हवा ठंडी होती है और आसमान में जो तारे होते हैं वह अकेले होने का एहसास नहीं दिलाते बस यूं ही आगे बढ़ते रहे और कुछ ही देरी में आ गया हमारा रात्रि का ठिकाना पनार बुग्गयाल। रास्ते की थकान के कारण पनार में जाते रात्रि का भोजन किया । पनार बुग्याल से ही यहां की जो खूबसूरती है वह देखने लायक होती है रास्ते में बुग्यालों को निहारते निहारते कब बाबा रुद्रनाथ के दरबार में आ गए पता ही नहीं चला। दर्शन किया आरती की प्रसाद पाया और निकल पड़े सरस्वती कुंड की और।
सरस्वती कुंड से वापस हम लोग रुद्रनाथ मंदिर में आए और एक बार पुनः भगवान श्री रुद्रनाथ जी को प्रणाम कर निकल पड़े वापसी की यात्रा पर रूद्रनाथ से वापस सागर तक यात्रा भी काम कठिन नहीं है क्योंकि जब भी आप उतराई करते हैं तो घुटनों पर काफी प्रेशर आने के कारण दर्द होने लग जाता है। वापसी में भी दो -तीन जगहों पर बिश्राम करने के बाद आखिरकार मैं वापस सागर पहुंच गया। महादेव के धाम की यात्रा सचमुच अविस्मरणीय रहेगी

Dronagiri and Hathi ghodi Mountain
20/01/2024

Dronagiri and Hathi ghodi Mountain

बेसब्री से इन्तज़ारी के बाद आखिरकार मौसम ने करवट ली और उत्तराखंड के उच्च इलाकों में हल्की फुल्की बर्फवारी हुई। बर्फवारी क...
19/01/2024

बेसब्री से इन्तज़ारी के बाद आखिरकार मौसम ने करवट ली और उत्तराखंड के उच्च इलाकों में हल्की फुल्की बर्फवारी हुई। बर्फवारी के बाद हरसिल की कुछ तस्वीरें। फ़ोटो साभार स्नोपोड रिसोर्ट हरसिल।

14/01/2024

"Rudranath A divine journey abode of Lord Shiva"

उत्तराखंड के पांच केंद्रों में सबसे कठिन यात्रा मानी जाती है चतुर्थ केदार भगवान श्री रुद्रनाथ जी की, भगवान श्री रुद्रनाथ जी की यदि आपकी कृपा हो तभी यह यात्रा संपन्न हो सकती है भगवान महादेव की कृपा से आज हम लोग चोपता से लगभग 2 घंटे में सगर गांव पहुंचे और सागर गांव पहुंचते ही एकदम रूबरू हुआ भीषण गर्मी से एकदम तेज गर्मी से ऐसा लगा कि बस चलना मुश्किल हो जाएगा लेकिन महादेव की कृपा से जैसे ही हम लोग आगे बढ़े 2 किलोमीटर के बाद पुंग बुग्गयाल में पहुंचे और पुंग में हमने वहां पर लंच किया। पुंग में रुकने के लिए एक छोटी सी छानी है जो स्थानीय गांव वाले ऑपरेट करते हैं लेकिन खाने का जो टेस्ट वहां पर है वह लाजवाब है लंच करने के बाद हम लोग आगे बढ़े और इसके बाद ही असली अग्नि परीक्षा शुरू होती है एकदम खड़ी चढाई वाला रास्ता है लेकिन रास्ता अच्छा है बीच-बीच में दो-तीन किलोमीटर पर घना जंगल है जंगल में तो खैर रास्ते का पता ही नहीं चलता है की रास्ता कब गुजर गया । चक्रगोनि की जो चढ़ाई है वही असली थकान वाली चढ़ाई है चक्रगोनि की चढ़ाई के बाद हम लोग मौली खर्क पहुंचे। यहां से चढ़ाई थोड़ा सा काम हो जाती है यहां पर छोटा सा चाय वाला विश्राम लेकर हम लोग आगे बढ़े लूटी बुग्याल की ओर रात काफी हो चुकी थी और रास्ते में अंधेरा भी हो गया था लेकिन रात को चलने का भी अपना ही एक मजा होता है क्योंकि उसे समय धूप नहीं होती है हवा ठंडी होती है और आसमान में जो तारे होते हैं वह अकेले होने का एहसास नहीं दिलाते बस यूं ही आगे बढ़ते रहे और कुछ ही देरी में आ गया हमारा रात्रि का ठिकाना पनार बुग्गयाल। रास्ते की थकान के कारण पनार में जाते रात्रि का भोजन किया । पनार बुग्याल से ही यहां की जो खूबसूरती है वह देखने लायक होती है रास्ते में बुग्यालों को निहारते निहारते कब बाबा रुद्रनाथ के दरबार में आ गए पता ही नहीं चला। दर्शन किया आरती की प्रसाद पाया और निकल पड़े सरस्वती कुंड की और।
वीडियो देखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

आप सभी दोस्तों के प्यार स्नेह और सहयोग से मैंने पांगरचूला चोटी  फतह कर ली। इस यात्रा का अभुभव जीवन  में कभी न भूलने वाला...
14/01/2024

आप सभी दोस्तों के प्यार स्नेह और सहयोग से मैंने पांगरचूला चोटी फतह कर ली। इस यात्रा का अभुभव जीवन में कभी न भूलने वाला रहा। एक तरफ जहां बड़ी बड़ी शिलाओं के बीच से रास्ता ढूंढना वहीं दूसरी तरफ पाला पड़ने के कारण कठोर हो चुकी बर्फ पर चलना अगर थोड़ा भी पैर फिसल गया तो गहरी खाई में सीधे मौत से सामना तय है।

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